#coronavirus: क्या 15 अप्रैल से खुलेगा Lockdown?

अब जबकि 21 दिनों का Lockdown डाउन अपने आखिरी सप्ताह में है, तो हर हिंदुस्तानी एक दूसरे से यही सवाल पूछ रहा है. जो यह सवाल किसी और से नहीं पूछता उसके भी जहन में इस समय यही सवाल घूम रहा है, क्या 21 दिनों के बाद 15 अप्रैल से Lockdown डाउन खुल जायेगा? सच बात तो यह है कि इस सवाल का अंतिम जवाब 15 अप्रैल को ही मिलेगा. उसकी वजह यह है कि पिछले 15 दिनों में इस सवाल का जवाब हर दिन ‘हां’ और ‘न’ के दायरे में झूलता रहा है. हालांकि पीएमओ ने पिछले हफ्ते पूरी दृढ़ता से इस बात से इंकार कर दिया था कि Lockdown डाउन 21 दिन के बाद भी जायेगा. पीएमओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से आकर कहा था कि सरकार का फिलहाल Lockdown डाउन आगे बढ़ाने का इरादा नहीं है. लेकिन पिछले तीन दिनों से जिस तरह से हर गुजरते दिन के साथ कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है, उससे लगातार यह आशंका मजबूत हो रही है कि अव्वल तो 14 अप्रैल के बाद शायद ही Lockdown डाउन खत्म हो, अगर होगा भी तो बहुत कम दिनों के लिए, बहुत सारी शर्तों के साथ.

निश्चित रूप से इसकी वजह यही है कि Lockdown डाउन जिस मकसद से किया गया था, वह मकसद अभी पूरी तरह से हासिल नहीं हुआ है. हालांकि यह भी अंदरखाने से खबरें आ रही हैं कि Lockdown डाउन खत्म करने के तमाम उपाय किये जा रहे हैं. इसकी तमाम संभावनाओं पर काम हो रहा है. लेकिन अगर संक्रमित लोगों की संख्या में स्थिरता या पिछले संक्रमित लोगों के मुकाबले, नये लोगों की संख्या में कुछ कमी नहीं आती तो शायद ही Lockdown डाउन खत्म किया जा सके. वैसे भी Lockdown डाउन तो आगे बढ़ना ही है, अब सवाल यह है कि सूत्रों के जरिये जो बातें बाहर आ रही हैं, उनमें कई फार्मूले हैं. एक तो यह कि 15 अप्रैल से 5 दिनों के लिए हिदायतों के साथ Lockdown डाउन खोल दिया जाए और 5 दिनों के बाद इसे फिर 28 दिन के लिए लगा दिया जाए.

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कुल मिलाकर जो तमाम किंतु परंतु सामने हैं, उनसे मिलकर जो एक समीकरण बन रहा है, उससे तो यही लग रहा है कि Lockdown डाउन में थोड़ी बहुत ढील या कुछ दिनों की ढील जरूर मिले लेकिन

Lockdown डाउन फिलहाल अगले 2 महीने तक आंख-मिचैली करता रहेगा. इसकी भनक सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों में लिये गये समयावधि से भी मिलती है. मसलन- रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया ने बैंकों से ईएमआई पर जो छूट देने के लिए कही थी, वे छूटें 31 मई तक हैं. सरकार के अगर एफसीआई द्वारा खाद्यान्न वितरण योजना पर ध्यान दें तो वहां पर भी 2 महीने का खाद्यान्न वितरण की बात हो रही है. कुछ जानकार कह रहे हैं Lockdown डाउन तीन किस्तों का होगा. पहली किस्त पूरी होने के बाद पांच दिन की मोहलत मिलेगी. फिर 28 दिन का Lockdown डाउन होगा, 28 दिन खत्म होने के बाद फिर पांच की मोहलत मिलेगी. फिर उसके बाद 18 दिनों का Lockdown डाउन होगा.

जब 21 दिनों का Lockdown डाउन शुरु हुआ था तो कम से कम मेडिकल एक्सपर्ट को लग रहा था कि इससे कोरोना के संक्रमण में काफी कमी आयेगी. संक्रमण की चेन टूट जायेगी. लेकिन दुर्भाग्य से जिस तरह से मरकज फैक्टर इस योजना के आडे़ आ गया, उसके चलते लग रहा है कि पुरानी सारी सोच बदल चुकी है. लेकिन इसका एक दूसरा और कहना चाहिए भयावह पहलू यह भी है कि हर गुजरते दिन के साथ देश की बहुत बड़ी जनसंख्या का आर्थिक जीवन बहुत दूभर हो जायेगा. लगातार लोगों की आर्थिक परेशानियां बढ़  रही हैं. सरकार ने जितनी घोषणाएं की हैं, वे आमतौर पर या तो महज भोजन तक सीमित हैं या महज तात्कालिक कर्ज देनदारियों तक. देश की 92 फीसदी वर्कफोर्स अनआर्गेनाइज्ड क्षेत्र से रोजगार पाती है और Lockdown डाउन के चलते हर दिन यह असंगठित क्षेत्र भयानक रूप से चिंताग्रस्त होता जा रहा है.

अगर अर्थशास्त्रियों के अलग अलग अनुमानों को आपस में जोड़कर एक औसत निष्कर्ष निकालें तो अब तक के Lockdown डाउन से यानी 5 अप्रैल 2020 तक Lockdown डाउन से ढाई करोड़ नौकरियां खत्म हो गई हैं. ऐसा नहीं है कि ये ढाई करोड़ लोग इस Lockdown डाउन की अवधि में काम कर रहे थे और अब इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है. नहीं, यह आंकलन 14 अप्रैल के बाद नौकरी न पाने वाले आशंकित कामगारों का है. भले कहा जा रहा हो कि हर ठीक ठाक आर्थिक स्थिति वाला व्यक्ति 40 लोगों की जिम्मेदारी ले, लेकिन यह न तो व्यवहारिक रूप से संभव है और न ही सैद्धांतिक रूप से भी. आखिरकार देश दान या खैरात से स्थायी व्यवस्थाओं की कल्पना नहीं कर सकते.

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दरअसल अब तक के लौक डाउन के चलते ही करीब 10 लाख करोड़ रुपये की मैन्यूफैक्चरिंग और दूसरे आर्थिक क्षेत्र ध्वस्त हो चुके हैं. जब एक दिन की तालाबंदी होती है तभी औसतन एक लाख काम के घंटों का नुकसान होता है और अब तो पूरी तरह से Lockdown डाउन है. इसलिए हर दिन 3 करोड़ 20 लाख काम के घंटे बर्बाद हो रहे हैं. हर दिन करीब 60 हजार करोड़ रुपये की बनने वाली संपत्ति इस समय शून्य पर नहीं बल्कि नकारात्मक दिशा में है. इस सबके चलते इस बात पर भी सबकी नजर है कि क्या भारत की अर्थव्यवस्था इतना भयानक आर्थिक नुकसान झेलने की स्थिति में है? सच बात तो यही है कि Lockdown डाउन के बारे में सोचते समय हमारी स्थिति, आगे कुआं और पीछे खाईं वाली है. इसलिए 14 अप्रैल की रात या 15 अप्रैल की सुबह ही पता चलेगा कि Lockdown डाउन खुलेगा या नहीं खुलेगा? तब तक हम सब आपस में ही इस यक्ष प्रश्न को एक दूसरे से पूछेंगे और अपने-अपने मन के हिसाब से इसका जवाब देंगे.

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