जानें क्या है लिपोसक्शन, जिससे मिलेगी स्लिम बौडी

लिपोसक्शन प्रक्रिया में शरीर के आकार को सुधारने के लिए वसा के जमाव को निकाला जाता है, जिसे डाइट और एक्सरसाइज से कम नहीं किया जाता सकता. यह सर्जरी आमतौर पर नितंबों, पेट, जांघें और चेहरे पर की जाती है. लिपोसक्शन के द्वारा केवल वसा निकाली जाती है सैल्युलाइट नहीं. यह सर्जरी एनेस्थीसिया दे कर की जाती है. सर्जन छोटा कट लगा कर उस में सक्शन पंप या एक बड़ी सीरिंज डाल कर अतिरिक्त वसा निकाल लेता है. इस में कितना समय लगेगा यह इस पर निर्भर करता है कि कितनी वसा निकाली जानी है.

लिपोसक्शन के प्रकार

लिपोसक्शन की कई अलगअलग तकनीकें हैं, जिन में 2 सब से प्रचलित हैं:

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ट्युमेसैंट लिपोसक्शन

इस तकनीक में शरीर के वसा वाले क्षेत्रों में सर्जरी से पहले एक घोल डाला जाता है, जिस से वसा निकालने में आसानी होती है. इस से रक्तस्राव कम होता है और सर्जरी के पहले और बाद में दर्द कम करने में मदद मिलती है.

अल्ट्रासाउंड असिस्टेड लिपोसक्शन

अल्ट्रासाउंड असिस्टेड लिपोसक्शन में वसा को तरल करने के लिए अल्ट्रासोनिक ऊर्जा का उपयोग किया जाता है. ठोस वसा की तुलना में तरल वसा को निकालना आसान होता है. यह प्रक्रिया दर्दरहित है और सर्जरी के बाद भी बहुत कम लोगों को दर्द की शिकायत रहती है. लगभग 40% लोगों को तो किसी भी दर्दनिवारक दवा की आवश्यकता नहीं पड़ती.

बैरिएट्रिक सर्जरी और लाइपोसक्शन में अंतर

लाइपोसक्शन बौडी कंटूरिंग सर्जरी है. यह न केवल भार कम करने वाली सर्जरी है, बल्कि शरीर को आकार देने के लिए की जाती है. यह कौस्मैटिक सर्जरी है, इसलिए इस के बैरिएट्रिक सर्जरी जैसे स्वास्थ्य लाभ नहीं हैं. लाइपोसक्शन के द्वारा शरीर के विभिन्न भागों से वसा निकाली जाती है.

बैरिएट्रिक सर्जरी को मैटाबोलिक सर्जरी भी कहते हैं. इस का उद्देश्य केवल मोटापा कम करना ही नहीं, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य को सुधारना और जीवनकाल बढ़ाना भी होता है. यह सर्जरी लैप्रोस्कोपिक तकनीक के द्वारा की जाती है. इस में आंत को छोटा कर दिया जाता है या उस का मार्ग बदल दिया जाता है, जिस से सर्जरी कराने के बाद भूख कम लगती है, व्यक्ति कम खाता है, जिस से वजन कम करने में सहायता मिलती है. यह सर्जरी कराने का सुझाव उन लोगों को दिया जाता है, जिन का बीएमआई 40 से अधिक होता है, जो 5 या उस से अधिक वर्ष से मोटे हैं और जिन की उम्र 18 से 65 वर्ष के बीच है. बैरिएट्रिक सर्जरी में एक बार में शरीर के कुल भार से 10% से अधिक वसा नहीं निकाली जानी चाहिए वरना यह घातक हो सकता है.

लिपोसक्शन के लिए कोई आयुसीमा निर्धारित नहीं है. 60 वर्ष की आयु के लोगों में भी इस के अच्छे परिणाम मिले हैं. दोनों ही सर्जरियां पेशेवर डाक्टर से ही कराएं.

कब जरूरी है लाइपोसक्शन

– गर्भावस्था के बाद शरीर को सही आकार देने के लिए.

– बेनिग्न फैटी ट्यूमर्स को ठीक करने के लिए.

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– उन जगहों जैसे ठुड्डी, गरदन और चेहरे से वसा को कम करना जहां से वसा निकालना कठिन हो.

– बगल से अत्यधिक पसीना निकलने की समस्या से पीडि़त लोगों के उपचार के लिए.

– शरीर के कुछ निश्चित अंगों का आकार कम करने के लिए.

– सुडौल टमी के लिए.

रिस्क फैक्टर्स

सभी सर्जरियों में कोई न कोई रिस्क होता है. लिपोसक्शन को अगर विशेषरूप से प्रशिक्षित कौस्मैटिक सर्जन से कराया जाए तो इस के अच्छे परिणाम मिलते हैं और रिस्क न्यूनतम होता है. अधिकतर लोग सर्जरी के 2 सप्ताह बाद अपनी सामान्य गतिविधियां शुरू कर सकते हैं. फिर भी इस से जुड़े कुछ रिस्क निम्न हैं:

– आमतौर पर लिपोसक्शन में सब से बड़ा खतरा संक्रमण का होता है.

– कुछ सप्ताह तक, सूजन और दर्द हो सकता है.

– स्किन का खुरदुरा हो जाना, उस का लचीलापन कम हो जाना.

– स्किन के नीचे अस्थाई पौकेट्स जिन्हें सेरोमास कहा जाता है में फ्लूड का जमा हो जाना, जिसे नीडल से निकाला जाता है.

– प्रभावित क्षेत्र में स्थाई या अस्थाई सुन्नपन.

– स्किन के संक्रमण के मामले बहुत कम देखे जाते हैं, लेकिन गंभीर स्किन संक्रमण के कारण मृत्यु भी हो सकती है.

– वसा के लूज टुकड़े रक्त नलिकाओं में फंस जाते हैं और फेफड़ों में इकट्ठे हो जाते हैं या मस्तिष्क में पहुंच जाते हैं, इसे फैट ऐंबोलिज्म कहते हैं जो एक चिकित्सीय आपात स्थिति है.

– किडनी और हृदय की समस्याएं.

– स्किन का ऊंचानीचा और बदरंग हो जाना.

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इन बातों का रखें ध्यान

डाक्टर आप को सर्जरी के लिए तैयार करने के लिए सही खानपान, अलकोहल का सेवन कम करने, कुछ विटामिनों का सेवन करने या न करने की सलाह देंगे:

– अपने डाक्टर से अपने लक्ष्य, औप्शन, रिस्क और लाभ के बारे में चर्चा करें.

– लिपोसक्शन कराने के बाद आप उसी दिन घर जा सकते हैं. हां, अगर अधिक मात्रा में वसा निकाली गई है तो आप को 1-2 दिन अस्पताल में रुकना पड़ सकता है.

– अगर सर्जन आप के शरीर की बड़ी सतह पर कार्य करता है या एक ही औपरेशन में कई प्रक्रियाएं करता है तो जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है.

– जिन लोगों में वसा के बजाय सैल्युलाइट का जमाव हो उन्हें लिपोसक्शन नहीं कराना चाहिए, क्योंकि उपचार कराए गए स्थान की स्किन पर अनियमितताएं विकसित हो सकती हैं.

– हालांकि उम्र इस में एक महत्त्वपूर्ण कारक नहीं है, लेकिन चूंकि उम्र बढ़ने के साथ स्किन का लचीलापन कम हो जाता है, इसलिए अधिक उम्र के लोगों को लिपोसक्शन के द्वारा उतने अच्छे परिणाम नहीं मिल सकते जितने युवा लोगों को मिलते हैं, क्योंकि उन की स्किन टाइट होती है.

लिपोसक्शन से रहें ये दूर

– 18 वर्ष से कम उम्र के लोग.

– गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं.

– ऐसी स्वास्थ्य समस्याओं से पीडि़त जिन के घाव भरने में समय लगता है.

– ऐसे लोग जो रक्त को पतला करने वाली दवा लेना बंद नहीं कर सकते.

ये लिपोसक्शन करवाएं

– जिन का वजन सामान्य से बहुत अधिक न हो.

– जिन की स्किन दृढ़ और लचीली हो.

– जिन का संपूर्ण स्वास्थ्य अच्छा हो.

– शरीर पर जगहजगह वसा का जमाव नजर आए.

-डा. लोकेश कुमार

एचओडी डाइरैक्टर, प्लास्टिक और कौस्मैटिक सर्जरी, बीएलके सुपरस्पैश्यलिटी हौस्पिटल, नई दिल्ली –   

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