फिटनेस फ्रिक लोगों को क्यों आता है हार्ट अटैक, Akshay Kumar ने बताई इसकी वजह और बचने के टिप्स

अक्षय कुमार उन एक्टरों में से एक है जो सिक्स पैक मसल्स वाली बौडी बनाने के बजाय फिटनेस, अच्छी सेहत, एनर्जी से भरपूर स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हैं. जिसके चलते अक्षय कुमार वेटलिफ्टिंग, स्टेराइड्स, सप्लीमेंट लेने के बजाय सीढ़ी चढ़ना, दौड़ना, और घर का बना खाना खाकर अच्छी सेहत बनाने पर ज्यादा विश्वास रखते हैं. हाल ही में हुई बातचीत के दौरान अक्षय कुमार ने युवाओं में बढ़ती अति व्यस्तता के चलते टेंशन, डिप्रेशन, हाइपर टेंशन और जल्दी से जल्दी हीरो और हीरोइन की तरह बौडी बनाने के चक्कर में सप्लीमेंट स्टेराइड लेकर अपने आप को मानसिक और शारीरिक तौर पर गंभीर बीमारी की तरफ़ ढकेलते हुए कम उम्र में दिल की बीमारी से ग्रस्त होने वाले युवाओं के प्रति चिंता जाहिर की…..

अक्षय कुमार ने बताया की उन्होंने पिछले कुछ दिनों पहले एक अस्पताल में विजिट किया था . जहां पर उन्होंने 20 से 30 उम्र के युवाओं को अस्पताल के बेड पर पाया. ऐसे में जब अक्षय ने उनके बीमारी की वजह जानी तो पता चला की ज्यादातर लड़के लड़कियां दिल की बीमारी से ग्रस्त है. जिसकी वजह हाइपरटेंशन, डिप्रेशन, आदि ही बताई जा रही थी. इसी बात को मद्दे नजर रखते हुए अक्षय कुमार ने युवाओं के लिए कुछ खास टिप्स और जानकारी दी..

अक्षय कुमार के अनुसार आज के युवा वर्ग में एक ऐसी प्रवृत्ति पाई जा रही है जिसमे वह कम समय में ज्यादा से ज्यादा पाने की कोशिश में लगे रहते हैं. फिर चाहे वह आर्थिक तौर पर हो या तो शारीरिक तौर पर ही क्यों ना हो. जबकि सच्चाई यह है कि किसी भी चीज को बिगाड़ने में अगर चंद सेकंड लगते हैं तो बनाने में महीनो और सालो लग जाते हैं . लेकिन आज के युवा फास्ट फूड की तरह लाइफ में भी सब कुछ फास्ट फास्ट चाहते हैं. ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में या अपनी इच्छा अनुसार सफलता पाने के चक्कर में मानसिक तौर पर बीमार होने लगते हैं जिसके चलते हाइपर टेंशन डिप्रेशन जेसी खतरनाक मानसिक बीमारियां उनको अस्पताल पहुंचा देती हैं. जबकि सच्चाई यह है की आर्थिक और शारीरिक तौर पर मजबूत होने के लिए अपने आप को पूरा समय देना होता है. जल्दबाजी का काम शैतान का होता है. जो हमेशा आपको गलत रास्ते पर ही लेकर जाता है यही वजह है कि आज के युवाओं में सब्र की कमी है और दिल का दौरा ज्यादा बढ़ रहा है.

जिम में एक्सरसाइज करते हुए , हुई मौत के जिम्मेदार युवा खुद ही है…

आजकल बहुत सारी ऐसी खबरें आ रही हैं की कई सारे जवान लड़के लड़कियां जिम में एक्सरसाइज करतेकरते या औफिस में काम करतेकरते दिल का दौरा पढ़ने से अचानक मौत के घाट उतर गए. ऐसे में अगर मैं कहूं कि आप अपनी मौत का कारण खुद है तो शायद आपको गलत लगेगा .लेकिन सच्चाई यह है कि अगर आप जिम में एक्सरसाइज कर रहे हैं तो कई सारी सावधानियां जरूरी हैं. सबसे पहले तो सप्लीमेंट यह स्टेरायड से दूर रहे यह आपके लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है. दूसरा एक्सरसाइज शुरू करने से पहले 10-15 मिनट वार्म अप जरूर करें ताकि आपकी बौडी का तापमान एक्सरसाइज के लायक हो. और एक्सरसाइज पूरी होने के बाद 10 मिनट का आराम भी जरूर करें.

आपकी मांसपेशियां नार्मल हो सके. जिम में एक्सरसाइज करते समय सर पर पानी बिल्कुल भी ना डालें इससे शरीर पर गलत और हानिकारक अंजाम होते हैं. बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करने के बाद आपका ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है ऐसे में सिर पर पानी डालना नुकसान देह साबित होता है . इसलिए सर पर पानी डालकर अपने दिमाग की गर्मी शांत ना करें. इसके अलावा डाइटिंग करके लोग जल्दी से जल्दी पतले होना चाहते हैं या गलत दवाइयां का इस्तेमाल करते हैं ताकि उनका वेट जल्द से जल्द कम हो जाए ऐसा करने से भी शरीर पर गलत प्रभाव पड़ता है. बजाय इसके अगर घर का बना खाना खाएंगे भूखे रहने के बजाय सही डाइट लेंगे तो आप आराम से घर बैठे भी पतले हो सकते हैं.

मेरी दादी रोज सुबह दो चम्मच देसी घी खाती थी और वह 98 साल तक जिंदा रही. कहने का मतलब ये है देसी घी, बादाम अखरोट का सेवन भी जरूर करे ये आपको शारीरिक तौर पर मजबूत करता है. और किसी भी बीमारी से लड़ने की आपके शरीर में पर्याप्त ऊर्जा और क्षमता रहती है. कहने का मतलब यह है कि अगर आपको लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन जीना है तो आपको अनुशासन के साथ सही मार्ग पर चलकर अपने आप को खुद ही मानसिक और शारीरिक तौर पर फिट रखना होगा. और तभी आप दिल की बीमारी या किसी और भयानक बिमारी से अपने आप को बचा सकते है और पूरी तरह फिट रह सकते है .

शरीर में हो रहे इन बदलावों को भूलकर भी न करें इग्नोर, हो सकते हैं हार्ट अटैक के ये संकेत

हार्ट अटैक एक बहुत ही गंभीर समस्या है. इस स्थिति में धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं और ह्दय की मांसपेशियों में ब्लड फ्लो ठीक से नहीं हो पाता, ऐसे में क्लॉटिंग होना शुरू हो जाती  है. इस क्लॉटिंग की वजह से खून को ह्दय तक पहुंचने में कठिनाई होती है और इसे ऑक्सीजन नहीं मिल पाती.  वैसे हार्ट अटैक के एक लक्षण से हम सभी लगभग वाकिफ हैं.

अचानक और तेजी से सीने में दर्द होना और दर्द हाथ से नीचे तक फैल जाना. लेकिन हार्ट अटैक की स्थिति के लिए केवल इस एक संकेत को ही समझना काफी नहीं है बल्कि और भी कई ऐसे चेतावनी संकेत हैं, जो हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार हैं. नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट के अनुसार, यूएस में लगभग 5.7 मिलियन लोगों को हार्ट फेलियर की समस्या है. वर्तमान में इसका कोई खास इलाज नहीं है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव और दवाओं जैसे उपचार जीवन की गुणवत्ता के मामले में बदलाव ला सकते हैं. कई स्थितियों के लिए आप इसके संकेतों को जितनी जल्दी समझ लेंगे, उतनी ही जल्दी इसे नियंत्रित किया जा सकेगा. यहां ऐसे 6 संकेत दिए गए हैं, जो बताएंगे कि आपका दिल अब पहले की तरह काम नहीं कर रहा और यह स्थिति हार्ट अटैक की संभावना को बढ़ा रहे है. तो आइए जानते हैं हार्ट अटैक के 6 मुख्य संकेतों के बारे में.

1. सांस न ले पाना-

जब कार्यक्षमता की बात आती है, तो दिल और फेफड़ों का बहुत अहम रोल होता है. दिल का दाहिना भाग ऑक्सीजन की कमी वाले ब्लड को लेता है और उसे फेफड़ों में पंप करता है, ताकि उसे ऑक्सीजन की ताजगी मिल सके. डॉक्टर कहते हैं कि सांस की परेशानी हार्ट अटैक का मुख्य संकेत है. इसका मतलब है कि आप कितनी भी गहरी सांस लें, आपको ऐसा नहीं लगता कि आपको पर्याप्त ऑक्सीजन मिल रही है.

2. पैरों में सूजन आ जाना-

जब आपका दिल ठीक से काम नहीं करता, तो यह लंग्स में कम ब्लड पंप करता है . इसका असर सबसे पहले आपके शरीर के निचले हिस्से में दिखाई देता है, जिसे एडिमा भी कहते हैं. यह आपके पैरों को प्रभावित करता है. यदि आप सूजी हुई उंगली को दबाते हैं और इसका असर कई सैकंड तक रहता है, तो यह एडिमा का संकेत है.

3. अचानक वजन बढ़ जाना-

अगर आपका वजन तेजी से बढ़ रहा है, तो इसे फैट समझने की गलती मत कीजिए. हो सकता है कि आपके पेट में किसी तरह के तरल पदार्थ का निर्माण हो रहा हो. विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसा अचानक हो सकता है कि कुछ ही दिनों में आपका वजन पांच किलो तक बढ़ जए.

4. हर समय थकावट महसूस करना-

हार्ट फेलियर के दौरान शरीर जिस तरह से कंपेन्सेट करता है, ब्लड को मास्तिष्क और मांसपेशियों में पहुंचने में दिक्कत होती है. इससे कमजोरी और थकान महसूस हो सकती है.

5. भ्रमित महसूस करना-

हार्ट फेल की समस्या सकुर्लेशन के कारण होती है. जब आपके मास्तिष्क में ठीक से ब्लड नहीं पहुंच पाता, तो आपको हल्के चक्कर , एकाग्रता में कमी और भ्रमित होने का अनुभव कर सकते हैं. गंभीर मामलों में आपको बेहोशी जैसी महसूस हो सकती है.

6. हमेशा हाथ और पैरों का ठंडा रहना-

लोगों के हाथ और पैर ठंडे होना आम बात है. लेकिन अगर अचानक से आपके हाथ और पैर ठंडे हो गए हैं और मौजे पहनने के बाद भी यह गर्म नहीं हो रहे, तो यह हार्ट फेलियर का संकेत हो सकता है. डॉक्टर्स का कहना है कि इस तरह के लक्षणों से बचने के लिए रात में अपना सिर ऊपर उठाकर सोएं, ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं और धूम्रपान से परहेज करें.

यदि हार्ट अटैक के लक्षण मामूली हैं, तो आपको जितनी जल्दी हो सके दिल की जांच करानी चाहिए. इससे आप दिल के दौरे से काफी हद तक बच सकते हैं.

जानें क्या है सडन कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक के बीच अंतर 

दो हृदय विकार मौत का कारण बन सकते हैं, और वे हैं – हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट. इन दोनों समस्याओं को लेकर अक्सर भ्रम की स्थिति देखी जाती है और कई बार इन्हें एक ही समस्या मान लिया जाता है. लेकिन ये दो स्वास्थ्य समस्याएं एक-दूसरे से पूरी तरह से कैसे  अलग हैं. बता रहे हैं …डॉ राकेश कुमार जायसवाल – निदेशक और एचओडी कार्डियोलॉजी, फोर्टिस अस्पताल, मोहाली, कार्डिएक साइंसेज. इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी.

हार्ट अटैक क्या है?

दो कोरोनरी धमनियां – बाई कोरोनरी धमनी, दाईं कोरोनरी धमनी और उसकी सहायक धमनी हृदय को रक्त पहुंचाती हैं. जब इन ब्रांच में से कोई ब्लॉक हो जाती है तो हृदय की मांसपेशियों के लिए रक्त प्रवाह रुक जाता है. इस वजह से हार्ट अटैक होता है. हार्ट जिस हिस्से को ब्लॉक्ड धमनी द्वारा रक्त की आपूर्ति की गई हो और उसे जल्द अनब्लॉक्ड नहीं किया जाए तो उस हिस्से को नुकसान होने लगता है. उपचार नहीं होने पर यह नुकसान बढ़ जाता है.

हार्ट अटैक से तुरंत गंभीर लक्षण सामने आ सकते हैं. हालांकि कई बार, हार्ट अटैक से पहले लक्षण दिखने में कई घंटे, दिन या सप्ताह भी लग जाते हैं. कार्डियक अरेस्ट के विपरीत, हार्ट अटैक के दौरान दिल सामान्य रूप से धड़कता रहता है. महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों से अलग हो सकते हैं.

सडन कार्डियक अरेस्ट क्या है?

सडन कार्डियक अरेस्ट अचानक और बार बार होता है. इसमें दिल में इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी की वजह से धड़कन अनियमित हो जाती है. जब दिल की रक्त पम्प करने की क्षमता प्रभावित होती है तो वह मस्तिष्क, फेफड़ों और अन्य अंगों तक रक्त पहुंचाने में सक्षम नहीं रहता है. व्यक्ति कुछ ही सेकंड में होश खो बैठता है और उसकी नाड़ी काम करना बंद कर देती है. यदि ऐसे में व्यक्ति का सही से उपचार न हो पाए तो उसकी कुछ ही मिनटों में मौत हो जाती है.

कौन से कारण हार्ट अटैक को बढ़ावा देते हैं?

हार्ट अटैक के मुख्य कारण हैंः

  1. धूम्रपान करना
  2. शराब पीना
  3. अधिक उम्र
  4. अस्वस्थ खानपान की आदत
  5. आनुवंशिक प्रवृत्ति
  6. खराब कार्यशैली
  7. मोटापा

 कौन से कारण कार्डियक अरेस्ट को बढ़ावा देते हैं?

कार्डियक अरेस्ट को बढ़ावा देने वाले मुख्य कारण हैंः

  1. इलेक्ट्रिक सेल में असंतुलन
  2. कमजोर दिल
  3. हृदय की मांसपेशियों से संबंधित समस्याएं, जैसे कार्डियोमायोपैथी
  4. इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन- शरीर के पोटेशियम स्तर में अचानक कमी या वृद्धि
  5. छाती को अचानक झटका
  6. बेहद तेज या धीमी गति
  7. आनुवंशिक प्रवृत्ति
  8. हार्ट अटैक के बाद, अपर्याप्त रक्त प्रवाह से भी सडन कार्डियक अरेस्ट की समस्या बढ़ सकती है. यह एक ऐसी चिकित्सकीय समस्या है, जिसमें शरीर का प्रवाह और ऑक्सीजन में कमी आ जाती है.

हम ‘हार्ट अटैक’ और ‘कार्डियक अरेस्ट’ शब्दों का इस्तेमाल अब इस भरोसे के साथ कर सकते हैं कि हम इनके बीच मुख्य अंतर को समझ गए हैं. जहां जिंदगी का आनंद उठाना, नए अवसर तलाशना और अमूल्य यादें बनाना महत्वपूर्ण है, वहीं आपको अपने दिल का भी खयाल रखना चाहिए और हार्ट-हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना चाहिए. लंबी जिंदगी के लिए, इससे निःसंदेह ही हृदय संबंधित रोगों को रोकने में मदद मिलेगी.

..तो आने वाला है हार्ट अटैक

हार्ट अटैक कभी भी अचानक आ सकता है, लेकिन कुछ लक्षण हैं, जो हार्ट अटैक के 1 महीने पहले नजर आने लगते हैं.  अगर आपको भी नजर आते हैं यह 6 लक्षण तो सावधान हो जाएं, क्योंकि आप हार्ट अटैक के शि‍कार हो सकते हैं. अभी जानिए इन लक्षणों को, ताकि हार्ट अटैक से बचा जा सके.

1. सीने में असहजता

यह दिल के दौरे के लिए जिम्मेदार लक्षणों में से एक है. सीने में होने वाली किसी भी प्रकार की असहजता आपको दिल के दौरे का शि‍कार बना सकती है. खास तौर से सीने में दबाव या जलन महसूस होना. इसके अलावा भी अगर आपको सीने में कुछ परिवर्तन या असहजता का अनुभव हो, तो तुरंत अपने चिकित्सक से सलाह लें.

2. थकान

बगैर किसी मेहनत या काम के थकान होना भी हार्ट अटैक की दस्तक हो सकती है. जब हृदय धमनियां कोलेस्ट्रॉल के कारण बंद या संकुचित हो जाती हैं, तब दिल को अधि‍क मेहनत करने की आवश्यकता होती है, जिससे जल्द ही थकान महसूस होने लगती है. ऐसी स्थि‍ति में कई बार रात में अच्छी खासी नींद लेने के बाद भी आप आलस और थकान का अनुभव करते हैं, और आपको दिन में भी नींद या आराम की जरुरत महसूस होती है.

3. सूजन

जब दिल को शरीर के सभी आंतरिक अंगों में रक्त पहुंचाने के लिए अधि‍क मेहनत करनी पड़ती है, तो शि‍राएं फूल जाती हैं और उनमें सूजन आने की संभावना बढ़ जाती है. इसका असर खास तौर से पैर के पंजे, टखने और अन्य हिस्से में सूजन के रूप में नजर आने लगता है. इसके कभी-कभी होंठों की सतह पर नीला होना भी इसमें शामिल है.

4. सर्दी का बना रहना

लंबे समय तक सर्दी या इससे संबंधि‍त लक्षणों का बना रहना भी दिल के दौरे की ओर इशारा करता है. जब दिल, शरीर के आंतरिक अंगों में रक्तसंचार के लिए ज्यादा मेहनत करता है, तब रक्त के फेफड़ों में स्त्रावित होने की संभावना बढ़ जाती है. सर्दी में कफ के साथ सफेद या गुलाबी रंग का बलगम, फेफड़ों में स्त्रावित होने वाले रक्त के कारण हो सकता है.

5. चक्कर आना

जब आपका दिल कमजोर हो जाता है, तो उसके द्वारा होने वाला रक्त का संचार भी सीमित हो जाता है. ऐसे में दिमाग तक आवश्यकता के अनुसार ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती, जिससे निरंतर चक्कर आना या सिर हल्का होना जैसी समस्याएं होने लगती हैं. यह हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार एक गंभीर लक्षण है, जिस पर आपको तुरंत ध्यान देना चाहिए.

6. सांस लेने में दिक्कत

इनके अलावा सांस लेने में अगर आपको किसी प्रकार का परिवर्तन या कमी का एहसास होता है, तो यह भी दिल के दौरे का लक्षण हो सकता है. जब दिल अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाता तो फेफड़ों तक उतनी मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती जितनी आवश्यकता होती है. इस वजह से सांस लेने में कठिनाई होती है. अगर आपके साथ भी ऐसा ही कुछ होता है, तो बगैर देर किए डॉक्टर को जरूर दिखाएं.

इन 6 लक्षणों में से किसी लक्षण के सामने आने या महसूस होने पर तुरंत अपने डॉक्टर को जरूर दिखाएं या फिर यथासंभव सलाह लें.

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जुड़ सकता है टूटा दिल

कभी किसी के प्यार या बिछोह में दिल टूटता है, तो कभी कोई विश्वासघात कर दिल तोड़ जाता है. किसी बेहद करीबी व्यक्ति की अचानक मृत्यु की खबर भी दिल तोड़ जाती है.

दिल से जुड़ी कोई बुरी खबर जब भी अचानक मिलती है, तो दिल की मांसपेशियां कुछ देर के लिए शिथिल हो जाती हैं. अचानक कोई खुशखबरी मिलने पर भी ऐसा ही होता है. इस के लक्षण कुछकुछ हार्ट अटैक जैसे ही होते हैं, लेकिन इसे मैडिकल की भाषा में ‘ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम’ कहा जाता है. सीने, गरदन व बाएं हाथ में दर्द और सांस फूलना आदि इस के लक्षण होते हैं, लेकिन कई बार यह समझने में दिक्कत आती है कि समस्या क्या है.

डाक्टरों के अनुसार कई बार पेशैंट को हार्ट अटैक का केस मान कर लाया जाता है, लेकिन जब ईसीजी और अल्ट्रासाउंड किया जाता है, तो पता चलता है कि दिल का बायां हिस्सा काम नहीं कर रहा. जबकि न तो दिल की धमनी में कोई रुकावट है और न ही ब्लड सर्कुलेशन में प्रौब्लम. सिर्फ बाएं हिस्से की मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं जोकि ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम की वजह से होता है.

दिल का टूटना फिल्मी बात लगती है, लेकिन यह सच है कि चिकित्सा विज्ञान भी मानता है कि दिल टूटता है. मैडिकल साइंस में इसे ‘ताकोत्सुबो कार्डियोपैथी’ कहते हैं. ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम की शिकार 90% महिलाएं 50 से 70 वर्ष के बीच की होती हैं. डाक्टर के अनुसार महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद ऐस्ट्रोजन हारमोन के स्तर में गिरावट आ जाती है. तब कोई अति दुखद और सुखद घटना घटने पर उन का ओटोनौमस नर्वस सिस्टम अधिक सक्रिय हो उठता है. इस से शरीर में बहुत अधिक मात्रा में स्ट्रैस हारमोन का स्राव हो उठता है और इसी के कारण हृदय की मांसपेशियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.

लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि पुरुषों का दिल पत्थर का होता है. अब वैज्ञानिक तौर पर यह बात साबित हो गई है कि पुरुषों के अंदर ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम मौजूद होता है. इस सिंड्रोम की मौजूदगी के चलते उन का दिल टूटने पर संभाले नहीं संभलता. पुरुषों में यह खतरा महिलाओं की तुलना में 6 गुना ज्यादा पाया गया है.

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क्या कहते हैं शोधकर्ता

ब्रिटिश शोधकर्ताओं के अनुसार पति या पत्नी की मृत्यु हो जाने पर 1 साल के भीतर उस के जीवनसाथी की भी मृत्यु हो जाने का खतरा बना रहता है, क्योंकि उस का दिल टूट जाता है. यह प्रभाव उन लोगों पर ज्यादा पड़ता है, जिन की शादी को काफी लंबा वक्त हो चुका होता है. लेकिन एक अच्छी बात यह है कि वियोग के 1 साल बाद मौत का खतरा घट जाता है. जापान के शोधकर्ताओं ने ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम का सब से पहली बार उल्लेख 1990 के शुरुआती दौर में किया था. प्रमुख शोधकर्ता डाक्टर रिचर्ड रेगनांटे ने कहा कि चोट खाए लोगों को संभालना और उन की पहचान करना हृदयरोग विशेषज्ञों और डाक्टरों के लिए मुश्किल हो सकता है. यह अध्ययन अमेरिकी जर्नल औफ कार्डियोलौजी में प्रकाशित हुआ है.

इस में यह भी कहा गया है कि टूटे दिल के लक्षण गरमियों और वसंत ऋतु में अधिक उभर कर सामने आते हैं, जबकि हृदयाघात अमूमन जाड़ों में होता है. इस अवस्था में रोगी को आईसीयू में कड़ी निगरानी में रखा जाता है. सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि डाक्टर को पता हो कि यह ब्रोकन हार्ट का मामला है ताकि वह हृदयाघात के लिए उपचार शुरू न कर दे. ऐसा करना खतरनाक हो सकता है. हृदय के बाएं हिस्से की मांसपेशियों में आई शिथिलता धीरेधीरे कुछ दिनों या कभीकभी कुछ सप्ताह में दूर हो जाती है. इस घटना के कारण मांसपेशी को कोई स्थायी नुकसान नहीं होता.

क्या करें

कहा जाता है खुशी बांटने से बढ़ती है और दुख बांटने से कम होता है. अपनी भावनाएं किसी के साथ शेयर करें. इस से मन में हलकापन महसूस होता है. अगर मन किसी बात से दुखी है तो रो कर अपना मन हलका करें. दर्द का गुबार आंसू बन कर बह जाएगा. तनाव की स्थिति में शौपिंग पर निकल जाएं या दोस्तों और परिवार वालों के साथ ऐंजौय करें. अगर डिप्रैशन ज्यादा महसूस हो रहा हो तो मनोचिकित्सक से संपर्क करें.

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प्यार की गरमाहट में न हो कमी

बड़े प्यार से 2 साथी मिल कर अपना जीवनसफर शुरू करते हैं. सब अच्छा चल रहा होता है. फिर भी कहीं न कहीं कुछ उदासी सी भरने लगती है. अगर मस्ती और दीवानगी जरा भी कम हो रही हो, तो यह खतरे की घंटी है. ऐसे में घबराने की नहीं, थोड़ा सतर्क होने की जरूरत है. सब से खास बात यह है कि बदलाव दोनों की तरफ से ही आता है, पर दोनों में से एक भी चौकन्ना रह कर प्रेम के इजहार में पीछे न रहे, कोई मौका न छोड़े. ऐसा करने से प्रेम की सरिता पुन: धाराप्रवाह बहने लगेगी. 1-2 दिनों के लिए कहीं घूमने का कार्यक्रम बनाया जा सकता है, ऐसा कर के मिठास को वापस लाया जा सकता है. खास अवसर की प्रतीक्षा किए बगैर कुछ अनूठा प्रयोग कर डालिए. कोई पसंदीदा डिश बनाइए या फिर साथी के पसंद के मित्रों को घर पर आमंत्रित कर लीजिए. सब कुछ नयानया लगने लगेगा. कोई छोटीमोटी शरारत भी गजब ढा सकती है. जैसे जानबूझ कर सब्जी में नमक न डालना, उन का जरूरी गैजेट खुद छिपाना, फिर खुद ही ढूंढ़ कर दे देना आदि. पुराना मजेदार किस्सा सुनाना भी बहुत असर करेगा. बस भावनाएं आहत न हों, इस का ध्यान रखना जरूरी है. साथी के पर्स या बैग में मस्ती भरी चिट्ठी लिख कर डाल दीजिए या फिर मजेदार एसएमएस कीजिए. बचपना भी बुरा नहीं है. संबंधों में ताजगी लाने के लिए यह दवा जैसा काम करेगा.

क्यों होते हैं कम उम्र में हार्ट अटैक

हाल ही में बिग बॉस 13 के विजेता सिद्धार्थ शुक्ला का मात्र 40 साल की उम्र में हार्ट अटैक से अचानक निधन हो गया है.खबर सुनकर हर कोई हैरान है आखिर ऐसा कैसे हो गया.एक हँसता खेलता जीवन के लिए सपने देखने वाला शख़्स इस तरह कैसे जा सकता है.

पहले तो हार्ट अटैक बड़ी उम्र के लोगों में देखा जाता था पर पिछले 2 सालों से कम उम्र के युवा इसका शिकार होने लगे हैं. स्टडी है कि हर मिनिट में 3 से 4 भारतीय जिनकी उम्र 30 से 50 के मध्य है वो एक सीवियर हार्ट अटैक से गुजरते हैं .साउथ एशिया के लोग अन्य किसी भी जगह के लोगों की अपेक्षा ज्यादा हार्ट अटैक झेलते हैं .क्योंकि ये हाई ब्लड प्रेशर, टाइप टू डायबिटीज और बढ़े कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित होते हैं.आखिर क्या कारण है कि युवा इतनी कम उम्र में दिल के मरीज़ हो जा रहे हैं तो आइए इसके कारण जानते हैं.

मानसिक तनाव –

आजकल युवा मानसिक रूप से अधिक परेशान होते हैं .धैर्य की कमी और काम के दौरान य्या उसकी वजह से होने वाले तनाव के कारण एंग्जायटी डिसऑर्डर होंना एक आम समस्या हो गई है .एंग्जायटी के कारण स्ट्रेस के लिए जिम्मेदार हार्मोन कार्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है जिस से हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है.

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लाइफ स्टाइल –

आजकल के युवाओं की जीवन शैली बहुत ही अलग हो गई है जिसके कारण उन्हें कईं बीमारियों का सामना करना पड़ता है जिनमे हार्ट अटैक भी एक है. देर रात तक जागना और काम करना सुबह सुबह सोना ये सब हाइपरटेंशन को बढ़ा देता है जिस से हार्ट अटैक की संभावना को बढ़ जाती है.बहुत देर तक फिजिकल वर्क नहीं करना भी सेहत पर विपरीत प्रभाव डालता है.आजकल समय की कमी के कारण चलना फिरना न के बराबर हो गया है.एक्सरसाइज नहीं करने से डायबिटीज और ओबेसिटी का खतरा बढ़ जाता है.जब ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ता है तो क्लॉट होने के चांस बढ़ जाते हैं जिस से हार्ट अटैक आ सकता है.ये आर्टरीज की दीवारों में सूजन का कारण बनता है जिस से हार्ट अटैक हो सकता है. घर से आफिस गाड़ी में जाना और वहाँ भी बैठे हुए काम करना भी सेहत के लिए हानिकारक है.वैसे ही हमारे देश को डायबिटीज कैपिटल के रूप में जाना जाता है.

खान पान-

आजकल के युवाओं का खान पान सही नहीं है. अधिकतर उनके पास समय की कमी होने से जंक फूड उनकी पहली पसंद है जिसके कारण शरीर मे बेड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है जो आगे जाकर हार्ट अटैक में बदल सकता है.इसी कारण लोग मोटापे से ग्रसित हैं जो कि एक बहुत बड़ी समस्या है.

नशा

आजकल बढ़ते तनाव के चलते युवाओं में नशा करने की लत लग जाती है जो कि हार्ट के लिए सही नहीं है.जो भी दिन में 10 सिगरेट या उस से ज्यादा पीता है उसमें हार्ट अटैक होने की सम्भावना सामान्य से ज्यादा होती है.तम्बाकू का सेवन सेहत के लिए सही नहीं है ये रक्त शिराओं में जाने वाली ऑक्सीजन का प्रवाह काट देता है जिस से हार्ट तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती और हार्ट अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है.कुछ लोग अल्कोहल का सेवन करते हैं जिस से धमनियाँ जल्दी सिकुड़ने लगती हैं और हृदयाघात की संभावना बढ़ जाती है.

बचाव के तरीके-

यदि आप इस सबसे बचना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने जीवन मे थोड़ा अनुशासन लाना होगा . सुबह जल्दी उठ कर एक्सरसाइज करना चाहिए.खान पान में बदलाव करना चाहिए  बहुत अधिक तेल वाला खाना और जंक फूड पूरी तरह बंद कर देना चाहिए. समय पर सोना और समय पर जागना चाहिए 8 घंटे की नींद लेना बहुत जरूरी है.मानसिक स्वास्थ्य का खयाल रखना चाहिए.इस तरह हम अपने हृदय का खयाल रकह सकते हैं.

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जब अपने होते है, अचानक दूर

40 साल के हंसमुख और विनम्र अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की अचानक सिवियर हार्ट अटैक से मौत पूरी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लिए एक सदमा है और हो भी न क्यों? फिटनेस फ्रीक सिद्धार्थ ने कभी वर्कआउट को मिस नहीं किया, एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि अगर बॉडी फिट है तो माइंड भी फिट है.ये बात सही है, लेकिन कई बार अधिक वर्कआउट भी शरीर के लिए घातक होता है, क्योंकि सिद्धार्थ स्ट्रेस में कभी नहीं दिखे, उनका काम इंडस्ट्री में कुछ न कुछ नियमित चलता था. फिर चाहे वह टीवी शो, फिल्म,रियलिटी शो या ओटीटी हर जगह वे अच्छे काम और हंसमुख स्वभाव के लिए जाने जाते थे और सबसे अच्छी बात वे अपने परिवार के साथ मुंबई में रहते थे और माँ के बहुत करीब थे. खाली समय में वे अपने परिवार के साथ रहना अधिक पसंद करते थे, ऐसे होनहार, स्पोर्ट्स पर्सन, जिन्दादिली इंसान का अचानक गुजर जाना सबके लिए एक हादसे के सिवा कुछ नहीं कहा जा सकता.

ऐसे जिंदादिल 40 वर्षीय बिग बॉस 13 विनर अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की अचानक हार्ट एटैक से गुजर जाने की वजह पूछे जाने पर मुंबई के चेंबूर की जेन मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलोजिस्ट डॉ. नारायण गडकर कहते है कि आज के यूथ 20, 30 और 40 की उम्र में हार्ट प्रॉब्लम के शिकार हो जाते है और इसकी वजह उनका स्ट्रेसफुल लाइफ का होना है, जिसमें कम वेतन, नौकरी न रहना, वित्तीय कमी का होना, पर्सनल प्रॉब्लम आदि कई है, लेकिन अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला का सीवियर हार्ट एटैक की वजह पता नहीं है, लेकिन कुछ वजह निम्न हो सकते है,

• अचानक हार्ट एटैक की वजह स्ट्रेस, कोमॉर्बिडीटीस जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, आर्टरीज का हेल्दी न होना, जिसमें अनजाने में आर्टरीज में प्लाक का जमा हो जाना, धूम्रपान की वजह से खून की धमनियों का पतला हो जाना आदि कई है. हाई कोलेस्ट्रोल के होने पर भी हार्ट की समस्या हो जाती है. खासकर फिट युवा पीढ़ी कुछ लक्षण होने पर भी उसे इग्नोर करती है और समय पर उसका इलाज नहीं करवाती.

• कई बार यूथ व्यायाम भी अपनी शरीर की अवस्था को न समझते हुए करते है, जिसका प्रभाव शरीर पर अधिक पड़ जाता है. किसी भी फिटनेस रूटीन को अपनाने से पहले सम्बंधित डॉक्टर की सलाह लेना जरुरी है. उस एक्सरसाइज को अवॉयड करें, जिससे हार्ट पर अधिक दबाव महसूस होता हो.

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• 6 पैक और टोंड बॉडी के लिए यूथ सप्लीमेंट का सहारा भी लेते है, जो कई बार उनके लिए समस्या बन जाती है. डॉक्टर नारायण आगे कहते है कि कुछ सप्लीमेंट्स हाई ब्लड प्रेशर को बढ़ाने के अलावा कुछ हार्ट रिलेटेड लक्षण मसलन अचानक घबराहट का होना और लीवर की समस्या होना आदि है, इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना किसी प्रकार की सप्लीमेंट्स न लें.

• हार्ट एटैक की समस्या को पता लगाना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि फिट इंसान डॉक्टर के चक्कर लगाना नहीं चाहते और सीने की दर्द को एसिडिटी समझ कर उसकी दवाई लेते है, जिससे उन्हें बचाना मुश्किल होता है. इस बारें में डॉ. नारायण का कहना है कि चेस्ट में हेवीनेस का होना,चेस्ट पेन, सांस लेने में तकलीफ, अचानक बहुत अधिक पसीना आना,हल्का सिरदर्द, चक्कर आना आदि है, ऐसा महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएँ, ताकि इलाज में देर न हो.

ये सही है कि हार्ट एटैक की समस्या यूथ में आजकल अधिक है, डॉक्टर्स मानते है कि अधिकतर पेशेंट तब उनके पास आते है, जब बहुत देर हो जाती है और वे उन्हें बचाने के लिए कुछ कर नहीं पाते. डॉ. गडकर कहते है कि आज के हालात को देखते हुए धूम्रपान और शराब सबसे पहले छोड़ने की जरुरत है.अगर आपको इन सब चीजों की लत है तो उसे छुड़ाने वाली संस्थाओं से संपर्क करें और उनकी सेशन को ज्वाइन करें. संतुलित भोजन जिसमें कई प्रकार के नट्स, बैरिज, सीड्स, फ्रेश फ्रूट्स, सब्जियां, दालें आदि होना आवश्यक है. कम तेल, नमक और शुगर का प्रयोग अपने भोजन में करें. जंक, ऑयली, स्पाइसी और डिब्बे बंद फ़ूड को हमेशा अवॉयड करें. अधिक मात्र में पानी पियें, कार्बोनेटेड ड्रिंक को एक बड़ा NO कहना सीखें,व्यायाम नियमित करें, पर सघन एक्सरसाइज करने से बचें. अपना वजन उम्र और सेहत के हिसाब से संतुलित रखे. समय-समय पर कोलेस्ट्रोल और ब्लड शुगर को चेक करवाएं, तनाव से बचने की कोशिश करें, क्योंकि इससे भी हार्ट एटैक की संभावना बढती है. खुद को हमेशा शांत रखें या मैडिटेशन करें.

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