वेब में कहानियां बहुत अच्छी होती हैं– टिस्का चोपड़ा

बौलीवुड और टीवी पर दमदार एक्टिंग करने वाली एक्ट्रेस टिस्का चोपड़ा ने फिल्म ‘प्लेटफार्म’ से अपने एक्टिंग कैरियर की शुरुआत की थी. उन्होंने हर तरह की भूमिका निभायी और अपनी पहचान इंडस्ट्री में बनाई. अभिनय के अलावा टिस्का छोटी-छोटी डौक्युमेंट्री फिल्में भी बनाती हैं. नेचर में शांत और हंसमुख टिस्का चोपड़ा अभी वेब सीरीज ‘होस्टेजेस’ में मीरा आनंद, एक सर्जन की भूमिका निभा रही है. उनसे बातचीत करना रोचक था,पेश है कुछ अंश.

इस भूमिका को करने की खास वजह क्या रही?

ये कहानी मुझे बहुत अच्छी लगे. इसके अलावा इसकी थीम बहुत ही नैचुरल है. एक डौक्टर का मकसद होता है कि वह एक मरीज की जान बचाए. इसमें अगर उसे किसी की जान लेकर उसके फैमिली को बचानी है, तो ये एक चुनौती है. ये एक स्ट्रोंग किरदार है और मुझे करने को मिला है. मैं बहुत उत्साहित हूं.

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डौक्टर की भूमिका में आपको तैयारियां कितनी करनी पड़ी?

मैं ऐसी भूमिका दूसरी बार कर रही हूं, लेकिन इसकी कहानी एकदम अलग है. पहली फिल्म में मैंने एक डौक्टर से मिली थी, लेकिन यहां ये एक सर्जन की भूमिका है और उसे समझने के लिए मुझे यूट्यूब का सहारा लेना पड़ा. एक सर्जन बहुत ही अलग होता है और मरीज के साथ उसका लगाव अधिक नहीं होता. उसे निभाना ही मेरे लिए मुश्किल था.

आजकल परिवार में बच्चों की परवरिश पर माता-पिता बहुत ध्यान देते है, लेकिन बच्चे बड़े होने पर इसे अधिक नहीं पसंद करते, जैसा कि आपने इस वेब सीरीज में भी दिखाने की कोशिश की है, एक माँ होते हुए इस बात को आप कैसे लेती है?

मैं एक 6 साल की बेटी की मां हूं और मैं जानती हूं कि बच्चे को सम्हालने के लिए हमें बुध्दिमातापूर्ण तरीके खोजने पड़ते है और ये सभी माता-पिता को करना पड़ता है. इसके अलावा बच्चों की जरूरतों को ध्यान देने की जरुरत होती है. असल में एक बच्चे की परवरिश करना एक गांव को आगे बढ़ाने जैसा होता है. इसमें पेरेंट्स को बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के साथ-साथ अपने लिए भी समय निकालने की जरुरत होती है, ताकि धीरज बनी रहे.

आज के बच्चे मोबाइल और इन्टरनेट पर अधिक एक्टिव रहते है, जिसे लेकर माता-पिता परेशान रहते है, आप अपनी बेटी को इन सब गेजेट्स से कितना दूर रख पाती है?

इसके लिए मैंने पहले इन सब चीजों को छोड़ा है. मैं अपनी बेटी के साथ रोज रात को किताब पढ़ती हूँ, बाहर उसके साथ घूमने जाती हूं, बारिश में भीगने भी जाती हूं, ‘फन’ वाले सारें काम मैं उसके साथ करती हूं.

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आपने थिएटर से लेकर फिल्म, टीवी और अब वेब सीरीज भी कर रही है, किस माध्यम को आप एन्जौय करती है और क्यों?

मैं अलग-अलग माध्यम को अलग-अलग तरीके से एन्जौय करती हूँ. मसलन स्टेज में मुझे इसलिए अच्छा लगता है,क्योंकि मैं हमेशा बारीकियों से काम करना पसंद करती हूं. स्टेज में 45 दिन की तैयारी होती है, जहां विस्तार से काम होता है. परफोर्मेंस के बाद प्रतिक्रिया तुरंत मिलती है. फिल्मों की पहुंच बहुत अधिक है,जबकि टीवी पर एक चरित्र को बार-बार दिखाने से दर्शक उससे जुड़ जाते है, लेकिन वेब में कहानियां बहुत अच्छी होती है. इसमें किसी भी कहानी को एक टाइम फ्रेम में बताया जा सकता है. मैंने सभी माध्यम को एन्जौय किया है.

आप अपनी जर्नी को कैसे देखती है?

मैंने एक अच्छी जर्नी तय की है और इसके लिए मैं सबको अपना आभार व्यक्त करती हूं, जिन्होंने मुझे देखा और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. जब मैं इंडस्ट्री में आई थी, बहुत कम उम्र की थी और किसी को जानती नहीं थी. मेरी पहली फिल्म फ्लॉप रही, पर मैं निराश नहीं हुई और आगे बढ़ी.

आजकल अभिनेत्रियां स्ट्रोंग भूमिका निभा रही है, फिल्में भी चल रही है, इसकी वजह क्या मानती है?

ये अच्छा समय है, दर्शक सराह रहे है. इसलिए महिला प्रधान फिल्में बन रही थी. महिलाएं हर क्षेत्र में मौका मिलने पर आगे आ सकती है,क्योंकि वे हमारे भविष्य का निर्माण करती है, ऐसे में फिल्में क्यों नहीं कर सकती.

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आपने कई सोशल वर्क किये है, कोई ऐसी सामाजिक कार्य जिसे करना अभी बाकी है?

मुझे दो-तीन क्षेत्र में अभी काम करना जरुरी है. पर्यावरण इसमें सबसे उपर है, इसकी हानि को देखकर मुझे बहुत तकलीफ होती है, जैसे प्लास्टिक की चीजों को इधर-उधर फेंकना , वाहनों के धुएं, अपने आस-पास को गन्दा रखना आदि सभी में लोगों को जागरूक होने की जरुरत है. उस क्षेत्र में काम करने की बहुत जरुरत है.

आगे और क्या करने की योजना है?

मैं एक कहानी लिख रही हूं, उसे बनाने की इच्छा है.

Edited by Rosy

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