कोविड और जिंदगी के बीच कुछ इस तरह बनाएं संतुलन

कोविड महामारी की वजह से नए तरीके की जिंदगी को कई महीने हो गए हैं. हम मास्क पहनने को मजबूर हैं, हाथ मिलाने और गले लगने से परहेज कर रहे हैं, हर कुछ धो रहे और सैनिटाइज कर रहे हैं, मूवी/माॅल/जिम और सार्वजनिक स्थानों पर भी नहीं जा रहे हैं, लेकिन फिर भी हम टीवी तथा सोशल मीडिया पर कोविड से संबंधित खबरें सुनने तक ही सीमित न रहें, क्योंकि यह एक ऐसा बैकग्राउंड म्यूजिक है जो थमने का नाम नहीं ले रहा है.

इस दुनिया में रहना मुश्किल हो गया है और हम सभी कोविड-19 के गहरा रहे खतरे से छुटकारा पाने और फिर से अपनी जिंदगी आजादी के साथ जीने का इंतजार कर रहे हैं. तनाव और असुरक्षा की इस अवधि से जूझने के प्रयास में हमें सुरक्षा और स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाने की जरूरत होगी, हमें मध्य मार्ग तलाशने की जरूरत होगी जहां हमें समूहीकरण की अपनी कोशिशों से कभी नहीं रोका जाए और हम व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण पर फोकस कर सकें. इस बारे में बता रहीं है  Dr. Jyoti Kapoor – Psychiatrist at Paras Hospital, Gurugram.

1.डर से छुटकारा पाएंः

डर और सतर्कता के बीच अंतर है. हर समय डरकर रहने से स्ट्रेस केमिकल में इजाफा होता है जिससे चिंता, उदासी, चिड़चिड़ापन और अवसाद को बढ़ावा मिलता है. डर से मुकाबले का सबसे अच्छा तरीका वास्तविकता से संबंधित है. हम कोविड के बारे में सुन रहे हैं और यह आश्वस्त कर सकते हैं कि इसकी संक्रामकता तीव्र है, लेकिन मृत्यु दर कम है. मुख्य सुरक्षा मानकों पर अमल करें, लेकिन फिर से जिंदगी जीना शुरू करें, बाहर मास्क लगाकर जाएं, लोगों से मुलाकात के समय दूरी बनाए रखें, और इस महामारी के प्रभाव के अलावा अन्य विषयों पर चर्चा का आनंद उठाएं.

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2.नियंत्रण की भावना बनाए रखेंः

नियंत्रण में नहीं रहने की भावना हमें बंदी रहने का अहसास कराती है. हमारे मार्गदर्शन के लिए कई दिशा-निर्देश हैं, इसलिए उन पर अमल के लिए तर्कसंगत सोच का इस्तेमाल करें या संदेह होने पर सलाह मांगें. मनोवैज्ञानिक रूप से, नियंत्रण को लेकर जितना ज्यादा समस्या आएगी, उतना ही शक्तिहीन महसूस करेंगे. इसलिए यह जरूरी है कि मैं स्वयं से यह कहूं कि हम संदेह करने के बजाय स्थिति का प्रबंधन करने पर ज्यादा जोर देंगे.

3.इंतजार करना बंद करें, जीना शुरू करेंः

हमने विराम दिया, हमने प्रतिबिंबित किया और अब हमें आगे बढ़ना है, यदि हम अभी भी इसे लेकर आशंकित हैं कि आगे कैसे बढ़ना है तो हमें दिन में एक बार इसके बारे में बात शुरू करने की जरूरत है. स्वास्थ्य की अनदेखी न करें, क्योंकि संक्रमण फैलने की आशंका बनी हुई है, ज्यादातर अस्पतालों ने अब संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी सतर्कताएं बरती हैं. इसी तरह, जिम खुलने, व्यायाम करने, बर्थडे और एनीवर्सरी सेलेब्रेट करने का इंतजार नहीं करें. भले ही रेस्टोरेंट बंद हैं, लेकिन छत पर डांस कर सकते हैं, क्योंकि पार्टियां सिर्फ पब में ही नहीं होती हैं.

4.संयम बरतेंः

यह हमेशा जरूरी है और कोविड ने हमें यह सबूत दिया है कि किस तरह से संयम ने प्रकृति को फिर से कायाकल्प में मदद की है. इस बदलाव ने न सिर्फ पौधों और पशुओं को राहत दी है बल्कि कम प्रदूशण स्तर और लाइफस्टाइल में सुधार के साथ इंसान पर सकारात्मक असर पैदा किया है. जिंदगी के पिछले तौर तरीकों को अपनाने की जल्दबाजी करने के लिए अनलाॅक के उपायों का इंतजार न करें, धीरे और मजबूती के साथ आगे बढ़ना सीखें, यह याद रखें कि कछुआ किस तरह से दौड़ जीत लेता है!

5. जिम्मेदारी और निरंतरताः

हमें से ज्यादातर लोग उपलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल करते वक्त घर पर शायद जिम्मेदार व्यवहार विकसित किया है. यदि हम इन तरीकों को थोपे जाने वाले उपायों के तौर पर देखें तो हम मौका मिलते ही उन्हें छोड़ देना चाहते हैं, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण सबक है. समय के श्रेष्ठ प्रबंधन और संसाधन प्रबंधन के साथ हम एक ऐसी जिंदगी बना सकते हैं जिसका जीविका पर दीर्घावधि सकारात्मक प्रभाव पड़े, जैसे कि बच्चे अपनी अलमारी ठीक रखना सीखता है और ऑनलाइन क्लास के वक्त आत्म-नियंत्रण विकसित करता है, और वयस्क घरेलू कार्यों में एक-दूसरे की मदद करते हैं. ये बेहद उपयोगी सबक हैं और बेहतर कल के लिए इन पर अमल बरकरार रखें.

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कोविड महामारी ने हमें यह दिखा दिया है कि यदि हम सुरक्षित जिंदगी चाहते हैं तो हमें सहिष्णुता, अनुशासन, सभी जीवन रूपों और कृतज्ञता के संबंध में सकारात्मक चीजों को समायोजित करने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना चाहिए, क्योंकि ये हमें जिंदगी संपूर्ण बनाने की राह में सुरक्षित रखने के तरीके हैं. संतुलन बनाए रखना जरूरी है, हम हाशिये  पर बने हुए थे और अब केंद्र की ओर बढ़ना चाहिए.

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