फिटनेस फ्रिक लोगों को क्यों आता है हार्ट अटैक, Akshay Kumar ने बताई इसकी वजह और बचने के टिप्स

अक्षय कुमार उन एक्टरों में से एक है जो सिक्स पैक मसल्स वाली बौडी बनाने के बजाय फिटनेस, अच्छी सेहत, एनर्जी से भरपूर स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हैं. जिसके चलते अक्षय कुमार वेटलिफ्टिंग, स्टेराइड्स, सप्लीमेंट लेने के बजाय सीढ़ी चढ़ना, दौड़ना, और घर का बना खाना खाकर अच्छी सेहत बनाने पर ज्यादा विश्वास रखते हैं. हाल ही में हुई बातचीत के दौरान अक्षय कुमार ने युवाओं में बढ़ती अति व्यस्तता के चलते टेंशन, डिप्रेशन, हाइपर टेंशन और जल्दी से जल्दी हीरो और हीरोइन की तरह बौडी बनाने के चक्कर में सप्लीमेंट स्टेराइड लेकर अपने आप को मानसिक और शारीरिक तौर पर गंभीर बीमारी की तरफ़ ढकेलते हुए कम उम्र में दिल की बीमारी से ग्रस्त होने वाले युवाओं के प्रति चिंता जाहिर की…..

अक्षय कुमार ने बताया की उन्होंने पिछले कुछ दिनों पहले एक अस्पताल में विजिट किया था . जहां पर उन्होंने 20 से 30 उम्र के युवाओं को अस्पताल के बेड पर पाया. ऐसे में जब अक्षय ने उनके बीमारी की वजह जानी तो पता चला की ज्यादातर लड़के लड़कियां दिल की बीमारी से ग्रस्त है. जिसकी वजह हाइपरटेंशन, डिप्रेशन, आदि ही बताई जा रही थी. इसी बात को मद्दे नजर रखते हुए अक्षय कुमार ने युवाओं के लिए कुछ खास टिप्स और जानकारी दी..

अक्षय कुमार के अनुसार आज के युवा वर्ग में एक ऐसी प्रवृत्ति पाई जा रही है जिसमे वह कम समय में ज्यादा से ज्यादा पाने की कोशिश में लगे रहते हैं. फिर चाहे वह आर्थिक तौर पर हो या तो शारीरिक तौर पर ही क्यों ना हो. जबकि सच्चाई यह है कि किसी भी चीज को बिगाड़ने में अगर चंद सेकंड लगते हैं तो बनाने में महीनो और सालो लग जाते हैं . लेकिन आज के युवा फास्ट फूड की तरह लाइफ में भी सब कुछ फास्ट फास्ट चाहते हैं. ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में या अपनी इच्छा अनुसार सफलता पाने के चक्कर में मानसिक तौर पर बीमार होने लगते हैं जिसके चलते हाइपर टेंशन डिप्रेशन जेसी खतरनाक मानसिक बीमारियां उनको अस्पताल पहुंचा देती हैं. जबकि सच्चाई यह है की आर्थिक और शारीरिक तौर पर मजबूत होने के लिए अपने आप को पूरा समय देना होता है. जल्दबाजी का काम शैतान का होता है. जो हमेशा आपको गलत रास्ते पर ही लेकर जाता है यही वजह है कि आज के युवाओं में सब्र की कमी है और दिल का दौरा ज्यादा बढ़ रहा है.

जिम में एक्सरसाइज करते हुए , हुई मौत के जिम्मेदार युवा खुद ही है…

आजकल बहुत सारी ऐसी खबरें आ रही हैं की कई सारे जवान लड़के लड़कियां जिम में एक्सरसाइज करतेकरते या औफिस में काम करतेकरते दिल का दौरा पढ़ने से अचानक मौत के घाट उतर गए. ऐसे में अगर मैं कहूं कि आप अपनी मौत का कारण खुद है तो शायद आपको गलत लगेगा .लेकिन सच्चाई यह है कि अगर आप जिम में एक्सरसाइज कर रहे हैं तो कई सारी सावधानियां जरूरी हैं. सबसे पहले तो सप्लीमेंट यह स्टेरायड से दूर रहे यह आपके लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है. दूसरा एक्सरसाइज शुरू करने से पहले 10-15 मिनट वार्म अप जरूर करें ताकि आपकी बौडी का तापमान एक्सरसाइज के लायक हो. और एक्सरसाइज पूरी होने के बाद 10 मिनट का आराम भी जरूर करें.

आपकी मांसपेशियां नार्मल हो सके. जिम में एक्सरसाइज करते समय सर पर पानी बिल्कुल भी ना डालें इससे शरीर पर गलत और हानिकारक अंजाम होते हैं. बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करने के बाद आपका ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है ऐसे में सिर पर पानी डालना नुकसान देह साबित होता है . इसलिए सर पर पानी डालकर अपने दिमाग की गर्मी शांत ना करें. इसके अलावा डाइटिंग करके लोग जल्दी से जल्दी पतले होना चाहते हैं या गलत दवाइयां का इस्तेमाल करते हैं ताकि उनका वेट जल्द से जल्द कम हो जाए ऐसा करने से भी शरीर पर गलत प्रभाव पड़ता है. बजाय इसके अगर घर का बना खाना खाएंगे भूखे रहने के बजाय सही डाइट लेंगे तो आप आराम से घर बैठे भी पतले हो सकते हैं.

मेरी दादी रोज सुबह दो चम्मच देसी घी खाती थी और वह 98 साल तक जिंदा रही. कहने का मतलब ये है देसी घी, बादाम अखरोट का सेवन भी जरूर करे ये आपको शारीरिक तौर पर मजबूत करता है. और किसी भी बीमारी से लड़ने की आपके शरीर में पर्याप्त ऊर्जा और क्षमता रहती है. कहने का मतलब यह है कि अगर आपको लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन जीना है तो आपको अनुशासन के साथ सही मार्ग पर चलकर अपने आप को खुद ही मानसिक और शारीरिक तौर पर फिट रखना होगा. और तभी आप दिल की बीमारी या किसी और भयानक बिमारी से अपने आप को बचा सकते है और पूरी तरह फिट रह सकते है .

शरीर में हो रहे इन बदलावों को भूलकर भी न करें इग्नोर, हो सकते हैं हार्ट अटैक के ये संकेत

हार्ट अटैक एक बहुत ही गंभीर समस्या है. इस स्थिति में धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं और ह्दय की मांसपेशियों में ब्लड फ्लो ठीक से नहीं हो पाता, ऐसे में क्लॉटिंग होना शुरू हो जाती  है. इस क्लॉटिंग की वजह से खून को ह्दय तक पहुंचने में कठिनाई होती है और इसे ऑक्सीजन नहीं मिल पाती.  वैसे हार्ट अटैक के एक लक्षण से हम सभी लगभग वाकिफ हैं.

अचानक और तेजी से सीने में दर्द होना और दर्द हाथ से नीचे तक फैल जाना. लेकिन हार्ट अटैक की स्थिति के लिए केवल इस एक संकेत को ही समझना काफी नहीं है बल्कि और भी कई ऐसे चेतावनी संकेत हैं, जो हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार हैं. नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट के अनुसार, यूएस में लगभग 5.7 मिलियन लोगों को हार्ट फेलियर की समस्या है. वर्तमान में इसका कोई खास इलाज नहीं है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव और दवाओं जैसे उपचार जीवन की गुणवत्ता के मामले में बदलाव ला सकते हैं. कई स्थितियों के लिए आप इसके संकेतों को जितनी जल्दी समझ लेंगे, उतनी ही जल्दी इसे नियंत्रित किया जा सकेगा. यहां ऐसे 6 संकेत दिए गए हैं, जो बताएंगे कि आपका दिल अब पहले की तरह काम नहीं कर रहा और यह स्थिति हार्ट अटैक की संभावना को बढ़ा रहे है. तो आइए जानते हैं हार्ट अटैक के 6 मुख्य संकेतों के बारे में.

1. सांस न ले पाना-

जब कार्यक्षमता की बात आती है, तो दिल और फेफड़ों का बहुत अहम रोल होता है. दिल का दाहिना भाग ऑक्सीजन की कमी वाले ब्लड को लेता है और उसे फेफड़ों में पंप करता है, ताकि उसे ऑक्सीजन की ताजगी मिल सके. डॉक्टर कहते हैं कि सांस की परेशानी हार्ट अटैक का मुख्य संकेत है. इसका मतलब है कि आप कितनी भी गहरी सांस लें, आपको ऐसा नहीं लगता कि आपको पर्याप्त ऑक्सीजन मिल रही है.

2. पैरों में सूजन आ जाना-

जब आपका दिल ठीक से काम नहीं करता, तो यह लंग्स में कम ब्लड पंप करता है . इसका असर सबसे पहले आपके शरीर के निचले हिस्से में दिखाई देता है, जिसे एडिमा भी कहते हैं. यह आपके पैरों को प्रभावित करता है. यदि आप सूजी हुई उंगली को दबाते हैं और इसका असर कई सैकंड तक रहता है, तो यह एडिमा का संकेत है.

3. अचानक वजन बढ़ जाना-

अगर आपका वजन तेजी से बढ़ रहा है, तो इसे फैट समझने की गलती मत कीजिए. हो सकता है कि आपके पेट में किसी तरह के तरल पदार्थ का निर्माण हो रहा हो. विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसा अचानक हो सकता है कि कुछ ही दिनों में आपका वजन पांच किलो तक बढ़ जए.

4. हर समय थकावट महसूस करना-

हार्ट फेलियर के दौरान शरीर जिस तरह से कंपेन्सेट करता है, ब्लड को मास्तिष्क और मांसपेशियों में पहुंचने में दिक्कत होती है. इससे कमजोरी और थकान महसूस हो सकती है.

5. भ्रमित महसूस करना-

हार्ट फेल की समस्या सकुर्लेशन के कारण होती है. जब आपके मास्तिष्क में ठीक से ब्लड नहीं पहुंच पाता, तो आपको हल्के चक्कर , एकाग्रता में कमी और भ्रमित होने का अनुभव कर सकते हैं. गंभीर मामलों में आपको बेहोशी जैसी महसूस हो सकती है.

6. हमेशा हाथ और पैरों का ठंडा रहना-

लोगों के हाथ और पैर ठंडे होना आम बात है. लेकिन अगर अचानक से आपके हाथ और पैर ठंडे हो गए हैं और मौजे पहनने के बाद भी यह गर्म नहीं हो रहे, तो यह हार्ट फेलियर का संकेत हो सकता है. डॉक्टर्स का कहना है कि इस तरह के लक्षणों से बचने के लिए रात में अपना सिर ऊपर उठाकर सोएं, ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं और धूम्रपान से परहेज करें.

यदि हार्ट अटैक के लक्षण मामूली हैं, तो आपको जितनी जल्दी हो सके दिल की जांच करानी चाहिए. इससे आप दिल के दौरे से काफी हद तक बच सकते हैं.

सर्दियों में बढ़ता हार्ट अटैक का खतरा, जानें क्यों

ठंड का मौसम खुशियों का मौसम होता है, इस खुशनुमा मौसम का मतबल है ढेर सारे त्‍यौहार, छुट्टियां और कई और चीजें. सर्दियों का यह मौसम बच्‍चों और बुजुर्गों की सेहत के लिये परेशानी खड़ी कर कर सकता है, ठंड का यह मौसम अपने साथ हमेशा ही कुछ चुनौतियां और सेहत से जुड़े खतरे लेकर आता है, खासकर बुजुर्गों के लिये. वातावरण में काफी बदलाव होने की वजह से बुजुर्गों के लिये एक सामान्‍य जीवनशैली का पालन कर पाना मुश्किल हो जाता है.

बुजुर्ग जब युवा होते हैं तो उसकी तुलना में इस उम्र में बौडी हीट जल्‍दी खो देते हैं. शरीर में होने वाला बदलाव उम्र बढ़ने के साथ आता है, जिससे आपके लिये ठंड महसूस होना ज्‍यादा मुश्किल हो सकता है. इससे पहले कि बुजुर्ग व्‍यक्ति को कुछ पता चले कि आखिर क्‍या हो रहा है, बहुत ज्‍यादा ठंड खतरनाक समस्‍याओं में बदल सकता है.

ठंड के मौसम में दिल का दौरा पड़ने का खतरा क्‍यों बढ़ जाता है

1. अध्‍ययनों में यह बात सामने आयी है कि अगर आपको पहले भी दिल का दौरा पड़ चुका है, आपको दिल की बीमारी है या आपकी उम्र 65 साल से ज्‍यादा है तो खासतौर से ठंड का मौसम खतरनाक हो सकता है.

2. ठंड का मौसम ब्‍लड प्रेशर और कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर को बढ़ा सकता है- ये दोनों ही दिल के दौरे के लिये जोखिम का कारण हैं.

3. इससे दिल को नुकसान पहुंचाने वाले ब्‍लड की क्‍लॉटिंग भी हो सकती है

3. जैसे ही तापमान नीचे गिरता है, आपकी रक्‍त वाहिकाएं सख्‍त हो जाती हैं और आपके शरीर को गर्म रखने के लिये रक्‍त का संचार तेज हो जाता है.

स्‍वीडन के 274,000 लोगों का निरीक्षण करने के बाद, ‘JAMA कार्डियोलॉजी’ में प्रकाशित अध्‍ययन में यह बात सामने आयी है कि जब तापमान काफी कम हो जाता है तो दिल का दौरा पड़ने का खतरा बहुत ज्‍यादा बढ़ जाता है.

बचाव

कमजोर दिल वालों को खासतौर से ठंड के मौसम में सतर्क रहना चाहिये. उन्‍हें नियमित रूप से एक्‍सरसाइज करनी चाहिये, हालांकि उन्‍हें इसके समय में बदलाव करना चाहिये, यानी बहुत ठंड में जाने से बचें. ‘अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन’ के अनुसार, जिन बुजुर्गों को कार्डियोवेस्‍कुलर समस्‍याएं हैं उन पर ठंड का विपरीत प्रभाव पड़ सकता है. कम तापमान और हवाओं के कारण बॉडी हीट कम हो जाती है, रक्‍त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, पूरे शरीर तक ऑक्‍सीजन पहुंचना मुश्किल हो जाता है.

‘अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन’ सलाह देता है कि बुजुर्गों को गर्मी को बनाये रखने के लिये और इंसुलेशन प्रदान करने के लिये परतों में कपड़े पहनने चाहिये. पतली काया वाले बुजुर्गों को ठंड संबंधी कार्डियोवेस्‍कुलर समस्‍याओं का खतरा ज्‍यादा रहता है, क्‍योंकि उनमें गर्मी देने के लिये और रक्‍त संचार को बनाये रखने के लिये पर्याप्‍त फैट नहीं होता है. इस बात का पता होना अच्‍छा है कि किन बातों का ध्‍यान रखना चाहिये और किस चीज की उम्‍मीद की जानी चाहिये, ताकि इस मौसम में आप स्‍वस्‍थ रह सकें या बुजुर्ग की सेहत पर नज़र रख सकें:

1. खुद को गर्म रखें, ठंड से बचें

2. नमक और पानी की मात्रा का सेवन कम कर देना चाहिये ताकि ज्‍यादा पसीना ना निकले

3. जरूरत से ज्‍यादा ना खायें

4. शराब सीमित मात्रा में लें

5. जरूरत से ज्‍यादा काम ना करें

6. नियमित रूप से बीपी पर नज़र रखें और अगर यह बढ़ता है तो इसका सही रूप में इलाज होना चाहिये

7. इंफेक्‍शन से बचना एक और महत्‍वपूर्ण पहलू है और इस मौसम के शुरू होने से पहले इंफ्लुएंजा और निमोनिया की वैक्‍सीन लगवा लेनी चाहिये ताकि छाती में होने वाले संक्रमण से बचा जा सके.

8. अगर इंफेक्‍शन के लक्षण नज़र आते हैं तो एंटीबायोटिक्‍स के साथ तत्‍काल इलाज करना चाहिये.

9. जो दवाएं बतायी गयी हैं उन्‍हें जरूर लें.

10. अगर आपको अच्‍छा महसूस होने लगा है तो भी दवा लेना ना छोड़ें

11. जिस डौक्‍टर से इलाज करवा रहे हैं उन्‍हें किसी भी तरह के साइड इफेक्‍ट के बारे में तुरंत बतायें.

डौ. के एस सुब्रमणि, MBBS, MD, DM, FESC, FICC सी‍नियर कंसल्‍टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलौजिस्‍ट कंसल्‍टेंट- मेडल क्‍लूमैक्‍स, बेंगलुरू से बातचीत पर आधारित.

Health Tips: हार्ट का बदलते मौसम से क्या है कनैक्शन

एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सब से ज्यादा मौतें दिल की बीमारियों से होती हैं और जलवायु परिवर्तन से अधिक सर्दी और अधिक गरमी पड़ने पर इस का सीधा असर इंसान के दिल पर पड़ता है. आंकड़ों पर गौर करें तो स्ट्रोक, दिल, कैंसर और सांस की बीमारियों से दुनियाभर में होने वाली कुल मौतों की हिस्सेदारी दोतिहाई है.

अधिक गरमी को सहने की होती है क्षमता

इस बारे में नवी मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हौस्पिटल के कंसलटैंट कार्डियोलौजी डा. महेश घोगरे कहते हैं कि हमारे शरीर में अपने तापमान को नियंत्रित करने की प्राकृतिक क्षमता होती है. इस प्रक्रिया को थर्मोरैग्युलेशन कहा जाता है, जिसे हाइपोथैलेमस द्वारा नियंत्रित किया जाता है, मस्तिष्क का एक हिस्सा आंतरिक शरीर के तापमान को बनाए रखने के लिए थर्मोस्टेट के रूप में लगातार कार्य करता है.

व्यायाम या गरमी आदि के कारण जब शरीर का तापमान बढ़ जाता है तब हाइपोथैलेमस, पसीना और वासोडिलेशन या रक्तवाहिकाओं को चौड़ा कर के गरमी को बाहर निकालता है और शरीर को ठंडा करता है. ठंड के मौसम में जब शरीर का तापमान गिर जाता है तो हाइपोथैलेमस शरीर में गरमी को बचाने और शरीर को गरम करने के लिए शिवरिंग को ट्रिगर करता है और रक्तवाहिकाओं को संकुचित करता है. यह स्वचालित प्रक्रिया शरीर के एक स्थिर कोर तापमान को बनाए रखने में मदद करती है और यह सुनिश्चित करती है कि शरीर के अंग और प्रणालियां ठीक से काम करें.

तापमान का पड़ता है असर

डाक्टर आगे कहते है कि तापमान में अचानक बदलाव हृदय पर दबाव डाल सकता है. अत्यधिक तापमान में शरीर ठंडा या गर्म करने के लिए रक्त प्रवाह को त्वचा की ओर मोड़ा जाता है. इस से रक्त वाहिकाएं फैल या सिकुड़ जाती हैं, जिस से हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है. उदाहरण के तौर पर, गर्म मौसम में, शरीर को ठंडा करने के लिए त्वचा में रक्त पंप करने के लिए हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिस से हृदय की गति और रक्तचाप बढ़ता है.

इस के अलावा अत्यधिक गरमी में थकावट और हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है, साथ ही हृदय पर अतिरिक्त बो?ा भी पड़ता है. इस से दिल के दौरे, हृदय की धड़कन अनियमित होना और हार्ट फेल्योर की संभावना बढ़ सकती है.

इसी तरह ठंड के मौसम में हृदय को शरीर में गरमी बनाए रखने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिस से रक्तचाप बढ़ जाता है.

अध्ययनों में पता चला है कि बढ़ते तापमान और कार्डियोवैस्क्युलर वजहों से होने वाली मौतों के जोखिम के बीच एक लिंक है. अधिकतम कार्डियोवैस्क्युलर मौतें 35 से 42 डिग्री सैल्सियस के बीच के तापमान में होती हैं. हाल ही के एक अध्ययन में पाया गया है कि हर 100 कार्डिओवैस्क्युलर मौतों में से 1 मौत के केस में इस्केमिक हृदय रोग, स्ट्रोक, हार्ट फेल्योर या एरिथमिया का कारण अत्यधिक गरमी या ठंड हो सकता है.

डा. महेश का कहना है कि का जिन्हें कोरोनरी धमनी की बीमारी, हाइपरटैंशन या हार्ट फेल्योर आदि बीमारियां पहले से हैं, उन के लिए तापमान में अचानक बदलाव होना काफी ज्यादा खतरनाक हो सकता है. इस से हार्ट अटैक ट्रिगर हो सकता है या हार्ट फेल्योर के लक्षण बढ़ सकते हैं. अत्यधिक गरमी में पसीना ज्यादा आने से शरीर में से फ्लूइड कम हो सकता है, जिस से डिहाइड्रेशन और लो ब्लड प्रैशर हो सकता है. यह हृदय के लिए हानिकारक हो सकता है. बहुत ज्यादा ठंड में शरीर शौक में जा सकता है, जिस से रक्तवाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, हृदय और अन्य अंगों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है.

सुबहसुबह दिल का दौरा

ज्यादातर हार्ट अटैक सुबह के समय आते हैं, इस गलतफहमी के पीछे का सच जान लेना भी आवश्यक है. यह सच है कि कुछ अध्ययनों के अनुसार सुबह के समय हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है, लेकिन यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हुआ है. कुछ रिसर्च का मानना है कि यह शरीर की प्राकृतिक सर्कैडियन लय (यानी शारीरिक, मानसिक और व्यवहार के प्राकृतिक चक्र में परिवर्तन होना, जिस से शरीर 24 घंटे के चक्र में गुजरता है.

सर्कैडियन लय ज्यादातर प्रकाश और अंधेरे से प्रभावित होती है और मस्तिष्क के मध्य में एक छोटे से क्षेत्र द्वारा नियंत्रित होती है.) के कारण होता है, जो रक्त के क्लौट होने के तरीके को प्रभावित करती है. कुछ रिसर्चर मानते हैं कि सुबह में कोर्टिसोल और ऐड्रेनालाइन जैसे हारमोन का बढ़ना इस की वजह हो सकती है.

हृदयरोगियों को ये सावधानियां बरतनी चाहिए:

  •   सुबह भागदौड़ करने से बचें.
  • खुद को दिन के लिए तैयार होने के लिए पर्याप्त समय दें.
  • दवा निर्धारित समय पर लें.
  • संतुलित आहार और नियमित व्यायाम सहित अपनी जीवनशैली को स्वस्थ बनाए रखें.
  • किसी भी संभावित रिस्क से बचने के लिए हमेशा डाक्टर की सलाह लें. डाक्टर की सलाह के बिना.
  • अपने मन से दवा न लें वरना इस के गंभीर परिणाम हो सकते हैं.

जानें क्या है सडन कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक के बीच अंतर 

दो हृदय विकार मौत का कारण बन सकते हैं, और वे हैं – हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट. इन दोनों समस्याओं को लेकर अक्सर भ्रम की स्थिति देखी जाती है और कई बार इन्हें एक ही समस्या मान लिया जाता है. लेकिन ये दो स्वास्थ्य समस्याएं एक-दूसरे से पूरी तरह से कैसे  अलग हैं. बता रहे हैं …डॉ राकेश कुमार जायसवाल – निदेशक और एचओडी कार्डियोलॉजी, फोर्टिस अस्पताल, मोहाली, कार्डिएक साइंसेज. इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी.

हार्ट अटैक क्या है?

दो कोरोनरी धमनियां – बाई कोरोनरी धमनी, दाईं कोरोनरी धमनी और उसकी सहायक धमनी हृदय को रक्त पहुंचाती हैं. जब इन ब्रांच में से कोई ब्लॉक हो जाती है तो हृदय की मांसपेशियों के लिए रक्त प्रवाह रुक जाता है. इस वजह से हार्ट अटैक होता है. हार्ट जिस हिस्से को ब्लॉक्ड धमनी द्वारा रक्त की आपूर्ति की गई हो और उसे जल्द अनब्लॉक्ड नहीं किया जाए तो उस हिस्से को नुकसान होने लगता है. उपचार नहीं होने पर यह नुकसान बढ़ जाता है.

हार्ट अटैक से तुरंत गंभीर लक्षण सामने आ सकते हैं. हालांकि कई बार, हार्ट अटैक से पहले लक्षण दिखने में कई घंटे, दिन या सप्ताह भी लग जाते हैं. कार्डियक अरेस्ट के विपरीत, हार्ट अटैक के दौरान दिल सामान्य रूप से धड़कता रहता है. महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों से अलग हो सकते हैं.

सडन कार्डियक अरेस्ट क्या है?

सडन कार्डियक अरेस्ट अचानक और बार बार होता है. इसमें दिल में इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी की वजह से धड़कन अनियमित हो जाती है. जब दिल की रक्त पम्प करने की क्षमता प्रभावित होती है तो वह मस्तिष्क, फेफड़ों और अन्य अंगों तक रक्त पहुंचाने में सक्षम नहीं रहता है. व्यक्ति कुछ ही सेकंड में होश खो बैठता है और उसकी नाड़ी काम करना बंद कर देती है. यदि ऐसे में व्यक्ति का सही से उपचार न हो पाए तो उसकी कुछ ही मिनटों में मौत हो जाती है.

कौन से कारण हार्ट अटैक को बढ़ावा देते हैं?

हार्ट अटैक के मुख्य कारण हैंः

  1. धूम्रपान करना
  2. शराब पीना
  3. अधिक उम्र
  4. अस्वस्थ खानपान की आदत
  5. आनुवंशिक प्रवृत्ति
  6. खराब कार्यशैली
  7. मोटापा

 कौन से कारण कार्डियक अरेस्ट को बढ़ावा देते हैं?

कार्डियक अरेस्ट को बढ़ावा देने वाले मुख्य कारण हैंः

  1. इलेक्ट्रिक सेल में असंतुलन
  2. कमजोर दिल
  3. हृदय की मांसपेशियों से संबंधित समस्याएं, जैसे कार्डियोमायोपैथी
  4. इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन- शरीर के पोटेशियम स्तर में अचानक कमी या वृद्धि
  5. छाती को अचानक झटका
  6. बेहद तेज या धीमी गति
  7. आनुवंशिक प्रवृत्ति
  8. हार्ट अटैक के बाद, अपर्याप्त रक्त प्रवाह से भी सडन कार्डियक अरेस्ट की समस्या बढ़ सकती है. यह एक ऐसी चिकित्सकीय समस्या है, जिसमें शरीर का प्रवाह और ऑक्सीजन में कमी आ जाती है.

हम ‘हार्ट अटैक’ और ‘कार्डियक अरेस्ट’ शब्दों का इस्तेमाल अब इस भरोसे के साथ कर सकते हैं कि हम इनके बीच मुख्य अंतर को समझ गए हैं. जहां जिंदगी का आनंद उठाना, नए अवसर तलाशना और अमूल्य यादें बनाना महत्वपूर्ण है, वहीं आपको अपने दिल का भी खयाल रखना चाहिए और हार्ट-हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना चाहिए. लंबी जिंदगी के लिए, इससे निःसंदेह ही हृदय संबंधित रोगों को रोकने में मदद मिलेगी.

आखिर क्या है अंतर हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट में, जानें यहां

53 साल के मशहूर सिंगर केके यानि कृष्णकुमार कुन्नथअब हमारे बीच नहीं है. कोलकाता कॉन्सर्ट के दौरान वे थोड़ी असहज महसूस कर रहे थे. इसके बावजूद उन्होंने करीब घंटे भर के अपने शो को पूरा किया और कॉन्सर्ट से होटल जाते हुए उनकी तबियत बिगड़ी और वे गिर पड़े. अस्पताल जाने के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया. पुलिस को इंतजाम में किसी गड़बड़ी का शक था, तो किसी को ये हार्ट अटैक की संभावना बताई गयी, जबकि अंतिम पोस्टमार्टम और ऑटोप्सी के अनुसार गायक की मौत के कारण के रूप में ‘मायोकार्डियल इंफाक्र्शन’बताया गया.

ऐसी ही एक घटना मुंबई की पॉश एरिया में 38 साल के एक व्यक्ति की हुई. ऑफिस से घर लौटने पर उसकी पत्नी और बेटी ने उसकी घबराहट को देखा, उन्हें हवा के नीचे बैठाकर पानी दिया, व्यक्ति पानी पीने से पहले उसका गिलास हाथ से गिर गया और वह बेहोश हो गया. तुरंत डॉक्टर को भी बुलाया गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. इस व्यक्ति के पीछे घरेलू हाउसवाइफ और 2 छोटी-छोटी बेटियां बिना किसी सहारे के रह गई.

मायोकार्डियल इंफार्क्शन (एमआई) को साधारणत: हार्ट अटैक कहा जाता है, जब हार्ट में ब्लड फ्लो कम होने लगता है या हार्ट की कोरोनरी आर्टरी बंद हो जाती है, तब ऐसी अवस्था होती है. इस रोग में हृदय की धमनियों के भीतर एक प्लेक सा पदार्थ जमने लगता है, जिसकी वजह से ये धमनियां सिकुड़ने लगती है और हृदय तक खून का पहुंचना बंद हो जाता है.

क्या है अंतर

बहुत से लोग अक्सर हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट को समानार्थी समझ लेते है, लेकिन इन दोनों स्थितियों में काफी अंतर होता है. कुछ लोग कार्डियक अरेस्ट का मतलब दिल का दौरा समझ लेते है, परन्तु दिल का दौरा पड़ने का मतलब होता है हार्ट अटैक आना. दिल का दौरा तब होता है, जब हृदय में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता हैऔर कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब मनुष्य का हृदय अचानक कार्य करना बन्द कर देता है, जिससे दिल का धड़कना भीअचानक बंद हो जाता है.कार्डियक अरेस्ट, हार्ट अटैक की तुलना में अधिक घातक होता है, क्योंकि कार्डिएक अरेस्ट में व्यक्ति को बचाने का समय बहुत कम मिल पाता है.

बने जागरूक

इस बारें मेंमुंबई की कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल की कार्डियोलोजिस्ट डॉ. प्रवीण कहाले कहते है कि दिल का दौरा (हार्ट अटैक) तब होता है, जब हृदय की धमनियों, यानि रक्त वाहिकाएं, जो हृदय की मांसपेशियों को पंप करने के लिए ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करती है उनमे से एक ब्लॉक हो जाती है. ह्रदय मांसपेशी को उसका कार्य सुचारु रूप से कर पाने के लिए सबसे ज़रूरी होता है रक्त, लेकिन धमनी के ब्लॉक हो जाने पर वह नहीं मिल पाता हैऔर अगर इसका इलाज समय पर नहीं किया गया, तो पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से ह्रदय मांसपेशी का कार्य बंद पड़ने लगता है. जब किसी व्यक्ति का हृदय रक्त पंप करना बंद कर देता है तब ह्रदय की गति रुक जाती है, जिसे कार्डियक अरेस्ट कहते है.यह व्यक्ति सामान्य रूप से सांस नहीं ले पाता है. वयस्कों में कार्डियक अरेस्ट बहुत बार दिल के दौरे की वजह से होता है.जब दिल का दौरा पड़ता है, तब ह्रदय की धड़कन में खतरनाक अनियमितता आ जाती है, जिससे कार्डियक अरेस्ट हो सकता है. कमज़ोर ह्रदय वाले लोगों को यह तकलीफ होती है, यानि उनके ह्रदय की पंपिंग क्षमता (इजेक्शन फ्रैक्शन) बड़े पैमाने पर कम हो जाती है (35% से कम) इसे अचानक होने वाली ‘कार्डियक डेथ’ भी कहा जाता है.

दिल के दौरे के लक्षण

चेस्ट में बेचैनी

दिल के दौरों की ज़्यादातर केसेस मेंचेस्ट के बीचोबीच बेचैनी महसूस होती है, जो कई मिनटों तक रहती है, फिर दूर होती है और फिर से होने लगती है. बेचैन कर देने वाला दबाव, छाती को निचोड़ा जा रहा हो, ऐसा दर्द, छाती भरी भरी सी महसूस होना या छाती में दर्द होना, इनमें से कुछ भी हो सकता है.

शरीर के दूसरे हिस्सों में बेचैनी

दोनों या किसी एक हाथ में, पीठ, गर्दन, जबड़े या पेट में दर्द या बेचैनी होना.

सांस लेने में तकलीफ

छाती में बेचैनी के साथ-साथ सांस लेने में तकलीफ होना दिल के दौरे का एक लक्षण हो सकता है.कई दूसरे लक्षण जिसे अधिकतर व्यक्ति समझ नहीं पाते, जिसमें बहुत सारा पसीना निकलना, मतली या चक्कर आना.

पुरुषों और महिलाओं में लक्षण कई बार अलगअलग हो सकते है, इसलिए इसे भी जान लेना जरुरी है.
पुरुषों की तरह महिलाओं में भी दिल के दौरे का सबसे प्रमुख लक्षण, छाती में दर्द या बेचैनी होना, लेकिन इसके दूसरे लक्षण पुरुषों से अधिक महिलाओं में दिखाई पड़ते है,जिसमे खास कर सांस लेने में तकलीफ, मतली, उल्टी होना, पीठ और जबड़े में दर्द आदि.

कार्डियक अरेस्टे (cardiac arrest) में अचानक दिल का काम करना बंद हो जाता है. कार्डियक अरेस्टेकिसी लंबी या पुरानी बीमारी का हिस्साक नहीं है, इसलिए कार्डियक अरेस्टा को दिल से जुड़ी बीमारियों में सबसे खतरनाक माना जाता है. लोग अकसर इसे दिल का दौरा पड़ना (heart attack) समझते है. इस बारें में डॉ.प्रवीण कहते है कि इसके लक्षण को जानना बहुत जरुरी है.

कार्डियक अरेस्ट के लक्षण

• अचानक होश खो देना और उसे हिलाने पर भी वह कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दे पाता है,

• सामान्य रूप से सांस न ले पाना,

• अगर कार्डिएक अरेस्ट के व्यक्ति का सिर उठाकर कम से कम पांच सेकंड्स तक देखते है, तो पता चलेगा कि वह सामान्य तरीके से सांस नहीं ले पा रहे है. अगर किसी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट पड़ रहा है, तो तुरंत कुछ उपाय कर सकते है, जो निम्न है.

क्या करें अचानक उपाय

• कार्डियक अरेस्ट होते ही उस व्यक्ति को सुरक्षित स्थिति में रखें, उसकी प्रतिक्रिया की जांच करे,

• अगर उसकी प्रतिक्रियां महसूस नहीं कर पा रहे है, तो तुरंत मदद के लिए चिल्लाएं, अपने आस-पास के किसी व्यक्ति को अपने इमरजेंसी नंबर पर कॉल करने के लिए कहे,इसके अलावा उस व्यक्ति को एईडी (ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर) लेकर आने को कहे, उन्हें जल्दी करने के लिए कहे, क्योंकि इसमें समय बहुत महत्वपूर्ण होता है. यदि आप किसी ऐसे वयस्क के साथ अकेले है,जिन्हें कार्डियक अरेस्ट के लक्षण दिखाई दे रहे है,तो इमरजेंसी नंबर पर कॉल करन सबसे जरुरी होता है.

• उस व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ, सिर्फ हांफ रहा है , सांस नहीं ले पा रहा है, तो कम्प्रेशन के साथ सीपीआर देना शुरू करें.

• हाई क्वालिटी सीपीआर देना शुरू करे, अपने हाथों को मिलाकर छाती को बीचोबीच रखें और छाती कम से कम दो इंच भीतर जाए, इस प्रकार दबाएं. एक मिनट में 100 से 120 बार दबाया जाना चाहिए. हर बार दबाए जाने के बाद छाती को उसकी सामान्य स्थिति में आने दें.

• एईडी का इस्तेमाल करें, जैसे ही एईडी आता है, उसे शुरू करें और संकेतों का पालन करें.

• सीपीआर देना जारी रखें. जब तक वह व्यक्ति सांस लेना या हिलना शुरू न कर दे, या ईएमएस टीम सदस्य जैसा अधिक उन्नत प्रशिक्षण लिया हुआ कोई व्यक्ति जब तक वहां न पहुंचे, तब तक सीपीआर को जारी रखना पड़ता है.

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..तो आने वाला है हार्ट अटैक

हार्ट अटैक कभी भी अचानक आ सकता है, लेकिन कुछ लक्षण हैं, जो हार्ट अटैक के 1 महीने पहले नजर आने लगते हैं.  अगर आपको भी नजर आते हैं यह 6 लक्षण तो सावधान हो जाएं, क्योंकि आप हार्ट अटैक के शि‍कार हो सकते हैं. अभी जानिए इन लक्षणों को, ताकि हार्ट अटैक से बचा जा सके.

1. सीने में असहजता

यह दिल के दौरे के लिए जिम्मेदार लक्षणों में से एक है. सीने में होने वाली किसी भी प्रकार की असहजता आपको दिल के दौरे का शि‍कार बना सकती है. खास तौर से सीने में दबाव या जलन महसूस होना. इसके अलावा भी अगर आपको सीने में कुछ परिवर्तन या असहजता का अनुभव हो, तो तुरंत अपने चिकित्सक से सलाह लें.

2. थकान

बगैर किसी मेहनत या काम के थकान होना भी हार्ट अटैक की दस्तक हो सकती है. जब हृदय धमनियां कोलेस्ट्रॉल के कारण बंद या संकुचित हो जाती हैं, तब दिल को अधि‍क मेहनत करने की आवश्यकता होती है, जिससे जल्द ही थकान महसूस होने लगती है. ऐसी स्थि‍ति में कई बार रात में अच्छी खासी नींद लेने के बाद भी आप आलस और थकान का अनुभव करते हैं, और आपको दिन में भी नींद या आराम की जरुरत महसूस होती है.

3. सूजन

जब दिल को शरीर के सभी आंतरिक अंगों में रक्त पहुंचाने के लिए अधि‍क मेहनत करनी पड़ती है, तो शि‍राएं फूल जाती हैं और उनमें सूजन आने की संभावना बढ़ जाती है. इसका असर खास तौर से पैर के पंजे, टखने और अन्य हिस्से में सूजन के रूप में नजर आने लगता है. इसके कभी-कभी होंठों की सतह पर नीला होना भी इसमें शामिल है.

4. सर्दी का बना रहना

लंबे समय तक सर्दी या इससे संबंधि‍त लक्षणों का बना रहना भी दिल के दौरे की ओर इशारा करता है. जब दिल, शरीर के आंतरिक अंगों में रक्तसंचार के लिए ज्यादा मेहनत करता है, तब रक्त के फेफड़ों में स्त्रावित होने की संभावना बढ़ जाती है. सर्दी में कफ के साथ सफेद या गुलाबी रंग का बलगम, फेफड़ों में स्त्रावित होने वाले रक्त के कारण हो सकता है.

5. चक्कर आना

जब आपका दिल कमजोर हो जाता है, तो उसके द्वारा होने वाला रक्त का संचार भी सीमित हो जाता है. ऐसे में दिमाग तक आवश्यकता के अनुसार ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती, जिससे निरंतर चक्कर आना या सिर हल्का होना जैसी समस्याएं होने लगती हैं. यह हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार एक गंभीर लक्षण है, जिस पर आपको तुरंत ध्यान देना चाहिए.

6. सांस लेने में दिक्कत

इनके अलावा सांस लेने में अगर आपको किसी प्रकार का परिवर्तन या कमी का एहसास होता है, तो यह भी दिल के दौरे का लक्षण हो सकता है. जब दिल अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाता तो फेफड़ों तक उतनी मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती जितनी आवश्यकता होती है. इस वजह से सांस लेने में कठिनाई होती है. अगर आपके साथ भी ऐसा ही कुछ होता है, तो बगैर देर किए डॉक्टर को जरूर दिखाएं.

इन 6 लक्षणों में से किसी लक्षण के सामने आने या महसूस होने पर तुरंत अपने डॉक्टर को जरूर दिखाएं या फिर यथासंभव सलाह लें.

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इन 6 वार्निंग सिग्नल्स न करें अनदेखा

वार्निंग का अर्थ है किसी आने वाले खतरे की निशानी. हम अपने आसपास होने वाली हर हरकत का ध्यान रखते हैं और यदि हमें किसी चीज की हलकी सी भी वार्निंग मिलती है, तो हम उस से दूर हो जाते हैं ताकि हमें किसी तरह का नुकसान न पहुंचे. लेकिन जब यही बात जुड़ी होती है हमारी सेहत से तो हम कई वार्निंग सिग्नल्स यानी खतरे की निशानियों को अनदेखा कर देते हैं. अगर सीने में हलका सा दर्द हो तो हम यह सोच कर उसे अनदेखा कर देते हैं कि शायद गैस का दर्द हो. हम यह सोचना भी नहीं चाहते कि यह दिल से जुड़ी किसी बीमारी का लक्षण भी हो सकता है. हमारी यही असावधानियां हमें बीमारी की ओर धकेल देती हैं. प्राइमस सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल के डा. अनुराग सक्सेना के अनुसार हमारा शरीर हमारे स्वास्थ्य से जुड़ी हर बीमारी का हमें वार्निंग सिग्नल देता है और दिल से जुड़ी बीमारियों के कई वार्निंग सिग्नल्स होते हैं जैसे:

चिंता: अधिक चिंता दिल से जुड़ी बीमारी का एक मुख्य कारण है. ऐसी स्थिति में कभीकभी इंसान को इतनी तकलीफ होती है कि उस से उसे मृत्यु होने का आभास होने लगता है.

सीने में बेचैनी: सीने में बेचैनी और दर्द का आभास खतरे की घंटी है. यह दिल से जुड़ी बीमारी का एक लक्षण है. परंतु हर किसी के मामले में नहीं. जो दर्द हृदयरोग से संबंधित होता है वह अकसर छाती की बाईं ओर होता है. उस समय मनुष्य को ऐसा महसूस होता है मानों सीने पर भारी सामान रख दिया हो.

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खांसी: अधिक खांसी दिल के दौरे का एक मुख्य लक्षण है. इस का मुख्य कारण है फेफड़ों में तरल पदार्थ का जमा होना. कुछ मामलों में दिल की विफलता के साथ खून की उलटी भी होती है.

चक्कर आना: चक्कर आना भी दिल के दौरे के लक्षण है. इस से चेतना की हानि होती है.

थकान: विशेष रूप से महिलाओं के बीच असामान्य थकान दिल का दौरा पड़ने के दौरान होने वाला एक लक्षण है. ऐसे समय पर डाक्टर से जरूर मिलें, क्योंकि जरूरी नहीं है कि थकान का सिर्फ यही कारण हो. अपनी दिनचर्या का भी खास खयाल रखें.

शरीर के अन्य भागों में दर्द: कुछ दिल के दौरों में दर्द सीने में शुरू होता है और कंधे, हाथ, कुहनी, पीठ, गरदन, जबड़े या पेट तक फैल जाता है. मगर कई बार सीने में दर्द नहीं होता. 1 या दोनों हाथों या कंधों के बीच के हिस्सों में दर्द होता है. अनियमित दिल की धड़कन: दिल की धड़कन के अनियमित होने के कई कारण हैं जैसे रक्तचाप बढ़ना, तेज चलना आदि. परंतु दिल की धड़कन का अनियमित होने का एक कारण दिल का दौरा भी है. इस के कई और भी लक्षण हैं जैसे सांस फूलना, पसीना आना, सूजन, दुर्बलता का एहसास होना आदि. कई ऐसी और बीमारियां भी हैं जो हमें वार्निंग सिग्नल्स देती हैं. उन में पैरालाइसिस भी एक है.

पैरालाइसिस का अर्थ है शरीर में हिलनेडुलने की क्षमता का खत्म हो जाना. पैरालाइसिस की बीमारी कई प्रकार की होती है. यह शरीर के अलगअलग भाग को प्रभावित करती है जैसे किसी के हाथों को तो किसी के पैरों को. किसीकिसी केस में पैरालाइसिस चेहरे को भी प्रभावित करता है.

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प्राइमस हौस्पिटल के मस्तिष्क रोग विशेषज्ञ डा. के.के. चौधरी के अनुसार पैरालाइसिस का मुख्य कारण ऐक्सीडैंट, शौक या ट्रामा होता है. ब्लडप्रैशर बढ़ने से भी इस का खतरा होता है. मस्तिष्क से जुड़ी और भी कई बीमारियां होती हैं, जिन का खास खयाल रखना चाहिए. इस के मुख्य लक्षण हैं ध्यान न लगा पाना, सिरदर्द, याददाश्त में कमी, व्यवहार में बदलाव, मांसपेशियों पर नियंत्रण की कमी आदि.  

– डा. अनुराग सक्सेना  प्राइमस सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल

जुड़ सकता है टूटा दिल

कभी किसी के प्यार या बिछोह में दिल टूटता है, तो कभी कोई विश्वासघात कर दिल तोड़ जाता है. किसी बेहद करीबी व्यक्ति की अचानक मृत्यु की खबर भी दिल तोड़ जाती है.

दिल से जुड़ी कोई बुरी खबर जब भी अचानक मिलती है, तो दिल की मांसपेशियां कुछ देर के लिए शिथिल हो जाती हैं. अचानक कोई खुशखबरी मिलने पर भी ऐसा ही होता है. इस के लक्षण कुछकुछ हार्ट अटैक जैसे ही होते हैं, लेकिन इसे मैडिकल की भाषा में ‘ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम’ कहा जाता है. सीने, गरदन व बाएं हाथ में दर्द और सांस फूलना आदि इस के लक्षण होते हैं, लेकिन कई बार यह समझने में दिक्कत आती है कि समस्या क्या है.

डाक्टरों के अनुसार कई बार पेशैंट को हार्ट अटैक का केस मान कर लाया जाता है, लेकिन जब ईसीजी और अल्ट्रासाउंड किया जाता है, तो पता चलता है कि दिल का बायां हिस्सा काम नहीं कर रहा. जबकि न तो दिल की धमनी में कोई रुकावट है और न ही ब्लड सर्कुलेशन में प्रौब्लम. सिर्फ बाएं हिस्से की मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं जोकि ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम की वजह से होता है.

दिल का टूटना फिल्मी बात लगती है, लेकिन यह सच है कि चिकित्सा विज्ञान भी मानता है कि दिल टूटता है. मैडिकल साइंस में इसे ‘ताकोत्सुबो कार्डियोपैथी’ कहते हैं. ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम की शिकार 90% महिलाएं 50 से 70 वर्ष के बीच की होती हैं. डाक्टर के अनुसार महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद ऐस्ट्रोजन हारमोन के स्तर में गिरावट आ जाती है. तब कोई अति दुखद और सुखद घटना घटने पर उन का ओटोनौमस नर्वस सिस्टम अधिक सक्रिय हो उठता है. इस से शरीर में बहुत अधिक मात्रा में स्ट्रैस हारमोन का स्राव हो उठता है और इसी के कारण हृदय की मांसपेशियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.

लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि पुरुषों का दिल पत्थर का होता है. अब वैज्ञानिक तौर पर यह बात साबित हो गई है कि पुरुषों के अंदर ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम मौजूद होता है. इस सिंड्रोम की मौजूदगी के चलते उन का दिल टूटने पर संभाले नहीं संभलता. पुरुषों में यह खतरा महिलाओं की तुलना में 6 गुना ज्यादा पाया गया है.

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क्या कहते हैं शोधकर्ता

ब्रिटिश शोधकर्ताओं के अनुसार पति या पत्नी की मृत्यु हो जाने पर 1 साल के भीतर उस के जीवनसाथी की भी मृत्यु हो जाने का खतरा बना रहता है, क्योंकि उस का दिल टूट जाता है. यह प्रभाव उन लोगों पर ज्यादा पड़ता है, जिन की शादी को काफी लंबा वक्त हो चुका होता है. लेकिन एक अच्छी बात यह है कि वियोग के 1 साल बाद मौत का खतरा घट जाता है. जापान के शोधकर्ताओं ने ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम का सब से पहली बार उल्लेख 1990 के शुरुआती दौर में किया था. प्रमुख शोधकर्ता डाक्टर रिचर्ड रेगनांटे ने कहा कि चोट खाए लोगों को संभालना और उन की पहचान करना हृदयरोग विशेषज्ञों और डाक्टरों के लिए मुश्किल हो सकता है. यह अध्ययन अमेरिकी जर्नल औफ कार्डियोलौजी में प्रकाशित हुआ है.

इस में यह भी कहा गया है कि टूटे दिल के लक्षण गरमियों और वसंत ऋतु में अधिक उभर कर सामने आते हैं, जबकि हृदयाघात अमूमन जाड़ों में होता है. इस अवस्था में रोगी को आईसीयू में कड़ी निगरानी में रखा जाता है. सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि डाक्टर को पता हो कि यह ब्रोकन हार्ट का मामला है ताकि वह हृदयाघात के लिए उपचार शुरू न कर दे. ऐसा करना खतरनाक हो सकता है. हृदय के बाएं हिस्से की मांसपेशियों में आई शिथिलता धीरेधीरे कुछ दिनों या कभीकभी कुछ सप्ताह में दूर हो जाती है. इस घटना के कारण मांसपेशी को कोई स्थायी नुकसान नहीं होता.

क्या करें

कहा जाता है खुशी बांटने से बढ़ती है और दुख बांटने से कम होता है. अपनी भावनाएं किसी के साथ शेयर करें. इस से मन में हलकापन महसूस होता है. अगर मन किसी बात से दुखी है तो रो कर अपना मन हलका करें. दर्द का गुबार आंसू बन कर बह जाएगा. तनाव की स्थिति में शौपिंग पर निकल जाएं या दोस्तों और परिवार वालों के साथ ऐंजौय करें. अगर डिप्रैशन ज्यादा महसूस हो रहा हो तो मनोचिकित्सक से संपर्क करें.

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प्यार की गरमाहट में न हो कमी

बड़े प्यार से 2 साथी मिल कर अपना जीवनसफर शुरू करते हैं. सब अच्छा चल रहा होता है. फिर भी कहीं न कहीं कुछ उदासी सी भरने लगती है. अगर मस्ती और दीवानगी जरा भी कम हो रही हो, तो यह खतरे की घंटी है. ऐसे में घबराने की नहीं, थोड़ा सतर्क होने की जरूरत है. सब से खास बात यह है कि बदलाव दोनों की तरफ से ही आता है, पर दोनों में से एक भी चौकन्ना रह कर प्रेम के इजहार में पीछे न रहे, कोई मौका न छोड़े. ऐसा करने से प्रेम की सरिता पुन: धाराप्रवाह बहने लगेगी. 1-2 दिनों के लिए कहीं घूमने का कार्यक्रम बनाया जा सकता है, ऐसा कर के मिठास को वापस लाया जा सकता है. खास अवसर की प्रतीक्षा किए बगैर कुछ अनूठा प्रयोग कर डालिए. कोई पसंदीदा डिश बनाइए या फिर साथी के पसंद के मित्रों को घर पर आमंत्रित कर लीजिए. सब कुछ नयानया लगने लगेगा. कोई छोटीमोटी शरारत भी गजब ढा सकती है. जैसे जानबूझ कर सब्जी में नमक न डालना, उन का जरूरी गैजेट खुद छिपाना, फिर खुद ही ढूंढ़ कर दे देना आदि. पुराना मजेदार किस्सा सुनाना भी बहुत असर करेगा. बस भावनाएं आहत न हों, इस का ध्यान रखना जरूरी है. साथी के पर्स या बैग में मस्ती भरी चिट्ठी लिख कर डाल दीजिए या फिर मजेदार एसएमएस कीजिए. बचपना भी बुरा नहीं है. संबंधों में ताजगी लाने के लिए यह दवा जैसा काम करेगा.

दिल से जुड़ी बीमारियों का इलाज बताएं?

सवाल-

मैं 23 वर्षीय एक कालेज की स्टूडैंट हूं. मेरे परिवार में हृदय रोगों का पारिवारिक इतिहास है. क्या कुछ उपाय हैं जिन के द्वारा में इस के खतरे को कम कर सकूं?

जवाब-

आप बहुत युवा हैं. अपने खानपान को बेहतर बना कर और अनुशासित जीवनशैली का पालन कर के खतरे को कम कर सकती हैं. घर का बना सादा खाना खाएं, जंक फूड्स और तलेभुने भोजन का सेवन न करें या कम करें. रोज 30 मिनट सैर करें. 10 मिनट में 1 किलोमीटर की दूरी तय करना अच्छा रहता है. धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें. तनाव न पालें. अपने रक्तदाब और रक्त में कोलैस्ट्रौल के स्तर को नियंत्रित रखें. नियमित रूप से अपनी जरूरी जांचें कराती रहें.

सवाल-

मेरी माताजी को टाइप-2 डायबिटीज है. मैं ने सुना है डायबिटीज के मरीजों के लिए हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है. क्या इस स्थिति से बचने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं?

जवाब

रक्त में शुगर का बढ़ा हुआ स्तर रक्तनलिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और वे कमजोर हो जाती हैं. जिन लोगों को डायबिटीज होती है उन्हें अकसर उच्च रक्तदाब की शिकायत भी हो जाती है. ऐसी स्थिति में हृदय को शरीर में रक्त पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है. यही सब कारण मिल कर हृदय रोगों का खतरा बढ़ा देते हैं. हृदय रोगों से बचने के लिए रोज

3-4 किलोमीटर पैदल चलें. रक्त में शुगर का स्तर नियंत्रण में रखें. तनाव न पालें. लाल मांस, वसायुक्त भोजन, तलीभुनी और मीठी चीजों से परहेज करें. नियमित रूप से कार्डिएक चैकअप कराएं ताकि समय रहते कोरोनरी आर्टरी डिजीज का उपचार हो सके.

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सवाल-

मेरे पति को एक हार्ट अटैक आ चुका है. उन्हें हमेशा दूसरे हार्ट अटैक की चिंता सताती रहती है. बताएं क्या करूं?

जवाब-

आंकड़ों के अनुसार जिन लोगों को एक बार हार्ट अटैक आ चुका होता है उन में से 20% लोगों को अगले 5 वर्षों में दूसरे हार्ट अटैक के कारण अस्पताल में भरती होना पड़ता है. लेकिन अगर आप के पति लगातार चिंता करते रहेंगे तो उन के लिए खतरा काफी बढ़ जाएगा. उन्हें आप अच्छी आदतें अपनाने के लिए प्रेरित करें जैसे धूम्रपान और शराब पूरी तरह छोड़ने के लिए कहें. मांस, वसायुक्त भोजन, नमक, चीनी और प्रोसैस्ड फूड्स का सेवन कम से कम करने दें. नियमित रूप से ऐक्सरसाइज करने के लिए कहें और मानसिक शांति के लिए ध्यान करने या कोई शौक पूरा करने को कहें.

सवाल-

मेरी सास की उम्र 56 वर्ष है. उन की धमनियों में ब्लौकेज है. क्या ऐंजियोप्लास्टी कराना ठीक रहेगा?

जवाब-

हृदय की मांसपेशियों को बचाने के लिए भोजन और औक्सीजन की आपूर्ति फिर से सामान्य बनाना जरूरी है. इस के लिए ऐंजियोप्लास्टी एक कारगर उपचार माना जाता है. प्राथमिक ऐंजियोप्लास्टी में रक्तनलिकाओं में जमे क्लौट को निकाल कर रक्त के प्रवाह को पुन: प्रारंभ किया जाता है.

आवश्यकता पड़ने पर एडवांस ऐंजियोप्लास्टी की जाती है जिस में धमनियों में रक्त के प्रवाह को सुधारने के लिए एक लचीली नली डाली जाती है. ऐंजियोप्लास्टी

कराने के बाद हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है. समय पर ऐंजियोप्लास्टी कराने से हृदय की मांसपेशियों को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता है.

सवाल-

मैं 51 वर्षीय घरेलू महिला हूं. सीढि़यां चढ़नेउतरने में मेरी सांस बहुत फूलती है और दिल की धड़कनें भी काफी तेज हो जाती हैं. बताएं ऐसा क्यों होता है?

जवाब-

एकसाथ कई सीढि़यां चढ़ने पर अकसर लोगों की सांस फूलने लगती है, जो सामान्य है. लेकिन अगर 3-4 सीढि़यां चढ़ने पर ही आप की सांस फूलने लगे तो इस का कारण मोटापा, श्वसनतंत्र से संबंधित समस्याएं या हृदय रोग हो सकता है. शारीरिक सक्रियता बढ़ने पर हृदय की धड़कनें थोड़ी बढ़ जाती हैं क्योंकि शरीर की बढ़ी हुई जरूरत के कारण हृदय को अधिक रक्त पंप करना पड़ता है. यदि धड़कनें काफी तेज हो जाती हैं और सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है तो आप किसी हृदय रोग विशेषज्ञा को दिखाएं. जरूरी जांच करने पर ही कारण स्पष्ट हो पाएगा.

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सवाल-

मेरे पति चेन स्मोकर हैं. क्या धूम्रपान करने से हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है?

जवाब-

धूम्रपान हृदय रोगों के लिए एक सब से प्रमुख जोखिम कारक माना जाता है. लंबे समय तक धूम्रपान करने से रक्तवाहिकाओं में फैटी ऐसिड जमा हो जाता है जिस से रक्त का सामान्य प्रवाह प्रभावित होता है. तंबाकू में मौजूद विषैले पदार्थ रक्तनलिकाओं को संकरा और क्षतिग्रस्त कर देते हैं जिस से रक्त में थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है और रक्तसंचार प्रभावित होता है. इस से हृदय रोगों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. अपने पति को तुरंत धूम्रपान बंद करने को कहें. किसी अच्छे हृदय रोग विशेषज्ञा को दिखाएं ताकि कुछ जरूरी जांचों के बाद पता लगाया जा सके कि धूम्रपान ने उन के हृदय और रक्तनलिकाओं को कितना नुकसान पहुंचाया है.

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