टोक्यों ओलंपिक में देश की पहली अंतर्राष्ट्रीय महिला तलवारबाज़ बनी भवानी देवी

जब आपमें कुछ कर गुजरने की इच्छा हो, तो मुश्किलें कितनी भी हो, उसे पार कर मंजिल तक पहुँच जाते है, ऐसा ही कुछ कर दिखाया है भारत की अंतर्राष्ट्रीय महिला तलवारबाज चदलावदाअनंधा सुंधरारमनयानि C. A. भवानी देवी. वह 23 जुलाई 2021 को टोक्यो में शुरू होने वाले ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली भारत की पहली अंतर्राष्ट्रीय महिला तलवारबाज बन चुकी है. 8 बार की नेशनल चैंपियन, कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप टीम इवेंट्स में एक सिल्वर और एक ब्रोंज जीतने वाली भवानी देवी एक ऐसी महिला है, जिन्होंने मेहनत कर इस खेल को अपनी पहचान बनाई और लाखो युवाओं की प्रेरणा स्त्रोत बनी. चेन्नई के मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी भवानी देवी के पिता पुजारी और माँ हाउसवाईफ है. 5 भाई-बहनों में सबसे छोटी भवानी को स्कूल के समय से ही तलवार बाजी का शौक था. पैसे की तंगी होने के बावजूद भवानी के पेरेंट्स बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते थे. एक बार पैसे की कमी होने की वजह से भवानी की माँ ने अपने गहने तक गिरवी रख दिए थे. इसलिए भवानी अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती है.

भवानी को छठी कक्षा में पढने के दौरान स्कूल के किसी खेल में भाग लेने के लिए नाम देना पड़ा. तलवारबाजी को छोड़ किसी भी खेल में जगह नहीं थी. भवानी को ये खेल नया और चैलेंजिंग लगा. उस समय तमिलनाडु ही नहीं, पूरे भारत के लिए ये खेल नया था. शुरू में उन्होंने बांस के उपकरणों से चेन्नई के जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम के बैडमिंटन कोर्ट में प्रैक्टिस किया करती थी. आज भी सस्ती तलवारों से ही भवानी फेंसिंग की प्रैक्टिस करती है, क्योंकि अच्छी यूरोपियन तलवारों को वह मैच के लिए रखती है. नेशनल लेवल पर पहुँचने के बाद भवानी इलेक्ट्रिक तलवार से परिचित हुई थी.भवानी ने तलवारबाजी में 12 से अधिक मेडल जीते है. वर्ष 2008 में सीनियर एशियन चैम्पियनशिप में भाग लेने के लिए भवानी के पास पैसे नहीं थे, तब मुख्यमंत्री जयललिता ने भवानी को बुलाकर एक चेक दिया. इसके बाद से भवानी को पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा.उनके इटालियन कोच निकोला ज़ेनोट्टी है, उन्हें भवानी की स्किल्स को देखने के बाद कोच करने की इच्छा हुई.स्पष्टभाषी और शांत भवानी से कैम्पेन के तहत वर्चुअली बात हुई पेश है कुछ खास अंश.

सवाल-चमकते रहना को आप कैसे एक्सप्लेन करना चाहती है?

रियल लाइफ में किसी व्यक्ति को अपने मुकाम तक पहुँचने में साहस और दृढ़ संकल्प के साथ-साथ चुनौतियों की जंग को जीतने की जरुरत होती है, जैसा मैंने हर कदम पर किया है. अपने सपने को मैंने कभी नहीं छोड़ा और आज देश को गर्वित महसूस करवाने में सफल हो पाई.आज पूरा देश मेरी प्रतिभा को मानता है.

सवाल-तलवारबाजी में जाने की प्रेरणा कैसे मिली?

मैं जब 6ठी कक्षा में थी, मुझे इस खेल में जाने का मौका मिला और मुझे ये गेम काफी यूनिक और चैलेंजिंग लगा. फिर मैंने प्रैक्टिस करना शुरू किया.

ये भी पढ़ें- कोविड पेशेंट के लिए ‘डॉक्टर ऑन व्हील्स’ करती है 20 घंटे काम, जानें कैसे

सवाल-भारत में ये खेल अधिक प्रचलित नहीं है, ऐसे में आप कैसे आगे बढ़ी? माता-पिता का सहयोग कितना रहा? चुनौतियाँ क्या-क्या थी?

मेरी जर्नी पितृसत्तात्मक विचार के विरुद्ध जाकर ही शुरू हुई है और ये बचपन से लेकर आज एक सफल तलवारबाज बनने तक है. मेरी पहली फेंसिंग किट जो बहुत महँगी थी, उसे खरीदने के लिए मेरे पेरेंट्स के पास पैसे नहीं थे. मेरी माँ ने अपने गहने गिरवी रखकर मुझे पैसे दिए, ताकि मैं अपने सपनों को पूरा कर सकूँ. हर दिन मेरे लिए चुनौती है, जब मैं ट्रेनिंग के बाद गंदे और पसीने युक्त कपड़ों के साथ थककर घर पहुँचती हूं, तो मन में एक ख़ुशी महसूस होती है, फलस्वरूप मैं इस खेल छोड़ने की बात कभी नहीं सोच पाई. किसी भी सपने को पूरा करने के पीछे अनगिनत त्याग और चुनौती होती है, लेकिन शांत और दृढ़ संकल्प के साथ ही वह उस असंभव मंजिल को भी पाया जा सकता है.

सवाल-क्या महिला होने के नाते आपको किसी प्रकार के ताने आसपास या रिश्तेदारों से खेल को लेकर सुनने पड़े? अगर हाँ तो आपने उसे कैसे लिया ?

प्रोफेशनल फ्रंट में मुझे कई घंटे लगन और मेहनत के साथ प्रशिक्षण लेना पड़ता था, ताकि मुझे अच्छी रिजल्ट मिले.कई बार ये कठिन और टायरिंग होने पर भी मेरी फोकस खेल पर होता था, क्योंकि मेरी माँ को विश्वास था कि मैं एक दिन कामयाब अवश्य होऊँगी, इसलिए मुझे किसी भी प्रकार की तानों से निकलने में माँ का सहयोग सबसे अधिक है. मेरी इस जर्नी में मैंने हमेशा ऐसे लोगों को फेस किया है, जोमेरे तलवारबाजी के खेल को गलत ठहराकरकिसी अन्य खेल में जाने की सलाह दी है, क्योंकि ये महिलाओं की कैरियर के लिए सही खेल नहीं है. मैंने इसे अनसुना कर तलवारबाजी की पैशन पर नजर गढ़ाए रखी.अच्छी बात ये रही कि मेरे परिवारवालों ने उस समय भी मुझपर विश्वास रखा, जिससे मुझे अपनी जर्नी को आगे बढ़ाने में आसानी रही.

सवाल-टोक्यो ओलंपिक में आप किस पदक को लाना चाहती है? इसके लिए कितनी तैयारियां की है?

मेरे लिए यह पहली बार है, जब मैं अपने देश का प्रतिनिधित्व इंटरनेशनल स्पोर्ट इवेंट में करने वाली हूं. मुझे ये ‘ड्रीम कॉम ट्रू’ वाली स्थिति का अनुभव हो रहा है. मैं इस जर्नी की हर पल को एन्जॉय कर रही हूं और मैं देश, परिवार और लम्बे समय से पोषित ड्रीम के लिए गोल्ड मैडल लाना चाहती हूं.

मैंने घर से बाहर यूरोप में रहकर 5 सालों तक ओलंपिक के इस अवसर को पाने के लिए प्रशिक्षण लिया है. इस दौरान मैंने हर त्यौहार को मिस किया है, लेकिन मुझे अफ़सोस इस बात से है कि मेरे पिताजी इस पल में हमारे साथ नहीं है.

सवाल-फेंसिंग में किस तरह की फिटनेस जरुरी होता है?

तलवारबाजी की खेल में चुस्ती-फुर्ती और अनुशासन में रहना पड़ता है, जिसमें माइंड और पूरे शरीर की वर्कआउट करना जरुरी है. इस खेल में 3 स्किल्स पर ख़ास ध्यान देना पड़ता है, मसलन ब्लेड वर्क, फुटवर्क और युद्ध नीति. फेंसिंग मुकाबले का खेल है और बिना रुके खेलना पड़ता है. व्यक्ति को फ़ास्ट और चतुर होने के साथ-साथ अच्छी कोआर्डिनेशन और स्ट्रेंथ की आवश्यकता होती है. इसमें व्यक्ति को अच्छी बॉडी स्किल्स, फ्लेक्सिबिलिटी और रिएक्शन स्किल बहुत जरुरी है, ताकि आप इस खेल में माहिर हो सके.

ये भी पढ़ें- शादी निभाने की जिम्मेदारी पत्नी की ही क्यों

सवाल-आपकी आगे की योजनायें क्या है?

अभी मैं एक एथलीट हूं , लेकिनटूर्नामेंट में परफॉर्म करना मेरी सबसे अधिक प्रायोरिटी है, क्योंकि इससे मानसिक और शारीरिक दोनों को बल मिलता है.

सवाल-फेंसिंग सीखने वाले नए खिलाड़ियों के लिए मेसेज क्या है?

तलवारबाजी में अपना कैरियर बनाने के लिए व्यक्ति को साहसी, स्ट्रांग और खुद में विश्वास होने की जरुरत है. मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत होने पर व्यक्ति कठिन घड़ी को भी सम्हालकर जीत की ओर अग्रसर होता है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें