जब रिश्तेदार को देना हो उधार

32 साल का निलय करीब 8 साल से एक कंपनी में सीनियर पोजीशन पर काम कर रहा था. उस ने हमेशा काफी संभल कर पैसे खर्च किए थे और इसलिए इतने कम समय में ही उस ने करीब 10 -12 लाख की रकम जमा कर ली थी. एक दिन उस का एक चचेरा भाई अनुज उस से मिलने आया. वह वैसे भी कभीकभार आता रहता था पर इस बार उस की मंशा उधार मांगने की थी.

अनुज ने बताया कि उस का बिज़नेस डूब रहा है और वह बहुत परेशान है. उसे अपना बिजनेस बचाने के लिए करीब 4-5 लाख रुपयों की जरूरत है. यदि निलय उस की मदद कर देता है तो वह उम्र भर अहसानमंद रहेगा और जल्द से जल्द रुपए वापस भी कर देगा. भाई की परेशानी और दर्द महसूस करते हुए निलय ने अपनी सेविंग्स में से 4 लाख उसे उधार दे दिए.

इस बात को 2 साल बीत गए पर अनुज ने रूपए वापस करने की कोई पहल नहीं की. निलय जब भी अनुज से रुपए मांगता तो वह कुछ न कुछ बहाने बना कर और कुछ महीनों में देने की बात कह कर गायब हो जाता. इस बीच कोरोना के कारण निलय की अपनी नौकरी भी छूट गई. लॉकडाउन और उस के बाद के कुछ महीने वह घर पर ही रहा. इस दौरान उसे पैसे की तंगी का अहसास होने लगा. वह अपने चचेरे भाई से कई दफा अपनी परेशानियां बता चुका था. मगर वह अब भी हर बार बहाने बनाने लगता.

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निलय को अपने ही पैसे बारबार मांगने में कोफ्त होने लगी. एक दिन उस ने कठोरता से रुपए वापस करने को कहा तो अनुज ने शाम तक का समय मांगा. शाम में जब निलय ने फोन किया तो उस ने फोन उठाया नहीं. निलय उस के घर पहुंचा तो पता चला कि वह अपना घर शिफ्ट कर कहीं और जा चुका है. किसी के पास भी अनुज का नया एड्रेस नहीं था. इस तरह निलय ने न सिर्फ अपने रूपए गंवाए बल्कि एक रिश्ता भी हमेशा के लिए खो दिया.

पैसे दे कर भी बिगड़ सकते हैं रिश्ते

अक्सर देखा गया है कि किसी परिचित या रिश्तेदार को जब आप रुपए उधार देते हैं तो उस समय तो वह आप के साथ बहुत विनम्रता से पेश आता है, बहुत दोस्ती और अपनापन दिखाता है. आप को महसूस होता है कि इस बंदे को अभी मेरी जरूरत है तो किसी भी तरह मदद करनी चाहिए. इस से रिश्ता और मजबूत हो जाएगा, पर कई दफा ऐसा होता नहीं है. समय बीतने के बाद जब आप उस से अपने रुपए वापस मांगते हैं तो पहले तो वह विनम्रता से अपनी मजबूरी दिखाता है और बहाने बनाना शुरू करता है. ऐसे में आप उसे और समय देते जाते हैं और वह हर बार कोई न कोई बहाना बना देता है.

फिर एक समय आता है जब आप थोड़ी कठोरता से रुपए देने की बात करते हैं. बस यहीं से रिश्तों में कड़वाहट आनी शुरू हो जाती है. उधार लेने वाला आप को इग्नोर करना शुरू करता है. उस का व्यवहार बिल्कुल उलट जाता है. उस की जुबान पर जो नरमी रहती थी वह कड़वाहट में बदल जाती है. आप को ऐसा महसूस होने लगता है जैसे अपने नहीं बल्कि उस के रुपए मांग रहे हैं. ऐसे में आप खुद को बहुत ठगा हुआ सा महसूस करते हैं. फिर आप भी कठोरता से रूपए मांगने शुरू कर देते हैं.

यहीं से रिश्ते बिगड़ते चले जाते हैं. कुछ लोग तो बाद में ऐसे शो करते हैं जैसे आप ने अपने रुपए मांग कर कोई गुनाह कर दिया और उन्हें अब आप से कोई बात ही नहीं करनी. यानी मदद भी करो और बुरे भी बनो.

कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो मीठामीठा बोल कर आप को पैसे वापस करने का दिलासा देते रहेंगे जैसे वे पैसे वापस करने की बात कर के भी बहुत बड़ा अहसान कर रहे हों और जब आप बारबार उन्हें यह बात याद दिलाते हो कि रूपए वापस चाहिए तो वे नाराज हो जाते हैं. दोस्ती और अपनेपन का स्थान दुश्मनी और नफरत ले लेती है.

उधार देने से पहले देखें कि रिश्ता महत्वपूर्ण है या पैसा.

जिस तरह कहा जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की कोई भी बात बुरी लगे तो दो तरह से सोचो…..यदि व्यक्ति महत्वपूर्ण है तो बात भूल जाओ और यदि बात महत्वपूर्ण है तो व्यक्ति को भूल जाओ. ठीक उसी तरह आप को रिश्तेदार या पैसे में से अपनी प्राथमिकता तय करनी पड़ेगी. कई बार हमें पता होता है कि सामने वाला आप के रूपए नहीं लौटाएगा. ऐसे में यदि रूपए उधार मांगने वाला रिश्तेदार आप के जीवन में खास अहमियत रखता है और आप उस के बिना नहीं रह सकते तो उस की मदद जरूर करें. मगर यदि आप खुद ही आर्थिक दृष्टि से तंगी के दौर से गुजर रहे हैं तो ऐसी मदद का क्या फायदा?

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दबाव में न आएं

सामने वाले की आर्थिक मदद आप तभी कर सकते हैं यदि आप स्वयं आर्थिक रूप से सक्षम हों. भले ही आप का उस से कितना ही प्यारा या मजबूत रिश्ता ही क्यों न हो. खासकर जब आप को पता है कि ये रूपए वापस नहीं मिलेंगे. इस लिए खुद को परेशानी में डाल कर कभी भी दूसरों की मदद न करें. मदद तभी करें जब आप के पास उतने रूपए देने को के लिए हो. न तो पैसा किसी से उधार ले कर सामने वाले की मदद करें और न ही खुद को आर्थिक संकट में डालें. यदि इस प्रकार की कोई दुविधा हो तो सामने वाले को गोलमोल जवाब देने की अपेक्षा उसे स्पष्ट बताएं कि आप उस की मदद करने में असमर्थ हैं ताकि वह कहीं और ट्राई कर सके.

आप ने पैसे दे दिए, उस के बाद बारबार उसे उलाहना न दें या बारबार मांग कर उसे लज्जित न करें. क्योंकि इस तरह पैसे देने के बावजूद आप का रिश्ता खराब हो जाएगा. इसलिए पहले ही तय कर लें और अपने मन को समझा दें कि पैसा देने के बाद वापस नहीं आएंगे.

धोखेे में न फंसें

पैसा उधार देते हुए इस पहलू पर अवश्य गौर करें और जांच लें कि कहीं पैसा उधार मांगना उस की आदत तो नहीं. बहुत से लोग सामने वाले की भावनाओं का फायदा उठा कर पैसा उधार मांगना अपनी आदत बना लेते हैं और उधार वापस करने के नाम पर कन्नी काटने लगते हैं. यदि आप का यह रिश्तेदार भी इस तरह के मामलों में फंस चूका है तो उस से हाथ खींच लेना ही उचित होगा. जो इंसान किसी और के साथ धोखा कर सकता है वह आप के साथ भी धोखा कर सकता है इस बात का ध्यान जरूर रखें.

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