Women’s Day पर ‘जीजाजी छत पर कोई है’ एक्ट्रेस हिबा नवाब ने कही ये बात 

बाल कलाकार के रूप में काम कर चुकीं अभिनेत्री हिबा नवाब बरेली की है. उसने 11 साल की उम्र में अभिनय शुरू किया और डेढ़ साल काम करने के बाद वापस बरेली चली गयीं और 16 साल की उम्र में वापस मुबई एक शो ‘क्रेजी स्टुपिड इश्क’ के साथ आईं और अब तक अभिनय कर रही हैं. उनके काम में सहयोग दिया उनके पिता डॉ. नवाब अली ने, क्योंकि उन्हें भी अभिनय पसंद है. हिबा को हर नया चरित्र और उनकी चुनौती बहुत अच्छा लगता है. हिबा किसी भी शो में काम करने से पहले अपनी भूमिका और ग्रो करने के मौके को देखती हैं. सोनी सब टीवी पर उनकी शो जीजाजी छत पर कोई है में डबल रोल कर रही है, पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल- इस शो में आप की भूमिका क्या है?

मैं दिल्ली की एक लड़की सी पी यानि कनाट प्लेस की भूमिका निभा रही हूं, जो बहुत ही कलर फुल, शरारती, चुलबुली और परिवार को लेकर बहुत प्रोटेक्टिव है. वह परिवार के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. इसमें मैं डबल रोल में हूं. दूसरा चरित्र बहुत ही अलग है, जिसकी अदाएं और मेकअप एकदम अलग है.

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सवाल- डबल रोल करते समय किस बात का ध्यान रखना बहुत जरुरी है?

ये सही है कि इसमें मेरी शक्ल और सूरत एक जैसी है. ऐसे में हर चरित्र में मुझे अपनी अदाओं को बदलना पड़ता है, जो कठिन है. इसके लिए मैंने वर्कशॉप लिया है, निर्देशक के साथ बैठकर चर्चा की, जिसमें कपडे, मेकअप, चाल-चलन आदि सब अलग कैसे करना है उसकी जानकारी ली, ताकि चरित्र अच्छी तरह से उभर कर पर्दे पर आये.

सवाल- क्या आप कभी एक दिन में दोनों चरित्र को सेट पर निभाया है, ऐसे में कोई परेशानी हुई?

प्रोमो के दौरान मुझे एक दिन में दोनों भूमिकाएं निभानी पड़ी. मुश्किलें आई, पर करना पड़ा. हालांकि इस भूमिका में मजेदार चीजे है, लेकिन उसे कैसे निभाना है, उसमें समस्या आती है, क्योंकि मुझे एक्टिंग में एक्टिंग करना पड़ा. निर्देशक के सहयोग से इसे करना आसान हुआ.

सवाल- क्या आप भूत, प्रेत, चुड़ैल इन सबमे विश्वास रखती है?

मुझे लगता है कि जहाँ कुछ अच्छी चीजे होती है, वहां बुराई भी होती है. मुझे इसका अनुभव कभी नहीं हुआ.

सवाल- किसी चरित्र को करने के बाद उससे निकलना कितना मुश्किल होता है?

रोने-धोने वाली भूमिका को करने के बाद निकलना आसान होता है, लेकिन इलायची और सीपी के किरदार मजेदार होते है. मुझमें किसी भी चरित्र का प्रभाव अधिक समय तक नहीं रहता. घरवाले भी किसी भूमिका से निकलने में सहयोग करते है.

सवाल- किस बात से आप डर जाती है?

(हंसती हुई) मैंने दो दिन सेट पर चुड़ैल की भूमिका निभाई. रात को सोते समय सपने में भी उसी सीन्स को देखकर डर गई, क्योंकि मैं सपने में भी खुद को चुड़ैल ही देख रही थी. अब डर नहीं लगता. मुझे छिपकिली  और कॉकरोच डरावने लगते है.

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सवाल- एक्टिंग में आना एक इत्तफाक था या बचपन से सोचा था?

मेरे खानदान में दूर-दूर तक कोई भी अभिनय क्षेत्र से जुड़ा नहीं है. मैं बरेली की हूं, वहां से मैं छुट्टियों में मुंबई आई थी और एक ऑडिशन 11 साल की उम्र में शो ‘लो हो गई पूजा इस घर की’ के लिए दिया था. जिसमे मैं चुन ली गयी और डेढ़ साल काम किया और फिर वापस बरेली अपनी पढाई पूरी करने चली गयी, क्योंकि मुझे काम अच्छा नहीं लग रहा था. इसके बाद 16 साल की उम्र में वापस मुंबई आई और तब से यही हूं और काम कर रही हूं. मेरा कोई ड्रीम या प्लान अभिनय करने का नहीं था.

सवाल- वापस आने पर काम मिलने में कठिनाई हुई?

बहुत अधिक मुश्किल नहीं हुई, क्योंकि मैंने बचपन में काम किया था और पिता के पास कई प्रोडक्शन हाउस से मेरे लिए मेसेज आते थे. मेरे पिता ने कभी नहीं बताया कि ऐसे मेसेज आते है और तब मेरे पास फ़ोन भी नहीं थी. एक दिन मैं फ़ोन पर गेम खेलते हुए देखा कि एक मेसेज आया हुआ है. मैंने पिता से इसे न बताने की वजह पूछी, तो उन्होंने साफ़ कह दिया कि मैंने अभिनय करने से मना कर दिया है. जबकि ये शो चैनेल वी की ‘क्रेजी स्टुपिड इश्क’ थी. मैं उस शो के लिए जिद करके वापस मुंबई आई और अभिनय किया. मैंने इस शो का ऑडिशन भी बरेली में ही दिया था, ताकि चुनी जाने पर ही मुंबई आऊँ. ये शो काफी चर्चित रही, जिससे मेरी पहचान इंडस्ट्री में बन गई थी और काम मिलने लगा.

सवाल- परिवार में माता-पिता का सहयोग कितना रहा?

मां से अधिक पिता का सहयोग रहा, क्योंकि मेरे पिता कॉलेज के ज़माने में थिएटर से जुड़े थे, इसलिए उन्हें अभिनय पसंद है. अभी वे डॉक्टर है, लेकिन मुझे लगता है कि मैं कहीं न कहीं उनके सपनों को पूरा कर रही हूं.

सवाल- क्या फिल्मों में आने की इच्छा है?

इच्छा है, लेकिन कोई अच्छा प्रोजेक्ट अभी तक मेरे पास आया नहीं है. मुझे निर्देशक राजकुमार हिरानी की फिल्में बहुत पसंद है उनके निर्देशन में मुझे फिल्म करना है और मैं को स्टार के रूप में शाहरुख़ खान के साथ रोमांटिक अभिनय करना चाहती हूं.

सवाल- क्या गृहशोभा के ज़रिये महिलाओं को महिला दिवस पर कोई मेसेज देना चाहती है?

मेरा पर्सनल अनुभव यह है कि महिला को हमेशा सुरक्षा की जरुरत होती है और उसे देने वाला उसके माता-पिता, भाई-बहन ही होते है. सुरक्षित होने पर कोई भी महिला अच्छा काम कर सकती है. मेरे माता-पिता ने हमेशा इस बात का ध्यान रखा है. हालांकि बेटियां भी बेटों से कम नहीं है और हर क्षेत्र में काम कर रही है. जिनकी भी बेटियां है, वे हमेशा उसकी सुरक्षा का ख्याल रखे, इससे वे जितना कर रही है, उससे भी अच्छा कर सकेंगी.

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