मैरिड लाइफ में इन 8 टिप्स से रहें खुश

पत्नी कामकाजी हो या होममेकर घर को सुचारु रूप से चलाने में उस का योगदान कमतर नहीं होता. लेकिन विश्वास, समझदारी व समानता के बीच संतुलन बिगड़ने पर आप के बीच गलतफहमी पैदा हो सकती है और फिर कभी न खत्म होने वाली तूतू, मैंमैं. यहां हम चर्चा करने जा रहे हैं उन बातों की, जिन से दूर रह कर आप अपना दांपत्य जीवन सुखी रख सकती हैं.

जब एक लड़की शादी के बाद एक नए घर, नए माहौल और नए लोगों से रूबरू होती है, तो उसे बहुत सारी बातों का खयाल रखना पड़ता है. मसलन, खुद को नए माहौल में ढालना, वहां के लोगों की आदतों, रीतिरिवाजों, कायदेकानूनों, खानपान आदि को समझना. उन की दिनचर्या के मुताबिक खुद की दिनचर्या निर्धारित करना. उन की जरूरतों का ध्यान रखना वगैरहवगैरह. मगर सब से अधिक सावधानी उसे पति के साथ अपने मधुर संबंध विकसित करते वक्त बरतनी पड़ती है. पतिपत्नी के बीच रिश्ता विश्वास व समझदारी से चलता है और आज के आधुनिक समाज में एक और शब्द समानता भी जुड़ चुका है.

1. आप हमेशा सही नहीं हैं:

कुछ युवतियों को यह गलतफहमी होती है कि वे जो करती हैं या कहती हैं वह हमेशा सही होता है. यदि पति किसी काम को कुछ अलग तरीके से करते हैं और आप उस काम को अपने तरीके से करने के लिए मजबूर कर रही हैं, तो आप को अपनी सोच बदलने की जरूरत है. आप के पति या परिवार के अन्य सदस्यों की सोच और तरीका आप से भिन्न हो कर भी सही हो सकता है. आप को धैर्य रख कर उसे देखना व समझना चाहिए.

2. बाल की खाल न निकालें:

देखा गया है कि अविवाहित जोड़े एकदूसरे से ढेर सारे सवालजवाब करते हैं और घंटों बतियाते रहते हैं बिना बोर हुए, बिना थके. मगर शादीशुदा जिंदगी में आमतौर पर ऐसा नहीं होता. आप के ढेरों सवाल और किसी मैटर में बाल की खाल निकालना आप के साथी को बैड फीलिंग दे सकता है. अत: याद रखें कि अब न तो आप उन की गर्लफ्रैंड हैं और न ही वे आप के बौयफ्रैंड.

3. साथी के साथ को दें प्राथमिकता:

कभी पति के सामने रहते परिवार के अन्य सदस्यों को पति से आगे न रखें. अगर आप ऐसा करती हैं, तो आप अनजाने में ही सही अपनी खुशहाल जिंदगी में सूनापन भर रही होती हैं. मान लीजिए आप के पति ने आज आप के साथ मूवी देखने जाने का प्लान बनाया है और आज ही आप की मां आप को फोन कर के शौपिंग मौल में आने को कहती हैं. अगर आप अपने पति को सौरी डार्लिंग बोल कर अपनी मां के पास शौपिंग मौल चली जाती हैं, तो यह पति को बुरा लगेगा. उन के मन में तो यही आएगा कि आप की जिंदगी में उन की अहमियत दूसरे नंबर पर है. यदि आप अपनी मां को सौरी बोल कर फिर कभी आने को कह दें तो आप की मां से आप के रिश्ते में कोई कमी नहीं आएगी.

4. दूसरों के सामने पति की इंसल्ट न करें:

दूसरों के सामने अपने पार्टनर की गलतियां बताना असल में उन की इंसल्ट करना है. ऐसा कर के आप अपने पति को कमतर आंक रही हैं. यदि आप अपने पति की बात बीच में ही काट रही हैं, तो आप उन्हें यह मैसेज दे रही हैं कि आप को उन की कही बातों की कोई परवाह नहीं है.

5. धमकी न दें:

पतिपत्नी के बीच थोड़ीबहुत नोकझोंक तो होती रहती है और इस से प्यार कम भी नहीं होता, बल्कि रूठनेमनाने के बाद प्यार और गहरा होता है. मगर इस नोकझोंक को आप बहस का मुद्दा बना धमकी पर उतर आएं तो अच्छा न होगा. आप ने छोटी सी बात पर ही अपने पति को अलग हो जाने की धमकी दे दी तो आप का प्यार गहरा होने के बजाय खत्म होने लगेगा.

6. शर्मिंदा न करें:

कभीकभी कई बातें ऐसी हो जाती हैं जब कमी आप के पार्टनर की होती है. मगर ऐसे में एक समझदार बीवी चाहे तो अपने पति को शर्मिंदगी से बचा सकती है. मान लीजिए आप कार की ड्राइविंग सीट पर हैं और किसी ऐसे रैस्टोरैंट में खाने जा रही हैं, जहां आप के पति अपने दोस्तों के साथ कई बार जा चुके हैं. काफी देर हो गई, लेकिन आप के पति को रैस्टोरैंट की सही लोकेशन याद नहीं आ रही. ऐसी स्थिति में पति पर झल्लाने या चिल्लाने से आप के पति शर्मिंदा तो होंगे ही, साथ ही आप का डिनर भी खराब होगा. अच्छा यह होगा कि आप कहें अगर वह रैस्टोरैंट नहीं मिल रहा तो मुझे एक और रैस्टोरैंट का पता है जहां हम डिनर कर सकते हैं.

7. पति की इज्जत करें:

कुछ पत्नियों को यह कहते सुना जाता है कि मैं अपने पति की इज्जत तब करूंगी जब वह इस लायक हो जाएगा. ऐसा कर के आप अनजाने में अपने पति को आप की इज्जत न करने की सलाह दे रही हैं. याद रखें यदि आप पति सेप्यार और रिस्पैक्ट से बात करती हैं, तो आप के पति को भी आप से प्यार और इज्जत से बात करने के लिए सोचना ही पड़ेगा. एक बात को बारबार न दोहराएं: किसी काम को ले कर उन्हें उस की याद बारबार न दिलाएं जैसेकि उन की दवा, डाइट, जीवन बीमा की किस्त या घर के किसी और काम की. ऐसा करने से आप उन की पत्नी कम और मालकिन ज्यादा लगेंगी. पति को काम की सूची न बताएं: पत्नियां पति के लिए हमेशा काम की लंबी सूची तैयार रखती हैं. आज यह कर देना, कल यह कर देना, उस तारीख को यह ले कर आना आदि. ऐसा कर के वे पति को यह एहसास करा रही होती हैं कि वे दांपत्य जीवन को सुचारु रूप से चलाने में असफल हो रहे हैं और हमेशा काम का बोझ बना रहता है.

8. अपने घरेलू काम की गिनती न करें:

अकसर पत्नियां पति के आते ही अपनी दिनचर्या को डिटेल में पति को बताने लगती हैं कि आज मैं ने यह काम किया, यह चीज बनाई, यहां गई, ऐसा किया और काम करतेकरते थक गई. ऐसा कर के औफिस से थकहार कर आए पति को आप अपनी भी थकान दे रही होती हैं. विवाद का निबटारा करें खुद: अगर कभी आप के बीच कोई विवाद हो जाए तो उसे खुद ही सुलझाएं. किसी तीसरे को अपनी निजी जिंदगी में कतई शामिल न होने दें.

 

हैप्पी मैरिड लाइफ के लिए 7 फेरों से पहले लें ये 4 संकल्प

पिछले साल एक समाचार ने लोगों का ध्यान आकृष्ट किया जब बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने लालू यादव (अब चारा घोटाले में कैद) के बेटे तेजप्रताप के लिए दुलहन ढूंढ़ने हेतु 3 शर्तें रख डालीं.

पहली शर्त यह कि वे अपनी शादी में दहेज नहीं लेंगे, दूसरी वे अंगदान करने का संकल्प लें और तीसरी यह कि भविष्य में किसी की भी शादी में तोड़फोड़ करने की धमकी नहीं देंगे.

गौरतलब है कि गत वर्ष के आखिर में सुशील मोदी के बेटे उत्कर्ष तथागत की शादी संपन्न हुई थी. दूसरे नेताओं और अन्य नामचीन लोगों के मुकाबले शादी सादगी से निबटाई गई. बिना बैंडबाजे और भोज वाली इस शादी में मेहमानों को ई निमंत्रण कार्ड से आमंत्रित किया गया था. मेहमानों से अपील की गई थी कि वे कोई गिफ्ट या लिफाफा ले कर न आएं. समारोह स्थल पर केवल चाय और पानी के स्टौल लगाए गए थे. यद्यपि तेजप्रताप ने पहले इस शादी में घुस कर तोड़फोड़ की धमकी दी थी पर बाद में उस ने पासा पलटा और दुलहन खोजने की बात कर दी.

तेजप्रताप की दुलहन खोजने हेतु सुशील मोदी द्वारा रखी गई शर्तें काबिलेगौर होने के बावजूद अधूरी हैं. कई और ऐसी महत्त्वपूर्ण बातें भी हैं, जिन के लिए शादी से पूर्व युवा लड़केलड़कियों और उन के परिवार वालों को राजी करवाना जरूरी होना चाहिए.

शादी में फुजूलखर्ची क्यों

हम शादियों में सजावट, बैंडबाजे, डीजे, रीतिरिवाजों और मेहमानों के स्वागतसत्कार में लाखों रुपए खर्च कर देते हैं. कईकई दिनों तक रीतिरिवाज चलते रहते हैं. पंडित और धर्म के तथाकथित ठेकेदारों की चांदी हो जाती है. वे मोटी रकम ऐंठते हैं. सजावट में लाखों रुपए बरबाद कर दिए जाते हैं. मेहमानों को तरहतरह के गिफ्ट दिए जाते हैं और कईकई दिनों तक उन के ठहरने के इंतजाम पर भी काफी रुपए बहा दिए जाते हैं. सीमित आय वाले परिवार बेटी की शादी में अच्छेखासे कर्ज में डूब जाते हैं. जहां तक संपन्न वर्ग, बड़े बिजनैसमैन्स और राजनेताओं का सवाल है, तो उन में दूसरों से बेहतर करने की होड़ लगी रहती है.

बीजेपी के पूर्व नेता जनार्दन रेड्डी (जिन्होंने गैरकानूनी माइनिंग के एक मामले में करीब 40 महीने जेल की सजा काटी) ने अपनी बेटी की शादी में कई सौ करोड़ रुपए खर्च कर दिए.

नवंबर, 2016 में संपन्न इस शादी में 40-50 हजार लोगों को आमंत्रित किया गया था. पांचसितारा होटलों में 1,500 कमरे बुक हुए. हैलिकौप्टर उतरने के लिए 15 हैलीपैड बनाए गए. विवाहस्थल की सुरक्षा हेतु 3 हजार सुरक्षा गार्ड लगाए गए. बौलीवुड के आर्ट डाइरैक्टर्स ने विजयनगर स्टाइल के मंदिरों के कई भव्य सैट तैयार किए. दुलहन ने क्व17 करोड़ की साड़ी पहनी.

खास बात यह थी कि जिस वक्त बैंगलुरु में रेड्डी 5 दिनों तक भव्य समारोह कर रहे थे उस समय देश की आम जनता नोटबंदी की वजह से एटीएम और बैंकों के बाहर लंबीलंबी कतारों से जूझ रही थी.

शादियों में बेहिसाब खर्च किसी एक नेता ने किया हो, ऐसा नहीं है. ज्यादातर नेताओं, अमीर बिजनैसमैन्स व सैलिब्रिटीज के घरों की शादियां यों ही संपन्न होती हैं.

मगर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के लासूर में एक व्यापारी ने लोगों के लिए मिसाल कायम की. उन्होंने फुजूलखर्ची करने के बजाए उन रुपयों से गरीबों के लिए घर बनवा दिए.

महाराष्ट्र के अजय भुनोत की बेटी श्रेया की शादी 16 दिसंबर, 2016 को बिजनैसमैन मनोज जैन के बेटे के साथ तय हुई. दोनों परिवार आर्थिक रूप से संपन्न थे पर इस शादी को यादगार बनाने के लिए उन्होंने शोशेबाजी करने के बजाय गरीबों की मदद का मार्ग चुना.

शादी का खर्च बचा कर उन्होंने डेढ़ करोड़ रुपए में 2 एकड़ जमीन पर 90 मकान बनवाए और फिर शादी वाले दिन उन मकानों को आसपास के गरीब परिवारों को तोहफे के रूप में बांट कर अपनी खुशियों में उन्हें भी शरीक कर लिया.

जो लोग आर्थिक रूप से संपन्न हैं वे वाकई इस तरह अपने साथ दूसरों की जिंदगी में भी खुशियां भर सकते हैं. मगर आम जनता जिस के पास बहुत रुपए नहीं वह भी दिखावे के चक्कर में फुजूलखर्ची करने से बाज नहीं आती.

क्यों न इस तरह रुपए बरबाद करने के बजाय उन रुपयों की एफडी बना कर लड़के/लड़की के नाम जमा कर दी जाए जो उन के सुरक्षित भविष्य की वजह बने. जिंदगी में ऊंचनीच होने पर आप की यह समझदारी उन्हें हौसला देगी.

कुंडलियां नहीं हैल्थ रिपोर्ट मिलाएं

शादी में अमूमन लोग कुंडलियों और ग्रहनक्षत्रों का मिलान करते हैं. लड़केलड़की के 36 में से कम से कम 30-32 गुण भी मिल रहे हैं या नहीं, लड़की पर राहू या शनि की दशा तो नहीं चल रही, लड़की मंगली तो नहीं जैसे बेमतलब की बातों में उलझ कर पंडितों की जेबें गरम करते रहते हैं. पंडित अपनी मरजी से ग्रहनक्षत्रों के फेर बता कर लोगों से भरपूर माल लूटते रहते हैं.

पर क्या आप ने सोचा है कि आए दिन बीमारियां, कलह, संतानप्राप्ति में बाधा, तलाक जैसी परेशानियों से जूझ रहे युगल कुंडलियां मिलाने के बावजूद सुखशांति से क्यों नहीं जी पा रहे?

दरअसल, इस की वजह यह है कि हम धर्म के नाम पर ठगने वाले मौलवियों और पंडेपुजारियों के झांसे में तो आ जाते हैं पर स्वस्थ, सुखी और तनावरहित जिंदगी के लिए वास्तव में जो जरूरी है उसे नहीं समझ पाते. शादी के बंधन में बंधने से पहले कुछ मैडिकल टैस्ट आप को और आप के होने वाले बच्चे को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचा सकते हैं.relationship marriage

इस संदर्भ में 3 एच केयर डौट इन की फाउंडर ऐंड सीईओ डा. रूचि गुप्ता ने कुछ जरूरी मैडिकल टैस्ट के बारे में बताया:

आरएच इनकमपैटिबिलिटी (आरएच असंगति): अधिकतर लोग आरएच पौजिटिव होते हैं, लेकिन जनसंख्या का एक छोटा सा हिस्सा (करीब 15%) आरएच नैगेटिव होता है. आरएच फैक्टर लाल रक्त कणिकाओं पर लगा एक प्रोटीन होता है. अगर आप में आरएच फैक्टर है तो आप आरएच पौजिटिव हैं. अगर नहीं है तो आरएच नैगेटिव हैं. वैसे आरएच फैक्टर हमारे सामान्य स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करता है. लेकिन अगर मां और बच्चे का आरएच फैक्टर अलगअलग होगा तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए समस्याएं पैदा कर सकता है. यह घातक भी हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि शादी से पहले आरएच फैक्टर की जांच करा ली जाए. अलगअलग आरएच फैक्टर्स वालों को आपस में शादी न करने की सलाह दी जाती है.

थैलेसीमिया की जांच: शादी से पहले थैलेसीमिया ट्रेट की जांच भी करा लें. भारत में करीब 6 करोड़ लोगों के थैलेसीमिया ट्रेट हैं. चूंकि इस ट्रेट का उन पर प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ता है, इसलिए अधिकतर लोग इस के बारे में नहीं जानते. यदि वे 2 लोग जिन में थैलेसीमिया ट्रेट है विवाह कर लेते हैं तो उन के बच्चों में खतरनाक थैलेसीमिया मेजर डिसीज होने की आशंका 25% तक होती है. इस की जांच साधारण ब्लड टैस्ट से हो जाती है और यह सुनिश्चित हो जाता है कि आप थैलेसीमिया ट्रेट के वाहक तो नहीं हैं?

एचआईवी ऐंड अदर सैक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीजेज टैस्ट: एचआईवी, हैपेटाइटिस बी और सी ऐसी स्वास्थ्य समस्याएं हैं जो जीवन भर चलती हैं. अगर सही इलाज न हो तो वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण हो सकता है. आप को अपने जीवनसाथी के मैडिकल स्टेटस के बारे में शादी से पहले ही पता चल जाएगा तो आप के लिए यह निर्णय लेना आसान होगा कि आप विवाहबंधन में बंधना चाहते हैं या नहीं.

ओवेरियन सिस्ट: अगर लड़की को पेट के निचले हिस्से में दर्द हो या पीरियड्स अनियमित हों तो वह ओवेरियन सिस्ट का टैस्ट जरूर करा ले. अगर सामान्य पेल्विक परीक्षण के दौरान सिस्ट का पता चलता है तो सिस्ट के बारे में डिटेल पता लगाने के लिए एबडोमिनल अल्ट्रासाउंड किया जाता है. सिस्ट की वजह से गर्भधारण में भी कठिनाई आ सकती है.

क्रोनिक डिसऔर्डर टेस्ट: इन जांचों के द्वारा जल्द ही विवाह बंधन में बंधने वाले युगल अपनी स्वास्थ्य समस्याओं को गंभीर होने और अपने वैवाहिक जीवन को तनावपूर्ण होने से बचा सकते हैं.

साइकोलौजिकल टैस्ट: आज के हालात देखते हुए साइकोलौजिकल टैस्ट भी बहुत जरूरी हो गए हैं. इन में सिजोफ्रैनिया, डिप्रैशन, पर्सनैलिटी डिसऔर्डर, बाई पोलर डिसऔर्डर आदि की जांच की जाती है.relationship marriage

कोई राज न हो दरमियां

शादी एक ऐसा बंधन है, जिस में किसी भी तरह के राज या दुरावछिपाव के लिए कोई जगह नहीं होती. 2 व्यक्ति एकदूसरे के पूरक और राजदार बन जाते हैं. मगर जब भी इन के बीच कोई राज सामने आता है तो रिश्तों में कड़वाहट पैदा होनी शुरू हो जाती है. पतिपत्नी के अवैध सबंध, कोई गंभीर बीमारी, शारीरिक अक्षमता या जौब के बारे में दी गई गलत जानकारी इस तरह के विवादों की जड़ बनती है और बात मरनेमारने तक पहुंच जाती है.

क्या यह बेहतर नहीं कि लड़केलड़कियां शादी से पहले ही यह संकल्प ले लें कि वे कभी अपने जीवनसाथी से कोई राज छिपा कर नहीं रखेंगे.

शादी करते वक्त सामान्य रूप से लड़के वाले इस बात का ध्यान जरूर रखते हैं कि जिस परिवार से उन का रिश्ता जुड़ रहा है वह समृद्ध हो, उन की टक्कर का हो. लड़की में किसी तरह का दोष न हो वगैरह.

लड़की भले ही दलित वर्ग की हो, अपंग हो या उस के साथ कोई हादसा हो चुका हो उस के अंदर यदि एक योग्य जीवनसाथी बनने की क्षमता है, जीने का जज्बा है तो क्या वह सहज स्वीकार्य नहीं होनी चाहिए?

दुलहन ढूंढ़ते वक्त क्या लड़के से यह संकल्प नहीं कराना चाहिए कि वह लड़की की फिजीक, सुंदरता, रंग, जाति या आकर्षण देखने के बजाए उस की भीतरी खूबसूरती देखेगा.

सोच मिलनी जरूरी

शादी के बाद अकसर रिश्ते टूटते हैं, क्योंकि पतिपत्नी का नजरिया आपस में नहीं मिलता. शादी से पहले ही एकदूसरे को पूरी तरह समझने और अपने सपनों को डिसकस करने का प्रयास जरूर करें. लड़कों को यह संकल्प दिलाना भी जरूरी है कि वे आने वाले समय में अपनी बीवी के सपनों को भी तरजीह देंगे, पत्नी की भावनाओ को समझेंगे. जब भी मौका मिले पत्नी के कैरियर, सपनों के लिए स्वयं कुरबानी देने से भी हिचकेंगे नहीं. दोनों समान रूप से घरपरिवार और आपसी रिश्तों को संभालने के लिए जिम्मेदार होंगे.

Married Life को Happy बनाने के 11 टिप्स

क्या आप अपने रिलेशन को ले कर अकसर चिंतित रहते हैं? अगर हां तो इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है. आप की चिंता का कारण आप का स्वयं का ऐटिट्यूड अथवा आप दोनों की कैमिस्ट्री हो सकती है. ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रख कर आप वैवाहिक जीवन को सुचारु रूप से चला सकते हैं:

1. कम्यूनिकेशन:

अपनी भावनाएं, विचार, समस्याएं एकदूसरे को बताएं. वर्तमान और भविष्य के बारे में बात करें. दूसरे को बताएं कि आप दोनों के बारे में क्या प्लान करते हैं. बोलने के साथ सुनना भी जरूरी है. मौन भी अपनेआप में संवाद है. अपने हावभाव, स्पर्श में भी साथी के प्रति प्यार व आदर प्रदर्शित करें.

2. सारी उम्मीदें एक ही से न रखें:

अगर आप अपने साथी से गैरवाजिब उम्मीदें रखेंगे तो आप का निराश होना लाजिम है. पार्टनर से उतनी ही उम्मीद रखें जितनी वह पूरी कर सके. बाकी उम्मीदें दूसरे पहलुओं में रखें. पार्टनर को स्पेस दें. उस की अच्छाइयोंबुराइयों को स्वीकारें.

3. बहस से न बचें:

स्वस्थ रिश्ते के लिए बहस अच्छी भी रहती है. बातों को टालते रहने से तिल का ताड़ बन जाता है. मन में रखी उलझनों को बढ़ाएं नहीं, बोल डालें. आप का साथी जब आप से झगड़ रहा हो तो चुप्पी न साधें और न ही बुरी तरह से प्रतिक्रिया दें. ध्यान से सुनें और इत्मिनान से समझें. हाथापाई या गालीगलौच तो कतई न करें.

4. खराब व्यवहार को दें चुनौती:

कभी भी साथी के खराब व्यवहार से आहत हो कर अपना स्वाभिमान न खोएं. कई बार हम साथी के व्यवहार से इतने हैरान हो जाते हैं कि अपनी पीड़ा बयां करने के बजाय स्वयं को अपराधी महसूस करने लगते हैं या मान लेते हैं. साथी आप को शारीरिक/मानसिक रूप से चोट पहुंचाता है तो भी आप उसे मना नहीं करते. यह गलत है. खराब व्यवहार न स्वीकारें. इस से रिश्ते में ऐसी दरार पड़ जाती है जो कभी नहीं पटती.

5. एकदूसरे को समय दें:

एकदूसरे के साथ समय बिताने और क्वालिटी टाइम शेयर करने से प्यार बढ़ता है. साथी के साथ ट्रिप प्लान करें. घर पर भी फुरसत के क्षण बिताएं. इस समय को सिर्फ अच्छी बातें याद करने के लिए रखें, इस में मनमुटाव की बातें न करें. फिर देखें इस वक्त को जब भी आप याद करेंगे आप को अच्छा महसूस होगा.

6. विश्वास करें और इज्जत दें:

क्या आप साथी की बहुत टांग खींचते हैं? क्या आप उस पर हमेशा शक करते हैं? यदि ऐसा हो तो रिश्ता कभी ठीक से नहीं चलेगा. एकदूसरे पर विश्वास करना सब से अधिक जरूरी है. एकदूसरे की इज्जत करना भी जरूरी है. विश्वास और इज्जत किसी भी रिश्ते की नींव है. अत: इन्हें मजबूत रखें.

7. कन फौर ग्रांटेड न लें:

शादी हो जाने के बाद भी टेकन फौर ग्रांटेड न लें. साथी की पसंदनापसंद पर खरे उतरते रहने का प्रयास करते रहें. उस के अनुसार खुद को ढालने की कोशिश करते रहें. जैसे पौधा अच्छी तरह सींचे जाने के बाद ही मजबूत पेड़ बनता है, सही देखभाल से ही वह पनपता है, वैसे ही वैवाहिक जीवन को 2 लोग मिल कर ही सफल बना सकते हैं.

8. यह टीम वर्क है:

पतिपत्नी तभी खुशनुमा जीवन जी सकते हैं जब दोनों टीम की तरह काम करें. दोनों समझें कि एकदूसरे से जीतने के बजाय मिल कर जीतना जरूरी है. सुखी विवाह दोनों पक्षों की मेहनत का परिणाम होता है.

9. एकदूसरे का खयाल रखें:

जीवन की प्रत्येक चीज से ऊपर यदि आप एकदूसरे को रखेंगे तो सुरक्षा की भावना पनपेगी. यह भावना रिश्तों को मजबूत बनाती है. हर पतिपत्नी को एकदूसरे से बेपनाह प्यार और इज्जत चाहिए होती है.

10. ध्यान से चुनिए दोस्त:

आप के दोस्त आप के जीवन को बना या बिगाड़ सकते हैं. दोस्तों का प्रभाव आप के व्यक्तित्व व व्यवहार पर बहुत अधिक होता है. इसलिए ऐसे दोस्त चुनें जो अच्छे हों.

11. वाणी पर संयम:

वैवाहिक जीवन में कई बार आप की वाणी आप के विवाह को खत्म कर देती है. अपने शब्दों का प्रयोग कटाक्ष, गालीगलौच या फबतियां कसने में न करें वरन इन से तारीफ करें, मीठा बोलें. आप का शादीशुदा जीवन अच्छा बीतेगा.

हैप्पी मैरिड लाइफ: जीवन का आधार

शादी अपने साथ कई चुनौतियां ले कर आती है. यदि खुशी है तो गम भी आप की जिंदगी का हिस्सा होता है. ऐसे में जरूरी है कि आप उस में संतुलन बना कर चलें. पति और पत्नी एक सिक्के के दो पहलू हैं. दोनों में  से एक को कभी भी किसी मोड़ पर दूसरे की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में ध्यान रखना आवश्यक है कि आप उसे परेशानी नहीं समझें बल्कि अपना कर्तव्य समझ कर समझदारी से काम लें.

ऐसा ही कुछ अभिनव और आरती के साथ हुआ. अभिनव की नौकरी किसी कारणवश छूट गई जिस के चलते वह घर में रहने लगा. वह चिड़चिड़ा होने के साथ गुस्सैल स्वभाव का बरताव करने लगा. उस का ऐसा बरताव आरती से सहन नहीं हो पाया और वह अपने मायके में जा कर बैठ गई.

आरती को थोड़े संयम की आवश्यकता थी. आरती को समझने की जरूरत थी कि समय कभी एकजैसा नहीं रहता. यदि आज परेशानी है तो कल उस से छुटकारा भी मिल ही जाएगा. आइए जानें किस तरह पत्नियां स्वयं को घर में कैद न समझ, प्रेमपूर्वक अपने जीवनसाथी का साथ निभाएं :

पति, पत्नी का मजबूत रिश्ता

प्यार व विश्वास पर टिका है पतिपत्नी का रिश्ता. किसी भी इमारत को बनाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि उस की नींव मजबूत हो, अगर नींव मजबूत नहीं होगी तो इमारत गिरने का खतरा हमेशा बना रहेगा. ठीक इसी तरह पतिपत्नी के रिश्ते की इमारत के 2 आधार स्तंभ होते हैं प्यार और विश्वास. यही स्तंभ अगर कमजोर हों तो रिश्ता ज्यादा समय नहीं चल सकता. जिन पतिपत्नी के बीच ये दोनों बातें मजबूत होती हैं, उन का दांपत्य जीवन सुखमय बीतता है.

बीमार पड़ने पर

जब आप को पता चले कि आप का जीवनसाथी किसी बीमारी से ग्रस्त है तो जरूरी है कि आप प्यार और संयम से काम लें. जीवनसाथी में यदि पति किसी बीमारी से ग्रस्त है तो पत्नी ध्यान दे कि इस समय उन के पति को सब से ज्यादा उन के सहयोग की उन्हें आवश्यकता है क्योंकि ज्यादातर पुरुषों को कार्य के सिलसिले में बाहर रहना पड़ता है और जब उन्हें घर में बैठना पड़ जाता है तो उन से यह कतई बरदाश्त नहीं हो पाता है.

साथ ही, बीमार होने के कारण उन का चिड़चिड़ापन और बातबात में गुस्सा आना स्वाभाविक हो जाता है. ऐसे में पत्नियों का बेहद महत्त्वपूर्ण योगदान होता है. पत्नियां प्यार और धैर्य से उन्हें समझाती हैं और उन का ध्यान रखती हैं.

ऐसे बहुत से जोड़े देखने को मिलते हैं जो अपनी जिंदगी के मुश्किल दौर में एकदूसरे का साथ दे पाए हैं. यहां तक कि उन्होंने गंभीर बीमारी के साथ खुशीखुशी जीना भी सीख लिया है.

ऐसा ही कुछ अक्षय और पारुल के साथ हुआ. अक्षय की रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण वह बिना किसी की मदद के जरा भी हिलडुल नहीं सकता था. उस की पत्नी पारुल ने समझदारी से उस का साथ निभाया. वह हमेशा अक्षय के साथ रहती थी, उस की हर जरूरत को पूरा करती थी, यहां तक कि करवट लेने तक में भी उस की मदद करती थी. वह अपने पति और अपने रिश्ते को पहले से भी अधिक मजबूत महसूस कर रही थी.

तालमेल है जरूरी

अकसर देखा जाता है कि पति की नाइटशिफ्ट की जौब होती है जिस में पति पूरी रात औफिस में रहता है और पूरा दिन घर में आराम करता है. या फिर शिफ्ट चेंज होती रहती है. ऐसे में जौब करना चाहते हुए भी पत्नियां अपने जीवनसाथी की देखभाल के लिए घर में रहती हैं क्योंकि औरों को देखते हुए उन की दिनचर्या का पूरा सिस्टम ही अलग तरह से चलता है. जब पति पूरी रात कार्य करेंगे तो वे पूरा दिन घर में आराम करेंगे. ऐसे में पत्नी को उन के नहाने, खाने व सोने आदि का ध्यान रखते हुए अपने कार्यों का एक रुटीन बनाना होता है.

आभा, जिन के पति की नाइटशिफ्ट की नौकरी है, बताती हैं, ‘‘मेरे पति जब घर पर आते हैं तो मैं ध्यान रखती हूं कि उन के सोने के समय में कोई भी उन्हें परेशान न करे क्योंकि वे पूरी रात के जगे होते हैं. मैं उन के आने से पहले उन का नाश्ता और बाकी सभी चीजों का ध्यान रखती हूं जो उन्हें चाहिए होती हैं. हम दोनों में किसी भी तरह का मनमुटाव नहीं है.’’

जौब छूट जाने पर

औफिस में किसी परेशानी के चलते या फिर किसी कारणवश पति की अच्छीखासी जौब छूट जाती है, तो नई जौब मिलने तक पति को अपनी पत्नी की सब से ज्यादा आवश्यकता होती है. ऐसे में सब से ज्यादा साथ देने वाली पत्नियां अपने रिश्ते को और भी मजबूत बना लेती हैं. जब पति कमा कर लाता है तो हर पत्नी को अच्छा लगता है लेकिन जब वही पति घर में बैठ जाता है तो वह उन से बरदाश्त नहीं होता है.

जौब छूटने पर पति मानसिक रूप से टूट जाते हैं लेकिन एक समझदार पत्नी  उन का ध्यान रखने के साथ उन का मनोबल बढ़ाती है, घर में रह कर उन की जरूरतों को पूरा करती है जिस से पति को किसी भी तरह तनाव महसूस न हो, वह अपने को अकेला महसूस न करे. साथ ही, नई नौकरी ढूंढ़ने में पत्नी उन का पूरा साथ देती है. वह अपने पति के खानपान और रहनसहन का पूरा खयाल रखती है. इस तरह दांपत्य खुशहाल रहता है.

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खुश रहो और खुश रखो

हमारे समाज में ऐसे पुरुषों की कमी नहीं है, जो पूरी तरह से मूड के गुलाम हैं. मूड ठीक है तो अपनी पत्नी पर ऐसे प्यार लुटाएंगे, जैसे उन से ज्यादा प्यार करने वाला पति इस दुनिया में दूसरा कोई है ही नहीं. और जिन दिनों उन का मूड ठीक नहीं रहता, तो पत्नी के खिलाफ शिकायतों का वे पिटारा खोल देते हैं और तब, पत्नी से वे ऐसा बेरुखा व्यवहार करना शुरू कर देते हैं, जैसे कोई अपरिचित महिला जबरदस्ती उन के घर में घुस आई हो, जिस से बात करना भी उन्हें पसंद न हो. बारबार ऐसा व्यवहार करने वाले पति को पत्नी समझ नहीं पाती कि जब उस ने अपने जीवनसाथी का मूड खराब करने वाला कोई काम ही नहीं किया है, उन की प्रौब्लम उन के दफ्तर या कारोबार से जुड़ी है और इस प्रौब्लम में उस का कहीं कोई हाथ ही नहीं है, तो फिर वे अपने खराब मूड का शिकार उसे बना रहे हैं?

क्यों खराब मूड के चलते घर में अपनी पत्नी के साथ बेरुखे व्यवहार को सहतेसहते एक वक्त के बाद पत्नी यह बात सोचना शुरू कर देती है कि ऐसे इनसान के साथ जिंदगी के लंबे वर्ष कैसे निभाए जा सकते हैं? ऐसे में पत्नी भी तब ईंट का जवाब पत्थर से देने की तर्ज पर, पति की ही तरह, घर में पति के रहते भी पति की उपस्थिति को अनदेखा करना शुरू कर देती है या फिर पति की ही तरह चुप्पी साध लेती है. ऐसे में दोनों के बीच दूरियां बढ़ती जाती हैं और ये बढ़ती दूरियां कई बार तो उन्हें संबंधविच्छेद के बारे में सोचने को भी मजबूर कर देती हैं.

बिना किसी ठोस वजह के, संबंध तोड़ने की राह पर चलने की सोचने वाले पतिपत्नी दोनों ही तब इस बात को सोचना मुनासिब नहीं समझते कि रिश्तों का टूटना बहुत दर्द देने वाला होता है और एक बार टूटने के बाद अगर फिर से जुड़ भी गए तब भी टूटने के निशान तो रह ही जाते हैं. और ये निशान आगे की जिंदगी में हर पल उन्हें याद दिलाते रहते हैं कि प्यार के रिश्ते के मामले में वे कैसे नासमझ थे और अपने ही हाथों उन्होंने अपनी जिंदगी बदमजा बना ली है. यहां कुछ ऐसे नुसखे बताए जा रहे हैं, जिन से कमजोर होते जा रहे गृहस्थ जीवन के रिश्तों को मजबूत ही नहीं, बल्कि अटूट बनाया जा सकता है.

अपनी समस्या बताएं, दूसरे की समझें

समस्या यह है कि ज्यादातर जोड़े आलोचना और शिकायत के अंतर को समझ ही नहीं पाते. किसी काम या कथन की साधारण आलोचना को भी वे अपने पर की गई गंभीर शिकायत मान कर नाराज हो जाते हैं और अपने जीवनसाथी के साथ बोलचाल बंद कर के एक चुप्पी वाला व्यवहार अपना लेते हैं. इस से रिश्तों के रस में खटास आ जाती है. जबकि वाजिब तरीका तो यह है कि अगर पति को पत्नी के और पत्नी को पति के किसी व्यवहार से समस्या है भी तो एकदूसरे की समस्या समझने से किसी समस्या को सहज ही दूर किया जा सकता है. पति व पत्नी दोनों को ही इस बात को समझना चाहिए कि चुभने वाली किसी बात से या व्यवहार से दुखी होने पर, जब आप अपनी तकलीफ बताएंगे ही नहीं तो दूसरा उस बात को कैसे समझेगा? और आगे कैसे उस चुभने वाली बातें कहने पर रोक लगा पाएगा. इसलिए आपस की छोटीमोटी बातों को धैर्य के साथ सुने व समझें.

चुप्पी को हथियार न बनाएं

चुप्पी साधने के मामले में पति लोग हमेशा अपनी पत्नियों के मुकाबले तेजी से चलते हैं. ऐसे पति गृहस्थ जीवन में आने वाली मुश्किलों को तब ऐसे निर्विकार भाव से लेना शुरू कर देते हैं, जैसे ऐसी बातों से उन का कोई सीधा सरोकार ही न हो. उन की पार्टनर अगर उन को राह पर लाने के लिए चेहरे पर मीठी चितवन ला कर बात भी करती है, तो वे ऐसे बने रहते हैं, जैसे उन्होंने कुछ देखा ही न हो. रात को बिस्तर पर भी वे पत्नी की तरफ ऐसे पीठ कर के सोना शुरू कर देते हैं, जैसे वह कोई बेगानी औरत हो. यह स्थिति बहुत ही खतरनाक होती है. ऐसी स्थिति आने पर कई बार उन की पत्नी सोचने लगती है कि उस के रूप और यौवन के दीवाने उस के पति आखिर उस के प्रति ऐसी बेरुखी क्यों दिखा रहे हैं? कहीं उन के किसी दूसरी औरत के साथ रिश्ते तो नहीं बन गए? निराधार ही सही, पर ऐसी सोच की वजह से सुखी जीवन में दरार आ सकती है. सो पति लोग चुप्पी को हथियार बनाने से बचें.

अपनी आदतों में लाएं बदलाव

पतिपत्नी दोनों में ही कुछ ऐसी आदतें होती हैं, जो उन के जोड़ीदार को नापसंद होती हैं. जैसे, पति का अपना मोबाइल इधरउधर रख कर भूल जाना और पत्नी को जल्द ढूंढ़ कर देने को कहना. और न मिलने पर कहना, ‘‘यार, तुम तो मेरा कोई भी काम ठीक से नहीं कर पाती हो. यहां मेरे साथ ही तुम्हारा गुजारा हो रहा है, किसी दूसरे के पल्ले पड़तीं तो तुम्हें बहुत मुश्किल होती.’’ इस के अलावा पत्नी व बच्चों के साथ रहते भी तेज गाड़ी चलाना और पत्नी के इस अनुरोध के बावजूद कि ‘धीरे चलो जी, हमारे बच्चे हमारे साथ हैं,’ अनुरोध को नजरअंदाज कर के उसी स्पीड पर गाड़ी दौड़ाते रहना. पत्नी के मना करने के बावजूद, शौपिंग के समय गैरजरूरी चीजें खरीदते जाना. ऐसी तमाम बातें पतिपत्नी के बीच मनमुटाव की वजह बन जाती हैं. बहुत सी पत्नियां भी ऐसी हैं, जो दिन में तो टीवी पर अपने मनपसंद कार्यक्रम देखती ही हैं, शाम को व रात को भी उन की कोशि  यही रहती है कि उन का पति देश और दुनिया की खबरें सुनने के बजाय, इस समय भी वही सब कुछ देखे जो उस की पत्नी को पसंद है. ऐसी बातों से आपसी चिढ़ बढ़ती है.

एकदूसरे को चिढ़ाने वाले काम करने के बजाय पतिपत्नी दोनों को ही एकदूसरे की भावनाओं को सम्मान देते हुए, अपनी आदतों में बदलाव ला कर, जीवनसंगी को खुश रखने की कोशिश करनी चाहिए.

सहयोग और समझौता

इंसान का व्यवहार सब समय एक सा नहीं रहता. कभी तीखा और कभी मीठा होना तो मानव व्यवहार के अंग हैं, जो लोग जीवनसाथी के तीखे और मीठे व्यवहार को समान रूप से झेल जाते हैं, उन के जीवनसाथी उन का सम्मान कई गुना बढ़ जाता है. असल में शादी नाम है सहयोग और समझौतों का. जो लोग इस बात को समझ लेते हैं, उन के जीवन में खुशियों का संदेश देने वाली शहनाइयों की मधुर गूंज हमेशा बजती रहती है और ऐसे लोग एकदूसरे के साथ सुखपूर्वक लंबा जीवन जीते हैं. खुद खुश रहो और जीवनसाथी को खुश रखो, क्योंकि यही तो है जिंदगी.

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हैप्पी मैरिड लाइफ के लिए ये आदतें बदलना है जरूरी

आमतौर पर इंसान का स्वभाव नहीं बदलता. मगर जब किसी की शादी हो जाती है, तो उसे अपने पार्टनर की खुशी की खातिर अपना स्वभाव बदलना चाहिए, तभी दांपत्य में मधुरता आ पाती है वरना अपने स्वभाव, आदतों और व्यवहार के प्रति अडि़यल रवैया रखने से दांपत्य में दूरियां बढ़ती जाती हैं. आप के समक्ष भी यह नौबत न आए इस के लिए छोड़ें ये आदतें:

– आप शादी के पहले चाहे जब सोते या सोती हों अथवा उठते या उठती हों, लेकिन शादी के बाद आप को अपने पार्टनर के साने और उठने के समय से तालमेल बैठाना होगा यानी अपने स्वभाव को बदलना होगा. देर रात जगने या रात होते ही सोने की आदत बदलनी होगी. यदि पतिपत्नी एक समय ही सोएं तो सवेरे वे एकसाथ उठ सकते हैं अन्यथा एक सुबह 6 बजे तो दूसरा 10 बजे सो कर उठेगा.

– शादी से पहले आप भले कितने ही क्रोधी या जिद्दी स्वभाव के रहे या रही हों, लेकिन शादी के बाद अपने पार्टनर की खुशी की खातिर आप को अपने स्वभाव को शांत बनाना होगा और जिद पर अड़े रहने की प्रवृत्ति छोड़नी होगी. पार्टनर की इच्छा का भी सम्मान करना होगा. यदि आप ने अपने क्रोध पर काबू रखना नहीं छोड़ा तो दांपत्य में मिठास नहीं आ पाएगी.

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– शादी से पहले आप की खानपान संबंधी आदतें चाहें जैसी रही हों, शादी के बाद पार्टनर से समझौता करने में ही भलाई है. हालांकि खाने के मामले में आप की अपनी पसंद या नापसंद हो सकती है, लेकिन पार्टनर की इच्छा की खातिर आप को उस में बदलाव लाना चाहिए.

– शादी पूर्व भले ही आप घर का कोई भी काम नहीं करते या करती हों अथवा उसे करने की जरूरत नहीं पड़ी हो, लेकिन शादी के बाद दोनों को ही घरेलू कार्यों में रुचि ले कर एकदूसरे का हाथ बंटाना चाहिए. पति को पुरुष होने का अहम त्यागना होगा. घर का कोई भी काम ओछा या घटिया नहीं होता. इस में किसी तरह की कोई शर्म नहीं करनी चाहिए.

– शादी पूर्व आप अपनी मरजी से शौपिंग करते या करती थीं, लेकिन शादी के बाद अपने पार्टनर की रुचि और पसंद का भी ध्यान रखना चाहिए, इस से आपसी प्रेम बढ़ता है.

– शादी के पूर्व भले ही आप कितने ही स्वार्थी रहे या रही हों, लेकिन शादी के बाद आप को यह स्वभाव छोड़ कर अपने पार्टनर के बारे में भी सोचना चाहिए. उस की भावनाओं की कद्र भी करनी होगी. सदैव अपने को सर्वोपरि या सर्वाधिक बुद्धिमान मानने की प्रवृत्ति छोड़नी होगी. अपने पार्टनर को अपने से कमतर न समझें.

– शादी के पूर्व आप चाहे जितनी मौजमस्ती करते या करती हों, घर से बाहर यारदोस्तों, सखीसहेलियों के बीच समय गुजारती हों, लेकिन शादी के बाद अपने इस स्वभाव को बदलना होगा, क्योंकि अब आप अकेले या अकेली नहीं हैं, आप का पार्टनर भी है. उस की खुशी साथ रहने और साथ समय गुजारने में है.

– शादी से पहले आप भले ही धूम्रपान या मदिरापान करते या करती हों, लेकिन शादी के बाद यदि पार्टनर को आप की यह आदत पसंद नहीं है, तो इसे तत्काल छोड़ना ही अच्छा है. इस से दांपत्य की खुशियां बढ़ जाती हैं. धूम्रपान या मदिरापान अथवा और किसी व्यसन को त्याग कर तो देखें, जिंदगी कितनी हसीन है.

– शादी के पूर्व आप का भले ही बौयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड रही हो, लेकिन शादी के बाद उस से दूरी बनाए रखनी चाहिए अन्यथा दांपत्य की सारी खुशियां तबाह हो सकती हैं. अपने पार्टनर के प्रति पूर्ण वफादार बनें.

– शादी के पूर्व आप चाहे जितनी बहस करते या करती हों, लेकिन शादी के बाद अपना यह स्वभाव बदलें. बात का बतंगड़ बनाने से कोई लाभ नहीं. इस से विवाद को जन्म मिलता है. इसलिए चुप रहने में ही भलाई है. हां, उचित अवसर देख कर आप अपनी बात पार्टनर के समक्ष रख सकते या सकती हैं.

– कुछ लोगों का स्वभाव होता है कि वे अनावश्यक रूप से दूसरों को टोकते हैं या अपनी सलाह देते हैं. यह उन का स्वभाव बन जाता है. लेकिन शादी के बाद अपने पार्टनर की टोकाटाकी नहीं करनी चाहिए. वह भी समझदार है. उस की समझदारी पर प्रश्नचिह्न न लगाएं.

– यदि शादी के पहले आप होस्टल में रह कर पढ़े या पढ़ी हैं, तो आप को अपना कमरा व्यवस्थित रखने की आदत नहीं होती. कपड़े, कापीकिताबें, अन्य सामान जहांवहां बिखरा रहता है. पढ़ाई पूरी करने के बाद भी आप का यह स्वभाव नहीं बदलता. लेकिन यह प्रवृत्ति गलत है. इसलिए आप पति हों या पत्नी, अपना सामान व्यवस्थित रखने की आदत डालें अन्यथा इस बात पर भी अनावश्यक कलह पैदा हो सकती है, जो दांपत्य की खुशियों को लील सकती है.

– यदि आप किसी बड़े पद पर कार्यरत हों और अपने अधीनस्थों से आदेशात्मक लहजे में बात करने की आदत हो तो इसे बदलिए, क्योंकि पार्टनर में कोई किसी का अधिकारी या अधीनस्थ नहीं होता. दोनों का दर्जा समान होता है. इसलिए अफसरी का रोब पार्टनर पर न झाडे़ं.

– कुछ लोगों का स्वभाव होता है कि वे हरकिसी की आलोचना करते हैं या उस के कार्य में मीनमेख निकालते हैं. लेकिन शादी के बाद उन्हें अपने इस स्वभाव को बदलना होगा. अपने भीतर से नकारात्मकता का विचार निकालना होगा. यदि पार्टनर एकदूसरे की आलोचना करें, कार्य में कमियां गिनाने लगें, तो उन के बीच खुशियां कैसे कायम रह सकती हैं- इसलिए बुराई करने के बजाय गुणों आदि की तारीफ करना सीखें.

– कुछ लोगों की आदत होती है कि वे सदैव अपने को सही और सामने वाले या वाली को गलत समझते हैं. यह उन का अपना स्वभाव होता है. लेकिन शादी के बाद ये सब नहीं चलेगा, क्योंकि सदैव आप ही सही नहीं होते या होतीं. आप का पार्टनर भी सही हो सकता या सकती है. इसलिए उस का पक्ष जाने बगैर उसे गलत मानना ठीक नहीं.

– शादी के पहले भले ही आप अपने काम की वजह से कितने ही व्यस्त रहते या रहती हों, लेकिन शादी के बाद आप को अपने पार्टनर के लिए भी समय निकालना चाहिए. उस की इच्छाओं, भावनाओं की अनदेखी करना  ठीक नहीं.

– कुछ लोगों का स्वभाव होता है कि सामने वाले या वाली पर हावी होना चाहते या चाहती हैं. यह मानसिकता ठीक नहीं. पतिपत्नी के बीच हावी होने का स्वभाव उन के बीच नफरत की दीवार खड़ी कर सकता है.

– यदि आप तुनकमिजाज स्वभाव के रहे या रहीं हैं, तो शादी के बाद वक्त आ गया है अपने इस स्वभाव में बदलाव का, क्योंकि अब तुनकमिजाजी नहीं चलेगी. यदि आप ने अपना स्वभाव नहीं बदला तो दांपत्य जीवन में तकरार थमने का नाम नहीं लेगी.

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– यदि आप में धैर्य नाम की कोई चीज नहीं है और सदैव अधीर रहते या रहती हैं, तो शादी के बाद अपने स्वभाव में परिवर्तन लाएं. धैर्यपूर्वक एकदूसरे की बात सुनें, समझें. उस के बाद ही अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें. अकारण विरोध न करें.

– बहुत से लोग शक्की स्वभाव के होते हैं. वे हर बात, घटना, रिश्ते आदि को शक की निगाह से देखते हैं, जबकि वास्तव में यह उन का संदेह होता है. यदि आप भी शक्की स्वभाव वाले या वाली हैं, तो इसे बदलें, क्योंकि शादी के बाद यदि पतिपत्नी ने एकदूसरे पर शक किया, तो दांपत्य को बिखरते देर नहीं लगेगी. दांपत्य की बुनियाद विश्वास पर टिकी होती है.

बीवी कोई रसोइया नहीं

आज आधुनिक शिक्षा स्त्री एवं पुरुष को एकजैसी योग्यता और हुनर प्रदान करती है. दोनों घर से बाहर काम पर जाते हैं, एकसाथ मिल कर घर चलाते हैं पर जब बात खाना बनाने की होती है तो आमतौर पर किचन में घर की महिला ही खाना बनाती है जबकि खाना बनाना सिर्फ महिलाओं का ही एकाधिकार नहीं है बल्कि एक जरूरत है.

यह महिलाओं के अंदर ममता एवं सेवा की एक अभिव्यक्ति जरूर है और जिस का कोई अन्य विकल्प नहीं, पर यह विडंबना ही है कि आज भी हमारे समाज में एक औरत से ही यह उम्मीद की जाती है कि रसोई में वही खाना बना सकती है और यही उस का दायित्व है.

औरत का काम सिर्फ खाना बनाना नहीं

एक मशहूर कहावत है कि पैर की मोच और छोटी सोच आदमी को आगे नहीं बढ़ने देती. यह किसी पुरुष पर उंगली उठाने की बात नहीं है, बल्कि समाज की उस सोच की बात है जो यह मानती रही है कि आदमी का काम है पैसा कमाना और औरत तो घर का काम करने के लिए ही बनी है.

जमाना काफी बदल गया है पर आज भी इस सोच वाले बहुत हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो गर्व से कहते हैं कि वे घर के काम में अपनी मां या पत्नी की सहायता करते हैं, लेकिन इस सोच वाले पुरुषों की संख्या बेहद कम है.

‘केवल पत्नी ही किचन के लिए बनी है, पति नहीं’ ऐसी सोच रखने का कारण क्या है और यह भारतीय समाज की ही सोच क्यों बन कर रह गई?

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एक कारण तो यही है कि सदियों से महिलाओं को भारतीय समाज में चारदीवारी के अंदर रहना सिखाया गया है. ऐसा नहीं है कि इस मामले में बदलाव की हवा नहीं चली. कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं जो इस गुलामी की मानसिकता से आजाद हो चुकी हैं पर उन की गिनती उंगलियों पर गिनने लायक है.

महिलाओं और किचन के बीच उन के काम, समाज में उन की स्थिति, उन के शौक, उन की रूचि, घर का वातावरण और रीतिरिवाजों से ले कर बाजार तक बहुत कुछ आ जाता है. इन सब के चक्कर में वे खुद को ही भूलने सी लगती हैं.

मशीनी जिंदगी और…

जैसे शुक्रवार शाम से ही अंजलि भी कुछ रिलैक्स करने के मूड में आ गई. बच्चे रिंकी व मोनू और उस के पति विकास आजकल घर से ही औनलाइन काम कर रहे थे. बच्चों की औनलाइन क्लासेज रहतीं पर उस के काम बहुत बढ़ गए थे.

लौकडाउन के चलते कामवाली भी नहीं आ रही थी. सब घर पर ही थे. मगर इधर फरमाइशें कभी खत्म ही न होती थीं.

उस का भी मन हो आया कि वैसे तो तीनों सुबह 8 बजे अपनेअपने काम पर बैठ जाते हैं और वह पूरे सप्ताह ही भागदौड़ में लगी रहती है मगर अब उस का मन भी हो गया कि स्कूल और औफिस की छुट्टी है तो वह भी कुछ आराम करेगी. उसे भी अपने रूटीन में कुछ बदलाव तो लगे. वही मशीनी जिंदगी… कुछ तो छुटकारा मिले.

इतने में विकास और बच्चे भी उस के पास आ कर बैठ गए. बच्चों ने कहा,”मम्मी, देखो अनु ने फोन से अपनी मम्मी की कुकिंग की पिक्स भेजी हैं. उस की मम्मी ने पिज्जा  और कटलैट्स बनाए हैं. आप भी कल जरूर बनाना.‘’

”मैं तो थोड़ा आराम करने की सोच रही हूं, कुकिंग तो चलती ही रहती है. थोड़ा स्किन केयर की सोच रही थी, ब्यूटी पार्लर्स बंद हैं. कल थोड़ी केयर अपनेआप ही करती हूं. मन हो रहा है कुछ खुद पर ध्यान देने का.”

विकास ने कहा ,”अरे छोड़ो, ठीक तो लग रही हो तुम. बस, वीकेंड पर बढ़ियाबढ़िया चीजें बनाओ.”

अंजलि का मन बुझ गया. घर के ढेरों कामों के साथ किसी की कोई सहायता नहीं. बस फरमाइशें. उसे बड़ी कोफ्त हुई. वह चुप रही तो विकास ने कहा,”अरे, इतना बङा मुंह बनाने की बात नहीं है. लो, मेरे फोन में देखो, अनिल की बीवी ने आज क्या बनाया है…”

बच्चे चौंक गए,”पापा, हमें भी दिखाओ…”

विकास ने अपने फोन में उन्हें रसमलाई की फोटो दिखाई तो बच्चों के साथ विकास भी शुरू हो गए,”अब तुम भी कल बना ही लो. बाजार से तो अभी कुछ आ नहीं सकता. अब क्या हम अच्छी चीजें औरों की तरह नहीं खा सकते?”

अंजलि ने कहा,” उस की पत्नी को शौक है कुकिंग का. मुझे तो ज्यादा कुछ बनाना आता भी नहीं.”

”तो क्या हुआ,अंजलि. गूगल है न… यू ट्यूब में देख कर कुछ भी बना सकती हो.”

फिर हमेशा की तरह वही हुआ जो इतने दिनों से होता आ रहा था. वह वीकेंड में भी किचन से निकल नहीं पाई. उस का कोई वीकेंड नहीं, कोई छुट्टी नहीं.

इच्छाओं का दमन न करें

पति और बच्चों के खाने के शौक से वह थक चुकी है. ज्यादा न कहते नहीं बनता. बस फिर अपनी इच्छाएं ही दबानी पड़ती हैं. सोचती ही रह जाती है कि कुछ समय अपने लिए चैन से मिल जाए तो कभी खुद के लिए भी कुछ कर ले. पर इस लौकडाउन में इन तीनों के शौकों ने उसे तोड़ कर रख दिया है.

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मंजू का तो जब से विवाह हुआ वह पति अजय और उस के दोस्तों को खाना खिलाने में ही जीवन के 20 साल खर्च चुकी है.

वह अपना अनुभव कुछ यों बताती है,”शुरूशुरू में मुझे भी अच्छा लगता था कि अजय को मेरा बनाया खाना पसंद है. मुझे भी यह अच्छा लगता कि उस के दोस्त मेरी कुकिंग की तारीफ करते हैं. बच्चे भी अपने दोस्तों को बुला कर खूब पार्टी करते.मैं जोश में सौस, अचार, पापड़ सब घर पर ही बनाती. इस से मेरी खूब तारीफ होती. धीरेधीरे मेरा मन ही कुकिंग से उचटने लगा. जहां मैं कुकिंग की इतनी शौकीन थी, वहीं अब एक समय ऐसा आया कि खाना बनाने का मन ही नहीं करता. सोचती कि क्या खाना ही बनाती रहूंगी जीवन भर?

“फरमाइशें तो रुकने वाली नहीं, क्या अपने किसी भी शौक को समय नहीं दे पाऊंगी? पैंटिंग, म्यूजिक, डांस, रीडिंग आदि सब भूल चुकी थी मैं. अब अजीब सा लगने लगता कि कर क्या रही हूं मैं? अगर कोई मुझ से मेरी उपलब्धि पूछे तो क्या है बताने को? यही कि बस खाना ही बनाया है जीवनभर… यह तो मेरी कम पढ़ीलिखी सासूमां और मां भी करती रही हैं.

“मुझे अचानक कुछ और करने का मन करता रहता. मैं थोड़ी उदास होने लगी.

एक दिन रविवार को बच्चों और पति ने लंबीचौड़ी फरमाइशों की लिस्ट पकड़ाई, तो मेरे मुंह से निकल ही गया कि मैं कोई रसोइया नहीं हूं. मुझे भी तुम लोगों की तरह रविवार को कभी आराम करने का मौका नहीं  मिल सकता?

“मेरी बात पर सब का ध्यान गया तो सब सोचने पर मजबूर हुए. मैं ने फिर कहा कि ऐसा भी कभी हो सकता है कि एक दिन मुझे छुट्टी दो और एकएक कर के खुद कुछ बनाओ. अब तो बच्चे भी बड़े हो गए हैं.‘’

“मैं बड़ी हैरान हुई जब मेरा यह प्रस्ताव मान लिया गया. उस दिन से सब कुछ न कुछ बनाने लगे. कभी मिल कर, कभी अकेले किचन में घुस जाते. फिर मुझे जब सब का सहयोग मिलने लगा तो मैं ने कुछ दिन अपने डांस की खुद प्रैक्टिस की, फिर घर में ही क्लासिकल डांस सिखाने लगी.

इस काम में मुझे बहुत संतोष मिलने लगा. बहुत खुशी होती है कि आखिरकार कुछ क्रिएटिव तो कर रही हूं. अब खाली समय में कुकिंग करना बुरा भी नहीं लग रहा है.”

न भूलें अपनी प्रतिभा

हम में से कई महिलाएं अकसर यह गलती कर देती हैं कि अपने शौक, अपनी रूचि, अपनी प्रतिभा को भूल कर बस परिवार को खुश करने के लिए अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा बिता देती हैं.

परिवार का ध्यान रखना, उन की पसंदनापसंद का ध्यान रखना कोई बुरी या छोटी बात नहीं है. एक स्त्री अपना अस्तित्व भुला कर यह सब करती है, पर आजकल यह भी देखा गया है कि जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो उन्हें यह कहने में जरा भी संकोच नहीं लगता कि मां,आप को क्या पता है, किचन के सिवा आप को कुछ भी तो नहीं आता.

यही हुआ नीरा के साथ, जब उस की बेटी एक दिन कालेज से आई, तो उस से पूछ लिया, “प्रोजैक्ट कैसा चल रहा है, कितना बाकी है?”

बेटी का जवाब था,”मां, आप प्रोजैक्ट रहने दो, खाना बनाओ.”

नीरा कहती हैं,”यह वही बच्चे हैं जिन के लिए मैं ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी. आज मुझे इस बात का बहुत दुख है. मैं जिस कुकिंग को अपना टेलैंट समझती रही, वह तो एक आम चीज है, जो कोई भी बना लेता है. अपने पैरों पर खड़े हो कर जो संतोष मिलता है, उस की बात ही अलग होती है.”

आजकल के पति और बच्चे भी इस बात में गर्व महसूस करते हैं जब उन की पत्नी या मां कुछ क्रिएटिव कर रही हों.

25 साल की नेहा का कहना है, ”मम्मी जब गणित की ट्यूशन लेती हैं, तो बड़ा अच्छा लगता है. मेरे दोस्त कहते हैं कि आंटी कितनी इंटैलीजैंट हैं, 12वीं का मैथ्स पढ़ाना आसान नहीं.

“मम्मी जब ज्यादा थकी होती हैं, तो हमलोग खाना बाहर से और्डर कर लेते हैं या उस दिन सभी मिल कर खाना बना लेते हैं.”

सोशल मीडिया पर प्रदर्शन क्यों

सर्वगुण संपन्न होने की उपाधि लेने के लिए अनावश्यक तनाव अपने ऊपर न लें. कुक द्वारा बनाए खाने को भी प्यार से सब को परोस कर घर का माहौल प्यारभरा बनाया जा सकता है.

गुस्से में बनाया हुआ खाना यदि तनावपूर्ण माहौल में खाया जाए तो वह तनमन पर अच्छा प्रभाव नहीं डालता है.

किचन की बात हो और वह भी इस लौकडाउन टाइम में, महिलाओं ने अपनी कुकिंग स्किल्स की सारी की सारी भड़ास जैसे सोशल मीडिया पर ही निकाल दी. कभी अजीब सा लगता है कि यह क्या, कुकिंग ही कर कर के लौकडाउन बिताया जाता रहेगा?

वहीं अंजना को कुकिंग का बहुत शौक है. वह खुद मीठा नहीं खाती फिर भी अपने पति और बच्चों के लिए उसे कुछ बना कर खुशी मिलती है. उस का कहना है कि उस के पति और बेटा मना करते रह जाते हैं कि हमारे लिए मेहनत मत करो, जो खुद खाना हो वही बना लो, पर उसे अच्छा लगता है उन दोनों के लिए बनाना. जब वे दोनों सो रहे होते हैं तो वह चुपचाप उन्हें सरप्राइज देने के लिए कुछ न कुछ बना कर रखती है, जिस से लौकडाउन के समय में कोई बाहर की चीज के लिए न तरसे.

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सपनों को पंख दें

कुकिंग का शौक आप को है तो अलग बात है पर यह नहीं होना चाहिए कि सब अपनी लिस्ट आप को देते रहें और आप को कुकिंग का शौक ही न हो. कुकिंग आप पर लादी नहीं जानी चाहिए. किचन के रास्ते पर जाना आप की पसंद पर होना चाहिए, मजबूरी नहीं.

ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप कुछ और क्रिएटिव करना चाहती हैं और आप को उस का मौका ही न मिले. आप को अगर सचमुच कुछ क्रिएटिव करने का मन है तो जरूर करें.

रोजरोज की फरमाइशों से तंग आ चुकी हैं तो अपने परिवार को प्यार से समझाइए कि आप सहयोगी बन कर जीना चाहती हैं, रसोइया बन कर नहीं. आप को और भी कुछ करना है. किचन के बाहर भी आप की एक दुनिया हो सकती है. आप को बस उस का रास्ता खुद बनाना है. आप ही किचन से बाहर नहीं निकलना चाहेंगी तो दूसरा आप के लिए रास्ता नहीं बना सकता, इसलिए कुछ क्रिएटिव करने की कोशिश जरूर करें. घर के कामों में सब से हैल्प लेना कोई शर्म की बात नहीं. अब वह जमाना नहीं है कि घर की हर चीज एक औरत के सिर पर ही टिकी है. सब मिल कर कर सकते हैं ताकि आप अपने सपने को पंख दे सकें.

मैरिड लाइफ में हो सफल

आप ने अपने पासपड़ोस में देखा होगा कि कुछ विवाहित जोड़े सदैव खुश तथा सुखी दिखाई देते हैं, तो कुछ दुखी. सुखी पतिपत्नी सदैव सुखी रहते हैं, चाहे शादी हुए एक लंबा समय ही क्यों न बीत गया हो और दुखी पतिपत्नी दुखी ही रहते हैं, चाहे शादी का पहला साल ही क्यों न हो.

ऐसा क्यों होता है? इस का उत्तर ढूंढ़ने के लिए मनोवैज्ञानिकों ने अनेक शोध, सर्वेक्षण तथा अध्ययन किए. इन अनुसंधानों, सर्वेक्षणों तथा अध्ययनों से प्राप्त सार को हम अपने पाठकों तक पहुंचा रहे हैं. हमारा उद्देश्य यही है कि हमारे पाठक सदैव सुखी वैवाहिक जीवन जीएं.

हम इस लेख में सुखी दंपती और दुखी दंपती दोनों का ही विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं :

सुखी जीवन जीने वाले दंपती विवाह को ‘आनंद’ के रूप में स्वीकार करते हैं. यह आनंद बातों द्वारा भी उठाया जा सकता है और किसी कार्य को साथसाथ कर के भी उठाया जा सकता है. दुखी दंपती इसे एक रिश्ते के रूप में देखते हैं. आपस में बातें करना उन्हें समय की बरबादी लगता है. यदि काम करना ही हो तो बस काम निबटाने की सोचते हैं. वे कर्म में आनंद महसूस नहीं करते.

अपनी पत्नी या पति को आनंद के स्रोत के रूप में देखें. यदि एक बार आप के मन में रसिक भाव जाग्रत हो गया तो बुढ़ापे तक यह रसिकता या जिंदादिली काम आती है और आप की पत्नी या पति सदैव आप के लिए आकर्षण का स्रोत बना रहता है. दुखी दंपती शुरू से ही एकदूसरे से ऊब जाते हैं तथा यह उबाऊपन जीवन भर उन का साथ नहीं छोड़ता है.

सुखी दंपती जिंदगी के अन्य मुद्दों, जैसे आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, नातेरिश्तेदारों आदि को दूसरा स्थान देते हैं, जबकि दुखी दंपती इन्हें पहला स्थान देते हैं. समाजसेवा या दोस्तों में मशगूल रहने वाले वास्तव में दुखी पत्नी या पति ही अधिक होते हैं. अत: अपने साथी को ही मित्र बनाइए और जीवन को रंगीन बनाइए.

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सुखी दंपती सैक्स को पूरा महत्त्व देते हैं, जबकि दुखी दंपती इसे सिर्फ शारीरिक मिलन से अधिक कुछ नहीं समझते. अत: सुखी दंपती सैक्स से ही आनंद प्राप्त करते हैं, जबकि दुखी दंपती इसे मात्र जैविक क्रिया मानते हैं व इस से दूर भागने का प्रयास करते हैं. सुखी दंपती अपने निजी संबंधों के लिए ही एकांत क्षणों की खोज में रहते हैं, परंतु दुखी दंपतियों को इन क्षणों की चाह ही नहीं होती है.

तर्कवितर्क सुखी दंपती में भी होते हैं व दुखी में भी. लेकिन सुखी दंपती तर्क को तर्क से हल करते हैं, जबकि दुखी दंपती तर्क में कुतर्क कर लड़ाई की स्थिति पैदा कर लेते हैं.

झगडे़ं मगर प्यार से

सुखी जीवन के लिए तर्क करें पर तर्क करने का तरीका संयत रखें. यह महत्त्वपूर्ण नहीं होता कि तर्क क्यों किया, बल्कि यह महत्त्वपूर्ण होता है कि तर्क कैसा किया अर्थात झगड़ें जरूर पर प्यार से.

सुखी जीवन के लिए ऊंचे स्वर में न बोलें. धीमे बोलें, प्यार से बोलें, मीठा बोलें. याद रखें कभी आप को अपने शब्दों को निगलना भी पड़ सकता है.

एकदूसरे के रिश्तेदारों को सम्मान दें.

पतिपत्नी एकदूसरे के मित्रों के बारे में अपनी राय एक दूसरे पर न थोपें. इसे नितांत निजी मामला मान कर चुप रहें. दुखी दंपती आधा समय तो एकदूसरे के दोस्तों के बारे में ही अपनीअपनी राय दे कर झगड़ते रहते हैं.

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सुखी पतिपत्नी बारबार अपने प्रेम का इजहार करते हैं, प्रेम भरे बोल बोलते हैं, एकदूसरे की इच्छाओं, शौकों इत्यादि का ध्यान रखते हैं तथा जन्मदिन या विवाह की वर्षगांठ पर उत्सव मनाते हैं. इस से दोनों पक्षों में प्रेम और अधिक प्रगाढ़ होता है, जबकि दुखी पतिपत्नी इन सब को आडंबर मान कर कोई महत्त्व नहीं देते हैं. बारबार यह कहने से कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं/करती हूं से प्यार सचमुच बढ़ता है. कभीकभी उपहार लाने और नई खाने की चीज ला कर साथसाथ खाने का भी अपना अलग ही आनंद होता है. अत: सुखी दंपती सदैव एकदूसरे के प्रति सजग व समर्पित होने के साथसाथ प्यार की अभिव्यक्ति में भी आगे रहते हैं.

भावनाओं को दें सम्मान

सुखी दंपती एकदूसरे के प्रति सम्मान दो व सम्मान लो की नीति अपनाते हैं. एकदूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हैं व एकदूसरे की रुचियों में रुचि लेते हैं.

सुखी दंपती एकदूसरे की आय, उस के कार्य, उस की प्रतिष्ठा से संतुष्ट रहते हैं. यदि कोई पत्नी अपने कम पढ़ेलिखे पति को यह कह दे कि तुम सचमुच विद्वान हो तो पति की खुशी का ठिकाना न रहेगा व वह विद्वान होने का प्रयास करेगा. इसी प्रकार पति अपनी रणचंडी जैसी पत्नी को बहुत ही शांत स्वभाव की कहे तो ऐसा कहना उन के बीच के विरोध को पाटने में सफल होगा. परंतु ध्यान रखें कि अतिशयोक्ति न हो. एकदूसरे की आय के प्रति सदैव संतुष्टि बनाए रखें. यही सुखी रहने का रहस्य है.

सुखी दंपती बच्चों के भविष्य के प्रति भिन्न विचारधारा नहीं रखते हैं. दोनों मिलजुल कर ऐसा रास्ता निकालते हैं, जिस से बच्चों का भविष्य भी न खराब हो और उन के अहं को भी चोट न पहुंचे. जबकि दुखी दंपती बच्चों के भविष्य के प्रति अडि़यल रुख अपना लेते हैं. इस से बच्चों का भविष्य तो खराब होता ही है, पतिपत्नी में भी मनमुटाव हो जाता है.

सुखी दंपती अपने साथी से कुछ भी नहीं छिपाते हैं. वे एकदूसरे को अपना सब से बड़ा हितैषी व मित्र मानते हैं.

सुखी दंपती एकदूसरे के प्रति अटूट विश्वास व निष्ठा रखते हैं, जबकि दुखी दंपती एकदूसरे से बहुत कुछ छिपाते हैं. एकदूसरे पर संदेह करते हैं तथा इन में निष्ठा का भी अभाव होता है. यदि आप सुखद वैवाहिक जीवन के लिए इन सूत्रों को अपनाते हैं, तो हमें पूरा विश्वास है कि आप का दांपत्य जीवन भी आनंद से भर उठेगा.

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हैप्पी मैरिड लाइफ के लिए काम आएंगे ये टिप्स

पतिपत्नी और वो के बजाय पतिपत्नी और जीवन की खुशियों के लिए रिश्ते को प्यार, विश्वास और समझदारी के धागों से मजबूत बनाना पड़ता है. छोटीछोटी बातें इग्नोर करनी होती हैं. मुश्किल समय में एकदूसरे का सहारा बनना पड़ता है. कुछ बातों का खयाल रखना पड़ता है:

मैसेज पर नहीं बातचीत पर रहें निर्भर

ब्रीघम यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक जो दंपती जीवन के छोटेबड़े पलों में मैसेज भेज कर दायित्व निभाते हैं जैसे बहस करनी हो तो मैसेज, माफी मांगनी हो तो मैसेज, कोई फैसला लेना हो तो मैसेज ऐसी आदत रिश्तों में खुशी और प्यार को कम करती है. जब कोई बड़ी बात हो तो जीवनसाथी से कहने के लिए वास्तविक चेहरे के बजाय इमोजी का सहारा न लें.

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ऐसे दोस्तों का साथ जिन की वैवाहिक जिंदगी है खुशहाल

ब्राउन यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक यदि आप के निकट संबंधी या दोस्त ने डिवोर्स लिया है तो आप के द्वारा भी यही कदम उठाए जाने की संभावना 75% तक बढ़ जाती है. इस के विपरीत यदि आप के प्रियजन सफल वैवाहिक जीवन बिता रहे हैं तो यह बात आप के रिश्ते में भी मजबूती का कारण बनती है.

पतिपत्नी बनें बैस्ट फ्रैंड्स

‘द नैशनल ब्यूरो औफ इकोनौमिक’ द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जो दंपती एकदूसरे को बैस्ट फ्रैंड मानते हैं वे दूसरों के मुकाबले अपना वैवाहिक जीवन दोगुना अधिक संतुष्ट जीते हैं.

छोटी-छोटी बातें भी होती हैं महत्त्वपूर्ण

मजबूत रिश्ते के लिए समयसमय पर अपने जीवनसाथी को स्पैशल महसूस कराना जरूरी है. यह जताना भी जरूरी है कि आप उन की केयर करते हैं और उन्हें प्यार करते हैं. इस से तलाक की नौबत नहीं आती. आप भले ही ज्यादा कुछ नहीं पर इतना तो कर ही सकते हैं कि प्यारभरा एक छोटा सा नोट जीवनसाथी के पर्स में डाल दें या दिनभर के काम के बाद उन के कंधों को प्यार से सहला दें. उन के बर्थडे या अपनी ऐनिवर्सरी को खास बनाएं. कभीकभी उन्हें सरप्राइज दें. ऐसी छोटीछोटी गतिविधियां आप को उन के करीब लाती हैं.

वैसे पुरुष जिन्हें अपनी बीवी से इस तरह की सपोर्ट नहीं मिलती उन के द्वारा तलाक दिए जाने की संभावना दोगुनी ज्यादा होती है, जबकि स्त्रियों के मामले में ऐसा नहीं देखा गया है. इस की वजह यह है कि स्त्रियों का स्वभाव अलग होता है. वे अपने दोस्तों के क्लोज होती हैं. ज्यादा बातें करती हैं. छोटीछोटी बातों पर उन्हें हग करती हैं. अनजान लोग भी महिलाओं को कौंप्लिमैंट देते रहते हैं, जबकि पुरुष स्वयं में सीमित रहते हैं. उन्हें फीमेल पार्टनर या पत्नी से सपोर्ट की जरूरत पड़ती है.

आपसी विवादों को करें बेहतर ढंग से हैंडल

पतिपत्नी के बीच विवाद होना बहुत स्वाभाविक है और इस से बचा नहीं जा सकता. मगर रिश्ते की मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि आप इसे किस तरह हैंडल करते हैं. अपने जीवनसाथी के प्रति हमेशा सौम्य और शिष्ट व्यवहार करने वालों के रिश्ते जल्दी नहीं टूटते. झगड़े या विवाद के दौरान चिल्लाना, अपशब्द बोलना या मारपीट पर उतारू हो जाना रिश्ते में जहर घोलने जैसा है. ऐसी बातें इंसान कभी भूल नहीं पाता और वैवाहिक जिंदगी पर बहुत बुरा असर पड़ता है.

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एक अध्ययन में इस बात का खुलासा किया गया है कि कैसे फाइटिंग स्टाइल आप की मैरिज को प्रभावित करती है. शादी के 10 साल बाद वैसे कपल्स जिन्होंने तलाक ले लिया और वैसे कपल्स जो अपने जीवनसाथी के साथ खुशहाल जिंदगी जी रहे थे, के बीच जो सब से महत्त्वपूर्ण अंतर पाया गया वह था शादी के 1 साल के अंदर उन के आपसी विवाद और झगड़ों को निबटाने का तरीका.वे कपल्स जिन्होंने शादी के प्रारंभिक वर्षों में ही अपने जीवनसाथी के साथ समयसमय पर क्रोध और नकारात्मक लहजे के साथ व्यवहार किया उन का तलाक 10 सालों के अंदर हो गया. ‘अर्ली इयर्स औफ मैरिज प्रोजैक्ट’ में भी अमेरिकी शोधकर्ता ओरबुच ने यही पाया कि अच्छा, जिंदादिल रवैया और मधुर व्यवहार रहे तो परेशानियों के बीच भी कपल्स खुश रह सकते हैं. इस के विपरीत मारपीट और उदासीनता भरा व्यवहार रिश्ते को कमजोर बनाता है.

बातचीत का विषय हो विस्तृत

पतिपत्नी के बीच बातचीत का विषय घरेलू मामलों के अलावा भी कुछ होना चाहिए. अकसर कपल्स कहते हैं कि हम तो आपस में बातें करते ही रहते हैं संवाद की कोई कमी नहीं. पर जरा गौर करें कि आप बातें क्या करते हैं. हमेशा घर और बच्चों के काम की बातें करना ही पर्याप्त नहीं होता. खुशहाल दंपती वे होते हैं जो आपस में अपने सपने, उम्मीद, डर, खुशी और सफलता सबकुछ बांटते हैं. एकदूसरे को जाननेसमझने का प्रयास करते हैं. किसी भी उम्र में और कभी भी रोमांटिक होना जानते हैं.

अच्छे समय को करें सैलिब्रेट

‘जनरल औफ पर्सनैलिटी ऐंड सोशल साइकोलौजी’ में प्रकाशित एक रिसर्च के मुताबिक अच्छे समय में पार्टनर का साथ देना तो अच्छा है पर उस से भी जरूरी है कि दुख, परेशानी और कठिन समय में अपने जीवनसाथी के साथ खड़ा होना. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन पर मोनिका लेविंस्की ने जब यौनशोषण का आरोप लगाया तो उस वक्त भी हिलेरी क्लिंटन ने अपने पति का साथ नहीं छोड़ा. उन दिनों के साथ ने दोनों के रिश्ते को और मजबूत बना दिया.

रिस्क लेने से न घबराएं

पतिपत्नी के बीच यदि नोवैल्टी, वैराइटी और सरप्राइज का दौर चलता रहता है तो रिश्ते में भी ताजगी और मजबूती बनी रहती है. साथ मिल कर नईनई ऐक्साइटमैंट्स से भरी ऐक्टिविटीज में इन्वौल्व हों, नईनई जगह घूमने जाएं, रोमांचक सफर का मजा ले, लौंग ड्राइव पर जाएं, एकदूसरे को खानेपीने, घूमने, हंसने, मस्ती करने और समझने के नएनए औप्शन दें. कभी रिश्ते में नीरसता और उदासीनता को न झांकने दें. जिंदगी को नएनए सरप्राइज से सजा कर रखें.

केवल प्यार काफी नहीं

हम जिंदगी में अपने हर तरह के कमिटमैंट के लिए पूरा समय देते हैं, ट्रेनिंग्स लेते हैं ताकि हम उसे बेहतर तरीके से आगे ले जा सकें . जिस तरह  खिलाड़ी खेल के टिप्स सीखते हैं, लौयर किताबें पढ़ते हैं, आर्टिस्ट वर्कशौप्स करते हैं ठीक उसी तरह शादी को सफल बनाने के लिए हमें कुछ न कुछ नया सीखने और करने को तैयार रहना चाहिए. सिर्फ अपने साथी को प्यार करना ही काफी नहीं, उस प्यार का एहसास कराना और उस की वजह से मिलने वाली खुशी को सैलिब्रेट करना भी जरूरी है.

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साइंटिफिक दृष्टि से देखें तो इस तरह के नएनए अनुभव शरीर में डोपामिन सिस्टम को ऐक्टिवेट करते हैं जिस से आप का दिमाग शादी के प्रारंभिक वर्षों में महसूस होने वाले रोमांटिक पलों को जीने का प्रयास करता है. एकदूसरे को सकारात्मक बातें कहना, तारीफ करना और साथ रहना रिश्ते में मजबूती लाता है.

आजादी पर भारी शादी

‘‘बदलते समय के साथ न केवल लोगों की लाइफस्टाइल में बदलाव आया है, बल्कि उन की सोच और सामाजिक तौरतरीके भी बदले हैं. यह सही है कि आजकल लड़कियां अपने कैरियर और आजादी को प्राथमिकता दे रही हैं, लेकिन इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि शादी के लिए अब लड़कों की लड़कियों से उम्मीदें भी बढ़ गई हैं. मैट्रो सिटी में रहनसहन के स्तर को संतुलित बनाए रखने के लिए लड़के उच्च शिक्षा प्राप्त लड़कियों को ही प्राथमिकता देते हैं. ऐसे में लड़कियां अपने सुरक्षित भविष्य के लिए शादी करने में समय ले रही हैं. मुझे इस में कोई बुराई नहीं नजर आती. हां, शादी टालने की एक सीमा जरूर होनी चाहिए क्योंकि इस को जरूरत से ज्यादा टालने के विपरीत परिणाम भी हो सकते हैं.’’

सोनल, ऐसोसिएट एचआर

‘‘यह हमेशा याद रखें कि आप का ऐटिट्यूड किसी भी रिश्ते को बनने से पहले ही उसे खोखला करना शुरू कर देता है, जबकि बौंडिंग किसी भी रिश्ते को गहरा व मजबूत बनाती है.’’

28 साल की तान्या न सिर्फ गुड लुकिंग है बल्कि एक अच्छी मल्टीनैशनल कंपनी में सीनियर पोजिशन पर कार्यरत भी है. लेकिन अभी भी तान्या सिंगल है. शादी की बात आते ही तान्या उसे टाल जाती है.

हिना का भी हाल कुछ ऐसा ही है. हिना मौडलिंग करती है, ग्लैमर वर्ल्ड से जुड़ी है और दिखने में काफी स्टाइलिश है. हिना से शादी करने को न जाने कितने लड़के बेताब हैं, लेकिन हिना अब तक कई प्रपोजल्स रिजैक्ट कर चुकी है. रिजैक्शन के पीछे वजह सिर्फ यही है कि हिना को लगता है कि भले ही उस का पार्टनर उसे शादी के बाद काम करने भी दे, लेकिन उस की आजादी तो कहीं न कहीं उस से छिन ही जाएगी. बस, यही वजह है कि हिना पेरैंट्स के कहने पर लड़कों से मिलती जरूर है, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ाती.

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यह कहानी सिर्फ तान्या और हिना की ही नहीं, बल्कि आज हमारे समाज की उन ढेर सारी लड़कियों की है, जो अपनी पढ़ाईलिखाई कर सिर्फ अपनी जौब और कैरियर को प्रिफरैंस देती है. इन के लिए शादी प्रिफरैंस लिस्ट में तो दूर की बात, ये तो शादी के नाम से ही कतराती हैं.

बदल गए हैं जिंदगी के माने

अगर हम यह कहें कि अब समाज में लड़कियों की जिंदगी के माने पूरी तरह बदल चुके हैं, तो शायद यह भी गलत नहीं होगा. लड़कियां शादी कर चूल्हाचौका संभालने की सोच से बाहर निकल कर अपने कैरियर और समाज की सोच को एक नई दिशा दे रही हैं. लेकिन सोचने वाली बात यह है कि बदलते जमाने के साथ कदम से कदम मिला कर चलने वाली ये पीढ़ी वाकई सही है या इस सफलता में छिपा है डिपै्रशन और फ्रस्ट्रेशन भी.

हाल ही में कई बड़े शहरों में एक सर्वे के दौरान एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया. बड़े शहरों की पढ़ीलिखी लड़कियां अच्छी पढ़ाई कर प्रोफैशनली बाजी जरूर मार रही हैं, लेकिन उन की व्यक्तिगत जिंदगी उन्हें इतना परेशान कर रही है कि उस के चलते कई लड़कियां डिप्रैशन की शिकार हैं.

दिल्ली में पढ़ीलिखी गुड लुकिंग 36 साल की प्रीति मल्टी नैशनल कंपनी में सीनियर लीगल ऐडवाइजर है. देखने में खूबसूरत व स्टाइलिश और कैरियर में सैटल होने के बावजूद भी प्रीति अभी भी सिंगल है. शादी के लिए उस के पास ढेर सारे प्रपोजल्स तो हैं मगर साथ ही कन्फ्यूजन भी कि शादी करे तो किस से? जो लड़का प्रीति को पसंद आता है उसे प्रीति को प्रोफाइल मैचिंग नहीं लगता और जिसे प्रीति पसंद आती है उस से प्रीति आगे बात बढ़ाना ही नहीं चाहती.

ऐसा सिर्फ प्रीति के साथ ही नहीं बल्कि न जाने कितनी लड़कियों के साथ होता है, जो कैरियर में सैटल होने के बावजूद भी सही उम्र में शादी नहीं कर पातीं क्योंकि शादी के लिए उन की कुछ शर्तें भी होती हैं. आमतौर पर सभी शर्तों को पूरा करने यानी उन की कसौटी पर खरा उतरने के नाम से ही लड़के कन्नी काटने लगते हैं और अच्छी पढ़ीलिखी बड़े शहरों की लड़कियों के बजाय छोटे कसबे या गांव की कम पढ़ीलिखी लड़कियों को ही चुनना ज्यादा पसंद करते हैं.

ये बात थोड़ी चौंकाने वाली जरूर है लेकिन यही हकीकत है कि कम से कम 50% बड़े शहरों की लड़कियां अपनी आजादी को खोने के डर से अब शादी को तवज्जो नहीं देतीं.

35 वर्षीय दीप्ति एक नैशनल न्यूज चैनल में एक अच्छी पोस्ट पर काम करती हैं और सिंगल हैं. शादी से जुड़े सवाल पर तपाक से कहती हैं, ‘‘अच्छी है न जिंदगी क्योंकि कोई रोकटोक नहीं है. अपने तरीके से अपनी लाइफ ऐंजौय कर रही हूं. अपने पेरैंट्स का खयाल रखती हूं. अपना घर, गाड़ी सब कुछ है, तो ऐसे में शादी कर कई हजार बंदिशों में बंध रिस्क क्यों लिया जाए?’’

असल में ऐसी सोच सिर्फ दीप्ति की ही नहीं बल्कि शहरों में पलीबढ़ी 60% लड़कियों की है. या तो ये शादी करना नहीं चाहतीं या फिर अगर शादी करती भी हैं तो अपनी शर्तों पर. ऐसे में जाहिर सी बात है कि हमारे पितृसत्तात्मक समाज के लड़कों के माथे पर सिकुड़न पड़ना तय है.

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कशमकश में उलझी हैं सफल महिलाएं

अजीब सी कशमकश में उलझी ऐसी सफल महिलाएं उम्र के इस पड़ाव पर आने के बावजूद भी शादी करने का फैसला सही उम्र में नहीं ले पातीं. जब तक हो सके अकेले ही रहना चाहती हैं, जिस की एक सीधी सी वजह यह है कि अब लड़कियां शादी जैसे बंधन में बंधने के लिए अपनी जिंदगी में न तो कोई बदलाव लाना चाहती हैं और न ही कोई समझौता करना चाहती हैं. जिस की सब से बड़ी वजह यही है कि अब लड़कियां अपनी आजादी नहीं खोना चाहतीं.

लेकिन इन का यही फैसला कहीं न कहीं इन के लिए एक वक्त के बाद मुश्किलें भी खड़ी कर देता है. एक वक्त के बाद सिंगल रहना अखरने भी लगता है. जिंदगी के सफर में तनहाई काटने को दौड़ती है. उस वक्त जरूरत महसूस होती है एक ऐसे साथी की जो हमसफर बन कर आप के साथ जिंदगी के सुखदुख साथ बांट सके.

अब सोचने वाली बात यह है कि लड़कियों की यह सोच वाकई समाज के माने बदल समाज को एक सही दिशा में जा रही है या फिर इस सोच के कल कई दुष्प्रभाव समाज पर पड़ सकते हैं?

सालता भी है अकेलापन

अगर देखा जाए तो लड़कियों का शादी जैसे मुद्दे पर खुद फैसला लेना सही है, लेकिन अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जीने की चाहत में इस खूबसूरत पड़ाव से कतराना भी समझदारी नहीं, क्योंकि कुछ वक्त के बाद इंसान को अकेलापन सताने लगता है और अकेलेपन से बचना वाकई बड़ा मुश्किल है.

एक जमाने की मशहूर अदाकारा परवीन बौबी को ही ले लीजिए. उन की कहानी भी कुछ ऐसी ही थी. एक वक्त था जब परवीन के पास ढेरों प्रपोजल्स थे. न जाने कितने नौजवान उन से शादी करने को बेताब थे. मगर उस वक्त सफलता के नशे में चूर परवीन बौबी सारे प्रपोजल्स टालती गईं. शादी की बात को उन्होंने कभी गंभीरता से नहीं लिया. लेकिन बाद में उन का यही फैसला उन के लिए काफी नुकसानदायक साबित हुआ. उन की जिंदगी के अंतिम दिनों में उन का अकेलापन ही उन की मौत का कारण बना.

एक जमाने में लाखोंकरोड़ों दिलों पर राज करने वाली इस खूबसूरत अदाकारा की जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी आया, जब इस ने खुद को अपनी तनहाई के साथ घर की चारदीवारी में कैद कर लिया. परवीन पर अकेलापन ऐसा हावी हुआ कि वे न सिर्फ डिप्रैशन में चली गईं बल्कि उन का मानसिक संतुलन तक बिगड़ गया. यहां तक कि उन्होंने लोगों से मिलनाजुलना तक बंद कर दिया और फिर एक दिन वही हुआ, जब करोड़ों दिलों पर राज करने वाली इस अदाकारा ने अंतिम सांस ली, इन के पास कोई नहीं था. यहां तक कि इन की मौत का पता भी कई दिनों के बाद इन के पड़ोसियों को दरवाजे पर लटकी दूध की थैलियों और दरवाजे के पास पड़े अखबार के बंडलों से चला. फिर जांचपड़ताल के बाद घर के अंदर उन की लाश मिली तब जा कर पता चला कि लाखोंकरोड़ों दिलों की चहेती परवीन बौबी इस दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं.

ऐसा सिर्फ परवीन बौबी के साथ ही नहीं हुआ. इस के और भी ढेर सारे उदाहरण आप को मिल जाएंगे. हकीकत में यह अकेलापन ऐसी बीमारी है, जो बाद में डिप्रैशन का रूप ले लेती है आगे चल कर जिंदगी के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकती है. इसलिए बेहतर है कि जिंदगी को गंभीरता से लें.

क्या करें क्या न करें

शादी का बंधन इतना नाजुक नहीं होता कि उसे जब चाहे तोड़ लो और जब मन करे जोड़ लो. निश्चित तौर पर काफी सोचनेसमझने के बाद ही यह फैसला लेना सही होता है. और अगर आप अपने हिसाब से जीवनसाथी चुनना चाहती हैं तो इस में भी हरज कुछ नहीं, लेकिन ध्यान रखें कि आप जरूरत से ज्यादा चूजी भी न हो जाएं क्योंकि यह इकलौती वजह ही ढेरों प्रपोजल रिजैक्ट करने के लिए काफी होती है.

किसी भी रिश्ते को पनपने से पहले ही अपनी शर्तों में न बांध दें. किसी भी रिश्ते की बौंडिंग मजबूत होने में वक्त लगता है, तो आप भी अपने रिश्ते को वक्त दें. सामने वाले इंसान को पहले समझने की कोशिश करें.

परफैक्शन में नहीं हकीकत में विश्वास करें. यह कोई प्रोफैशनल टास्क नहीं है, जिस में आप को या आप के हमसफर को परफैक्शन के मापदंड पर खरा उतरना है. यह फिल्मी दुनिया नहीं बल्कि हकीकत है. हकीकत पर भरोसा करें. चांद सब से खूबसूरत होता है, लेकिन उस में भी दाग है. वही कहानी इंसानों की भी है. इसलिए परफैक्शन में जाने के बजाय प्रैक्टिकल हो कर सोचें.

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फैसले का सही वक्त क्या हो

सही उम्र में सही फैसला लेना भी जरूरी होता है. कैरियर के साथसाथ पर्सनल लाइफ पर भी ध्यान दें. यदि आप ने समय से अपनी पढ़ाईलिखाई पूरी कर के मनचाहा मुकाम हासिल कर लिया है तो शादी का फैसला बेवजह टालने में समझदारी नहीं है.

ऐटिट्यूड में नहीं बौंडिंग में यकीन करना सीखें. हमेशा याद रखें कि आप का ऐटिट्यूड किसी भी रिश्ते को बनने से पहले ही उसे खोखला करना शुरू कर देता है जबकि बौंडिंग किसी भी रिश्ते को और गहरा और मजबूत बनाती है.

पहले से किसी इंसान या उस के प्रोफैशन को ले कर उस के प्रति अपने मन में कोई धारणा न बना लें. प्यार और विश्वास से एक नए रिश्ते की शुरुआत करें.

कई बार लड़कियां जब शादी के लिए किसी से मिलती हैं, तो वे उस लड़के की अपने ड्रीम बौय या फिर अपने आदर्श इंसान से तुलना शुरू कर देती हैं जो सही नहीं है, हर इंसान का व्यक्तित्व, व्यवहार और खूबियां अलगअलग होती हैं. इसलिए जब भी आप किसी से मिलें तो बेवजह उस की किसी और से तुलना न शुरू कर दें.

जैसे जीवनसाथी की कल्पना आप ने अपने लिए की है वैसा ही आप को मिले, यह थोड़ा मुश्किल है. ऐसे में बेहतर यही होगा कि समझदारी के साथ जीवनसाथी का चुनाव करें और यह विश्वास रखें कि शादी के बाद भी आपसी समझ से रिश्ते को बेहतर बनाया जा सकता है. अकेला रह कर आप क्षणिक सुख तो पा सकती हैं पर सारी जिंदगी को खूबसूरत बनाने के लिए एक हमकदम का साथ जरूरी होता है.

इस बात पर यकीन करें कि एक खूबसूरत जिंदगी एक अच्छे हमसफर के साथ आप का इंतजार कर रही है. बस जरूरत है तो सिर्फ पहल करने और गंभीरता से सोचने की. तो देर किस बात की, शुरुआत कीजिए और कदम बढ़ाइए इस खूबसूरत जिंदगी की तरफ.

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