तुम आ गए…

पाठक द्वारा लिखी गई रचना

Writer : Amita Bhandari

तुम आ गए मधुमास
नई उम्मीदें लिए
कि झर जाने दो
पुरानी पत्तियों को
और फूटने दो नई कोपलों को
कि अनवरत नवसृजन ही
प्रकृति का नियम है…

तुम आ गए मधुमास
प्रेम का अमृत बरसाने
कि मंडराते मंडराते
भंवरा जब छू जाता है
कोमल कलियों को
तो खिल उठते हैं फूल
और फूलों का रस पीने
मंडराती है उन पर
रंग बिरंगी तितलियां
कि प्रेम भी प्रकृति का
ही नियम है…

तुम आ गए मधुमास
मधुर संगीत सुनाने को
कि बागों में अब कोयल
छुप के बैठेगी
और कुहू कुहू का गीत
सुनाएगी
चलेगी जब बासंती हवा
तो गूंजेगी पत्तों की
सांय सांय
कि ध्वनियों का
मधुर गान भी
प्रकृति की ही अनुपम सौगात है..

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