अलविदा 2020: सुशांत से लेकर इरफान खान तक, इन सितारों ने कहा दुनिया को अलविदा

फिल्मी सितारों ने जितनी खुशियां समेटीं, उतना ही दुगना दुख भी झेला है. 2020 साल में बहुत से बड़े सेलेब्रिटिज़ ने हमेशा के लिए अपने फैंस और पूरी दुनिया को अलविदा कह दिया. कुछ सितारों ने कोरोना महामारी के चपेट में आकर हम सबका साथ छोड़ा, तो कुछ ने अलग वजहों से. तो चलिए अब जानते हैं उन सितारों की बारे में जो अब सिर्फ एक याद बनकर रह गये हैं.

1. इरफ़ान खान बॉलीवुड की दुनिया के बसे चहेते अभिनेता इरफान खान ने 29 अप्रैल 2020 को अंतिम सांस ली. उन्हें एक संक्रमण के साथ धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अभिनेता कई सालों से न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से जूझ रहे थे. इरफान ने कमर्शियल फिल्मों के जरिये दुनियाभर के लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई थी.

2. ऋषि कपूर बॉलीवुड में फिल्म बॉबी से दर्शकों के दिल में अपनी जगह बनाने वाले अभिनेता ऋषि कपूर ने 30 अप्रैल 2020 को दुनिया को अलविदा कह दिया. 2018 में पहली बार उन्हें अपने कैंसर के बारे में पता चला था. ऋषि कपूर अपने दशक की फिल्मों में रोमांटिक हीरों के रूप में भी अपनी जगह बनाई.

3. सुशांत सिंह राजपूत बॉलीवुड के यंग और डैशिंग एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने न सिर्फ फैंस को बल्कि पूरे बॉलीवुड जगत को शॉक कर दिया. उनके फैंस और करीबी इस बात को एक्सेप्ट नहीं कर पा रहे थे कि अब उनका सुपर हीरो उनके बीच नहीं रहा. 14 जून बॉलीवुड के लिए ब्लैक डे से कम नहीं था. सुशांत टीवी धारावाहिक “पवित्रा रिश्ता” से अपने करियर की शुरुवात की थी.

4. दिव्या भटनागर– टीवी एक्ट्रेस दिव्या भटनागर, ये रिश्ता क्या कहलाता है फेम का कोविड -19 के कारण 11दिसंबर को निधन हो गया. उनको कार्डियक अरेस्ट हुआ था. जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 7 दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई.

 

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5. समीर शर्मा टीवी एक्टर समीर शर्मा को 6 अगस्त 2020 को, उन्हें मलाड में अपनी रसोई की छत से लटका पाया गया. वह फरवरी 2020 में अपने किराए के इस अपार्टमेंट में शिफ्ट हो गए थे. बिल्डिंग का सिक्योरिटी गार्ड उनकी मृत्यु की खबर देने वाला पहला व्यक्ति था. स्थानीय पुलिस द्वारा ये सुसाइड का मामला माना गया.

6. सरोज खान बॉलीवुड को अपने इशारों में नचाने वाली कोरियोग्राफर सरोज खान ने 2 जुलाई 2020 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. सरोज खान बॉलीवुड में मास्टरजी कहलाने की शौकीन थीं. सरोज खान का निधन बॉलीवुड के लिए तगड़ा झटका था.

7. गायक एसपी बालसुब्रमण्यमअभिनेता एसपी बालासुब्रह्मण्यम का निधन 74 साल की उम्र में 25 सितंबर को कोरोनावायरस के कारण हो गया. अगस्त के पहले सप्ताह में कोविड -19 से संक्रमित होने के बाद, उनकी हालत बिगड़ी. उसके बाद उन्हें आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया था. वह अपनी अंतिम सांस तक वेंटिलेटर पर रहे. भारतीय संगीत में उनके अद्वितीय योगदान के लिए प्रशंसक उन्हें याद करेंगे. उन्होंने 40,000 से अधिक गाने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया.

