क्या है इंटिमेट हाइजीन

पहले महिलाएं पुरानी रूढि़वादी सोच बदलते इंटिमेट हाइजीन पर बातचीत करने से हिचकती थीं, जिस का खमियाजा भी उन्हें ही भुगतना पड़ता था. उन्हें तरहतरह के इन्फैक्शन परेशान करते थे. मगर अब जमाना बदल गया है. लड़कियां और महिलाएं इस विषय पर हर तरह की जानकारी चाहती हैं ताकि वे सेहतमंद बनी रहें.

क्या है इंटिमेट हाइजीन

पर्सनल हाइजीन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा इंटिमेट हाइजीन है. महिलाओं के लिए इंटिमेट हाइजीन बनाए रखना बेहद जरूरी है. इस से न केवल वे क्लीन और फ्रैश महसूस करती हैं, बल्कि खुजली, फंगल और बैक्टीरियल इन्फैक्शन या यूटीआई जैसी गंभीर समस्याओं से भी बचती हैं.

मगर इस हिस्से में ज्यादा साबुन का प्रयोग करने से रूखापन, जलन और पीएच बैलेंस (3.5 से 4.5) बिगड़ने की समस्या हो सकती है. शरीर के इस हिस्से में मौजूद टिशू काफी संवेदनशील होते हैं. इसलिए इस हिस्से की ज्यादा साफसफाई या कम दोनों ही वजहों से समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

इंटिमेट हाइजीन बनाए रखने का सही तरीका

– हर महिला को दिन में कम से कम 2 बार इंटिमेट एरिया को सावधानी से साफ करना चाहिए. इस एरिया की त्वचा पर हार्ड वाटर, हार्ड साबुन आदि का इस्तेमाल करने से बचें. हमेशा जैंटल और माइल्ड प्रोडक्ट का ही इस्तेमाल करें.

– ध्यान रखें कि जिस पानी का इस्तेमाल कर रही हों वह बहुत ज्यादा गरम या ठंडा न हो. कुनकुने साफ पानी का प्रयोग करें.

– इंटिमेट एरिया को हमेशा कोमलता से धोएं या पोंछें. अगर आप तौलिए से बहुत रगड़ कर पोंछेंगी तो सैंसिटिव टिशूज डैमेज हो सकते हैं.

– इस हिस्से की त्वचा को हमेशा सूखा रखें.

– इंटिमेट एरिया की सफाई के लिए कोई भी ऐसा प्रोडक्ट इस्तेमाल न करें जिस में खुशबू मिलाई गई हो. खुशबू के लिए इन प्रोडक्ट्स में खतरनाक कैमिकल मिलाए जाते हैं, जो वैजाइना के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होते.

– लेस वाली अंडरवियर कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो पर हमेशा कौटन के अंडरवियर ही चुनें. ये कंफर्टेबल होते हैं और इन से हवा सहजता से पास हो पाती है. ‘जर्नल ओब्स्टेट्रिक्स ऐंड गाइनोकोलौजी’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार सिंथैटिक के अंडरवियर वैजाइना में यीस्ट इन्फैक्शन का खतरा बढ़ाते हैं.

– अपने अंडर गारमैंट्स की हाइजीन पर भी ध्यान दें. हमेशा इन्हें अच्छे डिटर्जैंट से धो कर धूप में सुखाएं ताकि इन में मौजूद बैक्टीरिया खत्म हो जाएं.

– अगर संभव हो तो रात को बिना अंडरवियर या बहुत ढीले शौर्ट्स पहने कर सोएं.

– पीरियड्स के दौरान सफाई का खास खयाल रखें. हर 3-4 घंटों के अंदर सैनिटरी पैड बदलें.

– ऐसे कपड़े न पहनें जो बहुत टाइट हों. टाइट कपड़े इंटिमेट एरिया में हवा के बहाव को रोकते हैं. इस से नमी अंदर ही रहती है और यीस्ट इन्फैक्शन का खतरा रहता है.

– यदि आप को वैजाइनल डिस्चार्ज की समस्या है, तो यथाशीघ्र डाक्टर से मिल कर उपचार कराएं.

– अगर शरीर के इस हिस्से से किसी तरह की दुर्गंध महसूस हो तो भी देरी किए बिना डाक्टर से संपर्क करें.

प्रोडक्ट खरीदने से पहले  ध्यान दें

आज बाजार में इंटिमेट हाइजीन के लिए तरहतरह के प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं. ये प्रोडक्ट इस एरिया को साफ रखने में अलगअलग तरह से मदद करते हैं. लेकिन कोई भी प्रोडक्ट खरीदते समय कुछ बातों का खयाल रखना जरूरी है.

प्रोडक्ट ऐसा लें जो हाइपोएलर्जेनिक हो, सोप फ्री हो, पीएच फ्रैंडली हो, माइल्ड क्लींजर हो और किसी तरह का नुकसान या जलन पैदा किए बगैर अपना काम करे. मार्केट में इंटिमेट हाइजीन के लिए ऐसे प्रोडक्ट्स मौजूद हैं, जिन में पर्याप्त मात्रा में मौइस्चराइजर होता है ताकि त्वचा के ड्राई होने की समस्या से बचा जा सके.

प्यूबिक एरिया के बालों की सफाई

अपने प्यूबिक एरिया के बालों की सफाई का भी खयाल रखें. आप चाहें तो इन्हें शेव कर सकती हैं, वैक्स कर सकती हैं या फिर नियमित रूप से ट्रिम कर सकती हैं. हर बार शेव करने के लिए नए रेजर का इस्तेमाल करें. इस से इन्फैक्शन का खतरा कम होगा.

जिस तरह आप हाथपैरों के लिए साबुन या शेविंग क्रीम का इस्तेमाल करती हैं उसी तरह अपने प्यूबिक हेयर को शेव करते वक्त भी करें. शेविंग से पहले साबुन या शेविंग क्रीम से खूब सारा झाग बना लें.

इस से शेव करते वक्त कम फ्रिक्शन होगा और कटने का जोखिम भी कम होगा. यही नहीं जरूरी है कि आप साबुन या किसी अच्छे इंटिमेट वाश से प्यूबिक हेयर की रोज सफाई भी करें वरना यहां बैक्टीरिया फंसे रह सकते हैं. इस सफाई करने से आप कई प्रकार के संक्रमण से बच सकती हैं.

Intimate Hygiene से जुड़ी बीमारियों का ऐसे करें इलाज

क्या आप किसी प्रकार की इंटिमेट बीमारी से परेशान है? क्या डॉक्टर से कहने में शर्म महसूस करती है? किससे कहूँ? कैसे कहूँ? जैसी झिझक आपको है, तो लीजिये पढ़िए ये लेख जिसमे आपको सभी प्रश्नों के उत्तर मिल जायेंगे. महिलाएँ आज सभी क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही है, लेकिन वे शरीर से सम्बंधित किसी भी विषय को खुलकर नहीं कहती,पति से भी नहीं. अन्तरंग भाग की कुछ बिमारियों को वह किसी से नहीं कह पाती, इसका उदहारण एक लेडी डॉक्टर के पास मिला, जैसा कि 35 वर्षीय महिला डॉक्टर से भी अपनी बात कहने से शर्म महसूस कर रही थी और डॉक्टर पूरी तरह से उसे डांट रही थी, जबकि उसे इंटरनली कुछ बड़ी इन्फेक्शन हो चुकाथा, जिसका इलाज जल्दी करना था.

