लॉकडाउन सरप्राइज: क्या हुआ था रमा की बेटी के साथ

“ये देखो जी ,अब कल से शराब की दुकान भी खुल जाएगी .अब देखना लोग मधुमक्खी की तरह , दुकानों पर टूट पड़ेंगे .जमकर उड़ने लगेगी सोशल डिस्टेंस की धज्जियां .सड़क एक्सीडेंट भी बढ़ेगी और घरों के अंदर की हिंसा भी ” रमा ने चिढ़कर अखबार पटक दिया .

“हर बात को ,नकारात्मक दृष्टिकोण से ,नहीं देखना चाहिए .इससे राजस्व आय बढ़ेगी .सरकार इतने सारे ,सामाजिक कार्यक्रम,जो सभी के हित में चला रही है उसके लिए घन की आपूर्ति के स्रोत भी तो होने चाहिए ” सुरेश ने समझाया.

“हां हां ,आप तो पक्ष लेंगे ही न पिछले चालीस दिनों से ,मधुशाला खुलने का इंतजार ,ही तो कर रहे है .अपनी फैक्ट्री में ताला लगा है उसका इतना गम नहीं है जितना मधुशाला बन्द होने का हैं ”

“ये सब छोड़ो ,अपनी दिल्ली में बैठी बिटिया का,  दो दिन से फोन नहीं आया ,उसे जरा पूछो तो ,,क्या हाल है उसके ?” सुरेश ने टॉपिक बदला .

“वीकेंड में नेट पर फिल्म ,सीरिज देखने या फिर नीद निकाल कर समय बिता रही होगी ,बता रही थी कि सारे सरकारी , अर्धसरकारी ऑफिस में भी ऑनलाइन काम होने से , सॉफ्टवेयर कम्पनियों के ऊपर, अधिक कार्य भार बढ़ गया है .इसी से उसका कार्य भी, बहुत बढ़ गया है ” रमा ने जानकारी दी .

“यह अच्छा है कि दिल्ली में, उसके साथ चार लड़कियां फ्लैट शेयर कर रह रही है एक दूसरे का सहारा बनी है. हम इतनी दूर बाराबंकी , से उसके लिए कुछ कर भी नहीं सकते ” सुरेश परेशान हो उठा .

“हां हमने भी उसकी शिक्षा दीक्षा में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. ग्यारहवीं कक्षा से उसे लखनऊ भेज दिया था उसने भी वहीं से इंजीियरिंग के बाद ,तुरंत दिल्ली  में सॉफ्ट वेयर कंपनी ज्वाइन कर ली . बड़ी होशियार है अपनी बेटी” रमा ने बड़े गर्व से कहा .

“मैंने तो कई बार ,उसका मन टटोलने की कोशिश कर ली मगर वो कुछ बताती नहीं , अगर उसकी नज़र में कोई लड़का  नहीं है तो हम उसके लिए रिश्ते की बातचीत ,उचित घर वर देख कर शुरू करें “सुरेश ने चिंतित स्वर में कहा.

“हां जब छोटी थी तो हमेशा कहती थी, पापा आप अपने जैसा ही लड़का मेरे लिए ढूंढना ,बहुत बकबक करती रहती थी .मगर अब चुप चुप रहती हैं ज्यादा बात नहीं करती .पता नहीं पिछले दो सालों से ,जबसे दिल्ली गई है कुछ ज्यादा ही चुप रहने लगी है ” रमा उदास होकर बोली .

“तुम फिर निगेटिव बातें करने लगी ,अरे बड़ी हो गई है अब ,बचकानी बातों की, फुर्सत कहा है उसे ,अच्छा चलो अभी बात कर लेते हैं लगाओ अपनी लाडली  सुप्रिया को फोन”

“सुबह के दस बज गए हैं .वो ऑनलाइन कार्य में व्यस्त हो गई होगी अगर आज उसका फोन,  शाम तक न आया तो फिर मैं स्वयं, बात कर लूंगी”.

रविवार शाम को सुप्रिया ने ,अपने कुशल मंगल होने की ,सूचना दी और बोली “अच्छा फोन रखती हूं अभी हम फिल्म देख रहे हैं ”

रमा ने ,डायनिंग टेबल से बर्तन समेटते हुए सुरेश, से कहा “सुनिए जी मुझे तो कुछ दाल में काला लग रहा है वो जरूर हमसे कुछ छिपा रही हैं ”

बर्तन सिंक में रखकर ,सुरेश चुपचाप बर्तन धुलने लगा .उसका मन भी अब अपनी इकलौती संतान के प्रति चिंतित हो उठा था .रमा सच कहती हैं, अब सुप्रिया पहले की तरह मुखर नहीं रही .पहले अपनी पूरी दिनचर्या बताती थी ,उसे रोकना  पड़ता था कि भई बस कर ,मगर अब ,उसे न जाने क्या हो गया है . इकलौती संतान होने के बावजूद सुप्रिया , अनुशासन प्रिय और मेधावी छात्रा रही हैं  .उनके लाड़ प्यार का उसने कभी गलत फायदा नहीं उठाया .

दूसरे दिन सुबह रमा , समाचार सुनने के लिए , टी. वी के आगे चाय ,नाश्ता लेकर बैठ गई.पूरे देश से ,अलग अलग राज्यों के , कोरोना मरीजों के आंकड़े पेश होने लगे लेकिन कुछ देर बाद ही , जगह जगह सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ने की खबरें आने लगी .शराब की दुकानों के आगे उमड़ी भीड़ ने ,बेकाबू होना शुरू कर दिया था .

“अब क्या होगा ?लगता है सभी “शराब के साथ , कोरोना हैं मुफ़्त “,वाले ऑफर को लेने आए हैं “रमा बड़बड़ाई .

“अजी सुनते हो , यहां आकर तमाशा देखो “कोई प्रतिउत्तर न पाकर रमा घबरा उठी कि कहीं सुरेश भी मधुशाला की तरफ , न दौड़ गया हो .

उसने उठकर बेडरूम ,बाथरूम सब जगह, तलाशी लेना शुरू कर दिया .सुरेश को कहीं न पाकर वो छत की सीढियां जल्दी , जल्दी चड़ने लगी .तेजी से छत में पहुंचने के चक्कर में उसकी सांस फूल गई .

“अरे ऐसी भी क्या जल्दी है आराम से भी आ सकती थी ”

सुरेश ,रमा की धौंकनी की तरह से चलती सांस को देख कर बोला .

“मुझे टी. वी.की भीड़ देखकर ,ऐसा लगा मानों  किसी मुनि की चालीस दिन की तपस्या को ,सुरासुंदरी ने भंग कर दिया है और उसने सुरासुंदरी को शापित कर दिया कि जा, जो तुझे लेने को, संयम तोड़कर आए है ,तू उन्हें  कोरान्ना फैलाने का माध्यम बना .मुझे बहुत डर लग गया , इसीलिए मैं आपको ढूंढने निकल पड़ी ”

“इतनी अक्ल मुझे भी है. पता था ,आज ही दुकान खुली हैं लोग दौड़ पड़ेंगे . भीड़ भी होगी ,लंबी लाइन में भी लगना पड़ेगा और कहीं भगदड़ मची तो ,दो चार लाठी भी पड़ जाएगी . मैं तो कल आराम से जाऊंगा .  न भीड़  होगी और न वायरस पीछे पीछे घर आएगा “सुरेश ने छत में रखे गमलों में पानी डालते हुए कहा .

” सुनो जी , मैं सोच रही हूं कि एक पी पी ई किट तुम्हारे लिए खरीद लूं जब कभी भीड़ में जाओ तो पहन लेना ,पिछली गली में जो सरकारी सिलाई केंद्र है वहीं आजकल मास्क और किट बन रहे हैं “रमा की बात सुनकर सुरेश मन ही मन बहुत हंसा .फिर बोला “अरे मेरे पास दस्ताने ,मास्क और सैनिटाइजर मौजूद हैं जो बाहर जाकर, सामान लाने के लिए पर्याप्त हैं .वैसे भी ,मै किसी भीड़ भाड़ वाली जगहों पर नहीं जाता हूं ”

रमा को तसल्ली हो गई दोनों छत से नीचे उतर कर आ गए .

सुरेश टी.वी समाचार सुनने में और रमा कपड़ों के ढेर को धुलने में व्यस्त हो गई . शाम गहराती गई और सुरेश के हृदय में दुःख की कालिमा छाती गई वो बेसब्री से शाम के आठ बजने का इंतजार करने लगा .रोज शाम को आठ बजे का समय, उनकी बेटी ने ही फोन करने का तय किया था इससे पूर्व जब वो लखनऊ में थी तो कॉलेज के समय के अतिरिक्त उसका फोन कभी भी आ जाता या वे ही कॉल कर लेते .कभी तो सुबह ही बात होती मगर शाम को वो घर पहुंच जाती फिर कहती “सरप्राइज “.अब कहो तो कहती हैं वो  तो मेरा बचपना था .पता नहीं बच्चे इतनी जल्दी बड़े क्यों हो जाते हैं .सुरेश ने ठंडी सांस भरी .

शाम सात बजे ही फोन की घंटी बज उठी .सुरेश चौंक उठा .आज सात बजे ही सुप्रिया का फोन कैसे आ गया .

“सरप्राइज ,देखो पापा ,अब लॉक डाउन में घर नहीं आ सकती तो क्या ?जल्दी फोन कर सरप्राईज तो ,दे ही सकती हूं न “सुप्रिया चहकी . सुप्रिया की वीडियो कॉल की आवाज सुनकर रमा भी किचन से सब्जी काटने का सामान , उठाकर ले आई और सुरेश के बगल में बैठ कर बोली

“प्रिया तुम लोगों को सारा सामान उपलब्ध तो हो पा रहा हैं न ”

“अरे मम्मी ,आप भी किस दुनिया में रहती हैं यहां तो कॉल करो ,सामान तुरन्त हाज़िर हो जाता हैं .पापा अाई लव यू , आप वर्ड के बेस्ट पापा हो . आई लव यू मम्मी , आप वर्ड की बेस्ट मम्मी हो . सॉरी मम्मी अगर मेरी कोई गलती हो तो मुझे माफ़ कर देना ,पापा आप भी मुझे माफ कर देना .क्या पता ,कल मुझे वायरस ने जकड़ लिया और मै आपसे अपनी गलतियों की माफ़ी भी न मांग पाऊं . इसीलिए आज ही मांग ले रही हूं .मम्मी मुझे आपका बनाया खाना हमेशा याद आता है .पापा मुझे आपने कभी किसी बात के लिए नहीं रोका ,पापा आपने मुझे, हमेशा प्रोत्साहित ही किया .पापा आज मुझे घर आने का मन कर रहा है,मम्मी मै अपने हाथ का बना ,खाकर ऊब चुकी हूं “तभी उसके हाथ फोन छीन कर ,उसकी सहेली ऋचा ने कहा “सॉरी आंटी जी और अंकल जी,आप लोग प्रिया से ,कल आराम से ,बात कर लीजिएगा .आज इसकी तबियत कुछ ठीक नहीं है तभी बहकी बहकी बातें कर रही हैं “फिर फोन काट दिया .

रमा का तो दिल ही बैठ गया वो तो यूं भी मामूली बातों पर ट्सूएं बहाने लगती हैं आज तो महामारी काल है ऐसे में उसका अपनी बेटी का बड़बड़ाना ,दिल में खौफ पैदा कर गया . उसने देखा सुरेश मोबाइल पर सन्देश लिखने में लगा है .

“बड़े अजीब हैं आप ,बेटी की कोई चिंता नहीं हैं ? मैसेज मैसेज खेलने लगे ” रमा गुस्से से बोली “बेटी की हालत देखी ?कितनी बकवास कर रही हैं ”

अपने मोबाइल की ओर देखते हुए , सन्देश  की प्रतीक्षा में ,बैचेनी से पहलू बदलते हुए सुरेश ने अपनी पत्नी की ओर ताका ,कुछ कहना चाहा मगर फिर चुप्पी साध ली .

रमा का पारा चढ़ गया .कुछ समय के सन्नाटे के बाद सुरेश के फोन की मैसेज टोन  बज उठी .

मैसेज पढ़ कर सुरेश ने रमा की ओर ठंडी सांस भरकर कहा “बाप हूं मैं ,मुझे भी फिक्र हैं , परियों की तरह रखा हैं उसे ,आज  टी वी पर ,सुबह के समाचार में, लाल टीशर्ट और काली नेकर के साथ ही, उसके  मुंह पर बधे स्कार्फ को भी ,पहचान गया था .बस खुद को झूटी तसल्ली देता रहा कि वो हमारी सुप्रिया नहीं , कोई और ही है .अब उससे बात करके और उसकी दोस्त को मैसेज कर बात को कन्फर्म भी कर लिया है”

“अरे पहेलियां क्या बुझा रहे हो ? साफ साफ कहो “रमा बौखला कर बोली .

“टी . वी पर लगी शराब खरीदने की होड़ में,तुम्हारी बिटिया सबसे आगे लगी थी ,उसका नतीजा भी तुमने बात करके ,देख लिया है “सुरेश ने यह बात कहकर रमा की प्रतिक्रिया जाननी चाही .

“अच्छा सरप्राईज दिया आज तो, मैं तो उसकी हरकतों से डर गई थी  . इस बार जब घर लौट कर आएगी तो अच्छे से ख़बर लूंगी .फिर सुरेश की तरफ डबडबाई आंखों से देख कर बोली “वो सही सलामत घर लौट आयेगी न?”.

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