’12 वीं फेल’ के मनोज कुमार शर्मा बने पापा, घर आया नन्हा मेहमान

‘12वी फेल’ फेम एक्टर विक्रांत मैसी और शीतल ठाकुर के घर में गूंजी किलकारियां. इस प्यारे से जोड़े ने अपने पहले बच्चे, एक बेबी बॉय का स्वागत किया है. 7 फरवरी को, कपल ने इंस्टाग्राम पर एक प्यारे नोट के साथ इसकी घोषणा की. वहीं इस प्यारे जोड़े ने 2022 में शादी की थी.

इंस्टाग्राम पर शेयर की खुशखबरी

विक्रांत मैसी और शीतल ठाकुर ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक संयुक्त पोस्ट शेयर की है. जिसमें उन्होंने अपनी खुशी व्यक्त की और एक प्यारा सा नोट लिखा. इस प्यारे नोट में लिखा है, तारीख (7 फरवरी) का उल्लेख करते हुए- “क्योंकि हम एक हो गए हैं. हम अपने बेटे के आगमन की घोषणा करते हुए खुशी और प्यार से फूले नहीं समा रहे हैं, लव शीतल और विक्रांत.

विक्रांत मैसी को स्टार्स दे रहें हैं बधाई

विक्रांत मैसी की इस पोस्ट पर यूजर्स जमकर कमेंट्स कर रहे हैं. आम लोगों के साथ-साथ स्टार्स भी विक्रांत मैसी को कमेंट कर बधाई देते हुए नजर आए. विक्रांत मैसी की पोस्ट पर कमेंट करते हुए सुनील शेट्टी ने दिल वाले इमोजी के साथ बधाई दी है. इसके अलावा मौनी रॉय, वाणी कपूर, राशि खन्ना, ’12वीं फेल’ एक्ट्रेस मेधा शंकर समेंत कई स्टार्स ने कमेंट किए.

 

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विक्रांत मैसी और शीतल ठाकुर ने 2022 में की शादी

फरवरी 2022 में शादी करने से पहले विक्रांत मैसी और शीतल ठाकुर कुछ समय से डेटिंग कर रहे थे. शादी के बाद अपने जीवन के बारे में बात करते हुए, विक्रांत ने मीडिया इंटरव्यू में बताया, “मेरी शादीशुदा जिंदगी बहुत अच्छी रही है. हां, बहुत सी चीजें हैं जो अलग हैं अब. मैं बहुत कुछ अलग महसूस करता हूं लेकिन मैंने अपने सबसे अच्छे दोस्त से शादी की और मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं मांग सकता था. मुझे एक नया घर मिला, और वह भी एक आशीर्वाद रहा. इसलिए जीवन अच्छा है और भगवान बहुत दयालु हैं. काम के लिहाज से , यह भी बहुत अच्छा साल रहा. मैं जिस तरह का काम कर रहा हूं और जो मैंने किया है, उससे मैं वास्तव में खुश हूं.’

 

REVIEW: कीर्ति कुल्हारी का शानदार अभिनय दिखाती ‘शादीस्तान’

रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माताःफेमस डिजिटल स्टूडियो

निर्देशकः राज सिंह चैधरी

कलाकारः कीर्ति कुल्हारी, मेधा शंकर, निवेदिता भट्टाचार्य, केके मेेनन, रंजन मोदी, अजय जयनाथ, अपूर्व डोगरा, निशंक वर्मा व अन्य.  

अवधिः एक घंटा तेंतिस मिनट

ओटीटी प्लेटफार्मः डिज्नी हॉट स्टार

दो पीढ़ियों के बीच विचारों का टकराव सामान्य सी बात है. इस मुद्दे पर सैकड़ों फिल्में बन चुकी हैं. मगर लेखक निर्देशक राज सिंह चैधरी अपनी फिल्म‘‘शादीस्थान’’में दकियानूसी, सामंती व पितृसत्तात्मक सोच तथा आधुनिक सोच के टकराव का मुद्दा उठाते हुए फिल्म को जिस तरह से मनोरंजक कहानी के सॉंचे में ढाला है, उसमें गंभीरता व गहराई का अभाव खलता है. ‘‘शादीस्थान’’ ग्यारह जून की शाम से ‘डिज्नी हॉटस्टार’ पर स्ट्रीम हो रही है.

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कहानीः

फिल्म की कहानी एक रूढ़िवादी परिवार की मुंबई से अजमेर तक की सड़क यात्रा है. कहानी शुरू होती है मुंबई से. जहां संजय शर्मा(राजन मोदी ) गुस्से में हैं, क्योंकि उन्हें अपने भांजे चोलू की शादी में हवाई जहाज पकड़कर पत्नी कमला शर्मा (निवेदिता भट्टाचार्य )व बेटी आर्शी शर्मा(मेधा शंकर) के साथ अजमेर पहुंचना है, मगर फ्लाइट छूट गयी. जिसके लिए वह बेटी आर्शी शर्मा को दोषी मानते हैं. चोलू की शादी में संगीत पार्टी मुंबई से निजी बस से जा रही होती है, चोलू के कहने पर संजय शर्मा अपनी पत्नी व बेटी के साथ इसी बस में सवार हो जाते हैं. गुस्सैल संजय शर्मा को बस में मौजूद म्यूजीशियन का रंग ढंग पसंद नही आता. बस में गायिका साशा(कीर्ति कुल्हारी)और उसके बैंड के सदस्य,  अपूर्व डोगरा (फ्रेडी),  जिम्मी (शेनपेन खिमसर) और इमाद (अजय जयंती)हैं. यह सिगरेट पीते हैं, बियर पीते हैं. गाना गाते हैं. पुराने व दकियानूसी ख्यालों के संजय शर्मा को बस के अंदर का माहौल पसंद नही आता. परिणामतः संस्कृति व संवेदनाओं का टकराव होता है. धीरे धीरे कहानी स्पष्ट होती है कि आर्शी आज रात 18 वर्ष की पूरी होगी. उसके पिता ने उसकी शादी बिना उससे पूछे अजमेर में ही बुआ के कहने पर तय कर दी है, जबकि अभी वह शादी नही करना चाहती. इसीलिए वह अजमेर भी नही आना चाहती थी. इसीलिए आर्शी शर्मा अपनी सहेली के घर चली गयी थी. मगर फोन पर मॉं के रोने से उसने अपना निर्णय बदल दिया और घर वापस आ गयी और इसी चक्कर में फ्लाइट छूटी थी. बस रास्ते में टाइगर (के के मेनन) के होटल में रूकती है, उस वक्त संजय शर्मा अपनी दीदी के किसी काम को करने के लिए उदयपुर शहर जाते हैं. उस वक्त जहां साशा व कमला शर्मा, साशा व आर्शी शर्मा, इमाद और आर्शी शर्मा के बीच बातचीत होती है. यहां पारिवारिक व सामाजिक ढांचे में बंधी कमला शर्मा और आजाद ख्याल की साशा के बीच बातचीत होती है. पर जैसे ही इमाद,  आर्शी को 18 वर्ष पूरे होने यानीकि जन्मदिन की बधाई देता है,  वैसे ही संजय शर्मा वहां पहुॅच जाते हैं और इमाद पर आग बबुला होते हैं, इमाद उन्हे ऐसा जवाब देता है कि वह गुमसुम रहने लगते हैं. अजमेर में छोलू की शादी में पहुंचते है. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं और फिल्म की कहानी को शादीस्थान पर एक नया अंजाम मिलता है.

लेखन व निर्देशनः

फिल्मकार राज सिंह चैधरी इस बात के लिए बधाई के पात्र हैं कि उन्होने समाज में टैबू या यॅू कहें कि कलंक समझे जाने वाले विषय को फिल्म में उठाया है, जिसके बारे में सतत बातें की जानी चाहिए,  लेकिन फिल्म का अंत आम फिल्मों की ही तरह है. संजय शर्मा का हृदय परिवर्तन जिस तरह से होता है, वह गले नही उतरता. यदि राज सिंह चैधरी ने थोड़ा गहराई व गंभीरता से इस फिल्म को बनाया होता, तो लड़कियों व औरतों की आजादी तथा समाज के चक्रव्यूह में फंसे लोगों की चेतना जगाने को लेकर अति बेहतरीन फिल्म बन सकती थी. पर कमजोर पटकथा के चलते फिल्म अपने दर्शकों को सही मायने में नही जोड़ पाती. जबकि फिल्मकार ने बिना किसी भाषण बाजी के सामंती,  दकियानूसी व पितृ सत्तात्मक सोच रखने वाले पुरूषों पर चोट करने की कोशिश जरुर की है. नारीवाद का मसला नही है, मगर फिल्मकार ने इस मुद्दे को बड़ी साफगोई से उठाया है कि वर्तमान समय की लड़कियां किस तरह पारिवारिक व सामाजिक जकड़न से बाहर निकलने को बेताब हैं. तो वहीं टाइगर के होटल के प्रांगण में पेय पदार्थ के प्रभाव में मॉं बेटी का नृत्य बनावटी नजर आता है.

फिल्म के कुछ संवाद बेहतर बन पड़े हैं. मसलन-साशा का संवाद-‘हम जैसी औरतें लड़ाई करती हैं, ताकि आप जैसी औरतों को अपनी दुनिया में लड़ाई न करनी पड़े. ’’

फिल्म में राहुल भाटिया व नकुल शर्मा का संगीत कथानक के अनुरूप व कर्ण प्रिय है.

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अभिनयः

महिलाओं के अधिकारों के लिए मजबूत नेतृत्व वाली महिला साशा के किरदार को कीर्ति कुल्हारी ने बेहतर तरीके से निभाया है, पर कुछ दृश्यों में वह मजबूर नजर आती हैं. पितृसत्ता की सोच और अपनी बेटी से परेशान संजय शर्मा के किरदार में अभिनेता राजन मोदी तथा विवेकशील और बुद्धिमान कमला के किरदार में निवेदिता भट्टाचार्य भी अपनी छाप छोड़ जाती हैं. छोटी सी भूमिका में के के मेनन अपनी छाप छोड़ जाते हैं.

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