न जाने क्यों बोझ हो जाते हैं वो झुके हुए कंधे

एक दिन एक 94 वर्ष के बुजुर्ग अपने बेटे के साथ पार्क में बैठे थे. अचानक एक  चिड़िया सामने के पेड़ पर आकार बैठ गयी. पिता ने उस चिड़िया को देखा और अपने बेटे से पूछा , “यह क्या है बेटा ?” बेटे ने जवाब दिया “यह एक चिड़िया है”.

कुछ मिनटों के बाद, पिता ने अपने बेटे से दूसरी बार पूछा, “यह क्या है?” बेटे ने कहा “अभी तो आपको बताया कि यह एक चिड़िया है”.

थोड़ी देर के बाद, बूढ़े पिता ने फिर से अपने बेटे से तीसरी  बार पूछा, यह क्या है? ”

इस बार बेटे ने बहुत ही बुरे तरीके से उन्हे जवाब दिया और बोला “यह एक , चिड़िया है, चिड़िया है, चिड़िया है”.

आप मुझसे बार- बार एक ही सवाल क्यों पूछते रहते है. मैंने आपको बार-बार बताया कि यह एक चिड़िया है. क्या आपको समझ में नहीं आ रहा? अब घर चलिये.

वो दोनों घर आ गए. बुजुर्ग अपने कमरे में चले गए . कुछ देर बाद वो अपनी पुरानी डायरी  लेकर वापस आए ,जिसमे उन्होने अपने लड़के का पूरा बचपन संगो रखा था . एक पेज खोलकर, उन्होंने अपने बेटे को उस पेज को पढ़ने के लिए कहा.

जब बेटे ने उसे पढ़ा तो उसकी आंखो से आँसू निकलने लगे . उसमे लिखा था- “आज मेरा तीन साल का छोटा बेटा पार्क में मेरे साथ बैठा था. जब पेड़ पर एक कौवा बैठा तब मेरे बेटे ने मुझसे 23 बार पूछा कि यह क्या है, और मैंने उसे 23 बार जवाब दिया कि यह एक कौवा है. मैंने उसे हर बार प्यार से गले लगाया और मैंने अपने मासूम बच्चे के लिए प्यार महसूस किया ”.

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जब एक बेटे द्वारा एक ही सवाल 23  बार पूछने से पिता को जवाब देने में कोई झंझलाहट नहीं हुई तो जब आज पिता ने अपने बेटे से सिर्फ 3 बार यही सवाल पूछा, तो बेटे को चिढ़ और गुस्सा क्यों आया ?

दर्द होता है यह देखकर की जिन माँ बाप ने हमें बोलना सिखाया आज हम उन्ही  को चुप करा देते है . जिन माँ बाप ने हमें ज़िन्दगी दी ,खुद की  खुशियों  को मिटा के भी हमें सब कुछ दिया ,आज उनसे बात करने के लिए हमारे पास समय नहीं है.

अपने व्यस्त जीवन में से थोड़ा समय निकाल कर अपने माँ बाप को दीजिये क्योंकि ये वही लोग हैं जिन्होंने आपकी बातें तब सुनी थी जब आप बोलना भी नहीं जानते थे .

कैसी विडम्बना है कि एक माँ बाप मिलकर 4 बच्चों  को पाल सकते है पर 4 बच्चे मिलकर एक माँ बाप को नहीं पाल  सकते. जिन माँ बाप ने अपना सारा जीवन अपने बच्चों  के लिए कुर्बान किया आज उन्ही के लिए हमारे घरों में जगह नहीं है .माँ बाप का साथ में रहना एक बंधन सा लगता है . किसी से पूछो की कैसे हो तो कहते है की बहुत काम बढ़ गया है क्योंकि माता पिता हमारे यहाँ रहने आये है .

जो कुछ भी आप अपने माँ बाप के साथ करोगे ,वो आपके बच्चे भी आपके साथ करेंगे .दुनिया गोल है जहाँ से घूमना शुरू  होती है वहीँ पर आकर रूकती है.

अपनी भावना को बदलिए और यह कहिये की हम अपने माता पिता के साथ रहते है और हमें इस बात पर गर्व है.

आपके माँ बाप ने बचपन में आपको शहजादे  की तरह रखा अब ये आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप  उन्हें उनके बुढ़ापे में बादशाहों की तरह रखें.

माँ बाप की ज़िन्दगी गुजर जाती है आपकी जिंदगी बनाने में और बच्चा बड़ा होकर यह सवाल करता है कि  आपने  मेरे लिए किया ही  क्या? कभी भी अपनी ज़िन्दगी में अपनी सफलताओं का रौब अपने माँ बाप को मत  दिखाना क्योंकि उन्होंने अपनी  ज़िन्दगी हारकर तुमको जिताया है.

जब हम बड़े हो जाते हैं तब हम अपने जीवन के बड़े से बड़े फैसले खुद ही लेने लगते है ,एक बार भी अपने माँ बाप से पूछना जरूरी नहीं समझते पर याद रखिये  जिन घरों में पहले माँ बाप से सलाह नहीं ली  जाती, उन्ही घरों में बाद में वकीलों से सलाह ली जाती है.

माँ एक ऐसी बैंक है जहाँ आप हर दुःख, हर तकलीफ जमा करा सकते हैं और पिता एक ऐसा क्रेडिट कार्ड है जिनके पास अगर बैलेंस न भी हो तो भी आपके सारे सपने पूरा करने की कोशिश करता है.

दुनिया में हर इंसान अपना दुःख किसी न किसी से साझा कर ही लेता है लेकिन एक पिता ही है जो अपना दुःख किसी से साझा नहीं करता. वो आपको डांटकर अपने गुस्से को कभी -कभी दिखा तो देता है पर कभी रोकर अपने दर्द को बयान नहीं करता,क्योंकि उसको पता है आपके भविष्य की मजबूत डोर उसकी हिम्मत से है. आँसू उसके अन्दर भी है पर उसके हौसले का जवाब नहीं .

माँ-बाप के होने का एहसास कभी नहीं होता पर उनके ना होने का एहसास बहुत होता है. आप इस दुनिया में किसी के बारे में सोचे या न सोचे लेकिन  उन माँ- बाप के बारे में जरूर सोचना जो बिना थके, बिना रुके, बिना अपनी तकलीफ किसी को बताये ईश्वर से आपकी कामयाबी की गुहार लगाते हैं.

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जिस दिन आपके माता- पिता को आप पर गर्व हो,समझ लेना उस दिन आपने  दुनिया जीत ली. दुनिया भर के रिश्ते निभाकर यह जाना कि माँ बाप के सिवाय अपना कोई नहीं.इस दुनिया में बिना स्वार्थ के केवल माता पिता की प्यार कर सकते  हैं. ये सच्चाई जिन लोगों को मालूम है वो लोग बहुत खुशनसीब  है और जो ये नहीं जानते उनसे बड़ा बदनसीब कोई नहीं.

“लोग कहते है कि पहला प्यार भुलाया नहीं जा सकता पर पता नहीं क्यों हम अपनी ज़िन्दगी के पहले प्यार को ही भूल जाते है.”

गलती तो भारी पड़ने वाली है

दिल्ली के समाचारपत्रों में 14 जून को प्रकाशित 3 समाचार आपस में जुड़े हैं. पहला समाचार यह था कि एशिया समेत विश्व की जनसंख्या घट रही है और प्रति महिला बच्चों का औसत 2.1 फीसदी से घट कर 1.8 फीसदी हो जाएगा. इस का मतलब है कि अगले कई दशकों तक बच्चे कम होंगे पर चूंकि लोग ज्यादा दिन जिंदा रहेंगे, इसलिए बिना देखभाल वाले वृद्ध बढ़ते जाएंगे.

दूसरा समाचार था कि 90 वर्ष का एक वृद्ध और 80 वर्ष की उस की बहन अपने बंद मकान में मरे पाए गए. वे शायद अत्यधिक गरमी के कारण मरे थे. उन का वर्षों से पड़ोसियों से संबंध टूट गया था और उन से मिलनेजुलने कोई नहीं आता था.

तीसरा समाचार यह था कि 70 वर्ष के एक व्यक्ति ने अपनी 35 वर्षीया 6 माह पुरानी पत्नी की ईंट से सिर फोड़ कर हत्या कर दी और फिर खुद गले में फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली.

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ये तीनों ही समाचार भविष्य की एक भयावह स्थिति की ओर इशारा कर रहे हैं. अब शहरों में मकान खाली होने लगेंगे और जो बूढ़े और गरीब हैं वे इन खाली होते मकानों में अकेले पड़े रहेंगे. कितनों के आसपास कोई पड़ोसी ही न होगा. मल्टीस्टोरी बिल्डिंगों में रहने वालों को और अधिक कठिनाइयां होंगी, क्योंकि पुराने मकान जर्जर होने लगेंगे और वृद्ध रखरखाव का पैसा भी न दे पाएंगे.

इन मकानों के बिजली के कनैक्शन काट दिए जाएंगे, दरवाजों पर टैक्स वसूली के नोटिस लगे होंगे, लिफ्टें नहीं चलेंगी, पानी के पंप खराब हो जाएंगे. इन वृद्धों को इलाज की सुविधा भी नहीं मिलेगी. बेटेपोते होंगे भी तो अपने में मस्त और किसी दूसरे देश या शहर में.

जो लोग देश की समस्याओं की जड़ में जनसंख्या को लेते थे उन के लिए दुखद बात है कि जनसंख्या कम होना विकट सामाजिक आर्थिक समस्या पैदा करेगी. सामाजिक इसलिए कि वृद्धों की देखभाल कौन करेगा और आर्थिक इसलिए कि जब काम करने वाले न होंगे तो देश की अर्थव्यवस्था कैसे चलेगी? टैक्स कौन देगा? वृद्धों की देखभाल न होने का एक कारण घटते युवा और बढ़ते वृद्ध हैं.

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घरों में वृद्ध और बढ़ेंगे और एक युवा को नानानानी और दादादादी दोनों को संभालना होगा. हो सकता है उस के मातापिता भी वृद्ध हो चलें. यदि उस की शादी भी ऐसे ही साथी से हो तो एक घर में 4 जोड़े नानानानी की उम्र के और 2 जोड़े मातापिता की उम्र के हो सकते हैं. अगर वे साथ न भी रहें तो भी जिम्मेदारी इस युवा जोड़े की होगी. इसे 12 प्रौढ़ों और वृद्धों की देखभाल करनी होगी. प्रकृति से हम ने जो खिलवाड़ किया है और जीनेमरने पर जो कंट्रोल किया है वह भारी पड़ने वाला है.

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