राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म ‘इसी लाइफ में’ से अभिनय क्षेत्र में कदम रखने वाले अभिनेता अक्षय ओबेरॉय को शुरू से अभिनय करने की इच्छा थी, जिसमें उसके माता-पिता ने साथ दिया. विदेश में अपनी पढाई पूरी करने के बाद वे मुंबई आये और पृथ्वी थिएटर ज्वाइन किया और अभिनय की तालीम ली. इसके बाद उन्होंने कई फिल्में और वेब सीरीज में काम किया और अपनी जर्नी से खुश है.
अक्षय ओबेरॉय का इस जर्नी में साथ दे रही उनकी पत्नी ज्योति है, जो उनके बचपन की प्रेमिका रही है. दोनों का बेटा अव्यान है. अक्षय ने हमेशा अलग और रुचिपूर्ण कहानियों को महत्व दिया और कामयाब रहे. वे सेल्फ मेड इंसान है और खुद की मेहनत को प्रमुखता देते है. उनसे बात करना रोचक था पेश है कुछ अंश.
सवाल-लॉक डाउन में क्या कर रहे है?
इनदिनों मैं अपने तीन साल के बेटे के साथ समय बिता रहा हूं उसे खाना खिलाना, खेलना, गार्डनिंग करना, किताबे पढ़ना, घर की साफ़ सफाई करना आदि करता हूं.मैंने पिछले कुछ सालों में बहुत सारा काम किया है अब थोडा समय मिला है. अपने परिवार के साथ बिता रहा हूं.
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सवाल-अभिनय के क्षेत्र में आने की इच्छा कैसे हुई?
मैं जब 12-13 साल का था, तो लगा कि एक्टिंग मेरी दुनिया है, क्योंकि मेरे पिता को फिल्मों से रूचि थी और वे मुझे फिल्में दिखाते थे, उस समय मैंने गुरुदत्त, राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन की कई फिल्में देख, लगा कि मुझे अभिनय ही करना है.
सवाल-जब पिता को पहली बार अभिनय के बारे में बताया तो उनका रिएक्शन क्या था? उनका सहयोग कितना था?
12 साल की उम्र में जब मैंने पिता को अभिनय के बारें में कहा, तो वे पहले मेरी तरफ देखते रह गए और मेरी निश्चयता को परखने की कोशिश की. वे एक्टिंग फील्ड से परिचित थे, इसलिए अधिक कुछ नहीं कहा. बाद में मैंने भी उसी दिशा में ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया. स्टडी ख़त्म होने के बाद मैं फ्लाइट पकड़ कर मुंबई आ गया और काम करने की दिशा में लग गया. मैंने हमेशा अच्छी फिल्मों में काम करने की कोशिश की है. इससे दर्शकों का प्यार मुझे मिला है.
मेरे मुंबई आने से कुछ साल पहले मेरे माता-पिता अमेरिका से मुंबई आ चुके थे इसलिए यहाँ आने के लिए अधिक सोचना नहीं पड़ा. मुंबई आकर मैंने सबसे पहले पृथ्वी थिएटर में काम करना शुरू कर दिया. वहां मकरंद देशपांडे से मिला और कई नाटक किये. इससे सबसे परिचय हुआ और मैंने अपना पोर्टफोलियो हर प्रोडक्शन हाउस में छोड़ आगे बढ़ता गया.
सवाल-पहला ब्रेक मिलने में कितना संघर्ष रहा?
पहला ब्रेक मिलना बहुत मुश्किल होता है, बाहर से आने पर ये और अधिक मुश्किल होता है, लेकिन मुझे ये मौका राजश्री प्रोडक्शन वालों की तरफ से मिला जो मेरे लिए अच्छी बात रही. फिल्म अच्छी नहीं चली. फिर मैं थिएटर करने चला गया. वहां से टीवी और उसके बाद फिल्म ‘पिज़्ज़ा’ मिली. इसके बाद से मुझे मुड़कर देखना नहीं पड़ा. मेरी सफल फिल्म ‘गुडगांव’ है, जिसे आलोचकों ने काफी सराहा. मैंने हमेशा उन फिल्मों को चुना, जिसमें मुझे अभिनय करने का मौका मिला. मैं अपने आपको वर्सेटाइल एक्टर कहलाना पसंद करता हूं.
सवाल-लॉक डाउन के बाद किस तरह से इंडस्ट्री को ग्रो करने की जरुरत होगी?
सभी बड़े निर्माता और निर्देशक इस बारें में अवश्य सोच रहे होंगे. कुछ सावधानियां लेनी पड़ेगी. सेट पर मास्क पहनना और हायजिन का ध्यान रखना पड़ेगा, क्योंकि इस लॉकडाउन के बाद में दर्शक भी कुछ नया देखना चाहेंगे.
सवाल-वेब सीरीज को आप कितना सराहते है?
ये एक अच्छा प्लेटफार्म है और आज के दर्शक भी बहुत स्मार्ट है, इसलिए अच्छी-अच्छी कहानियां वेब पर दिखाने की कोशिश लगातार चल रही है. फिल्मों को अगर टक्कर देने की बात हो, तो और भी अच्छी कहानियां लिखनी पड़ेगी. मैंने कई वेब सीरीज किये है, जो आगे आने वाली है. वेब सीरीज के विषय बहुत अच्छे होते है और किसी चरित्र को दिखाने के लिए बहुत समय मिलता है. क्रिएटिवली इसमें संतुष्टि अधिक मिलती है.
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सवाल-आपने एक छोटी सी भूमिका अभिनेता इरफ़ान खान की फिल्म ‘पिकू’ में किया था, कैसा अनुभव रहा?
मैंने एक छोटी सी भूमिका निभाई थी जिसमें उनके साथ अभिनय का मौका नहीं मिला, पर मैं उनके काम से बहुत प्रभावित हूं. उनकी फिल्म ‘मकबूल’ मुझे बहुत पसंद है, उन्हें देखकर मुझे इंडस्ट्री में काम करने का हौसला मिला है. ऋषिकपूर की फिल्म ‘डी डे’ मुझे बहुत अच्छी लगी थी.
सवाल-क्या मेसेज देना चाहते है?
मैं इस समय फ्रंट लाइन पर काम करने वाले सभी को सैल्यूट करना चाहता हूं, जिसमें डॉक्टर्स, नर्सेज, पुलिस, वोलेंटियर्स और सफाईकर्मी सभी है. उनकी वजह से हम सभी सुरक्षित है. वे हमारे सुपर हीरो है.