#lockdown: मेरे सामने वाली खिड़की पे (भाग-3)

“लगता है बारिश होगी. हवाएँ भी कितनी ठंडी-ठंडी चल रही है” कह कर रचना उस रोज, जब दोनों एक ही छत पर साथ बैठे हुए थे,अपने आप में ही सिकुड़ने लगी, तभी अमन ने उसे अपनी बाहों मे भर लिया और दोनों वहीं जमीन पर बैठ गए. कुछ देर तक दोनों एक-दूसरे कीआँखों में ऐसे डुबे रहे, जैसे उनके आसपास कोई हो ही न.शिखर हौले-हौले रचना के बालों में  उँगलियाँ फिराने लगा और वह मदहोश उसके बाहों सिकुड़ती चली गई. “अभी तो लोगों को डिस्टेन्स बनाकर कर चलने के लिए कहा जा रहा है और हम यहाँ एक साथ बैठे प्यार-मुहब्बत कर रहे हैं। अगर किसी ने देख लिया हमारा कोरोना प्यार तो?” हँसते हुए रचना बोली.

“हाँ, सही है यार……. किसी ने देख लिया तो ?पता है, पुलिस लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर डंडे बरसा रही है” कह कर शिखर हंसा तो रचना भी हंस पड़ी. “वैसे,क्यों न हम अपने प्यार का नाम ‘ कोरोना लव” रख दें. कैसा रहेगा ?”

तभी अचानक से शरीर पर पानी की बुँदे पड़ते देख दोनों चौंक पड़े. “ब बारिश, बारिश हो रही है शिखर ! ओ….. माँ, इस मार्च के महीने में बारिश ?’ बोलकर रचना एक बच्ची की तरह चिहुक उठी और अपनी हथेलियाँ फैलाकर गोल-गोल घूमने लगी. मज़ा आ रहा था उसे बारिश में भीगने में. लेकिन तबीयत बिगड़ने के डर से दोनों वापस में घर आ गए, क्योंकि यह बेमौसम की बारिश थी और वैसे, भी, अभी कोरोना वायरस फैला हुआ है, तो बारिश मे भिंगना ठीक नहीं.लेकिन दोनों की बातें अभी खत्म नहीं हुई थी. सो वे अपनी-अपनी खिड़की से ही इशारों मे बातें करने लगे.

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‘आँखों की गुस्ताखियाँ माफ हो………एकटक तुम्हें देखती है………….जो बात कहना चाहे जुंवा………..तुमसे वो कहती है’एक कागज पर ढेरों तारीफ लिखकर शिखर ने रचना की तरफ अभी फेंका ही था कि अमन आ गया और उनकाकलेजा धक्क कर गया.  खैर,  वह उस कागज के गोले को देख नहीं पाया, क्योंकि रचना ने झट से उसे अपने पैर के नीचे दबा दिया और जब अमन वहाँ से चला गया, तब वह उसे खोलकर पढ़ने लगी. अपनी तारीफ़ें पढ़कर रचना का गाल शर्म से लाल हो गया. जब उसने अपनी नजरें उठकर शिखर की तरफ देखा,तो उसने एक प्यारा सा  ‘फ्लाइंग किस’रचना को भेजा.बदले में रचना ने भी भी उसे फ्लाइंग किस भेजा और दोनों मोबाइल पर चैटिंग करने लगे. जहां कोरोना के डर से लोग हदसे हुए हैं. सड़के-गलियाँ सुनसान-वीरान पड़ी है. वहीं रचना और शिखर को अपनी ज़िंदगी पहले से भी हसीन लगने लगी है. उसे वीरान पड़ी दुनिया रंगीन नजर आ रही है.  साँय-साँय करती हवा, प्यार की धुन लग रही है. अपनी ज़िंदगी में यह नया बदलाव दोनों को भाने लगा है. लेकिन यही बातें अमन और शिखर की पत्नी को जरा भी नहीं भा रहा है. उन्हें खुश देख वह जल-भून रहे हैं.  लेकिन रचना और शिखर को इस बात की कोई परवाह नहीं है.

अमन और रचना ने लव-मैरेज किया था .  परिवार के खिलाफ जाकर दोनों ने शादी की थी. वैसे, फिर बाद में सबने उनके रिश्ते को स्वीकार कर लिया. लेकिन अब वही अमन में वह बात नहीं रही जो पहले हुआ करती थी.रचना तो आज भी अमन को प्यार करती है, पर ताली तो दोनों हाथों से बजती है न ? अमन हमेशा उसे झिड़कते रहता है. उसकी कमियाँ निकालते रहता है, जैसे उसमें कोई अक्ल ही न हो. तो वह भी कब तक उसे बर्दाश्त करे भला ? सो निकल जाता है उसके भी मुझ से उल्टा-पुल्टा बात और इसी बात पर दोनों में लड़ाइयाँ शुरू हो जाती.शादी से पहले रचना को नहीं पता था कि अमन इतना शुष्क इंसान होगा.एक पत्नी अपने पति से क्या चाहती है ? प्यार के दो बोल ही न? झूठी ही सही, पर क्या वह रचना की तारीफ नहीं कर सकता जैसे पहले किया करता था ? ये बात तो विश्व प्रचलित है की तारीफ सुनना ब्रह्मांड की सभी स्त्रियॉं को पसंद है, तो अगर रचना ने ऐसा चाह लिया, तो क्या गलत हो गया?

रिश्ते के शुरुआती दिनों में हर वक़्त अमन  रचना की तारीफ किया करता था. जताता था कि वह बेहद खूबसूरत है, प्यारी है और वही उसके सपनों की रानी है. कहता अमन,‘ रचना, तुम्हारी आँखें बहुत खूबसूरत है.  तुम्हारे घने बालों में घिरे रहना चाहता हूँ हरदम.  उसकी बातों पर रचना इठला पड़ती. अच्छा लगता था उसे अपनी तारीफ़ें सुनना. लेकिन यही सब बातें अब अमन को बकवास लगने लगी है.  लेकिन वहीं जब कोई और रचना की खूबसूरती की तारीफ़ें करता है तो कैसे वह जल-भून जाता है और रचना से लड़ाई करने लगता है. जैसे रचना ने ही उसे उकसाया हो अपनी तारीफ़ें करने को.‘और क्यों न करें कोई उसकी तारीफ, जब सामने वाला इस काबिल हो तो’ रचना की इस बात पर वह और तिलमिला जाता है और पूरी रात उससे झगड़ता रहता है.शिखर, कहता है,‘ रचना अपनी उज्जवल मुस्कान से कैसे उसके दिन बना देती हैं.  और अमन कहता है, वह अपनी बातों से उसका दिन खराब कर देती है, इसलिए वह जानबूझकर ऑफिस से घर देर से आता है. लेकिन क्या वह जानती नहीं कि वह ऑफिस से घर देर से क्यों आता है ? क्योंकि वहाँ वह किंजल मैडम जो हैं उनकी, जिसके साथ वह उठता-बैठता, बोलता-हंसता, खाता-पीता हैं. घर आकर भी वह उससे ही बातें करता रहता है फोन पर. जैसे घर में कोई हो ही न. फिर शादी ही क्यों की उसने ? कर लेता उसी किंजल से.  क्या जरूरत थी रचना की ज़िंदगी बर्बाद करने की ? वह भी बेचारी किससे बात करे ? कोई है क्या यहाँ अपना ?  इस कोरोना की वजह से तो किसी दोस्त के घर भी नहीं जा सकती वह, फिर क्या करे, पागल हो जाए ? लेकिन अमन को यह बात समझ ही नहीं आती.  लगें रहते हैं अपने दोस्तों से बातें करने में. नहीं सोचते है कि रचना अकेला महसूस करती होगी.  तो ठीक है न,अब मिल गया है उसे भी एक नया दोस्त.  खुश है वह अब अपने नए दोस्त के साथ.   कोई परवाह नहीं उसे भी,की वह उसे वक़्त दे, की न दे.

शिखर भी अपनी बड़बोली पत्नी से परेशान रहता है. दिन भर बकर-बकर करती रहती है, कुछ बोलो तो लड़ने लग जाती है. शिखर के माँ-बाप ने पैसो की लालच में उसकी शादी एक ऐसी लड़की से कर दी, जो कहीं से भी उसके लायक नहीं है. लेकिन क्या करें, निभाना तो है. यह सोचकर शिखर चुप रह जाता है. लेकिन जब से रचना उसकी ज़िंदगी में आई है, उसे अपनी ज़िंदगी से प्यार होने लगा है.इधर से रचना को हमेशा खुश और हँसते-मुसकुराते देख अमन चिढ़ने लगा है और उधर शिखर को गुनगुनाते देख उसकी पत्नी ‘चुचु-चीची करती रहती है,लेकिन कोई परवाह नहीं उन्हें किसी के चिढ़ने-रूठने से.

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अमन को ऑफिस भेजकर जैसे ही रचना ऑफिस जाने के लिए घर से निकली, शिखर ने अपनी गाड़ी उसके सामने रोक दिया और खींच कर उसे अंदर बैठा लिया. हक्की-बक्की सी रचना उसे देखती रहा गई. वह अभी कुछ बोलती ही कि शिखर ने उसके होठों पर अपनी उंगली रख दी और गाना लगा दिया.‘बैठ मेरे पास तुझे देखता रहूँ………बैठ मेरे पास………..न तू कुछ कहे न मैं कुछ कहूँ…….. बैठ मेरे पास’  अचानक से माहौल एकदम रोमांटिक हो गया.  दोनों को लगने लगा,वक़्त यही ठहर जाए, आगे बढ़े ही न.  दोनों एकदूसरे की आँखों में झाँक रहे थे.  वह मंजर किसी फिल्म का भले लग रहा हो पर दोनों इस तजुर्बे से गुजर रहे थे.  उनकी नजरें चार हो रही थी और आसपास के माहौल धुंधले.

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