क्या करें लिव इन रिलेशन में रहने से पहले

करीब 4 साल तक लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बाद स्मृति ने जब देखा कि उस के बौयफ्रैंड सूरज ने किसी और लड़की से शादी कर ली है, तो उस के पैरों तले धरती खिसक गई.

पिछले कुछ दिनों से वह सूरज के हावभाव में बदलाव देख रही थी. पूछने पर वह अलगअलग बहाने बना देता था. कभी कहता कि औफिस में समस्या है, तो कभी कहता कि तबीयत ठीक नहीं है. एक दिन जब उस ने जोर दिया तो उस ने बताया कि जब वह अपने शहर गया, तो मातापिता ने उस की जबरदस्ती शादी करवा दी. वह अपनी और स्मृति की बात उन्हें इसलिए नहीं बता पाया, क्योंकि वे दोनों के अलगअलग जाति के होने की वजह से इस रिश्ते को मंजूरी नहीं देते.

स्मृति उस की सहजता से कह गई इस बात से हैरान हो गई. फिर उसी दिन वहां से अपनी मां के पास चली गई. फिर वह एक सामाजिक संस्था से मिली और कोशिश कर रही है कि सूरज उसे अपना ले. वह कोर्ट नहीं गई, क्योंकि उसे लगा कि इस से उस की बदनामी होगी. उस का कहना है कि सूरज कोशिश कर रहा है. वह अपनी पत्नी को तलाक दे कर उसे अपनाएगा, क्योंकि यह शादी उस ने अपने मातापिता की जिद से की है.

यहां सवाल यह उठता है कि अब तक सूरज अगर अपने रिश्ते को परिवार की नहीं बता पाया है, तो आगे कैसे बता कर स्मृति के साथ रहेगा? और अपनी पत्नी को छोड़ेगा कैसे? उस के लिए वजह क्या बनाएगा?

लिव इन रिलेशनशिप आज के समय में तेजी से बढ़ रहा है. एक समय ऐसा था जब ऐसे संबंध होने पर लोग खुल कर बात करना पसंद नहीं करते थे. लेकिन आजकल लोग खुल कर इस रिलेशनशिप में रहते हैं खासकर युवा इस रिश्ते को अपनाने में सहजता का अनुभव करते हैं, क्योंकि इस में दायित्व कम होता है.

सैक्स की आजादी

इस बारे में मुंबई की सोशल ऐक्टिविस्ट नीलम गोरहे कहती हैं, ‘‘यह रिश्ता तब तक ठीक रहता है जब तक महिलाओं को कोई समस्या नहीं आती. महिलाएं मेरे पास तब आती हैं जब उन का बौयफ्रैंड उन्हें छोड़ कर चला गया हो या चोरीछिपे शादी कर ली हो. ऐसे में हरेक महिला यही चाहती है कि रिश्ते को मैं ठीक कर दूं. उस लड़के से कहूं कि उसे अपना ले.

‘‘असल में इस रिश्ते के लिए अधिकतर लड़के ही आगे आते हैं, क्योंकि प्यार से अधिक इस में सैक्स की आजादी होती है. यह रिश्ता जितनी आजादी देता है, उतना ही खतरनाक भी होता है. मेरे पास एक मातापिता ऐसे आए जिन की लड़की का मर्डर हो चुका था पर कोई पू्रफ नहीं था. उसे मारने वाला उस का बौयफ्रैंड ही था.

3-4 साल से वह लड़की उस लड़के के साथ लिव इन रिलेशनशिप में थी, जिस का पता उस के मातापिता को नहीं था. जब पता चला तो मातापिता ने लड़की से उस से शादी करने के लिए कहा. लेकिन वह लड़का तब आनाकानी करने लगा, जिसे देख लड़की ने उस रिश्ते से बाहर निकलना चाहा. यह बात लड़के को जब पता चली तो उस ने उस का मर्डर कर दिया. उस का शव बाथरूम में मिला.

‘‘दरअसल, लड़के को यह लगा था कि अलग होने के बाद लड़की कोर्ट जा सकती है, क्योंकि वह पढ़ीलिखी थी. पू्रफ के अभाव में लड़का अभी बाहर है.’’

लिव इन रिलेशनशिप के अधिकतर मामले महानगरों में पाए जाते हैं, जहां काम या पढ़ाई के लिए युवा घर से दूर रहते हैं. उन के बीच अकसर इस तरह के रिश्ते हो जाते हैं. दरअसल, फ्लैट कल्चर में घर शेयर करने यानी साथ रहने में इन्हें फायदा भी नजर आता है.

इन रिश्तों को लड़के ही अधिकतर तोड़ते हैं, लेकिन रिश्ता टूटने पर भावनात्मक से सहज हो जाना कई बार लड़कियों के लिए मुश्किल हो जाता है, क्योंकि इस में लड़की के परिवार की भूमिका न के बराबर होती है.

नीलम कहती हैं, ‘‘इस तरह के रिश्ते को बढ़ावा देने में धर्म भी कम नहीं. अधिकतर लोग विपरीत धर्म या जाति में शादी करने के लिए इजाजत नहीं देते, इसलिए रिश्ते को छिपाना पड़ता है. कई बार तो लोग दोहरी जिंदगी भी जीते हैं, जो डिप्रैशन, मर्डर, आत्महत्या जैसी कई घटनाओं को जन्म देती है.

‘‘इस रिश्ते को शादी का नाम देने के लिए मातापिता, परिवार व समाज के सहयोग की आवश्यकता होती है, जो आमतौर पर नहीं मिलता. इस रिश्ते में बड़ी समस्या तब आती है जब दोनों के बीच में बच्चा आ जाता है. बच्चा जब स्कूल जाने लगता है तब उत्तरदायित्व समझ में आता है. हालांकि आजकल डी.एन.ए. टैस्ट का प्रावधान हो चुका है, जिस से महिला को काफी राहत मिल रही है.

‘‘शादी करना आजकल काफी खर्चीला भी होता है. इस के लिए समय और संसाधन की भी जरूरत होती है. वहीं अगर शादी असफल हो जाए तो तलाक के लिए कानूनी झंझट से गुजरना पड़ता है. लिव इन रिलेशन दरअसल शादी का प्रिव्यू है जिस से व्यक्ति यह अंदाजा लगा सकता है कि शादी सफल होगी या नहीं.

ठगी की शिकार महिलाएं

सीनियर ऐडवोकेट आभा सिंह कहती हैं कि लिव इन रिलेशनशिप बड़े शहरों में अधिक है और इसे सामाजिक कलंक अभी भी हमारे समाज में माना जाता है. बहुत कम महिलाएं हिम्मत कर अपना कानूनी अधिकार पाती हैं, क्योंकि कोर्ट, वकील की बातें बहुत कठोर होती हैं. उन्हें सह पाना आसान नहीं होता.

बहुत सारी ऐसी घटनाएं हैं जिस में महिलाएं ठगी गईं पर उन्होंने रिपोर्ट नहीं लिखवाई. बौलीवुड के सुपरस्टार राजेश खन्ना की मौत के बाद उन के बंगले का विवाद सामने आया. उन के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली अनिता आडवाणी को परिवार के लोगों ने धक्के मार कर घर से बाहर निकाल दिया. जबकि वे 8 साल से राजेश खन्ना के साथ रह रही थीं. जब वे मेरे पास आईं, तो मैं ने पहली बात यही पूछी कि आप इतने दिनों तक कहां थीं? पहले क्यों नहीं आईं जब राजेश खन्ना जीवित थे? दरअसल, उन के पास ऐसा कोई पू्रफ यानी सुबूत नहीं था कि वे उन के साथ रह रही थीं, ऐसे केस में पू्रफ के लिए निम्न जगहों पर साथ रहने वाली का नाम होना चाहिए:

– जौइंट अकाउंट में.

– बिजली या मोबाइल बिल में.

– राशन कार्ड में.

ऐसा होने पर ही आप सिद्ध कर सकती हैं कि आप उस व्यक्ति से कुछ पाने की हकदार हैं.

अनिता आडवाणी को 200 करोड़ की प्रौपर्टी में से कुछ भी नहीं मिला. हाई कोर्ट में भी उन की अर्जी खारिज कर दी गई. अब वे सुप्रीम कोर्ट जा रही हैं.

इन शर्तों को जानें

गुजारा भत्ता पाने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि लिव इन रिलेशन में निम्न 4 शर्तें पूरी होना जरूरी हैं:

– ऐसे युगल समाज के सामने पतिपत्नी के तौर पर आएं.

– वे शादी की कानूनी उम्र पूरी कर चुके हों.

– उन के रिश्ते कानूनी रूप से शादी करने के लिए वर्जित न हों.

– दोनों स्वेच्छा से लंबे वक्त तक यानी कम से कम 6 साल साथ रहे हों.

रिश्ता खराब नहीं

26 नवंबर 2013 को एक अदालती आदेश में रिलेशनशिप को क्राइम नहीं माना गया. इस से इस रिश्ते को अपनाने वाले युवाओं को काफी राहत मिली. मैरिज काउंसलर संजय मुखर्जी कहते हैं कि ऐसे केसेज में दिनोंदिन बढ़ोतरी हो रही है. यह रिश्ता खराब नहीं है. कई बार शादी के बाद पतिपत्नी में अनबन हो जाती है, इसलिए बहुत से यूथ इसे अपनाते हैं. अधिकतर आत्मनिर्भर महिलाएं ही इस रिश्ते को पसंद करती हैं, क्योंकि इस में सासससुर, ननद, देवर आदि का झंझट नहीं रहता.

यह रिश्ता एक तरह से ऐक्सपैरिमैंटल होता है, जिस में 3-4 महीने तो ठीक ही चल जाते हैं. समस्या 1 साल बाद आती है. मेरे हिसाब से 1 साल तक इस रिश्ते में रहने के बाद महिलाओं को शादी करने के बारे में सोचना चाहिए. इस के अलावा कुछ बातों पर उन्हें खास ध्यान देना चाहिए:

– अगर लड़का शादी न करना चाहे, तो वजह पता करें.

– दोनों अपनी कमाई जौइंट अकाउंट में साथसाथ डालें और दोनों उसी से खर्च करें.

– अगर शादी नहीं करनी है, तो पहले ही वकील से परामर्श कर स्टैंप पेपर पर अपने हिस्से को सुनिश्चित करवा लें.

इस के अलावा संजय कहते हैं कि लिव इन रिलेशन में बच्चे की प्लानिंग न करें ताकि आगे चल कर आने वाले बच्चे को अपराधबोध न हो.

वैसे हर रिश्ते की अपनी अलग अहमियत होती है. लेकिन जहां शादी एक महिला को सुरक्षित जीवन देती है, वहीं लिव इन रिलेशनशिप में असुरक्षा अधिक रहती है. सही यही होगा कि आप अपने रिश्ते को समझने की कोशिश करें और अपने भविष्य में आने वाली परेशानियों से अपनेआप को बचाएं.

बिन फेरे हम तेरे

भारतीय सामाजिक परिवेश में विवाह एक बहुत पुरानी और मजबूत सामाजिक व्यवस्था है परंतु आधुनिक जीवनशैली और नए परिवेश ने भारतीय जनमानस में भी गहरी पैठ बनाई है जिसके कारण एक नई व्यवस्था ने अपनी जगह बनाई है जिसे हम लिव इन रिलेशनशिप के तौर पर जानते हैं. लिव-इन रिलेशनशिप कपल्स के बीच एक नया प्रयोग है. इसमें वयस्क लड़का और लड़की बिना विवाह किए परस्पर सहमति से पति-पत्नी की तरह रहते हैं. कई बड़े शहरों में यह खूब चलन में हैं. रिश्तों को समझने-परखने के लिए लिव-इन रिलेशनशिप एक अच्छा प्रयोग साबित हो रहा है.लिव इन रिलेशनशिप आज के समय में तेजी से बढ़ रहा है. एक समय था जब ऐसे संबंधों पर लोग खुलकर चर्चा करना पसंद नहीं करते थे लेकिन आज लोग खुलकर लिव इन रिलेशन शिप में रह रहे हैं और इस बात को छुपाते नहीं हैं. जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, इस रिश्तें में भी कुछ ऐसा ही है.

लिव इन रिलेशनशिप की सकारात्मकता

इस तरह रहने वाले जोड़ों में धोखा, बेवफाई और व्यभिचार की शंका कम होती है. इस रिश्ते में रहते-रहते आप विवाह के बंधन में भी बंध सकते हैं.दोनों ही अपनी जिम्मेदारियां बिना किसी दबाव के निभाते हैं.यह रिश्ता अधिक बोझिल नहीं होता क्योंकि इसमें दोनों पार्टनर निजी रूप से पूर्णतः आजाद होते हैं.

लिव इन रिलेशनशिप की नकारात्मकता

बंधन में न बंधने की स्वतंत्रता तो होती है, पर लाइफ को पूरी तरह से एन्जॉय नहीं कर पाते, क्योंकि अविश्वास की भावना पनपने के अवसर ज़्यादा होते है.दोनों में से किसी एक के बहकने का भय बना रहता है साथ ही कमिट्मेंट तोड़ने का भी भय रहता है.परिवार का दबाव न होने से रिश्ते में असुरक्षा की भावना बनी रहती है, जिससे तनाव की स्थितियां भी खड़ी हो जाती है.लिव इन रिलेशनशिप में आप परिवार की खुशी का आनंद नहीं ले सकते जिस से शुरूआत में उपजा प्यार और भावनात्मक संबंध स्थायी नहीं रह पाते जिससे बोरियत होने लगती है.

लिव-इन में रहने से पहले आपको कुछ बातें जरूर ध्यान में रखनी चाहिए. विश्वसनीय और मजबूत रिश्ते के लिए यह जरूरी होता है.

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लिव इन रिलेशनशिप के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

1. आप जिसके साथ लिव-इन में जा रहे हैं उसके बारे में उचित जांच-पड़ताल कर लें. प्रयास करें कि आपका लिव इन पार्टनर पहले से आपका अच्छा दोस्त हो. ऐसे रिश्ते में रहने से पहले लड़कियों को विशेष तौर पर सावधानी बरतनी चाहिए. उन्हें अपने पार्टनर के बारे में अच्छी तरह से पता कर लेना चाहिए. अगर किसी भी तरह का संदेह हो तो उसे दूर किए बिना रिश्ता शुरू करने से बचना चाहिए.

2. रिश्तों में नोंक-झोंक होना सामान्य बात है. इससे रिश्ते को मजबूती भी मिलती है. लिव-इन में रहते हुए भी ऐसा सम्भव है लेकिन इस दौरान गुस्से में कुछ भी कहने से पहले एक बार अवश्य विचार लें अन्यथा ये अलगाव की वजह बन सकती है. कोई भी ऐसी बात कहने से बचें जिससे आपके साथी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचे.

3. आर्थिक व्यवस्था की किसी भी रिश्ते की सफलता में अहम भूमिका है. महंगाई के इस दौर में एक अकेले व्यक्ति का दो लोगों का खर्चा उठाना कठिन है. ऐसे में अपने पार्टनर से खर्चों की साझेदारी पर बात अवश्य कर लें. कई बार पैसों को लेकर हुई कहासुनी के कारण रिश्ते टूटने की कगार पर आ जाते हैं.

4. लिव-इन में रहने के लिए आपका भावनात्मक रूप से काफी मजबूत होना जरूरी है. कई बार ऐसा होता है कि आपको एक दूसरे की कुछ आदतें पसंद नही आती ऐसे में आपसी बातचीत से इसका हल निकालने का प्रयास करना चाहिए. इस दौरान आपको काफी समझदारी दिखाने की जरूरत होती है. एक दूसरे की वो आदतें जो आपको पसंद नहीं उनकी अनदेखी करना सीखें, इसके लिए आपको दिमागी और भावनात्मक रूप से दृढ़ होने की जरूरत है.

5. लिव-इन के दौरान अगर आपका रिश्ता ठीक से नहीं चल पा रहा है तो आपको अपना दूसरा प्लान तैयार रखना चाहिए. अगर आपको लगता है कि आपका पार्टनर आपकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहा है तो अपनी बात कहने की हिम्मत रखिए. अगर जरूरत पड़े तो रिश्ते को खत्म करने का विकल्प भी खुला हुआ है.

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लिव इन रिलेशनशिप और कानून

अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इसको कानूनी मान्यता दे दी है एक ऐसे ही मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लिव-इन रिलेशनशिप न अपराध है और न ही पाप.शादी करने या न करने और सेक्सुअल रिलेशनशिप बनाने का फैसला पूरी तरह से निजी है.लिहाजा 18 की उम्र पूरी कर चुकी लड़की और 21 की उम्र पूरी कर चुका लड़का लिव-इन में रह सकते हैं.शीर्ष कोर्ट ने लिव-इन को कानूनी मान्यता जरूर दे दी है, लेकिन लिव-इन में रह रही महिला को आज भी वो पूरे कानूनी अधिकार नहीं मिलते हैं, जो एक शादीशुदा महिला को अपने पति की संपत्ति में मिलते हैं. इसके कारण कई बार महिला लिव-इन पार्टनर को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.भारत में लिव-इन को बेहद लूज रिलेशनशिप भी माना जाता है. पहली बात तो यह है कि लिव-इन में रहने वाले लोगों के लिए अपने पार्टनर के साथ रिलेशनशिप होने की बात साबित करना बेहद मुश्किल होता है और किसी तरह ये हो भी जाये तो महिला बस गुजारे भत्ते की माँग कर सकती है.अगर लिव-इन में रहने वाली महिला अपने पार्टनर की संपत्ति पर कानूनी अधिकार चाहती है, तो उसको अपने नाम विल करा लेनी चाहिए अन्यथा लिव-इन में रहने वाली महिला को अपने लिव-इन पार्टनर की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं मिलेगा इसके अलावा महिला को इंश्योरेंस पॉलिसी में लिव-इन पार्टनर के नॉमिनी के रूप में खुद को दर्ज करवाना चाहिए.लिव-इन में रहने वाले एग्रीमेंट के जरिए भी लिव-इन पार्टनर की संपत्ति में हक हासिल कर सकते है. इसके लिए लिव-इन में रहने वालों को रजिस्ट्रार ऑफिस में एग्रीमेंट का पंजीकरण करवा लेना चाहिए इस एग्रीमेंट में संपत्ति के हक को लेकर स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए.

लिव-इन में जन्मे बच्चों को मिलते हैं पूरे कानूनी अधिकार

लिव-इन में रहने वाली महिला को लिव-इन पार्टनर की संपत्ति पर भले ही कोई कानूनी हक़ न मिले, लेकिन उनकी जैविक संतान को पूरे हक़ मिलते हैं.हिंदू मैरिज एक्ट के तहत लिव-इन से जन्मे बच्चे को वो सभी कानूनी अधिकार मिलते हैं जो शादीशुदा दंपति से जन्मे बच्चे को मिलते हैं उनका कहना है कि लिव-इन से जन्मा बच्चा अपने बायोलॉजिकल पिता की संपत्ति में हिंदू सक्सेशन एक्ट के तहत हक़दार होता है.

लिव इन रिलेशनशिप की सफलता के सूत्र

आपको अपने पार्टनर के साथ एग्रीमेंट करना चाहिए.आपको साथ निभाने के लिए ट्रेनिंग लेनी चाहिए. आपको अपने सभी हक़ों के बारे में जानकारी होना चाहिए. आपका पार्टनर यदि आपकी मज़बूरी या आपकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करता है तो उसे रोकने का आपमें साहस होना चाहिए. अपने पार्टनर पर पूरी तरह से विश्वास होना चाहिए व इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यदि कोई भी निर्णय आपने लिया है तो उस निर्णय को जीवन भर निभाना पड़ेगा. इस रिलेशनशिप के चलते यदि आपको बीच में ही अकेला रहना पड़े तो उसके लिए अपने-आपको पहले से ही मजबूत बना कर रखना होगा तभी आप सफल लिव इन रिलेशनशिप में रह पायेंगे.

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लिव इन रिलेशन : कमजोर पड़ रही है डोर

लिव इन रिलेशन में रह रहे पार्टनर की हत्या और खुदकुशी के नएनए मामले रोज सामने आ रहे हैं. ऐसे में इन रिश्तों को ले कर फिर से उंगलियां उठनी शुरू हो गई हैं. अहम सवाल यह है कि पश्चिम की इस परंपरा को तो हम ने स्वीकार कर लिया, लेकिन क्या हम अपनी पारंपरिक और दकियानूसी सोच से बाहर निकल पाए हैं. इन तमाम मामलों पर गौर करें तो यही बात सामने आती है कि हम इस नए मौडल के साथ खुद को एडजस्ट करने में नाकाम साबित हुए हैं. यहां हम लिव इन सिस्टम पर कोई सवाल खड़े नहीं कर रहे हैं. इस की अपनी खूबियां और खामियां हैं, लेकिन जो भी मामले सामने आ रहे हैं उस से यही पता चलता है कि या तो हम पूरी तरह से इस सिस्टम को समझ ही नहीं पाए हैं या फिर इस के हिसाब से खुद को ढाल नहीं पाए हैं.

1. बढ़ रहा है रिश्ते का ग्राफ

एक स्त्री और पुरुष का बिना विवाह किए आपसी रजामंदी से एकसाथ रहने के रिश्ते को लिव इन रिलेशन कहते हैं. इस में एकसाथ रहने की कोई सामाजिक या आर्थिक मजबूरी नहीं होती और न ही कोई दबाव.

युवकयुवतियां सोचसमझ कर साथसाथ रहते हैं और जब चाहें अलग हो सकते हैं. कुछ समय पहले तक सोसायटी के लिए यह एक बड़ा सवाल था, लेकिन आज एक तरह से इस रिश्ते को कुछ हद तक शहरी समाज स्वीकार कर चुका है. महानगरों में यूथ ने लिव इन कल्चर को तेजी से अपना लिया है.

युवाओं ने अपनी सहूलत को ध्यान में रख ऐसे रिश्तों की ओर तेजी से कदम बढ़ाया. इस तेज रफ्तार जिंदगी में संतुलन बनाए रखने और कैरियर में आगे बढ़ने के लिए युवाओं को लिव इन रिलेशनशिप बिना बंधन के आसान रास्ता नजर आता है. यही वजह है कि ऐसे रिश्तों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है.

2. चौराहे पर रिश्ता

आएदिन पार्टनर की हत्या और खुदकुशी के मामलों ने इस रिश्ते को चौराहे पर ला कर खड़ा कर दिया है. जिस स्वतंत्रता की चाहत में युवकयुवती एकदूसरे के करीब आए थे, वहां अब एक नए तरह का बंधन उन्हें नजर आने लगा है.

नोएडा में हुई ब्यूटीशियन श्वेता की मौत ने तरक्की पसंद शहरों में बदलते रिश्ते को ले कर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. पति और ससुराल वालों के अत्याचार से परेशान श्वेता ने बागपत से नोएडा आ कर अपना काम शुरू किया था.

करीब डेढ़ साल पहले उस की जिंदगी में मुकेश आया. वह उस का बचपन का साथी था. दोनों आपसी रजामंदी के साथ रहने लगे. श्वेता की इतनी ही ख्वाहिश थी कि मुकेश उस से शादी कर ले, लेकिन शादी के इसी दबाव ने उस की जान ले ली. आरोप है कि मुकेश ने बिल्डिंग की 8वीं मंजिल से उसे नीचे फेंक दिया, जिस के कारण उस की मौत हो गई. पुलिस ने श्वेता की 10 साल की बेटी के बयान पर आरोपी मुकेश को गिरफ्तार कर लिया.

दिल्ली के सुल्तानपुरी में भी कुछ दिन पहले ऐसी ही कहानी दोहराई गई, लेकिन यहां मामला कुछ अलग था. यहां एक महिला मंजू के साथ सुदामा उर्फ राजेश लिव इन रिलेशन में रहता था.

करीब 11 साल पहले दोनों के बीच दोस्ती हुई थी. दोनों 7 साल से एकसाथ रह रहे थे. राजेश को कई साल से बच्चे की चाह थी, लेकिन मंजू इस के लिए तैयार नहीं थी. इसी बात को ले कर दोनों के बीच अकसर लड़ाई होती थी. मंजू का कहना था कि जब बच्चे की चाह थी तो शादी करनी चाहिए थी, फिर लिव इन रिलेशन में रहने का इतने सालों तक बहाना क्यों बनाया. मंजू की यह बात राजेश को नागवार गुजरी और आखिर इसी बात को ले कर उस ने मंजू की हत्या कर दी.

3. नहीं बदली है सोच

दरअसल, पश्चिम की इस परंपरा को हम ने अपनी सुविधा के हिसाब से आत्मसात तो कर लिया, लेकिन हमारी सोच वैसी ही पुरातनपंथी बनी हुई है. सवाल यह है कि जब इस रिलेशनशिप में कोई भी पार्टनर कभी भी अलग हो सकता है तो यहां दबाव बनाने जैसी कोई बात होनी ही नहीं चाहिए थी.

राजेश को यह सोचना चाहिए था कि मंजू उस की पत्नी नहीं थी, इसलिए उस पर बच्चे के लिए दबाव बनाना सरासर गलत था. वहीं श्वेता का मुकेश पर शादी के लिए दबाव बनाना लिव इन रिलेशनशिप की कसौटी पर खरा नहीं कहा जा सकता है.

इस रिलेशन में अलग होने की सुविधा है. यह पारंपरिक शादी की तरह जटिल बंधन नहीं है. अलग होने के लिए लोगों को किसी की सहमति की जरूरत नहीं होती.

लिव इन रिलेशनशिप में अगर पार्टनर के साथ संबंध ठीक है, तो ठीक, नहीं तो उस रिलेशनशिप को वहीं पर खत्म कर दिया जाना चाहिए. इसे आगे बढ़ाने का मतलब है मौत को दावत देना. इस रिलेशनशिप में कंप्रोमाइज के लिए कोई जगह नहीं होती. वैस्टर्न कल्चर में यह ‘वाकइन, वाकआउट’ रिलेशनशिप मानी जाती है.

दोनों पार्टनर में से जो भी जब चाहे, इस से बाहर आ सकता है और दूसरे के खिलाफ नैतिक जिम्मेदारी, बदचलनी का आरोप नहीं लगाता है. दरअसल, पश्चिम के इस मौडल को हम ने अपना तो लिया है, लेकिन हमारी सोच जस की तस बनी हुई है. पुरुष लिव इन पार्टनर को अपनी प्रौपर्टी समझने की भूल कर बैठता है. वह अपनी पार्टनर के साथ आम पति की तरह व्यवहार करने लगता है वहीं युवती भी शादी की जिद करने लग जाती है, जोकि सही नहीं है.

एकदूसरे के साथ ज्यादा वक्त गुजारने पर युवक या युवती भावुक होने लगते हैं, जोकि इस रिलेशनशिप के लिए फिट नहीं बैठता. इसलिए कुछ भी गलत होने से पहले ही इस रिश्ते पर विराम लगा देना चाहिए.

4. भरोसे की कमी

अब मंगोलपुरी की ही वारदात को लीजिए. यहां लिव इन में रह रही युवती ने इसलिए खुदकुशी कर ली, क्योंकि उस का पार्टनर शराब पी कर आएदिन उसे पीटता था.

यहां भी युवक पुरातन पुरुषवादी मानसिकता का शिकार नजर आता है. युवती भी पुरानी फिल्मों की अभिनेत्री की तरह धोखा खाने की हालत में खुदकुशी कर लेती है. वह युवती पुलिस के पास जा सकती थी. उस युवक के खिलाफ केस दर्ज करा सकती थी और उस युवक का साथ छोड़ सकती थी, लेकिन उस ने तंग आ कर खुदकुशी का खतरनाक रास्ता चुन लिया.

कुछ दिन पहले दिल्ली की एक अदालत ने मिजोरम की एक युवती को अपने पार्टनर की हत्या के जुर्म में 7 साल की सजा और 7 लाख रुपए का जुर्माना सुनाया था. इस युवती ने 2008 में अपने नाईजीरियाई पार्टनर विक्टर ओकोन की इसलिए हत्या कर दी थी कि उस ने युवती को बिना बताए उस के अकाउंट से 49 हजार रुपए निकाल लिए थे.

इस से पता चलता है कि साथ रहने के बावजूद पार्टनर के बीच वह विश्वास कायम नहीं हो पाता है जो एक पतिपत्नी के बीच रहता है. अब सवाल यह है कि अगर विक्टर भरोसे के काबिल नहीं था तो वह युवती उस के साथ क्यों रह रही थी? वह उस से अलग हो कर अपने लिए नए पार्टनर की तलाश कर सकती थी, लेकिन बजाय अलग होने के उस ने इस जघन्य वारदात को अंजाम दिया.

5. चलन बढ़ने की वजह

कैरियर की दौड़ में आज शादी एक बंधन जैसी लगने लगी है. युवा पार्टनर एकदूसरे के करीब तो आते हैं, लेकिन उज्ज्वल भविष्य बनाने की वजह से  वे शादी की जिम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं होते. वे शादी को एक अड़ंगा मानते हैं लेकिन पार्टनर से वही सब चाहते हैं जो एक शादीशुदा पतिपत्नी का ही अधिकार है.

सैक्स शरीर की नैचुरल डिमांड है. साथ ही एक शख्स अपने इमोशंस को भी शेयर करना चाहता है, ऐसे में लिव इन रिलेशनशिप उन्हें बेहतर औप्शन नजर आता है.

इस दौरान वे पतिपत्नी की तरह एक ही छत के नीचे रहते हैं और फिजिकल रिलेशन भी बनाते हैं. इस से दोनों को न सिर्फ मैंटल सिक्युरिटी मिलती है, बल्कि दोनों का अलगअलग रहने का खर्च भी बच जाता है.

ज्यादातर लिविंग रिलेशन उन युवाओं में पाए गए हैं जो घर से दूर रह रहे हैं. उन के परिवार वालों को ऐसे रिश्ते की कोई खबर नहीं होती. लिविंग रिलेशन में रह रहे युवकयुवतियां अपने मांबाप या घर वालों से अपने रिश्ते को छिपा कर उन्हें अंधेरे में रखते हैं. ऐसे में बिना जवाबदेही के यह रिश्ता युवाओं को शुरुआती दौर में तो खूब रास आता है, लेकिन दिक्कत यह है कि लंबे समय बाद पार्टनर आम पतिपत्नी की तरह व्यवहार करने लग जाते हैं.

6. शादी और लिव इन रिलेशन

शादी महज एक बालिग युवकयुवती का मेल नहीं है. इस में 2 परिवारों का मिलन होता है. शादी से युवकयुवती को सामाजिक तौर पर एकसूत्र में बंधने की मान्यता हासिल होती है.

शादी से दोनों को सामाजिक प्रतिष्ठा मिलती है, लेकिन इस के उलट लिव इन अपनी जरूरतों के हिसाब से 2 युवाओं का मिलन है. शादी जहां एक तरह का स्थायी संबंध माना जाता है, वहीं लिव इन रिलेशनशिप में दोनों पार्टनर असुरक्षा की भावना के शिकार होते हैं.

दोनों के मन में डर रहता है कि न जाने उस का पार्टनर कब साथ छोड़ कर चला जाए. इस तरह के संबंधों में हमेशा तनाव की स्थिति बनी रहती है. यह रिश्ता समाज के दायरे से हट कर नितांत निजी रिश्ता है.

वहीं शादी इतनी जटिल प्रक्रिया है कि वहां दोनों युवकयुवती का अलग होना इतना आसान नहीं है. समाज उन्हें इस कीइजाजत नहीं देता. इस तरह से दोनों रिश्तों की अपनी खूबियां और खामियां हैं.

दरअसल, सवाल हमारी सोच का है. ग्लोबलाइजेशन के बाद से सभी मुल्कों के बीच परंपराओं का तेजी से आदानप्रदान बढ़ा है, लेकिन कईर् मामलों में हमारी स्थिति दो नावों पर सवारी करने जैसी होती है.

हम नई परंपराओं को स्वीकार तो कर लेते हैं, लेकिन अपनी पारंपरिक सोच नहीं  बदलना चाहते और यही वजह है कि हम उस में पूरी तरह से फिट नहीं हो पाते. लिव इन रिलेशन से जुड़े तमाम मामलों के पीछे यह एक महत्त्वपूर्ण कारण है.

7. युवतियों पर पड़ता है सब से अधिक असर

समाज सेविका आरती सिंह का कहना है कि ज्यादातर मामलों में ऐसे संबंध प्रेम पर नहीं, शारीरिक आकर्षण पर निर्भर होते हैं. शरीर का आकर्षण खत्म होते ही रिश्तों में दरार आनी शुरू हो जाती है. कपल के बीच झगड़े शुरू हो जाते हैं.

ऐसे संबंधों के टूटने का सब से ज्यादा असर युवतियों पर पड़ता है. पुरातन सोच रखने वाला हमारा समाज एक ऐसी युवती को कभी सम्मान नहीं देना चाहता है जो शादी से पहले किसी युवक के साथ एक ही घर में रह चुकी हो.

ऐसे में युवतियों को अपना भविष्य अंधकारमय नजर आने लगता है. आज भी इस पुरुष प्रधान समाज में पुरुष की गलती को नजरअंदाज किया जाता है. ऐसे में युवतियां अवसाद की शिकार हो जाती हैं और खुदकुशी जैसा खतरनाक कदम उठा लेती हैं.

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