मैडिकल टैस्ट क्यों जरूरी

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में जब लोग अपने शरीर का अच्छे से ध्यान नहीं रख पाते, तो कई बीमारियां उन के शरीर में घर कर जाती हैं, जिन्हें समय रहते अगर पकड़ लिया जाए, तो आने वाले जीवन में तकलीफों से बचा जा सकता है. लोगों का यह सोचना है कि रैग्युलर मैडिकल चैकअप सिर्फ बड़ी उम्र के लोगों के लिए होता है, लेकिन सच तो यह है कि 25 की उम्र होते ही इंसान को एक बार अपने पूरे शरीर का चैकअप करवा लेना चाहिए.

मैडिकल टैस्ट करवाने से हमें क्या फायदे होते हैं आइए उसे भी जानते हैं:

ब्लड टैस्ट: किसी भी बीमारी के इलाज से बेहतर होती है उस की रोकथाम. यदि समय से उस की रोकथाम कर ली जाए, तो आने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है. इस के लिए सब से जरूरी होता है ब्लड टैस्ट. एक ब्लड टैस्ट हमें होने वाली बहुत सी बीमारियों के बारे में बता सकता है. कई लोग साल में 3 बार अपना रूटीन चैकअप करवाना पसंद करते हैं ताकि उन को आने वाली किसी भी बीमारी के बारे में पता चल जाए. यही नहीं, यदि आप मां बनने वाली हैं तो उस समय भी आप के लिए ब्लड टैस्ट करवाना बहुत जरूरी है ताकि आप की और आप के आने वाले बच्चे की सेहत का अच्छे से खयाल रखा जा सके.

हीमोग्राम: हीमोग्राम या कंप्लीट ब्लड काउंट कई बीमारियों की जांच में मदद करता है जैसे ऐनीमिया, संक्रमण आदि. यह टैस्ट विकारों की जांच करने के लिए एक व्यापक स्क्रीनिंग परीक्षा के रूप में प्रयोग किया जाता है. यह वास्तव में रक्त के विभिन्न भागों को जांचने में मदद करता है.

किडनी फंक्शन टैस्ट: अगर हमारे शरीर में हमारी दोनों किडनियां सही ढंग से काम कर रही हों तो वे हमारे खून में मिल रही गंदगी को साफ कर देती हैं. लेकिन अगर वे खराब हो जाएं, तो हमारे शरीर में कई सारी दिक्कतें आ जाती हैं. किडनी फंक्शन टैस्ट से हमें पता चलता है कि वे सही ढंग से काम कर रही हैं या नहीं.

लिवर फंक्शन टैस्ट: लिवर फंक्शन टैस्ट एक टाइप का ब्लड टैस्ट होता है, जिस के द्वारा लिवर में हो रही सभी दिक्कतों का पता लगाया जाता है.

ये भी पढ़ें- Women’s Day के मौके पर जानें एक्ट्रेस फ्लोरा सैनी के फिटनेस मंत्र

ब्लड काउंट: यह एक ऐसा टैस्ट होता  है जिस के द्वारा हमारे शरीर के व्हाइट ब्लड सैल्स और रैड ब्लड सैल्स को काउंट किया जाता है.

ब्लड शुगर टैस्ट: यह टैस्ट मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत जरूरी है. इस के लक्षण बहुत ही आम हैं जैसे कमजोरी आना, पैरों में दर्द, वजन कम होना, हड्डियां कमजोर होना. अगर मधुमेह के किसी रोगी को चोट लगे तो वह जल्दी ठीक नहीं हो पाती. अगर समय से टैस्ट करवा लिया जाए तो व्यक्ति अपने खानेपीने का ध्यान रख सकता है.

चैस्ट ऐक्सरे: चैस्ट का ऐक्सरे करवाने से हमें छाती से जुड़ी प्रौब्लम्स का पता चलता है जैसे फेफड़ों की तकलीफ, दिल से जुड़ी बीमारियां आदि.

टोटल लिपिड प्रोफाइल: टोटल लिपिड प्रोफाइल भी एक प्रकार का ब्लड टैस्ट होता है, जिस के द्वारा कई बीमारियों का पता लगाया जाता है जैसे कोलैस्ट्रौल, जैनेटिक डिसऔर्डर, कार्डियोवैस्क्यूलर डिजीज, पैंक्रिआइटिस आदि.

यूरिन और स्टूल रूटीन ऐग्जामिनेशन: यूरिन और स्टूल रूटीन ऐग्जामिनेशन से मधुमेह जैसे रोगों का भी पता चलता है.

ई.सी.जी.: ई.सी.जी. के द्वारा हमें दिल की कई बीमारियों का पता चलता है.

सभी टैस्ट करवाने से पहले एक बार डाक्टर की सलाह जरूर लें और अगर डाक्टर कहे तो पेट का अल्ट्रासाउंड और थायराइड प्रोफाइल टैस्ट भी जरूर करवाएं. यदि किसी का ब्लडप्रैशर कम रहता हो, भूख न लगती हो और पेट में दर्द रहता हो तो उसे तुरंत ही डाक्टर से संपर्क करना चाहिए, चाहे वह किसी भी उम्र का हो. एक बार ये सभी टैस्ट करवाने के बाद 5 साल में एक बार इन सभी टैस्ट को दोबारा करवाना चाहिए और बीमारी या बीमारी से जुड़ा कोई भी लक्षण हो तो तुरंत ही डाक्टर से संपर्क करना चाहिए. खुद ही डाक्टर बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.

इस के बाद 40 की उम्र में प्रवेश करते ही ये सभी टैस्ट हर 2 वर्ष में करवाने चाहिए, क्योंकि इस उम्र में शरीर थोड़ा कमजोर होने लगता है और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इस के साथ ही जैसेजैसे उम्र बढ़ती जाती है हमारी हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, इसलिए औरतों को बोन डैंसिटी चैकअप करवाना शुरू कर देना चाहिए. इस उम्र में अपने सभी रैग्युलर टैस्ट के साथसाथ टे्रडमिल टैस्ट (टी.एम.टी) और ईको कार्डियोग्राफी (ईको) करवाना भी आवश्यक है, क्योंकि इस उम्र में हमारी हड्डियों के साथसाथ हमारा दिल भी कमजोर होने लगता है.

ये भी पढ़ें- क्या आप भी परेशान हैं कब्ज की शिकायत से, पढ़ें खबर

औरतों को 40 से 45 की उम्र में अपना हारमोनल टैस्ट भी करवा लेना चाहिए, क्योंकि इस उम्र में बहुतों को मेनोपौज आ जाता है, जिस के साथ शरीर के हारमोंस में भी कई तरह के बदलाव आते हैं. ऐसे ही जब 50 की उम्र में आ जाए तो ये सब टैस्ट हर वर्ष करवाने चाहिए. इन सभी टैस्ट के साथसाथ पुरुषों के लिए इस उम्र में प्रोस्टेट टैस्ट करवाना भी जरूरी है. अपना रूटीन चैकअप करवाने से हम आने वाली बीमारियों के प्रति सतर्क तो रहते ही हैं, भविष्य में होने वाली कई तकलीफों से भी बच जाते हैं.                 

  -डा. अनुराग सक्सेना प्राइमस सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल

सिंगल वूमन के लिए जरूरी हैं ये 7 मैडिकल टैस्ट

जो महिलाएं शादी नहीं करतीं या तलाक अथवा पति की मृत्यु के कारण अकेली रह जाती हैं उन में उम्र बढ़ने पर अकेलेपन की भावना घर करने लगती है, क्योंकि जब तक वे 40 की होती हैं, उन के भाईबहनों, कजिंस और दोस्तों की शादियां हो जाती हैं और वे अपनेअपने परिवार में व्यस्त हो जाते हैं, जिस से वे एकदम अकेली पड़ जाती हैं. इस से उन में तनाव का स्तर बढ़ने लगता है, जो उन्हें कई बीमारियों का शिकार बना देता है. उन में वजन कम या अधिक होने, उच्च रक्त दाब, हृदय रोग, तंत्रिकातंत्र से संबंधित समस्याएं यहां तक कि कई प्रकार के कैंसर होने की आशंका तक बढ़ जाती है.

एकल जीवन बिता रही महिलाओं को अपनी सेहत का और अधिक खयाल रखना चाहिए. वे यह न सोचें कि हैल्थ चैकअप समय और पैसों की बरबादी है. चूंकि कई गंभीर बीमारियों के लक्षण प्रथम चरण में नजर नहीं आते, इसलिए मैडिकल टैस्ट जरूरी है ताकि बीमारी का पता चलने पर उस का समय रहते उपचार करा लिया जाए.

प्रमुख मैडिकल चैकअप

ओवेरियन सिस्ट टैस्ट: अगर आप को पेट के निचले हिस्से में दर्द हो या अनियमित मासिक धर्म हो अथवा मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक ब्लीडिंग हो तो ओवेरियन सिस्ट का टैस्ट कराएं. अगर सामान्य पैल्विक परीक्षण के दौरान सिस्ट का पता चलता है, तो ऐब्डोमिनल अल्ट्रासाउंड किया जाता है. छोटे आकार के सिस्ट तो अपनेआप ठीक हो जाते हैं पर यदि ओवेरियन ग्रोथ या सिस्ट का आकार 1 इंच से बड़ा हो तो आप को ओवेरियन कैंसर होने की आशंका है. इस स्थिति में डाक्टर कुछ और टैस्ट कराने की सलाह देते हैं.

मैमोग्राम: यह महिलाओं के लिए सब से महत्त्वपूर्ण टैस्ट है. जब कैंसर हो जाने पर भी कोई बाहरी लक्षण दिखाई न दे तब यह टैस्ट कैंसर होने का पता लगा लेता है. क्लीनिकल ब्रैस्ट ऐग्जामिनेशन (सीबीई) किसी डाक्टर द्वारा किया जाने वाला ब्रैस्ट का फिजिकल ऐग्जामिनेशन है. इस में स्तनों के आकार में बदलाव जैसे गठान, निपल का मोटा हो जाना, दर्द, निपल से डिस्चार्ज बाहर आना और स्तनों की बनावट में किसी प्रकार के बदलाव की जांच की जाती है.

ये भी पढ़ें- माइक्रोवेव में न रखें ये बर्तन, हो सकता है नुकसान

कितने अंतराल के बाद: सीबीई साल में 1 बार और मैमोग्राम 2 साल में 1 बार.

कोलैस्ट्रौल स्क्रीनिंग टैस्ट: कोलैस्ट्रौल एक तरह का फैटी ऐसिड होता है. यह जांच यह बताने के लिए जरूरी है कि आप के दिल की बीमारियों की चपेट में आने की कितनी संभावना है. कोलैस्ट्रौल 2 प्रकार के होते हैं-एचडीएल या हाई डैंसिटी लिपोप्रोटीन्स और एलडीएल या लो डैंसिटी लिपोप्रोटीन्स. इस टैस्ट में रक्त में दोनों के स्तर की जांच होती है.

कितने अंतराल के बाद: 3 वर्ष में 1 बार. लेकिन अगर जांच में यह बात सामने आती है कि आप के रक्त में कोलैस्ट्रौल का स्तर सामान्य से अधिक है या आप के परिवार में दिल की बीमारी का पारिवारिक इतिहास रहा है तो डाक्टर आप को हर 6 से 12 महीनों में यह जांच कराने की सलाह देते हैं.

ब्लड प्रैशर टैस्ट: नियमित रूप से ब्लड प्रैशर की जांच शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है. अगर आप का ब्लड प्रैशर 90/140 से अधिक या कम है तो आप के दिल पर दबाव पड़ता है, जिस से ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक और किडनी फेल होने की आशंका बढ़ जाती है.

कितने अंतराल के बाद: साल में 1 बार, लेकिन अगर आप का ब्लड प्रैशर सामान्य से अधिक या कम है तो डाक्टर आप को 6 महीने में 1 बार कराने की सलाह देंगे.

ब्लड शुगर टैस्ट और डायबिटीज स्क्रीनिंग: ब्लड शुगर टैस्ट में यूरिन की जांच कर रक्त में शुगर के स्तर का पता लगाया जाता है. डायबिटीज स्क्रीनिंग में शरीर के ग्लूकोज के अवशोषण की क्षमता की जांच की जाती है.

कितने अंतराल के बाद: 3 साल में

1 बार. पारिवारिक इतिहास होने पर प्रति वर्ष.

बोन डैंसिटी टैस्ट: बोन डैंसिटी टैस्ट में एक विशेष प्रकार के ऐक्स रे के द्वारा स्पाइन, कलाइयों, कूल्हों की हड्डियों की डैंसिटी माप कर इन की शक्ति का पता लगाया जाता है ताकि हड्डियों के टूटने से पहले ही उन का उपचार किया जा सके.

कितने अंतराल में कराएं: हर 5 साल बाद.

पैप स्मियर टैस्ट: इस के द्वारा गर्भाशय के कैंसर की जांच की जाती है. अगर समय रहते इस के बारे में पता चल जाए तो इस का उपचार आसान हो जाता है. इस में योनि में एक यंत्र स्पैक्युलम डाल कर सर्विक्स की कुछ कोशिकाओं के नमूने लिए जाते हैं. इन कोशिकाओं की जांच की जाती है कि कहीं इन में कोई असमानता तो नहीं है.

कितने अंतराल के बाद: 3 साल में 1 बार.

-डा. नुपुर गुप्ता (कंसलटैंट ओस्टेट्रिशियन ऐंड गाइनोकोलौजिस्ट, निदेशक, लैव वूमन क्लीनिक, गुड़गांव)

ये भी पढ़ें- कैंसर का दर्द: कैंसर का सबसे बड़ा डर

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें