कैसा हो घर का इंटीरियर,जानें इंटीरियर डिजाइनर दर्शिनी शाह से

घर या आशियाना हर व्यक्ति के लिए एक विश्राम स्थल और सुकून के कुछ समय बिताने के लिए होता है, ऐसे में अगर इसे एक खूबसूरत पहचान बजट के आधार पर दिया जाय, तो ख़ुशी और आराम दोनों का सुख व्यक्ति को मिल सकता है. मुंबई की इंटीरियर डिजाईनर दर्शिनी शाह भी क्रिएटिव कारीगरी से घर को सुंदर लुक देती है, जो हर किसी को पसंद आता है, लेकिन ये काम आसान नहीं होता. घंटो किसी व्यक्ति के साथ बैठकर उसकी रूचि को समझकर प्लान बनाने के लिए बहुत अधिक धैर्य की जरुरत पड़ती है.

मिली प्रेरणा

दर्शिनी को इस दिशा की प्रेरणा के बारें में पूछने पर वह बताती है कि मुझे बचपन से ही पेंटिंग का शौक था. इसलिए मैंने फाउंडेशन आर्ट में पढ़ाई की, जिसमे कमर्शियल आर्ट और टेक्सटाइल डिजाईन होता है, जो मुझे हर तरह की आर्ट में मदद कर सकती है, मसलन फेब्रिक, टेक्सटाइल, कलर, मटेरियल आदि के बारें में वहां मुझे ज्ञान मिला. वही से मैंने इंटीरियर का काम शुरू किया, जिसमें पहले मैंने आसपास की जान-पहचान लोगों के लिए इंटीरियर का काम किया, सभी ने तारीफें की. मेरा काम शुरू हुआ. इस काम में क्लाइंट के साथ बहुत समय बिताना पड़ता है जैसे उस मकान में रहने वाले परिवार के सदस्य, उनकी पसंद नापसंद आदि को एक बार जान लेने के बाद काम करना आसान हो जाता है. कोई भी व्यक्ति मेरी पसंद के आधार पर अपनी लाइफस्टाइल को नहीं बदलता, इसलिए सही प्लानिंग से सब आसान हो जाता है. मटेरियल और सबकी पसंद को मैच करना थोडा चैलेंजिंग होता है.

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पसंद अपनी-अपनी

14 साल से इंटीरियर का काम करने वाली दर्शिनी ने कई बड़े-बड़े सेलेब्रिटी घरों का इंटीरियर किया है. क्या सेलेब्रिटी के लिए घर का इंटीरियर करना कठिन होता है? पूछे जाने पर दर्शिनी कहती है कि हर कलकार की चॉइस अलग-अलग होती है. वे एक्सपेरिमेंट करने में हिचकिचाते नहीं. इसके अलावा वे किसी नयी ट्रेंड को फोलो करना चाहते है और वे खुद क्रिएटिव होने की वजह से उनके साथ काम करने में मज़ा आता है. पर्सनल टेस्ट सबका अलग होता है. करीना कपूर, अलिया भट्ट, कैटरिना कैफ इन सबके घर एक दूसरे से अलग है. ये सब उनकी पर्सनालिटी के आधार पर होती है, मसलन कैटरिना अकेली रहती है, इसलिए लाइट कलर पसंद है, जिसमें वह सबकुछ सजाकर रखती है, जबकि करीना और सैफ को मॉडर्न बोहेमियन स्पेस जिसमें आर्ट, किताबे, गाँव के दृश्य बहुत पसंद है. कार्तिक आर्यन अपने परिवार के साथ रहता है, उसकी जरूरते अलग है. थोड़ी बहुत वैनिटी वैन के इंटीरियर में समस्या आती है, क्योंकि छोटी जगह में बहुत कुछ समायोजित करना पड़ता है. सेलेब्रिटी नार्मल इंसान ही होते है, इसलिए काम से घर लौटने पर उन्हें सुकून मिले, इसकी कोशिश वे करते है. जो लोग खिटपिट करते है, मैं उनका काम नहीं करती.

नहीं डर चेक बाउंस का

शुरू-शुरू में मुझे लगता था कि काम होने के बाद मेरा चेक कही बाउंस न हो जाय, पर ऐसा मेरे साथ कभी नहीं हुआ, क्योंकि चेक बाउंस पुराने जमाने में हुआ करती थी, जिसे नयी पीढ़ी फोलो नहीं करती और वे अपनी क्षमता के अनुसार इंटीरियर करवाते है. बजट तय करने के बाद समस्या नहीं होती. मैं अपने माता-पिता, भाई-भाभी, बहन के साथ रहती हूँ. माँ ने हमेशा मुझे अधिक सहयोग दिया है. समय मिलने पर मैं किताबे पढना और ट्रेवल करती हूँ.

किये स्पेशल काम

दर्शिनी आगे कहती है कि घर से अधिक मुझे अच्छा सौ साल पुरानी पटौदी पैलेस का इंटीरियर करना बहुत स्पेशल था, क्योंकि किसी भी इंटीरियर डिज़ाइनर को पैलेस के लिए काम करना बड़ी बात होती है. इसके लिए पटौदी फॅमिली की संस्कृति को ध्यान में रखते हुए वहां की वस्तुओं को सही तरह से सजाना था. आज अधिकतर पैलेस होटल बन चुके है, पर इस पैलेस में अभी भी घर है.

सही इंटीरियर है जरुरी

कोविड की वजह से अभी सबको घर में ही रहना पड़ता है और घर व्यक्ति की पसंद और व्यक्तित्व के अनुसार होने की जरुरत है. घर में महंगे फर्नीचर नहीं, कम्फ़र्टेबल सामान होनी चाहिए, जिसपर आप अपने हिसाब से उठ बैठ सकें. मैं सभी से कहना चाहती हूँ कि घर की इंटीरियर अपनी बजट और फ्लोर प्लानिंग के अनुसार करें. मुंबई जैसे शहर में लक्जरी के लिए बड़े घर नहीं होते, ऐसे में मल्टीफंक्शनल रूम बनाना पड़ता है, जो दिन में कुछ काम करने और रात में इसका उपयोग सोने के लिए किया जा सकें. घरों के इंटीरियर को आकर्षक बनाने के कुछ टिप्स निम्न है,

घर के कलर व्यक्ति सही चुन नहीं पातें है, क्योंकि उन्हें इसका ज्ञान नहीं होता. दर्शिनी कहती है कि पूरे घर की एक थीम के अनुसार रंगों का चयन करना चाहिए. हर दो तीन साल बाद घर के स्ट्रक्चर को बदलने के शौकीन लोग न्यूट्रल रंग रखें, ताकि जल्दी से उसे बदला जा सकें, सोफे, कुशन कवर, पर्दे आदि के पसंद न आने पर तुरंत बदल सकते है. रंग व्यक्ति की पसंद के अनुसार चुने, ट्रेंड या किसी दोस्त के घर के अनुसार कलर कभी न करें,

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घर को बड़ा दिखाने के लिए लाइट कलर का प्रयोग करें, मुंबई जैसे शहर में लाइट ऑफ व्हाईट, ब्लू, ग्रीन आदि नेचर से सम्बंधित रंगों का चयन करें, क्योंकि डार्क कलर से अधिक गर्मी का एहसास होता है,
शेड कार्ड को देखकर दिवार के रंग न चुने, उस रंग से दिवार के छोटे हिस्से पर पैच बनाएं और उसे दिन की रौशनी या रात में देखें,

दिल्ली में लोगों के घर बड़े होते है और उनका टेस्ट अलग होता है, वहां गर्मी में गर्मी और सर्दी में अधिक ठंडी होती है, ऐसे में रंग ऐसा होना चाहिए, जो दोनों मौसम में सही लगे,

अगर आपके घर में 4 दिवार है तो एक को डार्क करें और बाकी सभी रंग न्यूट्रल रखें, इससे गर्मी में तकलीफ नहीं होगी और सर्दी में थोड़ी गर्मी महसूस होगी,

ठण्ड में अच्छे वुलेन कारपेट और गर्मी में लाइट कलर की दरी बिछाने से भी गर्मी कम लगती है, इसके अलावा दरी को आप कभी भी धो सकते है,

सही इंटीरियर डिजाईन के लिए कागज पर बनाये गए प्लान को पहले घरों में फ्लोर पर मार्क करें, फिर काम शुरू करें.

लाइटिंग को दे महत्व

लाइट का सही प्रयोग बहुत आवश्यक है. इसमें पहले नेचुरल लाइट को देखना पड़ता है, जिसमें खिडकियों को खुला रखने की कोशिश करनी पड़ती है, जितना संभव हो, सामानों को नेचुरल लाइट के पास रखें, शाम को जनरल या मूड लाइटिंग कर सकते है और इसका प्रयोग पार्टी या किसी खास अवसर पर किया जा सकता है. इसके अलावा मेरा सभी से कहना है कि कोविड में मास्क अवश्य पहने, वैक्सीन लगायें और घर पर रहने की कोशिश करें. हम सभी ने अपनी गलती से एक साल गवांया है. कोविड पर लगाम लगाना बहुत जरुरी है. मेडिकल की समस्या जो सालों से देश में है, उस क्षेत्र में अधिक से अधिक काम करने की जरुरत है.

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