लड़की को भी है मसल्स दिखाने की जरूरत, ‘जो मरजी पहनो’

गैस करो कि यह फोटो कहां का है: यह पक्का है कि यह एआई की बनाया नहीं है. असल में यह है अमेरिका के व्हाइट हाउस जहां राष्ट्रपति रहते हैं और ये स्मार्ट इंडियन सी लगने वाली औरतें अमेरिका की मुसलिम महिला ऐसोसिएशन की हैं जो विदेश मंत्री सैक्रेटरी अंटोनी ब्लिंकेन से मिलने आईं. साउथ एशिया के देशों की औरतों को अभी भी साड़ी और सलवारकमीज में ही अपनी पहचान दिखती है. यह बैकवर्डनैस है या सुंदर दिखने की कोशिश, यह आप तय करें. यह पक्का है कि अगर चीनीजापानी डैलीगेशन होता तो वे वैस्टर्न ड्रैस में ही होतीं.

है हिम्मत तो पास आओ: ये मसल लड़की के हैं, किसी जिम गोइंग लड़के के नहीं. आजकल ऐसी थेरैपी आने वाली है कि जिन के मसल किसी बीमारी से कमजोर हो जाएं उन्हें भी सही ऐक्सरसाइज और प्रोटीन सप्लिमैंट दे कर मसल ऐसे हो जाएं कि सड़कछाप मजनूं दूर से ही भाग जाएं. हमारी तो सोच है कि एक साजिश के तौर पर लड़कियों को पट्टी पढ़ाई जाती है कि वे कमजोर और नाजुक दिखें कि कहीं वे पुरुषों को चैलेंज न करने लगें.

आगे की सोचें: जिम अब सिर्फ ऐक्सरसाइज के सैंटर नहीं रह गए हैं. जिस तरह पौपुलर हो गए हैं, वे कम्युनिटी क्लब से बनने लगे हैं और एक सैंटर ने अपने यहां डांस और कराटे क्लासेज भी लगानी शुरू कर दी हैं. जल्द ही उन में किट्टी पार्टियां भी होने लगें, बर्थडे मनाए जाने लगें और कोई शोक सभा भी और्गनाइज करा दें कि आओ और टू इन वन काम करते जाओ तो बड़ी बात नहीं. सनरेज जिम को ऐडवांस में बैस्ट विशेष की आगे की सोचें और वहां शादियां भी करा दें और तलाक भी. आखिर लोग अभी भी बहुत समय वहीं लगा रहे हैं.

जो मरजी पहनो: हलीमा अदेन ऐसीवैसी नहीं सुपर मौडल्स में गिनी जाती है और उस की शोहरत इतनी है कि एक इंडोनेशियाई कंपनी बटनस्कार्व्स ने उसे ब्रैंड ऐंडोर्स और मौडलिंग करने के लिए चुना है. स्कार्फ अच्छा फैशन स्टेटमैंट है पर हम कहेंगे कि इसे वर्कप्लेस में नहीं पहना जाए. वर्कप्लेस में ड्रैस एक सी और बिना ज्यादा तड़कभड़क वाली हो. हां, अगर काम शो बिजनैस का है तो जो मरजी है पहनो और चाहो तो कुछ भी न पहनो.

मान लेने में बुराई नहीं: अब अगर यह फैशन हौलीवुड से जुड़े किसी डिजाइनर का है तो मान लेने में कोई बुराई नहीं है कि कुछ खास ही होगा. निश निशे की डिजाइन की ड्रैसें न केवल स्टाइलिस्ट मानी जाती हैं और फैब्रिक से ले कर रंग तक की चिंता की जाती है, यह कंपनी का दावा है तो मान लेना ही अच्छा है. औनलाइन के जमाने में ग्राहक तो वैसे भी बस डेटा पीस बन कर रह गए हैं जिन्हें कहीं भी कुछ भी कह कर बेचा जा सकता है.

हम कमजोर नहीं: यह अमेरिका में गवर्नर के औरत होने का फायदा है जो भारत के चीफ मिनिस्टर की तरह का सा होता है कि उस ने औरतों की मांग पर एक कानून बना दिया जिस में डिजिटल हैरसमैंट को डोमैस्टिक वायलैंस के साथ जोड़ दिया है जो डाइवोर्स का कारण बन सकता है. अमेरिका में भी अगर एक पार्टनर डाइवोर्स न देना चाहे तो लंबी कानूनी देरी संभव है. अब व्हाट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर अनापशनाप कहने पर भी डाइवोर्स की ग्राउंड ली जा सकती है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें