लिवइन रिलेशनशिप में कितना प्यार कितना धोखा

हाल ही में हमने सुशांत और रिया की लिवइन रिलेशनशिप का अंत देखा जो बहुत ही दुखद और गंदा रहा. रिया पर न सिर्फ अपने पार्टनर सुशांत के साथ धोखा करने पैसों का हेरफेर करने और ड्रग्स दे कर उसे मानसिक रूप से बीमार करने के आरोप लग रहे हैं बल्कि उसे सुशांत को अपने परिवार वालों से दूर करने का दोषी भी माना जा रहा है. हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं और कहीं न कहीं रिया दोषी भी साबित होती जा रही है. सवाल उठता है कि यह कैसा प्यार था जहां अपने ही साथी को आप गलत तरीके आजमा कर बरबाद कर डालते हो, मरवा देते हो या आत्महया के लिए मजबूर कर देते हो.

हाल ही में दिल्ली में ऐसा ही एक केस आया. लिवइन में रह रही एक शादीशुदा महिला का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया. महिला का पति से विवाद चल रहा था. वह फिलहाल वेस्ट विनोद नगर में एक शख्स के साथ लिवइन में रह रही थी. मृतका की पहचान ममता के तौर पर हुई है. वह एक सरकारी अस्पताल में प्राइवेट गार्ड की नौकरी करती थी. परिजनों ने लिवइन पार्टनर ब्रह्म सिंह उर्फ कल्लू पर हत्या का आरोप लगाया है. पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है. आरोपी ब्रह्म सिंह फरार है जिस की तलाश में पुलिस जुटी है.

प्यार तो एक खूबसूरत एहसास है. प्यार सच्चा हो तो इंसान की जिंदगी बदल जाती है. उसे दुनिया की हर ख़ुशी मिल जाती है. मगर प्यार में बेईमानी की मिलावट जीवन तबाह भी कर सकती है. इस प्यार के रंग भी अजीब है. कभी दो अजनबी शादी के बाद प्यार के बंधन में जुड़ते हैं तो कभी दो प्यार करने वाले किसी एक छत के नीचे रह कर बिना शादी के भी इस बंधन में बंध जाते हैं.

प्यार में कभी इंसान किसी पर मरता है तो कभी किसी को मार भी जाता है. कभी प्यार इतना गहरा होता है कि एकदुसरे को देख लेना ही काफी होता है तो कभी रिश्ते इतने जटिल हो जाते हैं कि कानूनी लड़ाइयां लड़नी पड़ती हैं.

प्यार की कितनी ही खूबसूरत कहानियां हैं और इसी प्यार में डूबे लिवइन पार्टनर के अनुभव भी कम रोचक नहीं. वैसे भी लिव-इन का चलन समाज में काफी समय से रहा है. अंतर सिर्फ इतना है कि पहले यह रिश्ता छिपछिप कर बनाया जाता था अब खुलेआम बनाए जाते हैं. पर इस रिश्ते की खूबसूरती तभी है जब इसे ईमानदारी और प्यार से निभाया जाए.

अमृता और इमरोज का रूहानी लिवइन रिलेशनशिप

एक चित्रकार और एक कवयित्री का खूबसूरत मिलन जिस में उन्होंने प्रेम का एक अनोखा संसार रचा था. इमरोज एक चित्रकार थे और अमृता प्रीतम एक कवयित्री.

अमृता ने स्त्री आज़ादी को जिया और वह भी एक ऐसे दौर में जब वह सब करना आसान नहीं था. अमृता के लिए आज़ादी का मतलब था भावनात्मक आज़ादी और फिर सामाजिक आज़ादी. अपने जीवन में उन्होंने ये दोनों आज़ादी हासिल की.

31 अगस्त, 1919 को जन्मी अमृता के लिए लिखना एक करियर नहीं बल्कि जुनून था. उसी जूनून के साथ उन्होंने अपने रिश्तों को भी जीया.

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उस दौर में जब कोई लिवइन रिलेशनशिप के बारे में सोच नहीं सकता था, अमृता ने ऐसा किया. दुनिया में हर आशिक़ की तमन्ना होती है कि वह अपने इश्क़ का इज़हार करे. लेकिन अमृता और इमरोज़ इस मामले में अनूठे थे. उन्होंने कभी भी एकदूसरे से नहीं कहा कि वे प्यार करते हैं.

अमृता इमरोज़ एक ही छत के नीचे अलगअलग कमरों में रहते रहे. अमृता को रात में लिखने की आदत थी ताकि कोई शोरगुल न हो. इमरोज़ तब सोते थे लेकिन अमृता को लिखते वक़्त चाय चाहिए होती थी. इसलिए इमरोज़ उन के लिए रात में एक बजे चाय बनाते थे. उन का प्रेम एक ऐसा प्रेम था जहां कोई दावेदार न था.

इमरोज़ ने अमृता की ख़ातिर अपने करियर के साथ भी समझौता किया. उन्हें कई ऑफर मिले लेकिन उन्होंने अमृता के साथ रहने के लिए उन्हें ठुकरा दिया.

जीवन की आख़िरी सांस तक इमरोज़ ने अमृता का साथ निभाया. कूल्हे की हड्डी टूटने से अमृता बिस्तर पर आ गईं. तब उन्हें नहलाना, धुलाना, खिलाना, पिलाना, सुलाना सब इमरोज़ करते रहे.

31 अक्तूबर 2005 को अमृता ने आखिरी सांस ली लेकिन इमरोज का कहना था कि अमृता उन्हें छोड़ कर नहीं जा सकतीं वह अब भी उन के साथ हैं. इमरोज ने लिखा था – उस ने जिस्म छोड़ा है, साथ नहीं.

तिवारी और उज्ज्वला का कनैक्शन

कभी देश के कद्दावर नेताओं में शुमार किए जाने वाले नारायण दत्त तिवारी की राजनीति से इतर निजी जिंदगी में काफी हलचल बनी रही. अपने जीवन के 80वें दशक के अंतिम दौर में उन्हें सब से मुश्किल दौर का सामना करना पड़ा जब रोहित शेखर नाम के युवा ने तिवारी के खिलाफ पितृत्व का केस कर दिया और उन्हें अपना जैविक पिता माना.

कोर्ट ने इस के लिए तिवारी का डीएनए सैंपल टेस्ट लेने का आदेश दिया. 29 मई 2011 को उन्हें डीएनए जांच के लिए अपना खून देना पड़ा. इस डीएनए जांच की रिपोर्ट 27 जुलाई 2012 को दिल्ली हाईकोर्ट में खोली गई. रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि तिवारी रोहित के जैविक पिता हैं और उज्जवला जैविक माता.

डीएनए रिपोर्ट आने के 2 साल के अंदर 14 मई, 2014 को एनडी तिवारी ने लखनऊ में रोहित की मां उज्ज्वला के साथ शादी कर ली. विवाह के समय उन की उम्र 88 साल थी.

रोहित शेखर की मां उज्ज्वला शर्मा की तिवारी से पहली मुलाकात 1968 में अपने पिता के घर हुई थी. तब वह उम्र के तीसरे दशक में थीं और तलाकशुदा थीं. उस वक्त तिवारी युवा कांग्रेस के अध्यक्ष थे. धीरेधीरे उन का परिचय बढ़ा और तिवारी के अप्रोच करने पर दोनों एकदूसरे के करीब आ गए. उन के बीच रिश्ता कायम हुआ.

पति, पत्नी और वो

पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस और जया जेटली का रिश्ता बेहद खास था. जॉर्ज ने 1971 में लैला कबीर से शादी की थी.

चार साल बाद ही देश में आपातकाल लागू हो गया. उस समय उन की पत्नी अमेरिका चली गईं और करीब दो वर्षों तक दोनों में कोई संवाद नहीं हो सका. आपातकाल के बाद बनी जनता पार्टी की सरकार में जॉर्ज केंद्रीय मंत्री बने.

उसी दौर में जया के पति अशोक जेटली जॉर्ज के विशेष सहायक थे. यही वह समय था जब जया से उन की मुलाकात हुई. जल्द ही वह उन के साथ काम करने लगीं. दोनों एकदूसरे के करीब आए .

बात 2010 की है. जॉर्ज बीमार हो गए और पत्नी लैला उन के पास लौट आईं. जॉर्ज अल्जाइमर से पीड़ित थे. जया जॉर्ज से मिलना चाहती थीं लेकिन लैला ने उन्हें मिलने से रोक दिया. 2012 में जया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. शीर्ष कोर्ट ने उन्हें हर 14 दिनों पर 15 मिनट के लिए मुलाकात की अनुमति दे दी.

तेज़ाब का दर्द कम किया लिवइन पार्टनर ने

हाल ही में दीपिका पादुकोण ने एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी पर आधारित फिल्म छपाक में लक्ष्मी की भूमिका निभा कर उस की कहानी लोगों तक पहुंचाई. वर्ष 2005 में एक सिरफिरे आशिक द्वारा अपने ऊपर तेजाब फेंकने की घटना के बाद भी लक्ष्मी ने हार नहीं मानी और एसिड अटैक की शिकार लड़कियों के लिए काम करना शुरू किया. देशभर में तेजाब हमले का शिकार हो चुकी युवतियों और महिलाओं को संबल प्रदान करना उन की जिंदगी का लक्ष्य हो गया. इसी दौरान लक्ष्मी की मुलाक़ात सामाजिक कार्यकर्ता आलोक से हुई.

वह आलोक से प्रभावित हुईं. निकटता बढ़ती गई और दोनों दो जिस्म एक जान हो गए. लक्ष्मी को अपना एक साथी मिल गया और जीवन थोड़ा सुगम हो गया. वे दोनों एक साथ लिवइन रिलेशन में रहने लगे.

मगर अब लक्ष्मी और आलोक साथ नहीं हैं. लक्ष्मी एक सिंगल मदर हैं. वह बताती हैं कि आलोक को जब लगा कि अलग होना है तो वह अलग हो गए. जिस तरह दोनों खुशी से साथ आए थे उसी तरह अलग भी हो गए.

इसी तरह जोन अब्राहम और बिपाशा बासु, रणवीर कपूर और कटरीना कैफ, देव पटेल और फ्रीडा पिंटो, आमिर खान और किरण राव, कुणाल खेमू और सोहा अली खान, सैफ अली खान और करीना कपूर जैसे कई स्टार भी लिवइन रिलेशन में रह चुके हैं.

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समाज का नजरिया

समाज में सदियों से कन्यादान और वर्जिनिटी की मान्यताएं चली आ रही हैं. ऐसे में लिवइन को समाज में अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता. ज्यादातर लोगों का मानना यही होता है कि शादी जहां उम्र भर साथ निभाने और जिम्मेदारियां निभाने का बंधन है वही लिवइन जिम्मेदारियों से भागने का शिगूफा है.

खासकर लिवइन का चलन लड़कियों के भविष्य के लिए कई सारे सवाल खड़े करता है. ज्यादातर लोगों की सोच है कि पुरुष तो कुछ समय साथ रहने के मजे ले कर जब चाहे अलग हो सकते हैं मगर लड़कियों को फिर उम्र भर रोना पड़ता है. अपनी वर्जिनिटी खो कर उसे कुछ हासिल नहीं होता सिवा पछतावे के.

आज के बहुत से युवा ऐसी मान्यताओं और सोच को दरकिनार कर लिवइन रिलेशनशिप का स्वाद चखने को बेताब मिलते हैं. वे शादी जैसे मसले पर काफी कन्फ्यूज रहते हैं इस लिए कमिटमेंट से डरते हैं और पहले कम्पैटबिलिटी चेक करना चाहते हैं.

क़ानून की नजर में

आजकल लिवइन में रह रही लड़कियों को भी काफी अधिकार मिलने लगे है. महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कानून बनाए गए हैं ताकि कोई पुरुष केवल सेक्स संबंध के लिए किसी लड़की के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बाद छोड़ न सके. अगर वह छोड़ता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है. लिवइन में रहने वाली महिलाओं के पास ऐसे कई कानूनी अधिकार हैं जो भारतीय पत्नी को संवैधानिक तौर पर दिए गए हैं.

1. घरेलू हिंसा से सुरक्षा

2. संपत्ति में अधिकार

3. संबंध टूटने की स्थिति में मैंटेनैंस एलुमनी का हक़

4. बच्चे को संपत्ति में अधिकार- लिवइन में पैदा हुए बच्चों को भी अपने मांबाप की संपत्ति पर अधिकार मिलेगा. लेकिन पुस्तैनी जायदाद पर ऐसे बच्चों को हक़ नहीं दिया गया है.

लिवइन में रहने के बाद कोई लड़का किसी लड़की को छोड़ देता है तो कोर्ट उस के हक़ दिलाने का काम करेगा. इस हक़ के लिए पीड़िता लड़की को लिवइन में होने के सबूत खासकर आर्थिक लेनदेन के कागज कोर्ट के सामने पेश करने होंगे.

लिवइन रिलेशनशिप के फायदे

पहले से पार्टनर को समझने का मौका मिलता है. इंसान की कुछ ख़ूबियां और खामियां ऐसी होती हैं जिन का पता साथ रहने पर ही चलता है. ऐसे में साथ रह कर यदि आप को महसूस होता है कि आप पार्टनर के साथ एडजस्ट नहीं हो सकते तो आप के पास अलग होने का विकल्प खुला होता है.

लिवइन पार्टनर्स को ब्रेकअप के लिए फैमिली ड्रामे और लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से नहीं गुजरना पड़ता. जब चाहें बहुत आसानी से अलग हो सकते हैं.

इस रिश्ते में रहतेरहते ज्यादा कानूनी अधिकारों के लिए विवाह के बंधन में भी बंध सकते हैं.

दोनों पार्टनर अपनी जिम्मेदारियां बिना किसी दबाव के निभाते हैं. रिश्ते में एक सहजता रहती है.

यह रिश्ता अधिक बोझिल नहीं होता. ऐसे में दोनों पार्टनर पूरी तरह से निजी रूप से आजाद होते हैं.

लिवइन रिलेशनशिप के नुकसान

लिवइन पार्टनर्स को अक्सर घर ढूंढने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. क्योंकि ज्यादातर लोग ऐसे रिश्तों को सही नहीं मानते और ऐसे कपल्स को घर किराये पर देने से हिचकिचाते है.

जॉइंट अकाउंट्स, इंश्योरंस और वीजा आदि के ऑफिसियल डॉक्यूमेंटेशन में कठिनाई आ सकती है.

बंधन में न बंधने की आजादी तो होती है पर जिंदगी खुल कर एन्जॉय नहीं कर पाते क्योंकि अविश्वास की भावना पनपने का डर बना रहता है.

पार्टनर द्वारा कमिट्मेंट तोड़े जाने का डर रहता है. जिस से मन में तनाव रहता है.

कई बार पार्टनर आप को धोखा दे देता है और आप कुछ नहीं कर पाते हो.

लिवइन रिलेशनशिप में आप परिवार की खुशी का मजा नहीं ले सकते. कहीं न कहीं आप का अपना परिवार आप से दूर होता जाता है. क्योंकि लोग आसानी से इसे स्वीकृति नहीं देते.

रखें ध्यान

किसी के साथ लिवइन में रहना गलत नहीं मगर उस पर आंख मूंद कर विश्वास कर लेना गलत है जैसा कि सुशांत ने किया था. हर रिश्ते में एक स्पेस जरूरी है. अपने लिवइन पार्टनर को अपने जीवन से जुड़े हर फैसले लेने की अनुमति न दें. अपने बैंक के डाक्यूमेंट्स और सोशल मीडिया अकाउंट्स हैंडल करने का हक़ उसे कतई न दें. कुछ चीज़ों में प्राइवेसी रखनी चाहिए क्यों कि वह कानूनी तौर पर आप का हमसफ़र नहीं है.

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