#lockdown: मेरे सामने वाली खिड़की पे (भाग-2)

‘सच में, कैसी स्थिति हो गई है देश की ? न तो हम किसी से मिल सकते हैं.  न किसी को अपने घर बुला सकते हैं और न ही किसी के घर जा सकते हैं. आज इंसान, इंसान से भगाने लगा है. लोग एक-दूसरे को शंका की दृष्टि से देखने लगे हैं.  क्या हो रहा है ये और कब तक चलेगा ऐसा? सरकार कहती रही कि अच्छे दिन आएंगे. क्या ये हैं अच्छे दिन ? किसी ने सोचा था कभी कि ऐसे दिन भी आएंगे ?’ अपने मन में ही सोच रचना दुखी हो गई.

रचना अपने घर के ही एक कोने में जहां से हवा अच्छी आती हो, वहाँ टेबल लगाकरऑफिस जैसा बना लिया और काम करने लगी, चारा भी क्या था ?वैसे,अच्छा आइडिया दिया था मानसी ने उसे. ‘थैंक यू’ बोला उसने उसे फोन कर के.  काम करते-करते जबरचना मन उकता जाता, तो ब्रेक लेने के लिए थोड़ा बहुत इधर-उधर चक्कर लगा आती. नहीं,तो अपने छत पर ही कुछ देर टहल लेती. और फिर अपने लिए चाय  बनाकर काम करने बैठ जाती. अब रचना का माइंड सेट होने लगा था. लेकिन बॉस का दबाव तो था ही जिससे मन चिड़चिड़ा जाताकभी-कभी कि एक तो इस लॉकडाउन में भी काम करो और ऊपर से इन्हें कुछ समझ नहीं आता. सब कुछ परफेक्ट और सही समय पर ही चाहिए. ये क्या बात हुई ? बार-बार फोन कर के चेक करते हैं कि कर्मचारी अपने काम ठीक से कर रहे हैं या नहीं. कहीं वे अपने घर पर आराम तो नहीं फरमा रहे हैं.

उस दिनबॉस से बातें करते हुए रचना को एहसास हुआ कि कोई उसे देख रहा है. ऐसा होता है न ? कई बार तो भीड़ भरी बस या ट्रेन के कुपे में भी ऐसी फिलिंग होती है कि कोई हम पर नजरें गड़ाए हुए है.  अक्सर हमारा यह एहसास सच साबित होता है.  अब ऐसा क्यों होता है यह तो नहीं पता. लेकिन सामने वाली खिड़की पे बैठा वह शख्स लगातार रचना को देखे ही जा रहा था. लेकिन जैसे रचना की नजर उस पर पड़ी, वह इधर-उधर देखने लगा, लेकिन फिर वही. रचना उसे नहीं जानती है. आज पहली बार देख रही है.  शायद,अभी वह नया यहाँ रहने आया होगा, नहीं तो वह उसे जरूर जानती होती.  लेकिन वह क्यों उसे देखे जा रहा है ? क्या वह इतनी सुंदर है और यंग है ? लेकिन वह बंदा भी कम स्मार्ट नहीं था.तभी तो रचना की नजर उस पर से हट ही नहीं रही थी.  लेकिन फिर यह सोचकर नजरें फेर ली उसने कि वह क्या सोचेगा?

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एक दिनफिर दोनों की नजरें आपस में टकरा गई, तो आगे बढ़कर रचना ने ही उसे ‘हाय’ कहा. इससे उस बंदे को बात आगे बढ़ाने का ग्रीन सिग्नल मिल गया. अब रोजा दोनों की खिड़की से ही ‘हाय-हैलो’ के साथ-साथ थोड़ी बहत बातें होने लगी. दोनों कभी देश में बढ़ रहे कोरोना वायरस के बारे में बातें करते, कभी लॉकडाउन को लेकर उनकी बातें होतीं, तो कभी अपने ‘’वर्क फ्रोम होम को लेकर बातें करते. और इस तरह से उनके बीच बातों का सिलसिला चल पड़ता, तो रुकता ही नहीं.

“वैसे, सच कहूँ तो ऑफिस जैसी फिलिंग नहीं आती घर से काम करने में, है न ?” रचना के पूछने पर वह बंदा कहने लगा कि ‘हाँ, सही बात है, लेकिन किया भी क्या जा सकता है?’ “सही बोल रहे हैं आप, किया भी क्या जा सकता है. लेकिन पता नहीं यह लॉकडाउन कब खत्म होगा? कहीं  लंबा चला तो क्या होगा ?” रचना की बातों पर हँसते हुए वह कहने लगा कि भविष्य में क्या होगा कौन जानता है ?‘वैसे जो हो रहा है सही ही है, जैसे हमारा मिलना’ जब उसने मुसकुराते हुए कहा, तो रचना शरमा कर अपने बाल कान के पीछे करने लगी.रचना के पूछने पर उसने अपना नाम शिखर बताया और यह भी कि वह यहाँ एक कंपनी में काम करता है. अपना नामबताते हुए रचना कहने लगी कि उसका भी ऑफिस उसी तरफ है.

काम के साथ-साथ अब दोनों में पर्सनलबातें भी होने लगी. शिखर ने बताया कि पहले वह मुंबई में रहता था. मगर अभी कुछ महीने पहले ही तबादला होकर दिल्ली शिफ्ट हुआ है.

“ओह….और आपकी पत्नी भी जॉब में हैं ?” रचना ने पूछा तो शिखर कहने लगा कि ‘नहीं, वह एक हाउसवाइफ है. “हाउस वाइफ नहीं, होममेकर कहिए शिखर जी, अच्छा लगता है”  बोलकर रचना खिलखिला पड़ी, तो शिखर उसे देखता ही रह गया. रचना से बातें करते हुए शिखर के चेहरे पर अजीब सी संतुष्टि नजर आती थी. लेकिन वहीं,अपनी पत्नी से बातें करते हुए वह झल्ला पड़ता था.

अमन को ऑफिस भेजकर, घर के काम जल्दी से निपटाकर,रचना अपनी जगह पर जाकर बैठ जाती, उधर शिखर पहले से ही उसका इंतजार करता रहता और उसे देखते ही खिड़की के पास आकर खड़ा हो जाता और दोनों बातें करने लगते.लेकिन जैसे ही शिखर को अपनी पत्नी की आवाज सुनाई पड़ती, वह भाग कर अपनी जगह पर बैठ जाता और फिर दोनों इशारों-इशारों मे बातें करने लगते.कहीं न कहीं दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित होने लगे थे. लेकिन कोरोना के चलते घर में क्वारंटाइन होने की वजह से उनके प्यार की गाड़ी अटक गई थी. लेकिन उन्होंने इसका भी हल निकाल लिया.

दोनों कागज पर लिखकर अपने दिल का हाल ब्याँ करते और उस खत को रोल कर एक-दूसरे की तरह फेंकते. कभी मोबाइल से दोनों बातें करते,कभी चैटिंग करते. जोक्स बोलकर हँसते-हंसाते. लेकिन इस पर भी जब उनका मन नहीं भरता,तो दोनों अपने-अपने छत पर खड़े होकर लोगों की घरों में ताक-झांक करते कि इस लॉकडाउन में वे अपने घरों में क्या रहे हैं? कहीं पति-पत्नी साथ मिलकर खाना पका रहे होते. कहीं काम को लेकर सास बहू में झगड़े हो रहे होते. और एक घर मेंतो हसबैंड पोंछा लगा रहा था और उसकी पत्नी उसे बता रही थी कि और कहाँ-कहाँ पोंछा लगाना है. देखकर दोनों की हंसी रुक ही नहीं रही थी. रचना का तो पेट ही दुखने लगा हंस-हंस कर. बड़ा मज़ा आ रहा था उन्हें लोगों की घरों मेंताक-झाँक करने में. अक्सर दोनों छत पर जाकर लोगों की घरों में ताकते-झाँकते और खूब मज़े लेते.

जहां इस कोरोना ने पूरी दुनिया में कहर मचा रखा है. दुनियाभर में कोरोना की चपेट में लाखों लोग आ गए हैं. हजारों लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोना के डर से करोड़ों लोग अपने घरों में कैद हैं. सोशल डिस्टेन्सिंग के चलते लोग एक-दूसरे से मिल नहीं रहे हैं. वहीं, इस दहशत के बीच रचना और शिखर के बीच प्यार का अंकुर फुट पड़ा है. यह अनोखी प्रेम कहानी भले  ही लोगों की आँखों से ओझल है, पर दोनों एक-दूसरे की आँखों में डूब चुके हैं.

लेकिन उनका प्यार अमन और शिखर की पत्नी के आँखों से छुपा नहीं है। जान रहे हैं दोनों की इन दोनों के बीच कुछ तो चल रहा है. तभी तो अमन जब भी घर में होता है रचना के आसपास ही मँडराते रहता है, और उधर शिखर की पत्नी भी खिड़की खुला देखा, आँख-भौं चढ़ा लेती है.

इसी बात पर कई बार अमन से रचना की लड़ाई भी हो चुकी है. अमन का कहना है कि क्यों वह वहीं बैठकर काम करती है? घर में और भी तो जगह हैं? लेकिन रचना कहती है कि ‘उसकी मर्ज़ी, जहां बैठकर वह काम करे. वह क्यों उसका मालिक बना फिरता है ?‘घर का एक काम तो होता नहीं उससे, और बड़ा आया है नसीहतें देने’ अपने मन में ही बोल रचना मुंह बिचका देती.

उधर शिखर भी अपनी पत्नी के व्यवहार से परेशान है.  जब देखो,वह आगे-पीछे उसके मंडराती रहती. कभी चाय, कभी पानी देने के बहाने वहाँ पहुँच जाती और फालतू की बातें कर उसे बोर करती. कहता शिखर,‘जाओ मुझे काम करने दो, पर नहीं,बकवास करनी ही है उसे. रचना को वह घूर कर देखती है और खिड़की बंद कर देती है.  लेकिन जब वह चली जाती है,खिड़की खुल भी जाता और फिर दोनों की गुपचुप बातें शुरू हो जाती है.

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अमन के सो जाने पर,देर रात तक रचना शिखर के साथ फोन पर चैटिंग करती रहती है. सुबह रचना को डेरी तक दूध लाने जाना पड़ता था, तो अब शिखर भी उसके साथ दूध और सब्जी-फल लाने , स्टोर तक जाने लगा है, ताकि दोनों को आपस में बातें कर मौका मिल सके.लोगों की नजरें बचाकर शिखर कूद कर रचना के छत पर आ जाता है और दोनों एक-दूसरे की आँखों में  झाँकते हुए घंटों बिता देते हैं.

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