लड़की के इनकार के डर से मैं प्यार का इजहार नहीं कर पा रहा, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 18 वर्षीय युवक हूं. मैं अभी तक काफी अंतर्मुखी रहा हूं. चूंकि शुरू से लड़कों के स्कूल में पढ़ा हूं, इसलिए लड़कियों के साथ बात करने से घबराता हूं. साल भर से एक लड़की से प्यार करता हूं. लड़की की गली से जब कभी गुजरना होता है तो वह दिखाई पड़ जाती है. मेरे देखने पर वह मुसकराने लगती है. मुझे लगता है वह भी मुझ से प्यार करती है. एकाध बार राह चलते भी उस से मुलाकात हुई है. पर मैं प्यार का इजहार नहीं कर पाया. डरता हूं कि कहीं वह इनकार या कोई बवाल न कर दे. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

इस उम्र में अपोजिट सैक्स के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक है. पर सिर्फ देखने भर से उसे प्यार समझ लेना उचित नहीं है. यों तो आप की उम्र अपने कैरियर पर ध्यान देने की है, पर आप उक्त लड़की से फ्रैंडशिप करना चाहते हैं, तो इस के लिए आप को स्वयं पहल करनी होगी. उस के बाद ही मालूम चलेगा कि उस की आप में दिलचस्पी है या नहीं.

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साल 1993 में शाहरुख खान की मशहूर थ्रिलर फिल्म ‘बाजीगर’ आई थी. इस फिल्म के नायक और खलनायक शाहरुख ही बने थे. फिल्म ब्लौकबस्टर साबित हुई और शाहरुख खान रातोंरात सुपरस्टार बन गए, जिस के बाद उन के पांव कभी थमे नहीं. इस फिल्म का जिक्र करने का मकसद शाहरुख की बुलंदियों को बताने का नहीं है, बल्कि फिल्म के एक खूबसूरत गाने, ‘छिपाना भी नहीं आता, जताना भी नहीं आता…’ से है जो एक पार्टी में बज रहा होता है. यह गाना आशिकों की साइकोलौजी को दर्शाता है. अब इस गाने के बोल और उस में दिखाए कैरेक्टर हैं ही इतने दिलचस्प कि बात बननी लाजिमी है.
मामला यह है कि इस फिल्म में इंस्पैक्टर करण की भूमिका निभा रहे सिद्धार्थ रे कालेज के दिनों से ही प्रिया (काजोल) से प्यार करते थे. अपनी हथेलियों में प्रिया का नाम गुदवाए जहांतहां घूमा करते थे, चोरीचुपके उसे देखा करते थे, अंदर ही अंदर उसे अपनी प्रियतमा बना चुके थे, लेकिन जनाब कभी समय पर हाल ए दिल का इजहार ही नहीं कर पाए. फिर क्या, अजय शर्मा (शाहरुख) इतने में एंट्री मारते हैं और प्रिया के प्रेम की बाजी मार ले जाते हैं. अब ये करण जनाब पछताते हुए पूरी पार्टी में यही गाना गाते फिर रहे हैं. अजय के हाथों में प्रिया का हाथ देख रहे हैं तो खुद पर अफसोस जताते रह जाते हैं. यह तो है कि अगर करण साहब समय पर प्रिया से प्रेम का इजहार कर देते तो शायद पार्टी में अपना दुखड़ा न सुना रहे होते. हो सकता था इंस्पैक्टर करण ही बाजीगर कहलाए जाते.

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मुझे एक लड़की ने रिजेक्ट कर दिया, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं 17 साल का लड़का हूं और एक लड़की से प्यार करता हूं. मैं ने उसे आई लव यू कहा तो उस ने ना कर दी, लेकिन वह अब भी मेरे साथ बातचीत करती है. मैं उसे एक बार फिर से आई लव यू कहना चाहता हूं, तो बताइए उसे किस प्रकार आई लव यू बोलूं?

जवाब

पहले तो यह समझ लीजिए कि प्यार किया नहीं जाता हो जाता है, जो आप को उस से हो गया है लेकिन उसे आप से नहीं. आप के पत्र से लगता है कि वह आप की फ्रैंडशिप में तो है, लेकिन आप से प्यार नहीं करती. इस तरह आप का प्यार एकतरफा है. ऐसे में आई लव यू कहने से बात बनने वाली नहीं. उस के दिल में उतरना होगा आप को. उस की पसंदीदा हर बात कीजिए, फिर शायद उधर से ही आई लव यू कह दिया जाए, लेकिन जल्दबाजी न कीजिए. उस की भावनाओं का सम्मान करते हुए उचित मौका देख कर प्यार से एक बार फिर इश्क का इजहार कर दीजिए. यदि वह आंखें नीची कर मुसकरा दे तो प्यार का इकरार समझ लीजिए. हां, जोरजबरदस्ती कभी न कीजिएगा वरना दोस्ती से भी हाथ धो बैठेंगे.

किशोरावस्था में स्कूल व ट्यूशन में कब कोईर् किशोरी अच्छी लगने लगती है, इस का पता ही नहीं चलता लेकिन उसे देख कर हमें कुछकुछ होने लगता है. हम उस से बात करने का बहाना ढूंढ़ते हैं, फ्रैंडशिप की कोशिश करते हैं. यहां तक कि फेसबुक पर सर्च कर उसे फैंरड रिक्वैस्ट तक भेज देते हैं.

कभीकभी हम जल्दबाजी में कई ऐसी गलतियां कर देते हैं जिन से सब के बीच हम मजाक के पात्र बन जाते हैं. कई बार तो किशोरी हमें ठीक से जानती भी नहीं है, लेकिन हम अपने दिल की बात उसे बता देते हैं और वह इसे डिफ्यूज कर देती है, इस से सबकुछ गड़बड़ हो जाता है.

अगर आप को कोई किशोरी अच्छी लगने लगी है तो उसे तुरंत प्रपोज करने के बजाय पहले उस से दोस्ती करें. यदि दोस्ती के बाद भी आप को समझ नहीं आ रहा कि कैसे शुरुआत करें तो कुछ बातों का ध्यान रखें:

अच्छा व्यवहार करें

आप अपने क्रश से अच्छा व्यवहार करें. ऐसा न हो कि उस के आते ही आप की बौडी लैंग्वेज और आवाज बदल जाए. आप के लहजे से ऐसा लगे कि आप किसी राजकुमारी से बात कर रहे हैं. आप उस के साथ भी वैसे ही बरताव करें जैसा आप अपने बाकी दोस्तों के साथ करते हैं.

साफसुथरे नजर आएं

यदि आप किसी लड़की को पसंद कर रहे हैं तो आप का साफ और अच्छा दिखना बहुत जरूरी है, क्योंकि हमारा ध्यान किसी भी आकर्षक पर्सनैलिटी पर जाने से पहले कई चीजों पर जाता है जैसे मुंह की बदबू, पसीने की बदबू, इसलिए अच्छी हाइजिन हैबिट बनाएं ताकि किशोरी आप से बात करने में हिचकिचाए नहीं बल्कि खुद भी दोस्ती की पहल करे.

पौजिटिव नजरिया रखें

हमेशा लोग उन के साथ रहना पसंद करते हैं जो खुश रहते हैं और पौजिटिव नजरिया रखते हैं, इसलिए आप भी अच्छा बनने की कोशिश करें. दूसरों की बुराई करने के बजाय उन की अच्छाइयों को देखें.

नर्वस न हों

अकसर हम जब किसी को पसंद करते हैं तो उस के सामने आते ही हमारी धड़कन तेज हो जाती है और हम नर्वस हो जाते हैं. समझ नहीं पाते कि क्या करें. इसी वजह से छोटीछोटी गलतियां कर बैठते हैं, इसलिए यदि आप चाहते हैं कि कोई गलती न हो तो बजाय नर्वस होने के कौन्फिडैंट हो कर दिल जीतने की कोशिश करें.

प्रपोज करने के बजाय दोस्ती करें

जब आप को कोई किशोरी अच्छी लगने लगे तो उसे एकदो मुलाकातों के बाद ही प्रपोज न करें बल्कि दोस्ती करें. उसे जानने की कोशिश करें तथा उस की पसंदनापसंद को जानें. एकदम से प्रपोजल मिलने से लड़कियां थोड़ी घबरा जाती हैं और दोस्ती करने से मना कर देती हैं.

दिल की बात जानने की कोशिश करें

आप के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप सामने वाले के दिल की बात जानें. ऐसा भी हो सकता है कि आप जिसे लाइक कर रहे हैं वह किसी और को लाइक करती हो और आगे जा कर आप को तकलीफ हो इसलिए बातोंबातों में पहले ही दिल की बात जानने की कोशिश करें.

सरप्राइज दें

आप अपनी बौंडिग बढ़ाने के लिए सरप्राइज प्लान करें. उस के पसंदीदा काम करें जिसे देख वह खुश हो जाए, पर ध्यान रहे ऐसा सरप्राइज न प्लान करें कि वह सरप्राइज के बजाय शौक्ड हो जाए.

प्रोत्साहित करें

हर किसी को प्रोत्साहन अच्छा लगता है. ऐसा लगता है कि कोई है जिसे हमारा काम पसंद आता है. अगर वह किसी काम को नहीं कर पा रही है तो उस में विश्वास पैदा करें कि वह कर सकती है. यदि उसे किसी चीज से फोबिया है तो उस का फोबिया दूर करने की कोशिश करें. यकीन मानिए आप का केयरिंग नेचर देख कर किशोरी जरूर इंप्रैस होगी.

हौबी में दिखाएं रुचि

हर किसी की हौबी अलग होती है, लेकिन फिर भी आप किशोरी की हौबी में रुचि दिखाएं, इस से आप दोनों को बातचीत करने और एकदूसरे को जाननेसमझने का मौका तो मिलेगा ही, साथ ही आप कुछ नया भी सीख पाएंगे. लेकिन ऐसी बातें न करें जिन में आप को मजा न आता हो.

पढ़ाई को बनाएं प्यार का टूल

जब आप को क्लास की कोई लड़की अच्छी लगने लगती है तो आप अपने प्यार का एहसास कराने के लिए पढ़ाई को टूल बनाएं. पढ़ाई के बहाने उस के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं. एकदूसरे से नोट्स शेयर करें. इस से आप की पढ़ाई भी हो जाएगी और आप एकदूसरे के करीब भी आ जाएंगे.

तारीफ से मिटाएं दूरियां

अपनी तारीफ सुनना भला किसे अच्छा नहीं लगता. आप भी तारीफ से दिल में जगह बना सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे जब तारीफ करें तो ऐसा नहीं लगना चाहिए कि आप चापलूसी कर रहे हैं.

खास अवसरों को रखें याद

किशोरियों को बहुत अच्छा लगता है जब कोई उन्हें उन के स्पैशल डे पर सरप्राइज देता है, इसलिए अपने क्रश के खास दिन को याद रखें. आप चाहें तो फोन में रिमाइंडर लगा सकते हैं या डायरी में नोट कर के रख सकते हैं ताकि आप भूलें नहीं.

क्या न करें

चिपकू बनने की गलती न करें

जब कोई लड़की हमें अच्छी लगने लगती है तो हम उस के आसपास मंडराने का बहाना ढूंढ़ते हैं. वह जहां जाती है उस के पीछेपीछे चले जाते हैं. उस का बात करने का मन हो चाहे न हो, लेकिन फिर भी किसी न किसी बहाने उस से बात करते हैं. अगर आप ऐसा करते हैं तो अब मत करिए, क्योंकि ऐसा कर के आप खुद को चिपकू साबित करते हैं. अत: ऐसा माहौल बनाएं कि वह खुद आप के पास आने की कोशिश करे.

क्लास में न पीटें ढिंढोरा

अगर आप को क्लास की कोई लड़की अच्छी लगती है तो सब को इस बारे में न बताएं, क्योंकि जब किशोरी को क्लास के किसी स्टूडैंट से पता चलेगा तो वह सब के सामने आप को भलाबुरा कह देगी, इसलिए अपने दिल की बात अपने तक ही सीमित रखें. यदि आप किसी को बताना भी चाहते हैं तो अपने किसी ऐसे दोस्त को बताएं जिस पर आप को भरोसा हो कि वह यह बात किसी से नहीं कहेगा.

पढ़ाई के समय न करें चैटिंग से डिस्टर्ब

आप को कोई लड़की अच्छी लगती है तो इस का यह मतलब नहीं कि आप हर समय मैसेज करते रहें, खासकर पढ़ाई के समय. ऐसा कर के आप न केवल सामने वाले को डिस्टर्ब करते हैं बल्कि इस से आप की पढ़ाई पर भी असर पड़ता है इसलिए हर वक्त मैसेज करने के बजाय एक समय तय करें.

महंगे गिफ्ट्स में न करें पैसे बरबाद

किशोर सोचते हैं कि गिफ्ट दे कर ही दिल जीता जा सकता है और इस के लिए वे अपने दोस्तों से पैसे उधार लेते हैं. आप ऐसा कुछ न करें, अगर गिफ्ट देना ही चाहते हैं तो हैंडमेड चीजें दें, ताकि सामने वाले को आप की मेहनत व प्यार दिखे.

रिजैक्शन खुद पर हावी न करें

अगर किसी लड़की ने आप के प्रपोजल को ठुकरा दिया है तो इस रिजैक्शन को खुद पर हावी न होने दें, न ही उलटीसीधी हरकतें करें. कईर् बार ऐसा होता है कि किशोर रिजैक्शन से डिप्रैशन में चले जाते हैं, दोस्तों से मिलना छोड़ देते हैं, ऐसा न करें बल्कि अपने दिल का दरवाजा खोल कर रखें, क्या पता कब कौन दस्तक दे दे.

कुछ जरूरी बातें

– करीब आने के लिए कभी भी बौडी टचिंग का सहारा न लें.

– ईमानदार बनें. इंप्रैस करने के लिए झूठ का सहारा न लें.

– अपने बारे में वास्तविक बातें बताएं. ऐसा न सोचें कि आप अगर अपनी या पेरैंट्स की सचाई बता देंगे तो वह आप से दोस्ती नहीं करेगी.

मुझसे कोई प्यार करता है, लेकिन मैं उससे प्यार नहीं करती, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं एक लड़के से प्यार करती हूं. वह भी मुझे प्यार करता है. पर समस्या यह है कि मेरा चचेरा भाई भी मुझे बहुत प्यार करता है, मैं उसे नहीं चाहती. लेकिन यह बात कह कर मैं उसे दुखी भी नहीं करना चाहती हूं. फिर यदि मैं ने अपने बौयफ्रैंड से इस प्रेम संबंध को समाप्त करने की बात कही तो उसे तो दुख होगा ही, साथ ही मैं भी उस से जुदा हो कर जी नहीं पाऊंगी. मैं अजीब उलझन में हूं. किसी का भी दिल नहीं तोड़ना चाहती. कृपया मेरा मार्गदर्शन करें.

जवाब

आप को अपने चचेरे भाई को किसी मुगालते में नहीं रखना चाहिए. उस से साफ साफ कह दें कि आप दोनों भाईबहन हैं और आप का खून का रिश्ता है. आप की उस के प्रति जो चाहत है वह सिर्फ एक बहन की अपने भाई के प्रति है. यह सुन कर वह दुखी होगा, हो सकता है कि आप से नफरत भी करने लगे, पर इस के अलावा आप के पास कोई चारा भी नहीं है. प्यार के इस भ्रम को जितनी जल्दी तोड़ देंगी, तकलीफ उतनी ही कम होगी.

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एक हार्ट केयर हौस्पिटल के शुभारंभ का आमंत्रण कार्ड कोरियर से आया था. मानसी ने पढ़ कर उसे काव्य के हाथ में दे दिया. काव्य ने उसे पढना शुरू किया और अतीत में खोता चला गया…

उस ने रक्षित का दरवाजा खटखटाया. वह उस का बचपन का दोस्त था. बाद में दोनों कालेज अलगअलग होने के कारण बहुत ही मुश्किल से मिलते थे. काव्य इंजीनियरिंग कर रहा था और रक्षित डाक्टरी की पढ़ाई. आज काव्य अपने मामा के यहां शादी में अहमदाबाद आया हुआ था, तो सोचा कि अपने खास दोस्त रक्षित से मिल लूं, क्योंकि शादी का फंक्शन शाम को होना था. अभी दोपहर के 3-4 घंटे दोस्त के साथ गुजार लूं. जीभर कर मस्ती करेंगे और ढेर सारी बातें करेंगे. वह रक्षित को सरप्राइज देना चाहता था.

उस के पास रक्षित का पता था क्योंकि अभी उस ने पिछले महीने ही इसी पते पर रक्षित के बर्थडे पर गिफ्ट भेजा था. दरवाजा दो मिनट बाद खुला, उसे आश्चर्य हुआ पर उस से ज्यादा आश्चर्य रक्षित को देख कर हुआ. रक्षित की दाढ़ी बेतरतीब व बढ़ी हुई थी. आंखें धंसी हुई थीं जैसे काफी दिनों से सोया न हो. कपड़े जैसे 2-3 दिन से बदले न हों. मतलब, वह नहाया भी नहीं था. उस के शरीर से हलकीहलकी बदबू आ रही थी, फिर भी काव्य दोस्त से मिलने की खुशी में उस से लिपट गया. पर सामने से कोई खास उत्साह नहीं आया.

‘क्या बात है भाई, तबीयत तो ठीक है न,’ उसे आश्चर्य हुआ रक्षित के व्यवहार से, क्योंकि रक्षित हमेशा काव्य को देखते ही चिपक जाता था.

प्यार की भी भाषा होती है

साल 1993 में शाहरुख खान की मशहूर थ्रिलर फिल्म ‘बाजीगर’ आई थी. इस फिल्म के नायक और खलनायक शाहरुख ही बने थे. फिल्म ब्लौकबस्टर साबित हुई और शाहरुख खान रातोंरात सुपरस्टार बन गए, जिस के बाद उन के पांव कभी थमे नहीं. इस फिल्म का जिक्र करने का मकसद शाहरुख की बुलंदियों को बताने का नहीं है, बल्कि फिल्म के एक खूबसूरत गाने, ‘छिपाना भी नहीं आता, जताना भी नहीं आता…’ से है जो एक पार्टी में बज रहा होता है. यह गाना आशिकों की साइकोलौजी को दर्शाता है. अब इस गाने के बोल और उस में दिखाए कैरेक्टर हैं ही इतने दिलचस्प कि बात बननी लाजिमी है.
मामला यह है कि इस फिल्म में इंस्पैक्टर करण की भूमिका निभा रहे सिद्धार्थ रे कालेज के दिनों से ही प्रिया (काजोल) से प्यार करते थे. अपनी हथेलियों में प्रिया का नाम गुदवाए जहांतहां घूमा करते थे, चोरीचुपके उसे देखा करते थे, अंदर ही अंदर उसे अपनी प्रियतमा बना चुके थे, लेकिन जनाब कभी समय पर हाल ए दिल का इजहार ही नहीं कर पाए. फिर क्या, अजय शर्मा (शाहरुख) इतने में एंट्री मारते हैं और प्रिया के प्रेम की बाजी मार ले जाते हैं. अब ये करण जनाब पछताते हुए पूरी पार्टी में यही गाना गाते फिर रहे हैं. अजय के हाथों में प्रिया का हाथ देख रहे हैं तो खुद पर अफसोस जताते रह जाते हैं. यह तो है कि अगर करण साहब समय पर प्रिया से प्रेम का इजहार कर देते तो शायद पार्टी में अपना दुखड़ा न सुना रहे होते. हो सकता था इंस्पैक्टर करण ही बाजीगर कहलाए जाते.

खैर, यह तो रही फिल्म की बात. असल जिंदगी में क्या ऐसा नहीं होता कि फीलिंग्स और इमोशन तो गहरे होते हैं लेकिन जता ही नहीं पाते. खुल कर अपनी भावनाओं को उड़ेल ही नहीं पाते. यह बता नहीं पाते कि इस पल या किसी पल उन्हें कैसा एहसास हुआ था. बस, छिपतेछिपाते मन मसोस कर रह जाते हैं.
अपनी फीलिंग्स और इमोशंस को न जता पाना क्या यह सचाई नहीं? खासकर बात जब भारत की हो, तो यह और भी मुश्किल हो जाता है. लड़का, लड़की से प्यार करता है लेकिन जीवनभर कह नहीं पाता. यह समस्या सिर्फ जोड़ों से अधिक शादी के बाद पतिपत्नी के रिश्तों में भी दिखाई देती है, खासकर तब जब शादी अरेंज मैरिज हो. पति, पत्नी से प्यार करता है लेकिन कभी अपने प्यार, अपनी भावनाओं को खुल कर जता नहीं पाता. वहीं परिवार में यह भी देखा जाता है कि बाप, बेटे से प्यार करता है, उस की जरूरतों का खयाल तो रखता है, लेकिन मजाल है कि ठीक से गले लगा पाए. आम घरों में अकसर प्यार, इमोशन, फीलिंग जताने में एक असहजता सी महसूस होती है. प्यार में इन सब बुनियादी चीजों को न समझने से आपसी अंडरस्टैंडिंग में समस्या आने लगती है. रिश्ते बिखरने लगते हैं. तारतम्य नहीं बैठ पाता. भावनाएं व्यक्त नहीं हो पातीं. अब सवाल यह कि कहीं अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्दों की कमी तो नहीं या उन माध्यमों की कमी है जिन से प्रेम व्यक्त किया जा सके.

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द फाइव लव लैंग्वेजेज

भारत में रिश्तों के बीच यह सब से आम समस्या है कि हम अपने इमोशन और फीलिंग्स को सामने वाले से जाहिर ही नहीं कर पाते. लोग रिश्तों की परवा तो करते हैं लेकिन फिर भी अधिकतर प्यार दिखाते समय जूझते दिखाई देते हैं. क्या यह सामान्य नहीं कि एक आम परिवार में जन्मदिन का प्रोग्राम तो कर लिया जाता है लेकिन जन्मदिन विश करते समय असहजता आड़े आने लगती है.

साल 1992 में गैरी चैपमैन की एक किताब आई थी, नाम था- ‘द 5 लव लैंग्वेजेज’. यह किताब इतनी फेमस हुई थी कि पहले एडिशन करोड़ों कौपियां बिक चुकी हैं. पुस्तक लिखने से पहले डा. चैपमैन ने अपने रुझन बनाने के लिए जोड़ों के साथ वर्षों का समय बिताया. उन्हें पता चला कि जोड़े एकदूसरे को व एकदूसरे की जरूरतों को गलत समझ रहे थे. अपने बनाए नोट्स के जरिए उन्होंने पाया कि प्रेम की भाषा होती है. जिसे उन्होंने ‘5 प्रेम भाषाएं’ कह कर संकलित किया.

चैपमैन के अनुसार, प्रेम भाषाएं आप के बच्चों, मातापिता, आप के सहकर्मियों और यहां तक कि आप के मित्रों के साथ आप के रिलेशन पर लागू होती हैं. हालांकि रिश्तों के अनुसार वे कुछ हद तक भिन्न हो सकती हैं. साथ ही, आप की प्रेमभाषा भी कभीकभी बदल सकती है. उदाहरण के लिए, यदि आप के लिए औफिस में एक बुरा दिन था तो आप एक निराशाजनक शब्द कहने के बजाय अपने साथी से गले मिलना पसंद कर सकते हैं. दुखी हैं तो बात शेयर करने और समय बिताने जैसा काम कर सकते हैं. प्रेम की असल चाबी आप का हमेशा संवाद में बने रहना होता है. प्रेम का कोई अंतबिंदु नहीं होता, यह सतत व निरंतर गतिमान रहता है.

प्रेम की भाषा कौन सी है

बोल प्रशंसा के : प्रशंसा व प्रोत्साहन के माध्यम से प्रेम को खूबसूरती से व्यक्त किया जा सकता है. यह एक प्रकार से अपनी सहमति व्यक्त करने जैसा भी होता है. आमतौर पर 2 लोगों के बीच काफीकुछ चीजें घटती हैं. कई चीजें ऐसी होती हैं जो प्रोत्साहन की हकदार होती हैं. लेकिन पार्टनर से अच्छा रिस्पौंस न मिलने के चलते निराशा हाथ लगती है, जिस के कारण रिश्ते में नीरसता आने लगती है. अच्छे रिश्तों को गढ़ने के लिए कौम्प्लीमैंट, एन्करेजमैंट, प्रेज की जरूरत होती है. आप प्यार जताने के लिए अपने पार्टनर की तारीफ कर के या उन्हें बता सकते हैं कि वे क्या अच्छा करते हैं, जिस से उन का कौन्फिडैंट बूस्ट होगा.

क्वालिटी टाइम : एक बड़ी समस्या यह बनी रहती है कि आज के समय में ध्यान भटकाने वाली कई चीजें आ चुकी हैं. सीधी नजरों से वार्त्तालाप सिमटता जा रहा है. इस का मतलब है, जब आप का पार्टनर आप से बात करे तो सैलफोन को नीचे रखना और टेबलैट, लैपटौप को बंद करना, सीधा आंखों से संपर्क बनाना और सक्रिय रूप से सुनना आदि ‘प्रेमभाषा’ का मजबूत बिंदु है. इसलिए जब आप अपने नजदीकी के साथ हों, जिसे आप अपना महसूस करते हों, तो कोशिश करें कि क्वालिटी टाइम बिताएं. क्वालिटी टाइम के लिए अलग से समय निकालें. सुनिश्चित करें कि जब आप अपने पार्टनर से बात करें तो सीधे कौन्टैक्ट बनाबना कर बात हो, ध्यान से सुनें कि दूसरा व्यक्ति क्या कह रहा है. हो सकता है वह आप को बात बताते समय ऐसी बात बता जाए जिस में आप की प्रतिक्रिया जरूरी हो और आप वह अनसुना कर दें, तो यह आप को गैरजिम्मेदार ही साबित करेगा.

कार्यभाव से प्रेमभाव : यह प्रेमभाषा का सब से जरूरी माध्यम है. कार्यभाव को समझना हो तो सब से बेहतर तरीके से मां के रूप में इसे समझ जा सकता है. जब मां अपने बच्चों के लिए कुछ करती है तो वह प्यार व सराहना महसूस करती है. क्या ऐसा भाव प्रेम का उत्तम स्थान नहीं? जब किसी के लिए स्वयं कार्य करने का मन करता है तो भीतर से प्यार उमड़ने लगता है. एकदूसरे के लिए दिल से काम करना, चाहे वह छोटा काम ही क्यों न हो, प्रेम की कसौटी को दिखाता है. लेकिन यहां समस्या यह है कि इस कसौटी पर खरा उतरने की जिम्मेदारी सामान्यतौर पर सिर्फ महिलाओं के पल्ले ही बांध दी जाती है. कार्यभाव म्यूचुअल होना जरूरी है वरना टकराव पैदा होने लगते हैं.

फिजिकल टच : इस प्रेमभाषा वाला व्यक्ति फिजिकल टच के माध्यम से प्यार महसूस कर/करा सकता है. यह टच जरूरी नहीं कि सैक्स का ही माध्यम बने. फिजिकल टच का मतलब अपने साथी/रिश्ते को किसी तरह से शारीरिक स्नेह दिखाना है, जैसे हाथ पकड़ना, बांह को छूना या सहलाना इत्यादि. यह एक प्रकार से ऐसा है जैसे, बस, शारीरिक रूप से अपने सहयोगियों/रिश्तों के करीब होना हो.

आप किसी समय दिखाते हैं कि आप किसी की केयर कर रहे हैं, इस के लिए फिजिकल टच सब से जरूरी भूमिका अदा करता है. मान लीजिए, कोई बहुत दुखी है. उसे उस समय किसी के कंधे का सहारा चाहिए, किसी करीबी से टाइट हग चाहिए. आप उस के करीबी हैं, आप अपने कंधे का सहारा देते हैं, गले लगाते हैं तो उसे यह सुकून देता है.

कपल्स के लिए फिजिकल टच की ‘प्रेमभाषा’ बहुत अहमियत रखती है. यह सुखदुख में प्यार जताने मात्र के लिए ही नहीं, बल्कि रोमांस, सैक्स और कामोत्तेजना में भरपूर काम आती है. सैक्स कपल्स के प्रेम को बनाए रखने का सब से इंपौर्टैंट पार्ट होता है. इस में किसिंग, फोरप्ले, इंटरकोर्स इत्यादि आते हैं. किसी कपल्स के लिए इस की जरूरत इस से समझ जा सकती है कि रिश्तों के टूटने या बिखरने में इस का बहुत महत्त्व होता है. यहां तक कि शादीशुदा जोड़ों में तलाक होने का इस की कमी को बड़ा आधार बनाया जाता है.

गिफ्ट्स : गिफ्ट्स एक बहुत ही सरल प्रेमभाषा है. आप प्यार महसूस करते हैं जब लोग आप को ‘प्यार के प्रतीक’ के तौर पर गिफ्ट देते हैं, जैसा कि चैपमैन कहते हैं, ‘‘यह किसी महंगेसस्ते उपहारों के बारे में नहीं है, बल्कि गिफ्ट देने के पीछे प्रतीकात्मक सोच के बारे में है जिसे प्रेमी को जताया जाता है. इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि गिफ्ट महंगा है या सस्ता, बल्कि फर्क इस से पड़ता है कि गिफ्ट देने के लिए पार्टनर ने अपना समय, अपना विचार और इच्छा जताई है. यह चीज पार्टनर को भीतर से बेहद खुश करती है.

प्रेमभाषा प्रेम सिखाती है

प्यार एकदूसरे के लिए जीना सिखाता है. जब आप किसी से प्रेम में हों, चाहे उस का आप से किसी प्रकार का रिश्ता हो, आप को उस के प्रति जिम्मेदार बनाता है. यह सैल्फ की भावना को खत्म करता है. यह सहानुभूति रखना सिखाता है. यह इस बात पर ध्यान देना सिखाता है कि दूसरे व्यक्ति को क्या महत्त्वपूर्ण और अच्छा लगता है. जोड़े प्रेम भाषाओं को सीखने और उन्हें अपनाने के लिए कमिटेड होते हैं, तो वे सीखते हैं कि किसी और की जरूरतों को अपने से ऊपर कैसे रखा जाए.

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जब लोग एकदूसरे से प्रेमभाषा में डील शुरू करते हैं, तो वे ज्यादा ईमानदार होते हैं. जब यह भाषा आप अपने इर्दगिर्द बना रहे होते हैं तो आप के रिश्ते संतुष्ट और मजबूत बनते हैं. एक बार जब आप एकदूसरे की प्रेमभाषा को समझ गए तो आप देखेंगे कि चीजें पहले से कितनी आसान हो जाएंगी. याद रखें, हैल्दी रिश्ते पैदा नहीं होते हैं, वे सही केयर और कोशिशों के जरिए डैवलप किए जाते हैं. अगर आप एकदूसरे से प्यार करने के लिए कमिटेड हैं और अपनी प्रेमभाषा डैवलप कर चुके हैं, तो आप खुद को न केवल प्यार में और अधिक गहरा पाएंगे, बल्कि एक खुशहाल और अच्छे रिश्ते में भी आप खुद को देख पाएंगे. इसलिए प्यार को भीतर में दबा कर नहीं, उसे जता कर और बढ़ाया जा सकता है. इसे जताने के लिए पोलाइट तरीका अपनाए जाने की जरूरत है जिस से प्रेम सार्थक बन सके.

कहीं बोझ न बन जाए प्यार

प्यार एक खूबसूरत एहसास है. जिंदगी तब बेहद हसीन लगने लगती है जब हम किसी के ख्यालों में खोए होते हैं. इस के विपरीत वही प्यार जब जी का जंजाल बन जाता है तो एकएक पल गुजारना कठिन लगने लगता है. कई दफा प्यार को भार बनाने में हमारी कुछ छोटीछोटी भूल जिम्मेदार होती हैं.

ओवर पजेसिव नेचर

कुछ लोग अपने प्यार को किसी के साथ भी बंटता हुआ नहीं देख सकते. यहां तक कि वे अपने गर्लफ्रेंड / बौयफ्रेंड को अपने दोस्तों से भी बातें करता देख इनसिक्योर फील करने लगते हैं, शक करते हैं और इस बात पर उन के बीच झगड़े होने लगते हैं. जाहिर सी बात है कि किसी से प्यार करने का अर्थ यह तो नहीं कि इंसान अपने दोस्तों से नाता तोड़ ले. यदि गर्लफ्रेंड किसी और लड़की से बात करने पर अपने बौयफ्रेंड से नाराज हो जाती है ऐसे में बौयफ्रेंड के पास एक ही औप्शन बचता है, और वह है झूठ बोलना. वह छुप कर दोस्तों से बातें करेगा और फोन से बातचीत का सारा रिकौर्ड डिलीट कर देगा. यही नहीं बाकी जो भी बातें उस की गर्लफ्रेंड को बुरी लगती है उन सब को छुपाने लगेगा. एक समय आएगा जब झूठ बोलते बोलते वह आजिज आ जाएगा. हर वक्त उसे अपनी आज़ादी छिनती हुई नजर आएगी. वह बंधा हुआ महसूस करने लगेगा और एक दिन उस के सब्र का बांध टूट जाएगा और तब प्यार के रिश्ते में जज्बातों का दम घुट जाएगा. प्यार भार बन जाएगा और व्यक्ति अपने प्यार से पीछा छुड़ाने के बहाने ढूंढने लगेगा.

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तीसरे का वजूद

पति पत्नी हो या गर्लफ्रेंड बौयफ्रेंड, जब भी दो के बीच किसी तीसरे के आने की सुगबुगाहट होती है तो रिश्तो में खटास आने लगती है. शक का कीड़ा अच्छेखासे रिश्तों की भी नींव खोदने में वक्त नहीं लगाता.

जहां विश्वास नहीं वहां शक तुरंत अपनी जड़ जमा लेता है. तीसरे की उपस्थिति अक्सर रिश्तों के टूटने की वजह बनती है. किसी तीसरे के आने से सिर्फ रिश्ता ही नहीं टूटता कई दफा नतीजे बेहद खतरनाक भी निकलते हैं. तीसरे को रास्ते से हटाने के लिए व्यक्ति किसी भी सीमा तक जा सकता है.

अपने अनुसार ढालने का प्रयास

प्यार का अर्थ है जो जैसा है उसे उसी रूप में पसंद करना. यदि बदलने का प्रयास किया जाए तो वह प्यार नहीं समझौता होता है. जब प्यार का दंभ भरते हुए व्यक्ति सामने वाले की कमियां निकालने लगता है और उसे बदलने को प्रेरित करता है तो यहां जज्बात फीके पड़ने लगते हैं. प्यार भार लगने लगता है.

बातबात पर चिढ़ना

प्यार में रूठने मनाने की परंपरा बहुत पुरानी है. मगर जब कोई बातबात पर मुंह बनाने लगे या भला बुरा सुनाने लगे तो लाजमी है कि सामने वाले के सब्र का बांध टूट जाएगा. इंसान किसी की नाराजगियां एक हद तक सहन कर सकता है. मगर जब यह रोज की आदत बन जाए तो प्यार जी का जंजाल लगने लगता है.

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तालमेल की कमी

प्यार में इंसान को काफी तालमेल बिठाने होते हैं. दो बिल्कुल अलगअलग व्यक्ति जब एक दूसरे के बनना चाहते हैं तो बहुत सी बातों में समझौते करने होते हैं. खानपान, बातचीत, पहनावा, रहनसहन हर
तरह से एकदूसरे की परवाह करनी होती है. तालमेल की कमी रिश्ते में खटास ला सकती है.

करियर और प्यार के बीच इस तरह बनाएं संतुलन

हम में से बहुत लोग नौकरी करते हैं और अपने करियर को लेकर संवेदनशील हैं. हम सभी जानते हैं कि अपने पार्टनर के साथ एक मजबूत और सुखी रिश्ता बनाना साथ ही अपने करियर को भी महत्व देना काफी मुश्किल होता है. खासतौर पर जब आप दोनों ही कामकाजी हैं.

व्यस्त दिनचर्या, बड़े लक्ष्य, अनगिनत प्रोजेक्ट्स और बहुत कुछ इन सभी के कारण आपका सम्बंध प्रभावित होने लगता है जिसके कारण आपके रिश्ते में तनाव बन सकता है. जब आप अपने करियर को काफी अहमियत देते हैं तो एक स्वस्थ रिश्ते को बनाएं रखने के लिए आपको अलग से प्रयास करने होते हैं.

पूरे दिन काम करने के बाद अपने साथी के साथ आराम करने और बात करने के लिए समय निकालना भी जरुरी है. अगर आप भी अपने कैरियर और प्यार के बीच संतुलन बनाना चाहते हैं तो ये टिप्स काम आ सकते हैं.

छोटी-छोटी चीजें एक साथ करें

ऐसा जरुरी नहीं है कि आप अपने साथी के साथ समय बिताने के लिए लंच प्लान करें या फिल्म देखने ही जाएं. आप अपने साथी के साथ अपना सारा समय व्यतीत नहीं कर पा रहे हैं तो इसका मतलब ये नहीं है कि आप जिस समय में उनके साथ है वो बिल्कुल परियों की कहानी जैसा हो. छोटी चीजें भी आपको खुशी दे सकती है.

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जब आपके पास ऑफिस के ढ़ेर सारे काम होंगे तो आप कुछ विशेष योजना बना पाएं ये थोड़ा मुश्किल है. इसलिए जरुरी है कि जब भी आप साथ में हैं तो हर मिनट को महसूस करें. एक साथ भोजन करें, घर की सफाई करते वक्त या खाना बनाते वक्त आप एक-दूसरे को समय दें. ये छोटी चीजें आपको बेफिजूल लग सकती हैं लेकिन जब आपके पास समय कम हो तो है तो यह अपने साथी से जुड़ने का यह अच्छा तरीका है.

बिना शर्त के सपोर्ट करें

अपने ऑफिस में पूरे दिन काम करने के बाद अपने पति या पत्नी के करियर में रुचि दिखाना मुश्किल हो सकता है लेकिन यह जरुरी है कि आप अपने साथी के करियर से संबंधित बातचीत करें. इस बातचीत के जरिए आप उन्हें बता पाएंगे कि आप उनके काम और करियर को सपोर्ट करते हैं. उन्हें बताएं कि आप उनके लिए हमेशा मौजूद हैं और बिना शर्त उनके काम को अपना समर्थन देते हैं.

अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपके साथी के मन में असंतोष की स्थिति पैदा हो सकती है. जिससे आपके रिश्ते और करियर के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो जाएगा.

हद से ज्यादा उम्मीदें ना करें

जब आप दोनों कामकाजी है तो आप समझ सकते हैं कि ऑफिस के बाद सम्बंध को संभालना कितना मुश्किल है. इसलिए जरुरी है कि आप अपने साथी से अधिक उम्मीदें ना बांधे क्योंकि समय के अभाव में अगर वो पूरा नहीं कर पाएंगे तो आपको बुरा लगेगा और आपका दिल टूट जाएगा.

आपके लिए बेहतर होगा ऐसा सोचना बंद करें कि आपका साथी आपके लिए कोई डेट, हॉलीडे या पार्टी प्लान करें. अगर वो ऐसा नहीं करेगा तो आपको दुख और निराशा होगी. ये सब मैनेज करने के लिए आपके साथी को समय की जरुरत होगी और वो उनके पास नहीं है. ऐसा नहीं है कि आप उम्मीदें ही ना करें. सोचने की बजाय उनसे बात कर लें कि आप क्या चाहते हैं.

कोई भी फैसला लेने से पहले साथी को बताएं

अगर आप कोई भी फैसला लेते हैं तो इसके लिए दो स्टेप जरुरी है. पहला आप इसके बारे में सोचे और फिर अपने साथी से बात करें. अब आप जीवन में स्वतंत्र रूप फैसले नहीं ले सकते हैं चाहे फिर आप कितने भी बुद्धिमान क्यों ना हों. आपका हर एक व्यक्तिगत फैसला आपके साथी पर भी असर डालेगा.

आपको जानने की जरुरत है कि आपका कोई भी फैसले के बारे में आपका पार्टनर क्या सोचता है. जैसे आप जॉब छोड़ने या बदलने की सोच रहे हैं तो इसके बारे में अपने साथी से बात कर लें. हो सकता ऐसे में आपको शहर बदलना पड़े या नई जगह जाना पड़े तो इसका प्रभाव आपके साथी पर भी होगा.

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खुद को फ्लेक्सिबल बनाएं

ऑफिस में पूरी तरह थक जाने के बाद अपने साथी के साथ प्यार से बात करना और उन्हें अच्छा महसूस कराने के बारे में सोचना मुश्किल होता है. लेकिन ऑफिस से आने के बाद अपने साथी के साथ आराम करना आपके रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू हो सकता है.

ऑफिस और वर्कप्लेस पर तनाव हो सकता है और आप अपने काम को लेकर परेशान हो सकते हैं लेकिन इसके बावजूद भी अपने साथी को वही प्यार और भाव देना ही रिश्ते को मजबूत बनाता. बेहतर है कि आप अपने वर्क स्ट्रेस को ऑफिस में ही छोड़कर आए. खुद को फ्लेक्सिबल बनाएं. ताकि आप अपने रिश्ते और काम दोनों को संभाल पाएं. आप एक समय में एक व्यक्ति ही बन सकते हैं. जब आप प्रेमी है तो खुद को ऑफिस वर्कर ना बनने दे.

जिम्मेदारियां बांट लें

एक रिश्ते में सामंजस्य बिठाना बहुत जरुरी है. अगर आपके रिश्ते में समझौते करने पड़ रहे हैं तो ध्यान रखें कि मिलकर समझौते करें. काम के साथ अपने रिश्ते की जिम्मेदारियों को समझें. खासकर तब जब आप शादीशुदा है, एक साथ रहते हैं, आपके बच्चे हैं.

ऑफिस जाने के साथ खाना पकाना, बच्चों को स्कूल ले जाना लेकर आना, घर के कामकाज आदि जिम्मेदारियां एक ही व्यक्ति पर ना डालें. आपके रिश्ते में कोई भी एक व्यक्ति सभी समझौते करने के लिए तैयार नहीं होगा. इसलिए सही ढंग से फैसला लें. अधिक कुशलता से काम करें और सबसे महत्वपूर्ण हैं कि हमेशा एक साथ काम करें.

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पुलों पर प्यार का ताला

अपने प्यार को पाने की खातिर लोग क्या कुछ नहीं करते. आसमान से तारे तोड़ कर लाने से ले कर कई बड़ेबड़े वादे करते हैं या कसमें खाते हैं. लेकिन फ्रांस में प्रेमीप्रेमिका यह सब नहीं करते, अपितु अपने प्यार पर ताला लगाते हैं ताकि वह अटूट रहे.

जी हां, प्यार को अटूट बनाने के लिए प्रेमी यूरोप में पुलों की रेलिंग पर ताला जड़ देते हैं और चाबी नदी में फेंक देते हैं. प्रेमीयुगलों के प्यार जताने के इस अनोखे तरीके की वजह से फ्रांसीसी राजधानी पेरिस के कई पुल लाखों तालों के बो झ से  झुकने लगे हैं. यही नहीं, कुछ तो टूटने के कगार पर पहुंच गए हैं.

एक अनुमान के अनुसार अकेले पेरिस के पुलों पर 7 लाख से अधिक ताले जड़े हैं. एक ताले का औसत वजन कम से कम 100 ग्राम होता है. इस लिहाज से पुलों पर हर वक्त 7,000 किलोग्राम का अतिरिक्त भार है. इस से पुलों का ढांचा खराब हो रहा है.

पेरिस के अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि वे प्यार का इजहार करने के लिए पुलों पर ताला न जड़ें. पर्यटकों को ताला लगाने के बुरे असर को सम झना चाहिए. लवलौक्स की वजह से पेरिस के पुलों पर बहुत ज्यादा बो झ पड़ गया है.

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वैसे यूरोप के रोमांटिक शहरों में प्रेमी जोड़े पुलों की रेलिंग पर बढि़या और मजबूत ताला जड़ देते हैं. ताले पर प्रेमीप्रेमिका का नाम लिखा होता है. ताला बंद करने के बाद प्रेमी जोड़े एकसाथ दौड़ते हुए चाबी को नदी में फेंक देते हैं. माना जाता है कि इस चलन की शुरुआत एक सर्बियाई लड़की की कहानी से हुई. वह अपने प्रेमी से जिस पुल पर मिलती, वहां एक ताला लगा देती. दोनों का प्यार अंजाम तक नहीं पहुंचा, लेकिन पुलों पर लगे ताले लोगों को उन की कहानी सुनाते रहे. हाल के समय में इस प्रथा को वापस लाने का आरोप इटली के लेखक फेडरिको मोशिया पर मढ़ा जाता है. उन की किताब ‘आई वांट यू’ में एक प्रेमी जोड़ा रोम के पोंटे मिलवियों पुल के लैम्पपोस्ट पर ताला लगाता है.

दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में प्यार की निशानी के तौर पर प्रेमीप्रेमिका पेड़ पर ताले लगाते हैं. पेड़ों पर ताले लगाने की परंपरा कब और किस ने शुरू की, यह कोई नहीं जानता, लेकिन प्रेम जाहिर करने के लिए जोड़े यहां पेड़ों पर ताले जड़ते हैं. एकएक पेड़ पर हजारों ताले जड़े देखे जा सकते हैं.

प्रेम के इजहार करने के कई तरीके हो सकते हैं. लेकिन अपने प्यार को ताले में बंद करने का अंदाज निराला है. प्रेमी जोड़े ऐसा इसलिए करते हैं ताकि उन के प्रेम को कोई चुरा न सके. कुछ लोग लवलौक की चाबी अपने साथ ले जाते हैं. यदि पुल नदी, समुद्र पर बना हो तो ताला लगा कर चाबी उस में फेंक दी जाती है. प्रेम के इजहार का यह विदेशी तरीका धीरेधीरे भारत में भी लोकप्रिय हो रहा है.

राजस्थान के उदयपुर को  झीलों की नगरी के तौर पर जाना जाता है. यहां प्रेमी जोड़े भी खूब आते हैं. यहां पिछोला  झील है जो विश्वविख्यात है. इस  झील पर एक नया पुल बनाया गया है. इसे लोगों ने ‘लव ब्रिज’ का नाम दिया है. शहरी हो या सैलानी, प्रेमी युगल अपने प्रेमबंधन को चिरस्थायी बनाने की कथित मान्यता से पुल की रेलिंग पर ताला लगा कर चाबी  झील में फेंकने लगे हैं. हालात यह हैं कि पुल की रेलिंग पर तालों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है. अब इस पुल की पहचान ही ‘लवलौक ब्रिज’ के रूप में होने लगी है.

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स्थानीय युवाओं का कहना है कि उन्होंने ऐसी कहानी पढ़ और सुन रखी है कि फ्रांस में सैलानी अपने प्यार के नाम पर ताला लगाते हैं. बस, उसी परंपरा को यहां उदयपुर में अपनाया जा रहा है. वे यह भी कहते हैं कि जबकि ख्यात क्रिकेटर और फिल्म अभिनेत्रियां तक अपने प्यार के लिए पुलों पर ताले लगाते हैं, तो हम पीछे क्यों रहें.

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