इस बारें में नानावती मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ,डॉ. गायत्री देशपांडे कहती है कि आज भी छोटे शहरों की महिलाएं, किसी पुरुष स्त्री रोग विशेषज्ञ से जांच नहीं करवाती, उनके पास डिलीवरी के लिए नहीं जाती. असल में अंतरंग स्वच्छता और देखभाल का उनकी शारीरिक व मानसिक हेल्थ पर काफी असर होता है, लेकिन जागरूकता के साथ-साथ समय पर चिकित्सीय सहायता से वल्वोवैजाइनल इन्फेक्शन के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. खासकर गर्मियों के मौसम में इंटिमेट हायजिन को बनाए रखना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि पसीने और गर्मी से इंटिमेट पार्ट में फंगल इन्फेक्शन बहुत जल्दी होता है, इसलिए महिलाओं को इस बात से अवगत होना चाहिए कि, अंतरंग स्वच्छता केवल साफ-सफाई नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर उनकी भलाई से जुड़ा विषय है. महिलाओं को उन सभी सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक बाधाओं को खुद से दूर रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि उन्हें इस विषय पर खुलकर बातचीत करने और अंतरंग देखभाल के सबसे बेहतर साधनों का उपयोग करने से रोका जाता है और कुछ घरेलू नुस्खे का प्रयोग किया जाता है, जिससे बीमारी अधिक बढ़ती है औए कई बार ये इन्फेक्शन इतना अधिक फ़ैल जाता है, जिसे कंट्रोल करना मुश्किल होता है और उस महिला की मृत्यु भी हो सकती है.

इंटिमेट हाइजिन है क्या

डॉ.गायत्री आगे कहती है कि गर्भाशय ग्रीवा की बाहरी सतह से लेकर योनि के छिद्र तक की परत को वजाइनल म्यूकोस (योनि श्लेष्मा) कहते है, जो कुदरती तौर पर निकलने वाले तरल पदार्थों की मदद से खुद को साफ करने में सक्षम होता है, खुद को साफ करने की क्षमता के बावजूद, योनि में कई स्वस्थ बैक्टीरिया (लैक्टोबैसिली) मौजूद होते है,जो संक्रमण की रोकथाम के साथ-साथ माइक्रोबियल संतुलन बनाए रखते है. कई तरह के बाहरी या आंतरिक असंतुलन अथवा आदतों की वजह से डिस्बिओसिस, यानी स्वस्थ माइक्रोबियल की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे योनि या मूत्र मार्ग में संक्रमण होने का डर रहता है.

इसके अलावा योनि को प्रतिदिन धोने, शौच के बाद टिश्यू पेपर या वेट वाइप्स का उपयोग करने, स्नान करने और अच्छी तरह सुखाने, अंडरगारमेंट्स की सफाई, मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता बरकरार रखने और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कियौन-संबंध बनाने से पहले औरबाद में स्वच्छता का ध्यान रखने जैसी अच्छी आदतों से योनि और इससे संबंधित सभी अन्तरंग अंगों की हिफाज़त करने में काफी मदद मिलती है.कुछ सुझाव निम्न है जिसे अपनाने से इन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है.

रखें नियमित सफाई एवं स्वच्छता

हर बार पेशाब करने के बाद योनि को सामने की तरफ से लेकर पीछे तक सादे पानी से धोना जरूरी है. महिलाओं को समझना चाहिए कि योनि क्षेत्र भी उनकी सामान्य त्वचा की तरह ही है, इसलिए नहाते समय इसे भी शरीर के दूसरे अंगों की तरह सामान्य साबुन या बॉडी वॉश से आगे से पीछे की ओर धोना चाहिए. इसकी वजह, पीछे के मार्ग (गुदा) पर बैक्टीरिया या जीवाणु मौजूद हो सकते है, जिनके संपर्क में आने से योनि में संक्रमण हो सकता है.

सही फैब्रिक का करें चुनाव

महिलाओं के लिए सूती पैंटी पहनना ही सबसे बेहतर है, जो नमी को सोखने में और इंटिमेट पार्टको सूखा रखने में सहायक होती है. इसी तरह, महिलाओं को बेहद तंग, गहरे रंग वाले या नम कपड़ों से परहेज करना चाहिए अपने कपड़ों को पहनने से पहले उन्हें साफ-सुथरी जगह पर धूप में सुखाना जरुरी है, ताकि अन्तरंग भागों के आसपास नमी की मौजूदगी भी संक्रमण का एक प्रमुख कारण हो सकती है

सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग

सार्वजनिक शौचालयों में ई-कोलाई, स्टैफिलोकोकी, स्ट्रेप्टोकोकी जैसे सक्रिय जीवाणु मौजूद होते है, जो महिलाओं के मूत्र-मार्ग में संक्रमण (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) का सबसे आम कारण होता है. इन शौचालयों के साफ-सुथरे दिखने के बावजूद, टॉयलेट सीट, फ्लश, वॉटर नॉब्स या दरवाज़े के हैंडल जैसी जगहों पर कीटाणु और बैक्टीरिया मौजूद हो सकते है. इससे बचने के  लिए आवश्यक सावधानी बरतनी चाहिए,मसलन टॉयलेट सीट पर टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करना, कपड़े या शरीर को छूने से पहले हाथ साफ करने के लिए सैनिटाइज़र और अपने पास मौजूद साबुन का उपयोग करना चाहिए. बाहर के वॉशरूम और टॉयलेट का उपयोग करने के बाद लैक्टिक एसिड आधारित वजाइनल वॉश का उपयोग करना, योनि की देखभाल के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

खुद को रखे स्वच्छ,यौनसंबंध से पहले

यौन-संबंधों के दौरान साथी द्वारा साफ-सफाई नहीं रखने की वजह से महिलाओं के मूत्र-मार्ग में संक्रमण (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) या योनि में संक्रमण भी हो सकता है. यौन-संबंध बनाने के बाद हमेशा मूत्र त्याग की कोशिश करनी चाहिएऔर योनि को आगे से पीछे की ओर साफ करना चाहिए. कंडोमऔर गर्भनिरोधक तरीकों का उपयोग करना यौन-संबंधों से होने वाले संक्रमणों की रोकथाम में बेहदमुख्यभूमिका निभा सकता है.एक से अधिक साथी के साथयौन-संबंधों से परहेज करेंऔर अपने साथी सेभीप्राइवेट पार्टकी स्वच्छता बनाए रखने का अनुरोध करें.

रहे सावधान फीका रंगत वाला या बदबूदार स्राव से

माहवारी के दिनों में फीका रंगत वाला मामूली स्राव होना बेहद सामान्य बात है. हार्मोन में बदलाव की वजह से ऐसे स्राव में योनि तथा गर्भाशय ग्रीवा की त्वचा की कोशिकाएँ मौजूद होती है, लेकिन इस तरह के स्राव के बरकरार रहने, गंध और समय-सारणी को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह माहवारी के दौरान शरीर में होने वाले बदलावों को दर्शाता है. प्री-ओव्यूलेटरी डिस्चार्ज (अण्डोत्सर्ग से पहले का स्राव) अपेक्षाकृत गाढ़ा, कम और गोलाकार होता है, जबकि पोस्ट-ओव्यूलेटरी वजाइनल डिस्चार्ज (माहवारी से एक हफ्ते पहले) अधिक मात्रा में, बहुत पतला और चिपचिपा होता है. महिलाओं को यह समझना चाहिए कि इस तरह के स्राव बेहद सामान्य हैऔर स्वस्थ अण्डोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) की प्रक्रिया का संकेत देते है.

हालाँकि, अगर यह स्राव बेहद गाढ़ा हैऔर इसके साथ लालिमा, खुजली या जलन की समस्या जुड़ी हुई है और आपके माहवारी के दिनों के अलावा ऐसा होता है, तो इस समस्या पर तुरंत ध्यान देना और स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना बेहद जरूरी है. कैंडिडल, मोइलियल या ट्राइकोमोनल इन्फेक्शन की वजह से इस तरह के स्राव हो सकते है. बैक्टीरियल वेजिनोसिस के कारण होने वाले स्राव में मछली की तरह तेज गंध होती है. इसके अलावा, डायबिटीज मेलिटस से पीड़ित महिलाओं में बार-बार योनि और मूत्र संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है.

सम्हलकर करें,प्यूबिक हेयर की वैक्सिंग या ट्रिमिंग

शरीर के किसी भी अन्य छिद्र की तरह, प्राइवेट पार्ट के बाल भी योनि के छिद्र की हिफाजत करते है, जो कई सूक्ष्मजीवों के लिए किसी रुकावट की तरह काम करते है,इसलिए, वैक्सिंग कराने से न केवल योनि के ऐसे सूक्ष्मजीवों के संपर्क में आने की संभावना बढ़ जाती है, बल्कि वैक्सिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनुचित साधनों से योनि के आसपास सूजन या संक्रमण भी हो सकता है, रैशेज और इन्फेक्शन से बचने के लिए प्यूबिक एरिया को साफ रखना जरूरी है.

इलाज से बेहतर है, रोकथाम

महिलाओं के लिए समस्याग्रस्त होने के बाद इलाज कराने के बजाय इसकी रोकथाम पर ध्यान देना बेहतर है. साल में एक बार स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना, सर्विकल कैंसर से बचने के लिए समय-समय पर PAP स्मीयर टेस्ट करानाआदि स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह पर करने के साथ-साथ उनके द्वारा दी गयी दवाइयों का प्रयोग करें और अन्तरंग स्वच्छता के बारें में भी जानकारी प्राप्त करें. बीमारी का पता सही समय पर चल जाने से इलाज जल्दी हो सकता है और संक्रमण अधिक फ़ैल नहीं सकता.

ये भी पढ़ें- लाइफस्टाइल डिसऔर्डर से होती बीमारियां

Monsoon Special: मौनसून में जरूरी है इंटिमेट हाइजीन

महिलाएं आज सभी क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही हैं. लेकिन वे शरीर से संबंधित किसी भी बात को खुल कर नहीं कहतीं, पति से भी नहीं. अंतरंग भाग की कुछ बीमारियों को वह किसी से नहीं कह पाती, इस का उदाहरण एक लेडी डाक्टर के पास मिला. 35 वर्षीय महिला डाक्टर से भी अपनी बात कहने से शर्म महसूस कर रही थी और डाक्टर पूरी तरह से उसे डांट रही थी जबकि उसे इंटरनली कुछ बड़ा इन्फैक्शन हो चुका था, जिस का इलाज जल्दी करना था.

इस बारे में नानावती मैक्स सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल की प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञा, डा. गायत्री देशपांडे कहती हैं कि आज भी छोटे शहरों की महिलाएं, किसी पुरुष स्त्रीरोग विशेषज्ञ से जांच नहीं करवातीं, उन के पास डिलिवरी के लिए नहीं जातीं.

असल में अंतरंग स्वच्छता और देखभाल का उन की शारीरिक व मानसिक हैल्थ पर काफी असर होता है, लेकिन जागरूकता के साथसाथ समय पर चिकित्सीय सहायता से वल्वोवैजाइनल इन्फैक्शन के मामलों में बढ़ोतरी हुई है खासकर गरमियों के मौसम में इंटिमेट हाइजीन को बनाए रखना बहुत आवश्यक होता है क्योंकि पसीने और गरमी से इंटिमेट पार्ट में फंगल इन्फैक्शन बहुत जल्दी होता है, इसलिए महिलाओं को इस बात से अवगत होना चाहिए कि अंतरंग स्वच्छता केवल साफसफाई नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर उन की भलाई से जुड़ा विषय है.

धार्मिक और सामाजिक बाधाओं से दूर रहें

महिलाओं को उन सभी सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक बाधाओं को खुद से दूर रखना बेहद जरूरी है क्योंकि उन्हें इस विषय पर खुल कर बातचीत करने और अंतरंग देखभाल के सब से बेहतर साधनों का उपयोग करने से रोका जाता है और कुछ घरेलू नुस्खों का प्रयोग किया जाता है, जिस से बीमारी अधिक बढ़ती है और कई बार यह इन्फैक्शन इतना अधिक फैल जाता है कि उसे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है. यहां तक कि उस महिला की मृत्यु भी हो सकती है.

इंटिमेट हाइजीन है क्या

डा. गायत्री कहती हैं कि गर्भाशयग्रीवा की बाहरी सतह से ले कर योनि के छिद्र तक की परत को वैजाइनल म्यूकोस (योनि श्लेष्मा) कहते हैं, जो कुदरती तौर पर निकलने वाले तरल पदार्थों की मदद से खुद को साफ करने में सक्षम होता है, खुद को साफ करने की क्षमता के बावजूद, योनि में कई स्वस्थ बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, जो संक्रमण की रोकथाम के साथसाथ माइक्रोबियल संतुलन भी बनाए रखते हैं. कई तरह के बाहरी या आंतरिक असंतुलन अथवा आदतों की वजह से स्वस्थ माइक्रोबियल की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है, जिस से योनि या मूत्र मार्ग में संक्रमण होने का डर रहता है.

इस के अलावा योनि को प्रतिदिन धोने, शौच के बाद टिशू पेपर या वेट वाइप्स का उपयोग करने, स्नान करने और अच्छी तरह सुखाने, अंडरगारमैंट्स की सफाई, मासिकधर्म के दौरान स्वच्छता बरकरार रखने और सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यौन संबंध बनाने से पहले और बाद में स्वच्छता का ध्यान रखने जैसी अच्छी आदतों से योनि और उस से संबंधित सभी अंतरंग अंगों की हिफाजत करने में काफी मदद मिलती है. इन बातों का ध्यान रखने से इन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है:

रखें साफसफाई

हर बार पेशाब करने के बाद योनि को सामने की तरफ से ले कर पीछे तक सादे पानी से धोना जरूरी है. महिलाओं को समझना चाहिए कि योनि क्षेत्र भी उन की सामान्य त्वचा की तरह ही है, इसलिए नहाते समय इसे भी शरीर के दूसरे अंगों की तरह सामान्य साबुन या बौडी वाश से आगे से पीछे की ओर धोना चाहिए. पीछे के मार्ग (गुदा) पर बैक्टीरिया या जीवाणु मौजूद हो सकते हैं, जिन के संपर्क में आने से योनि में संक्रमण हो सकता है.

सही फैब्रिक का करें चुनाव

महिलाओं के लिए सूती पैंटी पहनना ही सब से बेहतर है, जो नमी को सोखने और इंटिमेट पार्ट को सूखा रखने में सहायक होती है. इसी तरह महिलाओं को बेहद तंग, गहरे रंग वाले या नम कपड़ों से परहेज करना चाहिए. अपने कपड़ों को पहनने से पहले उन्हें साफसुथरी जगह पर धूप में सुखाना जरूरी है ताकि अंतरंग भागों के आसपास नमी की मौजूदगी भी संक्रमण का एक प्रमुख कारण हो सकती है

सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग

सार्वजनिक शौचालयों में ईकोलाई, स्टै्रफिलोकोकी, स्ट्रेप्टोकोकी जैसे सक्रिय जीवाणु मौजूद होते हैं, जो महिलाओं के मूत्रमार्ग में संक्रमण (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फैक्शन) का सब से आम कारण होते हैं. इन शौचालयों के साफसुथरे दिखने के बावजूद टौयलेट सीट, फ्लश, वाटर नोब्स या दरवाजे के हैंडल जैसी जगहों पर कीटाणु और बैक्टीरिया मौजूद हो सकते हैं.

इन से बचने के लिए आवश्यक सावधानी बरतनी चाहिए. मसलन, टौयलेट सीट पर टिशू पेपर का इस्तेमाल करना, कपड़े या शरीर को छूने से पहले हाथ साफ करने के लिए सैनिटाइजर या साबुन का उपयोग करना चाहिए. बाहर के वाशरूम और टौयलेट का उपयोग करने के बाद लैक्टिक ऐसिड आधारित वैजाइनल वाश का उपयोग करना योनि की देखभाल के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है.

यौन संबंध से पहले  खुद को रखें स्वच्छ

यौन संबंध के दौरान साथी द्वारा साफसफाई नहीं रखने की वजह से महिलाओं के मूत्रमार्ग में संक्रमण या योनि में संक्रमण भी हो सकता है. यौन संबंध बनाने के बाद हमेशा मूत्र त्याग की कोशिश करनी चाहिए और योनि को आगे से पीछे की ओर साफ करना चाहिए. कंडोम और गर्भनिरोधक तरीकों का उपयोग करना यौन संबंधों से होने वाले संक्रमण की रोकथाम में बेहद मुख्य भूमिका निभा सकता है. 1 से अधिक साथी के साथ यौन संबंधों से परहेज करें और अपने साथी से भी प्राइवेट पार्ट की स्वच्छता बनाए रखने का अनुरोध करें.

रहें सावधान फीकी रंगत वाले स्राव से

माहवारी के दिनों में फीकी रंगत वाला मामूली स्राव होना बेहद सामान्य बात है. हारमोन में बदलाव की वजह से ऐसे स्राव में योनि तथा गर्भाशयग्रीवा की त्वचा की कोशिकाएं मौजूद होती हैं, लेकिन इस तरह के स्राव के बरकरार रहने, गंध और समयसारिणी को ध्यान में रखना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह माहवारी के दौरान शरीर में होने वाले बदलावों को दर्शाता है. प्रीओव्यूलेटरी डिस्चार्ज (अंडोत्सर्ग से पहले का स्राव) अपेक्षाकृत गाढ़ा, कम और गोलाकार होता है, जबकि पोस्ट-ओव्यूलेटरी वैजाइनल डिस्चार्ज (माहवारी से 1 हफ्ता पहले) अधिक मात्रा में, बहुत पतला और चिपचिपा होता है. महिलाओं को यह समझना चाहिए कि इस तरह का स्राव बेहद सामान्य है और स्वस्थ अंडोत्सर्ग की प्रक्रिया का संकेत देता है.

अगर यह स्राव बेहद गाढ़ा है और इस के साथ लालिमा, खुजली या जलन की समस्या भी है और आप के माहवारी के दिनों के अलावा भी ऐसा होता है, तो इस समस्या पर तुरंत ध्यान देना और स्त्रीरोग विशेषज्ञा से परामर्श लेना बेहद जरूरी है.

प्यूबिक हेयर की वैक्सिंग या ट्रिमिंग

प्राइवेट पार्ट के बाल भी योनि के छिद्र की हिफाजत करते है, जो कई सूक्ष्म जीवों के लिए किसी रुकावट की तरह काम करते हैं, इसलिए वैक्सिंग कराने से न केवल योनि के ऐसे सूक्ष्म जीवों के संपर्क में आने की संभावना बढ़ जाती है बल्कि वैक्सिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनुचित साधनों से योनि के आसपास सूजन या संक्रमण भी हो सकता है. अत: रैशेज और इन्फैक्शन से बचने के लिए प्यूबिक एरिया को साफ रखना जरूरी है.

इलाज से बेहतर रोकथाम

महिलाओं के लिए समस्याग्रस्त होने के बाद इलाज कराने के बजाय इस की रोकथाम पर ध्यान देना बेहतर है. साल में एक बार स्त्रीरोग विशेषज्ञा से परामर्श लेना, सर्विकल कैंसर से बचने के लिए समयसमय पर पीएपी स्मीयर टैस्ट आदि स्त्रीरोग विशेषज्ञा की सलाह पर कराने के साथसाथ उन के द्वारा दी गई दवाइयों का प्रयोग करें और अंतरंग स्वच्छता के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें.

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