सेल्फ-साइकल IVF: किसे इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है?

जब कोई भी जोड़ा (कपल) इनफर्टिलिटी (बांझपन) की वजह से बच्चा नहीं पैदा कर पाता है तो उनके लिए यह बहुत ही दुःख की बात होती है. बच्चा न पैदा कर पाने की वजह से जोड़ों को कई सारी भावनाओं और बांझपन के कलंक को झेलना पड़ता है. इससे सबसे ज्यादा महिलाएं प्रभावित होती हैं.

इनफर्टिलिटी का डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से चुनौतीपूर्ण होता है.  इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के सफल होने का दर कई सारे कारणों पर निर्भर करता है. जिसमे प्रभावित जोड़ों की उम्र, इनफर्टिलिटी होने का कारण के साथ-साथ इसके लिए किस तरह का इलाज किया जा सकता है, यह सभी कारण भी शामिल होते है.

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डोनर साइकल आईवीएफ या सेल्फसाइकल को समझना

समय के साथ.साथ इनफर्टिलिटी के ट्रीटमेंट में भी उन्नति हुई है.जिसकी वजह से इसके सफल होने की दर में सुधार हुआ है. ट्रीटिंग फिजिसियन होने के नाते हमारे पास व्यक्तिगत (इंडीविजुअल) जोड़ों के लिए इनफर्टिलिटी के ट्रीटमेंट को पर्सनलाइज्ड करने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं. तकनीक में कई सारी उन्नति हुई है और रोग के प्रति हमारी समझ भी बढ़ी है. इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (आईवीएफ) सबसे विकसित ट्रीटमेंट विकल्पों में से एक माना जाता है. आईवीएफ को “सेल्फ-साइकल आईवीएफ” या “डोनर साइकल आईवीएफ” के रूप में जोड़ों की यूनीक स्थिति के आधार पर उनका इलाज किया जाता है.

अगर हम साधारण शब्दों में कहें तो सेल्फ-साइकल आईवीएफ में जोड़ों के खुद के गैमेट्स (स्पर्म या अण्डों) का इस्तेमाल किया जाता है. जबकि डोनर साइकल आईवीएफ में डोनर स्पर्म या डोनर अंडा का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए इसे डोनर साइकल आईवीएफ कहा जाता है. डोनर साइकल आईवीएफ के सफल होने की दर सेल्फ-साइकल आईवीएफ की तुलना में ज्यादा होती है. लेकिन इस प्रक्रिया से जो बच्चा पैदा होता है उसमे बायोलोजिकल माता-पिता का जन्मजात डीएनए नहीं होता है. इसलिए सेल्फ-साइकल आईवीएफ, जिसमे बच्चा बायोलोजिकल माता-पिता के डीएनए से पैदा होता है, लोग वह ज्यादा कराना पसंद करते हैं. जब यह किसी क्लिनिकल दिक्कत की वजह से सफल नहीं होता है तो वह डोनर साइकल आईवीएफ ट्रीटमेंट को चुनते है. इलसिए यह जरूरी है कि प्रभावित जोड़ा इसके बारें में जागरूक हो और इन दोनों आईवीएफ विकल्पों को चुनने से पहले उन्हें इसके लाभ और हानि के बारे में विधिवत जानकारी होनी चाहिए.

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जोड़ों के लिए किसी एक विकल्प पर मौहर लगाना आसान नहीं होता है. इसके लिए उन्हें किसी अनुभवी इनफर्टिलिटी एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए और उनके लिए कौन सा विकाल्प ज्यादा बेहतर होगा इसको समझना चाहिए ताकि ट्रीटमेंट के सफल होने संभावना ज्यादा हो सके.

सेल्फसाइकल से किसको सबसे ज्यादा फायदा होता है?

ज्यादातर जोड़ों के लिए पहली बार अपना ट्रीटमेंट शुरू कराने के लिए उनके लिए सेल्फ-साइकल ट्रीटमेंट सबसे बेहतर विकल्प होता है. हालांकि कोई भी जोड़ा सेल्फ-साइकल आईवीएफ से लाभान्वित नहीं हो सकता है अगर उसमे नीचे बताई गई बाते लागू होती हैं-

  1. जब महिला की उम्र 42 से ज्यादा होती है तो उसके अंडे की क्वालिटी और क्वांटिटी उम्र की वजह से कम होने लगती है. सेल्फ-साइकल आईवीएफ जवान महिलाओं में ज्यादा सफल होता है. जब महिला की उम्र 35 के पार होती है तो इसके सफल होने की दर घटती जाती है.
  2. जब पुरुष में स्पर्म काउंट जीरो होता है खासकर उन पुरुषों में जिनमे – एक्सट्रैक्टिंग स्पर्म्स (एक्स-टेस्टिकुलर बायोप्सी) सर्जिकल ट्रीटमेंट असफल हो चुका होता है उनमे स्वस्थ स्पर्म नहीं होते हैं ऐसे पुरषों में सेल्फ-साइकल आईवीएफ सफल नहीं होता है.
  3. उन जोड़ों में जिनमे पिछले ट्रीटमेंट के रिकार्ड्स से स्पर्म और अण्डों की क्वालिटी ख़राब सत्यापित हो चुकी होती है उनमे सेल्फ-साइकल आईवीएफ सफल नहीं होता है.

इस प्रकार, यह बहुत जरूरी है कि प्रभावित जोड़ें खुद से इसके बारें में जाने और जब भी बात सेल्फ-साइकल आईवीएफ और डोनर साइकल आईवीएफ चुनने की आये तो किसी भी ट्रीटमेंट के फैसले पर पहुँचने से पहले किसी अनुभवी इनफर्टिलिटी एक्सपर्ट से सलाह लें.

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नोवा आईवीएफ के फर्टिलिटी कंसल्टेंट डॉ पारुल कटियार से बातचीत पर आधारित.

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