मशरूम खाएं इम्यूनिटी बढ़ाएं

 इम्यूनिटी को हिंदी में प्रतिरोधक क्षमता या प्रतिरक्षा कहा जाता है. यह किसी भी तरह के सूक्ष्म जीवों जैसे रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं, विषाणुओं आदि से शरीर को लड़ने की क्षमता देती है.

शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में खाद्य पदार्थ अहम भूमिका निभाते हैं. मशरूम एक तरह की फफूंदी हैं, जो हमारे आहार का अंग बन गई है.

यह एक शाकाहारी आहार है. इस से विभिन्न व्यंजन जैसे सब्जी, सूप, अचार, पकोड़े, मुरब्बा, बिरयानी, बिसकुट, नूडल्स बनाए जाते हैं.

मशरूम में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, खाद्य रेशा, वसा, खनिज लवण, विटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. यह एक कम ऊर्जा वाला आहार है. इस में कोलेस्ट्रौल नहीं पाया जाता है, जबकि आर्गेस्टेराल प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो खाने के बाद मानव शरीर में विटामिन डी में बदल जाता है.

कई रिसर्च से पता चला है कि विटामिन डी वायरल संक्रमण व स्वास्थ्य संबंधी संक्रमण को रोकने में लाभदायक साबित होता है, इसलिए कई बीमारियों में मशरूम का इस्तेमाल दवा के रूप में किया जाता है.

मशरूम में कई खास खनिज और विटामिन पाए जाते हैं. इन में विटामिन बी, डी, पोटैशियम, कौपर, आयरन, सैलेनियम की पर्याप्त मात्रा होती है. मशरूम में कोलीन नाम का एक खास पोषक तत्त्व पाया जाता है, जो मांसपेशियों की सक्रियता और याददाश्त बरकरार रखने में बेहद फायदेमंद रहता है.

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मशरूम के फायदे

* मशरूम में एंटीऔक्सीडैंट भरपूर मात्रा होते हैं. इन में से खास है अरगोजियोनीन, जो बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने और वजन घटाने में सहायक होता है. एंटीऔक्सीडैंट सूजन रोकने, फ्रीरैडिकल के कारण शरीर में होने वाले नुकसान और संक्रमण से बचाते हैं व शरीर में रोगों से लड़ने वाली कोशिकाओं को भी बढ़ाते हैं.

* मशरूम में मौजूद तत्त्व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं. इस से सर्दीजुकाम जैसी बीमारियां जल्दीजल्दी नहीं होती हैं. मशरूम में मौजूद सैलेनियम इम्यून सिस्टम के रिस्पौंस को बेहतर बनाता है.

* मशरूम विटामिन डी का भी अच्छा स्रोत है. विटामिन डी हड्डियों को मजबूत बनाता है.

* इस में बहुत कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है, जिस से वजन और शुगर का लैवल नहीं बढ़ता है.

* मशरूम में वसा बहुत कम होती है व कोलेस्ट्रौल नहीं होता है. इस के अलावा मशरूम त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद है.

ताजा मशरूम में 80 से 90 फीसदी पानी पाया जाता है. मशरूम के शुष्क भार का 46 से 82 फीसदी कार्बोहाइड्रेट, 12 से 35 फीसदी प्रोटीन, 8 से 10 फीसदी फाइबर, एक से 4 फीसदी वसा और विटामिन व खनिजलवण होता है.

मशरूम में इम्यूनिटी

मशरूम की कोशिका भित्ति पोलीसैकेराइड (बीटा ग्लूकांस) की बनी होती है जो प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है. इस के अलावा मशरूम में मिलने वाले गैनोडरमीक एसिड, एरगोथियोनीन व कार्डीसेवीन भी प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाते हैं.

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मशरूम में कैंसर रोधी क्षमता

बटन मशरूम और ओयस्टर मशरूम में प्रोस्टेट व ब्रैस्ट कैंसर रोधी क्षमता पाई जाती है. 5 अल्फा रिडक्टेज और एरोमाटेज एंजाइम, जो कैंसरकारी ट्यूमर वृद्धि के लिए उत्तरदायी है, इसे रोकने के गुण ताजा मशरूम में पाए जाते हैं. कैंसर के उपचार में प्रयोग होने वाली प्रमुख दवा पौलिसैकेराइड-के (क्रेसीन) मशरूम से ही बनाई जाती है.

काढ़े का अधिक सेवन भी है नुकसानदायक, अगर दिखे ये लक्षण तो बंद कर दे काढ़ा पीना

कोरोना वायरस महामारी का कहर पूरी दुनिया में बढ़ता ही जा रहा है.इस महामारी के कारन अब तक लाखों लोगों की जाने जा चुकी है.अब तक इस महामारी की वैक्सीन नहीं आई है. इसलिए इस बीमारी के संक्रमण से बचे रहने और इसकी चपेट में आने के बाद जल्द से जल्द ठीक होने के लिए जरूरी है कि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी आपकी immunity काफी मजबूत हो. आयुष मंत्रालय और भारत सरकार के द्वारा भी लोगों को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़ा पीने की सलाह दी गई है. यहाँ तक की आयुष मंत्रालय ने काढ़ा बनाने की विधि भी बताई . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने अधिकतर भाषणों में काढ़ा के सेवन पर जोर दिया .

ऐसे में देश में इन दिनों इम्यूनिटी बूस्टर काढ़े खूब चर्चा में हैं. लोग कोरोना से बचने के लिए काढ़े को दवा के तौर पर इस्तेमाल कर रहे है.अब इंटरनेट पर भी खाने पीने की recipe से ज्यादा ‘काढ़ा कैसे बनाया जाये’ ये सर्च किया जा रहा है.

बेशक काढ़ा पीना काफी फायदेमंद और असरदार होता है और ये हमे सिर्फ सर्दी, जुकाम और खांसी से ही नहीं बचाता बल्कि हमारी immunity को भी बढाता है. यह पाचन ठीक करने के साथ-साथ शरीर से गंदगी भी निकालता है. काली मिर्च कफ निकालने का काम करती है. वहीं, तुलसी-अदरक और इलाइची पाउडर में एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं. तुलसी में एंटी-माइक्रोबल प्रॉपर्टीज होती हैं जो सांस से जुड़े इन्फेक्शन्स को मारने का काम करती है.

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आयुष मंत्रालय ने भी लोगों को दिन में दो बार काढ़ा पीने की सलाह दी है, लेकिन कुछ लोगों में कोरोना का डर इस कदर सवार हो गया है की उन्हें काढ़ा पीने की सनक सी हो गयी है. उन्हें जब भी मौका मिलता है वे काढ़ा पीने के लिए तैयार रहते है.पर ये तो हम सभी जानते है की किसी भी चीज़ की अति अच्छी नहीं होती.

कोई भी चीज हद से ज्यादा इस्तेमाल की जाए तो वो शरीर को फायदे की जगह नुकसान देने लगती है.
क्या आप जानते हैं कि इम्यूनिटी बढ़ाने वाले इस काढ़े के अधिक सेवन से आपकी सेहत को कुछ नुकसान भी हो सकते हैं . इसका कारन यह है की कोई भी आयुर्वेदिक औषधि हमेशा मौसम, प्रकृति, उम्र और स्थिति देखकर दी जाती है. अगर इन चीजों का ध्यान नहीं रखा जाएगा, तो फायदे की जगह नुकसान ही होगा.

तो चलिए जानते है ऐसे कुछ लक्षण जो अगर आपके शरीर में दिखाई दे रहे हो तो आप तुरंत काढ़े का सेवन बंद कर दे.

1-सर घूमना
2. आंखों के आगे अंधेरा होना
3. नाक से खून आना
4. पेट में जलन होना
5. मुंह में छाले हो जाना
6. पेशाब में जलन
7. कब्ज या दस्त जैसी समस्या
8. त्वचा पर छोटे-छोटे दाने उभर आना
9. गैस या अपच की शिकायत होना
10.अचानक से वजन कम होना

काढ़ा बनाते समय इन बातों का रखें ध्यान-

काढ़ा बनाते समय जड़ी बूटियों और उसमे प्रयोग किये जाने वाले मासालों की मात्रा पर विशेष ध्यान देना चाहिए.अगर आपको लगता है की जो काढ़ा आप पी रहे हो वो आपको सूट नहीं कर रहा है तो आप इसमें दालचीनी,कालीमिर्च,अश्वगंधा और सोंठ की मात्रा कम कर सकते हैं.

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वात और पित्तदोष वाले लोगों को इन बातों का रखना चाहिए ध्यान-

काढ़ा के सेवन से कफ को खत्म करने में काफी मदद मिलती है ,इसलिए यह कफदोष से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद है.लेकिन पित्तदोष से पीड़ित लोगों को अपने काढ़े में काली मिर्च,दालचीनी और सोंठ जैसी चीजों डालते समय थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए.इन चीज़ों को अधिक मात्रा में नहीं डालना चाहिए.

ध्यान रहे- उपवास के दौरान काढ़ा पीने के लिए मना किया जाता है, क्योंकि इससे पेट में जलन की शिकायत हो सकती है. काढ़ा बनाते समय इसमे शहद का प्रयोग भी कम करना चाहिए, क्योकि शहद की तासीर गर्म होती है और इससे बेचैनी पैदा हो सकती है. डायबिटीज के मरीजों को चीनी का इस्तेमाल सोच-समझकर करना चाहिए.

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