क्या होते हैं पैंटी लाइनर्स, जानें इसके बारे में कुछ खास बातें

योनि से स्राव होना एक आम और सामान्‍य घटना है. कुछ लोग अपने अंडरवियर को पूरे दिन सूखा, साफ और योनि के स्राव से मुक्‍त रखने के लिये पैंटी लाइनर्स का इस्‍तेमाल करते हैं. ये आपके सैनिटरी पैड की तरह ही होते हैं लेकिन ये सेनिटरी पैड से बहुत पतला होता है. जिसे पैंटी को सूखा रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन ये पतले, छोटे और कम सोखने की क्षमता वाले होते है इनका इस्तेमाल उन दिनों में किया जाता है, जब आपको वेजाइनल डिस्चार्ज और स्पौटिंग हो सकती यह किसी भी तरह की स्पॉटिंग होने से रोकने और आपके वैजाइनल एरिया को साफ-सुथरा और तरोताज़ा महसूस करने में मदद करता है.

पैंटी लाइनर्स के बारे में बता रही है डॉ. मंजू गुप्‍ता, सीनियर कंसल्‍टेन्‍ट ऑब्‍स्‍टेट्रिशियन एवं गाइनेकलॉजिस्‍ट, मदरहूड हॉस्पिटल, नोएडा.

क्या है पैंटी लाइनर्स-

योनि के स्राव या मासिक धर्म के हल्‍के बहाव को सोखने के लिये अंडरवियर की किनारी में पहने जाने वाले गीलापन सोखने वाले पैड को पैंटीलाइनर कहा जाता है. कुल मिलाकर, पैंटीलाइनर्स पतले पैड्स होते हैं. छोटे, पोर्टेबल पैंटीलाइनर्स से लेकर योनि के भारी स्राव और पीरियड के कम बहाव के लिये बनाए गए बड़े, सुरक्षात्‍मक पैंटीलाइनर्स तक, पैंटीलाइनर्स तरह-तरह के आकारों और परिवहन विकल्‍पों में उपलब्‍ध हैं. कमरबंद के साथ उपयोग में आने वाले पैंटीलाइनर्स की कुछ किस्‍में उपलब्‍ध हैं. डिस्‍पोजेबल पैंटीलाइनर्स का चिपकने वाला गोंद उन्‍हें सतहों से चिपका देता है. कुछ पैटर्न्‍स में विंग्‍स होते हैं, जो सपोर्ट बढ़ाने के लिये अंडरगारमेंट्स पर लिपट जाते हैं.

कॉटन के रियूजेबल पैंटीलाइनर्स भी हैं, जो कई रंगों, आकारों, मटेरियल, डिजाइन और सोखने की क्षमता के साथ आते हैं. इन्‍हें कुछ साल तक रियूज किया जा सकता है और बार-बार धोया जा सकता है. लिपटने वाले विंग्‍स को छोर पर एक साथ बाँध दिया जाता जो रियूजेबल पैंटीलाइनर्स को पकड़ कर रखते हैं.

पैंटीलाइनर्स किस काम के लिये होते हैं?

पैंटीलाइनर्स योनि से होने वाले नियमित स्राव, मासिक धर्म के अपेक्षित हल्‍के बहाव, मासिक धर्म की शुरूआत और अंत में हल्‍के दागों, धब्‍बों और संभोग के बाद के स्राव को सोखने के लिये बनाये जाते हैं. सुरक्षा बढ़ाने के लिये, पैंटीलाइनर्स को रूई के फाहे, पैड्स और मेंस्‍ट्रल कप्‍स के साथ पहना जा सकता है. कुछ लोगों के लिये पैंटीलाइनर्स पैड्स से ज्‍यादा अनुकूल और सुखद होते हैं. मासिक धर्म के दौरान कई कारणों से योनि से स्राव होता है और यह आम है, जैसे कि योनि को चिकना रखने, ओव्‍युलेशन (अंडोत्‍सर्ग), कामोत्‍तेजना, आदि में. अंडरवियर को सूखा और धब्‍बों से मुक्‍त रखने के लिये पैंटीलाइनर पहनना फायदेमंद हो सकता है. चूँकि जवानी के दौरान धब्‍बे लगना और कभी भी पीरियड आना हो सकता है, इसलिये पैंटीलाइनर्स रखने से मदद मिल सकती है.

पैंटीलाइनर्स के फायदे :

पैंटीलाइनर्स पेशाब रिसने, योनि के स्राव और आकस्मिक मासिक धर्म से नियमित सुरक्षा देते हैं.

पैंटीलाइनर्स गीलापन रोकने में मदद करते हैं.

मासिक धर्म के बाद भी हल्‍का-हल्‍का खून बहने पर पैंटीलाइनर्स फायदेमंद हो सकते हैं. अगर बहाव फाहा या पैड के मुकाबले बहुत हल्‍का है, तो पैंटीलाइनर काम आता है.

पैंटीलाइनर्स अंडरपैंट्स को साफ बनाये रखने में मदद कर सकते हैं.

पैंटीलाइनर्स वयस्‍क अवस्‍था के असंयम से बचा सकते हैं.

प्रसव के बाद हल्‍के बहाव में, जो बच्‍चे के जन्‍म के बाद कुछ हफ्तों या महीनों तक भी हो सकता है, पैंटीलाइनर्स काम आ सकते हैं.

पैंटीलाइनर से जुड़ी कुछ जरूरी सलाह-

पेंटीलाइनर्स का इस्‍तेमाल भारी बहाव के लिये नहीं होना चाहिये, इन्‍हें मासिक धर्म के पहले या बाद पहना जा सकता है.

पेंटीलाइनर्स अगर लेबिया (भगोष्‍ठ) से रगड़ाते हैं, तो लालिमा, जलन और खुजली हो सकती है.

सुगंधित अंडरवियर के केमिकल्‍स योनि के आस-पास के कोमल ऊत्‍तकों को नुकसान पहुँचा सकते हैं.

सिंथेटिक फाइबर्स से बनी अंडरवियर और पारगमन रोकने वाली परत वाले पैंटीलाइनर्स का नियमित इस्‍तेमाल प्रजनन अंगों में हवा के आवागमन को सीमित कर देता है, जिससे पसीना भाप बनकर नहीं उड़ पाता है. हवा की आवाजाही नहीं रोकने वाले और आपके कपड़ों को सूखा रखने वाले ब्रीदेबल लाइनर्स (हवादार लाइनर्स) का इस्‍तेमाल करने की सलाह विशेषज्ञ देते हैं.

पैंटीलाइनर्स के इस्‍तेमाल पर आसान दिशा-निर्देश

पैंटीलाइनर्स को पैड्स की तरह अंडरवियर के भीतर पहना जा सकता है और उन्‍हें बैठाने के लिये उनके भीतर चिपकने वाली एक पट्टी होती है.

पैंटीलाइनर को लम्बवत घुसाकर अंडरवियर की कोणिका (किनारों) को ढँकने और बांधने की ज़रुरत होती है.

अगर पैंटीलाइनर बहुत गीला हो जाए, तो उसे तुरंत बदल देना चाहिये.

रात में पैंटीलाइनर्स का इस्‍तेमाल न करें. संक्रमण का खतरा कम करने के लिये उन्‍हें जितना संभव हो, उतनी बार बदलना चाहिये.

सुगंधित पैंटीलाइनर्स के इस्‍तेमाल से बचें, क्‍योंकि उनसे खुजली और असहजता होती है. सुगंधित के बजाए ऑर्गेनिक कॉटन वाले पैंटीलाइनर्स का इस्‍तेमाल करें.

लोचिया या प्रसव के बाद खून बहने के मामले में पैंटीलाइनर्स को इस्‍तेमाल किया जा सकता है. लोचिया से नुकसान नहीं होता है और यह बच्‍चे के जन्‍म के बाद आठ सप्‍ताह तक रहता है.

कैसे जानें कि Menstrual Cup भर चुका है?

यदि हाल ही में आपने मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करना शुरू किया है या फिर ऐसा करने के बारे में सोच रही हैं तो आप एक बेहद ही आरामदायक और पर्यावरण के अनुकूल माहवारी की राह पर हैं. लेकिन मैं इस बात को समझ सकती हूं कि आपके दिमाग में कई सारे सवाल होंगे, हालांकि सबसे महत्वपूर्ण होगा लीकेज की चिंता या फिर कितने अंतराल पर कप को खाली करने की जरूरत होती है.

डॉ. तनवीर औजला, वरिष्ठ सलाहकार प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, मदरहुड अस्पताल, नोएडा की बता रही इसके इस्तेमाल के तरीके इसका उपयोग करना पूरी तरह से सुरक्षित है और एक बार ठीक से इंसर्ट होने के बाद, आपके शरीर में कुछ अजीब होने का सवाल ही नहीं पैदा होता.

मेंस्ट्रुअल कप, सिलिकॉन या लेटेक्स रबर से बना एक छोटा, लचीला कप होता है, जिसे माहवारी के दौरान वजाइनल कैनाल में इंसर्ट किया जाता है. चूंकि, मेंस्ट्रुअल कप में माहवारी का रक्त पैड या टैम्पॉन की तरह अवशोषित होने की जगह जमा होता है तो आप इसे इस्तेमाल के बाद खाली कर सकती हैं. यह इस्तेमाल करने वाले की उम्र, सर्विक्स की स्थिति और रक्त के प्रवाह पर निर्भर करता है. ये कप तीन साइज में उपलब्ध हैं: स्मॉल, मीडियम और जाइंट.

कुछ चिंताओं के बावजूद, मेंस्ट्रुअल कप काफी लचीला होता है और इंसर्ट करने के बाद, यह वजाइनल कैनाल के अंदर फैलता है. विशेषज्ञों के अनुसार, इसका उपयोग करना पूरी तरह से सुरक्षित है और एक बार ठीक से इंसर्ट होने के बाद, आपके शरीर में कुछ अजीब होने का सवाल ही नहीं पैदा होता. आप अपने टैम्पॉन के खिसकने या आपके अंडरवियर पर अपने पैड के गिरने की चिंता किए बिना अपना दिन बिता सकती हैं. कुछ लोग इसके बारे में दावा करते हैं कि रिसाव का कोई खतरा नहीं होता, यात्रा के दौरान इसका उपयोग करना बहुत आरामदायक होता है और यह पर्यावरण के लिये फायदेमंद है.

वहीं दूसरी तरफ, कुछ ऑनलाइन यूजर्स दावा करते हैं कि यह पता लगाना मुश्किल होता है कि कब कप भर गया. कोई भी अलार्म सिस्टम आपको अलर्ट नहीं करता है कि कप फुल हो चुका है और आपके मेंस्ट्रुअल कप इतना उन्नत नहीं है कि आपको एसएमएस कर दे कि कब रक्त का स्तर सही है.

जिस दिन रक्त का बहाव ज्यादा हो आपको हर 3 से 4 घंटे पर यह देखना चाहिए कि कितना रक्त इकट्ठा हो रहा है. मेंस्ट्रुअल कप के आकार और टैम्पॉन के सवाल के आधार पर एक मेंस्ट्रुअल कप आमतौर पर एक टैम्पॉन के मुकाबले दो से आठ गुना अधिक रक्त इकट्ठा करता है. जब भी संदेह हो, कप को हटा लें और कितना भरा है उसकी जांच कर लें. इसे भरने में कितना समय लगता है, यह इस पर निर्भर करता है कि आप कितनी बार कप को हटाती हैं और उसे खाली करती हैं.

चूंकि, इस बात का पता लगाना मुश्किल है कि यह कप कब भरेगा तो इस बात की जांच कर लें कि ज्यादा रक्तस्राव वाले दिन इसे भरने में कितना वक्त लगता है. कम रक्तस्राव वाले दिन आपको कप भरने की चिंता नहीं करनी है, क्योंकि जितनी देर आप कप को अंदर रखेंगी, वह धीरे-धीरे भरता रहेगा.

रक्तस्राव की तीव्रता के अलावा भी आमतौर पर आपको हर 10 से 12 घंटे में कप को निकालना है. कुछ कंपनियां सलाह देती हैं कि 8 घंटे के बाद कप को निकालना, साफ करना और फिर से इंसर्ट करना सबसे सही होता है. लेकिन अध्‍ययनों के मुताबिक कप को 12 घंटे तक लगातार छोड़ देना भी सुरक्षित ही है. इसके साथ ही कप का लीक होने लगना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि वह भर चुका है. लेकिन हममें से ज्यादातर इतना लंबा इंतजार नहीं करना चाहेंगे, क्या हम ऐसा करेंगे?

कुछ रिसर्च के मुताबिक, एक कप को 12 घंटे से ज्यादा समय तक रखना, टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (टीएसएस) और अन्य वजाइनल संक्रमणों के खतरे को बढ़ा देता है. लंबे समय तक कप में ठहरा हुआ रक्त बैक्टीरिया के पनपने की जगह बन सकता है, यह बैक्‍टीरिया इन रोगों के होने का कारण बन सकते हैं.

हालांकि, कप के इस्‍तेमाल से जुड़े टीएसएस के केवल दो मामले ही सामने आए हैं. इसके अलावा,  पिछले हफ्‍ते उन महिलाओं में से किसी ने भी अपने कप नहीं हटाए. टीएसएस आमतौर पर टैम्पॉन के इस्‍तेमाल से जुड़ा होता है, लेकिन सामान्य नियम के मुताबिक किसी भी प्रकार के जोखिम को टालने के लिये अपने मेंस्ट्रुअल कप को 12 घंटे से ज्यादा समय के लिये अंदर ना छोड़ने की सलाह दी जाती है.

कप के पूरी तरह भर जाने से लीक होने का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन ऐसा होने के कुछ और भी कारण हो सकते हैं:

बड़े या छोटे साइज का कप लगाने से यदि आईयूडी मौजूद हो, उसका धागा कप के रिम और वजाइनल वॉल में फंस सकता है, जो रक्त के स्राव के लिये जरूरी सक्शन बनने से रोक सकता है.

आपके कप के बाहर स्थित सर्विक्स, जोकि कप के साथ सही तरीक से एक सीध में ना हो.

बाउल मूवमेंट की वजह से आपके कप की पॉजिशन बदल सकती है.

आपके पेल्विक मसल्स इतने मजबूत हों कि उसमें लगभग भरे हुए कप से सक्शन को हटाने की ताकत हो.

जब तब आपका कप भरने के लिये पूरी तरह खाली ना हो, तब तक इंतजार ना करें. यदि आपको 12 घंटे हो चुके हैं तो आप हर 3 से 4 घंटे में इसे फिर से इंसर्ट कर सकती हैं, यह आपके रक्त स्राव पर निर्भर करता है. भले ही आपका कप ना भरा हो, फिर भी आपको इसे हटाना है.

मैंस्ट्रुअल कप्स उन दिनों की चिंता से आजादी

मैंस्ट्रुअल कप्स का प्रचलन यों तो भारत में आम नहीं हुआ है, मगर महिलाओं के लिए यह कितना उपयोगी है, जरूर जानिए… समाचारपत्रों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 75% सैनिटरी पैड्स तयशुदा मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं और इन से मूत्र संक्रमण एवं गर्भाशय संक्रमण से ले कर गर्भाशय कैंसर तक का खतरा है. जो सुरक्षित हैं, वे बहुत महंगे हैं और कोई फुल डे तो कोई फुल नाइट प्रोटैक्शन की बात करता है इसलिए भी 5-6 घंटे में बदले नहीं जाते.

अभी केवल 12% भारतीय महिलाएं इस विकल्प को वहन कर सकती हैं फिर भी औसतन किसी महिला के अपने जीवनकाल में 125-150 किलोग्राम टैंपन, पैड और ऐप्लिकेटर प्रयुक्त करने का अनुमान है. प्रतिमाह भारत में 43.3 करोड़ ऐसे पदार्थ कूड़े में जाते हैं, जिन में से अधिकांश रिवर बैड, लैंडफिल या सीवेज सिस्टम में भरे मिलते हैं क्योंकि एक तो ठीक से डिस्पोज करने की व्यवस्था नहीं होती और दूसरा अपशिष्ट बीनने वाले सफाईकर्मी हाथों से सैनिटरी पैड्स और डायपर्स को अलग करने के प्रति अनिच्छुक होते हैं, जबकि उन को अलग कर के उन्हें जलाने के लिए तैयार करना भारत सरकार की नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और हैंडलिंग नियमों के तहत आवश्यक है.

मैंस्ट्रुअल कप्स का प्रचलन भारत में अभी आम नहीं हुआ है. छोटे ही नहीं, बड़े शहरों में भी बहुत कम महिलाएं इन का उपयोग करती हैं.

मैंस्ट्रुअल कप्स के कम प्रचलन के कारण

सब से पहला और सब से बड़ा तो यही कि अभी तक कई लोगों ने इस के बारे में सुना भी नहीं है.
हमारे शरीर की रचना के प्रति ही इतनी अनभिज्ञता है कि इसके सही प्रयोग का तरीका नहीं पता होता.
द्य आज भी समाज में दाग लगने का हौआ इतना है कि मासिकस्राव शुरू होने से पहले ही इस का ट्रायल करने के बारे में सोचा जाता है जबकि सर्विक्स माहवारी के दौरान ही इतना नर्म और लचीला होता है कि इसे आसानी से लगाया जा सके. बाकी दिनों में बहुत मुश्किल और कष्टप्रद होता है.

सही आकार का चुनाव भी समस्या है. यह उम्र और प्रसव के प्रकार पर निर्भर है.
शुरुआती 1-2 या 3 साइकिल तक जब तक ठीक से अनुभव न हो, इस का प्रयोग मुश्किल लगता है और अधिकांश महिलाएं इसी दौरान इस के प्रयोग का विचार त्याग देती हैं, जबकि ठीक से इस्तेमाल करने पर जरूरी नहीं कि दिक्कत हो ही.

गलत तरीके, हाइजीन का खयाल न रखने, बड़े नाखून, बलपूर्वक लगाने की कोशिश या
फिर अनुपयुक्त साइज के कप के चलते कभीकभी योनि में जलन, खुजली, सूजन या लगाने के बाद पैल्विक पार्ट में दर्द हो सकता है. इस वजह से भी कई लड़कियां इसे छोड़ देती हैं.

मैंस्ट्रुअल कप्स के फायदे

सब से पहला फायदा बचत तो है ही, साथ ही यह विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से भी बचाव करता है. सैनिटरी पैड्स या टैंपोन की तरह हाई अब्जार्बेंट मैटीरियल न होने से यह योनि के स्वाभाविक पीएच से कोई छेड़छाड़ नहीं करता, न ही टौक्सिक शौक सिंड्रोम का खतरा होता है, न ही आसपास की त्वचा में रैशेज कटनेछिलने और इन्फैक्शन का डर.

ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी 89% आबादी के लिए मैंस्ट्रुअल हाइजीन एक चुनौती है. गांवों में ही नहीं शहरों में भी निम्नवर्ग की महिलाएं, मजदूरिनें, भिखारिनें आदि राख, मिट्टी और प्लास्टिक की पन्नियों का इस्तेमाल करती हैं. साफ सूखे सूती कपड़े भी मिलना मुश्किल है. उन के लिए मैंस्ट्रुअल कप बहुत बड़ी राहत है.
इस के अलावा जिन का फ्लो बहुत ज्यादा होता है या जो महंगे सैनिटरी पैड्स और टैंपोन पर खर्च नहीं कर सकतीं उन के लिए भी यह बहुत काम का है.

खर्च बचाने के अलावा भी यह बहुत सुविधाजनक है. एक बार लगाने के बाद आप फ्लो की चिंता से लगभग मुक्त हो जाती हैं. शौच और स्नान के समय इसे निकालने की आवश्यकता नहीं पड़ती. तैराकी, राइडिंग, कूदना, दौड़भाग सब आसानी से कर सकती हैं. ये कप्स लीकेज प्रूफ होते हैं.

सब से बड़ी बात आसानी से खाली कर के साफ पानी से धो कर पुन: इस्तेमाल किए जा सकते हैं. पीरियड्स समाप्त होने के बाद 5 मिनट उबलते पानी में स्टरलाइज कर अच्छी तरह सुखा कर वापस रखे जा सकते हैं.

कौन-सा कप उचित रहेगा

आप के कपड़ों या फुटवियर्स की तरह कप्स का भी कोई स्टैंडर्ड फिक्स साइज नहीं है. स्मौल, मीडियम और लार्ज साइज हर कंपनी के अलगअलग आते हैं. सामान्य नियम है कि: हार्ड रिम वाला कप चुनें. साइज फ्लो से ज्यादा फिटिंग पर निर्भर है. हार्ड रिम वाले कप आसानी से लीक नहीं होते. अंदर जा कर खुलने और बाहर निकालने में भी सरल होते हैं. पर लड़कियां सौफ्ट रिम वाले स्मौल कप से शुरुआत कर सकती हैं.

25 वर्ष से कम आयु और वे महिलाएं जिन का सामान्य प्रसव नहीं हुआ है सिजेरियन हुआ है स्मौल साइज से शुरुआत करें.

30 से अधिक आयु या सामान्य प्रसव वाली या फिर अत्यधिक फ्लो वाली महिलाएं मीडियम या लार्ज लें.
द्य यदि किसी किस्म की ऐलर्जी या मैडिकल कंडीशन नहीं है तो पहले कम कीमत के कप्स से शुरुआत की जा सकती है. ये क्व200 से क्व500 में उपलब्ध हैं. एक बार आदत हो जाने पर अच्छे ब्रैंड के कप ले सकती हैं, जब ये 10-15 साल चल सकते हैं तो क्व1,000 से क्व1,200 की इनवैस्टमैंट भी महंगी नहीं है.

प्रयोग का तरीका

अगर आप ने टैंपून इस्तेमाल किया है तो यह भी बिलकुल वैसा ही है. पैल्विक मसल्स को बिलकुल ढीला छोड़ दें. कप की रिम (ऊपर का गोल सख्त हिस्सा) को पानी या वाटर बेस्ड लूब्रिकैंट लगा कर शेप में मोड़ लें और धीरेधीरे प्रविष्ट करें. अंदर जाते ही यह खुल जाएगा. ठीक तरह से प्रविष्ट किए जाने पर यह बाहर से नहीं दिखता और अंदर वैक्यूम बनने से लीक भी नहीं होता.

हालांकि 8 से 12 घंटे में निकालने को कहा जाता है पर बेहतर है 7-8 घंटे में खाली कर लिया जाए. इस के लिए सब से पहले कप के बेस को चुटकी से पकड़ कर सक्शन प्रैशर तोडि़ए और धीरे से नीचे की ओर बाहर खींच लीजिए. बहुत जल्दी या तेजी नहीं दिखानी है. शुरुआत में स्कूल, कालेज, औफिस या पब्लिक टौयलेट्स का इस्तेमाल करने से बचें. घर पर ही कोशिश करें.

खाली करने के बाद साफ पानी से धोना पर्याप्त है. किसी डिसइनफैक्टैंट का सीधा प्रयोग कप या प्राइवेट पार्ट पर न करें. इंटरनैट पर बहुत से वीडियोज मौजूद हैं जिन से प्रयोग विधि समझी जा सकती है.

मैंस्ट्रुअल कप्स बहुत सुविधाजनक हैं और इन का प्रयोग भी मुश्किल नहीं है. बस थोड़ी सी प्रैक्टिस की जरूरत है. कम से कम 3 महीने दें. इस तरह आप माहवारी के समय होने वाली असुविधा, दाग की चिंता, रैशेज, पैड्स के दुष्प्रभाव और खर्च से भी बचेंगी और यह ईको फ्रैंडली विकल्प पर्यावरण के लिए भी मुफीद है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें