मुझे कभी-कभी वैजाइनल ब्लीडिंग होती है, ये खतरे की बात तो नहीं है

सवाल

मैं 32 वर्षीय कामकाजी महिला हूं. मुझे 2 माहवारी के बीच भी कभीकभी वैजाइनल ब्लीडिंग होती है. कहीं कोई खतरे की बात तो नहीं?

जवाब

वैजाइना से ब्लीडिंग केवल माहवारी के दौरान ही होनी चाहिए. 2 माहवारी के बीच ब्लीडिंग होना किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है. आप तुरंत किसी अच्छे डाक्टर को दिखाएं, जरूरी जांच कराएं और उपचार शुरू करें. मेनोपौज के बाद, 2 माहवारी के बीच या शारीरिक संबंध बनाने के बाद अगर ब्लीडिंग हो तो महिलाओं को इसे गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि ऐसा होना असामान्य ब्लीडिंग की श्रेणी में आता है जो कैंसर का एक सामान्य लक्षण है.

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मेरी मां को ओवेरियन कैंसर था. जांच कराने पर पता चला कि मेरे शरीर में बीआरसीए जीन मौजूद हैं. मेरा परिवार पूरा हो गया है. क्या मैं अपनी ओवरीज निकलवा सकती हूं ताकि ओवेरियन कैंसर का खतरा खत्म हो जाए?

जवाब

ओवरी निकालने की सर्जरी यानी ऊफोरेक्टोमी किसी महिला के एक या दोनों तरफ के अंडाशयों को हटाने के लिए की गई एक सर्जिकल प्रक्रिया है. डाक्टर कई मामलों में ऊफोरेक्टोमी की सलाह देते हैं. जैसे जब एक महिला में बीआरसीए जीन मौजूद होता है जो स्तन और ओवरी के कैंसर के होने के लिए सब से आम उत्तरदायी जीन है. ऐसे मामलों में महिला के अंडाशय हटाने से उसे कैंसर होने के खतरे को कम किया जा सकता है. आप का परिवार पूरा हो चुका है और आप में बीआरसीए जीन भी मौजूद हैं तो आप को यह सर्जरी करा लेनी चाहिए. इस सर्जरी के बाद ओवेरियन कैंसर का खतरा 95त्न तक कम हो जाता है.

समस्याओं के समाधान ऐल्प्स ब्यूटी क्लीनिक की फाउंडर, डाइरैक्टर डा. भारती तनेजा द्वारा      

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पीरियड्स में पर्सनल हाइजीन का रखें ख्याल

भारत में सिर्फ 12% महिलाएं ही पर्सनल हाइजीन यानी पैड्स का इस्तेमाल करती हैं जो काफी चौंकाने वाला आंकड़ा है, क्योंकि अगर इस पर्सनल हाइजीन का ध्यान नहीं रखते हैं तो यह हमें ढेरों बीमारियों की गिरफ्त में ले जाती है. यहां तक कि हम यूटीआई, कैंसर जैसी घातक बीमारियों के भी शिकार हो जाते हैं.

‘द नैशनल हैल्थ मिशन औफ द मिनिस्ट्री औफ हैल्थ ऐंड फैमिली वैलफेयर औफ इंडिया’ स्वच्छ भारत अभियान के साथ मिल कर मैंस्ट्रुअल हाइजीन व सैनिटरी पैड्स के प्रति अवेयरनैस बढ़ाने का काम कर रहा है. आप को बता दें कि देश लंबे समय से प्रदूषण के खिलाफ जंग लड़ रहा है, जिस में प्लास्टिक पौल्यूशन चरम पर है और इस में सैनिटरी पैड्स का अहम रोल है, क्योंकि भारत में हर साल 11,300 टन प्लास्टिक बरबाद होता है. प्लास्टिक नौनबायोडिग्रेडेबल की श्रेणी में आता है. ऐसे में जरूरत है पर्यावरण को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाने वाले और बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करने की.

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पर्सनल हाईजीन से समझौता नहीं

ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी महिलाएं माहवारी के समय सैनिटरी पैड्स की जगह कपड़ा, न्यूजपेपर, पत्ते, रेत या फिर राख का इस्तेमाल करती हैं, जिस से उन्हें इन्फैक्शन के साथसाथ गर्भाशय कैंसर तक हो सकता है. इसीलिए सरकार अब सस्ते पैड्स बना रही है ताकि माहवारी के दौरान हर महिला को कपड़े आदि के प्रयोग से छुटकारा मिले और वह सुरक्षित सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करे.

क्या होते हैं ईको फ्रैंडली पैड्स

वैसे तो आप को मार्केट में सस्ते से सस्ता और महंगे से महंगा पैड मिल जाएगा, लेकिन फर्क सिर्फ यह है कि जो सिंथैटिक पैड्स होते हैं उन में 90% प्लास्टिक, पौलिमर्स, परफ्यूम व कई कैमिकल होते हैं जो महिला की संवेदनशील त्वचा के लिए हानिकारक साबित होते हैं, जबकि ईको फ्रैंडली सैनिटरी पैड्स विभिन्न नैचुरल बायोडिग्रेडेबल पदार्थों से बनते हैं, जो पर्यावरण को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और इन की सोखने की क्षमता भी काफी ज्यादा होती है. बहुत ही सौफ्ट होने के कारण ये महिला की वैजाइना की सैंसिटिव त्वचा के लिए पूरी तरह सेफ हैं.

अब समय आ गया है ऐसे सैनिटरी नैपकिन को इस्तेमाल करने का जो उन दिनों में आप की पर्सनल हाइजीन का खयाल रखने के साथसाथ पर्यावरण को भी नुकसान न पहुंचाए.

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बायोडिग्रेडेबल पैड्स

ये पैड्स प्राकृतिक पौधों के फाइबर से बने होते हैं. ये डिस्पोजल के 6 महीनों से 2 साल के बीच में गल जाते हैं, जो पर्यावरण के लिए किसी भी तरह से हानिकारक नहीं है.

रीयूजेबल पैड्स

इन पैड्स को आप धो कर भी कई बार यूज कर सकती हैं. ये हाइजीनिक होने के साथसाथ स्किन पर भी किसी तरह की जलन व रैशेज नहीं होने देते.

अगर आप सफर पर जा रही हैं तो अब परेशान न हों कि सैनिटरी पैड्स को फेंकने के लिए पौलिथीन बैग्स या टिशू पेपर भी कैरी करना पड़ेगा, क्योंकि अब मार्केट में ऐसे पैड्स बनने लगे हैं जो डिस्पोजल बैग के साथ आते हैं ताकि आप पैड को यूज कर के आसानी से उस में फेंक सकें. ये बैग्स पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल हैं.

माहवारी कोई समस्या नहीं है, बल्कि एक सामान्य शारीरिक क्रिया है. इस दौरान खुद को बंधन में बंधा महसूस करने के बजाए सुरक्षित सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग करें और जीएं जिंदगी खुल कर.

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