घातक है अंधविश्वास और माहवारी का तालमेल

आरती के घर में ननद की शादी थी और जैसेजैसे शादी की तारीख नजदीक आती जा रही थी वैसेवैसे आरती की चिंता भी बढ़ती जा रही थी, क्योंकि उस के पीरियड्स भी शादी के बीच आने वाले थे. बड़ी बहू होने के चलते शादी के ज्यादातर शुभ काम उसे ही निबटाने थे. ऐसे में शादी के बीच पूजापाठ और बड़ेबुजुर्गों के पैर छूने के चलते उस की सास उस पर लगातार पीरियड्स के समय को टालने के लिए दवाओं का सेवन करने का दबाव डाल रही थी.

आरती की सास वैसे तो पुरातनपंथी थी पर पीरियड्स बदलने के लिए आधुनिक दवाइयां लेने पर उसे कोई ऐतराज न था. यह हमारे शिक्षित लोगों के दोगलेपन की निशानी है कि वे बड़ेबड़े हौस्पिटल्स में जा कर पूजापाठ कराते हैं.

आरती अपने दकियानूसी खयालात वाली सास और रिश्तेदारों के दबाव में अपने पीरियड्स के समय में बदलाव नहीं लाना चाहती थी, क्योंकि उस ने 2 माह पहले ही एक त्योहार के चलते सास के कहने पर पीरियड्स के आने के  4 दिन पहले समय में बदलाव लाने के लिए दवा का सेवन किया था, जिस के चलते उसे पीरियड्स के समय से 1 हफ्ते बाद माहवारी शुरू हुई थी और उसे रक्तस्राव भी ज्यादा हुआ था, साथ ही पेट में तेज दर्द भी हुआ था. इसीलिए आरती ने अपनी सास को अपने पीरियड्स के समय में बदलाव लाने वाली दवा खाने से इनकार कर दिया.

इस बात को ले कर आरती की सास ने पूरा घर सिर पर उठा लिया कि पीरियड्स के दौरान शादी में वह कोई भी ‘शुभ’ काम नहीं कर पाएगी, क्योंकि पीरियड्स से महिलाएं अशुद्ध हो जाती हैं.

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आरती के पति की बूआ पेशे से महिलाओं की डाक्टर थी. बूआ ने आरती की सास को अपने पास बुला कर बताया कि महिलाओं में माहवारी आना प्राकृतिक एवं सामान्य प्रक्रिया है, जो उन के मां बनने और स्वस्थ रहने की निशानी है. अगर पीरियड्स आने के समय में प्राकृतिक तरीके से कोई छेड़छाड़ की जाती है तो वह महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है, साथ ही महिला के मां बनने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.

बूआ ने आरती की सास को अपने लैपटौप पर पीरियड्स के संबंध में जागरूक करने वाली एक वीडियो फिल्म भी दिखाई. इस के बाद आरती की सास को पीरियड्स से जुड़ी भ्रांतियों के बारे में सम झ आया.

धार्मिक कार्यों को ले कर पीरियड्स डेट में बदलाव आम बात

भारतीय समाज में सब से ज्यादा दकियानूसी नियमों को मानने का दबाव महिलाओं पर होता है. चाहे वह पुरुषों के लिए व्रतउपवास रखने की बात हो या घरपरिवार में फंक्शन के दौरान की जिम्मेदारियों की, अगर इन पर अंधविश्वास व भ्रांतियां हावी हो जाएं तो यह महिलाओं के लिए और भी कठिन हो जाता है.

महिलाओं से जुड़े पीरियड्स को ले कर तो हमारा समाज और भी सख्त है. अगर किसी महिला के पीरियड्स चल रहे हों तो उस दौरान उस पर कई तरह की बंदिशें लगा दी जाती हैं जैसे पूजा न करो, किचन में न जाओ, अचार के मरतबान से दूर रहो, बड़ेबुजुर्गों से दूर रहो आदि तमाम नियम महिलाओं के पैरों में बेडि़यां डाल देते हैं.

त्योहार या घर में फंक्शन भी बनता है वजह

पीरियड्स से जुड़े अंधविश्वास के कारण कई बार अपनी डेट को दवा खा कर आगेपीछे करना पड़ता है, जो शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है. कई ऐसे मौके आते हैं जब घर में त्योहार या फंक्शन होता है तो अंधविश्वास के चलते महिलाएं अपने पीरियड्स के समय को दवा के सहारे आगे के लिए टाल लेती हैं.

दवा हो सकती है घातक

पीरियड्स में अशुद्ध होने के अंधविश्वास के चलते डेट टालने वाली दवाओं की मांग शादी और त्योहारों के मौसम में बढ़ जाती है. मैडिकल स्टोर चलाने वाले संत प्रकाश यादव बताते हैं कि इन दिनों उन की दुकान पर दिनभर में औसत 10 महिलाएं ऐसी आती हैं, जिन्हें पीरियड्स समय को टालने वाली दवा चाहिए होती है. इन के पास डाक्टर की परची तक नहीं होती. ऐसे में हम तो उन्हें दवा नहीं देते, लेकिन इन महिलाओं को गांवों में  झोलाछाप डाक्टरों के जरीए दवा मिल जाती है.

डा. विजय कुमार गौतम का कहना है  कि अंधविश्वास के चलते पीरियड्स आने के समय में परिवर्तन के लिए महिलाएं कई बार 2-3 गोलियों की जगह बिना डाक्टर की सलाह के 5-6 गोलियां ले लेती हैं. ये गोलियां हारमोंस की बनी होती हैं, क्योंकि महिलाओं का पीरियड्स 2 तरह के हारमोंस ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरौन पर निर्भर हैं. इसलिए इन गोलियों के खाने से उन के हारमोंस में बदलाव आ जाता है, जिस के चलते पीरियड्स डेट आगे खिसक जाती है.

अगर कोई महिला अंधविश्वास के चक्कर में पड़ कर इन गोलियों का सेवन लगातार और लंब अवधि तक करती है तो लकवा, ब्रेन स्ट्रोक, मिरगी का दौरा तक पड़ सकता है. ज्यादा गोलियां लेने से जान भी जा सकती है.

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माहवारी के समय में बदलाव लाने वाली दवाएं उन महिलाओं के लिए भी नुकसानदेह हो सकती हैं, जिन्हें ब्लड प्रैशर, माइग्रेन, मोटापा, डायबिटीज, स्ट्रोक जैसी समस्याएं होती हैं.

लापरवाही बन सकती है संक्रमण का कारण

कई बार पीरियड्स के समय को टालने के लिए सेवन की गई दवाओं के असर के चलते महिलाओं को कई तरह के बदलाव और परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है, जिन में अधिक खून आना, पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, अंग के आसपास खुजली और दाने होना, बदबूदार पानी आना आदि शामिल हैं. इन लक्षणों को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि यह महिला में संक्रमण होने की निशानी है.

स्वस्थ रहना है तो अंधविश्वास से तोड़ें नाता

सामाजिक कार्यकर्ता अरुणिमा सिंह का कहना है पीरियड्स में अशुद्ध होना एक कोरी बकवास है. पीरियड्स प्रकृति की देन हैं, यह समाज को सम झना होगा. महिलाओं को चाहिए कि गलत मान्यताओं के कारण अपने शरीर को नुकसान न पहुंचाएं.

क्या करें जब पीरियड्स में हो तेज दर्द

अगर आप ने अंधविश्वास के चक्कर में पड़ कर अपने पीरियड्स के समय में बदलाव किया है तो आप को अगली माहवारी पर पीरियड्स के दौरान तेज दर्द का सामना करना पड़ सकता है. दर्द होना यह इशारा करता है कि आप को किसी तरह का संक्रमण है या कोई गंभीर बीमारी जन्म ले रही है. पीरियड्स के दौरान लंबे समय तक तेज दर्द बने रहना गर्भधारण करने में समस्या और कैंसर का सबब भी बन सकता है. ऐसी स्थिति में आप हीट बैग का इस्तेमाल कर सकती हैं.

समय पर पीरियड्स यानी स्वस्थ होने की निशानी

पीरियड्स का समय पर आना महिला के स्वस्थ होने की निशानी है. यह अंतराल आमतौर पर 28 दिनों का होता है, लेकिन जरूरी नहीं है कि यह 28 दिन पर ही आए. यह अंतराल पहली माहवारी से दूसरी माहवारी के बीच 24 से 34 दिन का भी हो सकता है. इसी को हम माहवारी चक्र भी कहते हैं. अगर पीरियड्स नियत समय पर आते हैं तो इस दौरान 3 से 5 दिनों तक ब्लीडिंग हो सकती है. सामान्य पीरियड्स में दर्द नहीं होता है और स्राव भी सामान्य होता है. अगर ऐसा होता है तो आप को पीरियड्स से जुड़ी कोई परेशानी नहीं है.

माहवारी से जुड़ा जागरूकता अभियान चलाने वाली प्रीति पांडेय का कहना है कि अंधविश्वास में पड़ कर पीरियड्स के समय में बदलाव गांवों और शहरों दोनों में समान रूप से पाया जाता है. इस की गिरफ्त में पढ़ीलिखी और अनपढ़ महिलाएं दोनों समान रूप से जकड़ी हुई हैं, जबकि किसी भी धर्म शास्त्र में पीरियड्स के दौरान महिलाओं पर किसी बंदिश का जिक्र नहीं है. सब पाखंडियों और पोंगापंथियों का फैलाया जाल है, जिस से महिलाएं चाह कर भी बाहर नहीं निकल पा रही हैं.

प्रीति के अनुसार घर, परिवार, रिश्तेदारी या दोस्तों के यहां कोई त्योहार हो महिलाओं को कभी अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ नहीं करनी चाहिए और न ही कभी बिना डाक्टर की सलाह के कोई दवा लेनी चाहिए, क्योंकि अंधविश्वास के चलते पीरियड्स को डिले करने वाली पिल्स आप की सेहत पर बुरा प्रभाव छोड़ सकती हैं.

पीरियड्स के दौरान खुद को खुश रखें. साफसफाई का खयाल रखें. कहीं भी जाएं, कुछ भी खाएं कोई रोकटोक नहीं है. पीरियड्स में मंदिर जा सकती हैं, किसी शादीविवाह में शरीक हो सकती हैं. इस तरह की किसी भी गतिविधि पर रोक नहीं और न ही कोई जबरदस्ती लगा सकता है.

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