कोरोना और बच्चों की Handwriting

कोरोना के इस संसार में आगमन के बाद से आर्थिक, सामाजिक जैसे क्षेत्रों में देश के प्रत्येक नागरिक को नुकसान उठाना पड़ा है. बड़ों के साथ साथ बच्चे भी इससे बहुत अधिक प्रभावित हुए हैं, लॉक डाउन के कारण लंबे समय तक घरों में रहने से वे चिड़चिड़े और तनावग्रस्त रहने लगे हैं. पूरे वर्षभर से वे लेपटॉप और मोबाइल के सामने घण्टों बैठकर अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं. कमजोर होती नींव, दोस्तों के साथ होने वाली मौज मस्ती का अभाव, घर में निरन्तर रहने से कमजोर होता आत्मविश्वास, गजेट्स से पढ़ने से बीमार होती  आंखें, कमजोर होती लर्निंग कैपेसिटी जैसे अनेकों नुकसान बच्चों को ऑनलाइन पढ़ने से हो रहे हैं परन्तु इस दौरान उनकी खराब होती हैंडराइटिंग सबसे बड़े नुकसान के रूप में उभरा है.

एक समाचार पत्र एजेंसी के द्वारा कराए गए सर्वे में पाया गया कि कोरोना के ऑनलाइन क्लासेज के दौरान कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों की हैंडराइटिंग को बहुत अधिक प्रभावित किया है. जब कि इस उम्र में सबसे ज्यादा फोकस हैंडराइटिंग पर होता था क्योंकि बाल्यावस्था में बन गयी अक्षरों की बनावट घर की नींव की भांति होती है जो जिंदगी भर वैसी ही होती है. ग्वालियर के एयरफोर्स स्कूल की शिक्षिका और कैलीग्राफी विशेषज्ञ कीर्ति दुबे कहतीं हैं , ”बच्चों के अक्षरों की बनावट, उनके मध्य कस स्पेस और लाइनों के बीच का अंतर अब कहीं नजर नहीं आता वे किसी तरह जल्दी जल्दी लिखकर हमें ऑनलाइन दिखा देते हैं जिसमें हमारे द्वारा दी गयी समझाइश का कोई असर होते नहीं दिखता क्योंकि उन्हें पता है कि स्क्रीन के उस पार बैठकर हम कुछ नहीं कर सकते.”

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हैंडराइटिंग बिगड़ने के क्या हैं कारण

-उनकी हैंडराइटिंग खराब होने का सबसे बड़ा कारण है कि कोरोना काल से पूर्व टीचर द्वारा बोर्ड पर लिखे शब्दों को देखकर वे  काफी कुछ सीखते थे जो अब नहीं हो पा रहा है.

-उन्हें पता है कि वे कैसा भी लिख लें अब कोई उसे देखने वाला नहीं है.

-स्कूल जाने पर शिक्षक बच्चों को होमवर्क दिया करते थे जिससे बच्चों को लिखने की आदत रहती थी.

-कक्षा में एक दूसरे को देखकर बच्चों में प्रतिस्पर्धा की भावना रहती थी जिससे वे सुंदर लेखन के द्वारा शिक्षक पर अपना प्रभाव जमाने का प्रयास करते थे परन्तु अब यह सब नदारद है.

क्या करें अभिभावक

स्कूल कब खुलेंगे यह नहीं कहा जा सकता परन्तु इस समय घर में रह रहे बच्चों को माता पिता थोड़े से प्रयास करके बच्चों की हैंडराइटिंग को सुधार सकते हैं. इस समय चूंकि स्कूल की पढ़ाई का प्रेशर भी नहीं है तो उनकी हेंडराइटिंग पर आसानी से काम किया जा सकता है-

-ऑनलाइन स्टडी से समझकर कॉपी पर लिखने का प्रयास करें.

-बच्चों को सही से अक्षर की बनावट लाइन स्पेसिंग पर पर्याप्त ध्यान देने को कहें.

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-अच्छा लिखने के लिए सबसे पहली शर्त है पढ़ना, इसलिए अपने बच्चों को बाल पत्रिकाएं अवश्य पढ़ने को दें, पढ़ने से नवीन जानकारी प्राप्त करने के साथ साथ वे अक्षरों को बनाना भी सीखते हैं.

-इंग्लिश और हिंदी भाषा के लिए बाजार में उपलब्ध कर्सिव राइटिंग की कापियों का उपयोग किया जा सकता है.

-बच्चों से नियमित रूप से 8 से 10 लाइनें लिखवाएं.

-सबसे महत्त्वपूर्ण है कि आप अपने बच्चों से कोई भी काम करवाएं उसे चेक अवश्य करें ताकि उनका उत्साह कायम रहे.

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