Winter Special: बुनाई करते समय ध्यान रखें ये 7 टिप्स

मौसम की फिज़ा में अब ठंडक घुलने लगी है  कुछ समय पूर्व तक इस मौसम में महिलाओं के हाथ में ऊन और सलाइयां ही दिखतीं थीं. आजकल भले ही हाथ से बने स्वेटरों की अपेक्षा रेडीमेड स्वेटर का चलन अधिक है परन्तु स्वेटर बुनने की शौकीन महिलाओं के हाथ आज भी खुद को बुनाई करने से रोक नहीं पाते. रेडीमेड की अपेक्षा हाथ से बने स्वेटर अधिक गर्म और सुंदर होते हैं साथ ही इनमें जो अपनत्व और प्यार का भाव होता है वह रेडीमेड स्वेटर में कदापि नहीं मिलता परन्तु कई बार स्वेटर बनाने के बाद ढीला पड़ जाता है अथवा फिट नहीं हो पाता या फिर धुलने के बाद रोएं छोड़ देता है. इन्हीं छोटी छोटी समस्याओं से मुक्ति के लिए आज हम आपको स्वेटर बनाने के लिए कुछ टिप्स बता रहे हैं-

1. ऊन

लोकल या सस्ती ऊन की अपेक्षा स्वेटर बनाने के लिए सदैव वर्धमान या ओसवाल कम्पनी की 3 प्लाई की उत्तम क्वालिटी की ऊन ही  खरीदें. यदि आप छोटे बच्चों के लिए स्वेटर बना रही हैं तो सामान्य की अपेक्षा छोटे बच्चों के लिए विशेष रूप से बनाई जाने वाली बिना रोएं की बेबी वूल का ही प्रयोग करें.

2. सलाई

ऊन के साथ साथ सलाई भी अच्छी क्वालिटी की होना अत्यंत आवश्यक है. सस्ती सलाई अक्सर ऊन पर अपना रंग छोड़ देती है जिससे कई बार स्वेटर का वास्तविक रंग ही खराब हो जाता है. मोटी ऊन के लिए 5-6 नम्बर की मोटी और पतली ऊन के लिए 10-12 नम्बर की पतली सलाई लेना उपयुक्त रहता है

3. फंदे

मोटी प्लाई की ऊन में कम फंदे और पतली ऊन में अधिक फंदे डालें. फंदे दोहरी ऊन से टाइट करके डालें, फंदे ढीले रहने पर स्वेटर बॉर्डर से ढीला हो जाने की संभावना रहती है.

4. बॉर्डर

आम तौर पर एक उल्टा और एक सीधे फंदे से बॉर्डर बनाया जाता है. यदि आप स्वेटर 10 न की सलाई से बना रहीं हैं तो बॉर्डर 2 न अधिक अर्थात 12 न की सलाई से बनाएं इससे स्वेटर की नीचे और बाहों से फिटिंग सही रहती है.

5. बुनाई

आप स्वेटर में जो भी डिजाइन डालना चाहतीं हैं उसे पहले एक नमूने में डालकर देख लें ताकि स्वेटर बनाते समय आपको कोई कन्फ्यूजन न रहे. छोटे बच्चों के स्वेटर में बहुत बड़ी और दो रंगों की डिजाइन की अपेक्षा सेल्फ  में ही डिजाइन डालें क्योंकि 2-3 रंग की डिजाइन में स्वेटर के उल्टी तरफ  ऊन निकली रहती है जो बच्चों के हाथ में उलझ जाती है. हर हाथ की बुनाई में फर्क होता है इसलिए स्वेटर को एक ही हाथ से बुनना चाहिए. हल्के रंग के स्वेटर को बुनते समय बॉल्स को एक पॉलीथिन में डालकर रखें इससे स्वेटर गन्दा नहीं होगा.

6. गला

आमतौर पर स्वेटरों में वी, गोल, चौकोर और कॉलर वाले गले बनाये जाते हैं. गोल गले को बाजार में गोल गले के लिए विशेष रूप से बनाई जाने वाली  चार सलाइयों से ही बनाएं और बंद करते समय फंदों को सुई की मदद से बंद करें. छोटे बच्चों के लिए किसी विशेष गले का स्वेटर बनाने के स्थान पर सामने से खुला स्वेटर बनाएं जिससे उन्हें पहनाने में आसानी रहे.

7. सिलाई

पूरा स्वेटर बन जाने के बाद स्वेटर की सिलाई की जाती है. सिलाई स्वेटर के रंग की ऊन से ही करें. यदि ऊन बिल्कुल ही समाप्त हो गयी है तो आप सेम रंग के धागे का भी प्रयोग कर सकतीं हैं.  सिलाई करते समय सभी गांठो को सुई की मदद से स्वेटर के पीछे की तरफ कर दें साथ ही ऊन के लंबे धागों को भी आसानी से काट दे.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें