क्या हंसने को व्यायाम के रूप में देखना सचमुच विवेकपूर्ण है?

सवाल-

मेरे पति और मैं रोजाना सुबह पास के पार्क में घूमने जाते हैं. वहां हर दिन हमारा कुछ ऐसे लोगों से सामना होता है, जो सामूहिक रूप से कई मिनटों तक खूब जोरजोर से हंसते हैं. मुझे उन का यह बनावटी हंसना कुछ समझ में नहीं आता, पर मेरी एक मित्र का कहना है कि यह हास्य योग है जो स्वास्थ्य के नजरिए से बेहद लाभकारी सिद्ध होता है. क्या यह सोच वैज्ञानिक है? क्या हंसने को व्यायाम के रूप में देखना सचमुच विवेकपूर्ण है?

जवाब-

यह बात बिलकुल सच है कि हंसना स्वास्थ्य के लिए हर लिहाज से बहुत अच्छा है. हास्य योग की सोच सदियों से जीवित है. समाज में इसी सोच के अंतर्गत लाफ्टर थेरैपी की बात कही गई है और आधुनिक वैज्ञानिक शोध से भी हंसने के शरीर और मन पर पड़ने वाले सद्प्र्रभावों की पुष्टि हो गई है.

भौतिक स्तर पर हंसना एक भरपूर व्यायाम है. उस से छाती, पेट और हाथों की पेशियों की कसरत तो होती ही है, दिल, फेफड़ों और रक्तसंचार व्यवस्था का भी खूब अच्छा व्यायाम हो जाता है. दिल और संचरण की गति तेज हो जाती है और सांस नलियों में कहीं बलगम हो तो वह बाहर आ जाता है. यह मन के लिए भी बहुत अच्छा टौनिक है. खुल कर हंस लेने से आदमी जीवन की नीरसता, एकाकीपन, तनाव, अवसाद और थकान से भी छुटकारा पाता है.

इतना ही नहीं शोध चिकित्सकों ने हंसने के उपयोगी गुणों का जैव रासायनिक आधार भी तलाश किया है. पाया गया है कि हंसने से मस्तिष्क में अनेक महत्त्वपूर्ण जैव रसायन उत्पन्न होते हैं. उन में स्ट्रैस में काम आने वाले कुछ प्राकृतिक पीड़ाहारी जैव रसायन प्रमुख हैं.

बात यहीं खत्म नहीं हो जाती. हंसने के बहुपयोगी गुणों को देखते हुए आधुनिक चिकित्सा में हास्य का प्रयोग रोगोपचार औषध के रूप में होने लगा है. बीते कई दशकों से लाफ्टर थेरैपी अमेरिका में कई अस्पतालों में उपचार का अंग बनी हुई है.

स्वस्थ बने रहने के लिए आप और आप के पति भी लाफ्टर थेरैपी क्लब के सदस्य बनें और खूब हंसें. इस से सस्ती, अच्छी चिकित्सा भला और क्या हो सकती है.

  -डा. यतीश अग्रवाल 

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