8. वाजिद खान बॉलीवुड में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली संगीतकार जोड़ी साजिद-वाजिद की जोड़ी 1 जून को तब टूट गयी जब दिल का दौरा पड़ने से साजिद खान का निधन हो गया. साजिद-वाजिद को सलमान खान अभिनीत “दबंग” फिल्मों में उनके गीतों के लिए जाना जाता है.

9. भूपेश कुमार पंड्या

थिएटर के व्यक्तित्व और अभिनेता भूपेश कुमार पंड्या का 23 सितंबर को फेफड़ों के कैंसर से लड़ाई के बाद निधन हो गया. भूपेश ने विक्की डोनर और हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी जैसी फ़िल्मों में अभिनय किया.

10. आसिफ बसरा बॉलीवुड एक्टर आसिफ बसरा ने 12 नवंबर को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आत्महत्या कर ली थी. जहां वह लगभग चार साल से रह रहे थे. “ब्लैक फ्राइडे”, “परजानिया”, “जब वी मेट” और “काई पो चे” जैसी कई अन्य फिल्मों में शानदार भूमिका निभाने वाले आसिफ हम हमारे बीच नहीं रहे.

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11. आशालता वबगांवकर

वयोवृद्ध अभिनेता आशालता वाबगांवकर का 22 सितंबर को 79 वर्ष की आयु में सतारा में निधन हो गया. वाबगांवकर ने वो सात दिन, अहिस्ता अहिस्ता, शौकीन, अंकुश और नमक हलाल जैसी फिल्मों में काम किया था.

12. राहत इंदौरी

कवि और गीतकार राहत इंदौरी का निधन 11 अगस्त को कार्डियोरैसपाइरेटरी अरेस्ट के कारण हो गया था. अपनी कई प्रसिद्ध कविताओं के अलावा, उन्हें “चोरी चोरी नज़रें मिलीं” (करीब), “बूम्ब्रो” (मिशन कश्मीर), “ये रिश्ता क्या कहलाता है ”(मीनाक्षी),“ दिल को हजार बार ”(मर्डर) आदि में गीतों के लिए जाना जाता था.

13. अस्तद देबू समकालीन भारतीय नृतक अस्तद देबू एक ऐसे व्यक्तित्व हैं नृत्य की कई तकनीक के बारे में जानकारी थी. इनका निधन 10 दिसंबर हुआ. वह लिम्फोमा नाम की बिमारी से पीड़ित थे. जो एक तरह के ब्लड कैंसर को विकसित करता है. देबो ने कथक के साथ-साथ कथकली के भारतीय शास्त्रीय नृत्य रूपों में एक अद्वितीय संलयन नृत्य के रूप में अपना प्रशिक्षण दिया.

इनके अलावा भोजपुरी अभिनेता अनुपमा पाठक, दिग्गज बॉलीवुड अभिनेत्री कुमकुम, बॉलीवुड निर्देशक रजत मुखर्जी, मशहूर अभिनेता जगदीप जिनको सूरमा भोपाली के नाम से जाना जाता है, सुशील गौड़ा, फिल्म निर्माता हरीश शाह, टेलीविजन अभिनेता जागेश मुकाती, कन्नड़ कलाकार चिरंजीवी सरजा, फिल्म निर्माता-पटकथा लेखक बासु चटर्जी, बॉलीवुड निर्माता अनिल सूरी,दिग्गज गीतकार योगेश गौड़, टेलीविजन अभिनेत्री प्रीता मेहता, अभिनेता मोहित बघेल, अनुभवी अभिनेत्री निम्मी, वयोवृद्ध गीतकार अभिलाष, कन्नड़ हास्य कलाकार रॉकलाइन, मलयालम अभिनेता और डबिंग कलाकार प्रबेश चकलाकाल, तमिल अभिनेता फ्लोरेंट सी परेरा, वयोवृद्ध ओडिया अभिनेता अजय दास दास , तेलुगु टीवी अभिनेत्री श्रावणी कोंडापल्ली, तेलुगु अभिनेता जया प्रकाश रेड्डी, वयोवृद्ध संगीत संगीतकार एस मोहिंदर, वयोवृद्ध असमिया गायिका अर्चना महंता, वयोवृद्ध फिल्म निर्माता एबी राज, निर्देशक-अभिनेता शशिकांत कामत, मलयालम अभिनेता और डबिंग कलाकार प्रबेश चकलाक्कल का भी इस बीते साल 2020 में निधन हो गया.

