कुतुबमीनार से भी ऊंचा है ये किला, यहां से दिखता है पाकिस्तान

भारत में घूमने के लिए इतने खूबसूरत पर्यटन स्थल हैं, कि आपकी पूरी जिंदगी कम पड़ जाएगी.यहां ऐतिहासिक किलों को देखने के लिए आपको सालों-साल लग जाएंगे. आज हम आपको ऐसे ही दिलचस्प किले के बारे में बताने जा रहे हैं.

राजस्थान के जोधपुर और मेहरानगढ़ किला की स्थापना की कहानी बड़ी रोचक थी. जब राव जोधा जी को अपने पिता की मृत्यु के बाद मंडोर का राज्य खोना पड़ा तब वे लगातार पंद्रह सालों तक मेवाड़ की फौजों से युद्ध करते रहे और 1453 ई. में उन्होंने मंडोर पर अधिकार किया. जिसके लिए राव जोधा उत्तराधिकारी बने थे. उन्हें अपनी राजधानी के लिए एक किले का निर्माण करना था.

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इसी बीच उन्होंने एक जगह हिरण को शेर से लड़ते देखा और किले का निर्माण कराया. बता दें कि जोधपुर का मेहरानगढ़ किला 120 मीटर ऊंची एक पहाड़ी पर बना हुआ है. इस तरह से यह किला दिल्ली के कुतुब मीनार की ऊंचाई (73मीटर) से भी ऊंचा है. किले के परिसर में सती माता का मंदिर भी है.

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क्या है खास

इस किले के दीवारों की परिधि 10 किलोमीटर तक फैली है. इनकी ऊंचाई 20 फुट से 120 फुट तथा चौड़ाई 12 फुट से 70 फुट तक है. इसके परकोटे में दुर्गम रास्तों वाले सात आरक्षित दुर्ग बने हुए थे. घुमावदार सड़कों से जुड़े इस किले के चार द्वार हैं. किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार दरवाजे, जालीदार खिड़कियां हैं.

जोधपुर शासक राव जोधा ने 12 मई 1459 को इस किले की नींव डाली और महाराज जसवंत सिंह (1638-78) ने इसे पूरा किया. यानि इस किले का इतिहास 500 साल पुराना है.

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हो चुकी है हौलीवुड फिल्मों की शूटिंग

  • कामयाब अंग्रेजी फिल्म डार्क नाइट के कुछ हिस्से भी मेहरानगढ़ में फिल्माए जाने के बाद यह हौलीवुड के लिए भी एक शानदार डेस्टीनेशन बन गया.
  • यहां ब्रूस वेन को कैद करने, जेल पर हमला करने आदि के दृश्य फिल्माए गए थे.

किले से दिखता है पाकिस्तान

1965 में भारत-पाक के युद्ध में सबसे पहले मेहरानगढ़ के किले को टारगेट किया गया था. लेकिन माना जाता है कि माता की कृपा से यहां किसी का बाल भी बांका नहीं हुआ. यहां किले की चोटी से पाकिस्तान की सीमा दिखती है.

कैसे पहुंचे

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फ्लाइट से जा रहे हैं, तो आप जोधपुर एयरपोर्ट द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं. वहीं ट्रेन से जाने के लिए जोधपुर स्टेशन से ट्रेन सभी मुख्य शहरों के लिए टैक्सी या बस मिल जाएगी. आप यहां बस से भी पहुंच सकते हैं. नई दिल्ली  और आगरा से जयपुर के लिए कई सीधी बसें मिलती हैं. दिल्ली और आगरा के बीच का यह सड़क मार्ग गोल्डन ट्रैवल क्षेत्र का हिस्सा है.

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कहां ठहरें : आपको यहां कई होटल, रिसौर्ट मिल जाएंगे. इसके अलावा अगर आपका बजट थोड़ा कम है तो यहां धर्मशालाएं भी बनाई गई हैं.

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