एक लड़के को देख कर मैं बहुत उत्तेजित हो जाती हूं. उस के साथ संबंध बनाने की तीव्र इच्छा होती है. मैं अपनी कामेच्छा को संतुष्ट करने के लिए हस्तमैथुन करती हूं. कहीं मैं कुछ गलत तो नहीं कर रही.

सवाल
मैं 19 वर्षीय युवती हूं. 4 सालों से एक युवक से प्यार करती हूं. वह भी मुझे प्यार करता है, यह उस के हावभाव और व्यवहार से लगता है. हम दोनों ने अभी तक एकदूसरे से कभी बात नहीं की. उसे देख कर मैं बहुत उत्तेजित हो जाती हूं. उस के साथ संबंध बनाने की तीव्र इच्छा होती है. मैं अपनी कामेच्छा को संतुष्ट करने के लिए हस्तमैथुन करती हूं. कृपया बताएं कि मैं क्या करूं और यह भी बताएं कि क्या मैं सामान्य हूं? कहीं मैं कुछ गलत तो नहीं कर रही?

जवाब
यानी आप 15 वर्ष की उम्र से उसे प्यार करने का दम भरने की बात कर रही हैं. किशोरावस्था में विपरीत सैक्स के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक है. यह सिर्फ यौनाकर्षण है न कि प्यार. जहां तक उक्त शख्स के हावभाव या व्यवहार से आप अनुमान लगा रही हैं कि वह आप से प्यार करता है तो यह आप की खुशफहमी भी हो सकती है. बिना एकदूसरे से बात किए, एकदूसरे को जानेसमझे, अपने प्यार का इजहार किए, यह मान लेना कि वह आप से प्यार करता है, बिलकुल व्यावहारिक नहीं है. आप को अपने बारे में भी कोई पूर्वाग्रह नहीं पालना चाहिए. आप बिलकुल सामान्य हैं. हस्तमैथुन द्वारा अपनी यौनोत्तेजना को शांत करना गलत नहीं है.

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महिलाएं चाहती हैं कि सेक्स के बारे में ये 10 बातें जरूर जानें पुरुष

सेक्स के दौरान क्या आपको भी कभी-कभी नहीं लगता कि काश आपका पार्टनर आपके दिल की बात पढ़ ले? हां, तो आप अकेली ही ऐसी नहीं हैं! यहां हम उन 10 बातों की सूची पेश कर रहे हैं, जिनके बारे में हर महिला चाहती है कि उनका पार्टनर जरूर जानें.

  1. हमें सुरक्षित रहना बहुत पसंद है. तो जब भी हम सेक्स का आनंद ले रहे हों आप इस बात का पूरा ध्यान रखिए कि आपने प्रोटेक्शन का इस्तेमाल किया है.
  2. आपको मालूम होना चाहिए कि सेक्स कोई प्रतियोगिता नहीं है, जिसमें आपको फिनिश लाइन पर पहुंचने की जल्दी है और जैसे हम स्टार्टिंग लाइन पर ही खड़े रहना चाहते हैं. यह साथ-साथ साथ चलने की बात है.
  3. सेक्स एक टू-वे प्रक्रिया है. यदि इसमें हमने आपको किसी खास तरह का सुख दिया है तो हमें भी वैसा ही सुख देना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए.
  4. यह ठीक है कि कभी-कभार हमें वाइल्ड सेक्स पसंद आता है, पर अक्सर हम इसे पसंद नहीं करते हैं!
  5. साइज हमारे लिए मायने नहीं रखता, पर ये बात जरूर बहुत मायने रखती है कि आपके पास है जो है, आपने उसका सही इस्तेमाल किया है या नहीं.
  6. जब हम बिस्तर पर हों तो हमें आपकी पूर्व प्रेमिका का जिक्र पूरी तरह नापसंद है. जी हां, पूरी तरह.
  7. यदि आप कुछ नया करना चाहते हैं या कोई चीज आपको पसंद नहीं आ रही है तो हमसे बात करें. क्योंकि हमें भी आपकी ही तरह दिमाग पढ़ना नहीं आता.
  8. बिस्तर पर कोई अजीबोगरीब ट्रिक बिना हमारी जानकारी में लाए न करें. वहां बेहूदे सप्राइजेज हमें अच्छे नहीं लगते हैं.
  9. सबसे खास बात ये कि वह सेशन जिसमें हम दोनों सहज और संतुष्ट हों, उससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता. हम बिल्कुल नहीं चाहते हैं कि यह किसी ऐड्वेंचर की तरह हो.
  10. ये जानना बहुत जरूरी है कि हमें सेक्स के बाद का प्यार-दुलार बहुत पसंद है. यदि यह एक औपचारिक रिश्ता है तो हम ऐसा न कर पाना समझ सकते हैं, लेकिन यदि हमें आपके साथ समय बिताते हुए काफी वक्त गुजर चुका है तो हम इस प्यार से क़तई वंचित नहीं रहना चाहते.

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विवाहेतर संबंध का कारण सैक्स असंतुष्टि तो नहीं

कुछ अरसा पहले आए सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसले में धारा 497 को रद्द कर विवाहेतर संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया. उस समय के सीजेआई दीपक मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवाह से बाहर बनाया गया संबंध एक व्यक्तिगत मुद्दा हो सकता है. यह तलाक का आधार तो बन सकता है, परंतु यह अपराध नहीं है.

देश की शीर्ष अदालत के इस फैसले से बहस छिड़ गई है. समाज में बढ़ रहा व्यभिचार समाज के तानेबाने को तोड़ने का कुत्सित प्रयास तो कर रहा है, लेकिन प्रश्न यह भी उठा रहा है कि आखिर बढ़ते व्यभिचार और विवाहेतर संबंध का कारण क्या है?

मानव सभ्यता के विकास के साथ समाज ने शारीरिक संतुष्टि और सैक्स संबंधों की मर्यादा के लिए विवाह नामक संस्था को सामाजिक मंजूरी दी होगी. विवाह के बाद पति और पत्नी के बीच के सैक्स संबंध शुरू में तो ठीक रहते हैं, परंतु समय के साथ सैक्स के प्रति अरुचि व पार्टनर की जरूरतों पर पर्याप्त ध्यान न दिया जाना कलह के कारण बनते हैं.

आमतौर पर सुखद सैक्स उसी को माना जाता है, जिस में दोनों पार्टनर और्गेज्म पा सकें. यदि पतिपत्नी सैक्स संबंध में एकदूसरे को संतुष्ट कर पाने में सफल होते हैं तो उन के दांपत्य संबंधों की कैमिस्ट्री भी अच्छी रहती है.

राकेश और प्रतिभा की शादी को 5 वर्ष हो चुके हैं. उन की 2 साल की एक बेटी भी है. परंतु बेटी के जन्म के साथ ही प्रतिभा का ध्यान अपनी बेटी में ही रम गया. पति की छोटीछोटी जरूरतों का ध्यान रखने वाली प्रतिभा अब पति के प्रति बेपरवाह सी हो गई है.

कभी रोमांटिक मूड होने पर राकेश जब सैक्स करने की पहल करता है, तो प्रतिभा उसे यह कह कर झिड़क देती है कि तुम्हें तो बस एक ही चीज से मतलब है. इस से राकेश कुंठित हो कर चिड़चिड़ाने लगता. मन मसोस कर अपनी कामेच्छा दबा लेता. धीरेधीरे सैक्स करने की कुंठा से उस के मन में कहीं और शारीरिक संबंध बनाने के खयाल आने लगे. प्रतिभा जैसी अनेक महिलाओं का यही व्यवहार राकेश जैसे पुरुषों को दूसरी महिलाओं के साथ संबंध बनाने को प्रोत्साहित करता है.

जिस तरह स्वादिष्ठ भोजन करने के बाद कुछ और खाने की इच्छा नहीं होती, ठीक उसी तरह सैक्स क्रिया से संतुष्ट पतिपत्नी अन्यत्र सैक्स के लिए नहीं भटकते. दांपत्य जीवन में सुख प्राप्त करने के लिए पतिपत्नी को अपनी सैक्स जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए. सैक्स की पहल आम तौर पर पति द्वारा की जाती है. पत्नी को भी चाहिए कि वह सैक्स की पहल करे. पतिपत्नी में से किसी के भी द्वारा की गई पहल का स्वागत कर, सैक्स संबंध स्थापित कर, एकदूसरे की संतुष्टि का खयाल रख कर विवाहेतर संबंधों से बचा जा सकता है.

बच्चों के जन्म के बाद भी सैक्स के प्रति उदासीन न हों. सैक्स दांपत्य जीवन का मजबूत आधार है. शारीरिक संबंध जितने सुखद होंगे भावनात्मक प्यार उतना ही मधुर होगा. घर में पत्नी के सैक्स के प्रति रूखे व्यवहार के चलते पति अन्यत्र सुख की तलाश में संबंध बना लेता है. कामकाजी पति द्वारा पत्नी को पर्याप्त समय और यौन संतुष्टि न देने से वह भी अन्य पुरुष से शारीरिक संबंध बना लेती है, जिस की परिणति दांपत्य जीवन में तनाव और बिखराव के रूप में देखने को मिलती है.

स्वाभाविक होता है बदलाव

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि संबंधों में यह बदलाव स्वाभाविक है. शादी के शुरू के सालों में पतिपत्नी एकदूसरे के प्रति जो खिंचाव महसूस करते हैं, वह समय के साथ खत्म होता जाता है और तब शुरू होती है रिश्तों में उकताहट.

आर्थिक, पारिवारिक और बच्चों की परेशानियां इस उकताहट को बढ़ावा देती हैं. फिर इस उकताहट को दूर करने के लिए पतिपत्नी बाहर कहीं सुकून तलाशते हैं, जहां उन्हें फिर से अपने वैवाहिक जीवन के शुरू के वर्षों का रोमांच महसूस हो. यहीं से विवाहेतर संबंधों की शुरुआत होती है.

एक रिसर्च से पता चला है कि अलगअलग लोगों में इन संबंधों के अलगअलग कारण हैं. किसी से भावनात्मक जुड़ाव, सैक्स लाइफ से असंतुष्टि, सैक्स से जुड़े कुछ नए अनुभव लेने की लालसा, वक्त के साथ आपसी संबंधों में प्रेम की कमी, अपने पार्टनर की किसी आदत से तंग होना, एकदूसरे को जलाने के लिए ऐसा करना विवाहेतर संबंधों के कारण होते हैं.

महिलाओं के प्रति दोयमदर्जे की सोच

भारतीय संस्कृति में महिलाओं के प्रति दोयमदर्जे का व्यवहार आज भी देखने को मिलता है. सामाजिक परंपराओं की गहराई में स्त्री द्वेष छिपा है. ये परंपराएं पीढि़यों से महिलाओं को गुलाम से अधिक कुछ नहीं मानती हैं. उन्हें इस तरह ढाला जाता है कि वे अपने शरीर के आकार से ले कर निजी साजसज्जा तक के लिए अनुमति लें.

जो महिला अपने ढंग से जीने के लिए परंपराओं और वर्जनाओं को तोड़ने का प्रयास करती है उस पर समाज चरित्रहीन होने का कलंक लगा देता है. पति को घर में व्यवस्था, पत्नी का समय व बढि़या तृप्तिदायक खाना, सुखचैन का वातावरण और देह संतुष्टि चाहिए. परंतु पति खुद उस की सुखसुविधाओं और शारीरिक जरूरतों का उतना खयाल नहीं रखता. पत्नी से यह चाह जरूर की जाती है कि वह पति की नैसर्गिक इच्छाएं पूरी करती रहे.

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार विवाहेतर संबंधों को रोकने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. यदि आपसी रिश्ते की गरमाहट कम हो गई है तो रिश्ते को पुराने कपड़े की तरह निकाल कर नए कपड़ों की तरह नए रिश्ते बनाना समस्या का हल नहीं है. अपने पार्टनर को समझाने के कई तरीके हैं. उस से बातचीत कर समस्या को सुलझाया जा सकता है. सैक्स को ले कर की गई बातचीत, सैक्स के नएनए तरीके प्रयोग में ला कर एकदूसरे की शारीरिक संतुष्टि से विवाहेतर संबंधों से बचा जा सकता है.

फोरप्ले से और्गेज्म तक का सफर

एक नामी फैशन मैगजीन के सर्वेक्षण के अनुसार महिलाओं के और्गेज्म यानी चरमसुख को ले कर कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं. इस औनलाइन शोध में 18 से 40 साल की आयु वाली 2300 महिलाओं से प्रश्न किए गए, जिन में 67% महिलाओं ने माना कि वे फेक और्गेज्म यानी और्गेज्म होने का नाटक करती हैं. 72% महिलाओं ने माना कि उन का साथी स्खलित होने के बाद उन के और्गेज्म पर ध्यान नहीं देता है. सर्वेक्षण के यह आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर मामलों में पति और पत्नी अकसर सैक्स संबंधों में और्गेज्म तक नहीं पहुंच पाते हैं.

सैक्स को केवल रात्रिकालीन क्रिया मान कर निबटाने से सहसंतुष्टि नहीं मिलती. जब दोनों पार्टनर को और्गेज्म का सुख मिलेगा तभी सहसंतुष्टि प्राप्त होगी. पत्नी और पति का एकसाथ स्खलित होना और्गेज्म कहलाता है. सुखद सैक्स संबंधों की सफलता में और्गेज्म की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है.

सैक्स को शारीरिक तैयारी के साथसाथ मानसिक तैयारी के साथ भी किया जाना चाहिए. यह पतिपत्नी की आपस की जुगलबंदी से ही मिलता है. सैक्स करने से पहले की गई सैक्स से संबंधित छेड़छाड़ भूमिका बनाने में सहायक होती है. कमरे का वातावरण, बिस्तर की जमावट, अंतर्वस्त्र जैसी छोटीछोटी बातें सैक्स के लिए उद्दीपक का कार्य करती हैं.

सैक्स के दौरान घरपरिवार की समस्याएं बीच में नहीं आनी चाहिए. सैक्स संबंध के दौरान छोटीछोटी बातों को ले कर की जाने वाली शिकायतें संबंध को बोझिल बनातीं और सैक्स के प्रति अरुचि भी उत्पन्न करती हैं. सैक्स के लिए नए स्थान और नए तरीकों का प्रयोग कर संबंध को प्रगाढ़ बनाया जा सकता है. सैक्स की सहसंतुष्टि यकीनन दांपत्य जीवन को सफल बनाने के साथसाथ विवाहेतर संबंध बनाने से रोकने में भी मददगार साबित हो सकती है.

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