#lockdown: कोरोनावायरस से बढ़ रही है लोगों में मानसिक समस्या

कोरोना वायरस के फैलने के कारण दुनिया के कई देशों के साथ भारत में भी लॉकडाउन घोषित कर दिया गया और अब भारत में लॉगडाउन की अवधि बढ़ाकर 3 मई तक कर दी गई है. इससे लोग घरों में रहने को मजबूर हो गए हैं. लगातार घरों में बंद-बंद रहने के कारण लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ने लगा है. कोरोना वायरस संक्रमन लोगों के लिए जानलेवा तो साबित हो ही रहा है, इससे लोगों में मानसिक समस्याएँ भी बढ़ रही है. विभिन्न राज्यों में इसकी वजह से कम से कम एक दर्जन लोगों ने आत्महत्या कर ली है. केरल में तो 7 लोग लॉकडाउन के कारण शराब नहीं मिलने की वजह से अवसादग्रस्त होकर जान दे चुके हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना की वजह से सिर्फ भारत में लाखों संख्या में लोग मानसिक समस्याओं के शिकार हो रहे हैं. कई लोगों में तो पागलपन जैसे लक्षण भी उभर रहे हैं. लॉकडाउन में शराब न मिलने के कारण लोग पेंट, सैनिटाइजर और वार्निश जैसी चीजों का सेवन कर रहे हैं और जिसके चलते दो लोगों की मौत भी हो चुकी है.

कोरोना के फैलने का जितना डर लोगों को बाहर जाने पर लग रहा है उतना ही मानसिक डर लोगों को अब घर में रहते हुए सताने लगा है. लॉकडाउन  की वजह से घर में कैद,  वे चिंता और अवसाद के शिकार तो हो ही रहे हैं, इससे बचने के लिए वे नशीली चीजों का सेवन भी ज्यादा करने लगे हैं. इससे मेंटल हेल्थ पर भी ज्यादा खराब असर पड़ने लगा है. यह स्थिति सिर्फ भारत या अमेरिका में ही नहीं, बल्कि इस समस्या से दुनिया भर के लोग जूझ रहे हैं.

दूसरी ओर लॉकडाउन के बाद लोगों को आर्थिक मंदी ने भी तनाव बढ़ा दिया है. अब लोगों में अपनी रोजी-रोटी की जुगाड़ के साथ-साथ कोरोना के डर से भी लड़ना है.

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लॉकडाउन में अजब-गज़ब बीमारी

लॉकडाउन में लोगों को अजब-गज़ब बीमारी हो रही है. किसी को नींद नहीं आ रही है, तो किसी की नींद संक्रमन के खौफ से टूट जा रही है. डॉक्टरों के पास भी आने वाले 30% मामले ऐसे ही हैं. पटना एम्स और आईजी आईएमस के टेलामेडिसिन में भी ऐसे मामले अधिक हैं. हर दिन ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जो लॉकडाउन के कारण नकारात्मक विचारों से घिर रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि यह स्थिति ठीक नहीं है. इससे बचाव के लिए सकारात्मक होना होगा. घर में रचनात्मक कार्यों के साथ बच्चों और बुजुर्गों को खौफ से बाहर लाने का प्रयास करना होगा.

लॉकडाउन के बाद लोगों की दिनचर्या बिगड़ी तो उनकी सोच नकारात्मक होने लगी. लोगों में अब हर समय सिर्फ संक्रमन की बात हो रही है. ऐसे में लोगों के दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. बच्चे सबसे अधिक डरे हुए हैं, वृद्ध भी इससे परे नहीं हैं. डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों के लिए डर की स्थिति काफी धातक है. भविष्य में यह फोबिया का रूप ले सकता है. इससे बचाव को लेकर घर के अभिभावकों को ध्यान देना होगा. घर में हर समय कोरोना की चर्चा से भी बच्चों के दिमाग पर असर पड़ रहा है. बच्चों को ऐसी दहशत से बाहर निकालना होगा, क्योंकि पहली बार ऐसा हो रहा है, जब लंबे समय तक लोगों को घरों में कैद रहना पड़ रहा है.

डॉक्टरों के पास सुबह से शाम तक ऐसी कॉल

पटना एम्स और आईजीआईएमएस के डॉक्टरों के साथ पीएमसीएच व आईएमएस द्वारा जारी किए नंबरों पर रोग से जुड़े कॉल 60 प्रतिशत हैं, जबकि 30 प्रतिशत से अधिक कॉल मानसिक रोग से जुड़े हैं. यह बीमारी सिर्फ दिनचर्या प्रभावित होने और नकारात्मक सोच के कारण हुई है.

मानसिक तनाव के कारण परेशान हैं लोग

क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट मीनाक्षी भट का कहना हा कि अधिकतर लोग मानसिक तनाव के कारण परेशान है. सामान्य दिनचर्या बदल गई और वह खुद घर में एडजेस्ट नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे हालात में वह तनाव की स्थिति का सामना कर रहे हैं.

देश में मनोचिकित्सकों की सबसे बड़ी एसोसिएशन indian Psychiatric Society ने कुछ चौंकने वाले आंकड़े जारी किए हैं. इसके सर्वे के मुताबिक, कोरोना वायरस के आने के बाद देश में मानसिक रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या 15 से 20 फीसदी तक बढ़ गई है. सर्वे बताता है कि मरीजों की ये संख्या एक हफ्ते के अंदर ही बढ़ी है. लोगों में लॉकडाउन की वजह से बिजनेस, नौकरी, कमाई और बचत को खोने का डर भी इसका कारण माना जा रहा है. चिंता की बात यह है कि कोरोना के बाद अगर मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ती है तो इसके लिए देश में जागरुता और सुविधाएं, दोनों की ही कमी है.

इंडियन काउंसिल मेडिकल रिसर्च के अनुसार, भारत में हर पाँच में से एक व्यक्ति मानसिक रोग का शिकार हैं. लेकिन दूसरा पहलू ये हैं कि दुनिया के स्वास्थय कार्यकर्ताओं में केवल 1% मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े हैं. भारत में मानसिक स्वास्थयकर्मी बहुत कम है. भारत में इसका आंकड़ा और भी कम है. National Mental Health प्रोग्राम का बजट पिछले वर्ष ही 50 करोड़ से घटाकर 40 करोड़ कर दिया गया था. और भारत अपने स्वास्थ्य बजट का 0.06% ही मानसिक स्वास्थ्य पर खर्च कर रहा है.

किंम्स कॉलेज लंदन ने फरवरी में क्वारंटीन के अवसर से जुड़े 24 पेपर्स का रिसर्च किया था और इसे मेडिकल जनरल लेनसीप में प्रकाशित किया था. इस रिव्यू के अनुसार, क्वारंटीन में रहने वाले आधे से ज्यादा लोगों में उदासी, तनाव और डिप्रेशन के लक्षण देखे गए. एक्सपर्ट ने बताया कि एक जगह सीमित रहने और सामाजिक संपर्क कम होने की वजह से यह समस्या बढ़ती जाती है.

कोरोना से भयभीत लोग

पुणे में अपना बिजनेस चलाने वाली श्रद्धा केजरीवाल को एक सप्ताह से बुरे-बुरे सपने आ रहे हैं. वह कहती हैं कि कारोबार ठप्प होने और अनिश्चित भविष्य की चिंता ने मेरी नींद उड़ा दी है. वह फिलहाल एक मनोचिकित्सक की सेवाएँ ले रही हैं. पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकोटा में तो सैंकड़ों लोग मानसिक अवसाद की चपेट में हैं. किसी को लगातार हाथ धोने की वजह से कोरोना फोबिया हो गया है तो किसी को छींक आते ही कोरोना का डर सताने लगता है. ऐसे कई मरीज मनोचिकित्सक के पास पहुँच रहे हैं. सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों ने स्थिति को और गंभीर कर दिया है.

एकदम दुरुस्त मानसिक स्वास्थ्य वाले अचानक बीमार

विशेषज्ञों का कहना है कि उनके पास सलाह के लिए आने वालों या फोन करने वालों में कई लोग ऐसे हैं जिनका स्वास्थय पहले एकदम दुरुस्त था. मनोचिकित्सक रंजन घोष बताते हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमन की वजह से लोगों को भीड़ से डर लगने लगा है. ट्रोमा थैरेपिस्ट रुचिका चंद्रशेखर कहती हैं कि कोरोना वायरस के चलते जारी लॉकडाउन की वजह से अवसाद और चिंता के लक्षण तेजी से बढ़ रहे हैं. इससे जीवन पर खतरा भी बढ़ेगा.

ऑनलाइन काऊसडलक्षण पोर्टल चलाने वाली आकृति तरफदार कहती हैं कि लॉकडाउन की वजह से लाखों लोग घर से काम कर रहे हैं. इसका मतलब जीवन को नए सिरे से व्यवस्थित करना है. इसका दिमाग पर भारी असर पड़ता है. सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों भी दिमाग पर प्रतिकूल असर डालती है. रुचिका कहती हैं कि लंबे समय से घरों में बंद रहने की वजह से पहले से इस बीमारी के चपेट में रहने वाले लोगों की समस्या और गंभीर हो रही है. बीते 10 दिन में मेरे पास पहुँचने वाले मरीजों की तादाद दोगुनी से ज्यादा हो गई है.

कोरोना वायरस ने दुनियाँ भर में डर और चिंता का माहौल बना दिया है. इसके कारण देश में मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ रही है. अध्ययन के मुताबिक, कोरोना मरीज, क्वारंटाइन या आइसोलेशन में रह रहे व्यक्ति, यहाँ तक कि इलाज कर रहे व्यक्ति की मानसिक सेहत पर भी इससे असर पड़ रहा है. इसके कारण देश में अवसाद, एंग्जायटी, डिप्रेशन व मानसिक रोगियों की संख्या 20% बढ़ गई है.

विश्व स्वास्थय संगठन (WHO )ने इस दौरान लोगों को अपने मानसिक स्वास्थ्य का खास ख्याल रखने को कहा है. इंडियन साइकियाट्रिक सोसायटी के एक सर्वे में यह कहा गया है कि कोरोना वायरस का मामला सामने आने के बाद देश में मानसिक रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या में 15 से 20 फीसदी तक वृद्धि हुई है. लॉकडाउन के कारण लोगों में जरूरी चीजों की दिक्कतें हो रही है. उनके बिजनेस, नौकरी और आमदनी के स्रोतों पर खतरा मंडरा रहा है. इससे लोगों में चिंता का होना स्वाभाविक है.

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चिंता की बात यह है जो लोग पहले से किसी मानसिक बीमारी के शिकार है, उनकी हालत लॉकडाउन में ज्यादा खराब हो सकती है. सबसे बड़ी दिक्कत तो यह है कि इस दौरान वे डॉक्टरों से मिल कर सलाह भी नहीं ले सकते हैं. ऐसी हालत में आप इन पाँच तरीकों को अपनाकर राहत पा सकते हैं.

सही खान-पान

चिंता, घबराहट और अवसाद की स्थिति में लोगों की भूख कम हो जाती है या भूख होने के बावजूद खाने की इच्छा नहीं होती. सही पोषण न मिलने से समस्याएँ और भी बढ़ती है. इसलिए हर हाल में खाना न छोड़े. हेल्दी डायट लेने की कोशिश करें.

एक्सरसाइज और योगा

तनाव. चिंता और अवसाद से बचने के लिए एक्सरसाइज और योगा करने से फायदा तो होगा कि मन भी शांत राहेंगा. पोजेटिव विचार आएंगे. इसलिए लॉकडाउन के दौरान नियमित तौर पर योगा और एक्सरसाइज करते रहें.

अपनों के बीच रहें

लोगों से सोशल डिस्टेन्सिंग रखें, पर अपने परिवार के लोगों के बीच समय बिताएँ, बातें करें. बच्चों को समय दें, उनके साथ साथ खेलें. पुराने फ़ोटोज़ देखकर हँसे और याद करें वह वक़्त.  दोस्त-रिशतेदारों से फोन पर बातें करें, उनसे जुड़े रहें.  खाली बैठे रहने से चिंता और अवसाद और घेरने लगती है. सकारात्मक सोच बनाए रखें. परिवार के लोगों के बीच बैठने बातें करने से चिंता और घबराहट नहीं होती.

संगीत सुने

तनाव ज्यादा घेरने लगें, तो संगीत सुनें, इससे काफी राहत मिलती है. इसलिए थोड़ा समय संगीत को जरूर दें. क्योंकि इससे मन को शांति तो मिलेगी ही, आत्मविश्वास भी बढ़ेगा.

किताबें पढ़ें

सोशल मीडिया पर इधर-उधर की चीजें न देखें, इससे तनाव और बढ़ता है. उसकी जगह अपनी मनपसंद किताबें पढ़ें, ताकि आपको सकारात्मक ऊर्जा का एहसास हो सके.

नींद पूरी लें

नींद पूरी नहीं हो पाने से कई तरह की समस्याएँ बढ़ने लगती है. चिंता-घबराहट, नकारात्मक विचार पनपने लगते हैं. इसलिए नींद पूरी लें.

सकारात्म्क सोच रखें

कोरोना वायरस की जानकारी जरूरी है, लेकिन इससे जुड़ी सारी खबरे सही ही हो जरूरी नहीं. इसलिए कोरोना से संबन्धित ज्यादा जानकारी पढ़ने-सुनने से बचें.

नशीली पदार्थों का सेवन न करें

कुछ लोग चिंता और परेशानी में नशीली पदार्थों की सेवन करने लगते हैं. इससे कुछ समय तो राहत मिलती है, लेकिन बाद में ज्यादा तनाव महसूस होने लगता है. इससे आपकी इम्यूनिटी पर भी बुरा असर पड़ता है. अगर आप ज्यादा दिक्कत महसूस करने लगें हैं, तो फोन से डॉक्टर से संपर्क कर सलाह ले लें. अगर डॉक्टर एंगजाइटी और तनाव कम करने के लिए कोई दवा लेने की सलाह देत हैं, तो उसे लें, पर बिना डॉक्टर के परमर्श के कोई दवा लेना आपके लिए हानिकारक भी हो सकता है.

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