आखिर क्यों हर साल बारिश के आगे मजबूर हो जाती है मुंबई?

इन दिनों अखबार, टीवी और न्यूज चैनल आदि मुंबई शहर की अंधाधुंध बारिश और उस से होने वाली घटनाओं के खबर से भरे पड़े हैं. पर यह कोई पहली दफा नहीं है जब मुंबई इस तरह की समस्या से रूबरू हो रहा है. हर साल मुंबई शहर को भारी बारिश के कारण बहुत नुकसान हो रहा है और लोगो की जान भी जा रही है. इन घटनाओं के लिए सिर्फ प्राकृतिक आपदा ही नहीं बल्कि प्रशासन का गैर जिम्मेदाराना रवैया भी अहम कारण है.

सवाल यह हैं कि आखिर हर साल मुंबई शहर को इस समस्या से क्यों गुजरना पड़ता हैं? मुंबई शहर का ड्रेनेज सिस्टम बरसात के मौसम में जगह-जगह पानी भर जाने की एक बड़ी वजह है. यह ड्रेनेज सिस्टम 100 साल से भी पुराना है और कम तीव्रता वाली बारिश के लिए बना है. इसके सुधार हेतू बृहन्मुम्बई स्टॉर्म वाटर डिस्पोज़ल सिस्टम प्रोजेक्ट चलाया गया है. जिसका अंतरिम बजट 6 बिलियन था  जो 2005 में 6 बिलियन से से बढ़कर 12 बिलियन हो गया हैं.

ये भी पढ़ें- यह तो होना ही था

लेकिन भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की एक रिपोर्ट के मुताबिक बृहन्मुम्बई स्टॉर्म वाटर प्रोजेक्ट की लागत बढ़ती जा रही है और परिपालन बहुत धीमी गति से हो रहा हैं. जिसके कारण समस्या और भी विकराल रूप ले रही हैं.

शहर के नालों की हालत भी बेहद खराब है. कांट्रेक्टर द्वारा नालों की सफाई नियमत रूप से नहीं हो रही हैं. इनकी सफाई का सारा खर्च भी कांट्रेक्टर अपने पास रख लेते है. भारी बारिश होने पर शहर में जगह-जगह पानी भर जाता है. कई क्षेत्रो में घर से बाहर निकल पाना भी मुश्किल होता हैं. ऐसी स्थिति में कई बार लोग जहां है उसी जगह फंसकर घंटों बारिश के थमने का इंतजार करते है.

नगर निकाय इस बात के लिए ज़िम्मेदार है क्योंकि उनके रहते कांट्रेक्टर का खराब काम नज़रअंदाज़ हो रहा है. पानी की निकासी में बड़ा रोड़ा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का न होना और प्लास्टिक का उपयोग भी है. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का न होना और प्लास्टिक दोनों ही पानी की निकासी को रोकते हैं. मुंबई शहर का 10 प्रतिशत कचरा प्लास्टिक है जिसका मतलब एक दिन में 650 मीट्रिक टन प्लास्टिक उपयोग किया जाता हैं. पिछले साल ही सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पालिसी न तैयार करने पर 3 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

ये भी पढ़ें- यह अच्छा निर्णय है  

पर अब भी हालात में कोई सुधार नजर नहीं आ रहे हैं. यहां से देखने पर लगता है कि प्रशासन अब प्रकृति से भी बड़ी आपदा बन गया है.

शहर के नागरिकों को जिम्मेदार और जागरूक हो कर प्रशासन से इन समस्याओं के संबंध में वाजिब सवाल पूछने की आवश्यकता है. अपने मोबाइल फोन से सर उठाकर अपने क्षेत्र के नाले और गंदगी के प्रति हमे सजग होना चाहिए.

यह एक महत्वपूर्ण जरूरत है कि हमारे शहर के नाले नियमित रूप से साफ हो. लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है. शायद हर साल मुंबई का आम नागरिक बारिश से होने वाली समस्याओं से जूझता है और हर साल बारिश का मौसम जाते ही इस से होने वाले नुकसान और जानलेवा घटनाओं को भूल जाता हैं. क्या शहर में रह रहे लोग भी प्रशासन के साथ-साथ इस खराब व्यवस्था का एक हिस्सा बन चुके हैं?

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें