सलाह दें मगर प्यार से

रति की शादी को अभी 2 महीने ही हुए थे. आज पहली बार उस के सासससुर उस के पास रहने आ रहे थे. रति की नईनई गृहस्थी थी और पहली बार ससुराल से कोई आ रहा था. इसलिए वह बहुत खुश थी. रति ने ढेर सारे फल, सब्जियां, पनीर, मिठाई आदि से अपना फ्रिज भर लिया. वह अपने सासससुर की आवभगत में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी.

जब सासससुर आए तो रति की सास सारिका ने दूसरे दिन से ही नुक्ताचीनी करनी आरंभ कर दी थी. पहले तो सास ने ही बोला, ‘‘रति, इसी तरह तुम अपना फ्रिज बिना  सोचेसम झे भरती रहोगी तो जल्द ही मेरा बेटा बीमार हो जाएगा.’’

वहीं ससुर ने रति को फुजूलखर्ची पर भाषण दिया. जब रति ने अपने पति से इस बारे में बातचीत करनी चाही तो पति मनुज भी रति से बोला, ‘‘मम्मीपापा के पास अनुभव हैं. उन की बातों का बुरा न मान कर उन से कुछ सीख लो.’’

रति के सासससुर तो एक हफ्ते बाद चले गए पर रिश्ते में एक ऐसी गांठ बांध गए जो शायद अब खुल नहीं पाएगी.

अंशु के घर आज उस की बड़ी ननद निधि आई थी. अंशु ने प्यार और सम्मान से उस के लिए ढेर सारे पकवान बनाए.

निधि ने भोजन को देख कर नाक बनाते  हुए कहा, ‘‘अंशु, तुम्हारे बढ़ते वजन का यही कारण है और इसी कारण साकेत को रातदिन जिम में रहना पड़ता है. भई मु झे तो दालरोटी ही खानी है.’’

अंशु की आंखों में आंसू आ गए. मन ही मन वह सोच रही थी कि थोड़ा सा ही सही मन रखने के लिए खा लेती. उस के बढ़ते वजन पर कमैंट करने की क्या जरूरत थी.’’

मनीषा को घर सजाने का बड़ा शौक था. इस चक्कर में कभीकभी वह फुजूलखर्ची भी कर बैठती थी. इस बार जब उस की भाभी मीनाक्षी कानपुर आई तो पहले तो उस ने मनीषा के घर की साजसज्जा की खुल कर तारीफ करी. उस के बाद मीनाक्षी ने मनीषा को छोटेछोटे टिप्स भी दिए ताकि कम खर्च में ही वह अपने घर की साजसज्जा कर सके. सलाह देते हुए मीनाक्षी ने एक बात का ध्यान अवश्य रखा कि उस की बातों से मनीषा के सम्मान को ठेस न पहुंचे.

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तापसी ने रातदिन एक कर के अपने बौस का प्रेजैंटेशन तैयार किया. सुबह जब तापसी ने अपने बौस को प्रेजैंटेशन दिखाया तो बौस अजय शर्मा ने उस के काम की तारीफ करते हुए उसे कुछ इंप्रूवमैंट के टिप्स भी दिए. जब तापसी प्रेजैंटेशन पर दोबारा काम कर रही थी तो उसे सम झ आ गया कि उस ने कितनी सारी गलतियां कर रखी थीं, परंतु उस के बौस ने उस के काम और उस का सम्मान करते हुए बस इंप्रोविजेशन बता दिया. तापसी को बेहतर काम करना भी आ गया और बौस के लिए उस के दिल में सम्मान भी दोगना हो गया.

इन उदाहरणों में अगर आप देखें तो सभी घटनाओं में सलाह देने वाले लोगों का प्रमुख उद्देश्य दूसरे की भलाई ही था, परंतु सीख या सलाह से अधिक महत्त्व इस बात का होता है कि सीख या सलाह देने वाले व्यक्ति ने किस भाव से अपनी सलाह को परोसा है. अगर आप दूसरे को नीचा दिखाने के भाव से सलाह दे रही हैं तो वह कभी न खत्म होने वाले शीतयुद्घ में तबदील हो जाएगी.

अपने बच्चों, सहकर्मियों, मातापिता या किसी को भी सलाह देना कोई गलत बात नहीं है. परंतु सलाह देने से पहले कुछ छोटीछोटी चीजों का ध्यान रखेंगी तो न केवल वह सामने वाले के लिए उपयोगी होगी, बल्कि यह आप के संबंधों को भी प्रगाढ़ बनाने में सहायक होगी.

शब्दों का चयन सावधानी से करें: आप की कोई भी सलाह कितनी भी अच्छी हो, अगर कड़वे शब्दों के साथ परोसी जाएगी तो सामने वाला व्यक्ति उसे सिरे से नकार देगा. अगर आप वही सलाह सम झदारी के साथ परोसेंगी तो वे अवश्य सुनेंगे. सलाह को उपयोगी बनाने में शब्दों की प्रमुख भूमिका होती है.

सम्मान को ठेस न पहुंचाएं: अकसर देखने में आता है कि जब भी कोई सलाह देता है तो वह हमेशा सामने वाले व्यक्ति को ऐसे सलाह देता है कि व्यक्ति को लगता है उस के कार्य को नहीं उसे ही नकार दिया गया है. व्यक्ति चाहे आप से छोटा ही क्यों न हो आप उसे सिरे से नकार नहीं सकते हैं.

एकदूसरे से सीखें: आप जिस भी व्यक्ति को सलाह देने जा रही हैं सब से पहले उस की बात को धैर्य से सुनें. ऐसा हो सकता है उस व्यक्ति के पास ऐसे कार्य करने की कोई न कोई वजह अवश्य रही होगी. आप उस की बात सुन कर उस की कार्यप्रणाली को अपने अनुभव या जानकारी के साथ थोड़ा सा मौडिफाई कर सकती हैं. इस से उसे न बुरा लगेगा और आप का काम भी हो जाएगा.

कार्य को नकारें व्यक्ति को नहीं: अगर रति की सास उसे प्यार से सम झाती कि जरूरत से ज्यादा फलसब्जियां खरीद कर रखने से वे बासी हो जाएंगी, जो स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होती हैं तो यकीन करिए केवल इस एक वाक्य से रति की नजरों में अपनी सास का सम्मान दोगुना हो जाता और भविष्य में वह अपने हर छोटेबड़े कार्य के लिए सास की सलाह अवश्य लेती.

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स्कोप औफ इंप्रूवमैंट: किसी को सलाह इस प्रकार दें कि वह उन्हें सलाह नहीं, बल्कि स्कोप औफ इंप्रूवमैंट लगे. किसी भी व्यक्ति के कार्य या उस की कार्यप्रणाली को सिरे से नकार देना बिलकुल सही नहीं होता है. यह आप के रिश्तों में सदा के लिए खटास ला सकता है.

रिश्तों का रखें ध्यान: सलाह देते हुए रिश्तों की गरिमा का ध्यान अवश्य रखें. जो सलाह आप अपनी बेटी को दे सकती हैं वह आप अपने दामाद को नहीं दे सकती हैं. खुद  को अधिक सम झदार या अनुभवी सम झने के कारण ऐसा न हो कि आप के रिश्ते आप से दूर हो जाएं.

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