कहीं आप भी तो नहीं हो गए हैं डिप्रेशन का शिकार, इन 6 टिप्स से लगाएं पता

तनाव या कहें तो स्ट्रेस आज लोगों के बीच आम हो चुका है. अगर समय रहते इस समस्या को काबू नहीं किया गया तो इसके नतीजे बुरे हो सकते हैं. स्ट्रेस के कारण ना सिर्फ मानसिक अशांति होती है, बल्कि भूख, और नींद पर भी इसका असर होता है. इस खबर में हम आपको उन संकेतों के बारे में बताएंगे जिनसे आप स्ट्रेस के बारे में समझ पाएंगे.

आइए जाने उन संकेतों के बारे में…

1. नींद ना आना

जब आप तनाव में होते हैं, नींद नहीं आती. कई बार आप सोना चाहते हैं पर आपको नींद नहीं आती. रातभर जागना, मोबाइल फोन का अत्यधिक इस्तेमाल की वजह से लोग पूरी नींद नहीं ले पाते है और इसका असर शरीर पर दिखता है.

2. वजन का बढ़ना

जब आप ज्यादा तनाव में होते हैं, आपके हार्मोंस पर असर पड़ता है. इसका ये नतीजा ये होता है कि वजन बढ़ने लगता है.

3. पेट में दर्द और जलन

अगर आप ज्यादा बाथरूम जाते हैं. चिंता और तनाव की वजह से होता है कि आपको बार बार बाथरुम का चक्‍कर लगाना पड़ता है। पेट में दर्द होना और हार्ट बर्न होना भी इसकी समस्‍या है.

4. चिड़चिड़ाहट

तनाव में चिड़चिड़ाहट बेहद आम है. मरीज को छोटी छोटी बातों से काफी उलझन होती है. किसी से सही तरीके से बात नहीं करते है और हर छोटी सी बात पर परेशान हो जाते हैं. अगर लंबे समय तक आपको ऐसी परेशानी हो रही है तो सतर्क हो जाइए.

 

5. गैरजरूरी बातों को सोचते रहना

अगर आप लगातार गैर जरूरी बातों को सोचते रहते हैं, तो समझ जाइए कि आप तनाव में हैं. ऐसा इस लिए होता है क्योंकि इस दौरान आप बहुत ज्यादा सोचने लगते हैं, आप चीजों पर फोकस नहीं कर पातें, जिसके बाद आपके दिमाग में गैरजरूरी बातें आने लगती हैं, आपका कौंफिडेंस भी कम होने लगता है.

6. सख्त होने लगते हैं मसल्स और ज्वाइंट्स

अक्सर ज्यादा स्ट्रेस लेने से कंधों में, जोड़ो में परेशानी होने लगती है. कभी कभी सर से ले कर पांव में एंठन होती है. ये सब ज्यादा तनाव के कारण होता है.

मां-बाप को रखना है तनाव से दूर तो उन्हें सिनेमा दिखाएं

सिनेमा किसे नहीं पसंद होता. पर फिल्में हमेशा मनोरंजन के लिए नहीं होती, ये हमें बहुत कुछ सिखाती भी हैं. कई शोधों में ये बात सामने आई है कि जो लोग सिनेमा देखते हैं, ना देखने वालों की तुलना में उनका दिमाग ज्यादा सक्रिय रहता है, उनमें रचनात्मकता अच्छी होती है और मानसिक तौर पर वो ज्यादा स्वस्थ होते हैं. इस खबर में हम आपको सिनेमा से जुड़ा एक रोचक जानकारी देने वाले हैं.

हाल ही में हुए एक अध्ययन में ये बात सामने आई कि सिनेमा, थिएटर जैसे माध्यमों से नियमित रूप से संपर्क में रहने वाले बुजुर्ग तनाव से दूर रहते हैं. तनाव एक गंभीर समस्या है, जिससे लाखों लोग प्रभावित होते हैं, विशेषकर बुजुर्ग.

शोध में 50 वर्ष से ज्यादा के करीब ढाई सौ लोगों को शामिल किया गया था. इस अध्ययन में ये बात सामने आई कि लोग जो प्रत्येक दो-तीन महीने में फिल्म, नाटक या प्रदर्शनी देखते हैं, उनमें तनाव विकसित होने का जोखिम 32 फीसदी कम होता है, वहीं जो महीने में एक बार जरूर इन सब चीजों का लुत्फ उठाते हैं, उनमें 48 फीसदी से कम जोखिम रहता है.

ब्रिटेन में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इन सांस्कृतिक गतिविधियों की शक्ति सामाजिक संपर्क, रचनात्मकता, मानसिक उत्तेजना और सौम्य शारीरिक गतिविधि के संयोजन में बेहद लाभकारी है.

जानकारों के मुताबिक, ये सारे माध्यम कई तरह के मानसिक विकारों से लड़ने में हमारी मदद करते हैं. जब आप इन माध्यमों से जुड़ते हैं तो आपके दिमाग को काफी आराम मिलता है. वो रिलैक्स पोजिशन में होता है. खास कर के जो लोग उम्र के एक खास पड़ाव पर खड़े हैं उन्हें जरूरत है कि खुद को तनाव से दूर रखने के लिए इस तरह के माध्यमों का सहारा लें.

ये चीजें रखेंगी आपको तनाव से दूर

स्ट्रेस, तनाव, डिप्रेशन जैसी परेशानियां आज लोगों में बेहद आम हो गई हैं. इनके लिए प्रमुख वजहें हमारी लाइफस्टाइल और हमारा खानपान है. हमारा खानपान हमारे शारीरिक स्वास्थ के साथ साथ हमारे मानसिक स्वास्थ को भी काफी प्रभावित करती है. इस परेशानी को दूर रखने के लिए बेहद जरूरी है कि हम अपना खानपान बेहतर कर लें. कई स्टडीज में इस बात की पुष्टि हुई है कि अच्छे खानपान से आप तनाव की परेशानी से सुरक्षित रह सकते हैं. इसके अलावा स्टडी में ये भी सामने आया कि  हेल्दी डाइट से हमें न्यूट्रिएंट्स प्रचूर मात्रा में मिलते हैं जिससे हमारा वजन भी कंट्रोल में रहता है और डिप्रेशन की परेशानी भी कम होती है.

हाल ही में एक जर्नल में प्रकाशित हुई इस स्टडी के शोधकर्ताओं की टीम ने अभी तक मानसिक सेहत की जांच के लिए डाइट पर हुए क्लिनीकल ट्रायल के मौजूदा डेटा की जांच की है. नतीजों में शोधकर्ताओं ने पाया कि एक अच्छी और हेल्दी डाइट लेने से डिप्रेशन का खतरा कम होता है.

स्टडी के मुख्य लेखक ने बताया है कि, ‘ अभी इस स्टडी के रिजल्ट्स को पूरी तरह से सही साबित करने के लिए कुछ और स्टडीज करनी बाकी हैं. पर मौजूदा स्टडी के रिजल्ट्स के आधार पर ये कहा जा सकता है कि हेल्दी डाइट फौलो करने से मूड अच्छा रहता है.’

स्टडी में शामिल जानकारों की माने तो मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि हमारे डाइट में न्यूट्रिएंट्स की प्रचूरता हो. इसके अलावा जंक फूड और रिफाइंड शुगर के सेवन से जितना दूर रहा जाए सेहत के लिए अच्छा है.

इंटरनेट के अत्याधिक इस्तेमाल से बढ़ रहा डिप्रेशन का खतरा

इंटरनेट आज लोगों की जरूरत बन चुकी है. एक ओर जहां इससे बहुत से फायदे होते हैं, वहीं हमारी मानसिक सेहत पर इसका काफी बुरा असर हो रहा है. हाल ही में हुए एक अध्ययन में पहली बार दावा किया गया कि इसकी वजह से किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

एक निजी समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार पहले के अध्ययनों में यह पता नहीं लगाया जा सका था कि इंटरनेट पर कितने घंटे काम करने से अवसाद का खतरा पैदा हो सकता है.

चीन में 15 वर्ष आयुवर्ग वाले 1,000 किशोरों पर अवसाद और चिंता का अध्ययन किया गया. अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि इंटरनेट की लत का शिकार बन चुके किशोरों में अवसाद करीब ढाई गुना ज्यादा खतरा रहता है.

औस्ट्रेलिया में सिडनी के स्कूल औफ मेडिसिन के लॉरेंस लाम और चीन में शिक्षा मंत्रालय के जी-वेन पेंग व गुआंगजोउ विश्वविद्यालय के सन यात-सेन ने इस अध्ययन का संचालन किया.

करीब छह फीसदी या 62 किशोरों को ऐसी श्रेणी में रखा गया जो इंटरनेट के उपयोग के चलते मामूली रूप से प्रभावित हैं जबकि 0.2 फीसदी या दो किशोरों में इससे गंभीर खतरा देखा गया.

नौ महीने बाद इनमें अवसाद और चिंता का दोबारा परीक्षण किया गया. आठ फीसदी से ज्यादा या 87 किशोर अवसाद की चपेट में आ गए थे.

लाम ने कहा, “इस निष्कर्ष से साफ है कि ऐसे किशोर जिन्हे मानसिक रूप से कोई शिकायत नहीं है, यदि इंटरनेट की लत का शिकार हो जाते हैं तो उनमें बाद में ये समस्याएं पैदा हो सकती हैं.”

वजन कम करना है तो इतने देर की नींद है जरूरी

नींद हमारे शरीर के साथ साथ हमारे दिमाग की भी जरूरत है. एक स्वस्थ व्यक्ति को दिनभर में कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लेने चाहिए. इससे कई तरह की गंभीर स्वास्थ परेशानियां जैसे, दिल की बीमारी, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज के साथ वजन बढ़ने का खतरा दूर होता है. जो लोग बढ़ते वजन से परेशान हैं उनके लिए नींद का पूरा होना एक्सरसाइज और जरूरी डाइटिंग से भी कहीं ज्यादा जरूरी है.

जो लोग कम सोते हैं उनमें वजन का बढ़ना और तनाव जैसी परेशानियां देखी जाती हैं. जानकारों की माने तो नींद की कमी से शरीर के घ्रेलिन और लेप्टिन हार्मोंस पर असर पड़ता है. शरीर में घ्रेलिन हार्मोन के निकलने पर भूख का ज्यादा एहसास होता है. ये हार्मोन मेटाबौलिज्म को कमजोर करता है और शरीर में फैट जमा करता है.

वहीं, शरीर की फैट कोशिकाओं से लेप्टिन हार्मोन निकलता है. भूख को कम करने में इस हार्मोन का बड़ा योगदान होता है. अगर शरीर में ये हार्मोन कम बनने की सूरत में हमें अधिक भूख लगती है. यही कारण है कि आपका वजन बढ़ जाता है.

लेप्टिन हार्मोन शरीर की फैट कोशिकाओं से निकलता है. ये हार्मोन को भूख को कम करता है. शरीर में लेप्टिन हार्मोन के कम मात्रा में बनने से भूख ज्यादा लगती है, जिस कारण आप जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं. ये आपका वजन बढ़ाने का काम करता है.

नींद की कमी के कारण वजन बढ़ने के साथ, दिमाग और सेहत पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है. इसलिए अगर आप अपने वजन को कंट्रोल में रखना चाहते हैं तो 7-8 घंटे की नींद जरूर लें.

दवाइयों से डिप्रेशन का इलाज संभव नहीं

आज की लाइफस्टाइल के कारण लोगों में डिप्रेशन का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. इसके इलाज के लिए बहुत से लोग तरह तरह के उपाय करते हैं. बहुत से लोगों का मानना है कि केवल डाइट बदल देने से ये परेशानी दूर हो सकती है. कई लोग दवाइयों पर ज्यादा भरोसा करते हैं और कई तरह की दवाइयां लेने लगते हैं. इन सब के बाद भी उनकी स्थिति में सुधार नहीं होता तो उनकी मानसिक हालत और खराब होने लगती है. हाल ही में एक नई स्टडी में दावा किया गया कि दवाइयों से डिप्रेशन को ठीक नहीं किया जा सकता है.

अमेरिका के एक जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट की माने तो न्यूट्रिशनल सप्लिमेंट आपने डिप्रेशन को ठीक नहीं कर सकता. इस नतीजे पर पहुंचने के लिए एक शोध किया गया, जिसमें उन लोगों को शामिल किया गया जिन्हें डिप्रेशन है नहीं पर भविष्य में हो सकता है. स्टडी में करीब 1000 लोगों को शामिल किया गया. इस स्टडी को करीब एक साल तक किया गया. इसमें कुछ लोगों को न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट दिया गया. जबकि कुछ को प्लेसबो और कुछ लोगों को लाइफस्टाइल कोचिंग दी गई.

स्टडी का परिणाम किसी भी तरह से सकारात्मक नहीं था पर इसका नीचोड़ ये जरूर था कि डाइट में परिवर्तन और बिहेवियरल थेरेपी डिप्रेशन को कुछ हद तक कम करने में सक्षम है. जानकारों की माने तो डिप्रेशन अब एक बेहद समान्य सी परेशानी बन गई है. बहुत से लोग इसके चपेट में हैं. न्यूट्रिशनल सप्लिमेंट लेने से लोगों में डिप्रेशन कम तो नहीं होता पर ये जरूर है कि डाइट में परिवर्तन करने से इसे कुछ हद तक कम जरूर किया जा सकता है. इस पर अभी और अधिक शोध करने की जरूरत है.

डाइट में फल, ताजी सब्जियां, दाल मछली और डेरी उत्पादों को डाइट में शामिल कर इस परेशानी से नीजात पाई जा सकती है. जो लोग मोटापे से परेशान हैं, वो अपना वजन कम कर के डिप्रेशन की तीव्रता कम कर सकते हैं.

अगर आपका बच्चा भी करता है ऐसा तो समझ जाइए उसे तनाव है

आजकल लोगों की लाइफस्टाइल ऐसी हो गई है कि अधिकतर लोग तनाव से ग्रसित हैं. और इसके शिकार केवल बड़े ही नहीं हैं, बल्कि छोटे बच्चे भी हैं. बहुत से लोगों को लगता है कि तनाव केवल बड़ों को होता है, बच्चों को नहीं, उनके लिए ये खबर जरूरी है, क्योंकि इससे उनका भ्रम टूटेगा. हर उम्र के अपनी अलग चुनौतियां होती हैं, और ये चुनौतियां बच्चों को भी मिलती हैं.

हाल ही में एक स्टडी में बच्चों को होने वाले तनाव के बारे में पता चला है. स्टडी के मुताबिक, अगर आपका बच्चा स्कूल ना जाने के बहाने बनाता है और सिर्फ घर पर बैठना चाहता है, तो ये संभव है कि आपका बच्चा तनाव से परेशान हो.

अमेरिका की एक युनवर्सिटी में हुए शोध की माने तो अगर आपका बच्चा स्कूल जाने से कतराता है या स्कूल में उसकी अटेंडेंस कम है तो इसका कारण तनाव हो सकता है.

इस स्टडी को करते हुए स्कूल की अटेंडेंस को 4 भागों में बांट दिया गया. आसान शब्दों में उन्होंने वो कारण चिन्हित किए जिसके चलते बच्चे स्कूल से छु्ट्टी लेते हैं. वो चार कारण थे- कभी-कभी स्कूल ना जाना, बीमारी के चलते छुट्टी, बिना किसी कारण के छुट्टी, स्कूल जाने से साफ इंकार. अब शोधकर्ताओं को अध्ययन करके पता चला कि बिना किसी कारण के जो छुट्टी ली जाती है, उसमें सबसे बड़ा कारण तनाव होता है.

जानकारों ने इस बात पर चींता जाहिर की कि इसनी छोटी उम्र के बच्चे तनाव से ग्रसित हो रहे हैं. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ये तनाव बच्चों की पढ़ाई के साथ उनकी सामाजिक और आर्थिक विकास में भी बाधा बन सकता है.

9 घंटे से अधिक काम करने वाली महिलाएं है तनावग्रस्त

इस भागदौड़ भरी जिंदगी में अपने लिए सम निकालना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. हमेशा आगे निकलने की होड़ में पीछे छूट जाने का डर रहता है, यही कारण है कि लोग औफिस में अधिक काम करने को मजबूर होते हैं. पर जरूरत से अधिक कोई भी चीज खतरनाक होती है. हाल ही में एक स्टडी में ये बात सामने आई है कि जो महिलाएं 9 घंटे या उससे अधिक काम करती हैं उनमें डिप्रेशन का खतरा अधिक रहता है.

स्टडी के मुताबिक जो महिलाएं एक हफ्ते में 55 घंटे से ज्यादा काम करती हैं, उन्हें डिप्रेशन होने का खतरा 7.3 प्रतिशत ज्यादा बढ़ जाता है. वहीं महिलाएं, जो एक हफ्ते में 35-40 घंटे काम करती हैं, वो मानसिक रूप से अधिक स्वस्थ और तनाव मुक्त रहती हैं.

जानकारों का कहना है कि ऐसा इस लिए भी है क्योंकि उन्हें केवल औफिस का काम नहीं देखना होता है, बल्कि उनके लिए घर का कामकाज भी तनाव का मुख्य कारण होता है. स्टडी में ये बात भी सामने आई कि जो महिलाएं वीकेंड में भी काम करती हैं, वो ज्यादातर सर्विस सेक्टर की होती हैं और उनकी सैलरी दूसरों की तुलना में कम होती है. अब जब सैलरी कम हो तो इंसान पर तनाव तो बढ़ता ही है और फिर वो डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं. आपको बाता दें कि इस स्टडी में 12,188 कामकाजी महिलाओं को शामिल किया गया था.

डिप्रेशन से बचना है तो करिए जौगिंग

खराब लाइफस्टाइल और खराब खानपान का नतीजा है लोगों में बढ़ते डिप्रेशन का कारण. डिप्रेशन से बचने के लिए लोग तरह तरह की दवाइयों का सेवन करते हैं. पर इस खबर में हम आपको डिप्रेशन से बचने के लिए एक बेहद आसान तरीका बताने वाले हैं. अगर आप रोज 15 मिनट रोज जौगिंक करती हैं या कोई व्यायाम करती हैं तो डिप्रेशन का खतरा काफी कम हो सकता है.

हाल ही में हुई एक स्टडी की माने तो अगर हम हर रोज सिर्फ 15 मिनट जौगिंक करते हैं तो डिप्रेशन की खतरा काफी कम हो सकता है. अगर आप जौगिंग नहीं करना चाहती तो इसकी जगह पर आप कोई भी शारीरिक व्यायाम कर सकती हैं.

बहुत से एक्सपर्ट्स का मानना है कि जो लोग डिप्रेशन के शिकार हैं अगर वो रोज सुबह जैगिंग करते हैं तो उनके लिए ये बेहद कारगर होगा. ऐसा करने से हार्ड 50 प्रतिशत और तेजी से पंप करने लगता है. आपको बता दें कि इस स्टडी में 6 लाख से अधिक लोग शामिल थे. इन लोगों में से कुछ को एक्सेलेरोमीटर पहनाए गए थे, वहीं कुछ ने अपने फिजिकल वर्क की सेल्फ रिपोर्टिंग  की थी. इस एक्सपेरिमेंट से ये समझ में आया कि जिन लोगों ने एक्सेलेरोमीटर पहने थे और एक्सरसाइज भी की थी, उनमे डिप्रेशन का खतरा कम था उन लोगों के तुलना में जिन्होंने एक्सेलेरोमीटर नहीं पहने थे. स्टडी से ये भी साफ हो गया है कि आपके डीनए (DNA)का डिप्रेशन से कोई लेना देना नहीं है.

डिप्रेशन जेनेटिक परेशानी नहीं है, इसका ये मतलब हुआ कि अगर आपके माता, पिता को ये समस्या है तो जरूरी नहीं कि ये आपको भी हो. ऐसे में आप 20 30 मिनट जौगिंग कर के इस समस्या से निजात पा सकती हैं.

हेल्दी रहना है तो इन टिप्स को फौलो करें, कभी नहीं होंगी बीमार

हेल्दी रहना कौन नहीं चाहता. सभी चाहते हैं कि वो रोगमुक्त रहें. शारीरिक और मानसिक तौर पर वो फिट रहें. पर जिस तरह की लोगों की जीवनशैली बन गई है, स्वस्थ रहना लोगों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. ऐसे में हम आपको कुछ टिप्स देने वाले हैं जिन्हे फौलो कर के आप खुद को हेल्दी और फिट रख सकेंगी.

रहें जंक फूड से दूर

आधुनिक जीवन में जमक फूड का सेवन अधिक होने लगा है. आज के युवा की सबसे बड़ी चुनौती है जंक फूड से दूरी बनाने की. ये आदत बहुत से लोगों का काफी नुकसान कर रही है. ऐसे में जरूरी है कि आप जंक फूड से दूरी बनाएं और अपनी डाइट में हरे साग सब्जियों को शामिल करें.

रोजाना करें फलों और सब्जियों का सेवन

अपनी डाइट में फलों और सब्जियों को जरूर ऐड करें. ये ना सिर्फ आपके शरीर को हेल्दी रखती हैं बल्कि आपका दिमाग भी अधिक सक्रिय और तेज रहेगा. हरी साग सब्जियों से आपकी सेहत के लिए खासकर के जरूरी होती हैं. इनके नियमित सेवन से आप बीमारियों से दूर रहेंगी और कैंसर, दिल की बीमारी जैसी चीजों का खतरा भी दूर रहेगा.

एक्सरसाइज को अपनाएं

सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है कि हेल्दी डाइट के साथ साथ आप एक्सरसाइज करें. इससे सेहत का काफी लाभ होता है. एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं. खाने के बाद कम से कम वौक जरूर करें.

एक रूटीन बनाएं

स्वस्थ रहने की चाबी है खुद को एक रूटीन में रखना. खाने का, सोने का, जगने का, खलने कूदने, एक्सरसाइज सारी चीजों को एक तय समय में करें. इससे आपकी सेहत का काफी फायदा होगा.

खूब पिएं पानी

पानी पीने के लिए प्यास लगने का इंतजार ना करें. दिन भर में कम से कम 8 गिलास पानी जरूर पिएं. इसके अलावा कभी कभी पानी में नींबू का रस मिला कर पिएं. इससे आप हमेशा हाइड्रेटेट रहेंगे और वजन भी कंट्रोल में रहेगा.

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