शादी के बाद ऐसे बनाएं कैरियर

भारत की बात करें तो यहां आज भी काफी महिलाओं को शादी के कारण अपनी पढ़ाई, अपने कैरियर को बीच में ही ड्रौप करना पड़ता है क्योंकि कभी पेरैंट्स उन्हें शादी में इतना खर्च आएगा यह कह कर उन के सपनों को उड़ने से पहले ही उन के पंख काट देते हैं तो कभी यह कह कर उन के कैरियर को बीच में ही छुड़वा देते हैं कि ये सब शादी के बाद करना और जब शादी के बाद वे अपने अधूरे सपने या कैरियर को पूरा करने की बात कहती हैं तो परिवार उन्हें यह कह कर चुप करवा देता है कि अब घरपरिवार ही तुम्हारी जिम्मेदारी है.

ऐसे में बेचारी लड़की कर ही क्या सकती है. बस बेबस हो कर रह जाती है. लेकिन इस बीच परिवार ये ताने कसे बिना रह नहीं पाता कि तुम करती ही क्या हो, कमाता तो हमार बेटा ही है. ऐसे में अपने पैरों पर खड़े होने के लिए अपनी लड़ाई आप को खुद लड़ने की जरूरत है ताकि आप खुद को आत्मनिर्भर बना सकें.

सीरियल ‘अनुपमा’ में रूपाली गांगुली जो अनुपमा का किरदार निभा रही है, उसे डांस का बहुत शौक था. वह स्टेज परफौरर्मैंस करने के साथ खुद की अकादमी भी खोलना चाहती थी. उसे शादी के बाद अपने हुनर को दिखाने के लिए विदेश जाने का भी मौका मिला, लेकिन पति, सास की सपोर्ट न मिलने के कारण उसे अपने इस हुनर को मसालों के डब्बों में ही बंद कर के रखना पड़ा और बाद में यह भी सुनने को मिला कि तुम करती ही क्या हो.

मगर जब अनुपमा को समझ आया कि घरपरिवार के साथसाथ कैरियर, पैसा, नाम कितना जरूरी है तो उस ने बच्चों के सैटल होते ही अपनी हिम्मत के दम पर छोटे से सैटअप के साथ अपनी डांस अकादमी खोली और आज उसे विदेशों में भी स्टेज परफौर्मैंस करने के कौंट्रैक्ट मिल रहे हैं.

भले ही यह वर्चुअल कहानी है, लेकिन हकीकत में भी ऐसी अनेक कहानियां आप को मिल जाएंगी, जो आप को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने का काम करेंगी.

तो आइए जानते हैं आप अपने अधूरे कैरियर को कैसे पूरा करें. हर व्यक्ति के अपने सपने, अपने कैरियर एरिया होते हैं. इसे वे अपने इंटरैस्ट के हिसाब से चुनती व पूरा करती हैं. ऐसे में अगर आप का भी शादी के कारण कैरियर या डिगरी अधूरी रह गई है तो उसे जरूर पूरा करें क्योंकि आज पुरुष व महिला दोनों को बराबरी के राइट व अपने मुताबिक जीने का अधिकार है.

अपनी अधूरी डिगरी को पूरा करें

हो सकता है कि आप अपनी रुचि का प्रोफैशनल कोर्स कर रही हों, लेकिन पेरैंट्स के शादी के प्रैशर के कारण आप को अपने उस कोर्स को बीच में ही छोड़ना पड़ गया हो, जिस के कारण आप काफी परेशान भी रही होंगी. लेकिन अब मौका है कि आप अपनी उस अधूरी डिगरी को पूरा करें. हो सकता है कि घर से सपोर्ट न मिले और अब ससुराल वाले यह कह कर

फिर मना करें कि तुम्हारी पढ़ाई के कारण घर बिखर जाएगा.

तब आप उन्हें समझाएं कि अब सिर्फ बाहर जा कर ही कोर्स नहीं होता बल्कि आजकल अधिकांश कोर्सेज को औनलाइन घर बैठे भी करने की सुविधा है. इस से घर भी देख लूंगी और अपना कोर्स भी पूरा कर पाऊंगी और इस कोर्स के बाद अगर अच्छीखासी नौकरी मिल गई तो फिर तो डबल इनकम से बच्चों के और बेहतर कैरियर में भी सहायता मिलेगी. फिर अब तो बच्चे भी बड़े व समझदार हो गए हैं. अब मुझे भी खुद आत्मनिर्भर बनना है ताकि छोटीछोटी जरूरतों के लिए किसी के आगे हाथ न पसारने पड़ें. अपने बच्चों के लिए कुछ करना है.

यकीन मानिए आप का इस तरह से खुद के बारे में सोचना आप को आगे बढ़ने से नहीं रोक पाएगा. इस से आप का अधूरा सपना तो पूरा होगा ही, साथ ही आप का कौन्फिडैंस भी बढ़ेगा.

टीचिंग में रुचि

आप की शुरू से ही टीचर बनने की इच्छा थी. लेकिन परिवार में पैसों की तंगी की वजह से आप अपने इस सपने को पूरा नहीं कर पाईं. लेकिन अब जब परिवार संपन्न है और किसी तरह की कोई दिक्कत भी नहीं है तो आप अपनी इस कैरियर इच्छा को जरूर पूरा करें.

इस के लिए आप ऐसे कोर्सेज सर्च करें जो औनलाइन व औफलाइन दोनों सुविधाएं हों और जिन में ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिकल नौलेज दी जाती हो, साथ ही कोर्स खत्म होने के बाद आप को उन्हीं की तरफ से प्लेसमैंट भी मिल जाए. इस से फायदा यह होगा कि आप का टीचिंग कोर्स भी हो जाएगा और आप को जौब भी मिल जाएगी. भले ही शुरुआत में सैलरी थोड़ी कम मिले, लेकिन यह कदम आप के आगे बढ़ने में काफी अहम रोल निभाएगा.

टैलेंट को पहचानें

हर व्यक्ति में कोई न कोई टैलेंट जरूर होता है, बस उसे पहचान कर निखारने की जरूरत होती है. ऐसे में आप में जो भी टैलेंट है जैसे ट्यूशन पढ़ाने का, अलगअलग तरह की डिशेज बनाने का शौक है, अच्छी स्टिचिंग कर लेती हों, अच्छी ड्राइंग बनाने का शौक है तो आप अपने अंदर छिपे इस टैलेंट को अपने अंदर ही समेट कर न रखें बल्कि शादी के बाद उस में अपना कैरियर बनाएं.

आप इस के लिए या फिर इस में कोर्स कर के और अपनी स्किल्स को निखार सकती हैं या फिर आप अगर इन की अच्छीखासी जानकार हैं तो शुरुआत में छोटे स्तर पर बिजनैस शुरू करें, फिर जैसेजैसे डिमांड बढ़े आप अपने इस हुनर से अपने बिजनैस को बड़े स्तर पर ले जा सकती हैं, जिस से आप पैसा व नाम दोनों कमा सकती हैं और आप का टैलेंट भी बरबाद नहीं जाएगा.

स्टार्टअप की शुरुआत

आज जिस तरह से स्टार्टअप का क्रेज बढ़ता जा रहा है, वह अपनेआप में एक बड़ा बदलाव है. ऐसे में अगर आप को भी मार्केटिंग की अच्छीखासी जानकारी है, नएनए आइडियाज आप के दिमाग में आते रहते हैं, जो काफी काम के साबित हो सकते हैं, तो आप बिजनैस की और अच्छी जानकारी लेने के लिए कोर्स कर सकती हैं या फिर अगर आप ने इस का कोर्स पहले ही किया हुआ है तो आप और लोगों को इस से जोड़ कर अपना खुद का स्टार्टअप शुरू कर सकती हैं. अगर आप के आइडियाज काम आ गए फिर तो इन के जरीए आप अपनी अच्छीखासी पहचान बना सकती हैं.

एचआर जौब

आप को कौरपोरेट कंपनीज में काम करने का शौक है और इस के लिए आप ने ह्यूमन रिसोर्स में एमबीए भी कर लिया, लेकिन जब इस में जौब की बारी आई तो घर वालों ने आप की शादी तय कर दी, जिस के कारण आप की डिगरी रखी की रखी रह गई.

अकसर कैरियर को ले कर जो सपने हम ने संजोए होते हैं, अगर वे पूरे नहीं होते तो हमारे अरमानों पर पानी फिर जाता है. ऐसे में अब जब आप शादी के बाद खुद के लिए समय निकाल पा रही हैं या फिर चीजें मैनेज कर पा रही हैं तो एचआर जौब कर के अपने कैरियर को पटरी पर लाएं या फिर इस में और एडवांस्ड कोर्स कर के खुद को और अपडेट कर के अच्छी नौकरी हासिल करें.

बता दें कि एक तो इस जौब के टाइमिंग काफी सूट करने वाले होते हैं, साथ ही यह जौब काफी सम्मानीय भी होती है. इस तरह आप जौब कर के अपने एचआर बनने के सपने को साकार कर सकती हैं.

फ्रीलांस वर्क

अगर आप को पढ़नेलिखने का शुरू से ही बहुत शौक रहा है, लेकिन आप परिवार की मजबूरियों व शादी हो जाने के कारण अपने इस जनून को पूरा नहीं कर पाई हैं, तो अभी भी देर नहीं हुई है क्योंकि आज कंटैंट राइटिंग के लिए ढेरों फ्रीलांस वर्क करने का औप्शन है, जिस में आप अपनी लेखन की कला को दिखा कर अच्छाखासा पैसा कमा सकती हैं.

एक बार आप के लेखन ने गति पकड़ ली, फिर तो यकीन मानिए आप के पास अवसरों की कमी नहीं रह जाएगी. इस से आप का शादी व बाकी मजबूरियों के चलते अधूरा सपना भी पूरा हो जाएगा और आप खुद को आत्मनिर्भर भी बना पाएंगी. बस जरूरत है अपने

अधूरे सपने, कैरियर, डिगरी को पूरे जज्बे के साथ पूरा करने की.

एयरहोस्टेस जौब

एयरहोस्टेस की जौब को काफी ग्लैमरस जौब माना जाता है. इस के लिए अच्छी पर्सनैलिटी होने के साथसाथ बौडी लैंग्वेज पर अच्छी कमांड होना भी बहुत जरूरी होता है. ऐसे में अगर आप ने शादी से पहले एयरहोस्टेस का कोर्स तो कर लिया, लेकिन जैसे ही जौब की बारी आई तो परिवार वालों ने कहीं रिश्ता तय कर दिया, जिस के कारण आप की इस फील्ड में जौब करने की ख्वाहिश धरी की धरी रह गई.

लेकिन अब जब चीजें सैटल हैं और आप की उम्र भी अभी ज्यादा नहीं है तो फिर एयरहोस्टेस बन कर अपने सपनों को ऊंचाइयों तक पहुंचाएं. अच्छीखासी सैलरी व माननीय जौब न सिर्फ आप के सपने को पूरा करेगी बल्कि आप भी घर में बराबर का सहयोग दे पाएंगी, जो आज के समय की जरूरत है.

दहेज जमा न कर लड़की को पढ़ाएं

आज भी हमारे देश में आप को अनेक परिवार ऐसे मिल जाएंगे, जो अपनी लड़की की शादी के लिए दहेज तो जमा करते हैं, लेकिन बेटी अगर अपने कैरियर को आगे बढ़ाने के बारे में उन से बात करती है तो वे यह कह कर टाल देते हैं कि तुम्हारी शादी के लिए पैसा जमा करें या फिर तुम्हें पढ़ाएं. तुम्हें तो वैसे भी दूसरे घर जाना है तो पढ़लिख कर क्या करोगी.

ऐसे में दहेज लड़कियों के आगे बढ़ने के मार्ग में बाधा बन कर खड़ा हुआ है, जबकि पेरैंट्स को इस बात को समझना चाहिए कि अगर आप अपनी लड़की को इतना शिक्षित कर दोगे तो आप को शादी में दहेज देने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. वह जरूरत पड़ने पर किसी पर निर्भर नहीं रहेगी बल्कि खुद को व अपनों को भी पाल लेगी. इसलिए दहेज  जमा करने से ज्यादा अपनी लड़की को पढ़ाने पर ध्यान दें.

सक्सैसफुल स्टोरी

मैं इंदौर की रहने वाली थी. मेरी शादी दिल्ली में हुई. पति रमेश की जौब काफी अच्छी है. शादी के 2 साल बाद ही मैं एक बेटे की मां बन गई, जिस कारण मुझे अच्छीखासी आईटी की जौब छोड़नी पड़ी. आखिर होता भी यही है कि पत्नी को ही परिवार व बच्चों की खातिर अपने कैरियर को छोड़ना पड़ता है. दुख बहुत हुआ, लेकिन मजबूर थी कुछ कर नहीं सकती थी. धीरेधीरे 5-6 साल बीत गए. मेरा प्रोफैशनल कैरियर किचन व घर तक ही सीमित हो कर रह गया. मुझे हर चीज के लिए पति पर निर्भर रहना पड़ता था जो मुझे अंदर ही अंदर परेशान कर रहा था. फिर एक दिन मैं ने फैसला लिया कि अब मैं दोबारा से कैरियर में कमबैक करूंगी.

शुरू में परिवार में किसी की भी सपोर्ट नहीं मिली, लेकिन जब मैं कैरियर से समझौता नहीं करने के मूड पर अड़ गई तो मुझे जौब करने की परमिशन भी मिल गई. आज मैं फैमिली, बच्चे व जौब सब को अच्छे से हैंडल कर रही हूं. मुझे कैरियर में भी काफी ऊंचाइयां मिल रही हैं. कहने का मतलब यह है कि अगर आप चीजों को मैनेज करना सीख गए और कुछ करने की ठान ली, फिर तो आप को उड़ने से कोई नहीं रोक सकता. लेकिन अगर आप ने अपने सपनों के आगे घुटने टेक दिए, फिर तो आप के पास आगे पछताने के कुछ नहीं बचेगा.

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शादी के बाद दूसरों से सम्बन्ध जोखिमों से भरे

दिल्ली के बुराड़ी इलाके में स्थितपूजा और अशोक की शादी को4 साल बीत चुके हैं. दोनों अभी 28-32 साल की है. साल के भीतर की उम्र के हैं.यह शादी परिवार वालों की इच्छा से अरेंज हुई थी. अशोक के घरवालों को पढ़ीलिखी लेकिन घर संभालने वाली बहु चाहिए थी. वे शहरी लड़की बिलकुल नहीं चाहते थे, तो अपने पैतृक भूमि पौड़ी जिले (उत्तराखंड) के कोटद्वारनगर से पूजा का हाथ अशोक के लिए मांग ले आए थे.

किन्तु अशोक का अपने कालेज दिनों से ही आरती पर क्रश था. आरती से उस की पहली मुलाकात जीटीबी नगर के बस स्टैंड के पास हुई थी, जिस के बाद दोनों का रोज उस बसस्टैंड के पास यूंही मिलना और साथ में कश्मीरी गेट तक जाना होता था. बहुत बार बस में खाचाकाच भीड़ के चलते दोनों एकदुसरे के नजदीक आते.दोनों में तनबदन में सिहरन दोड़ती, फिर नजरें मिलती. कई बार बस की सीट पर साथसाथ ही बैठना हो जाता.

साथ में सफर करते हुए ही उन की आपस में बात होनी शुरू हुई और यह बातचीत आपस में कुछ समय के प्रेम तक भी जा पहुंची. दोनों को आपस में प्रेम तो हो गया लेकिन किसी की तरफ से इस बारे में परिवार वालों को बोलने कीहिम्मत नहीं हुई. दरअसल आरती शहरी लड़की थी, लेकिन शहरी से अधिक वह यूपी राज्य से तालुक रखती थी. दोनों की जाति, संस्कृति, क्षेत्र, व बोलीअलगअलग थी जो दोनों के प्रेम सबंध को शादी के बंधन में बंधने से रोक रही थी.

दोनों ने इसे जवानी के एक अच्छे क्रश या कहें कि कुछ समय का प्रेम ही समझा. अशोक ने आरती को किसी तरह की कमिटमेंट नहीं दिखाई तो आरती की कुछ समय बाद शादी तय हो गई. जिस के कुछ समय के बाद, अशोक भी अरेंज मैरिज के लिए आधे मन से तैयार हो गया.

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पूजा दिखने में अच्छी थी तो अशोक ने शादी के लिए हामी भर दी थी. शादी के दुसरे ही साल दोनों का एक बेटा हुआ. जिस के बाद पिछले साल ही परिवार ने दोनों के लिए अलगफ्लेट खरीदकर दे दिया. किन्तु संयोग से यह फ्लेट संत नगर इलाके के नजदीक आरती के मायके के एकदम पड़ोस में था. अशोक को पता तो था कि आरती इधर ही कहीं रहती थी लेकिन उस कामायका ठीक उस के पड़ोस मेंहोगा यह नहीं पता था.

पिछले साल सितंबर महीने के अंत में आरती का अपने मायके आना हुआ था. जिसे देख अशोक एकदम हक्काबक्का रह गया. दोनों की आपस में, काफी समय से बंद पड़े फेसबुक से, फिर से बातचीत शुरू हो गई. यह बातचीत रात देर रात को भी होने लगी थी. धीरेधीरे फेसबुक से इतर फोन पर भी बात होनी शुरू होगई. पूजा को धीरेधीरे अशोक में आए बदलाव पर शक होने लगा. जो अशोक पहले अपने फोन को यहांवहां कहीं भी बेफिकर रख जाया करता था, वह फोन को एक मिनट के लिए भी खुद से दूर नहीं रख रहा था. बल्कि अब तो अशोक अपने फोन पर लौक भी लगाने लगा था.

अशोक ने अब पूजा पर दिलचस्पी दिखाना भी कम कर दिया है. पूजा को आरती और अशोक के नाजायज रिश्ते के बारे में शक होने लगा है. पिछले एक साल से दोनों के बीच हर छोटी सी छोटी बात पर अनबन हो ही जाती है. न चाहते हुए भी झगड़ा बढ़ने लगता है. पूजा झगड़े में अगर कह दे, “मैं जानती हूं तुम्हारी हकीकत क्या है” तो अशोक की सिट्टीपिट्टी उड़ जाती है. वह इस बात को मोड़ने के लिए और भी झल्ला जाता है, और पूजा पर खूब जोरजोर से चीखने लगता है, जिस से उस की आवाज दब जाती है. उन के झगड़े की नौबत यहां तक अ गई है कि कई बार आसपड़ोस के लोगों को आ कर बीच में कूदना पड़ जाता है. कई बार अशोक के मांबाप को समझाने आना पड़ा है, लेकिन ‘ढाक के वही तीन पात.’

इन झगड़ों का असर काफी समय से उन के 2 साल के बेटे अनुज पर भी पड़ रहा है. हर बात में होने वाली चीखमचिल्ली से वह घबरा कर रोने लगता है. उस पर मानसिक अघात होने लगा है. उस की परवरिश में मातापिता का प्रेम पहले से काफी कम हो गया है. अशोक अगर अनुज को अपनी गोद में लेना चाहे तो उसी बात पर झगड़ा होने लगता है. इस साल की शुरुआत में पूजा झगड़ा कर अपने मायके चली गई थी, लौकडाउन लगा तो वह मायके में ही रह गई. लेकिनआज आलम यह है कि पूजा ने तय किया कि अब वह कुछ शर्तों के साथ ही वापस घर की दहलीज में आएगी, इसलिए अब वह अपने बेटे अनुज के साथ मायके में ही रह रही है, उस का फिलहाल वापस जाने की इच्छा नहीं है.

शादी के बाद अफेयर न बन जाए जोखिम

देखा जाए तोइस तरह के मामलों में शादीशुदा कपल्स के दो तरह से ही मामले सुलटते हैं, पहला, अलग होकर यानी ‘तलाक’ दे कर. दूसरा समझौतों के साथ रह कर.अधिकतर शादीशुदा कपल्स सब से पहले खराब हो चुके रिश्ते को फिर से संभालने की कोशिश में आपसी समझौतों को अपनाने की कोशिश करते हैं किन्तु इन मामलों में पहले जैसी ताजगी खत्म हो जाती है,विश्वास कमजोर हो जाता है, और बदला लेने या कम से कम एक बार किसी तरह से सबक सिखाने की इच्छा प्रबल रहती है, घाव हमेशा हरे रहते हैं, जो समयसमय याद कर फिर से हरे होने लगते हैं, जो खोया पैशन वापस नहीं दिला पाता.जब इस तरह से मामला सुलटता दिखाई नहीं देता तो तलाक की तरफ बढ़ने का फैसला लिया जाता है

कई बार रंगे हाथ पकड़े जाने पर मामला आपराधिक रूप भी ले लेता है. ऐसे में कभी कई हत्याओं की वारदातें इन्ही मामलों में सामने आई हैं. शादी के बाद नाजायज सम्बन्ध का ऐसा ही एक मामला पंजाब के कपूरथला जिले से सामने आया था. तलवंडी चौधराइन गांव में रहने वाला बलविंदर सिंह और रजवंत कौर का हंसताखेलता परिवार था. एक दिन अचानक रजवंत कौर का गौतम कुमार नामक व्यक्ति से नाजायज सम्बन्ध बनते उस के 4 वर्ष के बेटे ने देख लिया. जिस के बाद महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिल कर अपने बेटे को जान से मार दिया. जिस के बाद उन दोनों के ऊपर धारा 302 (हत्या) और 34 के तहत मामला चलाया गया.

ठीक ऐसा ही एक मामला इस साल अप्रैल माह में उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के खंडा गांव से सामने आया. जहां एक शादीशुदा महिला (रवीना) ने अपने प्रेमी (प्रताप), जो महिला का चचेरा भाई था, के साथ मिल कर रात में 2.30 बजे अपने पति विक्रम ठाकुर, उम्र 22, का गला रेत दिया. इस जोड़े का लगभग 1.5 साल का एक बेटा भी था.ऐसे अनेकों मामले पुरे देश के हर एक राज्य में पटे पड़े हैं, जहां शादी के बाद चल रहे प्रेमप्रसंग के चलते अपराध की वारदातें देखने को मिलती हैं.

वर्ष 2017 में इसी के चलते भारतीय सेना ने अपने एक अधिकारी को जूनियर अधिकारी की पत्नी के साथ सम्बन्ध रखने के चलते सख्त सजा सुनाई. ब्रिगेडियर और जूनियर अफसर दोनों ही देहरादून से तलूक रखते थे.यह सुनवाई पश्चिम बंगाल के बिनागुरी में चला, फैसला आर्मी कोर्ट ने लिया था. इस की शिकायत खुद ब्रगेडियर की पत्नी ने परिवार को बचाने के चलते की थी. जिस के फैसले के बाद ब्रिगेडियर के प्रमोशन पर 4 साल तक की रोक लगा दी थी.

बढ़ते तलाक के मामले और एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर

भारत में ऐसे अनेकों मामले निलंबित है जहां शादी में आई खटास के चलते शादीशुदा जोड़ा कोर्ट के दरवाजे खटकाने को मजबूर हो जाता है. इन आई खटासों का एक बड़ा कारण एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर भी रहता है. मिनिस्ट्री ऑफ़ ला से मिली जानकारी के अनुसार भारत में कुल 7 लाख तलाक के मामले दिसंबर 2017 तक पैंडिंग पड़े थे. इस में सब से अधिक मामले उत्तर प्रदेश के थे. जहां 38% मामलों के साथ कुल 2,64,409 मामले पेंडिग थे. वहीँ जनसंख्या अनुपात में देखा जाए तो सब से अधिक मामले केरल से सामने आए हैं. जहां कुल 61,970 मामले पैंडिंग थे. इस के बाद बिहार 46,735 और महाराष्ट्र 35,349 मामलों के साथ चौथे नंबर पर था.

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भारत में सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018 में भारतीय दंड संहिता की धारा 497 को मनमाना व अप्रासंगिक घोषित कर दिया. तब के चीफ जस्टिस  दीपक मिश्रा, व जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन,चंद्रचूड, इंदु मल्होत्रा ने अपने अलगअलग लिखे निर्णयों में एक मत से “व्यभिचार” यानी एडल्ट्री की कानूनी वैधता को निरस्त कर दिया. अपने लिए फैसले में व्यभिचार को तलाक लिए जाने का एक मजबूत आधार बनाए रखा. यानि जो पहले अपराध की श्रेणी में आता था वह तो हट गया लेकिन व्यभिचार से भावनाओं और विश्वास को ठेस पहुंचने को रिश्ते में ना बने रहने का विकल्प का रास्ता बनाए रखा.

दरअसल 1860 का बना यह कानून लगभग 150 से अधिक साल पुराना था. इस कानून के तहत पुरुष को 5 साल की कैद या जुर्माना या दोनों ही सजा का प्रावधान था. हांलाकि शादीशुदा पुरुष अगर किसी विधवा या कुंवारी महिला से सम्बन्ध बनाए तो वह एडल्ट्री में नहीं आता था.हांलाकि केंद्र सरकार इस कानून को बचाए रखने के पक्ष में थी, सरकार का मानना था कि भारतीय संदर्भ में ऐसा कोई प्रयास जो इस कानून को रद्द करने से सम्बंधित है वह ‘परिवार और शादी की पवित्रता’ को चोट पहुंचाएगा. किन्तु सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्त्री की स्वाधीनता और बराबरी को बनाए रखने के लिए पितृसत्ता के खिलाफ निर्णय बताया.

ग्लीडेन की रिपोर्ट

यूं तो भारत में काफी संख्या में‘टिंडर’, ‘ट्रूलीमैडली’, ‘मैच’, ‘हिंग’, ‘बम्बल’ जैसे डेटिंग साइट्स या एप्स खुल चुके हैं,जो प्रेम,जीवनसाथी की तलाश के लिए युवाओं के बीच खासा प्रचलित भी हैं. जहां, युवा अपना काफी समय खर्च भी करते हैं. ऐसे में भारत प्राइम मार्किट के तौर पर इन साइट्स के लिए उभर कर सामने आया है. आज शहरी लोगों खासकर युवाओं के हाथों में एंड्राइड फोन और इन्टरनेट की सुविधा सरलता से पहुंच चुकी है इस क्षेत्र में बहुत बड़ा उछाल देखने को भी मिला है.

आमतौर पर यह साइट्स टीनेजर व यूथ में प्रचलित है. किंतु ग्लीडेन की प्रकाशित की गई रिपोर्ट कहानी कुछ और ही बयां कर रही है. ग्लीडेन भारत का पहला ‘एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर ऐप है. जिस की शुरुआत भारत में वर्ष 2017 में हुई थी. ग्लीडेन कीहालिया रिपोर्ट के बाद भारत में व्यभिचार के कुछ हैरान करने वाली जानकारियां सामने आई हैं. यह रिपोर्ट देश में अलग अलग समय में प्रकाशित होती रही हैं.ग्लीडेन के अनुसार भारत में इस साल जनवरी-फ़रवरी माह तक कुल 8 लाख यूजर्स थे जो इस ऐप का इस्तेमाल करते थे. वहीँ पूरी दुनिया में इसके यूजर्स की संख्या 32 लाख के आसपास है.

इस रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 के बाद, जब देश में एडल्ट्री कानून को निरस्त किया गया था, उस के बाद भारत में इस ऐप को चलाने वालो की संख्या में भारी बूम आया है. पिछले साल अंत में जारी की रिपोर्ट में ग्लीडेन ने मुख्य 5 शहरों को अपनी रिपोर्ट में शामिल किया, जिसमें बैगेलुरु, मुंबई, कोलकाता, दिल्ली और पुरे थे. जिस के आधार पर बताया गया कि भारत में शादीशुदा महिलाएं 30-40 के बीच अपने लिए अफेयर पार्टनर की तलाश में रहती हैं, वहीँ पुरुष 25-30 के बीच की महिलाएं. यह यूजर्स 34-49 साल के बीच के हैं. इस ऐप पर यूजर्स द्वारा हर दिन 3 विजिट के साथ समय खर्च 1.5 घंटा ओसतन है, व इसे इस्तेमाल करने का प्राइम टाइम रात 12 से सुबह बजे के बीच का है.

रिपोर्ट के अनुसार अपने शादीशुदा पार्टनर के साथ सब से अधिक संख्या में व्यभिचार करने में बैंगुलुरु 1.3 लाख के साथ पहले स्थान पर है, फिर उस के बाद क्रमशः मुंबई, कोलकाता, दिल्ली और पुणे है. इन में अधिकतम सफेद कालर लोग शामिल हैं जैसे- डॉक्टर, डेंटिस्ट, हायरअप मैनेजर, चार्टेड अकाउंटेड इत्यादि.रिपोर्ट में कहा गया कि 77 प्रतिशत भारतीय रूटीन लाइफ और बोर होने के चलते अपने पार्टनर से चीट करते हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि 48 प्रतिशत भारतीय सोचते हैं कि यह संभव है कि एक साथ 2 लोगों के साथ रिश्ते बनाए जा सकते हैं.

वहीँ, इस ऐप ने लौकडाउन के दौरान भारतीय शादीशुदा जोड़ों में बढ़ती दिलचस्पी के आकड़े सामने रखे. ग्लीडेन के अनुसार जनवरी-फ़रवरी के मुकाबले लौकडाउन के पहले महीने मार्च-अप्रैल में 166 प्रतिशत यूजर्स की बढ़ोतरी हुई है. जो अभी कुल मिलकर 10 लाख के आकड़े को पार कर चूका है. जिस इस्तेमाल करने वालों में महिला पुरुष अनुपात 34:64 का है. जो दिखा रहा है कि आधुनिक समय में शादी से उकता चुके कपल्स अपने लिए कहीं और सुख ढूंढने की तलाश में रहते हैं.

विवाह के बाद दूसरों से सम्बन्ध खतरे से खाली नहीं

विवाह के बाद संबंधों का बनना किसी भी शादीशुदा परिवार के पतन की पहली निशानी होती है. खासकर भारत के लिए यह अति अवांछनीय कृति में है. भारत में शादी को आमतौर पर विश्वास और पवित्रता से जोड़ कर देखा जाता है. यह एक प्रकार का म्यूच्यूअल एग्रीमेंट होता है जिसे कथित विश्वास की मजबूत डोर से बांधा जाता है. भारतीय समाज में यौनिकता को अति विशेष निजी दायरे में रखा जाता है. जो दोनों (महिला-पुरुष) पर निर्धारित होता है. हांलाकि, यहां यह देखना जरुरी है कि पुरुष के लिए यह यौनिकता का सुख कभी भी दायरों में बंध के नहीं रहा है, तमाम रेडलाइट और कौठे पुरुषों की यौन सुखों को तृप्त करते रहे हैं. बाहर निकल कर, काम का बहाना मार, पत्नी की नजरों से बचबचा कर अपने यौन आजादियों का मजा पुरुष के अधिकार में ही आ पाया है.

किंतु उस के बावजूद बचेकुचे पारिवार की इमारत इन जैसे मामलों के उजागर होने से ध्वस्त होते रहे हैं.विवाह से बाहर दुसरे से सम्बन्ध से पूरा परिवार एक झटके में तबाह हो जाता है.चाहे पुरुष का व्यभिचार हो या चाहे महिला का व्यभिचार हो, बड़ी चोट महिला के ही हिस्से बंधती है. एक बार शादी टूटने से पुरुष के मुकाबले किसी महिला के लिए दोबारे अच्छे विकल्प के साथ शादी के बंधन में बंधना बहुत मुश्किल होता है.

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लेकिन यह बाद की बात है, उस से पहले परिवार के सभी सदस्यों को हर दिन इन विषयों पर सोच कर मानसिक अघात से गुजरना पड़ता है. एसटीडी का खतरा, एकदुसरे के प्रति सम्मान का खोना, रोज के झगड़े,डोमेस्टिक वायलेंस, विश्वास का छिन्नभिन्न हो जाना, सच्चाई को छुपाने के लिए कई झूटों को परोसना और अंत में सच सामने आने पर भारी गिल्ट में जीना या कुछ अपराधिक कृत्य कर गुजरना. ऐसे उदाहरण हम काफी देख चुके हैं. जहां सच्चाई सामने आने पर पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ पत्नी को मरवा दिया, या पति ने अपनी पत्नी को मार दिया.

ऐसे मामले में इस से होने वाले नुकसान सिर्फ पतिपत्नी के बीच ही सीमित नहीं रहते, बल्कि आने वाली जेनरेशन पर भी इस का गहरा असर पड़ता है. 2015 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार विवाह के बाहर नाजायज संबंधो के चलते होने वाले पतिपत्नी के झगड़ों में बच्चों पर भारी विपरीत असर पड़ता है. वे इसे अपने दिमाग में आत्मसात करते हैं और अपने जीवन में भी उसी प्रकार रिएक्ट करते हैं.ऐसे में जरुरी है कि विवाहेत्तर बनने वाले संबंधो में पड़ने से खुद को नियंत्रित किया जाए, जहां किसी प्रकार का कपल्स में आपसी भटकाव होने लगे उन्हें बैठ कर पहले ही सुलझा लिया जाए. वहीँ अगर ऐसे मामले नियंत्रण से बाहर होने लगे तो अपने शादीशुदा रिश्ते को सच्चाई की बुनियाद पर टिका कर कन्फेस करने में ही भलाई है. फिर चाहे कपल्स का साथ में बने रहना हो या अलग होना हो, यह दोनों की आपसी समझदारी पर ही निर्भर करेगा.कि वह भविष्य में अपना जीवन कैसे निर्वाह करना चाहते है.

ननद-भाभी : एक रिश्ता हंसीठिठोली का

अकसर देखा जाता है कि ननद के हावी होने के कारण भाभी पर बहुत अत्याचार होते हैं. ननद चाहे मायके में रहती हो या ससुराल में, वह भाभी के विरुद्ध अपनी मां के कान भरती है. भाई को भी भड़काती रहती है. इस का कारण यह है कि बहन, भाई पर अपना पूर्ण अधिकार समझती है और अपने गर्व, अहं को ऊपर रखना चाहती है. यदि भाई अदूरदर्शी हो तो बहन की बातों में आ जाता है और फिर उस की पत्नी अत्याचार का शिकार होती रहती है.

क्या कभी ननद भाभी के इन विवादों के पीछे का कारण सोचा है? यदि आप कारण टटोलेंगे तो आप को जवाब मिलेगा ‘मैं का भाव.’ यह भाव जब तक आप में रहेगा तब तक आप किसी के भी साथ अपने रिश्तों की गाड़ी को लंबी दूरी तक नहीं चला पाएंगे.

हाल ही की एक घटना है, जिस में लखनऊ निवासी एक परिवार में भाभी और ननद की छोटीमोटी बात पर अकसर बहस हो जाती थी. ननद से जब यह बरदाश्त नहीं हुआ तो उस ने अपनी भाभी के साथ हुई बहस को ले कर साजिश रच डाली.

अचानक उस के भाई को एक अनजान नंबर से फोन आने लगे. पूछने पर उस ने बताया कि वह उस की पत्नी का प्रेमी बोल रहा है. बात यहां तक बढ़ गई कि शादी के 4 महीने बाद ही तलाक की नौबत आ गई. 2 महीने से विवाहिता अपने मायके में है. विवाहिता ने महिला हैल्प लाइन से मदद मांगी. जांच शुरू होते ही ननद की रची साजिश का परदाफाश हो गया.

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वजहें छोटी विवाद बड़े: ननद और भाभी के झगड़े की कई सामान्य वजहें होती हैं जैसे शादी से पहले तो घर की हर चीज पर ननद का अधिकार होता है, परंतु शादी के बाद हालात बदल जाते हैं. अब ननद घर की मेहमान बन जाती है और भाभी घर की मालकिन. ऐसे में हर छोटीबड़ी बात पर ननद का हस्तक्षेप घर की बहू से बरदाश्त नहीं होता. बस, यहीं से शुरुआत होती है इस रिश्ते में कड़वाहट की.

यह एक सार्वभौमिक सत्य है कि हमें कभी न कभी अधिकारों का हस्तांतरण करना ही पड़ता है. हम हमेशा मालिक बन कर बैठे रहेंगे तो हम कभी किसी का प्यार व विश्वास हासिल नहीं कर पाएंगे. हमारी थोड़ी सी विनम्रता व अधिकारों का विभाजन हमारे रिश्तों को मधुर बना सकता है.

प्राथमिकताएं बदलती हैं: बहन होने के नाते आप को यह बात समझनी होगी कि विवाह के बाद भाई की जिम्मेदारियां और प्राथमिकताएं भी बदल जाती हैं. खुद को भावनात्मक रूप से दूसरों पर आश्रित न करें, बल्कि उन दोनों का रिश्ता मजबूत करने में मदद करें. ननद और भाभी को यह समझना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति के लिए पत्नी और बहन दोनों जरूरी हैं. इसलिए उस पर दोनों में से किसी एक का चुनाव करने के लिए दबाव न डालें.

प्रभुत्व: यह सच है कि नए घर में हर भाभी चाहती है कि उस की स्वतंत्रता हो और उसे अपनी मरजी से काम करने दिया जाए, जबकि ननद को लगता है कि जब पहले भी उस की बातें मानी जाती थीं तो भाई की शादी के बाद भी वैसा ही हो. जब इस घर में हमेशा उसी की सुनी जाती थी तो अब भी उसी की सुनी जाए. लेकिन दोनों को समझना होगा कि वक्त के साथ परिस्थितियों में भी बदलाव आता है.

हमउम्र होना: भाभी और ननद दोनों की उम्र अकसर समान होती है. दोनों को समझना चाहिए कि उन की वजह से उन के भाई या पति को परेशानी न हो. एक उम्र होने के कारण दोनों के बीच अकसर लड़ाई होती रहती है. ननदभाभी के रिश्ते को दोस्ती में बदलने की कोशिश करें. मतभेद के दौरान दोनों शांत रहें. कोशिश करें कि विवाद बढ़ने से पहले ही सुलझ जाए.

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रिश्तों को जोड़ने से पूर्व हमें उन के दूरगामी परिणामों के बारे में भी सोचना चाहिए, क्योंकि हमें इन की राह पर लंबी दूरी तक चलना होता है. रिश्ते बना कर तोड़ने की चीज नहीं होते हैं. ये तो ताउम्र निभाने के लिए होते हैं. जब जीवन भर इन्हें निभाना है तो क्यों न प्यार के अमृत से बैर का जहर दूर किया जाए और ननदभाभी के रिश्ते को 2 बहनों का रिश्ता बनाया जाए?

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