जब दोस्त इंप्रैशन जमाएं

प्रियंका और वाणी अपनी सहेली मुग्धा से काफी दिनों बाद मिली थीं. थोड़ी देर की औपचारिक बातचीत के बाद मुग्धा हमेशा की तरह अपनी चीजों की तारीफ करने लगी.

वह अपने बाल दिखाती हुई बोली, ‘‘यह देखो प्रियंका, मेरा नया हेयरस्टाइल. पिछले संडे ही पार्लर गई थी. साउथ दिल्ली का जो बैस्ट पार्लर है न, वहीं जाती हूं. वहां की स्टाफ तो मेरे बालों की तारीफ करती नहीं थकती. कहती है, ‘हीरोइनों से भी ज्यादा चमकदार और आकर्षक तेरे बाल हैं.’ मैं ने पूछा कि मु?ा पर कौन सा स्टाइल अच्छा लगेगा तो कहने लगी कि तुम्हारे ऊपर तो हर स्टाइल जमेगा. इन बालों को कैसे भी रख लो बेहतरीन ही लगेंगे. बाद में काफी सोचसम?ा कर मैं ने यह स्टाइल करवाया, बिलकुल लेटैस्ट और गौर्जियस.’’

सो, प्रियंका ने उस की तारीफ करते हुए कहा, ‘‘वाकई तुम्हारे बाल बेहद खूबसूरत लग रहे हैं.’’

मुग्धा तब बोली, ‘‘और यह ड्रैस देखी तुम ने? बिलकुल लेटैस्ट स्टाइल की है. जानती हो, कनाडा से मेरे अंकल ले कर आए हैं. वे कह रहे थे कि हमारी बच्ची तो एकदम राजकुमारी लग रही है. जानती है ये अंकल जो हैं न मेरे, हमेशा यही कहते हैं कि तू मिस इंडिया कौन्टैस्ट में जाएगी तो जरूर जीत कर आएगी. एक्चुअली, मैं सुंदर हूं और इंटैलिजैंट भी. मगर क्या करूं समय ही नहीं मिलता किसी कंपीटिशन में पार्टिसिपेट करने का. पढ़ाई में भी तो अव्वल रहना है न.’’

प्रियंका ने उस की हां में हां मिलाते हुए कहा, ‘‘सच यार, तू जितनी खूबसूरत है उतनी ही स्मार्ट भी. तेरे जैसी लड़कियां कहां मिलती हैं. मु?ो प्राउड फील होता है यह सोच कर कि तू मेरी दोस्त है. आई एम ग्रेटफुल टू बी योर फ्रैंड. थैंक यू डियर, ओके बाय.’’ यह  कह कर प्रियंका वाणी के साथ आगे बढ़ गई.

वाणी आंखें तरेरती हुई बोली, ‘‘क्या यार प्रियंका, क्या जरूरत थी उस की तारीफ करने की? वह हर समय अपना इंप्रैशन जमाने की कोशिश में ही लगी रहती है. तू उस की इस आदत को और हवा देती है.’’

‘‘यार, मैं खुद उस की आदत से परेशान हूं. मगर मैं जानती हूं कि जब तक हम उसे एकनौलेज नहीं करेंगे वह इसी तरह अपना इंप्रैशन जमाने की कोशिश करती रहेगी. मैं तो यह जानती हूं कि जो लोग ज्यादा दिखावा करते हैं और अपने स्टेटस या पैसों का रोब ?ाड़ते हैं, असल में वे अपनी इनसिक्योरिटी छिपा रहे होते हैं. उन के अंदर कुछ खालीपन होता है जिसे छिपाने के लिए वे ऐसा करते हैं. हमें ऐसे लोगों से अलग तरह से पेश आना चाहिए. कभीकभी उन की तारीफ कर देनी चाहिए ताकि वे इस भावना से उबर सकें.’’

वाणी प्रियंका का चेहरा देखती रह गई. उसे अब बात सम?ा में आने लगी थी. प्रियंका के इस साइकोलौजिकल अप्रोच से वह भी इत्तफाक रखने लगी थी.

दरअसल कुछ लोगों की आदत होती है कि वे दूसरों के सामने अपनी ?ाठी तारीफ के पुल बांधने लगते हैं. सच हो या नहीं, उन्हें बस अपना इंप्रैशन जमाना होता है. कोई रुपयों का रोब ?ाड़ता है तो कोई अपनी जौब का. कोई अपने हुनर का तो कोई तेज दिमाग का. कुछ लोग नैगेटिव इंप्रैशन जमाते हैं तो कुछ पौजिटिव. कुछ ऐसे भी होते हैं जिन की बातों से अहंकार ?ालकता है. इस तरह के लोगों के साथ समय बिताना या बातें करना काफी अजीब लगता है. जब हमें पता होता है कि उन की बातों में जरा सी भी सचाई नहीं और वे केवल इंप्रैशन जमाने के लिए अपनी तारीफ किए जा रहे हैं तो बहुत कोफ्त होती है.

हमारी जिंदगी में ऐसे रिश्तेदारों, पड़ोसियों और दोस्तों की कमी नहीं होती. दोस्तों की यह आदत हमें खासतौर पर नागवार गुजरती है क्योंकि हम औलरेडी उन्हें बहुत करीब से जानते हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब कोई दोस्त हमें प्यारा हो मगर उस की इंप्रैशन जमाने वाली बातों से इरिटेशन होने लगे तो क्या करें?

सब से पहला उपाय यह है कि ध्यान दें कि क्या आप का दोस्त पौजिटिव इंप्रैशन जमा रहा है या नैगेटिव बातें कह रहा है या फिर उस की बातों में अहंकार दिख रहा है. यदि वह अपनी खूबियों और अपनी चीजों के बारे में बढ़ाचढ़ा कर कह रहा है तो उस पर ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं. उस की बातें एक कान से सुनें और दूसरे से निकाल दें.

इस के विपरीत यदि वह अपने नैगेटिव पहलू को आप के आगे उभारने की कोशिश कर रहा है ताकि आप उस से डर कर रहें तो ऐसे दोस्तों से दूरी बढ़ा लें. तीसरा यदि वह अहंकारपूर्ण शब्दों का प्रयोग कर रहा है और उस की बातों से उस का घमंड ?ालक रहा है तो भी आप को धैर्य रखने की जरूरत है.

समय के साथ ऐसे दोस्तों से दूरी बढ़ा लें जिन की बातों में सचाई कम, अहंकार ज्यादा हो. आप अपने लिए हम्बल, डाउन टु अर्थ और जैनुइन दोस्त चुनें जो आप के प्रति बिलकुल सच्चे हों. आप के दिमाग में यह बात क्लीयर होनी चाहिए कि आप को कैसा दोस्त चाहिए. अपनी पसंद के इंसान के साथ करीबी बढ़ाएं तो आप को एक तरह से संतुष्टि मिलेगी.

इनसिक्योरिटी का डर

वैसे लोग जो एरोगैंस या दिखावे में ज्यादा विश्वास करते हैं और अपने स्टेटस, पैसों या जौब का रोब ?ाड़ते हैं, दरअसल वे अपनी इनसिक्योरिटी छिपा रहे होते हैं. उन के अंदर कुछ ऐसा खालीपन होता है जिसे छिपाने के लिए वे रोब डालने की कोशिश करते हैं. हमें ऐसे लोगों पर दया करनी चाहिए. हमें यह सम?ाने का प्रयास करना चाहिए कि वे अपनी किसी कमी, डर, असुरक्षा या बुरी यादों से बचने के लिए ऐसा कर सकते हैं.

हमें नहीं पता होता कि वह बंदा बचपन से अब तक क्याक्या डील कर रहा है और किन परेशानियों से गुजरा है. वह शो औफ करने की कोशिश क्यों कर रहा है? ऐसा क्या है जो उसे ऐसे इंप्रैशन जमाना पड़ रहा है या दिखावा करना पड़ रहा है? इसलिए जो वह दिखा रहा है उस के लिए उसे ऐप्रिशिएट करें और एकनौलेज करें. फिर देखें, कैसे वह आप का सब से अच्छा और प्यारा दोस्त बन जाता है.

एकनौलेज करें

इस संदर्भ में मानवीय संबंध विशेषज्ञ आश्मीन मुंजाल कहती हैं, ‘‘आप जितना ही किसी बात से चिढ़ते हों, वह बात उतनी ही आप का पीछा करती है. मोर यू रेसिस्ट, मोर इट विल परसिस्ट. द मोमैंट यू एक्सैप्ट, इट विल डिसऐपियर्ड.’’ यही बात इस केस में भी लागू होती है. आप जितना ही चाहेंगे कि आप का दोस्त आप के आगे फालतू की बातें कर के अपना इंप्रैशन जमाने की कोशिश न करे तो यकीन मानिए ऐसा ही होगा. आप उस से पीछा नहीं छुड़ा पाएंगे.

ऐसे में आप उसे अवौयड कर सकते हैं तो कर दें. दरअसल अपनी जिंदगी में कुछ लोगों को तो आप अवौयड कर ही सकते हैं, जैसे पड़ोसी, कलीग्स या सहपाठी. मगर कुछ, रिश्तेदार या करीबी दोस्त को आप अवौयड नहीं कर सकते. इसलिए इन के साथ आप को अलग तरह से पेश आना होगा.

आप कुछ समय तक बिना परेशान हुए उस की बातें सुनें. सिर्फ सुनें ही नहीं, बल्कि जो वह दिखाना या बताना चाह रहा है उस के लिए उसे ऐप्रिशिएट भी करें. उस की बातों को एकनौलेज करें. उसे एहसास दिलाएं कि आप उस से प्रभावित हैं.

खुले दिल से उस की तारीफ करें

अगर आप का दोस्त अपनी सैलरी और एक्स्ट्रा प्रिविलेजेज के बारे में बढ़ाचढ़ा कर बता रहा है तो आप उस की तारीफ करते हुए कहें, ‘‘वाओ, कितना बढि़या है. तुम कितने हार्ड वर्किंग हो. तुम ने बहुत मेहनत कर इतनी तरक्की हासिल की है. सच, कमाल ही कर दिया. हम बहुत थैंकफुल हैं कि तुम्हारे जैसा दोस्त मु?ो मिला.’’

उस से यह सब कहने के बाद उस का रिऐक्शन देखिए. वह आप के प्रति औब्लाइज और थैंकफुल नजर आएगा. उस के चेहरे की सारी हेकड़ी गायब हो जाएगी और वह आप को गले लगाने की कोशिश करेगा. अगर आप ऐसा दोचार बार करेंगे तो यकीन मानिए, वह आप का बहुत रियल और करीबी दोस्त बन जाएगा.

दिल से तारीफ करें

हर इंसान को तारीफ और रिकग्निशन चाहिए. आप के दोस्त को जो प्रशंसा चाहिए, वह उसे दे दीजिए. रैसिस्ट करने के बजाय उसे एक्सैप्ट करें. दिल से एैप्रिशिएट करें. इस से वह शांत हो जाएगा. आप के आगे उस की शोऔफ करने की आदत भी कम हो जाएगी. वह आप के साथ रियल हो जाएगा. उस का एरोगैंस गायब हो जाएगा. आप का उस से एक अलग सा रिश्ता बन जाएगा. वह दूसरों के साथ जैसा था वैसा ही रहेगा, मगर आप के लिए बदल जाएगा.

याद रखें, हर इंसान में कुछ न कुछ अच्छी बात या विशेषता जरूर होती है. आप के दोस्त में सच में जो अच्छाई है उस पर ध्यान दें. अच्छाइयां ढूंढ़नी पड़ती हैं जबकि बुराई तो तुरंत नजर आ जाती है. एकनौलेज करना एक क्रिएटेड एक्ट होता है. आप वैसी चीज को फोकस में ला सकते हैं जिस पर कभी ध्यान जाता ही नहीं है. यानी आप क्रिएट कर सकते हैं. इस के लिए आप को बहुत सी चीजें मिल जाएंगी.

किसी की आंखें सुंदर हैं, किसी की बिंदी, किसी की ड्रैस और किसी का स्टाइल अच्छा लग सकता है. दुनिया में हर इंसान इस बात के लिए तड़प रहा है कि कोई उस की तारीफ करे. इसी तरह आप का दोस्त भी अटैंशन चाहता है तो वह उसे दे दो. ऐक्चुअली, बैस्ट गिफ्ट जो आप किसी को दे सकते हैं वह है रियल और जैनुइन एैप्रिसिएशन. उसे यह एहसास दिलाना कि उस ने यह काम अच्छा किया. इस से उस की कुछ पाने, बनने या प्रूव करने की तड़प को शांति मिलेगी. सच्चे दिल से यदि आप ऐसा कुछ दिनों तक करेंगे तो उस का एरोगैंस गायब हो जाएगा और एक अलग सा मैजिक होगा.

जब बीवी कमाए, पति उड़ाए

आमतौर पर पुरुषों का कार्यक्षेत्र घर की चारदीवारी के बाहर होता है और घरगृहस्थी की जिम्मेदारी महिलाएं ही संभालती हैं. लेकिन अब इस का उलटा भी हो रहा है. पत्नी नौकरी करती है और पति बेरोजगार हो कर घर के काम करता है. कुछ आलसी किस्म के पति आर्थिक दृष्टि से पत्नी की कमाई पर निर्भर रहते हैं ‘खुदा दे खाने को तो कौन जाए कमाने को’ के सिद्धांत पर चलने वाले पति ताउम्र निठल्ले पड़े रहते हैं. वे घरेलू कामकाज और बच्चों की देखभाल तो कर सकते हैं, पर कोई कामधंधा नहीं.

ऐसे पतियों को और उन की पत्नियों को सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि घर पर रहने वाले पतियों को होती है दिल की बीमारियां, जो उन्हें असमय ही मौत के मुंह में धकेल देती हैं.

घर पर रह कर बच्चों की देखभाल करने वाले पतियों को दिल की बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है. यह बात अमेरिका में किए गए एक अध्ययन के बाद सामने आई है. घर में रह कर बच्चों की जिम्मेदारी संभालने वाले पतियों को दिल की बीमारी होने और उन की जल्दी मौत होने की संभावना बढ़ जाती है.

यह बात कार्य से संबंधित तनाव और कोरोनरी बीमारी के बारे में किए गए एक अध्ययन के दौरान भी सामने आई थी. घर पर रहने वाले पतियों के स्वास्थ्य को इस तरह का खतरा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें अपने परिजनों, मित्रों और साथियों का समर्थन या सहयोग नहीं मिलता है, जबकि घर के लिए काम छोड़ने वाली अकेली कमाऊ महिलाओं को हर तरह से वाहवाही मिलती है.

हमेशा तनाव में रहना

फिर पुरुषों पर यह भी सिद्ध करना होता है कि वे महिला से बेहर काम कर सकते हैं, इसलिए भी वे सदैव तनाव में रहते हैं. एक अध्ययन लगातार 10 वर्ष तक 18 वर्ष से ले कर 77 साल तक के 2,682 पतियों पर किया गया. इस अध्ययन से यह भी पता चला कि घर पर ही रहने वाले पति अपने अन्य हमउम्र लोगों की अपेक्षा 10 वर्ष पहले मर जाते हैं. अध्ययनकर्ताओं ने इन पतियों की उम्र, रक्तचाप कोलैस्ट्रौल, वजन, मधुमेह और धूम्रपान करने की आदत को जब आधार बनाया, तब भी इस अध्ययन के परिणाम सही निकले.

कम आय प्राप्त करने वाले या पढ़ाई बीच में ही छोड़ने को मजबूर होने वाले पुरुषों को भी दिल की बीमारी होने और समय से पूर्व का ग्रास बन जाने की संभावना अधिक होती है. अच्छी आय प्राप्त करने वाले पुरुषों जैसे डाक्टरों, वकीलों, इंजीनियरों, आर्किटैक्ट और शिक्षकों को दिल की बीमारी होने का खतरा तो होता है, पर अधिक नहीं.

आसान नहीं तलाक लेना

पत्नियों को यह याद रखना चाहिए कि वे निठल्ले पति से तलाक नहीं ले सकती क्योंकि भारतीय अदालतें हिंदू औरतों को पति सेवक आज भी मानती हैं और उन के लिए पति तो जन्मों का साथी होता है चाहे कोढ़ी हो, वेश्यागासी हो. निठल्ले पति का आवरण भी पत्नी के लिए अच्छा रहता है क्योंकि न से तो वह है और दूसरे हाथ मारते हुए डरते हैं. यही सामाजिक परंपराएं कई निठल्ले पतियों को उग्र बना देती हैं. वे मारपीट का सहारा भी लेने लगते हैं.

निठल्ले पतियों की मौत जल्दी भी इसलिए होती है कि न पत्नी, न बच्चे ऐसे जने की देखभाल ढंग से करते हैं. जरूरत पड़ने पर उन्हें इग्नोर किया जाता है. हां एक बार मद्रास उच्च न्यायालय ने हिम्मत दिखा कर बेरोजगार पति को कमाऊ पत्नी से गुजाराभत्ता दिलाने से इनकार कर दिया था जो पत्नी से अलग रहता था. ऐसे पति छोटी बीमारी भी कई बार नहीं बता पाते.

एक्स बौयफ्रैंड बन न जाए मुसीबत

नेहा की शादी बड़ी धूमधाम से हुई थी. पति के नए घरपरिवार में नेहा को स्पैशल ट्रीटमैंट मिल रहा था. अक्षय अपने मातापिता का इकलौता बेटा था, ऐसे में उस की पत्नी नेहा की आवभगत भला क्यों न होती. 3 महीने हो गए थे, सास ने उसे रसोई में घुसने नहीं दिया था. नेहा 15 दिन के हनीमून के बाद लौटी तो जरूरत की हर चीज उस के कमरे में ही पहुंच जाती थी. घर के तीनों नौकर हर वक्त उस की खिदमत में हाजिर रहते थे.

किट्टी पार्टी, रिश्तेदारों और महल्ले में उस की सास उस की खूबसूरती और व्यवहार के कसीदे सुनाते घूमती थी. शाम को नेहा अकसर सजधज कर हसबैंड के साथ घूमने निकल जाती. दोनों फिल्म देखते, रैस्तरां में खाना खाते, शौपिंग करते. जिंदगी मस्त बीत रही थी. मगर अचानक एक दिन नेहा के सुखी वैवाहिक जीवन का महल भरभरा कर गिर पड़ा.

उस दिन उस की सास पड़ोसी के यहां बैठी थी. जब पड़ोसी के बेटे ने अपने कंप्यूटर पर नेहा के अश्लील चित्र उस की सास को दिखाए. ये चित्र उस ने नेहा के फेसबुक अकाउंट से डाउनलोड किए थे, जहां वह अपनी अर्र्द्धनग्न तसवीरें पोस्ट कर के सैक्स के लिए युवकों को आमंत्रित करती थी. शर्म, अपमान और दुख से भरी नेहा की सास ने बेटे को फोन कर के तुरंत घर बुलाया. पड़ोसी के कंप्यूटर पर बैठ कर नेहा का फेसबुक अकाउंट चैक किया गया तो अक्षय के भी पैरोंतले धरती डोल गई.

तसवीरें देख कर इस बात से इनकार ही नहीं किया जा सकता था कि यह नेहा नहीं थी और इस अकाउंट से यह साफ था कि वह एक प्रौस्टिट्यूट थी. उस ने वहां पर बाकायदा घंटे के हिसाब से अपने रेट डाल रखे थे. अपनी अश्लील कहानियां तसवीरों के साथ डाल रखी थीं. बड़ा हंगामा खड़ा हो गया. नेहा के परिवार वालों को बुलाया गया. खूब कहासुनी हुई. नेहा मानने को ही तैयार नहीं थी कि वह फेसबुक अकाउंट उस का था, मगर जो तसवीरें सामने थीं वे उसी की थीं. नेहा के मातापिता भी हैरान थे.

नेहा का कहना था कि वह फेसबुक पर कभी थी ही नहीं. उस ने लाख मिन्नतें कीं, लाख सफाई दी, लाख कहा कि यह फर्जी अकाउंट है, मगर सब बेकार. उस को उसी दिन उस के मातापिता के साथ मायके वापस जाना पड़ा. उस की ससुराल वाले ऐसी बहू को एक पल के लिए भी अपने घर में नहीं रखना चाहते थे जिस के चरित्र के बारे में महल्ले वालों को भी पता चल चुका था. अक्षय के परिवार के लिए यह घटना शर्म से डूब मरने जैसी थी. जैसे उन के मुंह पर भरे बाजार किसी ने कालिख पोत दी थी. इस परिवार का महल्ले में बड़ा आदरसम्मान था.

उधर नेहा का रोरो कर बुरा हाल था. मायके लौटते वक्त उसे बारबार अपने ऐक्स बौयफ्रैंड नितिन का खयाल आ रहा था. हो न हो, यह काम उसी का हो सकता है. उसी ने बदला लेने के लिए उस की ऐसी तसवीरें सोशल मीडिया पर अपलोड की हैं. मगर ये तसवीरें उस ने कब और कैसे खींचीं, यह बात नेहा को परेशान कर रही थी.

नितिन के साथ वह 3 साल प्रेम में रही. कालेज खत्म होने के बाद उस ने पाया कि नितिन शादी या अपने फ्यूचर को ले कर बिलकुल चिंतित नहीं है. न तो वह जौब ढूंढ़ रहा था, न किसी कंपीटिशन की तैयारी कर रहा था. वह, बस, सैरसपाटा, मौजमस्ती में ही जी रहा था. ज्यादातर समय उस की जेब खाली होती थी. यहां तक कि जब वे घूमने जाते या फिल्म देखने जाते तो सारा खर्चा नेहा ही करती थी क्योंकि उस को कालेज खत्म करते ही जौब मिल गई थी.

एक साल तक तो नेहा ने नितिन के इस लापरवाह व्यवहार को बरदाश्त किया मगर फिर उस ने फ्यूचर प्लानिंग को ले कर उस से सवाल पूछने शुरू कर दिए. आखिर उस की भी जिंदगी का सवाल था. उस के सवालों से नितिन खी?ा उठता. उस से लड़ने लगता. नेहा को एहसास हो गया कि नितिन पति लायक मैटीरियल नहीं है. वह घरगृहस्थी की जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहता है. जबकि नेहा अब सैटल होना चाहती थी. नेहा के मातापिता को उस की शादी की जल्दी थी. एक से एक रिश्ते आ रहे थे. अच्छे पढ़ेलिखे और बढि़या जौब वाले हैंडसम पुरुषों के रिश्ते थे, जिन्हें नजरअंदाज करना बेवकूफी थी.

आखिरकार तंग आ कर नेहा ने नितिन के साथ अपने रिश्ते को खत्म करने का फैसला कर लिया. नितिन को उस का दूर होना काफी अखरा था.

ब्रेकअप की बात पर वह उस से काफी लड़ा?ागड़ा भी. मगर, कब नौकरी करोगे? कब शादी करोगे? कब अपने मांबाप से मिलवाओगे? नेहा के ऐसे सवालों का उस के पास कोई जवाब न था. नितिन से अलग होने के सालभर के अंदर ही नेहा की शादी अक्षय से हो गई. इस बीच वह न तो नितिन से मिली और न ही उस से फोन पर कोई बात हुई. इतना वक्त गुजरने के बाद नितिन इस तरह नेहा के नाम से फर्जी फेसबुक अकाउंट बना कर बदला लेगा, उसे बदनाम करने की कोशिश करेगा, ऐसा उस ने सपने में भी नहीं सोचा था.

नेहा के कहने पर उस के मातापिता ने पुलिस के साइबर सैल में नितिन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया, मगर पुलिस की लेटलतीफी के चलते 6 महीने बीत चुके हैं, नितिन अभी तक उन के हत्थे नहीं चढ़ा है. इधर अक्षय के वकील की ओर से नेहा को तलाक का नोटिस मिल चुका है. ऐक्स बौयफ्रैंड की जलन और बदले की भावना ने नेहा की अच्छीभली खुशहाल जिंदगी खत्म कर दी है.

मेरठ की रागिनी भी अपने ऐक्स बौयफ्रैंड की हरकतों से परेशान है. पेशे से टीचर रागिनी को उस का ऐक्स बौयफ्रैंड मधुर आएदिन रास्ते में रोक कर डरानेधमकाने की कोशिश करता है. रागिनी 5 साल तक मधुर के साथ रिलेशनशिप में थी. मधुर की मोहक छवि ने रागिनी के दिलोदिमाग पर जैसे कब्जा कर लिया था. वह अपनी आधी से ज्यादा सैलरी उस पर लुटाने लगी थी. मगर शादी की बात पर मधुर भी चुप लगा जाता था.

रागिनी के मातापिता ने भी कई बार मधुर से शादी के बारे में पूछा, मगर उस ने कोई पक्का जवाब नहीं दिया. आखिरकार तंग आ कर रागिनी ने उस से संबंध तोड़ लिए. कोलकाता के एक बड़े बिजनैसमैन प्रकाश के साथ जब से रागिनी का रिश्ता तय हुआ है, वह खुश तो बहुत है मगर दिल में मधुर का भय भरा हुआ है. यह डर इतना हावी है कि वह न तो शादी की खरीदारी के लिए घर से बाहर निकल रही है, न किसी से अपने रिश्ते की बात शेयर कर रही है. उसे और उस के मातापिता को डर है कि जैसे ही मधुर को पता चलेगा कि उस की शादी तय हो गई है, वह जरूर कोई न कोई गलत हरकत करेगा. हो सकता है वह उस के होने वाले पति की जानकारी प्राप्त कर के वहां कोई ऐसी बात पहुंचा दे जिस से यह रिश्ता टूट जाए. हो सकता है वह रागिनी के साथ मारपीट करे या उसे शारीरिक नुकसान पहुंचाए. ये तमाम बुरे खयाल रागिनी की खुशियों पर ग्रहण की तरह चस्पां हो गए हैं.

इस डर से रागिनी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट भी डिलीट कर दिए हैं, अपना मोबाइल फोन का नंबर भी बदल दिया है, मगर डर है कि, जाता ही नहीं है. मधुर के कारण ही रागिनी के मातापिता बेटी की शादी कोलकाता जा कर कर रहे हैं. लड़के वालों को पहले तो यह बात अटपटी लगी थी, मगर इस में उन्हें ही सहूलियत नजर आई कि चलो, भारीभरकम बरात ले कर मेरठ नहीं जाना पड़ेगा. काफी खर्चा बच जाएगा, यह सोच कर वे राजी भी हो गए.

मेरठ में रागिनी के मातापिता ने बेटी की शादी की बात बहुत नजदीकी रिश्तेदारों को बताई है. कुछ गिनेचुने लोग ही शादी अटैंड करने के लिए कोलकाता जा रहे हैं. सबकुछ बेहद गुपचुप तरीके से प्लान हो रहा है. ऐक्स बौयफ्रैंड रागिनी के लिए ऐसा हौआ बन गया है कि वह अपनी खुशियां तक एंजौय नहीं कर पा रही है.

‘प्यार’ शब्द किसी के भी मन में उमंग जगा देता है. 2 लोग जब प्यार में होते हैं तो उन के लिए एकदूसरे की खुशी सब से ज्यादा जरूरी होती है. लेकिन हर लव स्टोरी सक्सैसफुल हो, ऐसा होता नहीं है. रिश्ते टूटते भी हैं और यहीं से पैदा होती है नफरत. जरूरी नहीं कि हर केस में ऐसा हो, लेकिन ज्यादातर में ऐसा होता है. ब्रेकअप होने पर कुछ लोग अपनी जिंदगी में मस्त हो जाते हैं या दूसरा साथी ढूंढ़ लेते हैं, वहीं कुछ लोग बदला लेने की ठान लेते हैं. सोचते हैं कि वह मेरी नहीं हुई तो किसी और की कैसे हो सकती है?

शाहरुख खान की फिल्म ‘डर’ आप को याद होगी. ‘क…क….क… किरण’ वाली. यह भी दिल टूटे आशिक की कहानी है, जो ऐसा ही सोचता कि तू मेरी न हुई तो तु?ो किसी और का होने न दूंगा. खैर, वह तो फिल्म थी जिस में जूही चावला एक पगलाए आशिक से बच जाती हैं, मगर नेहा और रागिनी की जिंदगी कोई फिल्म नहीं है, हकीकत है. वे अपने ऐक्स बौयफ्रैंड की गलत हरकतों, साजिश और बदले का शिकार बन गई हैं.

रिश्ता तोड़ते वक्त रखें सावधानी

एक मशहूर गीत के बोल हैं, ‘वो अफसाना जिसे अन्जाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा…’ किसी के साथ रिश्ते में होना बेहद खूबसूरत एहसास है, मगर यह सुंदर सपना जब टूटता है तो बड़ी चोट पहुंचती है.

प्रेम संबंध टूटने की कुछ वजहें होती हैं, जैसे दोनों में से किसी एक का शादी के लिए राजी न होना, घरवालों का दबाव होना, धर्मजाति का अलगअलग होना, लड़के का नौकरी न करना, कोई फ्यूचर प्लानिंग न होना वगैरहवगैरह. जब आप को लगे कि आप का रिश्ता किसी मंजिल तक नहीं पहुंच सकता तो ठीकठीक वजहें सामने रख कर अलगअलग राह चुनने के लिए अपने पार्टनर से खुल कर बात करें. अगर वह आप से सचमुच प्यार करता है तो वह आप की बात को जरूर सम?ोगा.

ऐसे में आप आपसी सम?ाते के साथ एकदूसरे से खुशीखुशी अलग हो सकते हैं. यदि आप का बौयफ्रैंड आप से किसी मतलब से जुड़ा हुआ है तो वह आप को धमकी देने की या डराने की कोशिश करेगा. हो सकता है वह आप को ब्लैकमेल भी करे. ऐसे में तुरंत अपने मातापिता को उस के बारे में बताएं और उस की पुलिस कंपलैंट करें. ऐसे लोगों से डरने की कतई जरूरत नहीं है. डरने से उन के हौसले बुलंद होंगे और आप ठगी व ब्लैकमेलिंग का शिकार बन सकती हैं.

इस के अलावा, ब्रेकअप के वक्त और उस के बाद कुछ बातें आप को ध्यान में रखनी चाहिए ताकि भविष्य में जिस से भी आप की शादी हो, उस के साथ आप खुश रह सकें और कभी अपने ऐक्स बौयफ्रैंड की किसी साजिश का शिकार न बनें.

बौयफ्रैंड से धीरेधीरे दूरी बनाएं

अगर आप की शादी तय हो गई है तो जरूरी नहीं कि आप एक ?ाटके में अपने प्रेमी से रिश्ता तोड़ दें. जब रिश्ता बनने में वक्त लगता है तो उसे खत्म करने में भी लगेगा. इसलिए दूरी धीरेधीरे बनाएं. उसे उन बातों का एहसास दिलाएं कि वे क्या मजबूरियां हैं जिन के कारण आप उस से दूर हो रही हैं. आप उस को इस बात के लिए तैयार करें कि वह उन मजबूरियों को सम?ो और अपनी उन कमियों को माने जिन के कारण आप उस से दूर हो रही हैं.

खुल कर सारी बात करें. अपनी परेशानी और अपनी इच्छाएं बताएं. एक पल में सबकुछ खत्म करने की कोशिश न करें, क्योंकि हो सकता है कि सामने वाला अचानक हुए खालीपन को बरदाश्त न कर पाए. उसे समय दें और धीरेधीरे सारे कौन्टैक्ट खत्म करें. अगर आप के फोटोज या अन्य चीजें उस के पास हों तो उन्हें वापस लेने की कोशिश करें.

बौयफ्रैंड के दिए गिफ्ट नष्ट कर दें

जब हम किसी के साथ रिलेशनशिप में होते हैं तो हमारे बीच तमाम चीजों का आदानप्रदान होता है. हम बर्थडे, वैलेंटाइन डे या अन्य कई मौकों पर अपने प्रिय को गिफ्ट देतेलेते हैं. आप के बौयफ्रैंड ने भी आप को गिफ्ट, कार्ड या कपड़े इत्यादि दिए होंगे. उन्हें आप जितनी जल्दी खुद से दूर कर देंगी, उतनी जल्दी आप उस की यादों से मुक्त हो पाएंगी. बौयफ्रैंड के दिए गिफ्ट को संभाल कर रखना कोई सम?ादारी नहीं है और उन्हें अपने साथ अपने पति के घर ले जाना तो महाबेवकूफी कहलाएगी. इसलिए उन तमाम चीजों को या तो लौटा दें या नष्ट कर दें. कोशिश करें कि आप ने भी उसे जो गिफ्ट या कार्ड्स वगैरह दिए हैं, वे सब उस से वापस मिल जाएं. उन चीजों को भी नष्ट कर दें. नए जीवन में पुरानी चीजों की छाया नहीं पड़नी चाहिए.

ब्रेकअप के बाद खुद को समय दें

ब्रेकअप के बाद अकसर यह एहसास होता है कि यह कुछ वक्त की दूरी है, हम फिर एक हो जाएंगे. इस एहसास से निकलना आसान नहीं होता है. ज्यादातर लोग ब्रेकअप के बाद उत्पन्न हुए खालीपन को भरने के लिए तुरंत कोई दूसरा दोस्त ढूंढ़ लेते हैं या शादी के लिए तैयार हो जाते हैं, यह ठीक नहीं है. बौयफ्रैंड के साथ बिताए पलों को भूलने के लिए और सचाई को पूरी तरह स्वीकार करने के लिए खुद को समय दें, चिंतन करें और अपनेआप को सम?ाएं कि आप ने जो कदम उठाया है वह बिलकुल ठीक है. नया दोस्त या जीवनसाथी चुनने में हड़बड़ी न करें. ठंडे दिमाग से अच्छे भविष्य की आशा संजो कर, ठोंकबजा कर नए रिश्ते में जाएं ताकि दोबारा आप को जुदाई का दर्द न सहना पड़े. इस के लिए अगर ब्रेकअप के बाद आप को सालदोसाल का वक्त लेना पड़े तो गलत नहीं है. इस बीच आप अपनी पसंदीदा चीजें करें. ध्यान, व्यायाम, खानपान आदि पर ध्यान दें.

चाहें तो कहीं फुलटाइम या शौर्टटाइम नौकरी कर लें. इस से आप को पुरानी बातें भूल कर भविष्य की योजनाएं बनाने में आसानी होगी.

शादी में बौयफ्रैंड को भूल कर भी न बुलाएं

भले आप आपसी सम?ाते के तहत अपने बौयफ्रैंड से अलग हुई हों और हो सकता है आप शादी के बाद भी अपने लवर को दोस्त की हैसियत से अपने करीब रखना चाहें तो इस में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन कोशिश करें कि आप उसे अपनी शादी पर न बुलाएं क्योंकि उस वक्त एकदूसरे का सामना करना मुश्किल होगा और आप खुद उस की मौजूदगी में किसी और से शादी करने में असहज महसूस करेंगी.

वहीं, आप का ऐक्स बौयफ्रैंड उस व्यक्ति से जलन महसूस करेगा जिस के गले में आप वरमाला डाल रही हैं. यह जलन कब बदले की भावना में बदल जाए, कहा नहीं जा सकता. अपनी शादी की फोटोज भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर न डालें, न दोस्तों को व्हाट्सऐप वगैरह करें. इन फोटोज के सामने आने पर आप के ऐक्स के मन में जलन पैदा होगी, जो भविष्य में आप के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है.

हसबैंड को सबकुछ न बताएं

यह गलत होगा कि आप अपने जीवनसाथी से अपने पिछले रिश्ते की बात छिपाएं, लेकिन जरूरी यह भी नहीं कि अपने अतीत के बारे में ‘सबकुछ’ बताया जाए. आजकल स्कूलकालेज में बौयफ्रैंडगर्लफ्रैंड बनना आम बात है. इस को ले कर अकसर पति अपनी पत्नी से सवाल नहीं करते हैं. जवानी में अपोजिट सैक्स के प्रति आकर्षण होना एक स्वाभाविक क्रिया है. लोग यह मानने को तैयार ही नहीं होते कि स्कूलकालेज में आप का कोई प्रेमी या प्रेमिका नहीं रहा होगा. यह आम चलन है. इसलिए पति से यह बताना कि हां, आप का प्रेमी था, कोई गजब ढाने वाली बात नहीं होगी.

हां, अगर आप अपने प्रेमी के बेहद करीब थीं और उस से आप के शारीरिक संबंध थे, या आप उस से कभी प्रैग्नैंट हुईं या आप का अबौर्शन हुआ तो जरूरी नहीं कि आप अपने पति को ये सारी बातें बताएं, क्योंकि यह कन्फेशन आप के रिश्ते में कड़वाहट भर देगा. इसलिए भावुकता में बह कर अतीत को पति के सामने खोल कर रख देना कोई सम?ादारी नहीं होगी. कोई भी पुरुष भले खुद को बेहद आधुनिक या खुले विचारों का बताए मगर यह बात कतई बरदाश्त नहीं कर सकता कि उस की पत्नी पहले किसी के साथ सो चुकी है.

पैसों का हिसाबकिताब खत्म करें

ऐसे कई प्रेमी जोड़े होते हैं जो जौइंट अकाउंट, इंश्योरैंस पौलिसी, प्रौपर्टी इंवैस्टमैंट मिल कर करते हैं शायद यह सोच कर कि उन दोनों को रिश्ते को साथ आगे ले कर जाना है. लेकिन अगर ब्रेकअप हो रहा है तो यह सुनिश्चित कर लें कि आप पैसेप्रौपर्टी से जुड़े सारे हिसाबकिताब निबटा लें ताकि अन्य व्यक्ति से आप की शादी के बाद कोई परेशानी पैदा न हो.

शादी दूसरे शहर में करें

बौयफ्रैंड से ब्रेकअप के बाद जब आप नए रिश्ते में नया जीवन शुरू करें तो कोशिश करें कि किसी नए शहर में करें. अपने शहर में वही जगहें, वही पिक्चर हौल, वही बाजार, वही पार्क जहां आप अपने बौयफ्रैंड की बांहों में बांहें डाले घूमा करती थीं, जहां आप ने अपने जीवन के सब से सुखद पल बिताए थे. ऐसे में पुरानी यादें हर वक्त आप के दिल पर तारी रहेंगी और आप को अपने नए जीवनसाथी के रंग में कभी रंगने न देंगी. जब आप पति के साथ उन्हीं जगहों पर होंगी तो मन ही मन पति की तुलना अपने बौयफ्रैंड से भी करती रहेंगी. बौयफ्रैंड की हर हरकत आप को याद आएगी. दिल में टीस उठेगी और आप अपने पति के साथ अपना वैवाहिक जीवन कभी एंजौय नहीं कर पाएंगी. इसलिए कोशिश करें कि शादी के लिए किसी अन्य शहर में रहने वाले पुरुष को चुनें. यदि ऐसा संभव न हो और शादी अपने ही शहर के लड़के से हो जाए तो अन्य शहर में नौकरी करने के लिए उन्हें प्रेरित करें. पुरानी जगह छोड़ने पर पुरानी यादें भी पीछे छूट जाती हैं और आने वाला वक्त हर घाव भर देता है.

पति की तुलना बौयफ्रैंड से न करें

हर शख्स की अपनी पर्सनैलिटी, आदतें, चाहतें और काम करने के तरीके होते हैं. हमारी दोस्ती किसी व्यक्ति से तब होती है जब उस की बातें, आदतें, पसंदनापसंद हम से मिलतीजुलती होती हैं. आप के बौयफ्रैंड की बहुत सी बातें शायद आप से मिलती होंगी, तभी आप की दोस्ती हुई और हो सकता है जिस व्यक्ति से आप की शादी हुई है, उस की आदतें आप से कतई न मिलती हों. उस हालत में आप को अपने बौयफ्रैंड का खयाल आ सकता है.

सुमन को गाने का शौक था. उस का बौयफ्रैंड भी गाता था. इस हौबी के चलते ही दोनों एकदूसरे के करीब आए थे. मगर किसी कारणवश दोनों शादी नहीं कर पाए. सुमन की शादी एक चार्टर्ड अकाउंटैंट से हुई है, जो गीतसंगीत में जरा भी रुचि नहीं रखता. ऐसे में सुमन को हर वक्त अपने बौयफ्रैंड की याद आती है और वह अकसर अपने रूखे पति की तुलना उस से करती है. यही वजह है कि उस का वैवाहिक जीवन सुखी नहीं है.

वह हर वक्त अनमनी सी रहती है. हालांकि उस के पति में और कई खूबियां हैं, मगर सुमन ने उन खूबियों की ओर अब तक नजर नहीं डाली है. याद रखें कि आप ने जिस व्यक्ति से शादी की है वह आप के ऐक्स से बहुत बेहतर है, क्योंकि उस ने आप को स्थायित्व दिया है, आप को आर्थिक सुरक्षा दी है, समाज के सामने आप को अपना बनाया है, आप पर विश्वास किया है और अपना घर आप के हवाले किया है.

क्या आप का बौयफ्रैंड आप को कभी इतना सब दे सकता था? शायद नहीं. तो इसलिए कभी भी अपने पति की तुलना उस व्यक्ति से न करें जो बेहद कमजोर था, जिस के अंदर आप को अपनाने की ताकत नहीं थी, जिस ने आप को प्रेम में धोखा दिया, आप के भोले मन को छला और आप को पीड़ा पहुंचाई.

मुझे एक युवती से प्यार हो गया है, लेकिन मेरी फैमिली पुराने खयालों की है?

सवाल-

मुझे एक युवती से प्यार हो गया है. वह भी मुझ से प्यार करती है पर वह बहुत बोल्ड है. हमारी फैमिली पुराने खयालों की है. मैं चाहता हूं कि वह शादी के बाद मेरे परिवार के अनुसार चले. क्या करें?

जवाब

आप की प्रेमिका बोल्ड है यह तो अच्छी बात है, लेकिन आप भौंदुओं वाली बात क्यों करते हैं. अपनी आजादी हरेक को प्यारी होती है क्या आप को नहीं? फिर पुराने खयालों में ही जीते रहने का क्या फायदा, रही बात संस्कार की तो बोल्ड होने का मतलब संस्कारहीन होना नहीं.

आजकल युवतियां समय अनुसार चलने, आगे बढ़ने पर जोर देती हैं, जो अच्छी बात है फिर आप तो उस से प्यार करते हैं. उस के लिए खुद को बदलिए, पेरैंट्स को पुराने खयालों से नए विचारों की ओर मोडि़ए. वह युवती आप के घर आ कर आप की व आप के परिवार की तरक्की की राह ही खोलेगी, हां, उस की रिस्पैक्ट जरूर कीजिए, क्योंकि वह जमाने के अनुसार ताल से ताल मिला कर चलने वाली है, तो तरक्की के रास्ते खोलेगी.

जब प्रेमिका हो बलात्कार की शिकार

फिल्म ‘काबिल’ में सुप्रिया यानी गौतम जब बलात्कार का शिकार होती है तब रोहन यानी रितिक रोशन फटाफट उसे पुलिस स्टेशन व जांच के लिए हौस्पिटल ले जाता है ताकि सुप्रिया के गुनहगारों को सजा मिल सके. लेकिन पुलिस के अजीबोगरीब सवालों से वह इतना परेशान हो जाता है कि सुप्रिया की शारीरिक व मानसिक स्थिति पर ध्यान नहीं दे पाता. वह सुप्रिया को संभालने के बजाय उस से बात ही नहीं करता. वह यह सोचसोच कर खुद को दोषी मानने लगता है कि वह इस काबिल भी नहीं है कि सुप्रिया की रक्षा कर पाए? रोहन को इस तरह शांत देख कर सुप्रिया को लगने लगता है कि रेप की घटना की वजह से रोहन उस के साथ ऐसा व्यवहार कर रहा है जिस का परिणाम यह होता है कि सुप्रिया रोहन मेरे कारण और परेशान न हो इसीलिए वह आत्महत्या कर लेती है.

यह तो कहानी है फिल्म की, लेकिन वास्तविक जीवन में भी जब प्रेमिका बलात्कार की शिकार होती है तो रिश्ते में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं. कुछ प्रेमी सोचते हैं काश, मैं ने उसे अकेला न छोड़ा होता, काश, मैं ने डिं्रक करने से मना किया होता, मैं उस के साथ होता तो ऐसा कभी नहीं होता और खुद को दोषी मानने लगते हैं.

कुछ प्रेमी प्रेमिका को इस का दोषी मान कर ब्रेकअप तक कर लेते हैं, जबकि यह समय ऐसा होता है जिस में पार्टनर को एकदूसरे के साथ की जरूरत होती है इस गम से बाहर निकालने में.

प्रेमिका बलात्कार की शिकार हो तो क्या करें

– मोरली सपोर्ट करें :  इस वक्त प्यार व सपोर्ट की खास जरूरत होती है, इस से लगता है कि कोई है जिस के साथ जिंदगी गुजारी जा सकती है, क्योंकि इस तरह की घटना के बाद लड़की को ऐसा लगने लगता है कि कोई उस के साथ नहीं रहेगा. अब वह किसी काबिल नहीं है और वह खुद को दोषी मानने लगती है. इसलिए जब भी आप की प्रेमिका ऐसा कुछ कहे तो कुछ सकारात्मक बातें कहें ताकि उस का मनोबल बढ़े. इस वक्त परिवार को भी काफी सपोर्ट की जरूरत होती है, उन का भी साथ दें. जब जांचपड़ताल के मामले में उन्हें कहीं जाना हो तो साथ जाएं ताकि उन का हौसला बरकरार रहे.

– हर गम की दवा प्यार :  गम कितना भी गहरा क्यों न हो, लेकिन प्यार से निभाया जाए तो कुछ भी मुश्किल नहीं होता, इसलिए प्यार से इस स्थिति से प्रेमिका को बाहर निकालें. ऐसा भी हो सकता है कि प्रेमिका के घर वाले उस का साथ न दें उसे भलाबुरा सुनाएं, लेकिन यह आप की जिम्मेदारी है कि आप उस के परिवार वालों को समझाएं कि इस में किसी का दोष नहीं है. उन की बेटी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया कि आप उस के साथ ऐसा व्यवहार करें बल्कि आप अपनी बेटी का साथ दें, ताकि वह इस गम से बाहर निकल सके.

– स्मार्ट माइंड से लें स्मार्ट ऐक्शन : जब आप की प्रेमिका के साथ रेप हो रहा है तब आप हाथ पर हाथ रखे न बैठे रहें बल्कि स्मार्ट माइंड से स्मार्ट ऐक्शन लें. जैसे तुरंत पुलिस को कौल करें, फोन से पुलिस की गाड़ी का हौर्न बजाएं, वीडियो बना लें ताकि अपराधियों के खिलाफ सुबूत मिल सके.

– प्रीकौशन पिल्स दें : रेप हो गया है अब क्या करें, कितनी बदनामी होगी, ऐसी बातें ही न सोचते रहें बल्कि थोड़ा स्मार्ट बनें ताकि आप की प्रेमिका के साथ और बड़ा हादसा न हो. इसलिए प्रेमिका को प्रीकौशन पिल्स दें ताकि गर्भ न ठहरे, क्योंकि पता चला आप दोनों रेप के गम में डूबे रहें और कोई बड़ा हादसा हो जाए.

– दोषी को मीडिया से करें हाईलाइट :  खुद से हीरो बनने की कोशिश न करें बल्कि दोषी को हाईलाइट करने के लिए मीडिया का सहारा लें. अगर मीडिया मामले को उजागर करता है तो पुलिस भी तुरंत ऐक्शन लेती है. आप चाहें तो किसी एनजीओ की मदद भी ले सकते हैं. ऐसे कई एनजीओ हैं जो इस तरह के मामलों में सहायता करते हैं.

– गम से उभरने का वक्त दें :  ऐसी उम्मीद न कर बैठ जाएं कि कुछ दिन बाद वह नौर्मल हो जाएगी. अगर वह नौर्मल नहीं होती तो आप उसे डांटने न लगें कि क्या ड्रामा कर रखा है, इतने दिन से समझा रहा हूं, लेकिन तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है, बल्कि उसे इस गम से उभरने का वक्त दें. बारबार न कहते रहें कि जो हुआ भूल जाओ, ऐसा कर के आप उसे और गम में धकेलते हैं.

– काउंसलिंग न करें मिस : इस दौरान मैंटल और इमोशनल कई तरह की समस्याएं होती हैं. इन्हें काउंसलिंग द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है. काउंसलिंग से न केवल गम से उभरने में मदद मिलती है बल्कि जीने की एक नई राह भी मिलती है, इसलिए काउंसलिंग कभी मिस न करें. संभव हो तो आप भी साथ जाएं ताकि ऐसा न लगे कि आप जबरन भेज रहे हैं.

– दूसरों के लिए मिसाल बनें : ऐसा न करें कि दब्बू बन कर चुपचाप बैठ जाएं और प्रेमिका को भी भूल जाने को कहें बल्कि इस के खिलाफ कठोर कदम उठाएं ताकि आप को देख कर बाकी युवाओं को हिम्मत व प्रेरणा मिले.

क्या न करें

– रिश्ता तोड़ने की गलती न करें : आप की प्रेमिका का बलात्कार हुआ है, आप उस के साथ रहेंगे तो लोग आप के बारे में भी तरहतरह की बातें करेंगे, ऐसी बातें सोचसोच कर रिश्ता तोड़ने की गलती न करें. जरा सोचिए, अगर आप की बहन का बलात्कार हुआ होता, तो क्या आप अपनी बहन से रिश्ता तोड़ लेते नहीं न? तो फिर इस रिश्ते में ऐसा क्यों? इसलिए रिश्ता तोड़ने के बजाय अपनी सोच का दायरा बढ़ाएं और पार्टनर का साथ दें.

– प्रेमिका को दोषी न मानें : इस हादसे के लिए कभी भी अपनी प्रेमिका को दोष न दें कि रात में बाहर घूमने व छोटे कपड़े पहनने की वजह से ऐसा हुआ है बल्कि उस पर विश्वास करें, उस की बातें सुनें. हो सकता है आप की प्रेमिका उस वक्त कुछ अजीब तरह की बातें करे, लेकिन आप उन बातों पर गुस्सा करने के बजाय सुनें और प्यार से समझाएं कि इस में उस की कोई गलती नहीं है.

– मरजी के बिना न करें सैक्स : यह ठीक है कि आप अपना प्यार प्रदर्शित करने के लिए प्रेमिका के करीब जाना चाहते हैं ताकि उसे इस बात का एहसास करा सकें कि वह आप के लिए अब भी वैसी ही है जैसी पहले थी, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि वह इस घटना से इतनी डिस्टर्ब हो कि आप की इस भावना को समझ ही न पाए और आप पर गुस्सा करने लगे, जोरजोर से चिल्लाने लगे कि आप उस का रेप कर रहे हैं. इसलिए कभी भी खुद से सैक्स का प्रयास न करें.

अगर प्रेमिका सहमति से संबंध बनाना चाहती है तो उस का साथ दें, मना न करें. आप के ऐसा करने से प्रेमिका को लग सकता है कि उस का रेप हुआ है. इसलिए आप मना कर रहे हैं.

कभी ऐसा भी हो सकता है कि वह खुद पहल कर संबंध बनाए, लेकिन बाद में सारा दोष आप पर डाल दे और चिल्लाने लगे. ऐसी स्थिति के लिए भी खुद को तैयार रखें. ऐसा न करें कि आप भी उलटा चिल्लाने लगें कि तुम ही आई थी संबंध बनाने, मैं तो नहीं चाहता था, बल्कि धैर्य से काम लें.

– गलत कदम न उठाएं और न उठाने दें : कई बार युवा जोशजोश में ऐसे कदम उठा लेते हैं जिस का खमियाजा बाद में भुगतना पड़ता है इसलिए न तो आप गलत कदम उठाएं और न ही प्रेमिका को उठाने दें.

फ्लर्ट से जिंदगी में नया मजा

‘‘मेरा पति मुझे प्यार करता है, मेरी पूरी इज्जत करता है, मेरा पूरा ध्यान रखता है, इस बात का विश्वास दिलाता है कि वह मुझे धोखा नहीं देगा, विश्वासघात नहीं करेगा, लेकिन अपने मन की बहुत सी बातें मुझ से शेयर करता हुआ वह यह भी कहता है कि वह अन्य औरतों की ओर आकर्षित होता है. ‘‘यह बात मुझे हैरान भी करती है और परेशान भी. हैरान इसलिए कि वह मुझे अपने मन की सचाई बता रहा है, लेकिन वह शादीशुदा होते हुए अन्य महिलाओं की ओर आकर्षित कैसे हो सकता है, यह बात मुझे परेशान करती है.’’ वैवाहिक संबंधों की एक सलाहकार के सामने बैठी महिला उन्हें यह बता कर अपनी समस्या का समाधान ढूंढ़ने का प्रयास कर रही है. मैरिज काउंसलर का इस बारे में कहना है, ‘‘मुझे पता है कि किसी भी पत्नी के लिए अपने पति का अन्य महिलाओं की ओर आकर्षित होना परेशानी व ईर्ष्या का विषय है. पत्नी के लिए यह मानसिक आघात व पीड़ादायक स्थिति होती है.

‘‘लेकिन पति आप से अपने इस आकर्षण के बारे में बात करता है, तो वह सच्चा है, आप के प्रति ईमानदार है. इस के विपरीत वे पुरुष, जो अन्य महिलाओं की तरफ आकर्षित होते हैं, उन से रिश्ता रखते हैं, लेकिन पत्नी से छिपाते हैं, झूठ बोलते हैं, वे ईमानदार पतियों की श्रेणी में नहीं आते. ऐसी बात तो पत्नियों के लिए चिंता का विषय है.’’

कुछ भी गलत नहीं

आप चाहे किसी जानीमानी हीरोइन जैसी दिखती हों पर अगर कोई दूसरी आकर्षक शख्सीयत कमरे में आएगी तो आप के पति का उस की ओर आकर्षित होना स्वाभाविक है. यह स्थिति परेशान करती है पर बदलेगी नहीं, क्योंकि यह प्राकृतिक है. इस में कुछ भी गलत नहीं है. क्या पत्नियां आकर्षक सजीले पुरुषों की ओर आकर्षित नहीं होतीं, उन्हें नहीं निहारतीं, उन की तारीफ नहीं करतीं? अगर आप के सामने कोई जानामाना शख्स होगा तो आप भी अपने पति को छोड़ कर उसे निहारेंगी, उस की ओर आकर्षित होंगी.

सहजता से लें

किसी भी सुंदर, अच्छी चीज की ओर आकर्षण मानव का स्वभाव है. यह हमारे जींस में है. यह एक हैल्दी धारणा है. आप शादी के बंधन में बंध गए तो आप किसी अन्य महिला या पुरुष की ओर नहीं देखेंगे, यह किसी ग्रंथ या किताब में लिखा भी है तो भी प्रकृति का दिया नहीं है. इसलिए जब कभी कोई एक किसी अन्य को देख कर उस की तरफ निहारे तो कोपभाजन में न जा कर उसे सहजता से लें. देखने भर से अगर किसी को सुकून मिलता है तो इस में आप का कुछ बिगड़ नहीं जाता. आप एक नई कार खरीदते हैं पर आप सड़क पर चल रही अन्य बड़ी, आकर्षक कारों की ओर आकर्षित भी होेते हैं, तारीफ भी करते हैं, बल्कि उसे अपना बनाने की चाहत भी रखते हैं. यह तो कार की बात है, लेकिन रिश्ते में आकर्षण यानी विपरीत सैक्स की ओर आकर्षण स्वाभाविक है.

नीरसता को तोड़ता है

मैनेजमैंट के 2 छात्र आकांक्षा व प्रतीक अपना कोर्स खत्म हो जाने के बाद अपनीअपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए. सालों बाद जब फेसबुक पर वे मिले तो दोनों ने एकदूसरे के बारे में जाना. दोनों की शादी हो गई थी, लेकिन दोनों एकदूसरे की ओर आकर्षित हुए. हां, दोनों ने अपनी अपनी सीमाओं का अतिक्रमण नहीं किया. थोड़ा सा रोमानी हो जाना रुटीन की नीरसता को तोड़ता है. आकांक्षा को सास की टोकाटाकी, घर की जिम्मेदारियों व पति के असहयोगी रवैए की अपेक्षा प्रतीक काफी सुलझा हुआ, नारी की स्वतंत्रता में विश्वास रखने वाला लगा. वहीं प्रतीक को बेतरतीबी से रहने वाली अपनी पत्नी की अपेक्षा आकांक्षा कहीं अधिक सजग व आकर्षक लगी. दोनों के बीच मैसेज और औनलाइन चैटिंग होने लगी. दोनों अपने कालेज, दोस्तों, परिवार, समस्याओं और भावनाओं को एकदूसरे के साथ बांटने लगे. दोनों को एकदूसरे का साथ अच्छा लगने लगा. धीरेधीरे दोनों को एकदूसरे की आदत सी हो गई.

जीवन का हिस्सा

प्रतीक की पत्नी सीमा और आकांक्षा के पति गौरव को यह आकर्षण, यह मेलजोल बिलकुल नहीं सुहाता था, लेकिन गौरव और सीमा को अगर कोई पुराना दोस्त मिलेगा और उस में उन्हें आकर्षण नजर आएगा, तो क्या वे आकर्षित हुए बिना रह पाएंगे? हर इंसान एक रुटीन वाली दिनचर्या से नजात चाहता है, जिंदगी में नयापन चाहता है. ऐसे में क्या शादी हो जाने का मतलब अपनी सोचसमझ खो कर सिर्फ एकदूसरे की जिंदगी में बेवजह शक करना और रोज की किचकिच को वैवाहिक जीवन का हिस्सा बनाना है?

परिवर्तन के लिए

आज जब कामकाज के मामले में स्त्रीपुरुष में भेद करना रूढिवादिता है, ऐसे में जब स्त्रीपुरुष दोनों घर से बाहर निकलते हैं, तो उन में यौनाकर्षण होना स्वाभाविक है. चाहे प्राइवेट औफिस हो या विश्वविद्यालय, पुरुष अपनी भावनाओं, अनुभवों को साथ बांटने वाली स्त्री के साथ समीपता महसूस करता है, जो पत्नी के साथ संभव नहीं होता. औरत अकेलेपन से घबराती है, इसलिए वह किसी के साथ ऐसा रिश्तानाता जोड़ती है. घर से बाहर का पुरुष, जिस का स्वभाव उस से मिलता जुलता है, जो उसे घरेलू समस्याओं से दूर रखता है, उस की दिलचस्पी वाले विषयों पर उस से बातें करता है, उस के साथ बैठ कर कामकाजी महिला को थोड़े समय के लिए मानसिक और शारीरिक तनाव से मुक्ति मिलती है, उसे घर की कैद से राहत की सांस मिलती है, जो उसे मानसिक सुकून देती है. घर में साफसफाई, बच्चों की जिम्मेदारी, घर के खर्च, बजट, मैनेजमैंट आदि के मुद्दे पतिपत्नी के अहंकारों के टकराने का कारण बनते हैं, जिस से जीवन प्रेमविहीन होने लगता है. ऐसे में पुरुष व महिलाओं के एकदूसरे की ओर आकर्षण को अपराध मानना गलत है और एकदूसरे को शक के कठघरे में खड़ा करना शादीशुदा जीवन का अंत बन जाता है.

आकर्षण स्वस्थ धारणा है

आप ने बहुत सैक्सी ड्रैस पहनी है. आप के पति आप से पूछेंगे कहां जा रही हो? आप न कहेंगी तो वे हैरान होंगे कि आप ऐसे तैयार क्यों हुई हैं और आप की ओर आकर्षित होंगे ताकि कोई और आप की ओर आकर्षित न हो. आकर्षण एक स्वस्थ धारणा है, इसे शक के दायरे में ला कर इस की खूबसूरती को बदसूरत बनाना समझदारी नहीं है. आप एक नई ड्रैस खरीदती हैं, लेकिन अगर किसी और ने अधिक अच्छी ड्रैस पहनी है तो क्या आप उस ड्रैस की ओर नहीं देखेंगी या उस की ओर आकर्षित नहीं होंगी. यह मानवीय स्वभाव है कि जब आप किसी बंधन में बंध जाते हैं तो आप आजाद हो कर नियम तोड़ना चाहते हैं. ऐसे में विपरीत सैक्स की ओर आकर्षण प्राकृतिक है, यह बेईमानी या विश्वासघात नहीं है. वास्तविकता यह है कि आप का पति बेहद आकर्षक है लेकिन उन के आगे आप को कोई मशहूर शख्स अधिक आकर्षक लगेगा. ऐसा ही पुरुषों के साथ भी होता है.

मजे के लिए

जब पतिपत्नी में से कोई विपरीत सैक्स की ओर आकर्षित होता है, फ्लर्ट करता है तो इस का अर्थ यह नहीं है कि उन में से कोई पति या पत्नी को छोड़ देगा. उन से रिश्ता तोड़ देगा. साथी आकर्षित हो कर फ्लर्ट सिर्फ जिंदगी में नएपन या मजे के लिए करता है और आप को इस की जानकारी है तो इसे स्वस्थ और सकारात्मक नजरिए से देखिए. अगर पतिपत्नी एकदूसरे के प्रति जिम्मेदार हैं, दोनों को एकदूसरे पर विश्वास है, तो परपुरुष या परस्त्री की ओर आकर्षित होना अपराध नहीं है.

जब पति को भाने लगे दूसरी औरत

भारतीय क्रिकेट जगत का जानामाना नाम मोहम्मद शमी पिछले दिनों सुर्खियों में रहे. उन की पत्नी हसेन जहान ने उन पर आरोप लगाया कि वे दूसरी औरत के चक्कर में घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं.

जहान ने शमी के व्हाट्सऐप और फेसबुक मैसेंजर के कई स्क्रीन शौर्ट दिखाए जिन में कितनी ही औरतों के साथ उनकी बातचीत के सुबूत थे. जब शमी दक्षिण अफ्रीका के दौर से लौटे और जहान ने इस सब के खिलाफ आपत्ति जताई तब उन्होंने जहान के साथ मारपीट शुरू कर दी. जहान कहती हैं कि उन्होंने शमी को काफी समय दिया खुद को सुधारने के लिए, लेकिन शमी ने अपना सारा गुस्सा जहान पर निकाला. हालांकि शमी इस सब से इनकार करते हैं.

साक्षी एक बैंक मैंनेजर हैं. अच्छा जौब, अच्छी शादीशुदा जिंदगी और ऊपर से देखने में सबकुछ बहुत बढि़या. लेकिन अंदर ?ांको तब पता चलता है कि जब साक्षी को अपने पति के दूसरी औरत के साथ संबंध के बारे में शक हुआ और उस ने अपने पति ने प्रश्न किया तो उस के पति ने आक्रामक रूप धारण कर लिया. चोर की दाढ़ी में तिनका वाली कहावत सच हो गई. जब कभी साक्षी कोई प्रश्न करती तभी उस का पति फौरन गुस्सा करने लगता. धीरेधीरे साक्षी का शक बढ़ता गया और उस के पति का उस के ऊपर गुस्सा.

मजबूरी में जिंदगी

बात घरेलू हिंसा तक पहुंची गई. हर बार ?ागड़े की स्थिति में साक्षी का पति उसे अपने जूते की हील से तो कभी लातघूंसों से पीटता, साक्षी फिर भी उस के साथ जीती जा रही थी, इस उम्मीद में कि उस के पति को गलती का एहसास होगा और वह उस के पास लौट कर आ जाएगा.

हिंसा के बाद जब अगली सुबह साक्षी अपने बैंक जाती तो मेकअप से अपनी चोटों के निशान छिपा कर, बढि़या लिपस्टिक, बिंदी लगा कर जाती. लेकिन उस की सहेली और सहकर्मी को फिर भी शक हो ही गया. उन के द्वारा किसी को न बताने का वादा करने पर साक्षी ने रोरो कर अपना हाल सुना दिया.

‘‘हमारे घर के पास एक बाबाजी रहते हैं जो सौतन से तुरंत छुटकारा दिलवा देते हैं. तू हिम्मत न हार. मैं तु?ो उन के पास लेकर चलूंगी.’’

सहेली की बातों में आ कर साक्षी बाबाजी की शरण में पहुंच गई. बाबाजी के आश्रम में जगहजगह संदिग्ध से पोस्टर लगे हुए थे, धूपदीप जल रहे थे, धुआं उठ रहा था. उन्होंने नाटकीय मुद्रा में आंखें बंद कीं और हाथ हवा में लहराते हुए कहने लगे, ‘‘अगर तेरा पति किसी और औरत के जाल में फंस गया है तो कमी जरूर तेरे ही प्यार में है तभी वो दूसरी की ओर आकर्षित हुआ है.

‘‘छुटकारा पाने के लिए तुम्हें अपनी यौवन की सुंदरता का मोहजाल बनाना होगा पर सब से असरदार टोटका है कि तुम भगवान कृष्ण की शरण में जाओ क्योंकि वे प्रेम के देवता हैं. उन की शरण में जाने से तुम्हारा प्रेम पुन: तुम्हें प्राप्त होगा. हर शुक्रवार को भगवान कृष्ण का ध्यान करते हुए मात्र 3 इलायची अपने शरीर पर स्पर्श कर के अपने पल्लू में बांध लेना और उन्हें बंधे रहने देना.

‘‘दूसरे दिन प्रात:काल उठ कर स्नान कर के भगवान कृष्ण का ध्यान करते हुए अपने पति को चाय में या भोजन में मिला कर इलायची खिला देना. यह टोटका तुम्हें 3 शुक्रवार करना होगा. देखना तुम्हारा पति तुम्हारी तरफ आकर्षित होने लगेगा और पहले से भी अधिक प्रेम करने लगेगा. जा अपनेआप सौतन से छुटकारा मिल जाएगा.’’

इतना सरल उपाय जान कर साक्षी खुश हुई और बाबाजी का जयकारा करती हुई आश्वस्त हो कर वापस लौट आई. लेकिन बाबाजी के टोटके से कोई लाभ न हुआ. पति की दूसरी औरत के प्रति आसक्ति भी वही रही और साक्षी के टोकने पर हिंसा भी जस की तस बनी रही. हां बाबा और उन के चेलों को सभी का रोजाना दर्शन लाभ अवश्य मिला.

आकर्षण की सीमा रेखा

किसी के प्रति आकर्षण होना एक अलग चीज है, लेकिन उस आकर्षण के चलते अपनी शादीशुदा जिंदगी को ताक पर रख देना बिलकुल गलत है. ऐसा नहीं कि शादी के बाद महिला या पुरुष इस बात के लिए प्रतिबंधित हो जाएंगे कि वे अपने साथी के अलावा न तो किसी को देखेंगे और न ही बात करेंगे.

शादी का अर्थ बंधन नहीं और न ही अपने साथी को किसी पिंजरे में रखना है. लेकिन अगर बात केवल देख कर तारीफ करने या बात करने से आगे बढ़ती है तो बेशक इसे गलत कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए.

हिंदू संस्कृति में सौतन से छुटकारा

मनुष्यों के रिश्तों में सब से महत्त्वपूर्ण है पतिपत्नी का रिश्ता जैसे इंसान स्वयं जोड़ता है. कभी अभिभावक जीवनसाथी चुनते हैं तो कभी हम खुद. दोनों ही स्थितियों में इस रिश्ते की गरिमा अनूठी और गरिमामई होती है. पुराने जमाने में पतियों को एक से अधिक पत्नी रखने की सामाजिक स्वीकृति प्राप्त थी. हिंदू समाज में पहली पत्नी का अपना स्थान होता था, लेकिन वहीं दूसरी औरत को हेय दृष्टि से न देख कर उसे भी पत्नी का स्थान प्राप्त हो जाता था.

किंतु हिंदू मैरिज ऐक्ट के आने से यह संभव नहीं है, इसलिए अब पहली पत्नी के होते हुए दूसरा विवाह करना संभव नहीं परंतु पराई स्त्री की ओर आकर्षण कैसे रोक सकता है कोई. ये सौतनों पतियों की दृष्टि में हमेशा से खटकती आई हैं. हिंदू शास्त्रों के अनुसार कामदेव की उपासना करने और उन के मंत्र जाप से पतिपत्नी में प्रेम बढ़ता है और सौतन से छुटकारा मिलता है. यहां पति को सौतन की कुदृष्टि से बचाने के लिए मंत्र भी है-

ॐ कामदेवाय: विद्मह्य: रति प्रियायौ धीमाहिं तन्नोह् अनंग: प्रचोदयात्. ऐसे ही कहा गया कि शुक्र मंत्र का जाप करने से भी सौतन से छुटकारा मिलता है और पतिपत्नी में प्रेम बढ़ता है.

ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय: नम:

टोनेटोटकों की दुनिया

सौतन से छुटकारा पाने के लिए टोनेटोटकों की कोई कमी नहीं है. चाहे आप औफलाइन जाएं या औनलाइन, टोटकों की भरमार आप को चकित कर देगी. ज्योतिसकथन साइट के उपेंद्र अग्रवाल पति वशीकरण का टोटका बताते हुए कहते हैं, ‘‘अगर आप अपने पति को वश में रखना चाहती हैं और आप को शक है कि आप का पति किसी अन्य स्त्री से प्रेम करता है तो शुक्ल पक्ष के किसी भी रविवार को अपने शरीर के उस स्थान पर लौंग रखें जहां पसीना आता हो और फिर उस लौंग को सुखा कर रख लें और अपने पति को किसी तरह खिला दें. आप का पति आप के वश में आ जाएगा और आप के कहे अनुसार चलेगा.’’

पाखंडियों का पाखंड

अघोरी को इन वैबसाइट के अनुसार पति को अपने प्रति मोहित करने के लिए शुक्र मंत्र का जाप अचूक उपाय माना जाता है जिस के नियमित रूप से पाठ करने से पति सौतन को छोड़ कर अपनी पत्नी के प्रति कामासक्त हो उठेगा.

एक और वैबसाइट ‘पामशास्त्र’ कहती है कि सौतन से छुटकारा पाना हो तो साबूत पान के पत्ते पर चंदन तथा केसर का चूर्ण मिला कर अपने मस्तक पर तिलक लगाएं तथा पति या उन के चित्र के समक्ष जाएं. ये प्रयोग 43 दिनों तक करें तथा नित्य नयापत्ता लें जो कहीं से भी कटाफटा न हो. अंतिम दिन सभी पान के पत्तों को एकत्रित कर बहते पानी में बहा दें. आप में सम्मोहक शक्ति आ जाएगी.

बैंगलुरु की ऐस्ट्रोलौजर साइट के मोहम्मद अली खान का दूसरी औरत से छुटकारा पाने का टोटका मानें तो सिंदूर में डूबी हुई कलाई में पहने लायक काली डोरी अपने पति की जेब या पर्स में रखें. अगर आप के पति रखने से मना कर दे तो आप अपने शयनकक्ष के बैड के सिरहाने कहीं भी छिपा के रख दें. ऐसे ही पति को औफिस के लिए खाना जिस बरतन में देते है उस बरतन पर सिंदूर का छोटा सा निशान कर दें.

मगर इन टोनेटोटकों से कुछ नहीं होता. आप को ध्यान रखना होगा कि जिंदगी में इन नकारा, मन बहलाने के कामों से कुछ हासिल नहीं होता. जो कुछ होगा वह ठोस कदम उठाने से होगा, इसलिए इन बहकावों में आ कर अपनी जिंदगी के महत्त्वपूर्ण समय को व्यर्थ न गवाएं बल्कि सही समय पर उचित कदम उठा कर अपने जीवन को सही राह पर लाने का भरसक प्रयास करें.

ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के कारण

ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होने के बहुत से कारण हो सकते हैं, लेकिन अगर समय रहते उन कारणों को जान लिया जाए तो इस मुसीबत से पार पाया जा सकता है. ज्यादातर मामलों में ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर शादीशुदा जिंदगी में कलह होने की वजह से होते हैं, लेकिन यह एकमात्र कारण नहीं है. कई बार घर वालों और समाज की वजह से कुछ लोगों की शादी बहुत कम उम्र में हो जाती है. ऐसे लोग जब जिंदगी के अगले पड़ाव पर पहुंचते हैं तो उन्हें यह लगने लगता है कि उन्होंने काफी कुछ मिस कर दिया है.

ऐसे में वे ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की ओर कदम बढ़ाने लगते हैं. सैक्सुअल सैटिस्फैशन न मिलना भी एक प्रमुख कारण हो सकता है कि आप का साथी आप के अलावा किसी और के प्रति आकर्षित हो. कई मामलों में तो यह सब से बड़ी और एकमात्र वजह होती है. लेकिन कई बार कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन में अतिरिक्त संबंध बनाने की क्रेविंग होती है.

अपने साथी से संतुष्ट होने के बावजूद वे दूसरे के साथ संबंध बनाने के लिए आतुर रहते हैं. एक और बड़ी वजह है बच्चों का जन्म. मातापिता बनाने के बाद जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है. पत्नी अकसर मां की भूमिका को प्राथमिकता देने लगती है और पति इधरउधर भटक जाता है.

अफेयर होने के चांस

दांपत्य विश्वासघात के प्रसिद्ध थेरैपिस्ट डा. स्काट हाल्जमन कहते हैं कि सोशल मीडिया और ई कम्यूनिकेशन के आ जाने से विश्वासघात में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. कारण है नए लोगों से मुलाकातों के बढ़े हुए आयाम. कई लोगों से आप पहली बार नैट के जरीए मिल सकते हैं. और तो और पुराने जानकारों से व मित्रों से भी सोशल नैटवर्किंग साइट की मदद से आसानी से मिल सकते हैं, जिस से कई बार अफेयर होने के चांस बढ़ जाते हैं.

योगेश निजी कंपनी में ऊंचे ओहदे पर कार्यरत है. उस की सामाजिक छवि एक सफल गृहस्थ इंसान की है. किंतु उस की पत्नी पद्मा जानती है कि उस की भटकती हुई नजरें हर सामने आने वाली महिला पर बिखर जाती हैं. वो उस की इस आदत से काफी परेशान है. लेकिन हद तो तब हो गई जब योगेश का अफेयर उस के दफ्तर में कार्यरत एक महिला सहकर्मी से चल पड़ा.

धीरेधीरे वह उस महिला को घर लाने लगा. वह उसे घर लाता, अपने कमरे में ले जा कर दरवाजा अंदर से बंद कर लेता. पद्मा के पूछने पर कहता कि औफिस का कुछ खास काम है और उन दोनों को डिस्टर्ब न किया जाए.

जब यह सिलसिला बढ़ने लगा तो पद्मा ने इस पर आपत्ति जतानी शुरू की. लेकिन उस के मना करने पर योगेश उस पर हाथ उठाने लगा. पद्मा को आभास हो गया कि पानी सिर से ऊपर जा रहा है. आखिर ऐसे कब तक सहती वह.

यदि पतिपत्नी का संबंध तालमेल से चले तो जिंदगी एक सुमधुर गीत बन जाती है, परंतु ताल टूटते ही मेल भी बिखर कर रह जाता है और ऐसा अकसर तीसरे के कारण होता है जो दोनों के बीच आकर पूरा रिश्ता खराब कर देता है. पद्मा को एक परित्यक्ता का जीवन जीना स्वीकार नहीं था. उस ने ठोस कदम उठाने के बारे में सोचा.

परिवार को सम्मिलित किया

पद्मा ने पहले योगेश के और फिर जब बात नहीं बनी तो अपने परिवार को अपनी समस्या में सम्मिलित लिया. उस ने पारिवारिक मीटिंग बुलवाई और उन में योगेश के अफेयर और उस पर हाथ उठाने की बात को उठाया. वह इस शर्म से बाहर निकली कि समाज क्या कहेगा. उस ने अपने कुछ निकटतम दोस्तों और यहां तक कि योगेश के औफिस के बौस को भी ये बातें बताईं. योगश को अपनी छवि का बेहद खयाल था. अपनी छवि खराब होती देख उसे संभलना ही पड़ा. लेकिन बात यहां खत्म नहीं हुई. पद्मा ने इस प्रकरण के पीछे के असली कारणों को जानने की पूरी कोशिश की ताकि भविष्य में दोबारा ऐसा कभी न हो.

पहचानें असली कारणों को

एक अफेयर यों ही नहीं हो जाता. क्यों होता है? क्या कारण रहते हैं कि एक गृहस्थ पुरुष भटक जाता है? इस के पीछे छिपे कारण और असलियत जानने की कोशिश करनी चाहिए. अफेयर को नजरअंदाज करना ठीक वैसा ही होगा जैसे किसी चोटिल व्यक्ति को अस्पताल न ले जाना. देरसबेर चोट भले ही ठीक हो जाए पर उस का दर्द और निशान छूट ही जाएगा. भावनात्मक चोट भी शारीरिक चोट की तरह ही होती है.

यदि आप अपनी गृहस्थी बचाना चाहती हैं तो अफेयर का सामना करना, डट कर खड़े रहना और उस के वार के सामने अडिग रहना जरूरी है वरना कहीं ऐसा न हो कि एक अफेयर खत्म होने पर भी इस के पुन: आप के जीवन में आ कर आप को डराने की आशंका बनी रहे.

द्य सब से पहले तो पत्नी को अफेयर करने, अपनी पत्नी को धोखा देने और घरेलू हिंसा करने की जिम्मेदारी स्वीकार करनी होगी. वह मासूम सा बन कर या सारा दोष अपनी पत्नी पर मढ़ कर नहीं छूट सकता. जब अपनी गलती स्वीकारेगा, तभी तो सुधार की दिशा में कदम उठाएगा.

द्य अफेयर के पीछे कई कारण होते हैं. केवल पति को दोष देना भी ठीक नहीं. पत्नी को भी अपने अंदर ?ांकना होगा. हो सकता है कुछ ऐसे कारण दिखाई दे जाएं जिन की वजह से पति को शादी के बाहर भटकना पड़ गया.

द्य खुल कर आपसी बातचीत से हल निकाला जा सकता है. पतिपत्नी को एकदूसरे के प्रश्नों के उत्तर देने की कोशिश करनी चाहिए पर ध्यान रहे कि उत्तर ईमानदार हों.

द्य अपने अंदर के दर्द का सामना करें और जिस किसी चीज से आप को शांति मिले, वह करने का प्रयास करें.

काउंसलर की सहायता लें

डा. निशा खन्ना जोकि एक फैमिली काउंसलर हैं, कहती हैं कि जहां परिवार और दोस्त किसी एक पक्ष की तरफदारी कर सकते हैं, वहीं काउंसलर एक निष्पक्ष व्यक्ति होता है जो तटस्थ भाव से दोनों पक्षों की बात सुन कर बीच की राह ढूंढ़ने का प्रयास करता है. काउंसलर की कोशिश रहती है कि पतिपत्नी में आपसी कम्यूनिकेशन में सुधार हो और रिश्ते में जो दूरी आ गई है वह मिट सके.

सरलाजी के पति को उन के अफेयर के बारे में जब पता चला तो वे एकदम बिखर सी गईं. उन का विश्वास तारतार हो गया. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि महेंद्रजी उस के साथ विश्वासघात करेंगे. बात पुरानी हो चुकी थी. महेंद्रजी को अपनी गलती का एहसास हो गया था और प्रायश्चित्त के तौर पर उन्होंने स्वयं ही यह बात सरलाजी को बताई.

पहले तो सरलाजी इतना नाराज हुईं कि कई दिनों तक महेंद्रजी से कोई बातचीत नहीं की. लेकिन फिर उन के मन में यह विचार आया कि क्या 6 माह के अफेयर के लिए वे अपनी 30 साल की शादी तोड़ देंगी? क्या एक भूल सुधरी नहीं जा सकती? क्या वे इतने पुराने गृहस्थ जीवन को एक गलती की कसोटी पर तोल नहीं पाएंगी? उन्होंने अपनी शादीशुदा जिंदगी को चुना और एक भूल को माफ  करने में ही सम?ादारी सम?ा.

ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर और घरेलू हिंसा

‘जर्नल औफ मैरिज ऐंड फैमिली’ के एक आलेख ‘वायलैंस पोटैंशियल इन ऐक्सट्रा मैरिटल रिस्पौंस’ के लेखक राबर्ट वाइटहर्स्ट की मानें तो ऐक्सट्रा मैरिटल सैक्स के कारण ही घरेलू हिंसा होती है. जब बात मारपीट पर उतर आए तो इसे हलके में नहीं लेना चाहिए. कोई भी पत्नी यह सह नहीं सकती कि उस का पति किसी और स्त्री के चक्कर में पड़ जाए. किंतु यदि विरोध करने से बात बिगड़ने लगे तो इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा. यदि पति मारपीट न छोड़े तो पुलिस में जाने से भी नहीं हिचकना चाहिए.

ऐसी कितनी ही महिलाएं होंगी जिन के पति उन के साथ विश्वासघात करते हैं. यह बात बेहद उदासीन है, लेकिन सच है. मगर एक बात यह भी सच है कि हर किसी के जीवन में कोई न कोई कमी, कोई न कोई दुख होता है. कोई बीमारी से ग्रस्त होता है तो कोई जीवनसाथी के अभाव से. इस संसार मेंकौन है जो किसी भी दुखदर्द से वंचित है.

यदि आप का पति पराई स्त्री के रूपयौवन के पीछे दीवाना हो जाए तो आप की खुशियों को ग्रहण लग जाना स्वाभाविक है. ऐसे में कोई भी चीज आप को सुख नहीं देती, किंतु फिर भी इस कठिन समय से बाहर निकलना जरूरी है.

इसलिए जो कुछ भी संभव हो वह प्रयास करें और स्वयं को तथा अपने साथी को इस समस्या से उबारने की भरसक कोशिश करें ताकि भविष्य में आने वाली खुशियां आप का द्वार खटखटाएं और तब आप सोचें कि हम दोनों ने कितना अच्छा किया जो समय से चेत गए और सही राह चुन ली.

दोस्ती लड़के और लड़की के बीच

साल 1989 की ब्लॉकबस्टर हिंदी फिल्म ‘ मैं ने प्यार किया ‘ में लीड एक्टर सलमान खान और हीरोइन भाग्यश्री के रिश्ते की शुरुआत दोस्ती के जरिए हुई थी जो आगे चल कर प्यार में बदल गई. इस फिल्म का एक फेमस डायलॉग है जो विलेन मोहनीश बहल ने कहा था कि एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते. भले ही उस दौर में यह बात काफी हद तक सही थी मगर अब तीन दशक से अधिक का समय बीत चुका है. लोगों की खासकर यंग जेनरेशन की सोच काफी हद तक बदल चुकी है. अब लड़केलड़कियां न केवल दोस्त होते हैं बल्कि बेस्ट फ्रेंड भी बनते हैं. बदलते दौर में हम ऐसी कई मिसालें देखते हैं कि मेल और फीमेल न सिर्फ अच्छे दोस्त रहे हैं बल्कि इस खूबसूरत रिश्ते को जिंदगी भर निभाया भी है. आयरलैंड के मशहूर कवि ऑस्कर वाइल्ड ने कहा था, ‘दोस्ती प्यार के मुकाबले ज्यादा ट्रैजिक होती है. यह लंबे वक्त तक टिकती है’. जब मेल फीमेल के बीच दोस्ती का रिश्ता होता है तो यह और भी ज्यादा समय तक टिकता है. इस दोस्ती में कभीकभी रोमांस की भी एंट्री हो सकती है. हालांकि ज्यादातर मामले में

यह प्यार एकतरफा होता है.

याद कीजिए फिल्म ‘ ऐ दिल है मुश्किल’ के रणवीर कपूर को जो अनुष्का शर्मा को दोस्त से बढ़ कर मानते थे. मगर अनुष्का उन्हें केवल दोस्त बनाए रखना चाहती थी. वह दोस्ती के प्यार को महसूस करना चाहती थी. ऐसा ही कुछ फिल्म बेफिक्रे के रणबीर सिंह के साथ भी हुआ. बेफिक्रे फिल्म में रणवीर कहता है, ‘ वह डेट पर जाती तो मुझ से पूछती क्या पहनूं. हर एडवाइस मुझ से लेती और अब शादी किसी और से कर रही है.’

आज के युवाओं की भाषा में इसे फ्रेंडजॉन नाम दिया जाता है. कई बार एक लड़की और लड़के के केस में महज दोस्त भर रह जाना लड़के को कंफ्यूज कर जाती है. एक लड़के के तौर पर आप कन्फ्यूज हो जाते हैं कि आखिर यह लड़की चाहती क्या है. क्या बस एक कंधा जो उसे हर इमोशनल परिस्थिति में सहारा दे? कहीं वह सिर्फ अपनी इमोशनल जरूरतों के लिए ‘यूज’ तो नहीं कर रही?

दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिस के बिना कोई भी व्यक्ति नहीं रह सकता पहले के समय में अधिकतर लड़कियों की दोस्ती लड़कियों से और लड़कों की समान उम्र के लड़कों से होती थीं लेकिन आज के समय में लड़कालड़की की दोस्ती होना सामान्य बात है और इस में कोई बुराई भी नहीं है स्कूल कॉलेज में लड़के लड़कियां मिल कर मस्ती करते हैं और दोस्तों की तरह पढ़ाई के साथ साथ जिंदगी के उतार चढ़ाव में एकदूसरे की मदद भी करते हैं. दुनिया के अधिकतर रिश्ते तो हमें जन्म के साथ ही मिलते हैं लेकिन दोस्ती के रिश्ते में सामने वाले व्यक्ति को हम स्वयं चुनते हैं किसी से दोस्ती करते समय नहीं देखा जाता कि वह लड़का है या लड़की या फिर उस का रंगरूप या धर्म क्या है दोस्ती के लिए सामने वाले व्यक्ति का अच्छा इंसान होना और आपस में विचार मिलना जरूरी है किसी भी दोस्ती की शुरुआत तब होती है जब हालात या फिर इंट्रेस्ट एक जैसे हों. इस दोस्ती में भी अपने फ्रेंड को वैसे ही ट्रीट किया जाता है जैसा कि आप सेम जेंडर के फ्रेंड्स को करते हैं. हालांकि ज्यादातर पुरुष दोस्त अपनी फीमेल फ्रेंड्स से ज्यादा रिस्पेक्टफुली बात करते हैं क्योंकि महिलाएं असल में मर्दों के मुकाबले ज्यादा सेंसिटिव होती है. किसी भी दोस्ती में सब से जरूरी है भरोसा इस के साथ ही ये रिश्ता तब तक चलेगा जब तक कि दोनों के बीच में किसी तरह का स्वार्थ न पैदा हुआ हो. लड़कियों को ये भरोसा होना चाहिए कि वे अपने पुरुष मित्र के साथ सेफ हैं. वहीं मेल फ्रेंड को भी इस बात का यकीन रहे कि वो दोस्ती के नाम पर इस्तेमाल तो नहीं किए जा रहे. यही विश्वास फ्रेंडशिप को पक्का करता है.

क्यों मजबूत होती है ये दोस्ती

विश्वास

लड़कियां अपनी सहेलियों की बजाय पुरुष मित्रों पर अधिक विश्वास करती हैं इस के पीछे एक वजह यह भी है कि लड़कियां अन्य लड़कियों पर ज्यादा विश्वास नहीं कर पाती हैं कई बार उन में आपस में जलन की भावना भी उत्पन्न हो जाती है लेकिन लड़के और लड़की की दोस्ती में ऐसा कभी नहीं होता है. जलन के बजाए आकर्षण सदैव बना रहता है. नकारात्मक भाव न होने के कारण विश्वसनीयता भी बनी रहती है

लगाव और आकर्षण

आकर्षण होने का मतलब जरूरी नहीं कि प्रेम ही हो. हमें किसी की कोई बात पसंद आती है उस की ओर मित्रता का हाथ बढ़ाते हैं. विपरीत लिंग के लोगों में वैसे भी अधिक आकर्षण होता है. आकर्षण वाला यह लगाव एकदूसरे को एक मजबूत बंधन में बांधता है.

केयर करना

यदि आप का दोस्त कहता है कि घर पहुंच कर मैसेज करना, समय से घर पहुंचना, अपना ख्याल रखना तो बहुत अच्छी फीलिंग आती है. लगता है जैसे घरवालों के अलावा भी कोई है जिसे आप की इतनी फ़िक्र है. दो लड़कियां भी बातोंबातों में एक दूसरे की फिक्र जताती हैं लेकिन लड़के के फ़िक्र जताने का तरीका अलग होता है. वह अपनी दोस्त के प्रति बहुत केयरिंग होते हैं. इसी तरह लड़कियां भी लड़के दोस्त के लिए खास तौर पर केयरिंग होती हैं.

आखिर क्यों होनी चाहिए हर लड़के के पास एक अच्छी फीमेल दोस्त

अंडरस्टैंडिंग

आप की फीमेल दोस्त आप को बाकी दोस्तों से बेहतर तरीके से समझ पाती है अक्सर देखा जाता है कि लड़को को सिर्फ उतना ही समझ आता है जितना उन्हें कुछ बताया जाता है लेकिन अगर आप के पास कोई महिला मित्र है तो वह आप के मूड को देख कर ही भांप जाएगी कि आप के दिमाग में आखिर क्या चल रहा है आपकी दोस्त न केवल आप को बेहतर समझती है बल्कि यह भी जानती है कि आप को कौन सी बात खुश करेगी और कौन सी बात से आप उदास हो सकते है इतना ही नहीं वह आप के साथ शॉपिंग पर जाने से कभी बोर भी नहीं होगी

रोने के लिए कन्धा

लोग कहते है कि पुरुष कभी नहीं रोते हालांकि इस बात में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है अक्सर देखा गया है कि पुरुष महिलाओं से ज्यादा इमोशनल होते हैं कोई परेशानी आने पर अक्सर लड़के बहुत अकेला महसूस करते है ऐसे में अगर कोई फीमेल फ्रेंड होगी तो उस के सामने रोकर आप अपना दुख हलका कर सकते हैं ऐसा करने पर वह दूसरे लड़के की तरह आप का मजाक नहीं उड़ायेगी

शॉपिंग गाइड

बाज़ार जाने के नाम से ही लड़कों की शक्ल बन जाती है. ऐसे में ज़रा सोचिये कि आप को अपनी गर्लफ्रेंड या फिर बहन या माँ के लिए कुछ तोहफा लेना हो तो क्या करेंगे? ऐसे मौके पर काम आती है आप की लड़की दोस्त. लड़कियों को खरीददारी का बहुत शौक होता है और अक्सर वे जानती है कि कौन सी चीज़ किस मार्किट में अच्छी मिलती है. उन्हें नए नए फैशन का भी ध्यान होता है. कीमत का भी सही अंदाजा होता है. इसलिए तोहफे खरीदने के लिए ही नहीं आप उन की मदद अपने मेकओवर में भी ले सकते है. इस के विपरीत अगर आप अपने किसी लड़के दोस्त के साथ शॉपिंग करने जाते हैं तो आप को यकीनन काफी परेशानी होती है क्यों कि शॉपिंग के मामले में लड़के कच्चे होते हैं इसी तरह बीवी या गर्लफ्रेंड के साथ जाने का मतलब है उन के लिए ही शॉपिंग करते रहना और बैठेबिठाए जेब खाली हो जाना. लेकिन अगर एक लड़की आप की दोस्त है तो उस के साथ आप का शॉपिंग एक्सपीरियंस काफी अच्छा होता है आप उस के साथ कई दुकानों पर जा कर अपने लिए वह खरीद सकते हैं जो आप पर सब से ज्यादा सूट करता हो साथ ही वह आप को कुछ अच्छे आईडियाज भी देती रहेगी कि आप पर क्या अच्छा लगेगा

रिलेशनशिप गाइड

कई बार ऐसा होता है कि आप की लव लाइफ सही नहीं चल रही होती है. उस समय आप को समझ नहीं आता कि आप क्या करें और किस से मदद लें इस स्थिति में एक लड़की दोस्त से बेहतर दूसरा कोई सहारा नहीं हो सकता एक लड़की होने के नाते

आप की दोस्त आप की स्थिति को बेहतर तरीके से समझ सकती है अक्सर लड़के लड़कियों की बातें या इशारे नहीं समझ पाते. अगर आप को भी अपनी गर्लफ्रेंड को समझने में दिक्कत आती है तो इस मामले में भी लड़की दोस्त आप की मदद कर सकती है वह बता पायेगी कि आप की गर्लफ्रेंड की हर बात का सही मायनों में मतलब क्या है लड़की दोस्त के साथ समय बिताने पर आप समझने लगते है कि लड़कियों का व्यवहार कैसा होता है. उन्हें क्या पसंद आता है क्या नहीं, किस तरह उन्हें खुश किया जा सकता है. यही नहीं आप की दोस्त गर्लफ्रेंड से मिलाने में आप की मदद भी करती है.

हमराज

एक लड़की बेस्टी होने का मतलब है कि आप उसे बिना झिझक के कुछ भी आसानी से बता सकते हैं वैसे तो एक लड़के दोस्त से भी बातें शेयर की जा सकती हैं लेकिन वह आप की फीलिंग को उस तरह नहीं समझ सकता जिस तरह एक लड़की समझ सकती है लड़कों के साथ इमोशनल टॉक करना उतना अच्छा आईडिया नहीं है लेकिन जब एक लड़की दोस्त की बात आती है तो आप उस से अपने डीप सीक्रेट आसानी से बता सकते हैं कभीकभी लड़के दोस्त किसी संजीदा बात को भी मजाक में उड़ा देते है लेकिन अगर वही बात आप अपनी लड़की दोस्त को बताते है तो वह सुनती है. सुनने के साथसाथ अक्सर लड़कियां समस्या का हल भी बता देती है. आप बेहिचक उन से अपनी ख़ुशी, सपने, दुःख या डर के बारे में बात कर सकते है.

बुरे वक्त का सहारा

जिंदगी में बहुत बार ऐसे मौके आते है जब हम किसी बात से परेशान होते है. ऐसे वक्त में अगर कोई लड़की आप की दोस्त है तो उस से अच्छा सहारा कोई नहीं हो सकता. वो आप की बात को समझती है खासकर अगर मामला प्रेम प्रसंग का हो.

हर जगह साथ

एक लड़की दोस्त जीवन के हर पहलू में आप की ताकत बन कर खड़ी होती है आप उस के साथ मस्ती भी कर सकते हैं और गंभीर बातें भी. आप उस के साथ हंस भी लेते हैं और रो भी सकते हैं. उन के साथ बाहर घूमनेफिरने के लिए भी आप को ज्यादा सोचना नहीं पड़ता इसी तरह मुश्किल वक्त में या दुखी होने पर एक लड़की अच्छी दोस्त के रूप में आप का साथ देती है और आप से इमोशनली कनेक्ट होती है.

एक लड़की से दोस्ती मतलब उस की सहेलियों से भी दोस्ती

अगर आप की कोई लड़की दोस्त नहीं है तो किसी लड़की से बात करना थोड़ा मुश्किल होता है. लेकिन अगर आप की बेस्ट फ्रेंड कोई लड़की है तो किसी और लड़की से बात करना बहुत ही आसान हो जाता है क्योंकि आप की एक पहचान होती है कि आप फलां लड़की के दोस्त है. इस से काम आसान हो जाता है.

एक लड़की को मिलते हैं लड़के दोस्त से ये फायदे

आप के लिए हमेशा तैयार

अगर आप के पास एक लड़का दोस्त है जो आप का बेस्ट फ्रेंड है तो फिर आप को यह चिंता करने की जरुरत नहीं होगी कि कहीं आप गलत समय पर तो फोन नहीं कर रहीं? दिन हो या आधी रात, आप उसे बेफिक्र हो कर कभी भी फ़ोन कर सकती हैं और अपना दुखड़ा सुना सकती हैं. आप किसी प्रॉब्लम में हाँ तो वह आप की सहायता के लिए पहुँच जाएगा कहीं ट्रैफिक, बारिश या किसी मुसीबत में फंस गई है तो वह बाइक लेकर हाजिर हो जाएगा. इस तरह किसी गंभीर रिलेशनशिप में न होते हुए भी वह गंभीरता से आप की केयर करेगा.

नखरे कम करते हैं लड़के

लड़कियां लड़को को फ्रेंड बनाना इसलिए पसंद करती हैं क्यों कि लड़के बहुत कम नखरे करते हैं उन के साथ कोई प्रोग्राम बनाना या कुछ काम करना बहुत आसान होता है और वे हेल्प करने के लिए भी हमेशा तैयार रहते हैं. आधी रात में भी अपनी मदद करने के लिये बुलाएंगी तो भी वे हंसतेमुसकुराते आपकी मदद के लिए पहुंच जाएंगे न वे खाने में चूजी होते हैं और न कपड़ों में न मेकअप में समय लगाते हैं और न कहीं जाने में आनाकानी करते हैं. उन्हें जैसे चाहो वैसे घुमाया जा सकता है.

अपने बारे में कुछ नहीं छिपाते

एक लड़का आप का दोस्त बनने के बाद अपने बारे में आप से कभी कुछ नहीं छिपाता कोई राज नहीं रखता. वह आप से हर बात शेयर कर लेता है. इस से आप पुरुषों के व्यवहार के बारे में अच्छी तरह से जान सकती हैं और यही बात आगे चल कर पति के साथ आप के रिश्ते को रोमांटिक बनाने के काम आ सकती है

प्रॉब्लम सॉल्वर

एक लड़के दोस्त के पास आप की हर समस्या के लिए समाधान होता है और आप के गुस्से को शांत करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है लड़कों को टेक्निकल नॉलेज भी ज्यादा होता है और वे स्ट्रांग भी होते हैं. वे आप को कार या बाइक चलाना भी सिखा सकते हैं और तैराकी या सेल्फ डिफेन्स भी. आप की समस्याओं का हल वे चुटकियों में निकाल सकते हैं.

कहीं आप सेक्स एडिक्टेड तो नहीं?

सेक्स ऐडिक्शन  एक खतरनाक डिसऑर्डर है, जिसमें आदमी अपनी सेक्शुअल नीड्स पर कंट्रोल नहीं कर पाता. यह है कि यह बेहद खतरनाक डिसऑर्डर है और अडिक्टेड आदमी की जिंदगी बर्बाद भी कर सकता है.

क्या है सेक्स ऐडिक्शन ?  

सेक्स ऐडिक्शन  आउट ऑफ कंट्रोल हो जाने वाली सेक्शुअल ऐक्टिविटी है. इस स्थिति में सेक्स से जुड़ी हर बात आती है चाहे पॉर्न देखना हो, मास्टरबेशन हो या फिर प्रॉस्टिट्यूट्स के पास जाना, बस यह एक ऐसी ऐक्टिविटी होती है जिस पर इंसान का कंट्रोल नहीं रहता.

क्या हैं लक्षण?

सेक्स थेरेपिस्ट के साथ रेग्युलर मीटिंग्स के बिना यह बताना बहुत मुश्किल है कि किसे यह डिसऑर्डर है लेकिन कुछ लक्षण है जिनसे आप अंदाजा लगा सकती हैं और फिर डॉक्टर से कंसल्ट कर सकती हैं. जैसे, बहुत सारे लोगों के साथ अफेयर होना, मल्टिपल वन नाइट स्टैंड, मल्टिपल सेक्शुअल पार्टनर्स, हद से ज्यादा पॉर्न देखना, अनसेफ सेक्स करना, साइबर सेक्स, प्रॉस्टिट्यूट्स के पास जाना, शर्मिंदगी महसूस होना, सेक्शुअल नीड्स पर से नियंत्रण खो देना, ज्यादातर समय सेक्स के बारे में ही सोचना या सेक्स करना, सेक्स न कर पाने की स्थिति में तनाव में चले जाना.

ऐसे पायें छुटकारा

सेक्स ऐडिक्शन  के शिकार लोगों को फौरन साइकॉलजिस्ट या साइकायट्रिस्ट के पास जाना चाहिए. साइकॉलजिस्ट काउंसिलिंग और बिहेवियर मॉडिफिकेशन के आधार पर इस ऐडिक्शन का इलाज करते हैं और मरीज के विचारों में परिवर्तन लाने की कोशिश करते हैं. ऐसे लोगों को दूसरे कामों में व्यस्त रहने की सलाह दी जाती है. उन्हें समझाया जाता है कि वे संगीत, लॉन्ग वॉक आदि का सहारा लें और अपने परिवारवालों के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताएं. साइकायट्रिस्ट दवाओं के माध्यम से इलाज करता है.

सेक्स ऐडिक्शन  एनोनिमस (एसएए) सेक्स ऐडिक्शन   के शिकार लोगों का संगठन हैं. यहां कोई फीस नहीं ली जाती और न ही दवा दी जाती है. मीटिंग में इसके सदस्य जीवन के कड़वे अनुभवों, इससे जीवन में होने वाले नुकसान और काबू पाने की कहानी शेयर करते हैं. मीटिंग में आने वाले नए सदस्यों को इससे छुटकारा दिलाने के लिए मदद भी करते हैं. इससे पीड़ितों का आत्मबल बढ़ता है और उनमें इस बुरी आदत को छोड़ने की शक्ति विकसित होती है.

शादी के बाद भी जिएं आजादी से

स्वाति की नईनई शादी हुई है. वह मेहुल को 5 सालों से जानती है. दोनों ने एकदूसरे को जानासमझा तो दोनों को ही लगा कि वे एकदूसरे के लिए ही बने हैं. फिर अभिभावकों की मरजी से विवाह करने का निर्णय ले लिया. लेकिन आजाद खयाल की स्वाति ने विवाह से पहले ही मेहुल के सामने अपनी सारी टर्म्स ऐंड कंडीशंस ठीक वैसे ही रखीं जैसे कोई बिजनैस डील करते समय 2 लोग एकदूसरे के सामने रखते हैं. हालांकि ये लिखी नहीं गईं पर बातोंबातों में स्पष्ट कर दी गईं.

आइए, जरा स्वाति की टर्म्स ऐंड कंडीशंस पर एक नजर डालते हैं:

  1. शादी के बाद भी मैं वैसे ही रहूंगी जैसे शादी से पहले रहती आई हूं. मसलन, मेरे पढ़ने, पहननेओढ़ने, घूमनेफिरने, जागनेसोने के समय पर कोई पाबंदी नहीं होगी.
  2. तुम्हारे रिश्तेदारों की आवभगत की जिम्मेदारी मेरी अकेली की नहीं होगी.
  3. अगर मुझे औफिस से आने में देर हो जाए, तो तुम या तुम्हारे परिवार वाले मुझ से यह सवाल नहीं करेंगे कि देर क्यों हुई?
  4. मुझ से उम्मीद न करना कि मैं सुबहसुबह उठ कर तुम्हारे लिए पुराने जमाने की बीवी की तरह बैड टी बना कर कहूंगी कि जानू, जाग जाओ सुबह हो गई है.
  5. मेरे फाइनैंशियल मैटर्स में तुम दखल नहीं दोगे यानी जो मेरा है वह मेरा रहेगा और जो तुम्हारा है वह हमारा हो जाएगा.
  6. अपने मायके वालों के लिए जैसा मैं पहले से करती आ रही हूं वैसा ही करती रहूंगी. इस पर तुम्हें कोई आपत्ति नहीं होगी. मेरे और अपने रिश्तेदारों को तुम बराबर का महत्त्व दोगे.

स्वाति की इन टर्म्स ऐंड कंडीशंस से आप भी समझ गए होंगे कि आज की युवती विवाह के बाद भी पंछी बन कर मस्त गगन में उड़ना चाहती है. पहले की विवाहित महिला की तरह वह मसालों से सनी, सिर पर पल्लू लिए सास का हुक्म बजाती, देवरननद की देखभाल करती बेचारी बन कर नहीं रहना चाहती. दरअसल, आज की युवती पढ़ीलिखी, आत्मविश्वासी, आत्मनिर्भर है. वह हर स्थिति का सामना करने में सक्षम है. अपने किसी भी काम के लिए पति या ससुराल के अन्य सदस्यों पर निर्भर नहीं है. इसीलिए वह विवाह के बाद भी अपनी आजादी को खोना नहीं चाहती.

जिंदगी की चाबी हमारे खुद के हाथ में

आज की पढ़ीलिखी युवती विवाह अपनी मरजी और अपनी खुशी के लिए करती है. वह नहीं चाहती कि विवाह उस की आजादी की राह में रोड़ा बने. वह अपनी आजादी की चाबी पति या ससुराल के दूसरे सदस्यों को सौंपने के बजाय अपने हाथ में रखना चाहती है. वह चाहती है कि अगर सासससुर साथ रहते हैं, तो वे उस की मदद करें. पति और वह मिल कर बराबरी से घर की जिम्मेदारी उठाएं. आज की युवती का दायरा घर और रसोई से आगे औफिस और दोस्तों के साथ मस्ती करने तक फैल गया है. वह जिंदगी का हर निर्णय खुद लेती है. फिर चाहे वह विवाह का निर्णय हो, पसंद की नौकरी करने का हो अथवा विवाह के बाद मां बनने का.

रहूंगी लिव इन की तरह

आज की युवती के लिए विवाह का अर्थ बदल गया है. अब उस के लिए विवाह का अर्थ पाबंदी या जिम्मेदारी न हो कर आजादी हो गया है. आज वह विवाह कर के वे चीजें अपनाती है, जो उसे अच्छी लगती हैं और उन्हें सिरे से नकार देती है, जो उस की आजादी की राह में रुकावट बनती हैं. मसलन, व्यर्थ के रीतिरिवाज, त्योहार और अंधविश्वास, जो उस के जीने की आजादी की राह में बाधा बनते हैं उन्हें वह नहीं अपनाती. वह उन रीतिरिवाजों और त्योहारों को मनाती व मानती है, जो उसे सजनेसंवरने और मौजमस्ती करने का मौका देते हैं. वह अपने होने वाले पति से कहती है कि हम विवाह के बंधन में बंध तो रहे हैं, लेकिन रहेंगे लिव इन पार्टनर की तरह. हम साथ रहते हुए भी आजाद होंगे. एकदूसरे के मामलों में दखल नहीं देंगे. एकदूसरे को पूरी स्पेस देंगे. एकदूसरे के मोबाइल, लैपटौप में ताकाझांकी नहीं करेंगे. हमारी रिलेशनशिप फ्रैंड्स विद बैनिफिट्स वाली होगी, जिस में तुम यानी पति फ्रैंड विद बैनिफिट पार्टनर की तरह रहोगे, जिस में कोई कमिटमैंट नहीं होगी. हमारा रिश्ता फ्रीमाइंडेड रिलेशनशिप वाला होगा, जिस में कोई रोकटोक नहीं होगी. जब हमें एकदूसरे की जरूरत होगी, हम मदद करेंगे, लेकिन इस मदद के लिए कोई एकदूसरे को बाध्य नहीं करेगा. हमारे बीच पजैसिवनैस की भावना नहीं होगी. मैं अपने किस दोस्त के साथ चैटिंग करूं, किस के साथ घूमनेफिरने जाऊं इस पर कोई पाबंदी नहीं होगी.

आजादी मांगने व देने के पीछे का कारण

युवतियों में शादी को ले कर आए इस बदलाव के पीछे एक कारण यह भी है कि उन्होंने अपनी दादीनानी और मां को घर की चारदीवारी में बंद अपनी इच्छाओं व खुशियों को मारते देखा है. वे अपनी हर खुशी के लिए पति पर निर्भर रहती थीं. लेकिन आज स्थिति विपरीत है. आज की पढ़ीलिखी व आत्मनिर्भर युवतियां चाहती हैं कि जब वे बराबरी से घर के काम और आर्थिक मोरचे को संभाल रही हैं, तो वे विवाह के बाद आजाद क्यों न रहें? क्यों वे विवाह के बाद पति और ससुराल के बाकी सदस्यों की मरजी के अनुसार अपनी जिंदगी जीएं? आज की पढ़ीलिखी युवतियां अपनी शिक्षा व योग्यता को घर बैठ कर जाया नहीं होने देना चाहतीं. वे चाहती हैं कि जब पति घर से बाहर व्यस्त है, तो वे घर बैठ कर क्यों उस के आने का इंतजार करें और अगर वह औफिस के बाद अपने दोस्तों के साथ मौजमस्ती करने का अधिकार रखता है तो उन्हें भी विवाह के बाद ऐसा करने का पूर्ण अधिकार है.

दूसरी ओर पति भी चाहता है कि उस की पत्नी विवाह के बाद छोटीछोटी आर्थिक जरूरतों के लिए उस पर निर्भर न रहे. अगर पत्नी कामकाजी नहीं है, तो उस के घर आने पर घरपरिवार की समस्याओं का रोना उस के सामने रो कर उसे परेशान न करे, इसलिए वह उसे आजादी दे कर अपनी आजादी को कायम रखना चाहता है. तकनीक ने भी आज युवतियों को आजाद खयाल का होने में मदद की है. तकनीक के माध्यम से वे दूर बैठी अपने दोस्तों से जुड़ी रहती है और अपनी आजादी को ऐंजौय करती हैं. पति भी चाहता है कि वह व्यस्त रहे ताकि उस की आजाद जिंदगी में कोई रोकटोक न हो.

आजादी के नाम पर गैरजिम्मेदार न बनें

विवाह के बाद आजाद बन कर मस्त गगन में उड़ने की चाह रखने वाली युवती को ध्यान रखना होगा कि कहीं वह आजादी के नाम पर गैरजिम्मेदार तो नहीं बन रही? उस की आजादी से उस के घरपरिवार, बच्चों पर कोई बुरा प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है, क्योंकि सिर्फ अपनी टर्म्स ऐंड कंडीशंस पर जीना आजादी नहीं, अपनी बात मनवाना आजादी नहीं, महज घर से बाहर निकल कर मल्टीटास्किंग करना ही आजाद खयाल का होना नहीं. विवाह बंधन नहीं, जिस में आप आजादी चाहते हैं. विवाह का अर्थ एकदूसरे के सुखदुख में भागीदार होना है. पढ़नेलिखने, आत्मनिर्भर होने का अर्थ जरूरी नहीं कि आप नौकरी ही करें. आप चाहें तो अपने आसपास के बच्चों को मुफ्त शिक्षा दें. अपनी घर की जिम्मेदारियां सुचारु रूप से निभाएं. आजादी का अर्थ है विचारों की स्वतंत्रता, पढ़नेलिखने की स्वतंत्रता, निर्णय लेने की आजादी, अपने ढंग से घर चलाने की आजादी, अभिव्यक्ति की आजादी, रुढियों व दकियानूसी विचारों से आजादी, अपना जीवन संवारने की आजादी न कि कर्तव्यों से भटकने की आजादी. प्रकृति ने महिला व पुरुष को अपनीअपनी योग्यता के अनुसार जिम्मेदारियां सौंपी हैं. उन्हीं जिम्मेदारियों का अपनी सीमाओं में रह कर पालन करना ही सही माने में आजादी है, जिस से प्रकृति का संतुलन भी कायम रहेगा और कोई किसी की आजादी का भी उल्लंघन नहीं करेगा. इसलिए सामाजिक दायरे में रह कर अपनी क्षमताएं पहचान कर अपने दायित्वों को निभाना ही सही में आजादी है.

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ससुराल में पहली रसोई के 7 टिप्स

कोरोना की दूसरी लहर के कारण शादियों पर लगा ब्रेक अब कुछ कमजोर पड़ गया है और भले ही मेहमानों की उपस्थिति कम हो परन्तु शादियां अब होने लगीं हैं. शादी के बाद दुल्हन जब ससुराल आती है तो अनेकों रस्मों के साथ ही एक रस्म बहू की पहली रसोई की भी होती है जिसमें बहू अपने हाथों से ससुराल के सदस्यों के लिए खाना बनाती है. अक्सर नवविवाहिताओं को समझ नहीं आ पाता कि क्या ऐसा बनाया जाए जो सभी को पसन्द भी आये और आसानी से बन भी जाये. पहले जहां वधू से कोई एक  मीठी डिश बनवाई जाती थी वहीं अब पूरी थाली का चलन है. यदि आप वधू बनने वालीं हैं तो ये टिप्स आपके बहुत काम के हो सकते हैं-

1. डिशेज का चयन मौसम के अनुकूल करें, मसलन गर्मियों में छाछ, मॉकटेल्स, आइसक्रीम, सर्दियों में सूप और बारिश में पकौड़े आदि को शामिल करें.

2. परिवार के सदस्यों की उम्र को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है, यदि बुजुर्ग हैं तो मेन्यू में कुछ सादा और बच्चे हैं तो चायनीज या इटैलियन डिशेज को शामिल करें ताकि सभी की पसन्द का एक कम्पलीट मील तैयार हो सके.

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3. एक कहावत है कि खाने का प्रजेंटेशन ऐसा होना चाहिए कि उसे देखकर ही भूख जाग्रत हो जाये, इसलिए परोसने से पूर्व डिशेज को मेवा, हरे धनिए या क्रीम आदि से गार्निश करके आराम से परोसें ताकि खाद्य पदार्थ नीचे न गिरने पाए.

4. मेन्यू को तय करते समय रंग संयोजन का विशेष ध्यान रखें ताकि आपकी थाली स्वाद के साथ साथ देखने में भी सुंदर लगे. हरी सब्जियों, कश्मीरी लाल मिर्च और क्रीम आदि का प्रयोग करना उचित रहेगा.

5. आजकल मेक्सिकन, चाइनीज और इटैलियन व्यंजनों का जमाना है इसलिए आप इन्हें मायके से सीखकर जाइये ताकि इन्हें बनाकर आप वहां अपना प्रभाव जमा सकें.

6. खाना बनाते समय संतुलित मिर्च मसालों का प्रयोग करें ताकि सभी आसानी से खा सकें, साथ ही कोई भी नया प्रयोग करने से बचें. आप जो भी खाना बनाएं उसे प्यार से परोसे और परिवार के सदस्यों को आग्रह करके खिलाएं.

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7. खाना बनाते समय एप्रिन अवश्य पहनें अन्यथा खाद्य पदार्थों के अवशेष आपके कपड़ों पर लगकर उन्हें खराब तो करेंगे ही साथ ही बेवजह आपके सलीके से काम न कर पाने की दास्तां भी बयान कर देंगे.

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