मेरी गर्लफ्रैंड बातबेबात रूठ जाती है?

सवाल

मैं 25 वर्षीय अविवाहित युवक हूं. मेरी समस्या अपनी गर्लफ्रैंड को ले कर है, जो दिल की तो अच्छी है और मुझे प्यार भी करती है, लेकिन वह बातबेबात रूठ जाती है. वह चाहती है कि मैं उसे अकसर घुमानेफिराने ले जाऊं, मूवी दिखाऊं, शौपिंग कराऊं. वह बारबार फोन कर मुझे परेशान भी करती रहती है. कहती है कि कुछ भी करो तो बता कर. कभीकभी लगता है मैं बुरी तरह फंस गया हूं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

हर गर्लफ्रैंड यही चाहती है कि उस का बौयफ्रैंड उसे प्रेम करे, उसे समय दे, मूवी दिखाने ले जाए, शौपिंग कराए, उपहार दे. आप की गर्लफ्रैंड भी आप से यही उम्मीद रखती है. अगर आप कामकाजी हैं और आप के पास समय का अभाव है, तो सप्ताहांत या अवकाश के दिन गर्लफ्रैंड को समय जरूर दें. हां, बाकी दिनों में हालचाल लेते रहें.

वह आप को बिना वजह बारबार फोन करती है, तो इस बारे में उस से बात करें और मिलने व घूमने जाने का प्रोग्राम समय के अनुसार तय कर लें. बावजूद इस के वह नहीं मानती और आप को परेशान करे तो उस से दूरी बनाने में ही फायदा है.

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देश में अब परिवार नई चुनौतियों से जूझ रहे हैं. पहले सासबहू और देवरानीजेठानी विवादों के कारण घरों में कलह रहती थी, अब पतिपत्नी और उस से ज्यादा पिताबेटे और मांबेटी की कलह के किस्से बढ़ रहे हैं. आमतौर पर खुद को सक्षम और समझदार समझने वाली पत्नियां अब पतियों के आदेशों को मानने से इनकार कर रही हैं और घर के बाहर एक अलग जिंदगी की तलाश करने लगी हैं, फिर चाहे वह दफ्तरों में नौकरी हो या किट्टी पार्टियां.

घरों में विवादों के बढ़ने का कारण न सिर्फ सतही जानकारी का भंडार होना है, बल्कि गहराई वाली सोच का अभाव होना भी है. सतही जानकारी ने यह तो सब को समझा दिया है कि हरेक का अपना अधिकार है, अपना जमीनी व व्यक्तिगत दायरा है, जीवन जीने के फैसले खुद करने का अधिकार है पर यह जानकारी यह नहीं बताती कि कोई भी गलत फैसला कैसे खुद को परेशान कर सकता है.

लोगों ने अपने अधिकारों को जानना तो शुरू कर दिया है पर जब इन अधिकारों के कारण दूसरों के दायरे में दखल हो तो क्या करना चाहिए, यह ज्ञान आज का मीडिया या मोबाइल देने को तैयार नहीं है. आज का मीडिया तब तक ही पसंद और सफल है जब तक वह दर्शकों को आत्ममंथन करने को न कहे.

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