अलविदा मकबूल: जब कैंसर से जूझ रहे इरफान खान ने लिखा था ये इमोशनल लेटर

बौलीवुड से लेकर हौलीवुड तक अपनी एक्टिंग से सभी का दिल जीतने वाले एक्टर इरफान खान (Irrfan Khan) का 54 साल की उम्र में निधन हो गया. पेट में इंफेक्शन की परेशानी से जूझ रहे इरफान खान (Irrfan Khan) की आज यानी बुधवार 29 अप्रैल को निधन हो गया है.

‘न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर’ नामक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित रह चुके इरफान खान का मानना था कि ‘अनिश्चितता में ही निश्चितता है’. लंदन में इलाज के दौरान इरफान ने अपने चाहनेवालों के लिए एक खत लिखा था. आप भी पढ़िए इस खत की कुछ खास बातें.

लंदन से एक खत

एक वक्त गुजर चुका है जब पता चला था कि मैं हाई-ग्रेड न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर से जूझ रहा हूं. यह मेरे शब्दकोश में एक नया नाम है, जिसके बारे में मुझे बताया गया कि यह एक असाधारण बीमारी है, जिसके कम मामले सामने आते हैं और जिसके बारे में अपेक्षाकृत कम जानकारी है और इसलिए इसके ट्रीटमेंट में अनिश्चितता की संभावना ज्यादा थी. मैं अब एक प्रयोग का हिस्सा बन चुका था.

मैं एक अलग गेम में फंस चुका था. तब मैं एक तेज ट्रेन राइड का लुत्फ उठा रहा था, जहां मेरे सपने थे, प्लान थे, महत्वकांक्षाएं थीं, उद्देश्य था और इन सबमें मैं पूरी तरह से अस्त-व्यस्त था. …और अचानक किसी ने मेरे कंधे को थपथपाया और मैंने मुड़कर देखा. वह टीसी था, जिसने कहा, ‘आपकी मंजिल आ गई है, कृपया उतर जाइए.’ मैं हक्का-बक्का सा था और सोच रहा था, ‘नहीं नहीं, मेरी मंजिल अभी नहीं आई है. उसने कहा, नहीं, यही है. जिंदगी कभी-कभी ऐसी ही होती है.’

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इस आकस्मिकता ने मुझे एहसास कराया कि कैसे आप समंदर के तेज तरंगों में तैरते हुए एक छोटे से कॉर्क की तरह हो! और आप इसे कंट्रोल करने के लिए बेचैन होते हैं.

इस उथल-पुथल, हैरानी, भय और घबराहट में अपने बेटे से कह रहा था, ‘केवल एक ही चीज जो मुझे अपने आप से चाहिए वह यह है कि मुझे इस मौजूदा परिस्थिति का सामना नहीं करना. मुझे मजबूत बने रहकर अपने पैरों पर खड़े रहने की जरूरत है, डर और घबराहट मुझ पर हावी नहीं होने चाहिए वरना मेरी लाइफ तकलीफदेह हो जाएगी.’

और तभी मुझे बहुत तेज दर्द हुआ, ऐसा लगा मानो अब तक तो मैं सिर्फ दर्द को जानने की कोशिश कर रहा था और अब मुझे उसकी असली फितरत और तीव्रता का पता चला. उस वक्त कुछ काम नहीं कर रहा था, न किसी तरह की सांत्वना, कोई प्रेरणा…कुछ भी नहीं. पूरी कायनात उस वक्त आपको एक सी नजर आती है- सिर्फ दर्द और दर्द का एहसास जो ईश्वर से भी ज्यादा बड़ा लगने लगता है.

जैसे ही मैं हॉस्पिल के अंदर जा रहा था मैं खत्म हो रहा था, कमजोर पड़ रहा था, उदासीन हो चुका था और मुझे इस चीज तक का एहसास नहीं था कि मेरा हॉस्पिटल लॉर्ड्स स्टेडियम के ठीक ऑपोजिट था. मक्का मेरे बचपन का ख्वाब था. इस दर्द के बीच मैंने विवियन रिचर्डस का पोस्टर देखा. कुछ भी महसूस नहीं हुआ, क्योंकि अब इस दुनिया से मैं साफ अलग था.

हॉस्पिटल में मेरे ठीक ऊपर कोमा वाला वॉर्ड था. एक बार हॉस्पिटल रूम की बालकनी में खड़ा इस अजीब सी स्थिति ने मुझे झकझोर दिया. जिंदगी और मौत के खेल के बीच बस एक सड़क है, जिसके एक तरफ हॉस्पिटल है और दूसरी तरफ स्टेडियम. न तो हॉस्पिटल किसी निश्चित नतीजे का दावा कर सकता है और ना स्टेडियम. इससे मुझे बहुत कष्ट होता है.

मेरे पास केवल बहुत सारी भगवान की शक्ति और समझ है. मेरे हॉस्पिटल की लोकेशन भी मुझे प्रभावित करती है. दुनिया में केवल एक चीज निश्चित है और वह है अनिश्चितता. मैं केवल इतना कर सकता हूं कि अपनी पूरी ताकत को महसूस करूं और अपनी लड़ाई पूरी ताकत से लड़ूं.

इस वास्तविकता को जानने के बाद मैंने नतीजे की चिंता किए बगैर भरोसा करते हुए अपने हथियार डाल दिए हैं. मुझे नहीं पता कि अब 8 महीने या 4 महीने या 2 साल बाद जिंदगी मुझे कहां ले जाएगी. मेरे दिमाग में अब किसी चीज के लिए कोई चिंता नहीं है और उन्हें पीछे छोड़ने लगा हूं.

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पहली बार मैंने सही अर्थों में ‘आजादी’ को महसूस किया है. यह एक उपलब्धि जैसा लगता है. ऐसा लगता है जैसे मैंने पहली बार जिंदगी का स्वाद चखा है और इसके जादुई पक्ष को जाना है. भगवान पर मेरा भरोसा और मजबूत हुआ है. मुझे ऐसा लगता है कि वह मेरे शरीर के रोम-रोम में बस गया है. यह वक्त ही बताएगा कि आगे क्या होता है लेकिन अभी मैं ऐसा ही महसूस करता हूं.

मेरी पूरी जिंदगी में दुनियाभर के लोगों ने मेरा भला ही चाहा है, उन्होंने मेरे लिए दुआ की, चाहे मैं उन लोगों को जानता हूं या ना जानता हूं. वे सभी अलग-अलग जगहों पर दुआ कर रहे थे और मुझे लगा कि ये सभी दुआएं एक बन गईं. इसमें वैसी ही ताकत थी जैसी पानी की तेज धारा में होती है और यह पूरी जिंदगी मेरे अंदर बसी रहेगी. यह मेरे भीतर एक नया जीवन उगते हुए देख रहा हूं जो हर एक दुआ से पैदा हुआ है. इन दुआओं से मेरे भीतर बहुत खुशी और उत्सुकता पैदा हो गई. वास्तव में आप अपनी जिंदगी को कंट्रोल नहीं कर सकते. आप धीरे-धीरे प्रकृति के पालने में झूल रहे हैं.

इरफान खान (Irrfan Khan) के अचानक चले जाने से उनके फैंस और पूरा बॉलीवुड सदमे में हैं. सबकी संवेदनाए उनके परिवार के साथ है.

अलविदा: 54 साल की उम्र में इरफान खान का निधन, इस वजह से हुई मौत

बौलीवुड से लेकर हौलीवुड तक अपनी एक्टिंग से सभी का दिल जीतने वाले एक्टर इरफान खान (Irrfan Khan) का 54 साल की उम्र में निधन हो गया है. बीती रात इरफान खान (Irrfan Khan) मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती हुए थे, जिसके बाद उनकी हालत गंभीर बताई जा रही थी. खबर है कि पेट में इंफेक्शन की परेशानी से जूझ रहे इरफान खान (Irrfan Khan) की आज यानी बुधवार 29 अप्रैल को निधन हो गया है, जिसकी खबर उनके दोस्त ने दी है.

शूजीत सरकार ने दी फैंस को दुखद खबर   

एक्टर इरफान खान (Irrfan Khan) के निधन की खबर उनके दोस्त और बौलीवुड डायरेक्टर शूजीत सरकार ने ट्वीट के जरिए देते हुए लिखा- मेरा प्यारा दोस्त इरफान. तुम लड़े और लड़े और लड़े. मुझे तुम पर हमेशा गर्व रहेगा. हम दोबारा मिलेंगे. सुतापा और बाबिल को मेरी संवेदनाएं. तुमने भी लड़ाई लड़ी. सुतापा इस लड़ाई में जो तुम दे सकती थीं तुमने सब दिया. ओम शांति. इरफान खान को सलाम.

2018 से बीमारी से जूझ रहे थे इरफान

दरअसल, दो साल पहले मार्च 2018 में इरफान (Irrfan Khan) को न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर नामक बीमारी का पता चला था, जिसके बाद उन्होंने विदेश में इस बीमारी का इलाज कराया था और वह ठीक हो गए थे. बॉलीवुड के टैलेंटेड एक्टर्स में से एक इरफान खान (Irrfan Khan) के अचानक चले जाने से उनके फैंस और बॉलीवुड सेलेब्स सदमे में हैं.

बता दें, बीमारी से ठीक होने के बाद इरफान खान(Irrfan Khan) भारत लौट आए थे, जिसके बाद उन्होंने अंग्रेजी मीडियम में काम किया था, जो उनकी आखिरी फिल्म साबित हुई. वहीं अब पूरा बौलीवुड उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है.

FILM REVIEW: जानिए कैसी है इरफान खान की ‘अंग्रेजी मीडियम’

रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माताः दिनेश वीजन व ज्योति देशपांडे

निर्देशकः होमी अडजानिया

कलाकारः इरफान खान,राधिका मदान,दीपक डोबरियाल.

अवधिः दो घंटे 25 मिनट

लगभग दो वर्ष के बाद इरफान खान (Irrfan Khan) फिल्म‘‘अंग्रेजी मीडियम’’ (Angrezi Medium) से वापसी कर रहे हैं.  दर्शकों को भी उनकी वापसी का बेसब्री से इंतजार था. कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का इलाज कराने के बाद इरफान ने जबसे इस फिल्म की शूटिंग शुरू की थी, तभी से उनके प्रशंसक इस फिल्म की राह देख रहे थे. फिल्मकार होमी अडजानिया की यह फिल्म पिता पुत्री के रिश्तों के साथ ही भारत व लंदन की सभ्यता व संस्कृति पर भी कटाक्ष करती है.

कहानीः

फिल्म की कहानी उदयपुर में रहने वाले चंपक बंसल (इरफान खान) और उनकी बेटी तारिका(राधिका मदान)तथा चंपक के चचेरे भाई गोपी(दीपक डोबरियाल)के इर्दगिर्द घूमती है. चंपक बचपन से ही कन्फ्यूज्ड रहे हैं. पर पत्नी के चयन में उन्हे कोई कन्फ्यूजन नहीं हुआ था. शादी के समय जब उनकी पत्नी ने आगे पढ़ाई जारी रखने की बात कही,तो चंपक ने यह कह कर उसका मुंह बंद करा दिया कि वह उसे ‘गृहशोभा’ पत्रिका लाकर देंगे,जिसे वह पढ़ सकेगी. बेटी तारिका को जन्म देने के बाद चंपक की पत्नी का देहांत हो गया. अब चंपक की जिंदगी अपनी बेटी तारिका और घसीटाराम मिठाईवाले के पोते के रूप में मिठाई की दुकान चलाते हुए गुजर रही है.

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चंपक की बेटी राधिका का बचपन से सपना है कि वह लंदन पढ़ने जाए. बेटी को पालने-पोसने और मिठाई की दुकान चलाने के साथ-साथ उसे अपने दूसरे घसीटाराम भाई-बंधुओं के साथ अदालत में नाम और संपत्ति के मुकदमे भी लड़ने पड़ते हैं.  इन मुकदमों में उसका चचेरा भाई गोपी (दीपक डोबरियाल)उसके लिए जी का जंजाल बना हुआ है. गोपी जज छेड़ा को नौ लाख रूपए की रोलेक्स घड़ी उपहार में देकर अपने पक्ष में फैसला करवा लेता है,मगर गोपी व चंपक के बीच भाई का प्रेम खत्म नही होता. तारिका ग्रैजुएट होने के साथ लंदन जाने के अपने सपने को पूरा करने के लिए कॉलेज की टॉपर बनने के लिए कमर कस लेती है.

आखिरकार वह दिन भी आ जाता है,जब तारिका को आगे की पढ़ाई के लिए लंदन जाने का मौका मिल जाता है. मगर चंपक स्कूल के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनकर आए जज छेड़ा के बेइमान होने की पोल खोल देता है. इससे मामला बिगड़ जाता है,क्योंकि चंपक को यह नही पता होता कि स्कूल की प्रिंसिपल के पति हैं जज छेड़ा. पर चंपक अपनी बेटी को लंदन में पढ़ाने के सपने को पूरा करने के लिए उसे लेकर लंदन रवाना होता है,गोपी भी उसके साथ है. उसके बाद क्या क्या होता है,इसके लिए फिल्म देखना ही ठीक रहेगा.

 

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Yogi aur Jaya ko pyaar dene ke liye dhanyawad ??

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लेखनः

भावेश मडालिया,गौरव शुक्ला,विनय छावल और सारा बोडिनार की कमजोर पटकथा ने फिल्म का बंटाधार कर दिया. फिल्म का ट्रेलर देखकर इस बात का अहसास हुआ था कि इस फिल्म में लंदन या किसी भी विदेशी युनिविर्सिटी में पढ़ाई करने के दौरान किन समस्याओं से जूझना पड़ता है, उसका चित्रण होगा,मगर यह फिल्म इस मूल मकसद से इतर भटकती है. लेखकों ने इस मुद्दे की गहराई को समझे बगैर कुछ भी परोस दिया है. यहां तक कि फिल्म में पिता पुत्री के बीच के इमोशंस भी ठीक से नहीं उभर पाए. इंटरवल से पहले तो फिल्म पिता पुत्री के रिश्ते, घसीटाराम के नाम पर हक की  लड़ाई और बेटी के लंदन पढ़ने जाने का मुद्दा था,मगर इंटरवल के बाद इतने सारे किरदार व इतने सारे ेमुद्दे भर दिए गए कि दर्शक भी कन्फ्यूज्ड हो जाता है.

निर्देशनः

होमी अडजानिया का निर्देशन भी इस फिल्म की कमजोर कड़ी है. वह अंत तक दर्शकों को बांधकर रखने में बुरी तरह से असफल रहे हैं. फिल्म का क्लायमेक्स तो एकदम घटिया है. होमी अडजानिया ने फिल्म में कई मुद्दे एक साथ उठाने की कोशिश में किसी के साथ भी न्याय नही कर पाए. डिंपल कापड़िया और उनकी बेटी करीना के बीच अनबन की वजह साफ नही है? लंदन पहुंचने के बाद तारिका में जो बदलाव आता है,रिश्तों को लेकर  उसकी सोच बदलने व उसके बागी होने को भी सही ढंग से चित्रित नहीं किया गया है. फिल्म को एडीटिंग टेबल पर कसे जाने की भी जरुरत थी.

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अभिनयः

अति कमजोर कहानी व पटकथा के बावजूद चंपक के किरदार में इरफान खान ने शानदार अभिनय किया है. जितने समय तक इरफान परदे पर रहते हैं,वह अपनी बॉडी लैंग्वेज, कमाल की कॉमिक टाइमिंग,अपने उदयपुरी बोलचाल की भाषा और जज्बाती दृश्यों से दर्शकों को बांधकर रखते हैं. परदे पर उन्हे देखकर दर्शक यह भूल जाता है कि वह गंभीर बीमारी से मुक्त होने के बाद अभिनय कर रहे हैं. हर इमोशन को जिस तरह से इरफान ने परदे पर अपने अभिनय से उकेरा है,उससे यह साबित हो जाता है कि उन्हे एक समर्थ कलाकार क्यों कहा जाता है. मासूम,सपने देखने वाली,पिता को प्यार करने वाली,बागी,लंदन पहुंचते ही वहां के रंग ढंग में ढल जाने वाली तारिका के किरदार के साथ पूरी तरह से न्याय करने में राधिका मदान सफल नही रहीं. पिता व पुत्री के बीच जो इमोश्ंास उभर कर आने चाहिए थे,वह इरफान व तारिका के बीच नही उभर पाते. गोपी के किरदार में भाई के रूप में दीपक डोबरियाल ने इरफान के साथ दमदार जुगलबंदी पेश की है. वह कई जगह लोगों को हंसाते भी हैं. छोटे किरदार में करीना कपूर अपनी छाप छोड़ जाती हैं. पंकज त्रिपाठी की प्रतिभा को जाया किया गया है. पंकज त्रिपाठी ने यह फिल्म क्यों की,यह समझ से परे है. अन्य कलाकारो में डिंपल कपाड़िया,रणवीर शोरी,किकू शारदा, जाकिर हुसेन ने ठीक ठाक अभिनय किया है. फिल्म का गीत संगीत निराश करता है. महज इरफान खान का उत्कृष्ट अभिनय  देखने के लिए यह फिल्म देखी जा सकती.

‘अंग्रेजी मीडियम’ की शूटिंग के लिए उदयपुर पहुंचें इरफान खान, फैंस ने ऐसे किया स्वागत

विदेश से अपना इलाज कराकर वापस लौटे बौलीवुड एक्टर इरफान खान ने अपनी नई फिल्म ‘‘अंग्रेजी मीडियम’’ की शूटिंग राजस्थान के उदयपुर शहर में शुरू कर दी है. ये फिल्म साल 2017 में रिलीज हुई इरफान की सक्सेसफुल फिल्म हिंदी मीडियम का सीक्वल है. इस फिल्म में राधिका मदान और करीना कपूर खान के साथ इरफान खान एकदम नए अवतार में नजर आने वाले हैं.

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उदयपुर में हुआ स्वागत…

जब इरफान उदयपुर पहुंचें, तो उदयपुर शहर के स्थानीय लोगों और फिल्म की यूनिट के सदस्यों ने जिस गर्मजोशी से इरफान का स्वागत किया,उससे इरफान अभिभूत हो गए. हालांकि, एक बडे़ शहर की हलचल व कभी-कभी भारी भीड़ के साथ शूटिंग करना चुनौतीपूर्ण होता हैं. पर राजस्थान के इस राजसी शहर में शूटिंग करना कलाकारों और पूरी युनिट के लिए कमाल का अनुभव रहा है. शहर के लोग शूटिंग की समस्याओं को समझते हुए एक निश्चित दूरी बनाए रखते हैं.

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इरफान के प्रवक्ता कहते हैं-‘‘राजस्थान इरफान की मातृभूमि है.वह टोंक में पले-बढ़े हैं. अपने शुरूआती दिनों में काम के लिए राजस्थान के सभी शहरों की यात्रा कर चुके हैं. ऐसे में फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ की शूटिंग के लिए राजस्थान वापस जाना इरफान के लिए हमेशा नौस्टेल्जिक रहा.

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उदयपुर के लोग इरफान के कैरियर की शुरूआत से ही हमेशा विनम्र रहे हैं. जब खबर आई कि इरफान उदयपुर में ‘अंग्रेजी मीडियम’ की शूटिंग कर रहें हैं, तो शूटिंग लोकेशन पर भारी संख्या में स्थानीय लोग इकट्ठा हो गए. जब फोटो खिंचवाने और कुछ वक्त साथ में बिताने की बात आती है, तो इरफान अपने किसी भी प्रशंसक को ना नहीं कह पाते हैं.

आखिर पूरे एक साल के अंतराल के बाद फिर से शूटिंग शुरू करना, वह भी ऐसी जगह पर जहां से उनकी बहुत सारी अच्छी यादें जुड़ी हो, यह तो इरफान के लिए भाग्य की ही बात है.’’

edited by- nisha rai

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