Winter Special: जाने मेनोपॉज के दौरान कैसे अपनी त्वचा का बचाव कर सकते हैं आप?

मेनोपॉज बढ़ती उम्र में जीवन का एक हिस्सा है. यह महिलाओं के शारीरिक, जातीय और सामाजिक पहलुओं को जोड़ता है. दुनिया में हर जगह जब महिलाओं की उम्र आधी हो जाती है तो वे अनियमित पीरियड्स या मेनोपॉज का अनुभव करती हैं. इन सब चीजों में डॉक्टरी मदद से कुछ राहत मिल जाती है. ईस बारे में बता रहे हैं-एलाइव वेलनेस क्लीनिक के मुख्य त्वचा रोग विशेषज्ञ और डायरेक्टर डॉ चिरंजीव छाबरा.

मेनोपॉज प्राकृतिक रूप से होने वाली एक ‘बायोलॉजिकल’ प्रक्रिया है. मेनोपॉज तब होता है जब ओवरीज (अंडाशय) हार्मोन का उत्पादन ज्यादा मात्रा में करना बंद कर देती हैं. ओवरीज टेस्टोस्टेरोन के अलावा वे फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन करते हैं. जब पीरियड्स आते हैं तो एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन उसमे मुख्य भूमिका निभाते हैं. जिस तरह से आपका शरीर कैल्शियम का इस्तेमाल करता है या ब्लड कोलेस्ट्राल लेवल को संतुलित करता है उसी के हिसाब से एस्ट्रोजन का उत्पादन भी प्रभावित होता है.

जब मेनोपॉज होता है तो ओवरी से फेलोपियन ट्यूब में अंडे रिलीज होना बंद हो जाते हैं और महिला तब अपने आखिरी मासिक चक्र में होती है.

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं को होने वाली समस्याएं

मेनोपॉज के दौरान अनियमित रूप से पीरियड्स आते हैं, उम्र से सम्बंधित त्वचा पर लक्षण दिखते हैं, धूप से त्वचा के डैमेज हो जाती है, स्किन ड्राई हो जाती है, चेहरे के बाल नज़र आते हैं, बालों का झड़ना, झुर्रियाँ, फुंसियाँ, हार्ट तेज होना, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, और दर्द, सेक्स न करने की भावना होना, एकाग्रता में और याददाश्त सम्बन्धी परेशानी, वजन बढ़ना और कई तरह के मुँहासे होते हैं.

समस्याएं–

– गर्माहट का झोंका लगना (गर्मी का अचानक अहसास जो पूरे शरीर में हो).

– रात में पसीना आना और/या ठंड लगना.

– सर्विक्स में सूखापन; सेक्स के दौरान बेचैनी होना

– पेशाब करने की बार-बार जरूरत महसूस होना

– नींद न आने की समस्या (अनिद्रा).

– भावनात्मक बदलाव (चिड़चिड़ापन, मिजाज, हल्का डिप्रेशन).

– मुंह, आँख और स्किन का ड्राई होना

मेनोपॉज आने पर स्किन से सम्बंधित सावधानी–

विटामिन  D और कैल्शियम से भरपूर चीजें खाएं

मेनोपॉज संबंधी हार्मोनल बदलाव हड्डियों को कमजोर बना देते हैं. जिससे ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा बढ़ सकता है क्योंकि कैल्शियम और विटामिन D की कमी हो जाती है. इसलिए अपनी डाइट में उन चीजों को शामिल करें जिसमे कैल्शियम और विटामिन डी प्रचुर मात्रा में हो.

 

ट्रिगर खाद्य पदार्थ खाने से बचें–

कुछ खाद्य पदार्थों से गर्म झोंके आने, रात को पसीना आने और मूड स्विंग से जोड़ कर देखा जाता है. जब रात में इसका सेवन किया जाता है, तो उनके ट्रिगर होने की संभावना और भी ज्यादा हो सकती है. कैफीन, शराब और मसालेदार भोजन से बचें.

 

हयालूरोनिक एसिड–

जब उम्र बढ़ती है तो शरीर में हयालूरोनिक एसिड कम हो जाता है, जिस वजह यह एसिड त्वचा और ऊतकों की सुरक्षा नहीं कर पाता है. इसलिए हयालूरोनिक जैल और सीरम लगाने की जरूरत होती है. प्रोफिलो  भी ऐसा ही एक इंजेक्टेबल स्किन रीमॉडेलिंग ट्रीटमेंट है. इस इलाज को तब अमल में लाया जाता है जब त्वचा को हाइड्रेटेड, जवान और स्वस्थ रखने के लिए हयालूरोनिक एसिड को सीधे त्वचा की परतों में इंजेक्ट किया जाता है. यह थेरेपी कई रूपों में आती है. इन थेरेपी में बायो रीमॉडेलर, स्किन बूस्टर, फ्रैक्शनल मेसोथेरेपी और लिप फिलर्स शामिल हैं.

 

फल और सब्जियों का भरपूर सेवन करें–

फलों और सब्जियों से भरपूर डाइट का सेवन  करने से मेनोपॉज के कई लक्षणों को रोकने में मदद मिल सकती है.  फल और सब्जियों में कम कैलोरी होती हैं. इनसे आप अपने वजन को भी संतुलित रख सकते हैं.

 

रिफाइन शुगर और प्रोसेस्स्ड फ़ूड का सेवन कम करें–

रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और शुगर से ब्लड शुगर के स्पाइक्स और ड्रॉप्स बन सकते हैं. इससे व्यक्ति थका हुआ और चिड़चिड़ा महसूस कर सकता है. यह मेनोपॉज के शारीरिक और मानसिक लक्षणों को बढ़ा सकता है. हाई-रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट डाइट पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं में डिप्रेशन के ख़तरे को बढ़ा सकते हैं.

अन्य तरीके–

महिलाएं इलाज के रूप में प्रोफिलो के माध्यम से हाइलूरोनिक एसिड का भी उपयोग कर सकती हैं. प्रोफिलो एक ऐसा तरीका है जिससे उम्र बढ़ने से सम्बंधित संकेतो और लक्षणों को मिटाया जा सकता है. कई महिलाएं जीवन के इस फेज में काफी खुश होती है क्योंकि उन्हें बच्चे पैदा होने की चिंता नहीं रह जाती है. इससे वे नई चीजें अपनाने में लग जाती हैं.

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