आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को ‘स्मार्ट फोन

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि तकनीक के प्रयोग से कार्य करने में आसानी व पारदर्शिता आती है. इसके इस्तेमाल से कार्य क्षेत्र में दक्षता आती है. यह कार्य को सम्पादित करने वाले व्यक्ति को सम्मान का पात्र भी बनाती है. आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को दिया जा रहा स्मार्ट फोन उनकी कार्य पद्धति को स्मार्ट बनाएगा. इसके माध्यम से आप सब आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री शासन-प्रशासन एवं जनविश्वास जीतकर अपनी पहचान बना सकती हैं.

मुख्यमंत्री जी ने लोकभवन में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा आयोजित आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को ‘स्मार्ट फोन’ एवं आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए ‘ग्रोथ मॉनीटरिंग डिवाइस’ वितरण कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. मुख्यमंत्री जी ने अपने कर कमलांे द्वारा 20 आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को ‘स्मार्ट फोन’ एवं 10 आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को ‘ग्रोथ मॉनीटरिंग डिवाइस’ प्रदान किये. उन्होंने ‘एक संग मोबाइल एप’ लॉन्च किया. इस अवसर पर एक लघु फिल्म प्रदर्शित की गयी.

इस अवसर पर प्रदेश में पोषण अभियान के अन्तर्गत आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को तकनीक से जोड़ने व उनकी कार्य सुविधा के लिए 1,23,000 ‘स्मार्ट फोन’ एवं बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए 1,87,000 ‘ग्रोथ मॉनीटरिंग डिवाइस’ वितरित किये जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सामान्य रूप से कहने के लिए यह केवल ‘स्मार्ट फोन व ‘ग्रोथ मॉनीटरिंग डिवाइस’ के वितरण का कार्यक्रम हो सकता है, लेकिन इसकी गूंज सुशासन के लक्ष्य को प्राप्त करने में नींव के पत्थर के रूप में है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का संकल्प है कि पारदर्शी और ईमानदार सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तकनीक के माध्यम से शासन की योजनाओं को प्रत्येक नागरिक तक पहुंचाया जाए. इसके लिए आवश्यक है कि ऐसे संसाधन उन लोगों को उपलब्ध कराए जाएं, जो शासन की योजनाओं को अन्तिम पायदान के व्यक्ति तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों के प्रति लोगों में सम्मान व आदर का भाव बढ़ा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति या संस्था की पहचान विपत्ति व आपत्ति के समय पता चलती है. जो व्यक्ति संकट आने पर भाग खड़ा हो, सहयोग न करे वह, कितना भी बड़ा, सम्पन्न व बुद्धिमान हो, अगर उसकी बुद्धिमत्ता व उसका ऐश्वर्य लोक कल्याण व समाज कल्याण के उपयोग में नहीं आ रहा है, तो उसका कोई महत्व नहीं है. संकट के समय सहयोगात्मक व लोक कल्याणकारी कार्य करने वाला ही महत्वपूर्ण होता है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोरोना की द्वितीय लहर के समय प्रदेश सरकार द्वारा निर्णय लिया गया कि प्रत्येक ग्राम व शहरी मोहल्लों में एक निगरानी समिति बनायी जाएगी. अप्रैल, 2021 में प्रदेश में निगरानी समितियां गठित की गयीं. इनके द्वारा घर-घर जाकर एक-एक व्यक्ति की पहचान कर संदिग्ध व्यक्ति को मेडिसिन किट उपलब्ध करायी गयी. इनकी सूची बनाकर अगले 24 घण्टे के अन्दर आर0आर0टी0 की टीम द्वारा जांच कराने की कार्यवाही की गयी. इस कार्य में 10 से 12 लोगों की एक टीम का गठन किया गया था, जिसमें आंगनबाड़ी, आशा वर्कर, ए0एन0एम0, ग्राम प्रधान, पार्षद, सहित ग्राम्य विकास, नगर विकास, पंचायतीराज तथा राजस्व विभाग के कर्मी शामिल थे.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोरोना वर्करों एवं निगरानी समितियों के सहयोग से प्रदेश में कोरोना नियंत्रित स्थिति में है. प्रदेश में कोरोना नियंत्रण एक मॉडल के रूप में सामने आया है कि किस प्रकार सामूहिक प्रयासों से एक महामारी को नियंत्रित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं हुआ है, इसके पूर्व, राज्य सरकार इंसेफेलाइटिस के सफल नियंत्रण का मॉडल प्रस्तुत कर चुकी है. वर्ष 1977 से वर्ष 2017 तक पूर्वी उत्तर प्रदेश के 07 जनपदों सहित प्रदेश के कुल 38 जनपदों में इन्सेफेलाइटिस रोग से मौतें होती थीं. इसमें अकेले बस्ती व गोरखपुर जनपद में प्रत्येक वर्ष डेढ़ से दो हजार बच्चों की असमय मृत्यु हो जाती थी. प्रदेश सरकार द्वारा किये गये प्रयासों से पूर्वी उत्तर प्रदेश में इन्सेफेलाइटिस रोग से होने वाली 95 से 97 प्रतिशत मृत्यु को नियंत्रित किया जा चुका है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोरोना महामारी को नियंत्रित करने में कोरोना वॉरियर्स, खास तौर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री, आशा, ए0एन0एम0 ने अत्यन्त सराहनीय कार्य किया है. उन्होंने कहा कि अच्छा कार्य करेंगे, तो समाज आपको सम्मान देगा. यही भूमिका आपको आगे बढ़ाएगी. कार्य करने से व्यक्ति शारीरिक रूप से मजबूत, मानसिक रूप से परिपक्व तथा आत्मविश्वास से भरपूर होता है. प्रदेश सरकार द्वारा प्रत्येक जनपद में कुपोषित बच्चों, गर्भवती महिलाओं के लिए पोषाहार तैयार करने के लिए संयंत्र स्थापित किया जा रहा है. उसकी क्वॉलिटी की जांच की व्यवस्था की जा रही है. यह प्रदेश में मातृ मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर को कम करने व देश के औसत के समकक्ष लाने में मदद करेगा. इससे राज्य सरकार की दवा एवं अन्य खर्चाें में बचत होगी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पिछले दिनों पोषण माह के कार्यक्रम में मैंने कहा था कि आंगनबाड़ी या आशा वर्कर का जितना पिछला मानदेय बकाया है, उसका तत्काल भुगतान किया जाए. विभाग ने उसकी कार्यवाही प्रारम्भ की है. यह पिछला वाला था. अभी सरकार उनको और भी देने जा रही है. आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री अपनी पूरी तन्मयता से कार्य कर रही हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 में एक्साइज के क्षेत्र में हावी गिरोह को पारदर्शी कार्यपद्धति एवं नीतियों को लाकर पूरी तरह से समाप्त किया. जब भ्रष्टाचार के सभी रास्ते बन्द कर दिये जाते हैं, तो विकास अपने आप बढ़ता हुआ दिखायी देता है. प्रदेश सरकार द्वारा सर्वांगीण विकास की नींव को रखने का कार्य किया जा रहा है. प्रत्येक आंगनबाड़ी केन्द्र के भवन का निर्माण कराया जा रहा है. इन आंगनबाड़ी भवनों को बाद में प्री-प्राइमरी के रूप में बनाने पर सरकार गम्भीरता से विचार कर रही है.

इस अवसर पर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए महिला कल्याण बाल विकास एवं पुष्टाहार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती स्वाती सिंह ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों ने बड़ी निष्ठा से कार्य किया. मुख्यमंत्री जी नेे वर्ष 2017 में प्रदेश की बागडोर संभालते ही, राज्य में गुड गवर्नेंस लाए. इस गुड गवर्नेंस का आधार ई-गवर्नेंस है. मुख्यमंत्री जी की मान्यता है कि जब तक आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को ई-गवर्नेंस से नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक गुड गवर्नेंस की सोच को साकार नहीं किया जा सकता. इसके दृष्टिगत आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को ‘स्मार्ट फोन’ तथा सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों को ‘ग्रोथ मॉनीटरिंग डिवाइस’ प्रदान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ‘एक संग मोबाइल एप’ आंगनबाड़ी केन्द्रों को सामुदायिक भागीदारी का एक मंच प्रदान करेगा, जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति एवं संस्था अपनी सहायता प्रदान कर सकता है.

इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 श्री नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव महिला कल्याण एवं बाल विकास श्रीमती एस0 राधा चौहान, प्रमुख सचिव महिला कल्याण एवं बाल विकास श्रीमती वी0 हेकाली झिमोमी, सूचना निदेशक श्री शिशिर, निदेशक राज्य पोषण मिशन श्री कपिल सिंह, निदेशक बाल विकास सुश्री सारिका मोहन सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

यूपी के हर जिले में मेडिकल कॉलेज का संकल्प

प्रदेश में 16 जिलों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए सरकार की आकर्षक नीति की वजह से देश के कई बड़े संस्थानों ने पहल की है. इन जिलों में मेडिकल कॉलेज बनने से आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए पांच नवंबर तक आवेदन मांगे हैं. विभाग की ओर से http://etender.up.nic.in वेबसाइट पर टेंडर जारी कर दिया गया है. सरकार की ओर से निजी निवेशकों को कई तरह की छूट भी दी जा रही है.

चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 16 जिलों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए कैबिनेट की मुहर लगने के बाद हाल ही में नीति जारी की थी और तीन तरह के विकल्प उपलब्ध कराए थे. हर विकल्प के लिए नियम और शर्तें अलग हैं. निजी क्षेत्र के निवेशक अपनी जमीन या सरकारी जमीन पर भी मेडिकल कॉलेज खोल सकते हैं. खास बात यह है कि विभाग ने इन सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए जमीन पहले से चिह्नित कर आरक्षित कर ली है.

चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए कई बड़े निवेशकों ने इच्छा जाहिर की है. विभाग की ओर से नीति जारी कर दी गई है. निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से निविदा प्रक्रिया के तहत निवेशकों का चयन किया जाएगा. सीएम योगी के निर्देश पर पूरी प्रक्रिया को तीव्र गति से पूरा किया जा रहा है.

हर साल मिलेंगे 16 सौ नए डॉक्टर, 10 हजार लोगों को मिलेगी नौकरी

प्रदेश में 16 जिलों में बनने वाले मेडिकल कॉलेजों से हर साल 16 सौ नए डॉक्टर मिलेंगे. साथ ही इन मेडिकल कॉलेजों में करीब 10 हजार लोगों को नौकरी मिलेगी. इसके अलावा इन मेडिकल कॉलेजों में लोगों के उपचार के लिए करीब छह हजार नए बेड उपलब्ध होंगे. इन मेडिकल कॉलेजों में आम लोगों को भी उच्च स्तरीय सहुलियत मिलेगी.

सीएम योगी ने इन जिलों में भी मेडिकल कॉलेज खोलने का लिया है संकल्प

प्रदेश में 16 जिलों बागपत, बलिया, भदोही, चित्रकूट, हमीरपुर, हाथरस, कासगंज, महराजगंज, महोबा, मैनपुरी, मऊ, रामपुर, संभल, संतकबीरनगर, शामली और श्रावस्ती में सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेज नहीं हैं. हालांकि इन जिलों में जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी की सुविधा उपलब्ध है. इन जिलों में स्वास्थ्य सुविधाओं में और इजाफा करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हर जिले में मेडिकल कालेज का खोलने का संकल्प लिया है.

पैरामेडिकल में करियर: एक सुनहरा भविष्य

अगर आपकी रुचि मेडिकल क्षेत्र में है और लोगों की सेवा करने से खुशी मिलती है तो पैरामेडिकल एक बेहतर विकल्फ हो सकता है. पैरामेडिकल स्टॉफ, इलाज में डॉक्टर्स की मदद करते हैं. साथ ही मरीजों के रोगों की पहचान करने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसलिए सरकारी/प्राइवेट हॉस्पिटल से लेकर नर्सिंग होम, क्लीनिक, लैब्स और चिकित्सा विज्ञान के दूसरे तमाम क्षेत्रों में इनकी डिमांड बढ़ती जा रही है. इसके अलावा पैरामेडिकल स्टॉफ इमरजेंसी मेडिकल केयर प्रोवाइडर के रूप में भी काम करते हैं.
इस क्षेत्र में ये हैं प्रमुख करियर संभावनाएं

लैब टेक्नोलॉजी

इस क्षेत्र में लैब टेक्नोलॉजी यानी क्लीनिकल लेबोरेटरी साइंस का नाम सबसे पहले नंबर पर आता है. इसमें टेक्नीशियन और टेक्नोलॉजिस्ट दो तरह के प्रोफेशनल होते हैं. मेडिकल टेक्नोलॉजिस्ट का काम ब्लड बैंकिंग, क्लीनिकल टेक्नोलॉजी, इम्यूनोलॉजी, हेमैटोलॉजी एवं माइक्रोबायोलॉजी से संबंधित काम करना है. जबकि मेडिकल टेक्नीशियन लैब में रूटीन टेस्ट का काम देखते हैं.

रेडियोग्राफी

रेडियोग्राफी भी पैरामेडिकल से जुड़ा है. इसमें रेडिएशन के सहारे उन छिपे हुए अंगों की तस्वीरें ली जाती हैं जो दिखती नहीं है और कई शारीरिक विकारों को सामने लाया जाता है. अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, सीटी स्कैन, एमआरआई आदि इसी क्षेत्र से संबंधित है. पैरामेडिकल कोर्स करने के बाद आप भी रेडियोग्राफर बन सकते हैं.

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ऑप्टोमेट्री

इस प्रोफेशन में आंखों का परीक्षण और उनकी देखभाल की जाती है. जैसे- आंखों के प्रारंभिक प्रॉबलम्स के लक्षण, लेंस का समुचित प्रयोग आदि.

माइक्रोबायोलॉजी

पैरामेडिकल क्षेत्र में माइक्रोबायोलॉजी टेक्नोलॉजी को बेहद महत्तवपूर्ण माना जाता है. इसमें टेक्नोलॉजिस्ट की मदद से सही तरीके से रोग की पहचान और दवाओं के जरिए बीमारी का इलाज किया जाता है.

फिजियोथेरेपी

बदलती लाइफस्टाइल की वजह से आज इस क्षेत्र की मांग बढ़ती जा रही है. फिजियोथेरेपी में व्यायाम या उपकरणों के जरिए रोगों का इलाज किया जाता है. वहीं आर्थराइटिस व न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होने पर फिजियोथेरेपिस्ट की मदद ली जाती है. जिसमें हीट रेडिएशन, वाटर थेरेपी और मसाज आदि को शामिल किया जाता है.

ऑक्युपेशनल थेरेपी

इसमें न्यूरोलॉजिकल डिसआर्डर, स्पाइनल कार्ड इंजुरी का इलाज किया जाता है. इसके अलावा कई तरीके के शारीरिक व्यायाम कराए जाते हैं.

स्पीच थेरेपी

इस थेरेपी में हकलाना, तुतलाना और सुनने की क्षमता जैसी अन्य कई समस्याओं का इलाज किया जाता है.

कैसे लें एडमिशन

बारहवीं करने के बाद आप इस क्षेत्र में दाखिला ले सकते हैं. इसके लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी व अंग्रेजी में अच्छे अंकों के साथ 12वीं की परीक्षा पास करनी होगी. पैरामेडिकल के कुछ कोर्स में एडमिशन के लिए 60 प्रतिशत अंक अनिवार्य होते हैं. हालांकि कुछ कोर्सेज में 10वीं के बाद भी एडमिशन होता है. वहीं मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन के लिए बायोलॉजी से ग्रेजुएट होना जरूरी है.

भारत में सभी मेडिकल कॉलेज मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा संचालित किए जाते हैं. पैरामेडिकल कोर्स में एडमिशन के लिए छात्र CPNET यानी संयुक्त पैरामेडिकल एंड नर्सिंग प्रवेश परीक्षा में भाग ले सकते हैं. यह फॉर्म हर साल अप्रैल-मई में निकलता है. इसके अलावा आप जिपमर (JIPMER), नीट-पीजी (NEET-PG), एमएचटी सीईटी (MHT-CET), नीट-यूजी (NEET-UG) और प्राइवेट व सरकारी कॉलेजों में भी डायरेक्ट एडमिशन ले सकते हैं.

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कहां लें एडमिशन (प्रमुख संस्थान)

-ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स), नई दिल्ली www.aiims.edu
-ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट फिजिकल मेडिसिन ऐंड रिहैबिलिटेशन, मुंबई www.aiipmr.gov.in
-राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, बेंगलुरु www.rguhs.ac.in
-हिप्पोक्रेट्स इंस्टीट्यूट्स ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज ऐंड रिसर्च www.hipsr.in
-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (फैकल्टी ऑफ साइंस), वाराणसी www.bhu.ac.in

कहां मिलेगी नौकरी

जॉब की बात करें तो पैरामेडिकल क्षेत्र में कोर्स करने के बाद फिजियोथेरेपी, अल्ट्रासाउंड, एक्सरे जैसे काम किए जाते हैं. वहीं इमरजेंसी सेंटर, ब्लड डोनेशन सेंटर, डायग्नोसिस सेंटर, फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज, मेडिसिन लैब, क्लीनिक जैसी जगहों पर काम किया जा सकता है. इसके अलावा विदेश में भी काफी मौके हैं.

कितनी मिलेगी सैलरी

शुरूआती पैकेज दो से पांच लाख सलाना हो सकता है. धीरे-धीरे अनुभव और योग्यता के हिसाब से यह बढ़ता जाता है. इसके अलावा प्राइवेट लैब/ पैथोलॉजी भी खोल सकते हैं.

मेडिकल क्षेत्र में व्यवसाय

अगर आप आर्थिक रूप से सम्पन हैं तो मेडिकल क्षेत्र में महज 3 से 5 लाख रुपए के खर्च कर फ्रेंचाइजी बिजनेस भी शुरू कर सकते हैं. फ्रेंचाइजी लेने के लिए आपको पहले उस कंपनी के आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा. आप उक्त कंपनी को मेल भी कर सकते हैं.

कैसे मिलेगा लाइसेंस

कोर्स पूरा करने के बाद अगर आप इस क्षेत्र में बिजनेस शुरू करान चाहते हैं तो शुरुआत में Proprietorship इकाई के तौर पर रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के साथ रजिस्टर करवा सकते हैं. इसके अलावा प्राइवेट क्लीनिक/ लैब को स्थानीय नियमों के मुताबिक भी रजिस्टर करवाना पड़ता है, जो अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो सकते हैं.

इस बिजनेस को Shops and Establishment Act and Clinical Establishment के तहत रजिस्टर करवाना भी जरूरी होता है. इसके अलावा इस तरह का बिजनेस शुरू करने के लिए राज्य के Director of Health Services और Local Biomedical Waste Disposal Body में भी रजिस्टर करने की जरूरत हो सकती है. वहीं राज्य के प्रदूषण नियंत्रण विभाग से स्वीकृति, नगर पालिका और नगर परिषद से No objection certificate की भी जरूरत हो सकती है.

इसके अलावा आप चाहें तो गुणवत्ता नियंत्रण के लिए अपनी पैथॉलॉजी लैब को National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories (NABL) से मान्यता दिला सकते हैं. इसके अलावा कुछ रजिस्ट्रेशन ऐसे भी होते हैं जो लैब में उपयोग होने वाले मेडिकल मशीनरी एंव उपकरणों को ध्यान में रखते हुए करवाने पड़ते हैं.

नोट: ज्यादा जानकारी के लिए गवर्मेंट की वेबसाइट http://paramedicalcouncilofindia.org  पर जा सकते हैं.

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