जानें कैसा लाइफ पार्टनर चाहती हैं एक्ट्रेस Ananya Panday, पढ़ें इंटरव्यू

फ़िल्मी परिवेश में जन्मी और पली – बड़ी हुई 24 साल की यंग एक्ट्रेस अनन्या पांडे ने अपनी कोमलता और खूबसूरती से इंडस्ट्री में एक जगह बना ली है. उनमे हर नई किरदार को करने में एक जुनून है, जो उन्हें बाक़ी नई एक्ट्रेस से अलग बनाती है. सोशल मीडिया पर छाने वाली अनन्या के फोलोअर्स काफी है. चंकी पांडे और भावना पांडे की इस बेटी ने फिल्म स्टूडेंट ऑफ़ द इयर 2 से इंडस्ट्री में कदम रखी और एक के बाद एक अलग-अलग फिल्मों में नजर आ रही है. फिल्मों के अलावा अनन्या ने कई विज्ञापनों में भी काम किया है. इसकी वजह उनका सौम्य स्वभाव है.

अभिनय के साथ-साथ वह युनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ कैलिफोर्निया, लोस एन्जिलोस में फैशन डिजाईनिंग की कोर्स भी कर चुकी है. अनन्या का फैशन स्किल काफी अच्छा है और वह अपने हिसाब से पोशाक का चयन करती है. इसके अलावा अनन्या को घूमना और जिम जाना बहुत पसंद है, इसलिए वह कई बार पैपराज़ी फोटोग्राफर का शिकार हो जाती है.हिंदी सिनेमा जगत में अनन्या अपने बोल्ड लुक और हॉट पर्सनालिटी के लिए जानी जाती है. बॉलीवुड में इस एक्ट्रेस की एक्टिंग को काफी सराहनीय माना जाता है, जिसे अनन्या ने हर फिल्म में काफी मेहनत कर संभव बनाई. उनकी फिल्म ‘गहराइयाँ’ रिलीज पर है,उन्होंने कुछ बातें अपनी जर्नी की शेयर की, आइये उन बातों को जानते है.

जरुरी है रिलेशन को बनाए रखना

रिलेशनशिप के बारें में अनन्या बताती है कि प्यार मेरे लिए दोस्ती है, जिसे मैंने अपने पेरेंट्स से सीखा है. 24 साल की शादीशुदा जिंदगी बिता लेने के बाद भी वे अच्छे फ्रेंड्स है. उनमें आपस में झगड़े भी होते है, पर वे दोनों साथ में खुश रहते है. मेरे लिए वही व्यक्ति मेरा जीवनसाथी बन सकता है, जिसके साथ मैं कोम्युनिकेट अच्छी तरह से कर सकूँ और वह मुझे हमेशा हंसाए. उसे मेरे पिता की तरह होने की आवश्यकता है. रियल लाइफ में मेरा पेरेंट्स के साथ सबसे गहरा रिश्ता है.

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पसंद है चुनौतीपूर्ण फिल्में

गहराइयाँ फिल्म में अनन्या ने काफी चुनौती पूर्ण भूमिका निभाई है,जो उनकी उम्र से बड़ी भूमिका है. उनका कहना है कि मैं इसे बोल्ड चरित्र नहीं, बल्कि मैच्योर, इमोशनल चरित्र कहना पसंद करुँगी, जिसे करने सेपहले मैं घबराई हुई थी, लेकिन मुझे इसे करना भी था, क्योंकि ये मेरी विशलिस्ट के डायरेक्टर शकुन बत्रा की है. उन्होंने किसी फिल्म को फ़िल्मी से अधिक रियल दर्शाने की कोशिश की है. इसलिए निर्देशक शकुन बत्रा के साथ बैठकर मेरे किरदार को समझना पड़ा. केवल मैं ही नहीं बल्कि मेरे को स्टार सिद्दांत चतुर्वेदी को भी अपनी भूमिका के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी. इस फिल्म से मैंने बहुत सारी बातें सीखी है, जिसमें अगर कोई दुखी है, तो भले ही वह जोर से रोये नहीं, उसके आंसू न बहे , लेकिन उसके अंदर उसका इमोशन तो है और उसे पर्दे पर सजीव करना आसान नहीं होता. वैसे ही अगर आप दुखी होने पर हँसते है, तो उसमे ख़ुशी नहीं, बल्कि उस दबी हुई दुःख का एहसास होता हो,ऐसे कई मुश्किल अभिनय मैंने दीपिका से सीखे है. ये भाग मेरे लिए बहुत कठिन था. इसके अलावा किसी भी रिश्ते की गहराई में जाने पर अगर आपको धोखा मिलता है, तो उसे बिना छुपाये बाहर निकाल देना और शेयर करना जरुरी होता है, क्योंकि अपने अंदर किसी स्ट्रेस को रखकर मैं कुछ अलग नहीं सोच सकती और ये सभी के लिए लागू होती है.भले ही कोई कुछ कहे पर मुझे अपने रिश्ते को सच्चाई से जीना पसंद है.

एन्जॉयड द शूट

अनन्या को इस चरित्र को निभाने के बाद में कुछ समस्या भी आई.अनन्या कहती है कि निर्देशक के अनुसार मैं टिया खन्ना की तरह हूँ, इसलिए मुझे अधिक मेहनत करने की जरुरत नहीं है, लेकिन रियल लाइफ में मैं वैसी लड़की नहीं. दर्शक मुझे अनन्या नाम से नहीं, बल्कि टिया के रूप में याद रखेंगे और मेरे लिए ये डरावनी बात थी, पर मैंने खुद को इस डर से निकाला और शूट को एन्जॉय किया, लेकिन ये सही है कि मैं इस

पॉजिटिव सोच है जरुरी

अनन्या हर फिल को खुद चुनती है और अगर कुछ गलत हुआ तो उसकी जिम्मेदारी खुद को ही समझती है. उनके पेरेंट्स अनन्या की इस मैच्योरिटी को पसंद करते है. वह हमेशा सकारात्मक सोच रखना पसंद करती है. इतना ही नहीं अनन्या ने साल 2019 में सो पॉजिटिवएक संस्था ‘डिजिटल सोशल रेस्पोंसिबिलिटी’ को ध्यान में रखकर की है. वह कहती है कि मैं एक सेफ कम्युनिटी डिजिटल पर बनाना चाहती थी. केवल मेरे साथ ही नहीं हर किसी के साथ ऐसा होने पर, खासकर इन्स्टाग्राम पर लोग एक दूसरे को नफरत की निगाह से देख रहे थे, पर हर इंसान चुप था, जबकि एक बातचीत शुरू होने की जरुरत थी, जिसके साथ भी ऐसा होता है, वह व्यक्ति कैसे और कहाँ कॉम्प्लेन करें. सो पॉजिटिवने एक स्ट्रीम लाइन और गाइडबुक बनाई है, जहाँ परेशान व्यक्ति कहाँ और कैसे शिकायत करें. पिछले साल कोविड की दूसरी लहर के समय मैंने एक सीरीज बनाई थी, जो सोशल मीडिया फॉर सोशल गुड के नाम से था. मैंने 10 यंग लोगों से उनके काम के बारें में बात किया तो पता चला कि वे सोशल मिडिया पर अच्छे काम के लिए जुड़े है, जिसमें बीमार को एम्बुलेंस मुहैय्या करवाना, जरुरतमंदों को ऑक्सिजन सिलिंडर दिलवाना, स्ट्रीट जानवरों को सुरक्षा देना आदि कई काम कर रहे है, लेकिन इस काम के पीछे कौन व्यक्ति एक्टिव है, उसे बताने की कोशिश की है. इसका अनुभव भी मेरे साथ अच्छा हुआ है. जब मैं दूसरे शहर में भी किसी यूथ से मिलती हूँ तो यूथ इस मुहीम की तारीफ़ करते है और इस मुहीम से जुड़ने के बाद वे खुद को कभी अकेला महसूस नहीं करते.

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पेरेंट्स का मिला सहयोग

अनन्या आगे कहती है कि मैं पिता के बहुत करीब हूँ. मेरे पिता परिवार की एक मजबूत इंसान है. उन्होंने हमेशा समझाया है कि जीवन में सफलता और असफलता से अधिक प्रभावित नहीं होना चाहिए, दोनों ही परिस्थिति में न्यूट्रल रहने की जरुरत है. असफलता से सफलता को हैंडल करना अधिक मुश्किल है. इसके अलावा मेरे पिता ने कभी मुझे किसी बात पर टोका नहीं, लेकिन जरुरत के समय हमेशा मेरे साथ रहे.

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