सर्दियों में फिट रहने के लिए फॉलो करें ये टिप्स

इस मौसम में व्‍यायाम पर थोड़ा ध्‍यान देकर आप स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी मामूली समस्‍याओं से भी बच सकते हैं. लेकिन अगर आपको हृदय संबंधी समस्‍या है, तो आपको अतिरिक्‍त सुरक्षा की आवश्‍यकता होती है. ऐसे में अगर आप अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य चाहते हैं, तो यह मौसम सबसे अच्‍छा है. सर्दियों में स्‍वस्‍थ रहने के टिप्‍स –

1. पानी खूब पियें 

लम्बे सैर पर जाने से पहले खूब पानी पीयें ,इससे बहुत ठंड होने पर भी शरीर के अन्दर की वायु श्वास नली तक जाने तक गर्म रहेगी. गर्म श्वास में अत्यधिक नमी बनाये रखने की क्षमता होती है. फीज़िकल एक्टिविटी के साथ भारी ब्रीथिंग होने पर शरीर से अत्यधिक मात्रा में उष्मा निकलती है जिससे कि श्वास नली ड्राई हो जाती है . ड्राई एयर पैसेज से सांस लेने और व्यायाम करने में परेशानी होती है. ड्राई एयर पैसेज की परेशानी से बचने के लिए सैर से पहले पानी पीना बहुत ही अच्छा उपाय है.

2. गरम पेय पदार्थों से बचें

गरम पेय पदार्थ या अल्कोहल लेने के बाद बाहर ना जायें. इनसे हमारी रक्त वाहीनियां शिथिल हो जाती हैं और स्किन से उष्मा निकलने लगती है.

3. शरीर को थोड़ा आराम दें 

व्यायाम से नार्मल स्थिति की तुलना में शरीर से दस गुना ज़्यादा उष्मा निकलती है. मेहनत करने से वातावरण में उष्मा फैलती है जिससे कि रक्त वाहीनियों की पेशियां फैलती हैं और हृदय पर दबाव भी पड़ता है इसलिए सर्दियों में अधिक व्यायाम करने से बचना चाहिए.

4. सर्दियों में वाटर स्पोर्टस से बचें

सर्दियों के मौसम में ठंडे स्वीमिंग पूल में स्वीमिंग करने से बचें. पानी उष्मा का अच्छा संचालक है. इससे अत्यधिक उष्मा निकलती है और हमारे शरीर को इस उष्मा को दोबारा उत्पन्न करने में थोड़ा समय लग जाता है.

5. ठंडी हवाओं से बचें

ठंडी हवाओं में टहलने से एन्जीना होने का खतरा बढ़ जाता है. अगर आप तेज़ हवा में टहल रहे हैं तो धीरे टहलें. धीरे टहलने से भी आपकी सेहत को उतना ही लाभ मिलेगा जितना कि तेज़ टहलने से मिलता है. टहलने के बाद कुछ देर रूक कर घर के अन्दर जायें जिससे कि शरीर से पसीना निकल जाये.

6. सावधानियां हैं जरूरी   

1-व्‍यायाम के लिए जाने से पहले, एक कप गर्म चाय या गर्म दूध पीयें

2-व्‍यायाम के लिए ऐसे वस्‍त्रों का प्रयोग करें, जो ढीले-ढाले हों और उनसे शरीर

में हवा भी ना लगे.

3-व्‍यायाम करने के कम सेक म 30 मिनट बाद ही स्‍नान करें.

4-व्‍यायाम के तुरंत बाद कपड़े ना बदलें, ना ही खुले स्‍थान पर जायें.

सर्वाइकल कैंसर का प्रजनन क्षमता पर पड़ने वाले असर को समझना

कैंसर का पता चलना भारी सदमा पहुँचाने वाला हो सकता है, और कैंसर के उपचार से प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी) और संपूर्ण सेहत, दोनों प्रभावित हो सकते हैं. सर्वाइकल कैंसर, कैंसर का एक प्रकार है जो गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्‍स) में होता है. गर्भाशय ग्रीवा गर्भाशय के निचले हिस्से में स्थित होती है और वजाइना की ओर आगे निकली होती है.

हाल में किए गए शोध के मुताबिक, 30-35 साल की उम्र की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है. डब्ल्यूएचओ के अनुमान के अनुसार, 2019 में 45,300 भारतीय महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के कारण अपनी जान गँवानी पड़ी. इसलिए, सही कदमों और उपायों के साथ इस तरह के स्वास्थ्य संबंधी जानलेवा खतरों का सामना करने के लिए शिक्षित और जागरूक होना बहुत महत्वपूर्ण है.

डॉ. गुंजन सभरवाल, गुरुग्राम में आईवीएफ विशेषज्ञ, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, का कहना है कि-

कैंसर के उपचार के बाद प्रजनन दर में कमी आती है

सर्वाइकल कैंसर से लड़ने के लिए उपचार के अनेक विकल्प उपलब्ध हैं। हालाँकि, इस तरह के स्वास्थ्य संबंधी खतरों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विधियों का भविष्य में गर्भधारण के प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है :

सर्जरी :

कैंसर के ग्रेड के आधार पर सर्वाइकल कैंसर का इलाज कोनाइजेशन, एलईईपी, रैडिकल हिस्टेरेक्टॉमी या हिस्टेरेक्टॉमी जैसी सर्जरी की मदद से किया जाता है. ये प्रक्रियाएँ प्रजनन क्षमता में बाधा डाल सकती हैं.

कीमोथेरेपी :

कीमोथेरेपी साइटोस्टैटिक्स और साइटोटॉक्सिन नामक दवाओं का उपयोग करके तेजी से विभाजित होने वाली कैंसर कोशिकाओं के विभाजन को नष्ट करती या रोकती है। चूँकि,दवा आमतौर पर “व्‍यवस्थित रूप से” रक्तप्रवाह के माध्यम से दी जाती है, इसलिए यह विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं को भी लक्षित कर सकती है। यदि इसका असर अंडों के डीएनए पर असर पड़ता जाता है (यानी, अंडा आनुवंशिक रूप से असामान्य हो जाता है), तो हो सकता है इसका निषेचन (फर्टिलाइजेशन) नहीं हो, या इसके कारण गर्भपात या जन्म दोष हो सकता है.

रेडिएशन थेरेपी :

रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा) में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने की उम्‍मीद में उच्च-ऊर्जा किरणों को निर्देशित करना शामिल है. लेकिन, इस उपचार के दौरान, शरीर कैंसर से अप्रभावित हिस्सों पर भी बहुत जोखिम हो जाता है, जिससे महिला के सभी अंडाणु नष्ट हो जाते हैं. विकिरण गर्भाशय की परत को भी प्रभावित करेगा और उन पर घाव के दाग पैदा करेगा. रेडिएशन थेरेपी से गुजरने वाली महिलाओं के समय से पहले मेनोपॉज होने की संभावना नहीं होती है.

सर्वाइकल कैंसर से लड़ने वाली महिलाओं के लिए प्रजनन के विकल्प

कैंसर से जंग जीतने वाले जो लोग उपचार से पहले प्रजनन संरक्षण करा लेते हैं, उनके पास परिवार शुरू करने के कई विकल्प होते हैं. आईवीएफ, आईयूआई, एग या एम्ब्रियो फ्रीजिंग जैसे अत्‍याधुनिक फर्टिलिटी समाधान कैंसर के उपचार से पीड़ित महिलाओं या उसके बाद के चरण में पैरेंटहुड  की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए बहुत बड़ा वरदान साबित होता है.

अन्य प्रक्रियाओं, जैसे कि डिम्बग्रंथि के ऊतकों की फ्रीजिंग के लिए अपनी प्रजनन योजनाओं को शुरू करने से पहले आपको अपने प्रजनन विशेषज्ञ से परामर्श करने और उनका मार्गदर्शन लेने की आवश्यकता होती है. आपके प्रजनन संबंधी विकल्पों और प्रजनन क्षमता पर कैंसर के उपचार के संभावित प्रभाव के बारे में अपने डॉक्टर के साथ व्यापक बातचीत करना महत्वपूर्ण है. सही दृष्टिकोण के साथ, कपल्‍स के पास भविष्य में माता-पिता बनने की सबसे अच्छी संभावना हो सकती है.

सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम और टीकाकरण

सर्वाइकल कैंसर से बचाव में मदद के लिए आप जो दो सबसे महत्वपूर्ण कार्य कर सकते हैं, वह है जल्दी टीका लगवाना और नियमित रूप से जाँच कराना. एचपीवी वैक्सीन एचपीवी के उन प्रकारों से रक्षा कर सकता है जो सर्वाइकल कैंसर का कारण बनते हैं, और पैप टेस्‍ट और एचपीवी टेस्‍ट जैसे नियमित जाँच कराने से सर्वाइकल कैंसर का जल्द पता लगा सकते हैं, खासकर जब यह सबसे अधिक उपचार के योग्य होता है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें