कहीं महंगा न पड़ जाए असलियत छिपाना

गृहस्थ जीवन में पदार्पण यानी शादी के बंधन में बंध जाने का फैसला स्त्रीपुरुष दोनों ही यह सोचसमझ कर करते हैं कि यह बंधन उम्र भर का है और यह अटूट बना रहे. स्त्रियों के लिए तो शादी का बंधन खास माने रखता है क्योंकि आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा उन के लिए अति महत्त्वपूर्ण है. आज के युग में भले ही स्त्री आर्थिक तौर पर स्वयं को सुरक्षित कर ले, सामाजिक तौर पर सुरक्षा के लिए उसे पुरुष पर ही निर्भर रहना पड़ता है. फिर वह चाहे पिता हो, भाई हो या पति. शादी से पहले वह अपने पिता के घर में सुरक्षित होती है, शादी के बाद पति के घर में सुरक्षित रहने की मनोकामना ले कर ही वह ससुराल जाती है.

आजकल शादी के समय वरवधू की उम्र आमतौर पर 22-23 साल से ज्यादा ही होती है, इसलिए शिक्षा और अर्थोपार्जन वगैरह की समस्याएं काफी हद तक हल हो चुकी होती हैं. फिर चाहे लव मैरिज हो या अरेंज मैरिज, शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है. 2 परिवारों को एकसूत्र में बांधने का नेक कार्य भी शादी के बंधन में बंधने वाले लड़कालड़की करते हैं.

छिपाना महंगा पड़ा

जिस के साथ उम्र भर रहना हो, उस साथी की योग्यता भी परखी जाती है. लड़की की योग्यता में देखा जाता है कि वह सुंदर, सुशील हो, उस का स्वास्थ्य अच्छा हो. वह पढ़ीलिखी तो हो, मगर खाना बनाने से ले कर गृहस्थी के सभी कार्यों में ससुराल वालों की मरजी पर निर्भर करे. स्वतंत्र हो कर किसी भी मामले में निर्णय लेने से पहले पति या ससुराल वालों की अनुमति जरूर ले, यह पति और ससुराल वालों को इज्जत देने के लिए अपेक्षित माना जाता है.

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शादी के बंधन में बंधने जा रही लड़की की तरह, कुछ जांचपड़ताल लड़के के बारे में भी की जाती है. जैसे उस का शैक्षणिक स्तर क्या है, उस की नौकरी या बिजनैस से होने वाली कमाई कितनी है, उस के ऊपर निर्भर रहने वाले परिवारजनों की संख्या कितनी है इत्यादि. जब लड़की वालों को वह अपने स्टेटस के अनुकूल जान पड़ता है, तभी विवाह के लिए उन की तरफ से रजामंदी मिलती है. लड़की या लड़के बारे में जो जानकारी आपस में दी जाती है, उस की सचाई पर विश्वास करने के बाद ही विवाह संपन्न होता है. यहां विश्वास एक महत्त्वपूर्ण तथ्य है, इसलिए किसी बात को छिपाना अच्छा नहीं होता, जैसा कविता ने किया.

कविता वैसे दिखने में सुंदर है और उस ने बी.कौम. तक पढ़ाई की हुई है. उस की शादी मयंक के साथ बड़ी धूमधाम से हुई. मयंक इंजीनियर है और एक मल्टीनैशनल कंपनी में कार्यरत है. कविता के मामाजी उस के पड़ोसी हैं. उन की तरफ से प्रस्ताव आया तो उन पर विश्वास कर और कविता को देख कर मयंक ने शादी के लिए हामी भर दी. उस के मातापिता को भी यह रिश्ता अच्छा लगा.

बिखराव के कगार पर शादी

लेकिन शादी के बाद सुहागरात को ही मंयक को पता चला कि कविता की पीठ और जांघों पर सफेद दाग हैं. यह तथ्य मयंक से छिपाया गया था. कविता ने उसे समझाने की लाख कोशिश की कि इलाज चल रहा है और डाक्टर ने यह बीमारी ठीक हो जाने की गारंटी दी है, लेकिन मयंक माना नहीं. उस का कहना था कि इस बीमारी की बात छिपाई क्यों गई? यह विश्वासघात है. अब कविता मायके में ही रह रही है और मयंक उस से डिवोर्स लेने पर आमादा है.

कविता और उस के मामाजी ने, उस की बीमारी की बात छिपा कर गलत काम किया. अब वह जमाना नहीं रहा कि ‘भाग्य में जो था वही हुआ’ सोच कर लोग अपनी आंखें मूंद लें. भुगतना तो कविता को ही पड़ रहा है.

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टूट गया भरोसा

राकेश लगभग 10 साल से अमेरिका में रह रहा है. उस की पहली शादी अमेरिकन युवती से हुई थी, जिस से उस का एक बेटा हुआ था. लेकिन यह शादी ज्यादा चली नहीं. पतिपत्नी में अनबन हो गई. परिणामस्वरूप डिवोर्स हो गया. अपने 6 साल के बेटे को राकेश ने अपने पास ही रख लिया और बाद में अपनी बहन के घर रहने के लिए भेज दिया. राकेश ने भारत आ कर दोबारा शादी की. पत्नी सुजाता को पहले डिवोर्स के बारे में तो बताया, लेकिन संतान होने की बात छिपा गया. डिवोर्स के कुछ ऐसे पेपर भी दिखा दिए जिस में उस के बेटे के बारे में कोई उल्लेख नहीं था. सुजाता और उस के परिवार को राकेश योग्य लगा और शादी हो गई. शादी के बाद सुजाता अमेरिका  चली गई. उस के जाने के 2 महीने बाद ही राकेश की बहन राकेश के बेटे को ले कर उस के घर आ धमकी. उस ने उस के बेटे को अपने साथ अपने घर पर रखने से साफ मना कर दिया. सुजाता के सामने भेद खुल गया कि राकेश का पहली शादी से एक बेटा भी है.

सुजाता के साथ विश्वासघात हुआ था, इसलिए सुजाता को बहुत दुख हुआ. राकेश ने जो भी कहा था उस पर विश्वास कर के उस ने शादी रचाई थी. मगर अब वह राकेश से डिवोर्स लेने के लिए मन बना चुकी है. हालांकि भारत में रहने वाले उस के मातापिता उसे ऐसा न करने की सलाह दे रहे हैं मगर अब यह शादी बनी रहेगी या डिवोर्स में बदल जाएगी, कुछ कहा नहीं जा सकता.

विश्वास कायम रखना जरूरी

शादी के बाद आपसी विश्वास कायम रखना बेहद जरूरी है. शादी के बाद स्नेहा एक अच्छी पत्नी साबित हुई. औफिस जाने से पहले सुबह उठ कर घर के काम अच्छे से निबटाना और शाम को औफिस से आने के बाद भी घर संभालने का काम वह बखूबी करती थी. उस का पति अश्विन तो उस की प्रशंसा करते अघाता नहीं था. अपनी मित्रमंडली और रिश्तेदारों के सामने वह स्नेहा को ले कर गर्व महसूस करता था कि उसे स्नेहा जैसी नेक और सुशील पत्नी मिली है. लेकिन स्नेहा के साथ कालेज में पढ़ने वाला और उस का प्रेमी रह चुका निकुंज उस के नए बौस के तौर पर नियुक्त हुआ तो उन दोनों की नजदीकियां फिर बढ़ती गईं.

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बात ज्यादा दिनों तक छिपी न रह सकी. अश्विन ने उन दोनों को एक सिनेमा हौल में एकसाथ फिल्म देखते हुए पाया. अश्विन के पूछने पर स्नेहा ने सफाई देने की बहुत कोशिश की कि उस दिन औफिस के बहुत से कर्मचारी छुट्टी पर थे इस वजह से काम कम था, इसलिए मैं निकुंज के साथ फिल्म देखने चली गई. लेकिन अश्विन के ज्यादा जोर दे कर पूछने पर स्नेहा ने बताया कि निकुंज से उस का प्रेम संबंध कालेज के जमाने से ही था. एक बार वह निकुंज के साथ घर से भाग भी चुकी थी. लेकिन उस के परिवार वालों ने निकुंज के विजातीय होने की वजह से उस से शादी नहीं होने दी. अश्विन का अब स्नेहा पर से विश्वास उठ चुका था, क्योंकि उस ने अपने पहले प्रेम संबंध को न सिर्फ छिपाया था, बल्कि पहले प्रेमी के साथ फिर से संबंध बना लिए थे.

अब अश्विन ने अपना तबादला दूसरे शहर में करवा लिया है और स्नेहा से बोलचाल बंद है. स्नेहा अकेली रह गई है. उस की शादी टूटने की कगार पर है. अपने जीवनसाथी के साथ धोखाधड़ी करना और असलियत को छिपाना शादी के लिए घातक है. डिवोर्स होना जीवन की एक बेहद दुखद घटना है.

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