7 Tips: होम मेकर भी कर सकतीं हैं फाइनेंशियल प्लानिंग

ऐसी बहुत सी होम मेकर हैं, जो पूरी तरह से अपने परिवार को समर्पित होती हैं, पर फाइनेंस के मामले में वे खुद को शामिल नहीं करती हैं. लेकिन घर को चलाने की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं की होती है. फाइनेंस की सारी टेंशन पति की होती है. हालांकि, घरेलू बजट में घर का सारा खर्च चलाने की जिम्मेदारी उन्हीं पर होती है. पिछले कुछ सालों में मंहगाई तो बढ़ गई है, लेकिन सैलरी में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला है.

कई बार ऐसा देखा गया है कि घर में कोई बड़ी मुसीबत आ जाने पर होम मेकर पर बहुत सारे बोझ आ जाते हैं. यदि पति की नौकरी चली जाए या फिर उन्हें कोई गंभीर बीमारी हो जाए, तो आमदनी रुक जाती है, लेकिन खर्च नहीं. ऐसे में महिलाओं को भी फाइनेंशियल प्लानिंग के बारे में पूरी जानकारी रखना जरूरी है.

आइए जानते हैं कि महिलाओं को जीवन में किस तरह फाइनेंशियल प्लानिंग करनी चाहिए-

1. कैश फ्लो को मैनेज करने की आदत डालें

आम तौर पर होम मेकर्स तभी बजट बनाती हैं जब वह किराने का सामान या घरेलू जरूरत का अन्य सामान खरीदती हैं. लेकिन आपको घर के हर तरह के खर्च के लिए बजट बनाने की आदत विकसित करें. इस बजट में वे चीजें भी शामिल करें, जो अब तक आपके पति संभालते आए हैं, जैसे लोन, बिजली का बिल, टेलीफोन का बिल, क्रेडिट कार्ड का बिल, घर का किराया आदि.

फिर अपने परिवार की आमदनी का विश्लेषण करें और देखें कि क्या यह घर के कुल खर्च से अधिक है या कम. इसके लिए आपको किसी एक्सपर्ट की जरूरत नहीं है. अपने घर के पूरे बजट पर निगाह रखने के लिए आप एक्सेल शीट का इस्तेमाल कर सकती हैं. अगर आप तकनीक से परिचित नहीं हैं, तो आप इसके लिए डायरी का उपयोग कर सकती हैं. अगर जरूरत हो, तो इसके लिए आप पति की मदद भी ले सकती हैं.

2. अपने खर्चों पर लगाएं लगाम

कैश फ्लो के विश्लेषण से आपको पता चलेगा कि आप कहां अधिक खर्च कर रही हैं. आप ऐसे तरीकों की तलाश करें जिनको अपना कर आप अपने खर्चे कम कर सकते हैं. रेस्तरां में खाना, वीकेंड पर मॉल में शॉपिंग करना, महीने में कई बार बाहर फिल्म देखने जाना ऐसे खर्च हैं जिनमें आप कटौती कर सकते हैं. इसके अलावा आप अपने विभिन्न बिल भी घटा सकते हैं. इसके अलावा घरेलू सामान की थोक शॉपिंग वहां से करें, जहां आपको लागत कम पड़े.

3. बचत, बचत और बचत

हर होम मेकर में पैसे बचाने की आदत होती है. इस आदत को विकसित करते हुए अपने लिए और परिवार के भविष्य के लिए बचत करना शुरू करें. इसके लिए आप एक सेविंग्स एकाउंट खोल लें और जब भी आप बचत करें, उसमें पैसे जमा करें. आजकल बैंक महिलाओं के लिए बचत और निवेश के विभिन्न विकल्प उपलब्ध करा रहे हैं. इस तरह आप छोटी-छोटी राशि से बड़ी बचत करने में कामयाब हो सकते हैं.

4. वित्तीय जागरुकता बढ़ाएं

महिलाओं के लिए भी वित्तीय जागरुकता बहुत जरूरी है. अगर आप बाजार में उपलब्ध विभिन्न वित्तीय विकल्पों के बारे में जानेंगी, तो यह आपके भविष्य के लिए काफी मददगार साबित होगा. बेहतर होगा कि आप बैंकिंग प्रॉडक्ट्स से इसकी शुरुआत करें. बैंक जाएं और इन प्रॉडक्ट्स के बारे में पता करें.

5. फाइनेंशियल प्लान बनाने की जरूरत

अगर आप होम मेकर हैं, तो मोटे तौर पर आप पति की प्लानिंग पर निर्भर होंगी. लेकिन आपात स्थितियां कभी भी आ सकती हैं, जिनकी वजह से आपको खुद से वित्तीय निर्णय लेने पड़ सकते हैं. यह पता करें कि आपातकालीन स्थितियों के लिए आपको किस तरह की योजना बनानी चाहिए. यह भी पता करें कि बच्चों की पढ़ाई के लिए आपको कितनी पूंजी की जरूरत होगी. सबसे बड़ी प्लानिंग रिटायरमेंट के बाद के लिए होनी चाहिए, जब आप अपने पति के साथ लंबा वक्त बिताएंगी.

6. निवेश करें ताकि बढ़े पूंजी

अगर आप बचत कर रहे हैं, तो यह जरूरी है कि भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए आपकी पूंजी में बढ़ोतरी हो. आपकी बचत आपके घर में पड़ी रहे या फिर आपके सेविंग्स एकाउंट में पड़ी रहे, तो यह बढ़ती महंगाई दर को नहीं पछाड़ सकती. ऐसे में यह जरूरी है कि पूंजी में बढ़ोतरी के लिए उसे निवेश किया जाए. इसके लिए या तो खुद को वित्तीय निर्णय लेने में सक्षम बनाएं या फिर किसी जानकार की मदद लें.

7. पढ़ना है बहुत जरूरी

कई ऐसी पत्रिकाएं, अखबार और ब्लॉग ऐसे हैं, जहां पर्सनल फाइनेंस की जानकारी उपलब्ध होती है. यहां तक कि महिलाओं पर केंद्रित कई पत्रिकाएं भी पर्सनल फाइनेंस पर जानकारी देने लगी हैं. असल उद्देश्य है मनी मैटर्स के बारे में जानकारी बढ़ाना. इससे न केवल आपको मिससेलिंग से बचने में मदद मिलेगी, बल्कि वित्तीय निर्णय लेने में भी आपकी सक्षमता बढ़ेगी.

सोच समझकर करें फाइनेंशियल प्लैनर का चुनाव

बेहतर और सुरक्षित भविष्य के लिए आज हर कोई अपनी जमापूंजी निवेश करना चाहता है. लेकिन मेहनत की गाढ़ी कमाई का निवेश व प्रबंधन बेहद संवेदनशील मसला है. लिहाजा, इस के लिए एक सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. उस का चयन कैसे करें, बता रही हैं ममता सिंह.

निवेश को ले कर लोग काफी जागरूक हो गए हैं. हर व्यक्ति की कोशिश यही रहती है कि वह अपनी मेहनत की कमाई से चार पैसे बचा कर, उस का सही जगह निवेश करे. निवेश के लिए, सही फैसला लेना आसान नहीं है. हर व्यक्ति की परिस्थितियां अलगअलग होती हैं. व्यक्ति को अपनी जरूरत और परिस्थिति के मुताबिक निवेश के विकल्पों का चुनाव करना चाहिए. इस तरह निवेश के लिए हमें सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर की मदद की जरूरत पड़ती है.

सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर वह व्यक्ति है जिस के पास फंड का प्रबंधन करने के लिए एक औपचारिक डिगरी और योग्यता होती है. याद रहे, आप की गाढ़ी कमाई से बचाए गए पैसों का प्रबंधन काफी संवेदनशील मुद्दा है. ऐसे में अपने वित्त के प्रबंधन हेतु काफी अच्छी तरह सोचसमझ कर सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर का चुनाव करना चाहिए. फाइनैंशियल प्लानर को चुनने में कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए :

निवेश के आधार पर करें चुनाव

रमेश एक आईटी इंजीनियर के तौर पर कार्यरत है. वह म्यूचुअल फंड के माध्यम से इक्विटी में निवेश करना चाह रहा था और इस के लिए उसे एक अच्छे फाइनैंशियल प्लानर की तलाश थी. इस मौके पर उस के दोस्त अविनाश ने मदद की और रमेश को अपने फाइनैंशियल प्लानर के बारे में बताया. हालांकि, अब रमेश अपने निवेश के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं है. नतीजतन, वह अब किसी और सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर की तलाश में है.

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर रमेश के ऐसा करने की क्या वजह हो सकती है. दरअसल, अविनाश के फाइनैंशियल प्लानर की विशेषज्ञता डेट निवेश में है जबकि रमेश इक्विटी में निवेश करना चाहता था. कहने का मतलब यह है कि केवल किसी के कहने भर से आप को फाइनैंशियल प्लानर का चुनाव नहीं करना चाहिए बल्कि आप को अपनी ऐसेट क्लास के हिसाब से फाइनैंशियल प्लानर के पोर्टफोलियो की जांच करनी चाहिए.

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केवल बातों से प्रभावित न हों

– अपने क्लाइंट को प्रभावित करने के लिए कई बार फाइनैंशियल प्लानर शौर्ट में शब्दों का प्रयोग कर के गुमराह करते हैं. उस के शब्दों से लोगों को लगता है कि वह प्लानर काफी काबिल है.

– जबकि एक अच्छा सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर वही होता है जो निवेशक को आसान शब्दों में निवेश के विकल्पों के बारे में समझाए. इस बारे में अर्थशास्त्र कंसल्टिंग की सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर शिल्पी जौहरी कहती हैं कि अच्छा फाइनैंशियल प्लानर वही होता है जो अपने ग्राहकों के वित्तीय लक्ष्यों का अध्ययन करते हुए उन के लिए निवेश प्रोडक्ट चुनता है.

इस के अलावा ग्राहकों को कुछ और बातों का भी ध्यान रखना चाहिए :

– फाइनैंशियल प्लानर सब से पहले आप के वित्तीय लक्ष्यों के बारे में आप से पूछेगा.

– वह आप की वित्तीय स्थिति का अध्ययन करेगा. उदाहरण के तौर पर, वह आप से कर्ज, घरेलू खर्च आदि के बारे में पूछेगा.

– यह सब जानने के बाद वह आप के लिए निवेश की एक योजना बनाएगा.

– अगर कोई फाइनैंशियल प्लानर उपरोक्त चरणों का पालन नहीं कर रहा है और ऊंचा मुनाफा कराने का दावा भी कर रहा है तो इस का मतलब है कि वह आप को गुमराह करने की कोशिश में है.

एक अच्छा फाइनैंशियल प्लानर निवेशकों की इच्छाओं का भी खयाल रखता है. मुद्रा मैनेजमैंट के सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर मनीष अग्रवाल बताते हैं कि फाइनैंशियल प्लानिंग एक संवेदनशील मुद्दा है और सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर वही बन सकता है जिस ने इस के लिए बाकायदा डिगरी ली हो और प्रैक्टिस कर रहा हो. ऐसे में निवेशकों को फाइनैंशियल प्लानर चुनते समय उस की डिगरी की जांच भी कर लेनी चाहिए.

जोखिम से भी अवगत कराए

किसी तरह का निवेश जोखिम मुक्त नहीं होता है. सर्टिफाइड फाइनैंशियल प्लानर अनूप गुप्ता के मुताबिक, एक अच्छा फाइनैंशियल प्लानर वही होता है जो आप को सभी ऐसेट क्लास में निवेश के फायदे के साथ उन से जुड़े हुए जोखिम के बारे में भी बताए. मान लीजिए कि आप का फाइनैंशियल प्लानर आप से कहे कि आप शेयर बाजार (इक्विटी) में निवेश कर के ज्यादा रिटर्न कमा सकते हैं, तो उसे आप को साथ में यह भी बताना चाहिए कि सभी तरह के ऐसेट क्लास में निवेश की तुलना में सब से ज्यादा जोखिम भी इक्विटी के निवेश में है.

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फाइनैंशियल प्लानर चुनते समय आप को उस का पिछला प्रदर्शन भी देखना चाहिए. उदाहरण के तौर पर जब बाजार ऊपर (बुल मार्केट) जा रहा हो तो सभी अच्छा रिटर्न कमा लेते हैं. हालांकि एक अच्छा फाइनैंशियल प्लानर वही होता है जो गिरते हुए बाजार (बेयर मार्केट) में भी अच्छा पैसा कमा के दिखाए. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आप जिस फाइनैंशियल प्लानर को अपनी पूंजी सौंपने वाले हैं उस के पुराने क्लाइंट कितने संतुष्ट हैं. इस तरह, अच्छा फाइनैंशियल प्लानर चुन कर आप पैसों का निवेश करें.

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