लिव इन की चोट : राहुल को कैसे चुकानी पड़ी कीमत

आज राहुल के दोस्त विनय के बेटे का नामकरण था, इसलिए वह औफिस से सीधे उस के घर चला गया था.

वैसे, राहुल को ऐसे उत्सव पसंद नहीं आते थे, पर विनय के आग्रह पर उसे वहां जाना ही पड़ा, क्योंकि विनय उस का जिगरी दोस्त जो था.

‘‘यार, अब तू भी सैटल हो ही जा, आखिर कब तक यों ही भटकता रहेगा,’’ फंक्शन खत्म होने के बाद नुक्कड़ वाली पान की दुकान पर पान खाते हुए विनय ने राहुल से कहा. ‘‘नहीं यार,’’ राहुल पान चबाता हुआ बोला, ‘‘तुझे तो पता है न कि मुझे इन सब झमेलों से कितनी कोफ्त होती है?

‘‘भई, मैं तो अपनी पूरी जिंदगी पति नाम का पालतू जीव बन कर नहीं गुजार सकता. मैं सच कहूं तो मुझे शादी के नाम से ही चिढ़ है और बच्चा… न भई न.’’

‘‘अच्छा यार, जैसी तेरी मरजी,’’ इतना कह कर विनय खड़ा हुआ, ‘‘पर हां, एक बात तेरी जानकारी के लिए बता दूं कि मेरी पत्नी राशि की मुंहबोली बहन करिश्मा फिदा है तुझ पर. उस बेचारी ने जब से तुझे मेरी शादी में देखा है तब से वह तेरे नाम की रट लगाए बैठी है. उस ने जो मुझ से कहा वह मैं ने तुझे बता दिया, अब आगे तेरी मरजी.’’

उस के बाद काफी समय तक दोनों की मुलाकात नहीं हो पाई, क्योंकि अपने घर वालों के तानों से तंग आ कर अब राहुल ज्यादातर टूर पर ही रहता था.

‘‘न जाने क्या है हमारे बेटे के मन में, लगता है पोते का मुंह देखे बिना ही मैं इस दुनिया से चली जाऊंगी,’’ जबजब राहुल की मां उस से यह कहतीं, तबतब राहुल की बेचैनी बहुत बढ़ जाती.

वैसे उस के पापा इस बारे में उस से कुछ नहीं कहते थे. पर उन का चेहरा देख राहुल भी परेशान हो जाता था.

राहुल अच्छा कमाता था और उस का व्यक्तित्व भी आकर्षक था. पर शादी के नाम से उसे चिढ़ थी. इसलिए तो वह अब तक अपने लिए आया हर शादी का रिश्ता ठुकराता रहा था.

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लेकिन फिर धीरेधीरे उस के मम्मीपापा ने उसे इस बारे में टोकना छोड़ दिया था, क्योंकि वे जानते थे कि शादी का रिश्ता जबरदस्ती से नहीं कायम किया जा सकता.

मातापिता के इस बदलाव से राहुल बेहद खुश था, क्योंकि यह सब उस के लिए किसी सुकून से कम नहीं था.

एक बार राहुल ट्रेन से सफर कर रहा था, तब उस की मुलाकात शिल्पा से हुई जो मौडल बनने की चाह लिए दिल्ली आईर् थी.

शिल्पा उसी की तरह खुले विचारों वाली युवती थी, जिसे बंधन में बंध कर जीना बिलकुल पसंद नहीं था.

‘‘सच, तुम्हारे व मेरे विचार कितने मिलतेजुलते हैं. सफर खत्म होने से पहले ही राहुल ने यह शिल्पा से कह डाला था. ’’

‘‘वह तो है पर…’’

‘‘हांहां, बोलो न,’’ राहुल बातचीत का सूत्र आगे बढ़ाता हुआ कह रहा था.

‘‘अगर तुम चाहो तो हम दोनों एक राह के मुसाफिर बन कर रह सकते हैं,’’ शिल्पा अपनी जुल्फों पर उंगलियां फेरते हुए बोली.

‘‘सच, तुम ने तो मेरे मन की बात कह डाली,’’ यह कहतेकहते ही राहुल की आंखों में एक अजीब सी चमक कौंध उठी थी.

‘‘तो फिर क्या कहते हो?’’ शिल्पा राहुल की आंखों में गहराई से देखते हुए उस से पूछने लगी थी, ‘‘मेरी फ्रैंड का फ्लैट है यहां दिल्ली में. किराया कुछ ज्यादा है, तो क्या हम फ्लैट शेयर कर लें और बाकी खर्चे भी आधेआधे हो जाएंगे, कैसा रहेगा?’’

‘‘हांहां, नेकी और पूछपूछ,’’ राहुल हंसते हुए बोला, ‘‘दरअसल, मैं खुद एक ऐसे फ्रैंड की तलाश में था, जिस के साथ मैं बिना किसी रोकटोक के सुकून से रह सकूं और रही बात खर्चे शेयर करने की, तो उस में मुझे कोई प्रौब्लम नहीं है.’’

इस तरह दोनों के बीच लिवइन में रहने की डील तय हुई और फिर दोनों जल्दी ही उस फ्लैट में शिफ्ट हो गए.

सच, क्या आजाद जिंदगी थी दोनों की? न किसी की टोकाटाकी न किसी के प्रति कोई जवाबदेही. आकाश में उन्मुक्त पंछियों की तरह दोनों ही अपनीअपनी जिंदगी मजे से जी रहे थे.

हर सुबह राहुल औफिस के लिए निकल जाता तो शिल्पा काम ढूंढ़ने के लिए ऐड एजेंसियों के चक्कर काटती.

शाम होने पर तकरीबन दोनों ही लौट आते और अगर कोई देर से भी लौटता तो दूसरे को परेशान होने की जरूरत नहीं थी, क्योंकि उन के फ्लैट की 2 चाबियां थीं.

पर हां, साथसाथ डिनर करना, बाहर से पिज्जा या चाइनीज फूड और्डर करना, यहां तक तो दोनों को मंजूर था पर रात गहराते ही दोनों अपनेअपने बैडरूम में चले जाते ताकि दोनों के बीच कुछ भी ऐसावैसा न हो, जिस की वजह से उन्हें किसी मुसीबत का सामना करना पड़े.

एक बार जब शिल्पा को कई दिनों की दौड़धूप के बाद एक नामी ऐड एजेंसी से मौडलिंग का औफर मिला तब वह मानो खुशी से झूम उठी.

‘‘यार, आज तो वाकई में सैलिब्रेशन बनता है,’’ राहुल ने कहा.

‘‘हां, बोलो, क्या चाहते हो, मैं ने कब इनकार किया है?’’ शिल्पा आंख से आंख मिलाते हुए राहुल के एकदम पास जा कर बोली.

‘‘तो हो जाए, आज फिर धूमधड़ाका, कुछ मौजमस्ती,’’ राहुल शरारत से एक आंख दबाते हुए बोला तो शिल्पा खुद को रोक न सकी और तुरंत उस के सीने से चिपक गई.

फिर उन दोनों के बीच जो कुछ हुआ वह किसी फन से, मौजमस्ती से कम न था. उस रात दोनों ने एक नए अनुभव से खुद को रोमांचित किया. सच, क्या उन्माद छाया था दोनों पर. फिर तो उन की पूरी रात आंखों ही आंखों में कट गई.

अगली सुबह दोनों ही अलसाए से अपनेअपने काम पर चले गए. अब जब दोनों ने ही अपने ऊपर लगा बंधन तोड़ दिया  तो ऐसे में अब तकरीबन हर रोज ही दोनों के बीच शारीरिक संबंध बनने लगे थे.

‘‘उफ, राहुल, क्या मादकता है तुम्हारे स्पर्श में, मेरा रोमरोम मानो पिघल जाता है,’’ शिल्पा राहुल में समाते हुए कह उठी.

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‘‘मैडम, तुम भी तो कम कहर नहीं ढातीं मुझ पर. सच, तुम्हारा यह रूप, यह यौवन मुझे तड़पने को मजबूर कर देता है,’’ प्रत्युत्तर में राहुल उसे चूमते हुए कहता.

फिर दोनों एकदूसरे में खो जाते और घंटों प्रेमालाप में मग्न रहते. एक दिन जब शिल्पा कुछ बुझीबुझी सी घर पहुंची तब राहुल से रुका न गया. वह शिल्पा का मूड ठीक करने के लिए तुरंत बढि़या कौफी बना कर लाया और उसे कौफी का मग थमाते हुए उस से पूछने लगा, ‘‘क्या हुआ शूटिंग कैंसिल हो गई क्या?’’

‘‘नहीं, अभीअभी ऐबौर्शन करवा कर आई हूं,’’ शिल्पा ठंडे स्वर में बोली.

‘‘क्या? ऐबौर्शन… कम से कम एक बार मुझ से पूछ तो लेतीं. वह बच्चा मेरा भी तो था?’’ राहुल भरेमन से बोला.

‘‘ओ मिस्टर, ज्यादा इमोशनल होने की जरूरत नहीं है,’’ शिल्पा कड़क स्वर में चीखते हुए बोली, ‘‘तुम मेरे हसबैंड नहीं हो, जो मैं तुम्हारी राय पूछती. अरे, मौजमस्ती के परिणाम को पैरों की बेडि़यां नहीं बनाया जाता बल्कि समय रहते काट कर फेंक दिया जाता है ताकि आगे चल कर कोई परेशानी न हो.’’

‘‘सौरी मैम, मैं तो भूल ही गया था कि आप उच्च प्रगतिशील सोच की मालकिन हैं…’’ इतना कहतेकहते राहुल की आंखें भर आईं, ‘‘वैसे हम शादी भी तो कर सकते थे.’’

‘‘ओह राहुल,’’ शिल्पा उस के नजदीक जाते हुए बोली, ‘‘जो हुआ उसे भूल जाओ और आज नए तरीके से मुझे सैक्स के मजे दिलवाओ. पता है, करुण मुझे ड्रिंक पर ले जाना चाहता था पर मैं ने मना कर दिया, क्योंकि अब मुझे सिर्फ तुम्हारा साथ भाता है.’’

‘‘पर मैडम, मैं इतने बड़े दिल वाला नहीं जो अपने बच्चे को खोने का जश्न मनाऊं,’’ राहुल खुद को शिल्पा की गिरफ्त से छुड़ाते हुआ बोला.

‘‘ये क्या, तुम ने मेरे बच्चे, मेरे बच्चे की रट लगा रखी है? अरे, वह बच्चा सिर्फ मेरा था, इसलिए उस का क्या करना था, इस का हक भी सिर्फ मुझे ही था.

‘‘और वैसे भी, यह शादी, यह बच्चे जैसी फुजूल की बातों के लिए मेरे पास समय नहीं है. आज सफलता की जिस सीढ़ी की तरफ मैं बढ़ रही हूं वहां मेरे लिए शादी और बच्चे का बोझ ले कर चढ़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन भी है.’’

‘‘तो ठीक है, मैडम,’’ राहुल गुस्से से चीखते हुए बोला, ‘‘तो तुम अब अपनी सफलता के साथ रहो और मुझे अकेला छोड़ दो.’’

वह गुस्से में पैर पटकता हुआ तेजी से बाहर निकल आया और शिल्पा बदहवास बुत सी बनी बैठी रह गई.

बहुत देर तक खाली विरान सड़कों की खाक छानने के बाद राहुल अचानक विनय के पास पहुंच गया. इस समय वह अपने घर जा कर अपने मातापिता को परेशान नहीं करना चाहता था.

‘‘अरे वाह, आज चांद कहां से निकल आया, भई,’’ विनय मुसकराते हुए उस से पूछने लगा. जवाब में वह फीकी सी हंसी हंस दिया था.

‘‘यार, इस समय तेरे घर आ कर मैं ने तुझे भी परेशान कर कर दिया,’’ राहुल कतर स्वर में विनय से बोला.

‘‘तू भी न, कमाल करता है यार. अगर तू बाहर से ही वापस चला जाता तो राशि भला मुझे बख्शती,’’ इतना कहते ही उस ने राशि को बाहर आने के लिए आवाज लगाई.

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‘‘अरे भैया, इतने दिन बाद,’’ राशि मुसकराते हुए उस का स्वागत करने लगी. राशि का ऐसा खुशमिजाज व्यवहार देख कर राहुल उस की तुलना शिल्पा से करने लगा जो उस के दोस्तों को देखते ही बुरा सा मुंह बना लेती है और तब राहुल चाह कर भी कुछ नहीं कर पाता, क्योंकि वह और शिल्पा लिवइन में जो रह रहे थे.

‘‘अरे भैया, कहां खो गए आप…’’ राशि मुन्ने को विनय के हवाले करते हुए बोली, ‘‘आप जरा मुन्ने को संभालिए, मैं झटपट खाना तैयार कर देती हूं. सब्जी और रायता तो तैयार ही है, बस, फुलके सेंकने बाकी हैं.’’

वह फुरती से किचन की तरफ बढ़ गई. इस बीच, राहुल ने मुन्ने को विनय से ले लिया और खुद उस के साथ खेलने लगा.

जब मुन्ने की कोमलकोमल उंगलियों ने राहुल के हाथों का स्पर्श किया तो उस स्पर्शमात्र से ही राहुल का दिल भर आया और वह मन ही मन अपने उस अजन्मे शिशु को याद कर के रो पड़ा, जिसे शिल्पा की  प्रगतिवादी सोच ने असमय अपनी कोख में ही लील लिया था.

थोड़ी देर बाद सभी डाइनिंग टेबल पर थे. सच में राशि के हाथ का खाना खा कर उसे अपनी मां की याद आ गई जो बिलकुल ऐसा ही खाना बना कर उसे खिलाती थीं.

पर जब से वह शिल्पा के साथ लिवइन में था, तब से उस ने घर के खाने का स्वाद चखा ही नहीं था. शुरुशुरु में जब एक बार राहुल ने शिल्पा से डिनर घर पर बनाने की बात कही, तब वह मानो गुस्से में उस पर फट पड़ी थी और लगभग चीखते हुए बोली, ‘मैं कोई दासी नहीं हूं जो किचन में खड़ी हो कर घंटों पसीना बहाऊं. जो खाना है, बाहर से और्डर कर लो और हां, मेरी चिंता मत करना, क्योंकि मैं डाइटिंग पर हूं.’

‘‘किस सोच में पड़ गए भैया? खाना अच्छा नहीं लगा क्या?’’ राशि के टोकने पर मानो राहुल की तंद्रा भंग हुई और वह अतीत से वर्तमान में आते हुए बोला, ‘‘नहीं भाभी, खाना तो वाकई बहुत बढि़या बना है बल्कि मैं ने तो इतने समय बाद…’’ बाकी बात राहुल ने अपने भीतर ही रोक ली ताकि उसे राशि व विनय के सामने शर्मिंदा न होना पड़े.

‘‘भैया, एक बात कहू,’’करिश्मा का औफर अभी ओपन है आप के लिए, क्योंकि वह आप को अपना क्रश जो मानती है. वैसे, अब उस पर शादी का दबाव बहुत बढ़ रहा है. पर अगर आप चाहें तो मैं सारा मामला तुरंत निबटा सकती हूं, क्योंकि मैं जानती हूं कि अभी भी आप को ही प्राथमिकता दी जाएगी,’’ राशि झूठे बरतन समेटते हुए बोली.

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‘‘तुम भी न राशि,’’ विनय उसी की बात काटते हुए बोला, ‘‘भई, राहुल को तो शादी के नाम से ही चिढ़ है और तुम…’’

‘‘मैं तैयार हूं.’’

राहुल विनय की बात पूरी होने से पहले ही बोल पड़ा.

राहुल के मुंह से यह सुन कर विनय का दिल भर आया और तब भावातिरेक में उस ने राहुल को अपने गले से लगा लिया.

‘‘यह हुई न बात, अब भैया आप ने हां कर दी है, तो देखिएगा कि मैं और विनय मिल कर कैसे आप का मामला फिट करते हैं,’’ राशि भी उत्साहित हो उठी थी.

‘‘हांहां, बिलकुल, अब तो चटमंगनी पट ब्याह होगा,’’ विनय के मुंह से यह अचानक निकला और फिर तीनों खिलखिला कर हंस पड़े.

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