सरकार किसानों के जीवन में व्यापक बदलाव लाने के लिए हर सम्भव कदम उठाने के लिए तत्पर : मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के जीवन में व्यापक सकारात्मक बदलाव लाने के लिए हर सम्भव कदम उठाने के लिए तत्पर है. उन्हांेने कहा कि राज्य सरकार ने गन्ना किसानों के हित में गन्ना मूल्य में वृद्धि का निर्णय लिया है. 325 रुपये प्रति कुन्तल के गन्ने का गन्ना मूल्य बढ़ाकर 350 रुपये प्रति कुन्तल, 315 रुपये प्रति कुन्तल के सामान्य गन्ने का गन्ना मूल्य 340 रुपये प्रति कुन्तल तथा अनुपयुक्त गन्ने के गन्ना मूल्य में 25 रुपये प्रति कुन्तल वृद्धि की जा रही है. गन्ना मूल्य में इस वृद्धि से प्रदेश के 45 लाख गन्ना किसानों की आय में 08 प्रतिशत की अतिरिक्त बढ़ोत्तरी होगी. उन्हांेने विश्वास व्यक्त किया कि केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं से प्रोत्साहित होकर किसान उत्पादन क्षमता बढ़ाकर प्रदेश को देश का अग्रणी राज्य बनाएंगे.
मुख्यमंत्री जी आज यहां आयोजित किसान सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे. किसान सम्मेलन में हल भेंट कर मुख्यमंत्री जी का स्वागत किया गया.

किसान सम्मेलन में किसानों का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अन्नदाता किसान कठिन परिश्रम करके अन्न पैदा करता है. अन्न जीवन चक्र का आधार है. किसान द्वारा अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से बिना भेदभाव के सभी के लिए अन्न उत्पन्न करना पुण्य का कार्य है. इससे पूर्व, कृषि विभाग द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के पश्चात उन्होंने प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया. प्रदर्शनी में कृषि उत्पादक संगठनों के उत्पाद, आधुनिक कृषि यंत्रों, पराली प्रबन्धन विधियों, जैविक कृषि उत्पादों आदि को प्रदर्शित किया गया था.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2014 मंे श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने पर देश का भाग्योदय हुआ. प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व की सरकार ने गांव, गरीब, नौजवान, महिलाओं तथा समाज के सभी तबकों के लिए कार्य किया. धरती माता की सेहत का ध्यान रखा जा सके, इस उद्देश्य से उन्होंने मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया. कृषकों के हित और कल्याण के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना जैसी योजनाएं संचालित की गयीं. वर्ष 2017 में वर्तमान राज्य सरकार के सत्ता में आने के बाद पहला निर्णय प्रदेश के 86 लाख लघु एवं सीमान्त किसानों का 36 हजार करोड़ रुपये का ऋण माफ करने का लिया गया.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अन्नदाता किसान के खुशहाल होने से राज्य प्रगति और समृद्धि के मार्ग पर अग्रसर होता है. इस उद्देश्य से वर्तमान राज्य सरकार ने बिचौलियों को समाप्त कर सीधे किसानों से उनके कृषि उत्पादों की खरीद के लिए अप्रैल, 2017 में प्रोक्योरमेन्ट पॉलिसी लागू की. विगत साढ़े चार वर्षाें में प्रदेश में किसानों से रिकॉर्ड मात्रा में उनके कृषि उपज की खरीद की गयी है. एम0एस0पी0 पर गेहूं खरीद के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने 19,02,098 किसानों को 12,808 करोड़ रुपये का भुगतान किया. वर्तमान सरकार ने साढ़े चार साल के कार्यकाल में 43,75,574 किसानों को 36,405 करोड़ रुपये का भुगतान किया.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2017 में वर्तमान सरकार के सत्ता में आने पर पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल का वर्ष 2009-10 से लेकर वर्ष 2018-19 तक का किसानों का गन्ना मूल्य भुगतान बकाया था. इससे गन्ने का रकबा सिकुड़ता जा रहा था. वर्तमान सरकार ने गन्ना किसानों के हित में बन्द चीनी मिलों का संचालन प्रारम्भ कराया. पिपराइच, मुण्डेरवा, रमाला में पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा बेची गयी चीनी मिलों के स्थान पर नये संयंत्र स्थापित कराए. साथ ही, बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान सुनिश्चित कराया. विगत साढ़े चार वर्षों में किसानों को 01 लाख 44 हजार करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य का भुगतान कराया गया. 30 नवम्बर, 2021 तक गन्ना मूल्य के भुगतान एवं चीनी मिलों के संचालन के निर्देश दिए गए हैं. कोरोना कालखण्ड में जब देश और दुनिया में चीनी उद्योग प्रभावित हो रहा था, वर्तमान राज्य सरकार ने तकनीक का उपयोग करते हुए प्रदेश की सभी 119 चीनी मिलों का संचालन कराया. जब तक किसानों के खेत में गन्ना उपलब्ध था, चीनी मिलें चलायी गयीं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार ने किसानों के हित को ध्यान में रखकर नीतियां बनायीं. वर्ष 1918 में स्पैनिश फ्लू में बीमारी के साथ-साथ भूख से भी बड़ी संख्या में मौत हुई. कोरोना के समय में प्रधानमंत्री जी के देशवासियों का जीवन और जीविका बचाने के संकल्प का अनुसरण करते हुए राज्य सरकार ने कार्य किया. देश व प्रदेश में किसी भी व्यक्ति की भूख से मृत्यु नहीं हुई. कोरोना के दौरान प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से देश के 80 करोड़ व प्रदेश के 15 करोड़ लोगों को अप्रैल, 2020 से लेकर नवम्बर, 2020 तथा मई, 2021 से लेकर नवम्बर, 2021 तक निःशुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने प्रदेशवासियों को निःशुल्क खाद्यान्न एवं वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य ने अब तक 10 करोड़ से अधिक कोरोना वैक्सीन की खुराक उपलब्ध कराने में सफलता प्राप्त की है. इससे प्रदेश में कोरोना का संक्रमण समाप्त प्राय हो गया है. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के सम्बन्ध में सावधानी व सतर्कता बरतने के साथ ही जीवन और जीविका को बचाने के लिए प्रभावी प्रयास जारी रहेंगे. राज्य सरकार ने पराली जलाने के सम्बन्ध में किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस ले लिए हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में देश व प्रदेशवासियों का जीवन एवं जीविका बचाने के साथ ही किसानों के हित में लगातार कदम उठाए गए. किसान को 24 जिन्स के लिए लागत का डेढ़ गुना दाम दिलाने की घोषणा प्रधानमंत्री जी ने की. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की गयी कृषि उपज की खरीद की धनराशि का भुगतान किसान के खाते में किया गया. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के माध्यम से बिना भेदभाव के सभी किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है. प्रदेश में 02 करोड़ 54 लाख किसान इससे लाभान्वित हो रहे हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसानों को सिंचाई के बेहतर साधन सुलभ कराने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं. किसानों को सोलर पम्प तथा खेत-तालाब योजना के तहत लाभान्वित किया गया है. वर्षों से लम्बित बाणसागर परियोजना को पूर्ण कराकर प्रारम्भ कराया गया. अर्जुन सागर परियोजना बनकर लगभग तैयार हो चुकी है. अगले महीने इसे प्रधानमंत्री जी से राष्ट्र को समर्पित कराने के प्रयास किए जा रहे हैं. सरयू नहर परियोजना लगभग पूरी हो गयी है. इसके अलावा पहाड़ी बांध, जमरार बांध, रसिन बांध सहित विभिन्न परियोजनाओं को पूर्ण कराया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि तराई एवं विन्ध्य क्षेत्र में अक्सर किसानों और जंगली जानवरों के मध्य संघर्ष हो जाता है. राज्य सरकार ने इसे आपदा घोषित करते हुए वन्य जीवों के हमले में मृत व्यक्ति के आश्रितों को 04 लाख रुपये अथवा कृषक बीमा योजना के तहत 05 लाख रुपये की धनराशि देने की व्यवस्था भी की. किसानों के बिजली बिल के सम्बन्ध में ब्याज माफ करते हुए एकमुश्त समाधान योजना के माध्यम से शीघ्र ही एक ठोस योजना लागू की जाएगी. प्रधानमंत्री जी ने सब्सिडी की दर बढ़ाकर डी0ए0पी0 और यूरिया की कीमतों में वृद्धि नहीं होने दी. किसानों को समय पर उर्वरक तथा विद्युत की सुचारु आपूर्ति सुनिश्चित की गयी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को सुदृढ़ किया है. वर्तमान में खेत में किसान की मोटर सुरक्षित है, उसे कोई ले नहीं जा सकता. विगत साढ़े चार वर्षों में प्रदेश में कोई दंगा नहीं हुआ है. अवैध स्लॉटर हाउस बंद करा दिए गए हैं. राज्य सरकार द्वारा निराश्रित गोआश्रय स्थलों का संचालन कराया जा रहा है. यह व्यवस्था भी की गयी है कि कोई भी इच्छुक किसान निराश्रित गोवंश में से 04 गोवंश का पालन-पोषण करने के लिए अपने पास रख सकता है. इसके लिए उसे 900 रुपये प्रति गोवंश प्रति माह प्रदान किए जाने की व्यवस्था की गयी है. कुपोषित महिला अथवा कुपोषित बच्चों के लिए दूध की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु उनकी इच्छा पर एक निराश्रित गोवंश दिए जाने की व्यवस्था की गयी है. इस गोवंश के रख-रखाव के लिए उन्हें 900 रुपये प्रतिमाह प्रदान किए जाने की भी व्यवस्था है.

सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार ने लगातार देश और समाज की उन्नति व समृद्धि तथा सभी वर्गों के उत्थान के लिए कार्य किया है. वर्तमान राज्य सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट में किसानों के ऋण माफ करने का निर्णय लिया. बड़ी मात्रा में किसानों से उनकी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय की गयी. प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को दिए जा रहे प्रभावी प्रोत्साहन से वर्तमान में राज्य गेहूं, गन्ना, आलू, सब्जी, फलों आदि के उत्पादन में देश में नम्बर एक है. किसानों को खाद, बीज, पानी की समय पर उपलब्धता से प्रदेश खाद्यान्न उत्पादन में देश में सबसे ऊपर है.
गन्ना विकास मंत्री श्री सुरेश राणा ने अपने सम्बोधन में कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने चीनी मिलों को बेचा और बंद किया.

मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में वर्तमान सरकार ने बंद चीनी मिलों का संचालन कराया. गन्ना किसानों के हित में कोरोना काल में भी जरूरी सतर्कता बरतते हुए सभी 119 चीनी मिलों का संचालन कराया गया. 18 से अधिक चीनी मिलों की पेराई क्षमता में वृद्धि की गयी. मुख्यमंत्री जी ने पूर्ववर्ती सरकारों के दौरान बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान कराया. विगत साढ़े चार वर्षों में 01 लाख 44 हजार करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य का भुगतान कराया गया है. खाण्डसारी उद्योगों को लाइसेंस देने से पेराई क्षमता में बड़े पैमाने पर वृद्धि हुई है.

किसान सम्मेलन को पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद श्री राधा मोहन सिंह, सांसद श्री राजकुमार चाहर, विधान परिषद सदस्य श्री स्वतंत्र देव सिंह ने भी सम्बोधित किया.
इस अवसर पर महिला कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती स्वाती सिंह, उद्यान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री श्रीराम चौहान, कृषि राज्य मंत्री श्री लाखन सिंह राजपूत सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी एवं बड़ी संख्या में कृषक समुदाय उपस्थित था.
सम्मेलन में अतिथियों का स्वागत श्री कामेश्वर सिंह ने किया. कार्यक्रम का संचालन श्री घनश्याम पटेल द्वारा किया गया. मंचासीन अतिथियों का स्वागत श्री सुधीर सिंह, श्री रामबाबू द्विवेदी एवं श्री सतेन्दर तुगाना ने किया.

सरकार बनाम किसान

साधारण आलू, सेम, गाजर, गोभी या टमाटर बेचने में कोई तकनीक नहीं है, कोई बड़ा पैसा नहीं लगता, एयरकंडीशंड दुकानों की जरूरत नहीं है और इन के दाम भी रोज ऊपरनीचे होते रहते हैं. इस पर भी इन में अगर रिलायंस, अडानी, गोदरेज, एमेजन, वाल मार्ट कूद रहे हैं तो इसलिए कि वे पूरे किराने बाजार पर कब्जा कर लेना चाहते हैं चाहे इस चक्कर में लाखों पटरी पर सब्जियां बेचने वाले बेकार हो जाएं.
जिन देशों में गरीबी नहीं है और रोज के 200 रुपए कमा कर पेट भरने वाले नहीं हैं वहां तो बात दूसरी पर भारत में पिछले 6 सालों में इन विशाल सब्जी वालों की बहुतायत होने लगी है और औन लाइन का हल्ला मचा कर घर के सामने पटरी की दुकानों को उजाडऩे की पूरी प्लानिंग कर ली गई हैं.

सस्ती सब्जी इन दुकानों से मिलेगी यह भूल जाइए. जिस दाम में एक बुढिय़ां सब्जी वाली दे सकती है उतने में सूटटाई पहने लोग आखिर कैसे दे सकते हैं? हां, अगर ये किसानों पर कब्जा कर लें, मंडियों पर कब्जा कर ले, वाहनों पर कब्जा कर लें तो आप के घर के पास बैठी अनपढ़ औरतों को बेचते के लिए सब्जियां मिलेंगी ही नहीं. आप को मजबूरन इन मंहगी दुकानों में जाना पड़ेगा जहां 2 की जगह 4 चीजें खरीदेंगे और अगर 2 के दाम सस्ते लगेंगे तो 2 के ज्यादा वसूल लिए जाएंगे. पैङ्क्षकग, और्गेनिक, छोटी होने के नाम पर और वसूल लिया जाएगा.

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अगर देश के किसान खड़े हैं तो वे समझ रहे हैं कि इस बार सरकार उन को नंगा करने का प्लान बना कर आई है. पहले लोगों को नोटबंदी से नंगा किया गया, फिर जीएसटी, फिर नागरिक कानूनों से वहकाया गया और अब सब्जी वालों तक को बख्शा नहीं जा रहा. अब फिर ग्राहक भी लूटा जाएगा, बेचने वाला भी. उत्पादन करने वाला भी. मौज केवल इन धंधों में पैसा लगाने वालों और सरकार की होगी.

सरकार बहुत मोटा पैसा उस स्पैक्ट्रम को बेच कर कमा रही है जो उस का नहीं है, धूप की तरह प्रकृति की देन है. इसी स्पैक्ट्रम के बल पर आप का कंप्यूटर चलता है कि आप औन लाइन खरीदारी कर सकते हैं. सरकार की कमीशन बीच में शामिल है जो ग्राहक भी दे रहे हैं, बेचने वाले भी. अगर क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है तो अरबोंखरबों में खेलने वाले बैंकों का भी लाभ हो रहा है. नुकसान में वह फटी धोती पहने या मैली कमीज पहने सडक़ पर बैठे सब्जी विक्रेता का है और उस के ग्राहक का है. दोनों लूटे जाएंगे. शुरूआत हो चुकी है. कुछ दिन में सिर्फ औन लाइन खरीदारी की इजाजत होगी जैसे अब कोविड के बहाने सिर्फ औन लाइन पढ़ाई की इजाजत है. यह नहीं समझाने की जरूरत कि लाभ किसे होगा.

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12वीं के बाद एग्रीकल्चर में कैसे बनाएं करियर

करियर को लेकर लगभग हर युवा असमंजस में रहता है. 12वीं का रिजल्ट आते ही छात्रों को करियर चुनने में कन्फ्यूजन रहता है कि, क्या करना सही होगी क्या नहीं. पहले के समय में ज्यादातर छात्र डॉक्टरी, इंजीनियरिंग करने की सोचते थे. इसके अलावा एमबीए करने की सोच सकते थे, लेकिन बदलते समय के साथ-साथ करियर को लेकर भी हजारों मौके खुल चुके हैं. कमी है तो सिर्फ सही और सटीक जानकारी की. यहां हम आपको कृषि से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं. इस क्षेत्र में करियर को लेकर कई मौके हैं. अगर आप भी कृषि में भविष्य की संभावना तलाश रहे हैं तो 12वीं के बाद बीएससी एग्रीकल्चर या बीएससी एग्रीकल्चर औनर्स की डिग्री लेना सही फैसला होगा.
आप एग्रीकल्चर, वेटनेरी साइंस, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, फॉरेस्ट्री, हॉर्टिकल्चर, फूड साइंस और होम साइंस में से किसी भी एक विषय में डिग्री ले सकते हैं. साथ ही पढ़ाई पूरी करके करने के बाद आप चाहें तो खेती कर सकते हैं या जॉब कर सकते हैं. भारत कृषि प्रधान देश है इसलिए इस क्षेत्र में नौकरी के ढेरों मौके हैं.

कृषि क्षेत्र में नौकरी के ये हैं रास्ते

भारत में आज भी 70 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर हैं. इस क्षेत्र में पढ़ें-लिखे लोगों की जरूरत है. आज का युवा इस क्षेत्र में लाखों के पैकेज पर जॉब कर रहा है. इस फील्ड में आप मार्केटिंग, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चर इकोनोमिक्स, एग्रो मेट्रोलॉजी, एग्रीकल्चर एक्सटेंशन एंड कम्यूनिकेशन रिसर्च या मैनेजमेंट के क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं. इसके अलावा आप नेशनेलाइज्ड बैंकों में कृषि विस्तार अधिकारी, ग्रामीण विकास अधिकारी, फील्ड अफसर भी बन सकते हैं. साथ ही साथ राज्यों के विभिन्न कृषि विभागों में भी आप अपने करियर की संभावना देख सकते हैं.

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इन संस्थानों में ले सकते हैं एडमिशन

गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय (पंतनगर यूनिवर्सिटी) और जवाहरलाल नेहरू एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेजों में एडमिशन पीएटी (प्री एग्रीकल्चरल टेस्ट) की रैंक के आधार पर मिलेंगे.
वहीं कृषि क्षेत्र में प्रशिक्षण लेने के लिए आप हैदराबाद, पुणे, ग्वालियर, इंदौर और पालमपुर स्थित कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर जा सकते हैं. साथ ही कोलकाता और भुवनेश्वर के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर से आप डिग्री लेकर अपने भविष्य को सुनहरा मौका दे सकते हैं. वहीं राजस्थान एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (उदयपुर) में इस क्षेत्र में ट्रेनिंग के साथ डिग्री भी हासिल कर सकते हैं. यूपी के इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट व अलीगढ़ विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ एग्रीकल्चर में एडमिशन लेकर कृषि क्षेत्र की बारिकियों को समझ सकते हैं.

एडमिशन लेने की ये है प्रक्रिया

ICAR (Indian Council of Agricultural Research) हर साल कृषि और इससे मिलते जुलते विषयों में एडमिशन की घोषणा करता है. जहां AIEEA (अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा) के द्वारा एडमिशन दिया जाता है. इन विषयों में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स ICAR की आधिकारिक वेबसाइट aieea.net पर जाकर पूरी जानकारी ले सकते हैं.

12वीं पास छात्र UG कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं. जबकि PG कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट की डिग्री होनी चाहिए. वहीं जो छात्र PHD कोर्सेज में एडमिशन लेना चाहते हैं वो पोस्ट ग्रेजुएट होने चाहिए. एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए ICAR की वेबसाइट मॉक टेस्ट भी करवाया जाता है. ताकि स्टूडेंट पेपर पैटर्न से भी परिचित हो सकें.

उदाहरण- इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ गांव पहुंचा युवक, किसानी कर कमा रहा लाखों

विनोद कुमार ने अनोखा मिसाल पेश किया है. विनोद गुड़गांव के फरूखनगर तहसील के गांव जमालपुर के रहने वाले हैं. जिन्होंने इंजीनियर की नौकरी छोड़ मोती की खेती करनी शुरू कर दी. इसके लिए उन्होंने पहले इंटरनेट का सहारा लिया और खेती के तरीके और फायदे कमाने के तरीके सीखे. इसके बाद विनोद ने सीफा (सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर भुवनेश्वर) में जाकर एक सप्ताह की ट्रेनिंग ली. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विनोद ने 2013 में मानेसर पॉलिटेक्निक से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया था. जिनका मन जॉब में नहीं लगा और आज वे कषि से लाखों कमा रहे हैं.

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खेती करने के लिए इस इंजीनियर ने छोड़ दी लाखों की नौकरी, अब करोड़ों में कर रहा कमाई
कमल ने एमटेक किया है और नई तकनीकि के माध्यम से खेती कर रहा है. खेती करने के लिए कमल ने ढाई लाख रूपए पैकेज की नौकरी छोड़ दी. राजस्थान के झालावाड़ जिले के छोटे से गांव गुराड़ियाजोगा का रहने वाला यह शख्स दूसरों के लिए मिसाल बन गया. नौकरी छोड़कर कमल गांव आ गया और आधुनिक तरीके से खेती शुरू कर दी. कमल ने एक लाख कर्ज लेकर सात बीघा खेत पर नर्सरी शुरू की. साथ ही नई तकनीकि का प्रयोग करते हुए सीडलिंग ट्रे और कोकोपिट में 50 हजार पौधे मिर्च, टमाटर, गोभी, करेला, खीरा, बैंगन के तैयार किए. इस काम को शुरू करने के लिए कमल ने कर्ज लिया था और अब 20 लोगों को राजगार दे रहा है. इसके लिए उसने कृषि विज्ञान केंद्र से तकनीकी की ट्रेनिंग ली. सबसे पहले उसने पूर्व साइंटिस्ट मधुसूदन आचार्य और रामराज मीणा से तकनीकि जानकारी ली फिर काम शुरू किया और अब वह करोड़ों में कमा रहा है.

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